1. (i) मुक्त आकाश की विद्युतशीलता का मात्रक तथा विमीय सूत्र लिखें।
(ii) किसी गाउसीय पृष्ठ में ( – q), (+2q ) तथा (– q ) आवेश हैं। पृष्ठ में से परिणामी विद्युत फ्लक्स की गणना करें ।
उत्तर – (i) विद्युतशीलता का मात्रक C2N-1m-2 ; विमीय सूत्र : M-1L-3T4A2
(ii) qeq = – q +2q – q = 0
परिणामी विद्युत फ्लक्स q = qeq /∈0 = 0/∈0 = 0
2. किसी समबाहु त्रिभुज की भुजा 20 सेमी है। इसके दो कोणों पर (+) 3 नैनो कूलॉम के समान बिन्दु आवेश रखे हैं। किसी (+) 1 नैनो कूलॉम के परीक्षण आवेश को अनन्त दूरी से त्रिभुज के तीसरे कोने तक लाने में किया गया कार्य कितना होगा ?
उत्तर –
3. वायुमण्डल वैद्युत उदासीन नहीं होता है समझाइए क्यों ?
उत्तर – सूर्य की किरने वायु के ऊपरी परत के कानों से टकराकर उन्हें आयनिकृत नहीं खरीद कर देती है अतः वायुमंडल विद्युत उदासीन नहीं है l
4. 6 सेमी2 क्षेत्रफल के प्लेटों को 2 मिमी की दूरी पर रखने से बने समानान्तर प्लेट संधारित्र की धारिता की गणना करें। वायु को परावैद्युत माध्यम के रूप में प्रयुक्त माना जाये। यदि इस संधारित को 200 V सप्लाई से जोड़ दिया जाये तो संधारित्र के प्रत्येक प्लेट पर कितना आवेश होगा?
उत्तर –
5. 12 ओम के चार प्रतिरोधकों को समानान्तर क्रम में जोड़ा जाता है। इस प्रकार के तीन संयोजनों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है। कुल प्रतिरोध कितना होगा? 2
उत्तर –
6. संवहन वेग के सिद्धांत का प्रयोग करते हुए ओम का नियम व्युत्पित करें।
उत्तर – चालक से प्रवाहित धारा I = A n q Vd
7. किसी क्षेत्र से गुजरता हुआ एक इलेक्ट्रॉन विक्षेपित नहीं होता है, क्या यह संभव हो सकता है कि वहाँ कोई चुम्बकीय क्षेत्र नहीं हो ? समझाइए।
उत्तर – ऐसा होना कोई जरूरी नहीं है क्योंकि यदि इलेक्ट्रॉन चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश गति करे तो इसमें विक्षेप नहीं होगा।
8. किसी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के क्षैतिज घटक का मान उद्रग घटक के मान का √3 गुणा है। उस स्थान पर ‘नमन कोण’ का मान क्या होगा?
उत्तर –
9. भँवर धाराएँ क्या हैं? इनके दो अनुप्रयोग दीजिए ।
उत्तर – जब धातु प्लेट से एक सम्बद्ध चुम्बकीय क्षेत्र में लगातार परिवर्तन होता है तो धातु प्लेट में एक भँवर धारा उत्पन्न होती है, जिसे भँवर धारा कहते हैं।
भँवर धारा का उपयोग (i) प्रेरण भट्ठी एवं (ii) विद्युत ब्रेक में किया जाता है।
10. जब कोई चुम्बक चित्र में दर्शाए अनुसार किसी तार के लूप की ओर गति करता है, तो लूप में प्रेरित धारा की दिशा बताइए तथा आपके द्वारा उपयोग किये गए नियम को लिखें।
उत्तर – लूप में प्रेरित धारा की दिशा दक्षिणावर्ती होगी जिससे कि लूप में दक्षिणी ध्रुव प्रेरित हो सके और यह चुंबक के दक्षिणी ध्रुव को निकट आने का विरोध कर सके । इसमें लेंज के नियम का उपयोग किया गया है l
11. एक मछली पानी के अन्दर √7 सेमी गहराई पर तैर रही है। मछली पानी के बाहर केवल एक वृत्ताकार भाग से देख सकती है। इस वृत्ताकार भाग की त्रिज्या कितनी होगी? वायु के सापेक्ष पानी का अपवर्तनांक 4/3 है। चित्र में दर्शाएँ ।
उत्तर –
12. खतरे का संकेत लाल क्यों होता है? समझाएँ ।
उत्तर – लाल रंग के प्रकाश का तरंगदैर्घ्य सबसे अधिक होता है। अतः इसका प्रकीर्णन सबसे कम होता अतः लाल रंग का प्रकाश बिना प्रकीर्णित हुए बहुत दूरी तक जाता है। इसलिए खतरे का संकेत लाल होता है।
13. एक छोटी पिन को मेज पर स्थापित किया जाता है। तथा इसको 50 सेमी की दूरी से ऊपर से देखा जाता है। यदि पिन के ऊपर 15 सेमी मोटाई का काँच का गुटका रख दिया जाये तो पिन का प्रतिबिम्ब अब कितना ऊपर दिखाई देगा? (जबकि गुटके को मेज के समानान्तर साधा गया हो) काँच का अपर्वतनांक = 3/2 1 चित्र में दर्शाएँ ।
उत्तर – आभासी गहराई = वास्तविक गहराई / अपर्वतनांक = 15 / 3/2 = 10 सेमी l
अत: प्रतिबिंब 15 – 10 = 5 सेमी ऊपर दिखाई देगा l
14. एक रेडियोसक्रिय नाभिक निम्न ढंग से क्रमानुसार क्षय करता है।
यदि नाभिक A के लिए परमाणु संख्या व द्रव्यमान संख्या 92 तथा 238 हो तो नाभिक A3 के लिए इन संख्याओं का मान क्या होगा?
उत्तर –
15. किसी p-n संधि का पूर्ण-तरंग दिष्टकारी के रूप में वर्णन हेतु परिपथ चित्र खीचें |
उत्तर –
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
16. किसी संधारित्र की धारिता को परिभाषित कीजिए। किसी समानान्तर प्लेट संधारित्र में संचित ऊर्जा के लिए व्यंजक स्थापित कीजिए। दिखाएँ कि संधारित्र में संचित ऊर्जा का घनत्व 1/2 ∈0 E2 होता है, जहाँ E = प्लेटों के बीच का विद्युत क्षेत्र है।
अथवा,
दिए गए चित्र में P तथा Q के बीच समतुल्य धारिता ज्ञात कीजिए यदि-
C1 = C3 = C4 = C5 = 4μF और C2 = 10μF
उत्तर – किसी संधारित्र की विद्युत धारिता संख्यात्मक रूप से आवेश का वह परिमाण है जिसे संधारित्र की संग्राहक पट्टिका पर देने से संग्राहक और संघनक पट्टिकाओं के बीच एकांक विभवांतर उत्पन्न होता है।
समांतर पट्टिका संधारित्र की धारिता – चित्र में एक समांतर पट्टिका संधारित्र दिखाया गया है जिसमें a संग्राहक पट्टिका तथा b संघनक पट्टिका है जो भूधृत है और इनके बीच की दूरी d इतनी कम है कि पट्टिकाओं के बीच सभी बिंदुओं पर विद्युत क्षेत्र एकसमान है जिसकी तीव्रता E है। मान लिया कि प्रत्येक पट्टिका का क्षेत्रफल A है तथा संग्राहक पट्टिका a पर +Q आवेश दिया जाता है जिससे आवेश का पृष्ठ घनत्व σ हो जाता है।
17. हाईगेंस के द्वितीयक तरंगिकाएँ सिद्धांत की व्याख्या करें तथा इसकी मदद से अपवर्तन ‘या’ परावर्तन के नियमों को स्थापित करें।
अथवा,
(i) 15 सेमी और 30 सेमी फोकस दूरी के दो पतले उत्तल लेंसों को एक- दूसरे के सम्पर्क में रखा जाता है। संयोजित तंत्र की शक्ति क्या होगी?
(ii) काँच के एक प्रिज्म का कोण 72° तथा अपवर्तनांक 1.66 है। इसे 1.33 अपवर्तनों के द्रव में डुबाया जाता है। प्रिज्म से गुजरने वाले समानान्तर पुंज के लिए न्यूनतम विचलन का मान ज्ञात करें।
उत्तर – प्रकाश का तरंग सिद्धांत- – प्रकाश अनुप्रस्थ तरंग-गति है। चूँकि तरंग की उत्पत्ति के लिए एक माध्यम आवश्यक है, इसलिए प्रकाश की उत्पत्ति के लिए भी एक माध्यम आवश्यक है। किंतु, सूर्य का प्रकाश निर्वात से चलकर पृथ्वी पर पहुँचता है। अतः, प्रकाश की तरंगों की उत्पत्ति जिस माध्यम में होती है वह द्रव्यात्मक माध्यम नहीं है। ऐसा माना जाता है कि यह माध्यम काल्पनिक है और इसे ईथर (ether) कहा जाता है। यह सर्वत्र एवं सभी पदार्थों में व्याप्त है। यह कम घनत्व के प्रत्यास्थ ठोस के समान है। प्रकाश की तरंग-गति का कारण ईथर-कण का अनुप्रस्थ कंपन है।
ईथर माध्यम में प्रकाश-तरंग का प्रारंभ प्रकाश के स्रोत से होता है। माध्यम के कणों के आपस के प्रत्यास्थ संबंध के कारण स्रोत के स्थान पर उत्पन्न माध्यम कण का अनुप्रस्थ कंपन सभी दिशाओं में सभी कणों में संचारित होता है। किसी भी समय ईथर-कणों के कंपन की जो स्थिति होती है, वह प्रकाश-तरंग की रूपरेखा है।
हाइगेंस के सिद्धांत के आधार पर परावर्तन या अपवर्तन के नियम का व्यंजक :परावर्तन की व्याख्या :
माना कि AB एक समतल तरंगाग्र है जो परावर्तक तथा XX’ पर आपतित होता है। B से चलने वाली किरण v वेग से समय में A’ बिन्दु पर पहुँचती है तथा इतने ही समय में A बिन्दु से परावर्तित किरणें B’ तक पहुँचती है | AB को त्रिज्या मानकर एक चाप खिंचा तथा A’ से इस चाप पर स्पर्श रेखा A’B’ खींचा जो परावर्तित तरंगाग्र को व्यक्त करता है। अब ΔABA‘ एवं A’B’A में BA’ = B’A = vt,
AA’ = A’A
∠ABA’ = ∠A’BA = 90°
ΔABA’ ≅ ΔA’B’A
अथवा,
18. ऊर्जा पट्टियाँ क्या हैं? इनका निर्माण कैसे होता है? चालक, अर्द्धचालक तथा कुचालक पदार्थों के अंतर को ऊर्जा पट्टियों की संरचना के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
अथवा,
Q के मान की गणना करते हुए इसकी तुलना पोजिट्रोन से उत्सर्जित सहत्तम ऊर्जा से कीजिए l
उत्तर – ऊर्जा-पट्टी : ठोस बहुत सारे एक ही तरह के परमाणुओं से बने होते हैं। ठोसों में परमाणुओं की अपनी स्थिति स्थिर होती है। जब ठोसों का निर्माण होता है तो एक परमाणु दूसरे परमाणु की तरफ गमन करते हैं। हर वक्त परमाणुओं के ऊर्जा-स्तर में मौजूद इलेक्ट्रॉन एवं नाभिक एक-दूसरे से क्रिया-प्रतिक्रिया कर ठोसों की ऊर्जा-पट्टी का निर्माण करते हैं।
चालक (Conductors) — अगर किसी पदार्थ की पट्टी संरचना ऐसी है कि सबसे ऊपर का पट्टी – (संयोजकता-पट्टी) अंशतः भरा है जैसा चित्र (c) में दिखाया गया है या अगर पूर्णतः भरा है और दूसरे अनुमत खाली पट्टी पर आच्छादित है जैसा चित्र (d) में दिखाया गया है तो पदार्थ को चालक कहा जाता । इस तरह के पट्टे को चालक पट्टे कहते हैं। दोनों हालत में इलेक्ट्रॉन को चलने के लिए खाली स्थान प्राप्त है जिससे धारा उत्पन्न होती है। सभी धातु तथा कुछ अधातु ऐसा गुण प्रदर्शित करते हैं तथा ऊष्मा एवं विद्युत के अच्छे चालक हैं।
अर्धचालक (Semiconductors) – किसी पदार्थ की पट्टी संरचना ऐसी हो कि उच्चतम पूर्णतः पूरित पट्टी और निम्नतम खाली पट्टी के बीच का निषिद्ध क्षेत्र बहुत ही संकीर्ण (~0.1 to 1 eV) हो तो उस पदार्थ को अर्धचालक कहा जाता है, जैसा चित्र (b) में दिखाया गया है।
उदाहरण – (a) सिलिकन 1.14eV (b) जरमेनियम 0.67 eV (c) टेल्यूरियम 0.33 eV (d) एंटिमनी 0.23 V (e) टिन (भूरा) ~ 0.1eV
ऊर्जा की अल्प मात्रा लगाकर इलेक्ट्रॉन को भरे पट्टे से खाली पट्टे में ले जाया जा सकता है। गर्म कर या वैद्युत क्षेत्र लगाकर ऐसा किया जा सकता है। एक बार उत्तेजित पट्टी में आ जाने पर इलेक्ट्रॉन स्वतंत्र हो जाते हैं और चालकता के लिए उत्तरदायी होते हैं। भरे पट्टे को इलेक्ट्रॉन जब छोड़ देते हैं तो उनके स्थान पर ‘छिद्र’ (holes) बन जाते हैं। नजदीक के स्थान से इलेक्ट्रॉन चलकर इन छिद्रों को भर सकते हैं। तब ऐसा भी कहा जा सकता है कि छिद्र दूसरी ऊर्जा-दशा में चला गया है। इस प्रकार छिद्र भी धनावेश इलेक्ट्रॉन जैसा व्यवहार करता है और विद्युत धारा उत्पन्न करता है,
अचालक (Insulators) – किसी पदार्थ की पट्टी-संरचना ऐसी हो कि उच्चतम पूर्णतः पूरित पट्टी एवं निम्नतम अनुमत खाली पट्टी के बीच का निषिद्ध क्षेत्र बहुत चौड़ा (~3 to 7eV) हो तो उस पदार्थ को रोधी कहा जाता है, जैसा चित्र (a) में दिखाया गया है। कमरे के ताप पर कुछ पदार्थों के निषिद्ध ऊर्जा रिक्त इस प्रकार हैं –
हिरा 5.33 eV
जिंक सल्फाइड 3.6 eV
जिंक ऑक्साइड 3.2 eV
सिल्वर क्लोराइड 3.2 eV
T4O2 3.0 eV
चूँकि निम्नतम पट्टी पूर्णतः भरा है, इसलिए कोई धारा नहीं हो सकती है। धारा प्राप्त करने का केवल एक ही रास्ता है कि इलेक्ट्रॉन को गर्म कर या विद्युत क्षेत्र आरोपित कर इतनी ऊर्जा प्रदान की जाए कि भरे पट्टे से इलेक्ट्रॉन चलकर खाली पट्टे में आ जाएँ और चलने को स्वतंत्र हो । इन इलेक्ट्रॉनों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए उच्च ताप की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के पदार्थ ऊष्मा एवं विद्युत के कुचालक होते हैं तथा इन्हें रोधी कहा जाता है।
अथवा,
2019 (A)
भौतिकी (Physics)
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न )
प्रश्न- संख्या 1 से 35 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपनी द्वारा चुने गये सही विकल्प को चिन्हित करें।
1. आवेश के पृष्ठ घनत्व का मात्रक होता है –
(A) कूलोम/मीटर2
(B) न्यूटन/मीटर
(C) कूलोम/वोल्ट
(D) कूलोम/मीटर
उत्तर – (A) कूलोम/मीटर2
2. किसी गोलीय पृष्ठ के अन्दर यदि +q आवेश रख दिया जाये, तो संपूर्ण पृष्ठ से निकलने वाला विद्युत फ्लक्स कितना होगा ?
(A) q x ε0
(B) q/ε0
(C) ε0/q
(D) q2/ε0
उत्तर – (B) q/ε0
3. + 10μC एवं – 10μC के दो बिन्दु आवेश वायु में परस्पर 40cm की दूरी पर रखे हैं। निकाय की वैद्युत स्थितिज ऊर्जा होगी –
(A) 2.25 J
(B) 2.35 J
(C) -2.25 J
(D) -2.35 J
उत्तर – (C) -2.25 J
4. वैद्युत द्विध्रुव की निरक्षीय स्थिति में विद्युत विभव का व्यंजक होता है
(A) 1/4πε0 p cos θ / r2
(B) 1/4πε0 p/r
(C) 1/4πε0 p/r2
(D) शून्य
उत्तर – (D) शून्य
5. यदि 100V तक आवेशित करने पर एक धारिता होगीसंधारित्र की संचित ऊर्जा 1J हो, तो संधारित्र की
(A) 2 x 104F
(B) 2 x 10-4F
(C) 2 x 102F
(D) 2 x 10-2F
उत्तर – (B) 2 x 10-4F
6. स्थिर विभवांतर पर किसी विद्युत परिपथ का प्रतिरोध आधा कर दिया जाता है, उत्पन्न ऊष्मा का मान होगा –
(A) आधा
(B) दुगुना
(C) चौगुना
(D) स्थिर रहता है
उत्तर – (B) दुगुना
7. 60 W तथा 40 W के दो बल्ब यदि श्रेणीक्रम में जोड़ें जाएँ, तो उनकी सम्मिलित शक्ति होगी –
(A) 100W
(B) 2400W
(C) 30W
(D) 24 W
उत्तर – (D) 24 W
8. विद्युत परिपथ की शक्ति होती है
(A) V · R
(B) V2 · R
(C) V2 / R
(D) V2 Rt
उत्तर – (C) V2 / R
9. आदर्श एमीटर का प्रतिरोध होता है
(A) शून्य
(B) बहुत कम
(C) बहुत अधिक
(D) अनन्त
उत्तर – (A) शून्य
10. एक तार में 1A धारा प्रवाहित हो रही है। यदि इलेक्ट्रॉन का आवेश 1.6 x 10-19 C हो, तो प्रति सेकेण्ड तार में प्रवाहित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है –
(A) 0.625 x 1013
(B) 6.25 x 1018
(C) 1.6 x 10-19
(D) 1.6 x 1019
उत्तर – (B) 6.25 x 1018
11. चुम्बकीय क्षेत्र B→ में अवस्थित (M→) चुम्बकीय आघूर्ण बल-आघूर्ण (τ→) का मान होता है
उत्तर – A
12. अनुचुम्बकीय पदार्थ की प्रवृत्ति है
(A) स्थिर
(B) शून्य
(C) अनंत
(D) चुबंकीय क्षेत्र पर निर्भर
उत्तर – (A) स्थिर
13. डायनेमो के कार्य का सिद्धांत आधारित है
(A) धारा के ऊष्मीय प्रभाव पर
(B) विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर
(C) प्रेरित चुंबकत्व पर
(D) प्रेरित विद्युत पर
उत्तर – (B) विद्युत चुंबकीय प्रेरण पर
14. यदि किसी उच्चायी ट्रांसफार्मर के प्राथमिक एवं द्वितीयक में क्रमश: N1 और N2 लपेटे हैं, तो
(A) N1 > N2
(B) N2 > N1
(C) N1 = N2
(D) N1 = 0
उत्तर – (B) N2 > N1
15. L-R परिपथ का शक्ति गुणांक होता है
उत्तर – B
16. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में यदि धारा I एवं वोल्टेज के बीच कलांतर Φ हो, तो धारा का वाटहीन घटक होगा
(A) I cos Φ
(B) I tan Φ
(C) I sin Φ
(D) I cos2 Φ
उत्तर – (C) I sin Φ
17. प्रत्यावर्ती धारा के वर्गमूल माध्य मान और शिखर मान का अनुपात है
(A) √2
(B) 1/√2
(C) 1/2
(D) 2√2
उत्तर – (B) 1/√2
18. पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र BH में यदि किसी चुंबकीय सूई के दोलन की आवृत्ति n हो, तो—
(A) n ∝ BH
(B) n2 ∝ BH
(C) n ∝ B2H
(D) n2 ∝ 1/BH
उत्तर – (B) n2 ∝ BH
19. पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव पर नमन-कोण का मान होता है
(A) 0°
(B) 45°
(C) 90°
(D) 180°
उत्तर – (C) 90°
20. विद्युत चुंबकीय तरंग के संचरण की दिशा होती है
(A) B→ के समांतर
(B) E→ के समांतर
(C) B→ x E→ के समांतर
(D) E→ x B→ के समांतर
उत्तर – (D) E→ x B→ के समांतर
21. एक उत्तल लेंस (n = 1.5) को पानी (n = 1.33) में डुबाया जाता है, तब यह व्यवहार करता है
(A) उत्तल लेंस की तरह
(B) अपसारी लेंस की तरह
(C) प्रिज्म की तरह
(D) अवतल दर्पण की तरह
उत्तर – (A) उत्तल लेंस की तरह
22. निम्नलिखित में किसका अपवर्तनांक सबसे अधिक होता है ?
(A) कांच
(B) पानी
(C) लोहा
(D) हीरा
उत्तर – (D) हीरा
23. दो लेंस जिनकी क्षमता – 15D तथा + 5D है, को सम्पर्कित संयुक्त करने पर समायोजन की फोकस दूरी होगी
(A) – 20cm
(B) – 10cm
(C) + 10cm
(D) + 20cm
उत्तर – (B) – 10cm
24. सामान्य समायोजन के लिए खगोलीय दूरदर्शक की आवर्धन क्षमता होती है
(A) – ƒo/ƒe
(B) – ƒo x ƒe
(C) – ƒe/ƒo
(D) – ƒo + ƒe
उत्तर – (A) – ƒo/ƒe
25. बेलनाकार लेंस का व्यवहार किया जाता है, आँख के उस दोष को दूर करने के लिए जिसे कहा जाता है
(A) निकट दृष्टिता
(B) दीर्घ-दृष्टिता
(C) एस्टिगमैटिजम
(D) जरा दृष्टिता
उत्तर – (C) एस्टिगमैटिजम
26. प्रकाश के रंग का कारण है-
(A) इसकी आवृत्ति
(B) इसका वेग
(C) इसकी कला
(D) इसका आयाम
उत्तर – (A) इसकी आवृत्ति
27. n अपवर्तनांक तथा A प्रिज्म कोण वाले पतले प्रिज्म का न्यूनतम विचलन कोण होता है –
(A) (1-n)A
(B) (n-1)A
(C) (n+1)A
(D) (1+n)A2
उत्तर – (B) (n-1)A
28. किसी बिंदुवत स्रोत से परिमित दूरी पर तरंगाग्र होता है
(A) गोलाकार
(B) बेलनाकार
(C) समतल
(D) वृत्ताकार
उत्तर – (A) गोलाकार
29. सूर्य के प्रकाश का स्पेक्ट्रम होता है
(A) सतत
(B) रैखिक स्पेक्ट्रम
(C) काली रेखा का स्पेक्ट्रम
(D) काली पट्टी का स्पेक्ट्रम
उत्तर – (A) सतत
30. λ तरंगदैर्ध्य वाले फोटॉन की ऊर्जा होती है
(A) hc λ
(B) hc/λ
(C) hλ/c
(D) λ/hc
उत्तर – (B) hc/λ
31. जितने समय में किसी रेडियो ऐक्टिव पदार्थ की राशि अपने प्रारंभिक परिमाणसे आधी हो जाती है, उसे कहते हैं-
(A) औसत आयु
(B) अर्ध-आयु
(C) आवर्त्त काल
(D) अपक्षय नियतांक
उत्तर – (B) अर्ध-आयु
32. ताप बढ़ने से अर्धचालक का विशिष्ट प्रतिरोध –
(A) बढ़ता है।
(B) घटता है।
(C) अपरिवर्तित रहता है।
(D) शून्य हो जाता है ।
उत्तर – (B) घटता है।
33. NAND गेट का बूलियन व्यंजक है –
(A) Y = A + B
(B) Y = A.B
(C) Y = A¯¯+¯¯B
(D) Y = A¯¯.¯¯B
उत्तर – (D) Y = A¯¯.¯¯B
34. आयाम अधिमिश्रण में अधिमिश्रित सूचकांक होता है
(A) हमेशा शून्य
(B) 0 से 1 के बीच
(C) 1 तथा ∞ के बीच
(D) 0.5 से ज्यादा नहीं
उत्तर – (B) 0 से 1 के बीच
35. पृथ्वी के किसी स्थान पर एक TV प्रेषण टावर की ऊँचाई 245 m है। जितनी अधिकतम दूरी तक इस टावर का प्रसारण पहुँचेगा, वह है
(A) 245m.
(B) 245 km
(C) 56km
(D) 112km
उत्तर – (C) 56km
खण्ड-ब (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. विद्युत फ्लक्स को परिभाषित करें। इसके SI मात्रक को लिखें।
उत्तर – किसी विद्युतीय क्षेत्र (Electric field) में किसी सतह के लम्बवत् (perpendiculerly) गुजरने वाली कुल वैद्युत बल रेखाओं की संख्या को ही ‘विद्युत फ्लक्स’ या ‘वैद्युत अभिवाह’ कहते हैं। इसे Φ (फाई) द्वारा सूचित किया जाता है।
2. विद्युत क्षेत्र की तीव्रता और विभव के बीच संबंध स्थापित करें।
उत्तर –
3. यदि बराबर धारिता के तीन संधारित्र श्रेणीक्रम में जोड़े जाते हैं तो उनकी परिणामी धारिता 6μF है। अगर उन्हीं तीनों संधारित्रों को समानांतर क्रम में जोड़ा जाए, तो उनकी परिणामी धारिता निकालें।
उत्तर –
4 . 3 : 4 के अनुपात में दो प्रतिरोध समानान्तर क्रम में जुड़े हैं। इनमें उत्पन्न ऊष्मा के परिमाणों की तुलना करें ।
उत्तर – प्रतिरोधों का अनुपात = 3:4
माना कि आनुपातिक नियतांक = x
पहले प्रतिरोधक का प्रतिरोध = 3x
तथा दूसरा प्रतिरोधक का प्रतिरोध = 4x
दोनों प्रतिरोधक समांतर क्रम में जुड़े हुए हैं।
अतः दोनों के सिरों के बीच समान विभवांतर V होगा।
5. लॉरेंट्ज बल क्या है ?
उत्तर – यदि चुंबकीय क्षेत्र (B→) में कोई आवेशित कण (q) की गति ν भी हो तो उस स्थान पर विद्युत चुंबकीय बल दोनों कार्य करता है इन दोनों वालों को सम्मिलित रूप से ‘लॉरेंज बल’ कहते हैं l
6. शंट क्या है? इसके दो उपयोग लिखें। –
उत्तर – वह युक्ति जो विद्युत परिपथ में विद्युत धारा के संचरण के लिए कम प्रतिरोध का पथ उत्पन्न करता है, शंट कहलाता है।
उपयोग –
(i) इसका प्रयोग गैल्वेनोमीटर से एमीटर बनाने में किया जाता है।
(ii) इसका प्रयोग गैल्वेनोमीटर और ऐमीटर को प्रबल विद्युत धारा से सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।
7. विद्युत चुंबकीय प्रेरण का लेंज का नियम, ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत का पालन करता है। इसकी विवेचना करें ।
उत्तर – जब चुंबक को किसी लूप के नजदीक या लूप से दूर ले जाया जाता है तो लूप में विद्युत धारा प्रेरित होती है। अतः लेंज का नियम से प्रेरित धारा उत्पन्न होने का कारण यांत्रिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में परिवर्तन होना है। एक (यांत्रिक) ऊर्जा का दूसरे (विद्युत) ऊर्जा में परिवर्तन को ही ऊर्जा संरक्षण का सिद्धांत कहते हैं। इस प्रकार विद्युत चुंबकीय प्रेरण का लेंज नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धांत का पालन करता है।
8. माध्य मान तथा धारा के शिखर मान में संबंध स्थापित करें ।
उत्तर –
9. प्रत्यावर्ती धारा परिपथ में प्रतिघात एवं प्रतिबाधा क्या है ?
उत्तर – जब किसी परिपथ में प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) संघारित्र (Capacitor) या प्रेरक (Inductor) से गुजरती है तो संघारित्र या प्रेरक द्वारा उत्पन्न प्रतिरोध ही प्रतिघात (reactance) कहलाती है। इसे X द्वारा सूचित किया जाता है ।
10. विद्युत-चुंबकीय तरंग के दो गुणों को लिखें।
उत्तर – विद्युत चुंबकीय तरंगों के दो गुण निम्नलिखित हैं
(i) यह तरंगे अनुप्रस्थ होती है
(ii) इन तरंगों के गमन हेतु माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है
11. दो पतले अभिसारी लेंसों की क्षमता +5 तथा +4 डायोप्टर हैं। ये समाक्षीय रूप से एक-दूसरे से 10 सेमी की दूरी पर रखे गये हैं। समतुल्य लेंस की फोकस दूरी निकालें ।
उत्तर –
12. प्राथमिक और द्वितीयक इंद्रधनुष में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर – प्राथमिक धनुष और द्वितीयक इंद्रधनुष के निम्नलिखित अंतर हैं –
प्राथमिक इन्द्रधनुष |
द्वितीयक इन्द्रधनुष |
1. इसमें लाल प्रकाश सबसे ऊपर तथा बैंगनी सबसे नीचे रहता है। |
1. इसमें बैंगनी प्रकाश सबसे ऊपर तथा लाल सबसे नीचे रहता है। |
2. यह इन्द्रधनुष क्षैतिज के साथ 40.6° से 42.2° के बीच बनता है। |
2. यह इन्द्रधनुष 50.7° से 53.6° के बीच बनता है। |
3. यह अधिक चमकदार होता है। |
3. यह कम चमकदार होता है। |
13. परमाणु के बोर मॉडल की दो कमियों का उल्लेख करें।
उत्तर – परमाणु के बोर मॉडल की दो कमियाँ निम्नलिखित हैं
(i) यह मॉडल दो या दो से अधिक इलेक्ट्रॉन वाले परमाणु पर लागू नहीं होता है।
(ii) यह मॉडल इलेक्ट्रॉन के तरंग गुणों को प्रतिपादित करने में असमर्थ हैं।
14. एक रेडियो एक्टिव पदार्थ का क्षय-नियतांक 5.2 x 10-3 प्रति वर्ष है। उसकी अर्ध-आयु क्या होगी?
उत्तर –
15. OR तथा AND गेट की सत्यता सारणी तथा बूलियन व्यंजक लिखें।
उत्तर –
16. किसी सतह पर विद्युत फ्लक्स की परिभाषा दें।
उत्तर – विद्युत फ्लक्स, किसी सतह से विद्युत क्षेत्र (electric field) के प्रवाह की दर है। अर्थात् विद्युत फ्लक्स किसी सतह से गुजरनेवाली विद्युत क्षेत्र रेखाओं के अनुक्रमानुपाती होती है।
17. माध्यम A में प्रकाश का वेग ν है तथा माध्यम B में प्रकाश का वेग 2 ν है । यदि माध्यम A का अपवर्तनांक μA तथा माध्यम B का अपवर्तनांक μB हो तो μA/μB का मान क्या होगा ?
उत्तर – माध्यम A में प्रकाश का वेग = VA = V
तथा माध्यम B में प्रकाश का वेग = VB = 2V
18. उग्र ऊपर की ओर चुम्बकीय क्षेत्र B→ में एक धनावेशित कण को क्षैतिज पूर्व की ओर फेंकने पर लगे बल की दिशा क्या होगी?
उत्तर –
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
19. विद्युत द्विध्रुव क्या है ? विद्युतीय द्विध्रुव के कारण किसी बिंदु पर विद्युतीय-विभव का व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर – विद्युत द्विध्रुव ( Electric dipole) : दो समान परिमाण और विपरीत आवेशों की वह व्यवस्था जिसमें दोनों आवेश एक उचित दूरी (2a) पर अवस्थित होती हैं, विद्युत द्विध्रुव कहलाती है।
व्यंजक (Expression) : (i) अक्षीय रेखा पर विद्युत विभव – माना कि द्विध्रुव AB है जिनके बीच की दूरी 2a है। स्पष्टतः द्विध्रुव का आघूर्ण
20. किरचॉफ के नियमों को लिखें तथा समझाएँ। इन नियमों का उपयोग कर ह्वीटस्टोन ब्रिज के संतुलन की अवस्था प्राप्त करें।
उत्तर – प्रथम नियम की व्याख्या – मान लिया कि एक शाखा बिंदु है। धाराएँ I1 तथा I2 बिंदु O की ओर आ रही हैं तथा धाराएँ I3, I4 तथा I5 शाखा बिंदु से बाहर जा रही हैं। किर्कहॉफ के प्रथम नियम से,
(∑I ) अंदर = (∑I ) बाहर
अर्थात I1 + I2 = I3 + I4 + I5
या. I1 + I2 – I3 – I4 – I5 = 0
या, धाराओं का बीजीय योग = 0.
द्वितीय नियम की व्याख्या- यदि दक्षिणावर्ती दिशा को धन दिशा माना जाए तो वामावर्ती दिशा को ऋण दिशा माना जाएगा। तब बंद परिपथ ABC में, विभवांतर R1I1, R2I2 धनात्मक होगा और विभवांतर R3I3 और विद्युत वाहक बल E ऋणात्मक होगा। किर्कहॉफ के द्वितीय नियम से, बंद परिपथ ABC के लिए.
R1I1 + R2I2 – R3I3 – E = 0
∴ विभवांतरों का बीजीय योग = 0.
ह्वीटस्टोन ब्रिज श्रेणीक्रम में जुड़े चार प्रतिरोध P, Q, R तथा S का बना होता है P, Q तथा R, S की संधियों के बीच एक गैलवेनोमीटर G जोड़ा जाता है और S, P तथा Q, R की संधियों के बीच एक सेल जोड़ा जाता है। धारा का वितरण नीचे के चित्र में दिखाया गया है। यदि B तथा D बिंदु समविभवी हों, तो गैलवेनोमीटर से कोई धारा प्रवाहित नहीं होगी। इस दिशा में ब्रिज को संतुलित कहा जाता है।
प्रथम नियम से A बिंदु पर I= I1 + I2·
द्वितीय नियम से परिपथ 1 के लिए ,
–PI1 + SI2 = 0 या PI1 = SI2
तथा परिपथ 2 के लिए ,
–QI1 + RI2 = 0 या QI1 = RI2
समीकरण (i) में (ii) से भाग देने पर, P/Q = S/R.
यही संतुलित ब्रिज के लिए अभीष्ट शर्त है। यदि P, Q तथा R के मान मालूम हों, तो अज्ञात प्रतिरोध S का मान निकाला जा सकता है। इसी सिद्धांत पर मीटर-ब्रिज एवं पोस्टऑफिस बॉक्स से प्रतिरोध का मापन होता है।
21. ट्रांसफार्मर के सिद्धांत, बनावट एवं क्रियाविधि का वर्णन करें।
उत्तर – ट्रांसफॉर्मर (Transformer) : वह युक्ति जो प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) के विभव ( potential) को परिवर्तित करने में प्रयुक्त होता है, ट्रांसफॉर्मर कहलाता है।
सिद्धांत : ट्रांसफार्मर अन्योनय प्रेरण (Mutual indication) के सिद्धांत पर कार्य करता है यह उच्च
विभववाली कम (low) प्रत्यावर्ती धारा को निम्न विभववाली उच्च धारा में या निम्न विभव वाले उच्च (high) प्रत्यावर्ती धारा को उच्च विभव वाले निम्न (low) धारा में परिवर्तित करने का कार्य करता है ।
बनावट ( Consruction) : ट्रांसफॉर्मर में दो कुंडली होती है जो एक ही लोहा- सिलिकॉन क्रोड पर विसंपाहित रूप से लिपटी रहती है। ये तार आपस में तथा क्रोड से पृथक्कृत (isolated) रहते हैं। जिस कुंडली (coil) से धारा प्रवेश करती है या जिस कुंडली की स्रोत से जोड़ा जाता है उसे प्राथमिक कुंडली कहते हैं। जिस कुंडली से बाह्य परिपथ को ऊर्जा दी जाती है उसे द्वितीयक कुंडली कहते हैं।
बनावट के अनुसार ट्रांसफॉर्मर के दो प्रकार होते हैं—
(i) क्रोड प्रकार (Core type) : इस प्रकार के ट्रांसफॉर्मर में लोहे के क्रोड के अधिकांश भाग को कुंडलियाँ घेरे रहती हैं। भंवर धाराओं (eddy currents) को कम करने के लिए लोहे के क्रोड को पटलीय (laminated) बनाया जाता है। इन्हें एक के ऊपर एक इस प्रकार से रखी जाती है कि वे एक-दूसरे से पृथक्कृत (isolated) रहे। इससे भंवर धाराओं में कमी होती है तथा ऊर्जा का ह्रास कम होता है।
(ii) कोश प्रकार (Shell type) : इस प्रकार के ट्रांसफॉर्मर में कुंडलियाँ लोहे के क्रोड का अधिकांश भाग घेरती है। इसमें दो प्रकार का चुंबकीय परिपथ बनता है जो एक-दूसरे के समांतर होते हैं।
क्रियाविधि (Working) : प्राथमिक कुंडली जब परिवर्तित वोल्टेज स्रोत से जोड़ी जाती है तो इससे प्रवाहित परिवर्तित धारा कुंडली में परिवर्तित चुंबकीय फ्लक्स उत्पन्न करता है। ये परिवर्तित चुंबकीय फ्लक्स द्वितीयक कुंडली में ग्रंथित (linkage) होकर उसमें प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न करते हैं ।
22. एक स्वच्छ चित्र द्वारा खगोलीय दूरदर्शक की रचना एवं क्रिया का वर्णन करें और उसकी आवर्धनक्षमता की गणना करें।
उत्तर – खगोलीय दूरबीन – इससे आकाशीय पिंड देखे जाते हैं।
बनावट. -इसमें पीतल की चौड़े मुँहवाली नली में दो समाक्षीय उत्तल लेंस समायोजित रहते हैं। जिस लेंस को बिंब की ओर रखा जाता है उसे अभिदृश्यक कहते हैं और जिस लेंस को आँख के समीप रखा जाता है उसे नेत्रिका कहते हैं। अभिदृश्यक की फोकस दूरी अधिक और नेत्रिका की फोकस दूरी कम होती है। अभिदृश्यक का अभिमुख बड़ा होता है।
क्रिया — दूरस्थ बिंब से आनेवाली किरणें अभिदृश्यक के फोकस-तल में फोकस, होती हैं और वहाँ वास्तविक प्रतिबिंब की रचना करती हैं। यह प्रतिबिंब नेत्रिका द्वारा आवर्धित होता है और 25 cm तथा अनंत के बीच अंतिम प्रतिबिंब बनता है ।
आवर्धन – क्षमता – (i) सामान्य समायोजन – अभिदृश्यक द्वारा निर्मित प्रतिबिंब को जब नेत्रिका के फोकस तल पर लाया जाता है, तो नेत्रिका द्वारा निर्मित प्रतिबिंब अनंत पर बनता है। फलतः, आँख में समांतर किरणें पहुँचती हैं। इस व्यवस्था को सामान्य समायोजन कहा जाता है जब नली की लंबाई अभिदृश्यक एवं नेत्रिका की फोकस दूरियों के योगफल के बराबर होती है ।
यदि अनंत पर स्थित बिंब अभिदृश्यक पर α- कोण बनाता हो और अनंत पर ही बना प्रतिबिंब नेत्रिका के ठीक पीछे रखी आँख पर β-कोण बनाता हो, तो आवर्धन क्षमता
यहाँ, ƒo = अभिदृश्यक की फोकस दूरी तथा ƒe = नेत्रिका की फोकस दूरी ।
(ii) स्पष्ट दृष्टि के लिए न्यूनतम दूरी पर समायोजन – जब समीप की वस्तु को दूरबीन से देखा जाता है तो प्रतिबिंब इच्छित स्थान पर बनाया जा सकता है।
O और E क्रमशः अभिदृश्यक एवं नेत्रिका को निरूपित करते हैं। u दूरी पर बिंब AB है, जिसका प्रतिबिंब CD अभिदृश्यक द्वारा बनता है। CD नेत्रिका के लिए बिंब का काम करता है जिसका अंतिम प्रतिबिंब GF नेत्रिका से D = ν दूरी पर बनता है। α और β क्रमशः आँख पर बिंब एवं प्रतिबिंब द्वारा अंतरित कोण है। परिभाषानुसार, आवर्धन क्षमता
23. वर्ण – विक्षेपण क्षमता क्या है? दो पतले प्रिज्म द्वारा वर्ण-विक्षेपण रहित विचलन प्राप्त करने के लिए आवश्यक शर्त को निकालें ।
उत्तर – वर्ण विक्षेपण क्षमता : किसी प्रिज्म के लिए, बैंगनी तल लाल किरणों के लिए कोणीय वर्ण विक्षेपण तथा माध्यम किरण के विचलन के अनुपात को उस प्रिज्म के पदार्थ की वर्ण विशेषण क्षमता कहते हैं। इसे ω से सूचित करते हैं।
विचलन रहित वर्ण विक्षेपण : जब बिना विचलन के वर्ण विक्षेपण की आवश्यकता हो तो कम से कम दो प्रिज्मों को इस प्रकार संयोजित करते हैं कि प्रिज्म संभोग से निर्गत किरण विचलित हुए वर्ण विक्षेपित हो जाए।
आवश्यक प्रतिबंध : विचलन रहित वर्ण विक्षेपण प्राप्त करने के लिए का दुने (C) एवं फ्लिंट (F) काँच के दो प्रिज्म एक दुसरे के सम्पर्क में रखे गये हैं, जिनकी अपवर्तक कोण क्रमशः A एवं A’ है।
24. एक ट्रांजिस्टर की दोलित्र के रूप में क्रिया का सचित्र वर्णन करें।
उत्तर – दोलित्र परिपथ या टैंक परिपथ (Oscillator or tank circuit): वह परिपथ जो किसी दिए गए आवृत्ति के लिए विद्युतीय दोलन उत्पन्न करता है, उसे दोलित्र परिपथ या टैंक परिपथ कहते हैं। टैंक परिपथ में प्रतिबाधा कुंडली L तथा संघारित्र C होता है।
ट्रांजिस्टर दोलित्र के लिए तीन चीजें आवश्यक हैं.
(i) टैंक परिपथ (ii) ट्रांजिस्टर प्रवर्धक (iii) फीड बैंक या प्रतिपुष्टि परिपथ
(i) टैंक परिपथ – इस परिपथ में प्रतिबाधा L तथा संघारित्र C समांतर क्रम में जुड़े होते हैं।
(ii) ट्रांजिस्टर प्रवर्धक – इसमें निवेशीय विद्युतीय शक्ति (Supplied electric power) किसी से दी जाती है। लेकिन निर्गम शक्ति (Output power) a.c. होता है, जो टैंक परिपथ में निवेशित है। दोलित्र का निर्गम (output) प्रवर्धक (amplifier) को लौटा दिया जाता है। इससे पुनर्निवेश की प्रक्रिया जारी रहती है तथा टैंक परिपथ लगातार कंपन उत्पन्न करते रहता है। ट्रांजिस्टर के प्रवर्धक गुण के कारण दोलन में वृद्धि होती है।
(iii) Feed back परिपथ — यह संग्राहक ऊर्जा को टैंक परिपथ में इस प्रकार आपूर्ति (supply) करते रहता है कि स्थिर, मंदन रहित दोलन लगातार प्राप्त होते रहता है ।
दोलित्र के रूप में n-p-n ट्रांजिस्टर : इसे Tuned collector oscillator कहते हैं ।
जब कुंजी K को बंद किया जाता है तो संग्राहक धारा में वृद्धि होने लगती है तथा संघारित्र आवेशित होना शुरू हो जाता है। जब संघारित्र (Capacitor) पूर्णरूपेण आवेशित हो जाता है तो आवेश कुंली ‘L’ से विसर्जित होना शुरू हो जाता है।
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