I. निम्नलिखित प्रश्न संख्या 1 से 10 तक के प्रत्येक प्रश्न के लिए प्रत्येक प्रश्न से सही उत्तर, उत्तर पत्र में चिह्नित करें।
1. निम्नलिखित में कौन अक्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है ?
(A) हीरा
(B) ग्रेफाइट
(C) काँच
(D) साधारण नमक
उत्तर – (C) काँच
2. निम्नलिखित में किसका हिमांक अवनमन अधिकतम होगा ?
(A) K2SO4
(B) NaCl
(C) यूरिया
(D) ग्लूकोज
उत्तर – (A) K2SO4
3. किसी विलयन के 200 ml में 2 ग्राम NaOH घुले हैं। विलयन की मोलरता है
(A) 0. 25
(B) 0. 5
(C) 5
(D) 10
उत्तर – (A) 0. 25
4. द्रवित सोडियम क्लोराइड के वैद्युत अपघटन से कैथोड पर मुक्त होता है
(A) क्लोरीन
(B) सोडियम
(C) सोडियम अमलगम
(D) हाइड्रोजन
उत्तर – (B) सोडियम
5. 96500 कूलॉम विद्युत CuSO4 के विलयन से मुक्त करता है
(A) 63.5 ग्राम ताँबा
(B) 31.76 ग्राम ताँबा
(C) 96500 ग्राम ताँबा
(D) 100 ग्राम ताँबा
उत्तर – (B) 31.76 ग्राम ताँबा
6. किसी अभिक्रिया का वेग निम्नांकित प्रकार से व्यक्त होता है – वेग = k[A]2[B] तो इस अभिक्रिया की कोटि होगी
(A) 2
(B) 3
(C) 1
(D) 0
उत्तर – (B) 3
7. निम्नलिखित में कौन-सी धातु प्रकृति में मुक्त अवस्था में पायी जाती है?
(A) सोडियम
(B) लोहा
(C) जिंक
(D) सोना
उत्तर – (D) सोना
8. निम्नलिखित में कौन हाइड्रोजन बंधन नहीं बनाता है ?
(A) NH3
(B) H2O
(C) HCl
(D) HF
उत्तर – (C) HCl
9. हीलियम का मुख्य स्रोत है
(A) हवा
(B) रेडियम
(C) मोनाजाइंट
(D) जल
उत्तर – (C) मोनाजाइंट
10. निम्नलिखित आयनों में कौन प्रतिचुंबकीय है ?
(A) Co2+
(B) Ni2+
(C) Cu2+
(D) Zn2+
उत्तर – (D) Zn2+
खण्ड-II (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 5% यूरिया घोल के परासरण दाब की गणना 272 K पर करें। ( R = 0.0821 L-atm. deg-1)
उत्तर – 5g यूरिया 100 ml में विलेय है ।
∴ 1000ml = 50g यूरिया के विलयन की सान्द्रता = 50g/l
यूरिया विलयन की मोलरता = g/l / अणुभार = 50/60 M
∴ π = CRT = 50/60 x 0.0821 x 273 = 18.68 atm.
2. मानक इलेक्ट्रोड विभव की परिभाषा दें।
उत्तर – यदि किसी धातु-छड़ को एक अर्द्ध-सेल में इस प्रकार डुबाया जाता है कि विलयन में उसके आयनों का सांद्रण 1 M हो तथा तापमान 298 K, तब इस प्रकार दोनों विभवों के बीच उत्पन्न विभव, मानक इलेक्ट्रोड विभव कहलाता है। इसे E° से सूचित करते हैं। मानक इलेक्ट्रोड विभव निर्धारण के लिए किसी धातु इलेक्ट्रोड को मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड से जोड़ा जाता है।
3. सक्रिय ऊर्जा क्या है? किसी अभिक्रिया के वेग स्थिरांक और सक्रिय ऊर्जा में संबंध स्थापित करें।
उत्तर – वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे अभिकर्मक को देने से वह अभिकर्मक एवं उत्पाद के बीच के ऊर्जा अंतर को पार कर सके, उसे उस अभिक्रिया का सक्रिय ऊर्जा (Ea) कहते हैं।
इस प्रकार, Ea के बढ़ने से K का मान घटता है। अर्थात् अभिक्रिया की दर बढ़ती है।
4. भौतिक अधिशोषण और रासायनिक अधिशोषण में मुख्य अंतर क्या है ?
उत्तर – निम्न तथ्यों के आधार पर भौतिक और रासायनिक अधिशोषण के बीच अन्तर दर्शाया जा सकता है –
भौतिक अधिशोषण |
रासायनिक अधिशोषण |
(i) यह उत्क्रमणीय घटना है। |
(i) यह अनुत्क्रमणीय घटना है। |
(ii) यह निम्न ताप पर होता है। |
(ii) यह उच्च ताप पर होता है। |
(iii) इसमें बहुआण्विक परत बनता है। |
(iii) इसमें एकल आण्विक परत बनता है। |
(iv) दाब की वृद्धि से इसमें वृद्धि होती है। |
(iv) दाब की वृद्धि से इसमें कमी होती है। |
5. निम्नलिखित में विभेद उदाहरण के साथ करें
(a) निस्तापन एवं भर्जन (b) गालक एवं धातुमल
उत्तर – (a) निस्तापन एवं भर्जन
निस्तापन : किसी अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में उसके द्रवणांक से कम ताप पर विघटित करने की क्रिया निस्तापन कहलाती है।
CaCO3 → CaO + CO2
भर्जन : वायु की सीमित मात्रा की उपस्थिति में अयस्क को द्रवणांक से नीचे तापक्रम पर गर्म करने की प्रक्रिया भर्जन कहलाता है।
2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2
(b) गालक एवं धातुमल: वे रासायनिक पदार्थ जो अयस्क में उपस्थित अगलनीय अशुद्धियों को गलनीय बनाने के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं, गालक कहलाते हैं, जबकि गालक तथा अगलनीय अशुद्धि की क्रिया से निर्मित पदार्थ धातुमल कहलाता है।
अशुद्धि + गालक = धातुमल
SiO2 + CaO = CaSiO3
6. संक्रमण तत्त्व क्यों रंगीन यौगिक बनाते हैं? व्याख्या करें ।
उत्तर – संक्रमण तत्व रंगीन आयन बनाते हैं क्योंकि इनमें d– कक्षक अपूर्ण रहते हैं। ऋणायनों के कारण संक्रमण धातुओं की d– कक्षक निम्न तथा उच्च ऊर्जा के 2 समुच्चयों में विभक्त हो जाती है। अतः इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का अवशोषण करके उच्च ऊर्जा स्तर की कक्षकों में कूद जाते हैं। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए यह दृश्य प्रकाश के कुछ विकिरणों का अवशोषण करते हैं तथा शेष को उत्सर्जित करते हैं। अतः ये रंगीन दिखाई देते हैं।
7. निम्नलिखित का ज्यामितीय आकार क्या होगा ?
(a) sp3 (b) d2sp3
उत्तर – (a) sp3 → चतुष्फलकीय (b) d2sp3 → वर्ग-चतुष्फलकीय
8. निम्नलिखित उपसहसंयोजी यौगिकों में धातुओं की ऑक्सीकरण संख्या विनिर्दिष्ट कीजिए –
(a) K4[Fe(CN)6] (b) [PtCl]-2
उत्तर – (a) K4[Fe(CN)6] Fe की ऑक्सीकरण संख्या = + 2
(b) [PtCl4]-2 Pt की ऑक्सीकरण संख्या = + 2
9. निम्नलिखित के संरचना सूत्र लिखें –
(a) 4, 4 डाइमिथाइल- 2 – पेन्टेनॉल (b) 2-ब्यूटेनॉल
उत्तर –
10. निम्नलिखित का IUPAC नाम बताइए –
उत्तर – (a) ब्यूटेन-1,4-डाइओइक अम्ल (b) 4-मेथिल हेक्सानोइक अम्ल
11. निम्नलिखित का परिवर्तन कैसे करेंगे ?
(a) इथाइल अल्कोहल से इथाइल एमीन (b) इथाइल एमीन से इथाइल अल्कोहल
उत्तर – (a) इथाइल अल्कोहल से इथाइल एमीन –
(b) जब इथाइल एमीन पर नाइट्स अम्ल प्रवाहित किया जाता है तो इथाइल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
12. लोहा के दो मुख्य अयस्कों के नाम लिखें। लोहे के निष्कर्षण की विधि को लिखें एवं उनका रासायनिक समीकरण भी दें।
अथवा,
एल्युमिनियम के मुख्य अयस्क के नाम लिखें तथा एल्युमिनियम के निष्कर्षण के सिद्धांत को लिखें।
उत्तर – हेमेटाइट (Fe2O3) एवं मैग्नेटाइट (Fe3O4) लोहे के दो मुख्य अयस्क हैं।
हेमेटाइट अयस्क को लोहे के निष्कर्षण में निहित सिद्धांत –
(i) सांद्रण : लोहे के अयस्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लिया जाता है और पानी की तेज धारा अयस्क पर प्रवाहित करने से मिट्टी तथा बालू जैसी अशुद्धियाँ पानी के साथ बह जाती हैं। भोंगे अयस्क को सूखाकर चुंबकीय सांद्रण किया जाता है।
(ii) सांद्रित अयस्क का भर्जन : हवा की अधिकता में सांद्रित अयस्क को गर्म करना भर्जन कहलाता है। इसमें निम्न परिवर्तन होते हैं-
(क) जल और CO2 बाहर निकल जाते हैं।
(ख) सल्फर और आर्सेनिक की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में बाहर निकल जाते हैं।
(ग) फेरस ऑक्साइड, फेरिक ऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
4FeO + O2 → 2Fe3O3
(घ) अयस्क सरन्ध्र हो जाता है
तथा इसका अपचयन आसानी से हो जाता है।
(iii) प्रदावण : जारित अयस्क को चूना पत्थर (CaCO3) और कोक के साथ 4:1:2 के अनुपात में मिलाकर वात-भट्ठी में प्याला और शंकु व्यवस्था द्वारा ऊपर से नीचे गिराया जाता है। वात-भट्ठी के निचले भाग में लगे ट्वीटर द्वारा गर्म हवा का झोंका भट्ठी के अंदर भेजा जाता है। अयस्क कोक एवं चूना पत्थर भट्ठी के अंदर जैसे-जैसे नीचे उतरता है, अधिक ताप का क्षेत्र मिलता है। वात-भट्ठी के विभिन्न भागों में होने वाली प्रतिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(क) ताप्तीकरण का क्षेत्र (400°C) : यह क्षेत्र वात-भट्ठी का सबसे ऊपरी भाग है। यहाँ मिश्रण में उपस्थित संपूर्ण नमी दूर हो जाती है ।
(ख) अवकरण का क्षेत्र : इस क्षेत्र का ताप लगभग 700-900°C रहता है। यहाँ पर कोक ट्वीटर द्वारा आने वाली गर्म हवा के ऑक्सीजन से संयोग कर CO बनाता है।
2C + O2 → 2CO
CO2 + C → 2CO
यह कार्बन मोनोक्साइड, फेरिक ऑक्साइड को अवकृत कर लोहा (Fe) प्रदान करता है।
3Fe2O3 + CO → 2Fe3O4 + CO2 ↑
Fe3O4 + 4CO → 3Fe + 4CO2 ↑
Fe2O3 + CO → 2FeO + CO2 ↑
(ग) भट्ठी के निचले गर्म भाग में मुख्य अभिक्रिया निम्न होती है-
FeO + C → Fe + CO
इस प्रकार भट्ठी के निचले भाग से गलित लोहा भट्ठी के पेंदी तक पहुँच जाता है। चूना पत्थर 1200°C ताप पर अपघटित हो जाता है और CaO बनाता है। यह CaO सिलिका से संयोग करके गलित कैल्सियम सिलिकेट के रूप में धातुमल बना देती है। प्राप्त उत्पाद कच्चा लोहा कहलाता है जिसमें 4% कार्बन अन्य अशुद्धियाँ (S, P, Si, Mn) उपस्थित रहती हैं।
अथवा,
बॉक्साइट अयस्क से एल्युमिनियम का निष्कर्षण दो चरणों में होता है।
प्रथम चरण : बेयरस विधि
Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O
NaAlO2 + 2H2O → NaOH + Al (OH)3
2Al (OH)3 → Al2O3 + 3H2O
दूसरा चरण: इलेक्ट्रोलाइसिस
Al2O3 → 2Al3+ + 3O2-
कैथोड पर : 2Al3+ + 6 electron → 2Al
एनोड पर : 3O2- → 1.5O2 + 6 electron
एल्युमिनियम की सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया–
2Al(s) + 3H2SO4 → 2Al3+ + 2SO42- + 3H2 (g)
13. प्रथम कोटि अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? प्रथम कोटि अभिक्रिया का व्यंजक प्राप्त करें।
अथवा,
परासरणी दाब की परिभाषा दें। सिद्ध करें कि परासरणी दाब एक अणुसंख्य गुणधर्म है।
उत्तर – अभिक्रिया का गति स्थिरांक — अभिक्रिया का गति स्थिरांक किसी अभिक्रिया की दर के बराबर होता है जब प्रत्येक प्रतिकारक की सांद्रता 1 mol L-1 के बराबर होता है।
प्रथम कोटि के अभिक्रिया के लिए गति स्थिरांक का व्यंजक – माना कि A → B प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।
अथवा,
परासरणदाब : वह दाब जो परासरण रोकने के लिए आरोपित बाह्य दाब के बराबर होता है, परासरण दाब कहलाता है।
वाण्टहॉफ नियमानुसार, परासरण दाब, π ∝ C (निश्चित ताप पर) तथा π ∝ T (स्थिर सांद्रण पर) दोनों नियमों को संयुक्त करने पर,
जहाँ, n = मोलों की संख्या, R = गैस-स्थिरांक
इस प्रकार, परासरण दाब मोलल सांद्रण पर निर्भर करता है, विलेय की प्रकृति पर नहीं । अतः यह अणुसंख्य गुणधर्म है। ,
14. इथाइल अल्कोहल से निम्नलिखित कैसे प्राप्त करेंगे ?
(a) एसीटीलिन (b) एसीटिक अम्ल (c) एसीटोन (d) इथिलिन (e) डाइइथाइल ईथर
अथवा,
क्लोरोफॉर्म बनाने की प्रयोगशाला विधि का वर्णन करें। इसकी निम्नलिखित से अभिक्रिया लिखें
(a) जलीय KOH (b) एसीटोन (c) सिल्वर डस्ट
उत्तर –
अथवा,
प्रयोगशाला में एवं औद्योगिक स्तर पर क्लोरोफॉर्म एथिल ऐल्कोहॉल या ऐसीटोन को ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) के साथ गर्म करके बनाया जा सकता है।
एथिल ऐल्कोहॉल की ब्लीचिंग पाउडर से अभिक्रिया : एथिल ऐल्कोहॉल की ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) से अभिक्रिया बहुत जटिल होती है। ब्लीचिंग पाउडर ऑक्सीकरण, क्लोरीनीकरण और जल-अपघटन तीनों कार्य करता है। अभिक्रिया निम्नलिखित पदों द्वारा होती है।
(i) एथिल ऐल्कोहॉल का ऐसीटेल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
CH3CH2OH + CaOCl2 → CH3CHO + CaCl2 + H2O
(ii) ऐसीटेल्डिहाइड का ट्राइक्लोरोऐसीटेल्डिहाइड (क्लोरल) में क्लोरीनीकरण
2CH3CHO + 6CaOCl2 → 2CCl3CHO + 3Ca(OH)2 + 3CaCl2
(iii) ट्राइक्लोरोऐसीटेल्डिहाइड का कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड (ब्लीचिंग पाउडर में उपस्थित ) द्वारा क्लोरोफॉर्म और कैल्सियम फॉर्मेट में अपघटन
2CCl3CHO + Ca(OH)2 → 2CHCl3 + (HCOO)2 Ca
क्लोरोफॉर्म
(a) जलीय KOH के साथ अभिक्रिया: जब क्लोरोफॉर्म को जलीय KOH के साथ गर्म किया जाता है, तो पोटैशियक फॉर्मेट का निर्माण होता है।
(b) एसीटोन के साथ अभिक्रिया : क्लोरोफॉर्म एसीटोन के साथ क्षार की उपस्थिति में अभिक्रिया कर क्लोरीटोन का निर्माण करता है।
(c) सिल्वर डस्ट के साथ अभिक्रिया : जब क्लोरोफॉर्म को सिल्वर डस्ट के साथ गर्म किया जाता है, ईथाइन (एसीटीलीन) गैस का निर्माण होता है।
15. बताइए क्यों –
(a) NH3 का क्वथनांक PH3 से ज्यादा है l
(b) H3PO3 एक डाइप्रोटिक अम्ल है l
(c) HF, HI की तुलना में दुर्बल अम्ल है l
(d) अक्रिय गैसों में केवल Xeही सही रासायनिक योगिक बनता है l
(e) XeOF4 का संरचना सूत्र लिखें l
अथवा,
क्या होता है जब –
(a) सोडियम एसीटेट को सोडालाइम के साथ गर्म किया जाता है ?
(b) कैल्सियम कार्बाइड जल से अभिक्रिया करता है?
(c) एसीटोन क्षार की उपस्थिति में आयोडीन से अभिक्रिया करता है ?
(d) एसीटीलिन को लाल तप्त कॉपर नली से गुजारा जाता है?
(e) नाइट्रोबेंजिन Sn / HCl से अभिक्रिया करता है?
उत्तर – (a) अमोनिया (NH3) के अणु आपस में हाइड्रोजन आबंधों का निर्माण करते हैं जबकि फॉस्फीन (PH3) के अणु हाइड्रोजन आबंध नहीं बना पाते हैं। नाइट्रोजन परमाणु का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है और इसकी विद्युत ऋणात्मकता भी अधिक होती है। इस कारण यह आवेशित होकर हाइड्रोजन के साथ सफलतापूर्वक हाइड्रोजन आबंधों का निर्माण कर पाता है। अतः अमोनिया के अणुओं में सह-संयोजन आबंधों के अतिरिक्त हाइड्रोजन आबंध होने के कारण इनका क्वथनांक PH3 से ज्यादा होता है।
(b) H3PO3 की संरचना से यह स्पष्ट है कि इसके पास दो हाइड्रॉक्सील समूह (OH-group) फॉस्फोरस परमाणु से आबंधित हाइड्रॉक्सील समूहों की संख्या जो फॉस्फोरस से आबंधित होती है, किसी अम्ल की प्रकृति निर्धारित करती है। अतः, H3 PO3 एक डाइप्रोटिक अम्ल है।
(c) हाइड्रोजन-हैलोजन (H-X) आबंधों का आबंध विघटन ऊर्जा HF से HI तक घटता जाता है। अतः, HI के आबंध विघटन के लिए आवश्यक ऊर्जा HF की अपेक्षा कम होती है। इसलिए HI आसानी से H+ आयनों का निर्माण करता है। फलतः, HE, HI की तुलना में दुर्बल अम्ल है।
(d) Xe परमाणु का आकार एवं आयोनाइजेसन पोटेनशीयल अन्य अक्रिय गैसों की तुलना में क्रमशः बड़ा एवं अपेक्षाकृत कम होता है। Xe परमाणु के अंतिम कक्षा में d– उपकक्षाएँ भी मौजूद हैं। इसलिए युग्मित इलेक्ट्रॉन d– उपकक्षाओं में जाकर अयुग्मित हो सकती हैं। ये अयुग्मित इलेक्ट्रॉन अधातुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ युग्मन कर सह-संयोजन आबंधों का निर्माण करते हैं। इस प्रकार अक्रिय गैसों में केवल Xe ही सही रासायनिक यौगिक बनाता है।
अथवा,
2014 (A)
रसायनशास्त्र (Chemistry)
खण्ड-I
1. कॉपर के मुख्य अयस्कों के नाम बताइए।
उत्तर – कॉपर पाइराइट्स CuFeS2
2. ‘पेप्टीकरण’ पद को परिभाषित करें।
उत्तर – पेप्टाइड बनाने की क्रिया को पेप्टीकरण कहते हैं l
3. अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों को क्या कहते हैं?
उत्तर – गैंग
4. [Ni(CO)4] में निकल की ऑक्सीकरण संख्या क्या है?
उत्तर – 0
5. विद्युत विच्छेदन का उपयोग किसमें किया जाता है ?
उत्तर – विद्युत लेपन
6. CH4 में कार्बन का संकरण क्या है ?
उत्तर – sp3
7. ओलियम का सूत्र क्या है ?
उत्तर – H2S2O7
8. H3PO3 में फॉस्फोरस की ऑक्सीकरण संख्या क्या है ?
उत्तर – + 3
9. Cu+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखें।
उत्तर – 1s2, 2s22p6, 3s23p63d10
10. K4[Fe(CN)6] का I.U.P.A.C. नाम लिखें।
उत्तर – पोटाशियम हेक्सा सायनो फेरेट (II)
खण्ड-II
11. निम्नलिखित धातुओं को परिष्कृत करने के लिए कौन-कौन सी विधियाँ साधारण रूप में काम में लाई जाती हैं? (i) निकेल (ii) आयरन । सिद्धांतों को लिखें।
उत्तर – (i) वाष्प अवस्था परिष्करण: इस प्रक्रम में निकेल को CO के प्रवाह में गर्म करके प्राप्त करते हैं।
Ni + 4CO → [Ni(CO)4]
जब इसे अधिक ताप पर गर्म करते हैं तो Ni प्राप्त होता है ।
(ii) लिज- डोनाविज विधि : इस विधि में ऑक्सीजन के प्रवाह से लोहा से शुद्ध किया जाता है।
12. Cl, Br, I या हैलोजन आवर्त सारणी के किस वर्ग के सदस्य हैं ?
उत्तर – वर्ग-17
13. अक्रिय गैसों की संयोजकता शून्य क्यों होती है? समझाइए।
उत्तर – अक्रिय गैसों की बाह्यतम विन्यास पूर्ण होता है।
14. स्टैन्डर्ट इलेक्ट्रोड विभव की व्याख्या करें ।
उत्तर – किसी इलेक्ट्रोड के इकाई सांद्रता एवं 298 K तापक्रम पर इलेक्ट्रोड विभव को स्टैंडर्ड इलेक्ट्रोड विभव कहते हैं। इसे E° से सूचित किया जाता है।
15. कार्बोकिटायन क्या है? व्याख्या करें ।
उत्तर – जब कार्बनिक यौगिक को Hetrolytic bond fission की जाती है तो कार्बन पर धनात्मक एवं समूह पर ऋणात्मक आयन उत्पन्न हो जाता है। इस आयन को कार्बोकटायन कहते हैं।
16. अम्लीय वर्षा से आप क्या समझते हैं ? समझाइए ।
उत्तर – कल-कारखानों, बिजलीघरों तथा स्वचालित वाहनों में जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल होता है। इन ईंधनों के जलने से SO2 एवं NO2 गैस बनती है जो वायु में मिश्रित होकर वायु को प्रदूषित कर देती है। वायु में जल की उपस्थिति में SO2 ऑक्सीकृत होकर H2SO4 एवं NO2 ऑक्सीकृत होकर HNO3 में परिवर्तित हो जाता है। यह अम्ल वर्षा के जल के साथ धरती पर आते हैं। इसे अम्ल वर्षा कहा जाता है ।
17. फार्मेलिन के दो मुख्य उपयोगों का वर्णन करें।
उत्तर – (i) मृत जीवों के परिरक्षण में होता है। (ii) पौधों के परिरक्षण में होता है।
18. एनिलीन से बेंजोइक अम्ल कैसे बनाएँगे?
उत्तर –
19. HF या HCl में प्रबल अम्ल कौन है और क्यों ?
उत्तर – HCI, क्योंकि Cl का आकार F से बड़ा होता है।
20. H2O उदासीन है जबकि H2S अम्लीय। बताइये क्यों?
उत्तर – H2S जल की तुलना में अधिक अम्लीय है क्योंकि सल्फर (S), ऑक्सीजन (O) की तुलना में वर्ग में नीचे है अतः यह H+ को आसानी से मुक्त कर सकता है।
21. किसी संक्रमण श्रेणी में केवल दस तत्व होते हैं। क्यों?
उत्तर – संक्रमण श्रेणी में वे तत्त्व होते हैं जिसका d-o rbital अपूर्ण होता है। इसका बाह्यतम विन्यास ns2(n – 1)d1-10 होता है। d के पास अधिकतम इलेक्ट्रॉन 10 होता है। इसलिए इस श्रेणी में मात्र 10 ही तत्त्व होते हैं।
22. मोल प्रभाज की व्याख्या करें |
उत्तर – घुल्य या घोलक का मोल की संख्या एवं घोल के मोल की संख्या के अनुपात को मोल प्रभाज कहते हैं।
घुल्य का मोल प्रभाज = घुल्य के मोल की संख्या / घोल के मोल की संख्या
घोलक का मोल प्रभाज = घोलक के मोल की संख्या / घोल के मोल की संख्या
23. लवण सेतु क्या है? इसके क्या उपयोग हैं ?
उत्तर – यह U- आकार की नली होती है जिसमें अक्रिय विद्युत अपघट्य KCl, KNO3 एवं K2SO4 इत्यादि को अलग-अलग जेल में semi solid लेई बनाकर रख दी जाती है।
उपयोग – (i) यह circuit को पूरा करता है एवं विद्युत धारा को प्रवाह करवाता है। (ii) यह प्रत्येक अर्द्धसेल में आयन के कमी को पूरा करता है। (iii) यह liquid- liquid junction potential से बचाता है।
खण्ड-III
24. (a) निम्नलिखित यौगिक का IUPAC नाम लिखिए –
(b) जब एथाइन को ठंडे क्षारीय KMnO4 विलयन के साथ उपचयित किया जाता है, तो प्राप्त उत्पाद का नाम बताएँ ।
उत्तर – (a) 2, 3-डाइमिथाइल ब्युटेन
(b) ऑक्जैलिक अम्ल प्राप्त होता है ।
25. यदि 20g कैल्शियम कार्बोनिट को एक विलयन में, जिसमें 20g HCl है मिलाया जाता है, तो अभिक्रिया के समापन पर कौन-कौन से पदार्थ उपस्थित रहेंगे और पदार्थ कितनी मात्रा में होंगे?
उत्तर –
26. राउल्ट के नियम की व्याख्या करें ।
उत्तर – राउल्ट नियम : राउल्ट नियम के अनुसार, “वाष्पदाब का आपेक्षिक भवनमन घुल्य के मोल प्रभाज के बराबर होता है। “
जहाँ n = घुल्य के मोल की संख्या,
N = घोलक के मोल
27. फैराडे के विद्युत विच्छेदन के नियम क्या हैं? व्याख्या करें।
उत्तर – फैराडे के विद्युत विच्छेदन का प्रथम नियम : किसी वैद्युत अपघटन में जमा या मुक्त पदार्थ की मात्रा उसमें प्रवाहित आवेश की मात्रा का समानुपाती होता है।
अर्थात् m ∝ Q या m = ZIt
दूसरा नियम श्रेणीक्रम में जुड़े विभिन्न विद्युत विच्छेदों के घोलों में समान मात्रा में विद्युत प्रवाहित करने के फलस्वरूप मुक्त पदार्थों का भार उनके तुल्यांकी भार के समानुपाती होता है।
यदि समान मात्रा विद्युत प्रवाहित करने के फलस्वरूप दो घोलों से A पदार्थ का भार W1 ग्राम तथा B पदार्थ का W2 ग्राम मुक्त होता है।
28. निम्नलिखित को प्राप्त करने के लिए रासायनिक अभिक्रिया लिखें
(i) मिथेन से क्लोरोफार्म (ii) क्लोरोफार्म से ईथाइन ।
उत्तर –
29. निम्नलिखित के कारण बताइए – (i) एथाइन, एथेन से अधिक अम्लीय है। (ii) एल्डिहाइड श्रेणी – के आरंभिक सदस्यों की जल में विलेयता अधिक है।
उत्तर – (i) एथाइन के कार्बन में sp प्रसंकरण होता है जबकि इथेन के कार्बन में sp3 प्रसंकरण होता है। एथाइन में s का प्रतिशत मात्रा इथेन से अधिक होता है जिसके कारण एथाइन का हाइड्रोजन आसानी से मुक्त हो जाते हैं। यही कारण है कि एथाइन, इथेन से अधिक अम्लीय होता है।
(ii) अल्काइल समूह Hydrophobic होता है। अल्काइल समूह में कार्बन की संख्या बढ़ने से Hydrophobic क्षमता बढ़ती है एवं Hydrophilic क्षमता घटती है। इसलिए एल्डिहाइड श्रेणी के आरंभिक सदस्यों की जल में विलेयता अधिक होती है।
30. जिंक ब्लेंड से जिंक के निष्कासन में मुख्य बिंदुओं का उल्लेख करें।
उत्तर – जिंक का प्रमुख अयस्क जिंक ब्लेण्ड (ZnS) होता है।
इसे भर्जित कर ऑक्साइड प्राप्त किया जाता है।
2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2
ZnO को कोक के साथ 1673K पर मिट्टी के Retort में गर्म कर Zn धातु अपचयित होती है।
ZnO + C → Zn + CO
31. भर्जन एवं निस्तापन में क्या अंतर है?
उत्तर – निस्तापन : किसी अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में उसके द्रवणांक से कम ताप पर विघटित करने की क्रिया निस्तापन कहलाती है।
CaCO3 → CaO + CO2
भर्जन : वायु की सीमित मात्रा की उपस्थिति में अयस्क को द्रवणांक से नीचे तापक्रम पर गर्म करने की प्रक्रिया भर्जन कहलाता है।
2ZnS + 3O2 → 2ZnO + 2SO2
32. PH3 से PH+4 का आबंध कोण का मान ज्यादा होता है। क्यों ?
उत्तर – PH3 एवं PH+4 में P की संकरण अवस्था sp3 है। PH+4 आयन में चारों एकक आबंधित है। जबकि PH3 में फॉस्फोरस पर इलेक्ट्रॉन युग्म होता है जो कोण के मान को प्रतिकर्षण के कारण कम करते हैं।
33. निम्नलिखित के IUPAC नाम लिखें –
उत्तर – (i) 4-ब्रोमो-2-पेंटीन (ii) 1- ब्रोमो-2- ब्युटीन (iii) 1, 4-डाइब्रोमो-2-व्युटीन
34. क्या होता है जब (i) एसिटल्डिहाइड को विरंजक चूर्ण के साथ गर्म किया जाता है? (ii) एथाइल ब्रोमाइड को KCN के साथ गर्म किया जाता है? (iii) एथाइल अल्कोहल को ऑक्सीकृत किया जाता है ?
उत्तर – (i) CHCl3 प्राप्त होता है।
35. दिखाइए कि प्रथम कोटि अभिक्रिया का अर्द्धजीवन काल अपने आरंभिक सांद्रण पर निर्भर नहीं है।
उत्तर – हम प्रथम कोटि अभिक्रिया के expression से जानते हैं
उपर्युक्त समीकरण से स्पष्ट हो जाता है कि अर्द्धजीवन काल आरंभिक सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है।
खण्ड-IV
36. हैबर पद्धति द्वारा अमोनिया बनाने का सिद्धांत क्या है? अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल कैसे बनाया जाता है? समीकरण दें।
उत्तर – अमोनिया का निर्माण हैबर विधि द्वारा किया जाता है।
अमोनिया एवं हवा के मिश्रण को Ptgauze के ऊपर प्रवाहित की जाती है तो NO प्राप्त होता है।
4NH3 + 5O2 → 6H2O + 4NO
NO को ठंढा कर एवं ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करायी जाती है तो NO2 प्राप्त होता है।
2NO + O2 → 2NO2
प्राप्त NO2 को जल में घुलाया जाता है तो HNO3 प्राप्त होता है।
4NO2 + 2H2O + O2 → 4HNO3
37. वाष्प दाब से आप क्या समझते हैं? वाष्प दाब में क्या होता है जब (i) वाष्पशील विलेय को विलयन में मिलाते हैं, (ii) अवाष्पशील विलेय को विलयन में मिलाया जाता है?
उत्तर – निश्चित ताप पर द्रव के साथ साम्यावस्था में स्थित द्रव के वाष्पों द्वारा डाला गया दाब वाष्पदाब कहलाता है।
(i) वाष्पशील विलेय को विलंयन में मिलाते हैं तो वाष्पदाब बढ़ जाता है।
(ii) अवाष्पशील विलेय को विलयन में मिलाते हैं तो वाष्पदाब घट जाता है।
38. थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग बहुलकों में क्या अंतर है? प्रत्येक का एक-एक उदाहरण दें।
उत्तर – थर्मोप्लास्टिक और थर्मोसेटिंग बहुलकों में अंतर –
थर्मोप्लास्टिक बहुलक |
थर्मोसेटिंग बहुलक |
(i) वे प्लास्टिक जो गर्म अवस्था में मुलायम एवं ठंढा अवस्था में कठोर हो जाता है। |
(i) ये गर्म करने पर मुलायम नहीं होता परंतु कठोर हो जाता है। |
(ii) इसकी संरचना रैखिक होती है। |
(ii) इसकी संरचना three dimensional होती है। |
(iii) इसका निर्माण योगशील बहुलीकरण से होता है। |
(iii) इसका निर्माण संघनन बहुलीकरण से होता है। |
(iv) ये कम Brittle होते हैं परंतु कार्बनिक घोलकों में घुलनशील होता है। |
(iv) ये अधिक Brittle होते हैं परंतु अकार्बनिक घोलकों में घुलनशील होते हैं। |
39. निम्नलिखित की कारण सहित व्याख्या करें –
(i) एनिलीन HCI में घुलनशील है।
(ii) एमीन, अमोनिया से प्रबल क्षार होते हैं ।
(iii) एनिलीन से एथिल एमीन अधिक क्षारीय होते हैं।
(iv) साइक्लोहेक्सामीन एनिलीन से ज्यादा क्षारीय होते हैं ।
(v) फेनॉल की प्रकृति अम्लीय होती है।
उत्तर – (i) एनिलीन HCI में घुलनशील है क्योंकि यह प्रतिक्रिया कर एनिलीनियम लवण बनाता है।
(ii) एमीन में एल्काइल समूह उपस्थित रहता है क्योंकि एल्काइल समूह एक धनात्मक प्रेरक प्रभाव है। धनात्मक प्रेरक प्रभाव के कारण क्षारीय प्रबलता बढ़ जाती है। इसलिए एमीन एक प्रबल क्षार है।
(iii) एनिलीन में फिनाइल समूह रहता है जबकि एथिल एमीन में एथिल समूह रहता है। फिनाइल एक ऋणात्मक प्रेरक प्रभाव समूह है जबकि एथिल एक धनात्मक प्रेरक प्रभाव समूह है। इसलिए एथिल एमीन, एनिलीन से अधिक क्षारीय होता है।
(iv) साइक्लोहेक्साएमीन में साइक्लोहेक्सेन मूलक उपस्थित रहता है। साइक्लोहेक्सेन एक इलेक्ट्रॉन ढकेलने वाला मूल है। जबकि फिनाइल समूह इलेक्ट्रॉन खींचने वाला होता है। इसलिए साइक्लोहेक्सेन एमीन, एनिलीन से ज्यादा क्षारीय होता है ।
(v) फेनॉल की प्रकृति अम्लीय होता है क्योंकि यह प्रोटॉन त्याग कर फेनोक्साइड आयन बनाता है। Resonance के कारण फेनोक्साइड आयन स्थायी होता है।
जो पदार्थ प्रोटॉन देता है उसे अम्ल कहते हैं। इसलिए फेनॉल की प्रकृति अम्लीय होती है।
40. (a) परासरण एवं विसरण में क्या अंतर है? बर्कले एवं हार्टले विधि द्वारा परासरण दाब ज्ञात करने की विधि का वर्णन करें।
(b) एक पात्र में 18g ग्लूकोज (C6H12O6) को 1.013 बार वायुमंडलीय दाब पर 1 kg जल में घोला गया। जल किस ताप पर उबलेगा?
जल का Kb = 0.52 K kg mol-1 है।
उत्तर – (a) परासरण: यदि एक घोल को किसी घोलक या अधिक तनु घोल से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक किया जाए तो घोल अणु अधिक तनु घोल से सांद्र घोल में तबतक प्रवाहित होंगे जबतक कि दोनों घोलों के बीच साम्य स्थापित नहीं हो जाता है। इस क्रिया को परासरण कहते हैं।
विसरण : ऊँचे सांद्रण वाले क्षेत्र से आयन या अणु का movement निम्न सांद्रण वाले क्षेत्र में हो जाता है, विसरण कहते हैं। उपकरण में कॉपर फेरोसायनाइड का अर्द्धपारगम्य झिल्ली रहता है। सछिद्र बरतन के छोर पर घोलक एवं दूसरे छोर पर capillatory रहता है। घोल तरफ एक पिस्टन लगा होता है। वे दाब जो घोल की ओर घोलक के प्रवाह को रोक देता है परासरण दाब कहलाता है।
2015 (A)
रसायनशास्त्र (Chemistry)
खण्ड-I (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
निम्नलिखित प्रश्न – संख्या 1 से 28 तक के प्रत्येक प्रश्न के लिए एक ही विकल्प सही है। प्रत्येक प्रश्न से सही उत्तर, उत्तर पत्र में चिह्नित करें।
1. 96500 कूलॉम विद्युत CuSO4 के विलयन से मुक्त करता है
(A) 63.5 ग्राम ताँबा
(B) 31.76 ग्राम ताँबा
(C) 96500 ग्राम ताँबा
(D) 100 ग्राम ताँबा
उत्तर – (B) 31.76 ग्राम ताँबा
2. XeF4 का आकार होता है
(A) चतुष्फलकीय
(B) स्क्वायर प्लेनर
(C) पिरामिडल
(D) लिनियर
उत्तर – (B) स्क्वायर प्लेनर
3. निम्नलिखित में सबसे प्रबल लीविस अम्ल है
(A) BF3
(B) BCl3
(C) BBr3
(D) BI3
उत्तर – (D) BI3
4. रासायनिक अभिक्रिया H2(g) + I2(g) ⇔ 2HI(g) का साम्य स्थिरांक Kp निर्भर करता है
(A) पूर्ण दाब पर
(B) उत्प्रेरक पर
(C) H2 तथा I2 की मात्रा पर
(D) तापक्रम पर
उत्तर – (D) तापक्रम पर
5. किसी अभिक्रिया का वेग निम्नांकित प्रकार से व्यक्त होता है। वेग = k[A]2 [B], तो इस अभिक्रिया की कोटि क्या है ?
(A) 2
(B) 3
(C) 1
(D) 0
उत्तर – (B) 3
6. किसी विलयन के 200 ml में 2 ग्राम NaOH घुले हैं। विलयन की मोलरता क्या है ?
(A) 0.25
(B) 0.5
(C) 5
(D) 10
उत्तर – (A) 0.25
7. निम्नलिखित में कौन हाइड्रोजन बन्धन नहीं बनाता है ?
(A) NH3
(B) H2O
(C) HCl
(D) HF
उत्तर – (C) HCl
8. होलियम का मुख्य स्रोत है
(A) हवा
(B) रेडियम
(C) मोनाजाइट
(D) जल
उत्तर – (C) मोनाजाइट
9. निम्नलिखित में कौन-सा धातु साधारण तापक्रम पर द्रव होता है ?
(A) जिंक
(B) पारा
(C) ब्रोमीन
(D) जल
उत्तर – (B) पारा
10. निम्नलिखित में सबसे कम भास्मिक है
(A) NCl3
(B) NBr3
(C) NI3
(D) NF3
उत्तर – (C) NI3
11. H2SO4 है
(A) अम्ल
(B) भस्म
(C) क्षार
(D) लवण
उत्तर – (A) अम्ल
12. निम्न में से हरा थोथा कहते हैं
(A) FeSO4 · 7H2O को
(B) CuSO4 · 5H2O को
(C) CaSO4 · 2H2O को
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) FeSO4 · 7H2O को
13. किस ग्रुप के तत्त्वों को संक्रमण तत्त्व कहा जाता है ?
(A) p-ब्लॉक
(B) s-ब्लॉक
(C) d-ब्लॉक
(D) f-ब्लॉक
उत्तर – (C) d-ब्लॉक
14. सल्फाइड अयस्क का समाहरण किया जाता है
(A) फेन उत्प्लावन विधि द्वारा
(B) विद्युत विच्छेदन द्वारा
(C) भर्जन द्वारा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) फेन उत्प्लावन विधि द्वारा
15. सोडियम आवर्त सारणी में किस ग्रुप का सदस्य है ?
(A) ग्रुप I
(B) ग्रुप II
(C) ग्रुप IV
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) ग्रुप I
16. भूपर्पटी पर सर्वाधिक पाये जाने वाला तत्त्व है
(A) Si
(B) Al
(C) Zn
(D) Fe
उत्तर – (B) Al
17. मालाकाइट अयस्क है
(A) लोहा
(B) कॉपर
(C) जिंक
(D) सिल्वर.
उत्तर – (B) कॉपर
18. कॉपर पाइराइट का सूत्र है
(A) Cu2S
(B) CuFeS
(C) CuFeS2
(D) Cu2Fe2S2
उत्तर – (C) CuFeS2
19. एल्युमिनियम का अयस्क है
(A) बॉक्साइट
(B) हेमाटाइट
(C) डोलोमाइट
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) बॉक्साइट
20. K4 [Fe(CN)6] है,
(A) डबल साल्ट
(B) जटिल लवण
(C) अम्ल
(D) भस्म
उत्तर – (B) जटिल लवण
21. एल्किन का सामान्य सूत्र है
(A) CnH2n
(B) CnH2n+2
(C) CnH2n-2
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) CnH2n
22. इथेन में कार्बन का संकरण है
(A) sp3
(B) sp2
(C) sp
(D) sp3d2
उत्तर – (A) sp3
23. कैल्सियम फार्मेट का शुष्क स्रवण देता है
(A) HCHO
(B) HCOOH
(C) CH3COOH
(D) CH3CHO
उत्तर – (A) HCHO
24. सामान्य ताप एवं दाब पर किसी गैस के एक मोल का आयतन है
(A) 11.2 लीटर
(B) 22.4 लीटर
(C) 10.2 लीटर
(D) 22.8 लीटर
उत्तर – (B) 22.4 लीटर
25. ऐवोगेड्रो संख्या (N) बराबर है
(A) 6.023 x 1024
(B) 6.023 x 1023
(C) 6.023 x 10-23
(D) 11.2
उत्तर – (B) 6.023 x 1023
26. इथाइन में ग बाण्ड की संख्या है
(A) एक
(B) दो
(C) तीन
(D) चार
उत्तर – (B) दो
27. आधुनिक आवर्त सारणी किसने बनाया ?
(A) डेबोनियर
(B) मैन्डलिफ
(C) मैन्डल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (D) इनमें से कोई नहीं
28. निम्न में कौन क्षारीय भूमिज तत्त्व है?
(A) कार्बन
(B) सोडियम
(C) जिंक
(D) लोहा
उत्तर – (B) सोडियम
खण्ड-II (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. निम्नलिखित यौगिकों में से किसके रासायनिक आबंध में आयनिक अभिलक्षण होगा?
LiCl अथवा KCI
उत्तर – LiCl, क्योंकि Li ka आकार K से बहुत ही छोटा होता है।
2. सक्रिय ऊर्जा क्या है? किसी अभिक्रिया के वेग स्थिरांक और सक्रिय ऊर्जा में संबंध स्थापित करें।
उत्तर – वह न्यूनतम ऊर्जा जिसे अभिकर्मक को देने से वह अभिकर्मक एवं उत्पाद के बीच के ऊर्जा अंतर को पार कर सके, उसे उस अभिक्रिया का सक्रिय ऊर्जा (Ea) कहते हैं।
इस प्रकार, Ea के बढ़ने से K का मान घटता है। अर्थात् अभिक्रिया की दर बढ़ती है।
3. CsCl के बनावट का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर – CsCl की संरचना में, Cl– आयन corner पर रहता है जबकि Cs+ आयन Body centre पर रहता है l इसमें Cs एवं Cl का उपसंयोजन संख्या 8:8 होता है l Unit cell की संख्या एक होती है
4. चीनी के घोल का परासरणी दाब 27°C पर 2.46 atm है। इस घोल का समाहरण क्या होगा?
उत्तर –
5. किसी घोल की मोलरता एवं मोललता में अंतर को समझाए।
उत्तर – किसी घोल की मोलरता एवं मोललता में अंतर –
मोलरता |
मोललता |
(1) यह घोल के आयतन पर निर्भर करता है। |
(1) यह घोलक के द्रव्यमान पर निर्भर करता है। |
(2) यह तापक्रम पर निर्भर करता है। |
(2) यह तापक्रम पर निर्भर नहीं करता है। |
(3) इसकी इकाई मोल / घन सेमी होती है। |
(3) इसकी इकाई मोल/किलोग्राम होती है। |
6. राउल्ट के वाष्पदाब के सापेक्ष अवनमन नियम की व्याख्या करें ।
उत्तर – किसी विलायक का वाष्पदाब में होने वाले आपेक्षिक अवनमन घुल्य के मोल अंश के बराबर होता है।
7. CuSO4 घोल से 24125 कूलॉम विद्युत प्रवाहित करने पर कितना मोल Cu मिलेगा?
उत्तर – ∴ 96500 कूलॉम से 31.75g कॉपर प्राप्त होता है।
∴ 1. कूलॉम से 31.75/96500 g कॉपर प्राप्त होगा।
8. किसी रासायनिक अभिक्रिया A+ B→ प्रतिफल, के अभिक्रिया का दर अगर
R = K[A]1/2[B]3/2 है, तो अभिक्रिया की कोटि क्या होगी?
उत्तर –
9. टिन्डल प्रभाव क्या है? व्याख्या करें ।
उत्तर – जब प्रकाश पुंज को वास्तविक विलयन में प्रवाहित किया जाता है तो प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है। जब इसी प्रकार का प्रकाश पुंज कोलॉइडी विलयन में प्रवाहित किया जाता है तो प्रकाश का प्रकीर्णन हो जाता है। इसी प्रकार बंद कमरे में रोशनदान से आते प्रकाश में धूल के कण दिखाई देते हैं क्योंकि प्रकाश का प्रकीर्णन हो रहा है। यह घटना फैराडे द्वारा देखी गयी तथा बाद में टिण्डल द्वारा व्यक्त की गयी। इस प्रभाव को टिण्डल प्रभाव कहा जाता है अतः जब प्रकाश के अभिसारी पुंज को सॉल पर डाला जाता है तो प्रकाश का संपूर्ण मार्ग एक कोण या शंकु दिखाई पड़ता है। जिसे टिण्डल कोण या शंकु कहा जाता है तथा यह घटना टिण्डल प्रभाव कहलाती है।
10. कॉपर के दो अयस्कों के नाम लिखें।
उत्तर – कॉपर के दो अयस्क निम्नलिखित हैं –
(a) कॉपर पाइराइट्स — CuFeS2
(b) चालकोसाइट — Cu2S
11. निम्नलिखित का परिवर्तन कैसे करेंगे ?
(क) इथाइल एमीन से इथाइल अल्कोहल
(ख) इथाइल अल्कोहल से इथाइल अमीन
उत्तर –
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
12. लोहा के दो मुख्य अयस्कों के नाम दें। अयस्क से लोहा बनाने की विधि का वर्णन करें। रासायनिक समीकरण दें।
अथवा,
एल्युमिनियम के मुख्य अयस्कों के नाम लिखें। इसे अयस्क से निष्कासन के सिद्धांत को लिखें।
उत्तर – हेमेटाइट (Fe2O3) एवं मैग्नेटाइट (Fe3O4) लोहे के दो मुख्य अयस्क हैं।हेमेटाइट अयस्क को लोहे के निष्कर्षण में निहित सिद्धांत –
(i) सांद्रण : लोहे के अयस्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लिया जाता है और पानी की तेज धारा अयस्क पर प्रवाहित करने से मिट्टी तथा बालू जैसी अशुद्धियाँ पानी के साथ बह जाती हैं। भोंगे अयस्क को सूखाकर चुंबकीय सांद्रण किया जाता है।
(ii) सांद्रित अयस्क का भर्जन : हवा की अधिकता में सांद्रित अयस्क को गर्म करना भर्जन कहलाता है। इसमें निम्न परिवर्तन होते हैं-
(क) जल और CO2 बाहर निकल जाते हैं।
(ख) सल्फर और आर्सेनिक की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में बाहर निकल जाते हैं।
(ग) फेरस ऑक्साइड, फेरिक ऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
4FeO + O2 → 2Fe3O3
(घ) अयस्क सरन्ध्र हो जाता है
तथा इसका अपचयन आसानी से हो जाता है।
(iii) प्रदावण : जारित अयस्क को चूना पत्थर (CaCO3) और कोक के साथ 4:1:2 के अनुपात में मिलाकर वात-भट्ठी में प्याला और शंकु व्यवस्था द्वारा ऊपर से नीचे गिराया जाता है। वात-भट्ठी के निचले भाग में लगे ट्वीटर द्वारा गर्म हवा का झोंका भट्ठी के अंदर भेजा जाता है। अयस्क कोक एवं चूना पत्थर भट्ठी के अंदर जैसे-जैसे नीचे उतरता है, अधिक ताप का क्षेत्र मिलता है। वात-भट्ठी के विभिन्न भागों में होने वाली प्रतिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(क) ताप्तीकरण का क्षेत्र (400°C) : यह क्षेत्र वात-भट्ठी का सबसे ऊपरी भाग है। यहाँ मिश्रण में उपस्थित संपूर्ण नमी दूर हो जाती है ।
(ख) अवकरण का क्षेत्र : इस क्षेत्र का ताप लगभग 700-900°C रहता है। यहाँ पर कोक ट्वीटर द्वारा आने वाली गर्म हवा के ऑक्सीजन से संयोग कर CO बनाता है।
2C + O2 → 2CO
CO2 + C → 2CO
यह कार्बन मोनोक्साइड, फेरिक ऑक्साइड को अवकृत कर लोहा (Fe) प्रदान करता है।
3Fe2O3 + CO → 2Fe3O4 + CO2 ↑
Fe3O4 + 4CO → 3Fe + 4CO2 ↑
Fe2O3 + CO → 2FeO + CO2 ↑
(ग) भट्ठी के निचले गर्म भाग में मुख्य अभिक्रिया निम्न होती है-
FeO + C → Fe + CO
इस प्रकार भट्ठी के निचले भाग से गलित लोहा भट्ठी के पेंदी तक पहुँच जाता है। चूना पत्थर 1200°C ताप पर अपघटित हो जाता है और CaO बनाता है। यह CaO सिलिका से संयोग करके गलित कैल्सियम सिलिकेट के रूप में धातुमल बना देती है। प्राप्त उत्पाद कच्चा लोहा कहलाता है जिसमें 4% कार्बन अन्य अशुद्धियाँ (S, P, Si, Mn) उपस्थित रहती हैं।
अथवा,
बॉक्साइट अयस्क से एल्युमिनियम का निष्कर्षण दो चरणों में होता है।
प्रथम चरण : बेयरस विधि
Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O
NaAlO2 + 2H2O → NaOH + Al (OH)3
2Al (OH)3 → Al2O3 + 3H2O
दूसरा चरण: इलेक्ट्रोलाइसिस
Al2O3 → 2Al3+ + 3O2-
कैथोड पर : 2Al3+ + 6 electron → 2Al
एनोड पर : 3O2- → 1.5O2 + 6 electron
एल्युमिनियम की सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया–
2Al(s) + 3H2SO4 → 2Al3+ + 2SO42- + 3H2 (g)
13. निम्नलिखित से नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया का समीकरण दें – (i) कॉपर (ii) लोहा
अथवा,
लेड कक्ष द्वारा गंधकाम्ल के बनाने की विधि का वर्णन सिद्धांत सहित करें ।
अथवा,
आयोडीन के मुख्य स्रोत क्या हैं? समुद्री घास-पात से आयोडीन के निष्कासन को लिखें।
उत्तर – (i) कॉपर के साथ प्रतिक्रिया –
(a) सांद्र HNO3 के साथ प्रतिक्रिया कर NO2 देता है।
Cu + 4HNO3 → Cu (NO3)2 + 2NO2 + 2H2O
(b) गर्म तथा तनु ( 50%) अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर NO देता है।
3Cu + 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 2NO + 4H2O
(c) ठंढा तथा तनु (20-25% ) अम्ल के साथ N2O देता है।
4Cu + 10HNO3 → 4Cu (NO3)2 + N2O + 5H2O
(d) गर्म कॉपर पर नाइट्रिक एसिड का भाप प्रवाहित करने पर N2 गैस देता है।
5Cu + 2HNO3 → 5CuO + N2 + H2O
(ii) लोहा के साथ प्रतिक्रिया –
(a) ठंढा एवं तनु HNO3 के साथ प्रतिक्रिया के फलस्वरूप अमोनियम नाइट्रेट प्राप्त होता है।
4Fe + 10HNO3 → 4Fe (NO3)2 + NH4NO3 + 3H2O
(b) सान्द्र HNO3, NO2 देता है।
Fe + 6HNO3 → Fe(NO3)2 + 3NO2 + 3H2O
अथवा,
गंधकाम्ल का उत्पादन –
(i) गंधक या आयरन पाइराइट को हवा में जलाकर SO2 बनाया जाता है।
S + O2 → SO2
4FeS2 + 11O2 → 2Fe2O3 + 8SO2
(ii) प्राप्त SO2 को NO2 के साथ प्रतिक्रिया कराकर SO3 बनायी जाती है।
SO2 + NO2 → SO3 + NO
प्राप्त SO3 को जलवाष्प से प्रतिक्रिया कराने पर H2SO4 बनता है।
SO3 + H2O → H2SO4
जब जलवाष्प का प्रवाह कम होता है तो chamber crystal बनते हैं।
2SO2 + NO + NO2 + H2O + O2 → 2(OHSO2ONO)
जब chamber crystals दिखाई पड़ने लगता है तो जलवाष्प का प्रवाह बढ़ा दिया जाता है जिसके फलस्वरूप H2SO4 बनता है।
2(OHSO2ONO) + H2O → 2H2SO4 + NO + NO2
अथवा,
आयोडीन के प्राकृतिक स्रोत – सक्रिय तत्त्व होने के कारण आयोडीन प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। इसके प्राकृतिक स्रोत हैं –
(i) समुद्री घास (ii) चीनी साल्ट पीटर या कैलिश (iii) प्राकृतिक ब्राइन ।
समुद्री घास से I2 का उत्पादन : लैमिनेरिया प्रजांति के समुद्री घास को एकत्र कर सुखाया जाता है। इस सूखे घास को गहरी खाई में डालकर आग लगा दी जाती है, राख को केल्प (Kelp) कहा जाता है, जिसे जल में घोला जाता है। अघुलनशील पदार्थ को छान लिया जाता है। छनित द्रव का आंशिक रवाकरण किया जाता है। सल्फेट और क्लोराइड रवा के रूप में अलग हो जाते हैं, जो मात्र द्रव बचता है, ·उसमें आयोडीन आयोडाइड के रूप में रहता है। मात्र द्रव को MnO2 और सान्द्र H2SO4 के साथ रिटार्ट में गर्म किया जाता है, फलस्वरूप I2 का वाष्प बनता है, जो मिट्टी के बने संघनकों में संघनित होकर आयोडीन देता है।
2NaI + MnO2 + 3H2SO4 → 2NaHSO4 + MnSO4 + 2H2O + I2
14. प्रयोगशाला में इथाइल एमीन कैसे तैयार करेंगे ?
अथवा,
प्रयोगशाला में एनीलीन कैसे तैयार करेंगे ?
अथवा,
कार्बोहाइड्रेट क्या है? इनका वर्गीकरण कैसे किया जाता है ?
उत्तर – सिद्धांत : यह प्रयोगशाला में ऐसीटामाइड, कास्टिक पोटाश तथा ब्रोमीन के मिश्रण को गर्म करके बनाया जाता है।
CH3COCH2 + Br2 + 4KOH → CH3NH2 + K2CO3 + 2KBr + 2H2O
प्रयोग विधि : सर्वप्रथम एक गोल पेंदी का फ्लास्क लिया जाता है। फ्लास्क से एक थर्मामीटर टपकाव कीप तथा एक निकासनली लगायी जाती है। निकासनली को एक ग्राहक से जोड़ लिया जाता है जहाँ तनु HCI रखा रहता है। अब गोल पेंदी वाला फ्लास्क में 20 ग्राम ऐसीटामाइड एवं 18 मिमी ब्रोमीन डाला जाता है। फ्लास्क को हिलाते एवं ठंढा करते हुए मिश्रण में कास्टिक पोटाश का करीब 200 मिली घोल धीरे-धीरे डाला जाता है। मिश्रण का रंग गहरा नीला हो जाता है। टपकाव कीप से कास्टिक पोटाश का सान्द्र घोल फ्लास्क में डाल दिया जाता है। फ्लास्क को जल-ऊष्मक पर 70°C पर तब तक गर्म किया जाता है, जब तक मिश्रण रंगहीन न हो जाए। उसके बाद फ्लास्क में द्रव का स्रवण कर मिथाइल ऐमीन को तनु HCI में अवशोषित कराया जाता है जिससे मिथाइल ऐमीन हाइड्रोक्लोराइड प्राप्त होता है। मुक्त अवस्था में मिथाइल ऐमीन प्राप्त करने के लिए मिथाइल ऐमीन हाइड्रोक्लोराइड का कास्टिक क्षार के साथ स्रवण किया जाता है।
अथवा,
सिद्धांत : जब नाइट्रोबेंजीन को Sn एवं HCl के साथ अवकरण की जाती है तो एनिलीन प्राप्त होता है।
विधि : एक फ्लास्क में 25 ग्राम नाइट्रोबेंजीन एवं 50 ग्राम टिन लेकर उसमें 100 मिली सांद्र HCl को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में डाला जाता है। प्रत्येक बार अम्ल डालते समय फ्लास्क को अच्छी तरह हिलाया जाता है। संपूर्ण अम्ल डालने के बाद फ्लास्क को वायु संधानित्र में जोड़ दिया जाता है। इसे आधे घंटे तक गर्म किया जाता है। प्रतिक्रिया समाप्त होने पर फ्लास्क को ठंढा कर उसमें कास्टिक सोडा का सांद्र घोल डाला जाता है। एनिलीन का गहरे भूरे रंग की द्रव प्राप्त होता है। इसे भाप आसवन के द्वारा मिश्रण से अलग कर ली जाती है।
अथवा,
अभिक्रिया का गति स्थिरांक — अभिक्रिया का गति स्थिरांक किसी अभिक्रिया की दर के बराबर होता है जब प्रत्येक प्रतिकारक की सांद्रता 1 mol L-1 के बराबर होता है।
प्रथम कोटि के अभिक्रिया के लिए गति स्थिरांक का व्यंजक – माना कि A → B प्रथम कोटि की अभिक्रिया है।
15. बताइए क्यों –
(a) NH3 का क्वथनांक PH3 से ज्यादा है।
(b) क्लोरोऐसीटिक अम्ल ऐसीटिक अम्ल से प्रबल है।
(c) अक्रिय गैसों में केवल Xe ही रासायनिक यौगिक बनाता है।
(d) HF, HI की तुलना में दुर्बल अम्ल है ।
(e) H3PO3 एक डाइप्रोटिक अम्ल है।
अथवा,
क्या होता है जब –
(a) सोडियम ऐसीटेट को सोडा लाइम के साथ गर्म करते हैं ?
(b) कैल्सियम कार्बाइड को जल से अभिक्रिया कराते हैं?
(c) एसीटीलीन का लाल तप्त कॉपर नली से प्रवाहित कराते हैं ?
(d) मिथेन सूर्य के अप्रत्यक्ष प्रकाश में क्लोरीन से अभिक्रिया करता है ?
(e) इथाइल अल्कोहल का ऑक्सीकरण होता है ?
उत्तर – (a) अमोनिया (NH3) के अणु आपस में हाइड्रोजन आबंधों का निर्माण करते हैं जबकि फॉस्फीन (PH3) के अणु हाइड्रोजन आबंध नहीं बना पाते हैं। नाइट्रोजन परमाणु का आकार अपेक्षाकृत छोटा होता है और इसकी विद्युत ऋणात्मकता भी अधिक होती है। इस कारण यह आवेशित होकर हाइड्रोजन के साथ सफलतापूर्वक हाइड्रोजन आबंधों का निर्माण कर पाता है। अतः अमोनिया के अणुओं में सह-संयोजन आबंधों के अतिरिक्त हाइड्रोजन आबंध होने के कारण इनका क्वथनांक PH3 से ज्यादा होता है।
(b) क्लोरोएसिटिक अम्ल में क्लोरो समूह वर्तमान रहता है। यह एक ऋणात्मक प्रेरक प्रभाव समूह है जो अम्ल के शक्ति को बढ़ा देता है।
(c) Xe परमाणु का आकार एवं आयोनाइजेसन पोटेनशीयल अन्य अक्रिय गैसों की तुलना में क्रमशः बड़ा एवं अपेक्षाकृत कम होता है। Xe परमाणु के अंतिम कक्षा में d– उपकक्षाएँ भी मौजूद हैं। इसलिए युग्मित इलेक्ट्रॉन d– उपकक्षाओं में जाकर अयुग्मित हो सकती हैं। ये अयुग्मित इलेक्ट्रॉन अधातुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ युग्मन कर सह-संयोजन आबंधों का निर्माण करते हैं। इस प्रकार अक्रिय गैसों में केवल Xe ही सही रासायनिक यौगिक बनाता है।
(d) हाइड्रोजन-हैलोजन (H-X) आबंधों का आबंध विघटन ऊर्जा HF से HI तक घटता जाता है। अतः, HI के आबंध विघटन के लिए आवश्यक ऊर्जा HF की अपेक्षा कम होती है। इसलिए HI आसानी से H+ आयनों का निर्माण करता है। फलतः, HE, HI की तुलना में दुर्बल अम्ल है।
(d) Xe परमाणु का आकार एवं आयोनाइजेसन पोटेनशीयल अन्य अक्रिय गैसों की तुलना में क्रमशः बड़ा एवं अपेक्षाकृत कम होता है। Xe परमाणु के अंतिम कक्षा में d– उपकक्षाएँ भी मौजूद हैं। इसलिए युग्मित इलेक्ट्रॉन d– उपकक्षाओं में जाकर अयुग्मित हो सकती हैं। ये अयुग्मित इलेक्ट्रॉन अधातुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ युग्मन कर सह-संयोजन आबंधों का निर्माण करते हैं। इस प्रकार अक्रिय गैसों में केवल Xe ही सही रासायनिक यौगिक बनाता है।
(e) H3PO3 की संरचना से यह स्पष्ट है कि इसके पास दो हाइड्रॉक्सील समूह (OH-group) फॉस्फोरस परमाणु से आबंधित हाइड्रॉक्सील समूहों की संख्या जो फॉस्फोरस से आबंधित होती है, किसी अम्ल की प्रकृति निर्धारित करती है। अतः, H3 PO3 एक डाइप्रोटिक अम्ल है।
अथवा,
(a) जब सोडियम ऐसीटेट को सोडा लाइम के साथ गर्म किया जाता है तो मिथेन प्राप्त होता है।
(b) कैल्सियम कार्बाइड को जल से प्रतिक्रिया कराते हैं तो ऐसीटिलीन प्राप्त होता है।
CaC2 + 2H2O → Ca(OH)2 + C2H2 ↑
(c) बेंजीन प्राप्त होता है ।
3C2H2 → C6H6
(d) क्लोरोमिथेन, डाइक्लोरोमिथेन, ट्राइक्लोरोमिथेन एवं टेट्राक्लोरोमिथेन प्राप्त होता है।
2016 (A)
रसायनशास्त्र (Chemistry )
खण्ड-I (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
निम्नलिखित प्रश्न संख्या 1 से 28 तक के प्रत्येक प्रश्न के लिए एक ही विकल्प सही है। प्रत्येक प्रश्न से सही उत्तर, उत्तर पत्र में चिह्नित करें।
1. सोना धातु (Au) का ऑक्सीकरण संख्या होता है।
(A) +1
(B) 0
(C) – 1
(D) इनमें से सभी
उत्तर – (A) +1
2. निम्नलिखित में से कौन लायोफिलिक कोलॉइड है ?
(A) दूध
(B) गोन्द
(C) कुहासा
(D) रक्त
उत्तर – (B) गोन्द
3. निम्नलिखित में सबसे शक्तिशाली ऑक्सीकारक पदार्थ है
(A) F2
(B) Cl2
(C) Br2
(D) I2
उत्तर – (A) F2
4. निम्न में किसकी आकृति चतुष्फलक होती है ?
(A) [Ni(CN4]2-
(B) [Pd(CN4]2-
(C) [PdCl4]2-
(D) [NiCl4]2-
उत्तर – (D) [NiCl4]2-
5. प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए 1/2 का मान होता है
(A) 0.6/k
(B) 0.693/k
(C) 0.683/k
(D) 0.10/k
उत्तर – (B) 0.693/k
6. फैराडे का विद्युत अपघटन नियम निम्न में से किससे संबंधित है ?
(A) धनायन के परमाणु भार से
(B) धनायन की गति से
(C) ऋणायन के गति से
(D) इलेक्ट्रोलाइट के समतुल्य भार से
उत्तर – (D) इलेक्ट्रोलाइट के समतुल्य भार से
7. सिनेवार कहा जाता है
(A) HgS
(B) PdS
(C) ZnS
(D) H2S
उत्तर – (A) HgS
8. परमाणु द्रव्यमानं बराबर होता है
(A) परमाणु के इलेक्ट्रॉनों की संख्या के
(B) परमाणु के इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉनों की संख्या के योगफल के
(C) परमाणु के न्यूट्रॉनों की संख्या और प्रोटॉनों के योगफल के
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) परमाणु के न्यूट्रॉनों की संख्या और प्रोटॉनों के योगफल के
9. बिना बुझा चूना को जब जल में डाला जाता है तो अभिक्रिया होती है
(A) ऊष्माक्षेपी
(C) विस्फोटक
(B) ऊष्माशोषी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) ऊष्माक्षेपी
10. d– आर्बिटल का आकार होता है
(A) गोलीय
(B) डम्बबेल
(C) डबल डम्बबेल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) डबल डम्बबेल
11. कपड़ा धोने का सोडा होता है
(A) Na2CO3 · 10H2O
(B) Na2CO3 · 5H2O
(C) Na2CO3
(D) NaOH
उत्तर – (A) Na2CO3 · 10H2O
12. क्षारीय मृदा धातु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है
(A) ns2
(B) ns1
(C) np6
(D) ns0
उत्तर – (A) ns2
13. बुझा हुआ चूना है
(A) CaO
(B) CaCO3
(C) Ca(OH)2
(D) CaCl2
उत्तर – (C) Ca(OH)2
14. बाह्यतम विन्यास 3d64s2 है
(A) Ca का
(B) Zn को
(C) Mg को
(D) Cu को
उत्तर – (C) Mg को
15. बोरेक्स का रासायनिक नाम है
(A) सोडियम टेट्राबोरेट
(B) सोडियम मेटाबोरेट
(C) सोडियम आर्थोबोरेट
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) सोडियम टेट्राबोरेट
16. बोरॉन विकर्ण सम्बन्ध दर्शाता है
(A) Al से
(B) C से
(C) Ci से
(D) Sn से
उत्तर – (C) Ci से
17. ऊष्मा और विद्युत का अच्छा चालक है
(A) एन्थ्रासाइट कोक
(B) हीरा
(C) ग्रेफाइट
(D) चारकोल
उत्तर – (C) ग्रेफाइट
18. निम्नलिखित अपररूपों में कार्बन का सर्वाधिक प्रतिशत अधिकतम है
(A) काष्ठ चारकोल में
(B) कोकानट चारकोल में
(C) ग्रेफाइट में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) ग्रेफाइट में
19. हीरे में कार्बन का संकरण है
(A) sp3
(B) sp2
(C) sp
(D) dsp2
उत्तर – (A) sp3
20. कार्बनिक यौगिक में तत्व उपस्थित होना चाहिए
(A) ऑक्सीजन
(B) कार्बन
(C) हाइड्रोजन
(D) नाइट्रोजन
उत्तर – (B) कार्बन
21. शृंखलन गुण सबसे ज्यादा होता है
(A) फॉस्फोरस में
(B) कार्बन में
(C) सल्फर में
(D) जिंक में
उत्तर – (B) कार्बन में
22. इलेक्ट्रॉन स्नेही अभिकर्मक है
(A) BF3
(B) NH3
(C) H2O
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) BF3
23. एल्कीन निम्न में से कौन अभिक्रिया देती है ?
(A) योगात्मक
(B) प्रतिस्थापन
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) योगात्मक
24. कार्बन कार्बन एकल बंध की लंबाई है
(A) 1.34 Å
(B) 1.20 A
(C) 1.54 Å
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) 1.54 Å
25. कार्बन का संयोजकता है
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4
उत्तर – (D) 4
26. कार्बनिक ठोस की शुद्धता का लक्षण है
(A) क्वथनांक
(B) गलनांक
(C) विशिष्ट घनत्व
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) गलनांक
27. समुद्री जल में पाये जाने वाला तत्व है
(A) मैग्नेशियम
(B) सोडियम
(C) आयोडीन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) आयोडीन
28. सी०एन०जी० में मुख्य रूप में होता है
(A) मीथेन
(B) इथेन
(C) ब्यूटेन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) मीथेन
खण्ड-II (गैर-वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मानक इलेक्ट्रोड विभव की परिभाषा दें ।
उत्तर – मोलर घोल का विभव एवं इलेक्ट्रोड के विभव के अंतर को 298 K पर मानक इलेक्ट्रोड विभव कहते हैं। इसे E° से सूचित किया जाता है।
2. संक्र ,ण तत्व रंगीन यौगिक बनाते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर – इन तत्वों के d-शेल में अयुग्मित इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहते हैं। फलतः प्रकाश पड़ने पर ये अयुग्मित इलेक्ट्रॉन d-शेल के निम्न ऊर्जा स्तर से उच्च ऊर्जा स्तर में चले जाते हैं। इसमें प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण दृश्य क्षेत्र में होता है। अतः d–d संक्रमण के कारण यौगिक रंगीन दिखाई पड़ता है।
3. निम्नलिखित के संरचना सूत्र लिखें –
(क) 4, 4 डाइमिथाइल-2-पेन्टेनॉल (ख) 2 ब्यूटेनॉल
उत्तर –
4. निम्नलिखित के IUPAC नाम बताइए –
उत्तर – (क) 1, 4-ब्यूटेनडाइओइक अम्ल
(ख) 2- हाइड्रोक्सी प्रोपानोइक अम्ल
5. उदासीनीकरण ताप की परिभाषा दें ।
उत्तर – स्थिर तापक्रम एवं आयतन पर एक ग्राम समतुल्य अम्ल, एक ग्राम क्षार को पूर्णतः उदासीन करता है, तो जितना ताप उत्सर्जित होता है उसे उदासीनीकरण का ताप कहते हैं ।
सबल अम्ल से सबल भस्म का उदासीनीकरण का ताप हमेशा 13.7 k cal होता है ।
NaOH(aq) + HCl (aq) → NaCl (aq) + H2O + 13.7 k cal
6. (क) द्रव्यमान अनुपाती क्रिया का नियम क्या है ?
(ख) अभिक्रियाओं पर ताप का क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर – (क) प्रतिक्रिया की दर प्रतिक्रिया करने वाले पदार्थों के सक्रिय मात्राओं के गुणनफल के समानुपाती होता है। एक सामान्य समीकरण नीचे दिया गया है –
प्रतिक्रिया की दर ∝ [A][B]
प्रतिक्रिया की दर = k[A][B]
(ख) अभिक्रिया तापक्रम का समानुपाती होता है। तापक्रम बढ़ाने से प्रतिक्रिया की दर बढ़ जाती है ।
7. निम्नलिखित पदों की व्याख्या करें
(क) उपसहसंयोजक संख्या (ख) प्रभावी परमाणु क्रमांक
उत्तर – (क) उपसहसंयोजक संख्या : लिगैंडस का वह डोनर परमाणुओं की संख्या जो सेंट्रल परमाणु या आयन से सीधा जुड़ जाता है, उसे उपसहसंयोजक संख्या कहते हैं।
(ख) प्रभावी परमाणु क्रमांक: डोनर परमाणुओं से प्राप्त इलेक्ट्रॉन के बाद केन्द्रीय धातु जितना इलेक्ट्रॉन जुड़ा रहता है, उसे प्रभावी परमाणु क्रमांक कहते हैं ।
EAN = धातु का परमाणु क्रमांक आयन निर्माण में खोये इलेक्ट्रॉन की संख्या
+ 2 x उपसह्संयोजक संख्या
8. सॉटकी त्रुटि तथा फ्रैंकेल त्रुटि के बीच क्या अंतर है ?
उत्तर – शॉटकी और फ्रेंकेल दोष में निम्न अन्तर पाया जाता है-
शॉटकी दोष |
फ्रेंकेल दोष |
(i) इस दोष में धनायन तथा ऋणायन अपने जालक स्थलों से पूर्णतः हट जाते हैं तथा धनोयन और ऋणायन की संख्या बराबर होती है। |
(i) इस दोष में एक आयन अपने जालक बिन्दु को छोड़कर अन्तराकाशी स्थल में आ जाते हैं। |
(ii) इस दोष में Crystai का घनत्व घट जाता है। |
(ii) इस दोष में Crystal के घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता है। |
9. जब 10 ग्राम मात्रा का एक अवाष्पशील घुल्य को 100gm बेंजीन में घुलाया जाता है तो उसका क्वथनांक 1° बढ़ जाता है। घुल्य के ग्राम अणु द्रव्यमान की गणना करें।
(बेंजीन का Ka = 2.53 Km-1)
उत्तर –
10. (क) फैराडे के विद्युत अपघटन का प्रथम नियम को लिखें।
(ख) विद्युत रासायनिक तुल्यांक की परिभाषा दें।
उत्तर – (क) फैराडे के विद्युत अपघटन का प्रथम नियम : किसी वैद्युत अपघटन में जमा या मुक्त पदार्थ की मात्रा उसमें प्रवाहित आवेश के मात्रा की समानुपाती होता है। अर्थात् m ∝ Q या, m = ZIt
(ख) विद्युत रासायनिक तुल्यांक: किसी वैद्युत अपघट्य में, 1 ऐम्पियर विद्युत धारा 1 सेकेण्ड तक प्रवाहित करने पर पदार्थ के एकत्रित भार को विद्युत रासायनिक तुल्यांक कहा जाता है।
फैराडे के प्रथम नियम से, W = Z.C.t
जब C = 1 amp, t = 1 sec, तो W = Z
11. निम्नलिखित की परिभाषा दें – (क) अभिक्रिया की कोटि (ख) थ्रेशहोल्ड ऊर्जा ।
उत्तर – (क) अभिक्रिया की कोटि : किसी अभिक्रिया के दर समीकरण में प्रतिपाद के सांद्रता के ऊपर घात/ घातों के बीजगणितीय योग को अभिक्रिया की कोटि कही जाती है।
(ख) थ्रेसहोल्ड ऊर्जा : किसी धातु के सतह के लिए आपतित फोटॉन के ऊर्जा का वह न्यूनतम मान जो कि धातु के सतह से एक इलेक्ट्रॉन को बाहर निकाल सकता है, थ्रेसहोल्ड ऊर्जा कहलाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
12. (क) ‘क्वथनांक के उन्नयन’ आप क्या समझते हैं ?
(ख) राउल्ट नियम का उल्लेख करें। यह विद्युत-अनपघट्य घुल्य का अणुभार ज्ञात करने में किस प्रकार उपयोग है?
अथवा,
(क) कार्बोकिटायन क्या है ? व्याख्या करें । (ख) एनिलीन से बेंजोइक अम्ल कैसे बनाएँगे?
उत्तर – (क) क्वथनांक का उन्नयन : किसी घोल में अवाष्पशील पदार्थ डालने पर उसका वाष्पदाब कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप क्वथनांक बढ़ जाता है, अर्थात् वाष्पदाब अवनमन के कारण विलयन का क्वथनांक शुद्ध घोलक के क्वथनांक से ऊँचा होता है। विलयन और विलायक के क्वथनांकों का अन्तर क्वथनांक का उन्नयन कहलाता है, जिसे ∆Tb, द्वारा सूचित किया जाता है।
(ख) क्वथनांक के उन्नयन से सम्बन्धित राउल्ट नियम : ‘राउल्ट नियम से किसी द्रव के क्वथनांक का उन्नयन घोल की मोललता के समानुपाती होता है।”
∆Tb ∝ Cm या, ∆Tb = Kb · Cm
जहाँ Cm = घोल की सान्द्रता मोललला में –
Kb = मोलल उन्नयन स्थिरांक
“1 मोलल विलयन जिसमें 1 ग्राम विलेय 1000 ग्राम विलयन में घोला गया हो, मोलल क्वथनांक उन्नयन (Kb) कहलाता है । “
जहाँ w = घुल्य की मात्रा, W = घोलक की मात्रा, m = घुल्य का अणुभार
उपरोक्त सम्बन्ध से घुल्य का molecular weight ज्ञात किया जा सकता है।
अथवा,
जब कार्बनिक यौगिक को Hetrolytic bond fission की जाती है तो कार्बन पर धनात्मक एवं समूह पर ऋणात्मक आयन उत्पन्न हो जाता है। इस आयन को कार्बोकटायन कहते हैं।
13. (क) परासरण एवं विसरण में क्या अंतर है? बर्कले एवं हार्टले विधि द्वारा परासरण दाब ज्ञात करने की विधि का वर्णन करें।
(ख) एक पात्र में 18g ग्लूकोज (C6H12O6) को 1.013 बार वायुमंडलीय दाब पर 1kg जल में घोला गया तो जल किस ताप पर उबलेगा ?
जल का Kb = 0.52 K kg mol-1
अथवा,
(क) अमोनिया से नाइट्रिक अम्ल उत्पादन के सिद्धांत का वर्णन करें।
(ख) ताम्र धातु के साथ 50% तनु नाइट्रिक अम्ल की अभिक्रिया लिखें।
उत्तर – (a) परासरण: यदि एक घोल को किसी घोलक या अधिक तनु घोल से अर्द्धपारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक किया जाए तो घोल अणु अधिक तनु घोल से सांद्र घोल में तबतक प्रवाहित होंगे जबतक कि दोनों घोलों के बीच साम्य स्थापित नहीं हो जाता है। इस क्रिया को परासरण कहते हैं।
विसरण : ऊँचे सांद्रण वाले क्षेत्र से आयन या अणु का movement निम्न सांद्रण वाले क्षेत्र में हो जाता है, विसरण कहते हैं। उपकरण में कॉपर फेरोसायनाइड का अर्द्धपारगम्य झिल्ली रहता है। सछिद्र बरतन के छोर पर घोलक एवं दूसरे छोर पर capillatory रहता है। घोल तरफ एक पिस्टन लगा होता है। वे दाब जो घोल की ओर घोलक के प्रवाह को रोक देता है परासरण दाब कहलाता है।
अथवा,
(a) 11 भाग NH3 तथा 89. भाग हवा के मिश्रण को Pt-gauze के ऊपर से प्रवाहित कर 800°C तक गर्म करने पर NO प्राप्त होता है।
4NH3 + 5O2 → 4NO + 6H2O
2NO + O2 → 2NO2
2NO2 + H2O → HNO3 + HNO2
HNO2 → HNO2 + 2NO + H2O
इस प्रकार बने NO ऑक्सीकृत होकर फिर NO2 देता है जो कि जल में घुलकर पुनः HNO3 देता है।
(b) 3Cu + dil 8HNO3 → 3Cu (NO3)2 + 4H2O + 2NO
14. क्या होता है जब –
(क) इथाइन को ठंडे क्षारीय KMnO4 घोल के साथ अभिक्रिया करायी जाती है?
(ख) ऐसीटल्डिहाइड को विरंजक चूर्ण के साथ गर्म किया जाता है ?
(ग) इथाइल ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण होता है?
अथवा,
(क) मिथाइल ऐल्कोहॉल एवं इथाइल ऐल्कोहॉल के बीच का अन्तर स्पष्ट करें।
(ख) निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे ?
(i) एनिलिन से फेनॉल (ii) फेनॉल से बेंजीन (iii) इथेन से n– ब्यूटेन
उत्तर – (क) इथाइन को ठंडे क्षारीय KMnO4 घोल के साथ अभिक्रिया करायी जाती है तो ऑक्जैलिक अम्ल प्राप्त होता है।
CH = CH + 4 [O] → COOH – COOH
(ख) ऐसीटल्डिहाइड को विरंजक चूर्ण के साथ गर्म किया जाता है तो क्लोरोफार्म प्राप्त होता है।
Ca(OCI)CI + H2O → Ca(OH)2 + Cl2
CH3 – CHO + 3Cl2 → CCl3 – CHO + 3HCl
2CCl3 – CHO + Ca(OH)2 → 2CHCl3 + (HCOO)2 Ca
(ग) इथाइल ऐल्कोहॉल का ऑक्सीकरण करायी जाती है तो एसीटिक अम्ल प्राप्त होता है।
अथवा,
(क) मिथाइल ऐल्कोहॉल एवं इथाइल ऐल्कोहॉल के बीच का अन्तर –
गुण |
मिथाइल ऐल्कोहॉल |
इथाइल ऐल्कोहॉल |
(1) विरंजक चूर्ण के साथ गर्म किया जाता है । |
(1) क्लोरोफॉर्म प्राप्त नहीं होता है। |
(1) क्लोरोफॉर्म प्राप्त होता है। |
(2) ऐल्कोहॉल के वाष्प को अवकृत ताँबे के ऊपर 300°C पर प्रवाहित की जाती है। |
(2) फॉर्मल्डिहाइड प्राप्त होता है जिसमें तीखी गंध होती है। |
(2) फॉर्मल्डिहाइड बनता है जिसमें तीखी गंध नहीं होती है। |
(3) I2 एवं NaOH के साथ गर्म किया जाता है। |
(3) CHI3 प्राप्त नहीं होता है। |
(3) CHI3 प्राप्त होता है। |
15. लोहा के दो मुख्य अयस्कों के नाम लिखें तथा उसके अयस्क से निष्कासन की अभिक्रिया को लिखें।
अथवा,
एल्युमिनियम के मुख्य अयस्क का नाम लिखें तथा उसे अयस्क से निष्कासन की अभिक्रिया को लिखें।
अथवा,
आयोडीन के मुख्य स्रोत क्या हैं? समुद्री घास से आयोडीन के निष्कासन का वर्णन करें।
उत्तर – हेमेटाइट (Fe2O3) एवं मैग्नेटाइट (Fe3O4) लोहे के दो मुख्य अयस्क हैं।हेमेटाइट अयस्क को लोहे के निष्कर्षण में निहित सिद्धांत –
(i) सांद्रण : लोहे के अयस्क को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ लिया जाता है और पानी की तेज धारा अयस्क पर प्रवाहित करने से मिट्टी तथा बालू जैसी अशुद्धियाँ पानी के साथ बह जाती हैं। भोंगे अयस्क को सूखाकर चुंबकीय सांद्रण किया जाता है।
(ii) सांद्रित अयस्क का भर्जन : हवा की अधिकता में सांद्रित अयस्क को गर्म करना भर्जन कहलाता है। इसमें निम्न परिवर्तन होते हैं-
(क) जल और CO2 बाहर निकल जाते हैं।
(ख) सल्फर और आर्सेनिक की अशुद्धियाँ वाष्पशील ऑक्साइडों के रूप में बाहर निकल जाते हैं।
(ग) फेरस ऑक्साइड, फेरिक ऑक्साइड में ऑक्सीकृत हो जाता है।
4FeO + O2 → 2Fe3O3
(घ) अयस्क सरन्ध्र हो जाता है
तथा इसका अपचयन आसानी से हो जाता है।
(iii) प्रदावण : जारित अयस्क को चूना पत्थर (CaCO3) और कोक के साथ 4:1:2 के अनुपात में मिलाकर वात-भट्ठी में प्याला और शंकु व्यवस्था द्वारा ऊपर से नीचे गिराया जाता है। वात-भट्ठी के निचले भाग में लगे ट्वीटर द्वारा गर्म हवा का झोंका भट्ठी के अंदर भेजा जाता है। अयस्क कोक एवं चूना पत्थर भट्ठी के अंदर जैसे-जैसे नीचे उतरता है, अधिक ताप का क्षेत्र मिलता है। वात-भट्ठी के विभिन्न भागों में होने वाली प्रतिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं-
(क) ताप्तीकरण का क्षेत्र (400°C) : यह क्षेत्र वात-भट्ठी का सबसे ऊपरी भाग है। यहाँ मिश्रण में उपस्थित संपूर्ण नमी दूर हो जाती है ।
(ख) अवकरण का क्षेत्र : इस क्षेत्र का ताप लगभग 700-900°C रहता है। यहाँ पर कोक ट्वीटर द्वारा आने वाली गर्म हवा के ऑक्सीजन से संयोग कर CO बनाता है।
2C + O2 → 2CO
CO2 + C → 2CO
यह कार्बन मोनोक्साइड, फेरिक ऑक्साइड को अवकृत कर लोहा (Fe) प्रदान करता है।
3Fe2O3 + CO → 2Fe3O4 + CO2 ↑
Fe3O4 + 4CO → 3Fe + 4CO2 ↑
Fe2O3 + CO → 2FeO + CO2 ↑
(ग) भट्ठी के निचले गर्म भाग में मुख्य अभिक्रिया निम्न होती है-
FeO + C → Fe + CO
इस प्रकार भट्ठी के निचले भाग से गलित लोहा भट्ठी के पेंदी तक पहुँच जाता है। चूना पत्थर 1200°C ताप पर अपघटित हो जाता है और CaO बनाता है। यह CaO सिलिका से संयोग करके गलित कैल्सियम सिलिकेट के रूप में धातुमल बना देती है। प्राप्त उत्पाद कच्चा लोहा कहलाता है जिसमें 4% कार्बन अन्य अशुद्धियाँ (S, P, Si, Mn) उपस्थित रहती हैं।
अथवा,
बॉक्साइट अयस्क से एल्युमिनियम का निष्कर्षण दो चरणों में होता है।
प्रथम चरण : बेयरस विधि
Al2O3 + 2NaOH → 2NaAlO2 + H2O
NaAlO2 + 2H2O → NaOH + Al (OH)3
2Al (OH)3 → Al2O3 + 3H2O
दूसरा चरण: इलेक्ट्रोलाइसिस
Al2O3 → 2Al3+ + 3O2-
कैथोड पर : 2Al3+ + 6 electron → 2Al
एनोड पर : 3O2- → 1.5O2 + 6 electron
एल्युमिनियम की सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया–
2Al(s) + 3H2SO4 → 2Al3+ + 2SO42- + 3H2 (g)
अथवा,
आयोडीन के प्राकृतिक स्रोत – सक्रिय तत्त्व होने के कारण आयोडीन प्रकृति में मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता है। इसके प्राकृतिक स्रोत हैं –
(i) समुद्री घास (ii) चीनी साल्ट पीटर या कैलिश (iii) प्राकृतिक ब्राइन ।
समुद्री घास से I2 का उत्पादन : लैमिनेरिया प्रजांति के समुद्री घास को एकत्र कर सुखाया जाता है। इस सूखे घास को गहरी खाई में डालकर आग लगा दी जाती है, राख को केल्प (Kelp) कहा जाता है, जिसे जल में घोला जाता है। अघुलनशील पदार्थ को छान लिया जाता है। छनित द्रव का आंशिक रवाकरण किया जाता है। सल्फेट और क्लोराइड रवा के रूप में अलग हो जाते हैं, जो मात्र द्रव बचता है, ·उसमें आयोडीन आयोडाइड के रूप में रहता है। मात्र द्रव को MnO2 और सान्द्र H2SO4 के साथ रिटार्ट में गर्म किया जाता है, फलस्वरूप I2 का वाष्प बनता है, जो मिट्टी के बने संघनकों में संघनित होकर आयोडीन देता है।
2NaI + MnO2 + 3H2SO4 → 2NaHSO4 + MnSO4 + 2H2O + I2
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