Bihar Secondary School Question Bank | Bihar Board Class 12th Hindi Question Bank 2012-2023 | BSEB Class 12th Hindi Notes (2)

Bihar Secondary School Question Bank | Bihar Board Class 12th Hindi Question Bank 2012-2023 | BSEB Class 12th Hindi Notes (2)

2018 (A)
हिन्दी (Hindi)
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या 1 से 50 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक  सही है। अपनी द्वारा चुने गये सही विकल्प को चिन्हित करें।
1. बालकृष्ण भट्ट किस काल के रचनाकार हैं?
(A) आदिकाल
(B)भक्तिकाल
(C) रीतिकाल
(D) आधुनिक काल
उत्तर – (D) आधुनिक काल
2. ‘उसने कहा था’ किस वर्ष की रचना है ?
(A) 1915
(B) 1920
(C) 1922
(D) 1925
उत्तर – (A) 1915
3. ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा किसने दिया था ?
(A) दिनकर
(B) जयप्रकाश नारायण
(C) मोरार जी देसाई
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) जयप्रकाश नारायण
4. ‘अर्द्धनारीश्वर’ किसकी रचना है ? 
(A) दिनकर
(B) बालकृष्ण भट्ट
(C) मलयज
(D) मोहन राकेश
उत्तर – (A) दिनकर
5. ‘रोज’ कहानी की नायिका कौन हैं ? 
(A) मालती
(B) कलावती
(C) सुनीता
(D) रागिनी
उत्तर – (A) मालती
6. ‘एक लेख और एक पत्र’ के लेखक हैं
(A) सुखदेव
(B) बालकृष्ण भट्ट
(C) भगत सिंह
(D) राजगुरु
उत्तर – (C) भगत सिंह
7. इनमें से कौन सी रचना जगदीशचन्द्र माथुर की है ?
(A) बातचीत
(B) ओ सदानीरा
(C) तिरिछ
(D) हँसते हुए मेरा अकेलापन
उत्तर – (B) ओ सदानीरा
8. ‘सिपाही की माँ’ के रचनाकार हैं
(A) भगत सिंह
(B) दिनकर
(C) अज्ञेय
(D) मोहन राकेश
उत्तर – (D) मोहन राकेश
9. ‘जूठन’ क्या है ?
(A) रेखाचित्र
(B) शब्द – चित्र
(C) कहानी
(D) आत्म-कथा
उत्तर – (D) आत्म-कथा
10. ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन’ किस विधा की रचना है ?
(A) निबंध डायरी
(B) डायरी
(C)लघु कथा
(D) नाटक
उत्तर – (B) डायरी
11. इनमें से प्रेम की पीर’ के कवि हैं?
(A) जायसी
(B) नाभादास
(C) सूरदास
(D) कबीरदास
उत्तर – (A) जायसी
12. सूरदास किस भाषा के कवि हैं?
(A) संस्कृत
(B) ब्रजभाषा
(C) अवधी
(D) मैथिली
उत्तर – (B) ब्रजभाषा
13. तुलसीदास का बचपन का नाम क्या था ?
(A) रामबोला
(B) श्यामबोला
(C) हरिबोला
(D) शिवबोला
उत्तर – (A) रामबोला
14. नाभादास के दीक्षा गुरु कौन थे ?
(A) नरहरिदास
(B) स्वामी अग्रदास
(C) वल्लभाचार्य
(D) रामानुजाचार्य
उत्तर – (B) स्वामी अग्रदास
15. भूषणको ‘भूषण’ की उपाधि किसने दी थी
(A) छत्रपति शिवाजी ने
(B) महाराजा छात्रसाल ने
(C) राजा रूद्रसाह ने
(D) औरंगजेब ने
उत्तर – (C) राजा रूद्रसाह ने
16. ‘तुमुल कोलाहल कलह में किसी रचना है ? 
(A) दिनकर
(B) जयशंकर प्रसाद
(C) अज्ञेय
(D) रघुवीर सहाय
उत्तर – (B) जयशंकर प्रसाद
17. ‘पुत्र-वियोग’ किसकी रचना है?
(A) सुभद्रा कुमारी चौहान
(B) रघुवीर सहाय
(C) अज्ञेय
(D) अशोक वाजपेयी
उत्तर – (A) सुभद्रा कुमारी चौहान
18. ‘दूसरा सप्तक’ का प्रकाशन वर्ष है 
(A) 1950
(B) 1951
(C) 1952
(D) 1954
उत्तर – (B) 1951
19. मुक्तिबोध का जन्म -स्थल है
(A) बिहार
(B) दिल्ली
(C) छत्तीसगढ़
(D) पंजाब
उत्तर – (C) छत्तीसगढ़
20. ‘अधिनायक’ किस कवि की रचना है?
(A) रघुवीर सहाय
(B) मुक्तिबोध
(C) अज्ञेय
(D) नागार्जुन
उत्तर – (A) रघुवीर सहाय
21. ‘वार्तालाप’ का संधि-विच्छेद है
(A) वात + आलाप
(B) वार्ता + आलाप
(C) वार्ता + लाप
(D) वात: + लाप
उत्तर – (B) वार्ता + आलाप
22. ‘नायक’ का संधि विच्छेद है
(A) नै + अक
(B) ने + अक
(C) निः + अक
(D) ना + यक
उत्तर – (B) ने + अक
23. ‘अन्वेषण’ का संधि विच्छेद है
(A) अन + एषण
(B) अनः + षण
(C) अनु + एषण
(D) अनु + षण
उत्तर – (C) अनु + एषण
24. ‘उद्गम’ का संधि विच्छेद है
(A) उद् + गम
(B) उत् + गम
(C) उत + अगम्
(D) उद + अगम्
उत्तर – (B) उत् + गम
25. ‘निश्चल’ का संधि विच्छेद है 
(A) नि + चल
(B) नि: + चल
(C) निशा + चल
(D) नि + अचल
उत्तर – (B) नि: + चल
26. ‘लुटेरा’ में कौन-सा प्रत्यय है ? 
(A) रा
(B) टेरा
(C) एरा
(D) आ
उत्तर – (C) एरा
27. ‘अज्ञान’ में कौन-सा उपसर्ग है ? 
(A) अज्ञ
(B) अन
(C) अ
(D) आ
उत्तर – (C) अ
28. ‘राजकुमार’ कौन-सा समास है ? 
(A) कर्मधारय
(B) तत्पुरुष
(C) बहुब्रीहि
(D) द्वंद्व
उत्तर – (B) तत्पुरुष
29. ‘दाल-रोटी’ के समास का नाम बताएँ।
(A) तत्पुरुष
(B) द्विगु
(C) द्वंद्व
(D) बहुव्रीहि
उत्तर – (C) द्वंद्व
30. ‘घनश्याम’ कौन-सा समास है ? 
(A) कर्मधारय
(B) द्विगु
(C) द्वंद्व
(D) तत्पुरुष
उत्तर – (A) कर्मधारय
31. ‘चौराहा’ कौन-सा समास है ?
(A) द्वंद्व
(B) द्विगु
(C) कर्मधारय
(D) तत्पुरुष
उत्तर – (B) द्विगु
32. ‘पीताम्बर’ कौन-सा समास है ? 
(A) द्विगु
(B) बहुब्रीहि
(C) कर्मधारय
(D) तत्पुरुष
उत्तर – (B) बहुब्रीहि
33. ‘पय’ का पर्यायवाची शब्द है
(A) दूध
(B) पाप
(C) सोना
(D) तालाब
उत्तर – (A) दूध
34. ‘अनुराग’ का विलोम है
(A) राग
(B) विराग
(C) वैराग्य
(D) प्रेम
उत्तर – (B) विराग
35. ‘अथ’ का विपरीतार्थक शब्द है
(A) अच्छा
(B) आदि
(C) उदय
(D) इति
उत्तर – (D) इति
36. ‘कृष्ण’ का विलोम है
(A) काला
(B) सफ़ेद
(C) शुक्ल
(D) उजला
उत्तर – (C) शुक्ल
37. ‘स्थावर’ का विलोम है
(A) स्थिर
(B) जंगम
(C) सरल
(D) बड़ा
उत्तर – (B) जंगम
38. ‘नर’ का विपरीतार्थक शब्द है
(A) पुरुष
(B) व्यक्ति
(C) धनी
(D) नारी
उत्तर – (D) नारी
39. ‘स्तुति’ का विलोम है
(A) निन्दा
(B) शिकायत
(C) घृण
(D) द्वेष
उत्तर – (A) निन्दा
40. ‘संध्या’ का विलोम है
(A) प्रात
(B) प्रात:
(C) निशा
(D) रात्रि
उत्तर – (B) प्रात:
41. शिव का उपासक कहलाता है
(A) शिवम्
(B) शैव
(C) शिवत्व
(D) शंकर
उत्तर – (B) शैव
42. ‘अपने पैरों पर खड़ा होना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) दूर जाना
(B) स्वावलंबी होना
(C) प्रिय होना
(D) सुंदर होना
उत्तर – (B) स्वावलंबी होना
43. ‘आसमान टूटना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) कष्ट होना
(B) अचानक मुसीबत आना
(C) दुर्लभ होना
(D) दु:खी होना
उत्तर – (B) अचानक मुसीबत आना
44. ‘घाट घाट का पानी पीना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) प्यास लगना
(B) बहुत अनुभवी होना
(C) मूर्ख होना
(D) अनपढ़ होना
उत्तर – (B) बहुत अनुभवी होना
45. ‘त्राहि-त्राहि करना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) बहुत दुःखी
(B) रोना
(C) नाराज होना
(D) क्रोध करना
उत्तर – (A) बहुत दुःखी
46. ‘स्वर्ण’ का विशेषण है
(A) स्वर्णाभ
(B) स्वर्णिम
(C) स्वर्णकार
(D) सुवर्ण
उत्तर – (B) स्वर्णिम
47. ‘जगत’ का विशेषण है
(A) जागना
(B) जगदीश
(C) जागतिक
(D) जग
उत्तर – (C) जागतिक
48. ‘दिन’ का विशेषण है
(A) सुदिन
(B) दैनिक
(C) दिनभर
(D) दिनेश
उत्तर – (B) दैनिक
49. ‘अरण्य’ का समानार्थी (पर्यायवाची) है
(A) विपिन
(B) वपु
(C) रश्मि
(D) विटप
उत्तर – (A) विपिन
50. ‘तलवार’ शब्द का विलोम है
(A) चन्द्र
(B) सायक
(C) तुंग
(D) प्रभा
उत्तर – (B) सायक
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
1. किसी एक पर निबंध लिखें –
(क) दहेज प्रथा
(ख) नशा मुक्ति
(ग) प्रिय कवि
(घ) पर्यावरण
(ङ) छात्र और अनुशासन

उत्तर – (क) दहेज प्रथा

          दहेज भारतीय समाज के लिए अभिशाप है। यह कुप्रथा घुन की तरह समाज को खोखला करती चली जा रही है। इसने नारी जीवन तथा सामाजिक व्यवस्था को तहस-नहस करके रख दिया है।
          दहेज रूपी समस्या आज आम आदमी की नींद खराब कर दी है। लोग अपनी बच्ची की शादी के लिए परेशान रहते हैं, आज इस समस्या का मूल कारण मानव-मन में छुपा हुआ लोभ है। ऐसे लोभी व्यक्ति, लड़की वालों से मोटी-मोटी रकम माँगते हैं। कार, मोटरसाइकिल, टी०वी०, फ्रीज, कंप्यूटरलैपटॉप आदि के अलावा अन्य कीमती वस्तुएँ माँगी जाती हैं। आज इन वस्तुओं के नहीं दे पाने की वजह से कई शादियाँ टूट जाया करती हैं तथा बहुएँ प्रताड़ित भी होती हैं। दहेज प्रथा के दुष्परिणाम विभिन्न हैया तो कन्या के पिता को लाखों का दहेज देने के लिए घूस, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, काला- बाजार आदि का सहारा लेना पड़ता है या उनकी कन्याएँ अयोग्य वरों के मत्थे मढ़ दी जाती हैं।
          दहेज की समस्या का निवारण तभी हो सकती है जब हम कृत संकल्प हों कि हम दहेज के तौर पर अधिक सामान या रुपये की माँग नहीं करेंगे, हम वही वस्तुएँ लेंगे जो लड़कीवाले स्वेच्छा से दे सकेंगे। इसके लिए जन-जागृति की आवश्यकता है। हलाँकि दहेज को रोकने के लिए समाज में संस्थाएँ बनी हैं, युवकों से प्रतिज्ञा-पत्रों पर हस्ताक्षर भी लिए गए हैं, कानून भी बने हैं, परन्तु समस्या ज्यों-की-त्यों है। सरकार ने दहेज निषेध ‘अधिनियम के अंतर्गत दहेज के दोषी को कड़ा दंड देने का विधान रखा है। परन्तु वास्तव में आवश्यकता है – जन-जागृति की। जब तक युवक दहेज का बहिष्कार नहीं करेंगे और युवतियाँ दहेज लोभी युवकों का तिरस्कार नहीं करेंगी तबतक यह कोढ़ चलता रहेगा।
          दहेज अपनी शक्ति के अनुसार दिया जाना चाहिए, धाक जमाने के लिए नहीं। दहेज दिया जाना ठीक है, माँगा जाना ठीक नहीं । दहेज को बुराई वहाँ कहा जाता है, जहाँ माँग होती है। दहेज प्रेम का उपहार है, जबरदस्ती खींच ली जाने वाली संपत्ति नहीं ।
(ख) नशा मुक्ति :  
          हमारे देश का उज्जवल भविष्य युवाओं पर टिका होता है। अगर देश की युवा पीढ़ी ही गलत रास्ते में जाने लगे तो निश्चित ही उनका भविष्य अंधकार में चला जाता है। हमारे देश का युवा वर्ग को जिन्दगी के हर पहलु को जीने की इच्छा होती है। युवा वर्ग नशे को अपनी शान समझते हैं। आजकल के हमारे युवा को और कई व्यस्क लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए दिखाई देते हैं। उन्हें यह समझ नहीं आता कि किसी भी प्रकार की नशा उनके लिए आगे चलकर हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकता है। आज कल युवा वर्ग के लिए नशा एक फैशन बन गया है, यह उनके लिए अमृत के समान बन चुका है। तम्बाकू, खैनी और गुटखा से माउथ कैंसर हो जाता है। कई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना होता है, मगर कुछ लोग किसी की सुनते नहीं हैं। उनको सिर्फ अपने मन की करनी होती है। यह सबस करने में उनको एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है लेकिन उनको यह नहीं पता है कि यह उनके लिए कितना हानिकारक सिद्ध हो सकता है। हम सभी देश का भविष्य हैं। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है, तो हमें नशे जैसी चीज को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।
(ग) प्रिय कवि :
          बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ छायावाद के अग्रणी कवि हैं। यही मेरे प्रिय कवि एवं साहित्यकार हैं। ओज, पौरुष और विद्रोह के महाकवि हैं ‘निराला’ ।
         इनका जन्म बंगाल के महिषादल राज्य के मेदिनीपुर गाँव में 1897 में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित रामसहाय त्रिपाठी था। वह जिला उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। आजीविका के लिए वह बंगाल चले गए थे। ‘निराला’ की प्रारंभिक शिक्षा महिषादल में हुई। इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बँगला और अँगरेजी का अध्ययन किया। भाषा और साहित्य के अतिरिक्त इनकी रुचि संगीत और दर्शनशास्त्र में भी थी। ‘गीतिका’ में इनकी संगीत – रुचि का अच्छा प्रमाण मिलता है। ‘तुम और मैं’ कविता में इनकी दार्शनिक विचारधारा अभिव्यक्त हुई है। ‘निराला’ स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा विवेकानंद की दार्शनिक विचारधारा से काफी प्रभावित हुए।
          ‘निराला’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । कविता के अतिरिक्त इन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, निबंध, आलोचना और संस्मरण भी लिखे। इनकी महत्त्वपूर्ण काव्य-रचनाएँ हैं – ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘तुलसीदास’, ‘अनामिका’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘बेला’, ‘अणिमा’, ‘नए पत्ते’, ‘अर्चना’, ‘अपरा’, ‘आराधना’, ‘गीतकुंज’ तथा ‘सांध्यकाकली’। ‘तुलसीदास’ खण्डकाव्य है। इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं — ‘अप्सरा’, ‘अलका’, ‘प्रभावती’, ‘निरूपमा’, ‘चोटी की पकड़’, ‘काले कारनामे’ और ‘चमेली’। ‘कुल्ली भाट’ और ‘बिल्लेसुर बकरिहा’ इनके प्रसिद्ध रेखाचित्र हैं। इन रेखाचित्रों में जीवन का यथार्थ खुलकर सामने आया है। ‘चतुरी चमार’ और ‘सुकुल की बीबी’ इनकी प्रसिद्ध कहानियाँ हैं। ‘प्रबंध-पद्म’, ‘प्रबंध – प्रतिमा’ एवं ‘कविताकानन’ इनके आलोचनात्मक निबंधों के संग्रह हैं। .
          शृंगार, प्रेम, रहस्यवाद, राष्ट्रप्रेम और प्रकृति-वर्णन के अतिरिक्त शोषण के विरुद्ध विद्रोह और . मानव के प्रति सहानुभूति का स्वर भी इनके काव्य में पाया जाता है।
(घ) पर्यावरण : 

          धरती पर जीवन के लालन पालन के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है। वह प्रत्येक तत्व जिसका उपयोग हम जीवित रहने के लिए करते हैं वह सभी पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं जैसे- हवा, पानी प्रकाश, भूमि, पेड़, जंगल और अन्य प्राकृतिक तत्व ।

          हमारा पर्यावरण धरती पर स्वस्थ जीवन को अस्तित्व में रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फिर भी हमारा पर्यावरण दिन-प्रतिदिन मानव निर्मित तकनीक तथा आधुनिक युग के आधुनिकरण के वजह से नष्ट होता जा रहा है। इसलिए आज हम पर्यावरण प्रदूषण जैसे सबसे बड़े समस्या का सामना कर रहे हैं। सामाजिक, शारीरिक, आर्थिक, भावनात्मक तथा बौद्धिक रूप से पर्यावरण प्रदूषण हमारे दैनिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित कर रहा है। पर्यावरण प्रदूषण वातावरण में विभिन्न प्रकार के बीमारीयों को जन्म देता है, जिसे व्यक्ति जीवन भर झेलता रहता है। यह किसी समुदाय या शहर की समस्या नहीं है बल्कि दुनिया भर की समस्या है तथा इस समस्या का समाधान किसी एक व्यक्ति के प्रयास करने से नहीं होगा। अगर इसका निवारण पूर्ण तरीके से नहीं किया गया तो एक दिन जीवन का अस्तित्व नहीं रहेगा। प्रत्येक आम नागरिक को सरकार द्वारा आयोजित पर्यावरण आन्दोलन में शामिल होना होगा।
          हम सभी को अपनी गलती में सुधार करना होगा तथा स्वार्थपरता त्याग कर पर्यावरण को प्रदूषण से सुरक्षित तथा स्वस्थ करना होगा। यह मानना कठिन है, परन्तु सत्य है की प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाया गया छोटा सकारात्मक कदम बड़ा बदलाव कर सकता है तथा पर्यावरण गिरावट को रोक सकता है। आज के समय में किसी भी चीज को स्वास्थ्य के दृष्टी से सही नहीं कहा जा सकता, जो हम खाना खाते हैं वह – – पहले से कृत्रिम उर्वरक के बुरे प्रभाव से प्रभावित होता है, जिसके फलस्वरूप हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है जो की सुक्ष्म जीवों से होने वाले रोगों से लड़ने में शरीर को सहायता प्रदान करता हैं। इसलिए, हम में से कोई भी स्वस्थ और खुश होने के बाद भी कभी भी रोगग्रस्त हो सकता है। शहरीकरण, औद्योगीकरण तथा हमारा प्रकृति के प्रति व्यवहार इन सब कारणों के वजह से पर्यावरण प्रदूषण विश्व की प्रमुख समस्या है तथा इसका समाधान प्रत्येक के निरंतर प्रयास से ही संभव है। हमें विश्व पर्यावरण दिवस के मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।

(ङ) छात्र और अनुशासन :

          अनुशासन एक व्यापक तत्त्व है, जो जीवन के सभी क्षेत्रों को अपने में समा लेता है। इसके अभाव में जीवन व्यवस्थित रीति से नहीं चल सकता।
          अनुशासन के दो रूप हैं- बाह्य और आंतरिक। गुरुजनों के उपदेश और आदेश को मानना बाह्य अनुशासन है। मन की समस्त वृत्तियों पर और इंद्रियों पर नियंत्रण आंतरिक अनुशासन है। यह अनुशासन का श्रेष्ठ रूप है। ठीक उसी प्रकार जब मनुष्य नियंत्रित जीवन व्यतीत करता है तो दूसरों के लिए आदर्श व अनुकरणीय बन जाता है। अनुशासन में रहने वाला बालक ही सभ्य नागरिक बन सकता है।
          आज समय में जब चारों ओर से घोर नैतिक पतन हो रहा है, उसमें भ्रष्टाचार का बोलबाला है। ऐसी दशा में आंतरिक अनुशासन और व्यवस्था की कल्पना तभी साकार हो सकेगी, जब हमारे हृदय में परिवर्तन में हो और हृदय परिवर्तन का श्रेष्ठ समय विद्यार्थी जीवन है।
          आज छात्रों की अनुशासनहीनता देश के लिए एक ज्वलंत समस्या है। विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय में उदंडता दिखाना, शिक्षकों का अपमान करना और परीक्षा में नकल करना और कराना, रोकने पर निरीक्षकों को पीटना या उनकी जान ले लेना, बसों, रेलों में बिना टिकट यात्रा करना, छात्राओं के साथ छेड़खानी करना उनकी अनुशासनहीनता के नमूने हैं। अनुशासन जीवन को इतना आदर्श बना देता है कि अनुशासित व्यक्ति दूसरों की अपेक्षा कुछ विशिष्ट दिखाई पड़ता है। अनुशासनहीन मनुष्य संसार में लेशमात्र भी सफल नहीं होता।
          यदि आज के छात्र, जो देश के भावी कर्णधार हैं, अपने को अनुशासित रखने में सफल हो सके तो इसमें उनका अपना भी कल्याण होगा तथा वे अपने समाज व राष्ट्र का भी कल्याण कर सकेंगे। अनुशासित होकर ही जीवन में सुख शांति और ऐश्वर्य की उपलब्धि प्राप्त की जा सकती है।
2. सप्रसंग व्याख्या करें –
(क) जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, अपूर्ण है।
अथवा,
बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही ।
(ख) जहाँ मरू ज्वाला धधकती
चातकी कन को तरसती
उन्हीं जीवन घाटियों की
मैं सरस बरसात रे मन ।
अथवा,
राष्ट्रगीत में भला कौन वह
भारत-भाग्य-विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है ।
उत्तर –  (क) प्रस्तुत वाक्य राष्ट्रकवि दिनकर रचित ‘अर्द्धनारीश्वर’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। इस पंक्ति में लेखक ने नारीत्व के महत्व पर प्रकाश डाला है। दिनकरजी का कहना है कि जिस पुरुष में नारीत्व नहीं, वह अपूर्ण है। अतः प्रत्येक नर को एक हद तक नारी बनना आवश्यक है। गाँधीजी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में नारीत्व की भी साधना की थी। उनकी पोती ने उनपर जो पुस्तक लिखी है, उसका नाम ही ‘बापू, मेरी माँ’ है। दया, माया, सहिष्णुता और भीरूता ये त्रियोचित गुण कहे जाते हैं। किन्तु, क्या उन्हें अंगीकार करने से पुरुष के पौरुष में कोई अंतर आनेवाला है ?
अथवा,
          प्रस्तुत पंक्तियाँ पं० चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ लिखित कहानी ‘उसने कहा था’ से उद्धृत हैं। जर्मन सेना से मोर्चा लेनेवाली ब्रिटिश सेना में कार्यरत जमादार लहना सिंह की यह उक्ति है। उसके शरीर रगों में युद्ध करने की आतुरता है। वह चाहता है कि उसके उच्च अधिकारी उसके साथ तैनात सैनिकों को शत्रु पर आक्रमण करने की अनुमति दें। मोर्चे पर निष्क्रिय डटे रहने से वह क्षुब्ध है अतः उसका कथन है कि घोड़े को फेरे बिन वह बिगड़ जाता है तथा बिना युद्ध किए सिपाही की क्षमता भी कुन्द हो जाती है।
          इस प्रकार उपर्युक्त गद्यांश में एक सैनिक की मानसिकता का सशक्त निरूपण है। उसकी भुजाएँ युद्ध करने हेतु फड़कती हैं तथा वह अपने शौर्य का प्रदर्शन करना चाहता है।
          (ख) हे मेरे मन! मैं जीवन-घाटियों की जलयुक्त वह बरसात हूँ जिसकी एक बूँद के लिए रेगिस्तान की ताप और चातकी तरसते हैं। तात्पर्य यह है कि जिस मन में मरुभूमि की-सी वेदना जलती रहती है और मन प्रिय के वियोग में चातक की तरह विषादयुक्त रहता है तो मैं उस विरहाकुल मन में शीतलता उत्पन्न करती हूँ।
अथवा,
          प्रस्तुत पंक्तियाँ छायावादी कवि जयशंर प्रसाद कृत ‘कामायनी’ महाकाव्य के ‘तुमुल कोलाहल कलह में से उद्धृत है। इसमें कवि का कहना है कि भारत का भाग्य विधाता राष्ट्रगीत गाने वाले नहीं हैं। वे गरीब किसान हैं जो फटेहाल रह कर भी भारत की जनता को रोटी प्रदान करते हैं ।
3. अपने पिता के पास पत्र लिखें जिसमें किसी पर्यटन स्थल का वर्णन करें।
अथवा,
अपने प्रधानाचार्य को आवेदन लिखते हुए यह निवेदन करें कि पुस्तकालय में हिन्दी की पत्रिकाएँ मँगवायी जाएँ।

उत्तर –

गोविन्द मित्रा रोड
पटना – 800020
04.04.2017
प्रिय आकाश,
          नमस्कार। मैं यहाँ सकुशल हूँ। आशा करता हूँ, तुम भी सकुशल होगे। मैं पिछले सप्ताह राजगीर (बिहार) गया था। यह बड़ा ही रमणीय पर्यटन स्थल है। यहाँ गर्म कुण्ड में सल्फरयुक्त पानी गिरता है। जाड़े में स्नान करने में बड़ा मजा आता है। इसमें स्नान करने से चर्म रोग भी नहीं होता है। अगर चर्म रोग हुआ है तो वह दूर हो जाता है।
          रज्जु मार्ग से कुर्सियों पर बैठकर आसमान की सैर करने में बड़ा आनन्द आता है। उन कुर्सियों से नीचे की ओर देखने पर स्वर्ग सा नजर आता है। पहाड़ के ऊपर बुद्ध भगवान की सोना (स्वर्ण) की मूर्तियाँ हैं। वहाँ पूजा-पाठ भी चलता रहता है। बुद्ध ने जीवन में मध्यम मार्ग पर चलने की अद्भुत प्रेरणा दो थी ।
          मित्रों के साथ वहाँ सैर करने से आनन्द में भी वृद्धि हो जाती है। राजगीर में सरकारी पर्यटन विभाग के विश्राम भवन में भोजन का बड़ा बढ़िया इन्तजाम था। यात्रा रोमांचक रही। तुम भी राजगीर जरूर घूम लेना।
तुम्हारा अभिन्न
अमरेश
अथवा,
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय
उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गोना।
विषय : पुस्तकालय में हिन्दी की पत्रिकाएँ मँगवाने हेतु ।
         महोदय, निवेदन है कि पुस्तकालय में हिन्दी की पत्रिकाएँ नहीं आती हैं। इसलिए हिन्दी भाषी छात्रों को असुविधा महसूस हो रही है ।
                 अतः आग्रह है कि हिन्दी की पत्रिकाएँ की मँगवाने का आदेश प्रदान करें।
आपका विश्वासी छात्र
मोहित कुमार
4. निम्न प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर 50-70 शब्दों में दें –
(i) लहना सिंह ने बोधा के प्रति किस त्याग का परिचय दिया था ?
(ii) जयप्रकाश नारायण किस प्रकार का नेतृत्व देना चाहते थे ?
(iii) भगत सिंह के अनुसार देश को कैसे युवकों की आवश्यकता है?
(iv) नामवर सिंह किन कविताओं को श्रेष्ठ मानते हैं?
(v) तुलसी ने ‘अम्ब’ कहकर किसको संबोधित किया है और क्यों ?
(vi) कबीर विषयक छप्पय में नाभादास ने कबीर के बारे में क्या कहा है ?
(vii) अशोक वाजपेयी रचित ‘हार-जीत’ कविता का केन्द्रीय भाव क्या है ?
(viii) हरिचरण को हरचरना क्यों कहा गया है ?

उत्तर – (i) लहना सिंह ने बोधा के प्रति विशुद्ध प्रेम, त्याग एवं बलिदान का आदर्श स्थापित किया है। इसमें यह पूर्णरूपेण सफल भी रहा है।

(ii) जयप्रकाश नारायण युवाओं के हाथों में नेतृत्व देकर उनका मार्गदर्शन करना चाहते थे। युवाओं ने उनके इस मार्गदर्शन विचार को नकार दिया। युवाओं के आग्रह पर उन्होंने इस शर्त पर नेतृत्व स्वीकार किया कि – मैं सुनूँगा सबकी पर फैसला मेरा होगा।
(iii) भगत सिंह के अनुसार देश को जुझारू, कर्मठ एवं बलिदानी युवकों की आवश्यकता है, जो देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दे।
(iv) नामवर सिंह जीव, जगत और प्रकृति के विविध रूप रंगों से युक्त कविताओं को श्रेष्ठ मानते हैं। कवि की बहिर्मुखी आक्रामकता का भी कविता में दर्शन होता है।
(v) तुलसी ने ‘कबहुँक अम्ब अवसर पाई’ कहकर माँ सीता को अम्ब कहा है। अंब शब्द सीता जी के लिए तुलसी दास द्वारा सम्मान प्रदर्शित करने के लिए किया गया है।
(vi) कबीर का व्यक्तित्व अक्खड़ था। उन्होंने योग, यज्ञ, व्रत, दान और भजन के महत्त्व का सटीक वर्णन किया है। हिन्दू-तुर्क के बीच समन्वय एवं एकता का बीज बोया है ।
(vii) ‘हार-जीत’ कविता में देश की ज्वलंत समस्याओं की ओर कवि ने ध्यान आकृष्ट किया है। भारत की जनता अबोध और चेतनाविहीन है। वह अंधविश्वासों और अफवाहों में जी रही है। सत्य से कोसों दूर नीति-नियम हैं। सिद्धांत और व्यवहार में काफी असमानता है।
(viii) ‘हरचरना’ हरिचरण का तद्भव रूप है। कवि रघुवीर सहाय ने अपनी कविता ‘अधिनायक’ में ‘हरचरना’ शब्द का प्रयोग किया है, ‘हरिचरण’ नहीं । यहाँ कवि ने लोक संस्कृति की पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए ठेठ तद्भव शब्द का प्रयोग किया है। इससे कविता की लोकप्रियता बढ़ती है। कविता में लोच एवं उसे सरल बनाने हेतु ठेठ तद्भव शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
5. निम्न प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर 150-250 शब्दों में दें –
(i) लहना सिंह का चरित्र चित्रण करें।
(ii) ‘अर्द्धनारीश्वर’ में व्यक्त विचारों का सारांश लिखें।
(iii) ‘सिपाही की माँ’ की कथा-वस्तु प्रस्तुत करें।
(iv) सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना ‘पुत्र वियोग’ का सारांश लिखें।
(v) ‘जन-जन का चेहरा एक’ कविता का केन्द्रीय विषम क्या है ?
(vi) ‘प्यारे नन्हें बेटे को’ कविता का सारांश लिखिए।
उत्तर – (i) लहना सिंह ब्रिटिश सेना का एक सिक्ख जमादार है। वह भारत से दूर विदेश (फ्रांस) में जर्मन सना के विरुद्ध युद्ध करने के लिए भेजा गया है। वह एक कर्त्तव्यनिष्ठ सैनिक है। अदम्य साहस, शौर्य एवं निष्ठा से युक्त वह युद्ध के मोर्चे पर डटा हुआ है। विषम परिस्थितियों में भी कभी वह हतोत्साहित नहीं होता। अपने प्राणों की परवाह किए बिना वह युद्धभूमि में खंदकों में रात-दिन पूर्ण तन्मयता के साथ कार्यरत रहता है। कई दिनों तक खंदक में बैठकर निगरानी करते हुए जब वह ऊब जाता है तो एक दिन वह अपने सूबेदार से कहता है कि यहाँ के इस कार्य (ड्यूटी) से उसका मन भर गया है, ऐसी निष्क्रियता से वह अपनी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। वह कहता है— “मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुक्म मिल जाए, फिर सात जर्मन को अकेला मारकर न लौटूं तो मुझे दरबार साहब की देहली पर मत्था टेकना नसीब न हो।” उसके इन शब्दों में दृढ़ निश्चय एवं आत्मोत्सर्ग की भावना निहित है। वह शत्रु से लोहा लेने के लिए इतना ही उत्कंठित है कि उसका कथन जो इन शब्दों में प्रकट होता है— “बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही । ” शत्रु की हर चाल को विफल करने की अपूर्व क्षमता एवं दूरदर्शिता उसमें थी। “
          (ii) देखें ‘अर्द्धनारीश्वर’ निबन्ध राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित एक प्रेरक निबंध है। ‘अर्द्धनारीश्वर’ दिनकर का एक प्रिय मिथकीय प्रतीक है। अर्द्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का काल्पनिक रूप है, जिसका आधा अंग पुरुष का और आधा अंग नारी का होता है। एक ही मूर्ति की दो आँखें, एक रसमयी और दूसरी विकराल; एक ही मूर्ति की दो भुजाएँ – एक त्रिशूल उठाये और दूसरी की पहुँची पर चूड़ियाँ एवं एक ही मूर्ति के दो पाँव, एक जरीदार साड़ी से आवृत और दूसरा बाघंबर से ढंका हुआ, यह कल्पना निश्चय ही शिव और शक्ति के बीच पूर्ण समन्वय दिखाने के लिए रची गयी होगी।
          अर्द्धनारीश्वर की कल्पना में कुछ इस बात का भी संकेत है कि नर-नारी पूर्णरूप से समान हैं और उनमें से एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते। परन्तु अर्द्धनारीश्वर का यह रूप आज समाज में देखने को नहीं मिलता। संसार में सर्वत्र पुरुष-पुरुष हैं और स्त्री स्त्री । संसार में त्री और पुरुष में दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। पुरुष एवं नारी के गुणों के बीच एक विभाजन रेखा बन गई है और इस रेखा को पार करने में दोनों को भय लगता है। आदि मानव में नर-नारी का यह भेद थोड़ा-सा भी नहीं था। दोनों साथ-साथ आखेट करते थे। उन दिनों नर बलिष्ठ और नारी इतनी दुर्बल नहीं थी। आहार के मामले में भी वे एक-दूसरे पर निर्भर नहीं थे। नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया। इसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिन्दगी दो टुकड़ों में बँट गई।
          अतः प्रत्येक नर को एक हद तक नारी और प्रत्येक नारी को एक हद तक नर बनाना भी आवश्यक है। गाँधीजी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में नारीत्व की भी साधना की थी। ‘बापू, मेरी माँ’ नामक पुस्तक में इसका संकेत मिलता है। वास्तव में, दया, माया, सहिष्णुता ये त्रियोचित गुण कहे जाते हैं। साथ ही, नारी साहस एवं शूरता का भी प्रतिनिधित्व करती है। संक्षेप में अर्द्धनारीश्वर केवल इसी बात का प्रतीक नहीं है कि नारी और नर जब तक अलग हैं तब तक दोनों अधूरे हैं, बल्कि इस बात का भी कि पुरुष में नारीत्व की ज्योति जगे, और यह कि प्रत्येक नारी में भी पौरुष का स्पष्ट आभास हो ।
          (iii) ‘सिपाही की माँ’ एकांकी नाटक है। यह एकांकी मोहन राकेश द्वारा रचित और संकलित एकांकी संकलन ‘अंडे के छिलके तथा अन्य एकांकी’ से लिया गया है जिसे हमारी पाठ्यपुस्तक में संगृहीत किया गया है। इस एकांकी के प्रथम दृश्य में एक ऐसी माँ की बेचैनी को प्रस्तुत किया गया है जिसका बेटा फौज में भर्ती होकर अँगरेजी सरकार की तरफ से जापानियों से लड़ने बर्मा गया है। दो महीने हो गए, उसकी कोई चिट्ठी नहीं आई है। चिंता के मारे वह बेहाल हुई जा रही है। बेटी मुन्नी ब्याहने योग्य न हुई होती, तो वह उसे फौज में भर्ती होने की सलाह न देती। छह माह एक साल के अंदर मुन्नी की शादी जरूरी है, इसीलिए तो उसने (बिशनी ने) अपने पुत्र मानक को फौज में भर्ती होने दिया। अगर लड़की के ब्याह की चिंता न होती, तो वह सपरिवार आधा पेट खाकर ही रह जाती, पर उसे कभी लड़ाई पर न भेजती।
          मुन्नी अपनी माँ को बार-बार धैर्य देती हुई कहती है कि अगले मंगलवार को भैया की चिट्ठी अवश्य आएगी। कितने मंगलवार निकल जाते हैं, पर मानक का पत्र नहीं आता। डाकवाली गाड़ी आती है और बिशनी तथा मुन्नी को निराश करके चली जाती है। गाँव के चौधरी से यह सुनकर कि हर रोज बर्मा से आनेवाला कोई-न-कोई जहाज डूब जाता है, बिशनी उदास हो जाती है। मानक (सिपाही) अपनी माँ का इकलौता बेटा है और विवाह के योग्य (चौदह बरस की) अपनी बहन का इकलौता भाई है। उसी पर घर की सारी आशा टिकी हुई है।
          दूसरा दृश्य शुरू होता है। रात हो गई है। बिशनी और मुन्नी को नींद नहीं आती। मुन्नी तारो और बंतो की बात करती है अपनी माँ से । तारो अपनी ससुराल से आई है। उसके पति ने उसके लिए सुच्चे मोतियों के कड़े बनवा दिए हैं। वह उसे गाँव में सबको दिखाती फिरती है। उसके कड़े के मोती तारों की तरह चमकते हैं। बंतो के कड़े भी उसके सामने कुछ नहीं हैं। मुन्नी के मन में भावी पति के सपने मंद्ररव करनेवाले बादलों की तरह उमड़ने-घुमड़ने लगते हैं।
          दूर कहीं एक कुत्ता रो रहा है। गोली चलने की आवाज साफ सुनाई दे रही है। कई व्यक्तियों के कराहने की आवाजें आती हैं। विशनी स्वप्न में ही उठ बैठती है और ‘मानक! मानक!’ कहकर अपने पुत्र को पुकारने लगती है। उसे कुछ ऐसी आवाज सुनाई पड़ रही है जैसे दूर आँधी चल रही हो। बाहर से एक घायल व्यक्ति की आवाज सुनाई पड़ती है। घायल व्यकित ‘माँ, माँ’ कहता हुआ अंदर आता है। वह फौजी लिबास में उसका बेटा मानक है जो युद्ध करते समय घायल हो गया है। मानक अपनी माँ के पैरों पर गिर पड़ता है। बिशनी (सिपाही की माँ) उसे अपनी गोद में समेट लेती है। मानक घायल और भयभीत है। वह अपनी माँ से कहता कि मैंने युद्ध में जिसे कई गोलियाँ मारी थीं, वह मरा नहीं, वह मेरे पीछे पड़ा हुआ है। वह मुझ मारेना चाहता है। वह मुझे नहीं छोड़ेगा, वह बड़ा खतरनाक है।
          बिशनी सिपाही को अपनी सौगंध दिलाती है कि वह मानक को नहीं मारेगा। इसी बीच मानक सिपाही पर झपट पड़ता है। मानक की माँ मानक की बंदूक के कुंदे के सामने आकर कहती है, “नहीं मानक, तू इसे नहीं मारेगा! यह भी हमारी तरह गरीब आदमी है।
          चार-छह गोलियाँ चलती हैं। सिपाही के कराहने की आवाज आती है। अचानक खामोशी छा जाती है। बिशनी मानक! मानक ! कहकर चिल्ला उठती है। वह शायद कहना चाह रही है –  मानक तुमने यह क्या किया? उसकी नींद टूट जाती है। मुन्नी ‘मानक’ की आवाज सुनकर उठ बैठती है। ते मुन्नी माँ से कहती है,
          मुन्नी “माँ तुम रोज भैया के ही सपने देखती हो, मैंने तुमसे कहा था, अगले महीने भैया की चिट्ठी अवश्य आएगी।”
          बिशनी मानक की चिट्ठी और उसके आने की कल्पना में खो जाती है। मुन्नी के यह कहने पर कि भैया जरूर आएँगे और वे मेरे लिए जो कड़े लाएँगे, वे तारो और बंतो के कड़ों से भी अच्छे होंगे, बिशनी की आँखों से टप-टप पानी बरसने लगता है।
          (iv) ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता में अपने बेटे की मौत के बाद शोकाकुल माँ के मन में उठनेवाले अनेक निराशाजनक तथा असंयमित विचार तथा उससे उपजी विषादपूर्ण मनःस्थिति को उद्घाटित किया गया है। कवयित्री अपने बेटे के आकस्मिक तथा अप्रत्याशित निधन से मानसिक तौर पर अशान्त है। वह अपनी विगत स्मृतियों को याद कर उद्विग्न है। एक माँ के हृदय में उठनेवाले झंझावात की वह स्वयं भुक्तभोगी है। कविता में कवयित्री द्वारा नितांत मनोवैज्ञानिक तथा स्वाभाविक चित्रण किया गया है। वस्तुतः कवयित्री ने अपने बेटे की मौत से उपजे दुःखिया माँ के शोकपूर्ण उद्गारों का स्वाभाविक एवं मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। ऐसी युक्तियुक्तपूर्ण एवं मार्मिक प्रस्तुति अन्यत्र दुर्लभ है। महादेवी वर्मा की एक मार्मिक कविता इस प्रकार है, जो माँ की ममता को प्रतिबिंबित करती है, “आँचल में है दूध और आँखों में पानी । “
          (v) “जन-जन का चेहरा एक” अपने में एक विशिष्ट एवं व्यापक अर्थ समेटे हुए हैं। कवि पीड़ित संघर्षशील जनता की एकरूपता तथा समान चिन्तनशीलता का वर्णन कर रहा है। कवि की संवेदना, विश्व के तमाम देशों में संघर्षरत जनता के प्रति मुखरित हो गई है, जो अपने मानवोचित अधिकारों के लिए कार्यरत हैं। एशिया, यूरोप, अमेरिका अथवा कोई भी अन्य महादेश या प्रदेश में निवास करने वाले समस्त प्राणियों का शोषण तथा उत्पीड़न के प्रतिकार का स्वरूप एक जैसा है। उनमें है। एक अदृश्य एवं अप्रत्यक्ष एकता है।
          उनकी भाषा, संस्कृति एवं जीवन-शैली भिन्न हो सकती है, किन्तु उन सभी के चेहरों में कोई अन्तर नहीं दीखता, अर्थात् उनके चेहरे पर हर्ष एवं विषाद, आशा तथा निराशा की प्रतिक्रिया, एक जैसी होती है।
          कहने का तात्पर्य यह है कि यह जनता दुनिया के समस्त देशों में संघर्ष कर रही है अथवा इस प्रकार कहा जाए कि विश्व के समस्त देश, प्रान्त तथा नगर- सभी स्थान के “जन-जन” (प्रत्येक व्यक्ति) के चेहरे एकसमान हैं। उनकी मुखाकृति में किसी प्रकार की भिन्नता नहीं है। आशय स्पष्ट है, विश्वबंधुत्व एवं उत्पीड़ित जनता जो सतत् संघर्षरत् है, उसी की पीड़ा का वर्णन कवि कर रहा है।
          (vi) ‘प्यारे नन्हें बेटे को’ शीर्षक कविता का नायक भिलाई, छत्तीसगढ़ का रहने वाला है। वह अपने प्यारे नन्हें बेटे को कंधे पर बैठाए अपनी नन्हीं बिटिया से, जो घर के भीतर बैठी हुई है, पूछता है कि “बतलाओ आसपास कहाँ-कहाँ लोहा है।” वह अनुमान करता है कि उसकी नन्हीं बिटिया उसके प्रश्न का उत्तर अवश्य देगी। वह बतलाएगी कि चिमटा, कलछुल, कढ़ाई तथा जंजीर में लोहा है । वह यह भी कहेगी कि दरवाजे के साँकल (कुंडी) कब्जे, सिटकिनी तथा दरवाजे में धँसे हुए पेंच (स्क्रू) के अन्दर भी लोहा है। उक्त बातें वह पूछने पर तत्काल कहेगी। उसे यह भी याद आएगा कि लकड़ी के दो खंभों पर बँधा हुआ तार भी लोहे से निर्मित है, जिसपर उसके बड़े भाई की गीली चड्डी है। वह यह कहना भी नहीं भूलेगी कि साइकिल और सेफ्टीपिन में भी लोहा है।
          उस दुबली-पतली किन्तु चतुर (बुद्धिमती) नन्हीं बिटिया को कवि शीघ्रातिशीघ्र बतला देना चाहता है कि इसके अतिरिक्त अन्य किन-किन सामग्रियों में लोहा है जिससे उसे इसकी पूरी जानकारी मिल जाए। कवि उसे समझाना चाहता है कि फावड़ा, कुदाली, टँगिया, बसुला, खुरपी, बैलगाड़ी के चक्कों का पट्टा तथा बैलों के गले में काँसे की घंटी के अन्दर की गोली में लोहा है।
          कवि की पत्नी उसे विस्तार से बतलाएगी किबाल्टी, कुएँ में लगी लोहे की घिरनी, हँसियाँ और चाकू में भी लोहा है। भिलाई के लोहे की खानों में जगह-जगह लोहे के टीले हैं?
          इस प्रकार कवि का विचार है कि वह समस्त परिवार के साथ मिलकर तथा सोच-विचार कर लोहा की खोज करेगा। संपूर्ण घटनाक्रम की तह तक जाकर वह पता लगा पाएगा कि हर मेहनतकश आदमी लोहा है।
6. संक्षेपण करें –
ज्ञानी लोग प्रायः मौन साधना इसलिए किया करते हैं कि उनकी जिव्हा से कभी आवेश में या उत्तेजना में अचानक कोई ऐसा कुवाक्य न निकल जाए, जिससे संसार को मुँह दिखाने में शर्म मालूम पड़े और उस समय ज्ञान एवं विद्वत्ता के होते हुए भी हम अपने को सुखी न कर सकें। जितनी मौन साधना की जाएगी, उतनी ही अधिक वाणी को सद्गति प्राप्त होगी तथा आत्मा को विश्व-तोषिणी शांति मिलेगी। प्राचीन भारत के ऋषि-मुनि निर्जन विपिन में वर्षों तक कौन-साधना करके आत्मा के लिए दृढ़ चरित्र और जिव्हा के लिए शीतल अमृत वाणी उपलब्ध करते थे।

उत्तर – शीर्षक: ज्ञानियों की मौन साधना

ज्ञानी मौन साधक होते हैं। वे मौन रहकर आत्मा के लिए दृढ़ चरित्र और जिह्वा के लिए अमृत वाणी उपलब्ध कराने वाले होते हैं। ज्ञानी कुवाक्य निकालने से डरते हैं।
2019 (A) 
हिन्दी (Hindi)
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न) 
प्रश्न-संख्या 1 से 50 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपनी द्वारा चुने गये सही विकल्प को चिन्हित करें। 
1. खरा का विलोम है –
(A) खोटा
(B) परा
(C) लेटा
(D) बैठा
उत्तर – (A) खोटा
2. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित रचना है –
(A) उर्वशी
(B) रेणुका
(C) कुरुक्षेत्र
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) उर्वशी
3. ‘समाज’ का विशेषण है –
(A) सामाजिक
(B) सामाजिकी
(C) समाजयोग्य
(D) असमाजिक
उत्तर – (A) सामाजिक
4. ‘विद्यालय’ का सन्धि विच्छेद है –
(A) विद्या + लय
(B) विद्या + आलय
(C) विद्या + अलय
(D) विद्या + आलाय
उत्तर – (B) विद्या + आलय
5. ‘घुटने टेकना मुहावरे का अर्थ है –
(A) हार मानना
(B) योगा करना
(C) अभिवादन करना
(D) लज्जित होना
उत्तर – (A) हार मानना
6. ‘सम्पूर्ण क्रांति’ के रचनाकार हैं –
(A) जे. कृष्णमूर्ति
(B) भगत सिंह
(C) जयप्रकाश नारायण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) जयप्रकाश नारायण
7. उद्दण्ड का विलोम है –
(A) विनम्र
(B) खूँखार
(C) कठोर
(D) कर्कश
उत्तर – (A) विनम्र
8. ‘उसने कहा था ‘ किस प्रकार की कहानी है ? 
(A) चरित्र प्रधान
(B) कर्म प्रधान
(C) धर्म प्रधान
(D) वात्सल्य प्रधान
उत्तर – (B) कर्म प्रधान
9. ‘बातचीत’ शीर्षक निबन्ध के निबन्धकार हैं –
(A) नामवर सिंह
(B) बालकृष्ण भट्ट
(C) जे. कृष्णमूर्ति
(D) उदय प्रकाश
उत्तर – (B) बालकृष्ण भट्ट
10. ‘आनन्दित’ में कौन-सा प्रत्यय है ?
(A) दित
(B) इत
(C) दित
(D) इत्
उत्तर – (B) इत
11. तुलसीदास के दीक्षा गुरु थे – 
(A) अग्रदास
(B) नरहरिदास
(C) सूरदास
(D) महादास
उत्तर – (B) नरहरिदास
12. “फौजी वहाँ लड़ने के लिए हैं, वे भाग नहीं सकते। जो फौज छोड़कर भागता है, उस गोली मार दी जाती है – ।” उपर्युक्त उदाहरण किस पाठ से लिया गया है ?
(A) सिपाही की माँ
(B) उसने कहा था
(C) ओ सदानीरा
(D) प्रगीत और समाज ‘
उत्तर – (A) सिपाही की माँ
13. ‘आजकल’ कौन-सा समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B) सूरदास
(C) कर्मधारय
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (D) द्वन्द्व
14. ‘सूरसागर’ के कवि हैं –
(A) कबीरदास
(B) अव्ययीभाव
(C) नामादास
(D) कुम्भनदास
उत्तर – (B) अव्ययीभाव
15. ‘पंचवटी’ कौन-सा समास है ?
(A) कर्मधारय
(B) द्वन्द्व
(C) द्विगु
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) द्विगु
16. ‘खून-पसीना एक करना’ मुहावरे का अर्थ है –
(A) युद्ध करना
(B) बहुत परिश्रम करना
(C) उल्टा काम करना
(D) बहुत क्रोधित होना
उत्तर – (B) बहुत परिश्रम करना
17. ‘मलयज’ की रचना नहीं है –
(A) न आने वाला कल
(B) सदियों का संताप
(C) बकलम खुद
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (D) इनमें से कोई नहीं
18. ‘उपवास’ में कौन-सा उपसर्ग है?
(A) उप
(B) उत
(C) उप्
(D)अप
उत्तर – (A) उप
19. ‘साकार’ का विलोम है –
(A) निराकार
(B) कुआकार
(C) बेकार
(D) अतिकार
उत्तर – (A) निराकार
20. हाथ-पैर कौन सा समास है
(A) द्वन्द्द
(B) द्विगु
(C) तत्पुरुष
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) द्वन्द्द
21. कामचोर कौन-सा समास है ? 
(A) बहुव्रीहि
(B)तत्पुरुष
(C) अव्ययीभाव
(D) कर्मधारय
उत्तर – (B)तत्पुरुष
22. आत्मा का विशेषण है –
(A) आत्मजा
(B) आत्मीय
(C) आत्मिक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) आत्मीय
23. ‘नयन’ का संधि-विच्छेद है –
(A) ने + अन
(B) न + यन
(C) ने + एन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) ने + अन
24. ‘जिसने गुरु से दीक्षा लीहो’ एक शब्द ने कहा जाता है— 
(A) शिक्षित
(B) दीक्षित
(C) पंडित
(D) आचार्य
उत्तर – (B) दीक्षित
25. ‘निन्दा’ का विलोम है –
(A) स्तुति
(B) पूजा
(C) प्रशंसा
(D) आराधना
उत्तर – (C) प्रशंसा
26. ‘हार-जीत’ कविता किस कविता संग्रह से ली गई है ?
(A) कहीं नहीं वहीं
(B) अधिनायक
(C) दस तस्वीरें
(D) जिन्होंने जीना जाना
उत्तर – (A) कहीं नहीं वहीं
27. ‘लम्बोदर’ कौन-सा समास है ?
(A) कर्मधारय
(B) अव्ययीभाव
(C) बहुब्रीहि
(D) द्विगु
उत्तर – (C) बहुब्रीहि
28. निम्नांकित उदाहरण किस पाठ से लिया गया है ?
(A) सम्पूर्ण क्रांति
(B) सिपाही की माँ
(C) प्रगीत और समाज
(D) पुरस्कार
उत्तर – (A) सम्पूर्ण क्रांति
29. ‘धरती’ का विलोम है –
(A) आकाश
(B) पाताल
(C) भूमि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) आकाश
30. ‘निश्चय’ का संन्धि विच्छेद है –
(A) निः + चय,
(B)निश + चय
(C) निश + चय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) निः + चय,
31. ‘उद्घाटन’ का संन्धि-विच्छेद है-
(A) उद् + घाटन
(B) उत+ घाटान
(C) उत् + घाटन
(D) उद+ घाटन
उत्तर – (C) उत् + घाटन
32. ‘जन-जन का चेहरा एक’ शीर्ष कविता के कवि है-
(A) ज्ञानेन्द्रपति
(B) गजानम माधव मुक्तिबोध
(C) नामवर सिंह
(D) अशोक वाजपेयी
उत्तर – (B) गजानम माधव मुक्तिबोध
33. ‘भूषण किस काल के कवि माने जाते हैं?
(A) रीतिकाल
(B) आधुनिक काल
(C) आदिकाल
(D) भक्तिकाल
उत्तर – (A) रीतिकाल
34. ‘देवता का पर्यायवाची शब्द है –
(A) देव
(B) पुरुषोत्तम
(C) विप्र
(D) अवनी
उत्तर – (A) देव
35. ‘आपे से बाहर होना’ मुहावरे का अर्थ है –
(A) घर से बाहर हो जाना
(B) भला-बुरा न समझना
(C) बहुत क्रोधित होना
(D) व्यर्थ की बाते करना
उत्तर – (C) बहुत क्रोधित होना
36. ‘अवल का अन्धा’ मुहावरे का अर्थ है –
(A) दृष्टिहीन होना
(B) मूर्ख होना
(C) चालाक होना
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) मूर्ख होना
37. ‘तुलसीदास’ किस काल के कवि हैं?
(A) भक्तिकाल
(B) आदिकाल
(C) रीतिकाल
(D) आधुनिक काल
उत्तर – (A) भक्तिकाल
38. ‘जगन्नाथ’ का सन्धि-विच्छेद है-
(A) जगत् + नाथ
(B) जगत + नाच
(C) जग + नाथ
(D) जगत + नाथ
उत्तर – (A) जगत् + नाथ
39. ‘वैद्य’ का विलोम है
(A) नवैद्य
(B) अवैद्य
(C) कुवैद्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) अवैद्य
40. ‘ज्ञात’ का विलोम है –
(A) अनजान
(B) अज्ञात
(C) नासमझ
(D) बेज्ञात
उत्तर – (B) अज्ञात
41. कड़बक किनकी रचना है ?
(A) तुलसीदास
(B) मलिक मुहम्मद जायसी
(C) कबीरदास
(D) केशवदास
उत्तर – (B) मलिक मुहम्मद जायसी
42. ‘गाँव का घर’ शीर्षक कविता किस कविता संग्रह की है ? 
(A) मातृभूमि
(B) पुत्र वियोग
(C) संशयात्मा
(D) उषा
उत्तर – (C) संशयात्मा
43. ‘रोज’ कहानी के कहानीकार हैं –
(A) अज्ञेय
(B) मोहन राकेश
(C) मलयज
(D) बालकृष्ण भट्ट
उत्तर – (A) अज्ञेय
44. ‘पृथ्वी’ का पर्यायवाची शब्द है –
(A) भूमि
(B) मिट्टी
(C) पाताल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) भूमि
45. ‘अपना उल्लू सीधा करना’ मुहावरे का अर्थ है –
(A) चापलूसी करना
(B) अपना काम निकालना
(C) चालाकी करना
(D) मूर्ख बनाना
उत्तर – (B) अपना काम निकालना
46. रघुवीर सहाय का जन्म स्थान है  –
(A) आगरा
(B) मेरठ
(C) लखनऊ
(D) प्रयास
उत्तर – (C) लखनऊ
47. मालती के पति का नाम है – 
(A) चन्देश्वर
(B) समेश्वर
(C) महेश्वर
(D) रामनाथ
उत्तर – (C) महेश्वर
48. रंगून कहाँ है?
(A) नेपाल में
(B) वर्मा में
(C) जपान में
(D) चीन में
उत्तर – (B) वर्मा में
49. ‘उसने कहा था’ कहानी का नायक है’
(A) लहना सिंह
(B) बोधा सिंह
(C) बजीरा सिंह
(D) हजारा सिंह
उत्तर – (A) लहना सिंह
50. ‘भारत’ का विशेषण है –
(A) भारतीय
(B) भरतीया
(C) भरत
(D) अभारतीय
उत्तर – (A) भारतीय
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न )
1. किसी एक पर निबंध लिखें –
(क) वसंत ऋतु
(ख) हिन्दी हैं हम
(ग) पर्यावरण संरक्षण
(घ) शिक्षित बेरोजगारी की समस्या
(ङ) ग्राम पंचायत
(च) मेरे प्रिय कवि

उत्तर – (क) वसंत ऋतु :

          ऋतुएँ तो अनेक हैं लेकिन वसंत की संज-धज निराली है। इसीलिए वह ऋतुओं का राजा, शायरों- कवियों का लाड़ला, धरती का धन है। वस्तुत: इस ऋतु में प्रकृति पूरे निखार पर होती है।
वसन्त ऋतु का प्रारंभ वंसत पंचमी से ही मान लिया गया है, लेकिन चैत और बैशाख ही वसन्त ऋतु के महीने हैं। वसन्त ऋतु का समय समशीतोष्ण जलवायु का होता है। चिल्ला जाड़ा और शरीर को झुलसाने वाली गर्मी के बीच वसन्त का समय होता है। वसन्त के आगमन के साथ ही प्रकृति अपना शृंगार करने लगती है। लताएँ मचलने लगती हैं और वृक्ष फूलों-फलों से लद जाते हैं। दक्षिण दिशा से आती मदमाती बयार बहने लगती है। आम की मँजरियों की सुगन्ध वायुमंडल को सुगन्धित कर देती है। मस्त कोयल बागों में कूकने लगती है। सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं और उनकी भीनी-भीनी तैलाक्त गन्ध सर्वत्र छा जाती हैं। तन-मन में मस्ती भर जाती है। हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेज कवियों ने वसंत का मनोरम वर्णन किया है। कालिदास, वर्ड्सवर्थ, पंत, दिनकर का वसंत-वर्णन पढ़कर किसका मन आनादित नहीं होता?
          स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वसन्त ऋतु का महत्त्व बहुत अधिक है। न अधिक जाड़ा पड़ता है, न गर्मी । गुलाबी जाड़ा, गुलाबी धूप। जो मनुष्य आहार-विहार को संयमित रखता है, उसे वर्षभर किसी प्रकार का रोग नहीं होता है। इस ऋतु में शरीर में नये खून का संचार होता है। वात और पित्त का प्रकोप भी शांत हो जाता है। इस प्रकार, इस ऋतु में स्वास्थ्य और शारीरिक सौंदर्य की भी वृद्धि होती है।
          सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि इस समय फसल खेतों से कटकर खलिहानों में आ जाती है। लोग निश्चित हो जाते हैं और यह निश्चितता उन्हें खुशी से भर देती है। लोग ढोल-झाल लेकर बैठ जाते हैं होली के गीत उनके गले से निकलकर हवा में तैरने लगते हैं- होली खेलत नन्दलाल, बिरज में… होली खेलत नन्दलाल ।
          वसंत उमंग, आनन्द, काव्य, संगीत और सौंदर्य की ऋतु है। यह स्नेह और सौंदर्य का पाठ पढ़ाता है। यही कारण है कि सारी दुनिया में वसन्त की व्याकुलता से प्रतीक्षा होती है।
(ख) हिन्दी हैं हम :
          हर वर्ष 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। मातृभाषा होने के साथ-साथ देश की ज्यादातर आबादी की बोल-चाल की भाषा भी है। एक अनुमान के अनुसार देश करीब 65 करोड़ लोग हिन्दी भाषी हैं और विश्व भर में हिन्दी जानने वालों की तादाद 5 करोड़ से अधिक है। यही कारण है कि हिन्दी का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। आज इलेक्ट्रॉनिक चैनलों, समाचार पत्रों, पत्रिकाओं में हिन्दी नजर आता है।
          ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन के आँकड़ों के अनुसार हिन्दी और पत्रिकाओं की प्रसार संख्या सर्वाधिक है। डिजीटलीकरण के युग में अनेक वेब पोर्टल भी हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभा रहे हैं। आज लगभग सभी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के डिजीटल संस्करण उपलब्ध हैं और पाठक देश-विदेश के किसी भी कोने में बैठकर अपनी पसंद के विषय का समाचार पढ़ सकता है।
          इंटरनेट युग में हिन्दी का तेजी से विकास हुआ है और भारत के अलावा विश्व भर के 40 से अधिक देशों में 600 से अधिक विद्यालयों महाविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई और सिखाई जाती है लेकिन यदि दक्षिण भारत की बात करें तो राजनीतिक कारणों से यहाँ हिन्दी का लगातार विरोध किया जाता रहा है जबकि वहाँ की जनता को वास्तविकता समझनी चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि हिन्दी का विरोध करके वो देश की लगभग 65 करोड़ आबादी से अपने आपको अलग-अलग कर रहे हैं। हिन्दी आज विश्व स्तरीय भाषा बनती जा रही है और यही कारण है कि हिन्दी के पक्ष में एक बड़ा वर्ग और बाजार खड़ा हुआ है। हिन्दी के प्रति लेखकों प्रकाशकों और पाठकों का झुकाव निरंतर बढ़ रहा है और यह हिन्दीभाषी वर्ग के लिए गर्व की बात हैं। हिन्दी सिर्फ भारत में ही नहीं बोली जाती विदेशों- गुयाना, सूरीनाम, त्रिनीनाद, फिजी. मॉरिशस, दक्षिण अफ्रीका और सिंगापुर में भी यह अधिकांश लोगों की बोलचाल का भाषा है। जर्मन के स्कूलों में तो हिन्दी पढ़ाने के लिए विदेश मंत्रालय ने जर्मन सरकार ने समझौता किया है और वहाँ पर जर्मन हिन्दी रेडियो सेवा संचालित है।
(ग) पर्यावरण संरक्षण :
          शारीरिक पोषण, मानसिक विकास और जीवन के लिए भोजन, पानी और हवा की आवश्यकता होती है। इसलिए आवश्यक हो जाता है कि जल एवं वायु की स्वच्छता के महत्त्व को समझा जाए । आधुनिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों के सोपानों को तीव्रता से तय करते जा रहे मानव के लिए पर्यावरण के प्रति सावधानी और संवेदनशीलता अनिवार्य हो उठी है। अगर पर्यावरण के प्रति मनुष्य के अन्दर अब भी संवेदना नहीं जगी तो वह दिन दूर नहीं, जब समग्र सृष्टि विनाश के गह्वर में जा गिरेगी।
          पर्यावरण अन्य कुछ नहीं, हमारे आसपास का परिवेश है। वस्तुतः राजनीतिक और सामाजिक के साथ ही सांस्कृतिक पर्यावरण भी होते हैं और ये भी आज कम चिन्ताजनक स्थिति में नहीं हैं। पर्यावरण का यह संदर्भ आज सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण इसलिए हो गया है कि इसके दुष्परिणाम सीधे जीवन-मृत्यु के बीच की दूरी को लगातार कम करते जा रहे हैं। पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और हवा इन पाँच तत्त्वों से सृजित इस शरीर के लिए इन तत्त्वों की शुद्धता का महत्त्व कभी कम नहीं होता। इनमें संतुलन आवश्यक होता है। पेड़-पौधे, नदी, पर्वत, झरने, जीव-जन्तु, कीड़े- मकोड़े आदि सब मिलकर पर्यावरण को संतुलित रखने में सहयोग करते हैं। आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियों के चमत्कारों ने प्रकृति को चुनौती के रूप में देखना आरंभ किया और उसकी घोर अवहेलना एवं उपेक्षा की जाने लगी। पेड़ों का काटना, पशु-पक्षियों का मारा जाना, नदी-नालों में कचरे गिराना, बड़े-बड़े बाँधों के निर्माण आदि के         अविवेकी प्रयोगों ने सचमुच पर्यावरण को खतरे में डाल दिया है। लोग ऐसा मानने लगे हैं कि पेड़ों का अधिक होना किसी देश के पिछड़ेपन का प्रमाण है। इनकी जगह मिलों की चिमनियाँ दिखाई पंड़नी चाहिए। लेकिन, आज स्पष्ट हो चुका है कि पेड़ों को छोड़कर चिमनियों के सहारे मानवता अधिक दिनों तक नहीं टिक सकती। बाघ और सिंह जैसे हिंसक पशुओं के जीवन की भी महत्ता अब समझ में आने लगी है और उनके बध को भी दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। स्पष्ट हो चुका है कि बड़े-बड़े बाँधों से लाभ तो है, पर उनके प्रभाव से होने वाली हानियों की मात्रा भी अकल्पनीय है।
(घ) शिक्षित बेरोजगारी की समस्या :
          भूखा मनुष्य क्या पाप नहीं करता, धन से क्षीण मनुष्य दयनीय हो जाता है, उसे कर्तव्य और अकर्तव्य का विवेक नहीं होता है। वही दशा आज के युग में विद्यमान है। चारों ओर चोरी-डाकेतियों की दुघटनाएँ, छीना-झपटी, लूट-खसोट और कत्ल के हृदयविदारक समाचार सुनायी पड़ते हैं। कहीं बैंक खजाने को लूटने का समाचार अखबार में छपा हुआ मिलता है, कहीं गाड़ियों को रोकने व लूटने के हालात समाचार-पत्रों में पढ़ने को मिलते हैं। आज देश में स्थान-स्थान पर उपद्रव और हड़तालें हो रही हैं। हर व्यक्ति को अपनी और अपने परिवार की रोटियों की चिन्ता है, चाहे उनका उपार्जन सदाचार से हो या दुराचार से। आज चाहे फावड़ा चलाकर तथा पसीना बहाकर रोटियाँ खाने वाले श्रमिक हों, चाहे अनवरत बौद्धिक श्रम करने वाले, समाज के शत्रु, विद्वान, सभी बेकारी और बेरोजगारी के शिकार हैं। निरक्षर तो किसी तरह अपना पेट भर लेते हैं, किन्तु पढ़े-लिखों की आज बुरी हालत है। वे बेचारे क्या करें, केसे जीवन चलाएँ, यह आज की बड़ी कठिन समस्या है।
          आज हमारे समाज के शिक्षितों में बेरोजगारी है और कृषि के क्षेत्र में छिपी हुई बेरोजगारी है, क्योंकि एक आदमी के काम को चार आदमी मिलकर कर रहा है। आज कॉलेज की डिग्रियाँ प्राप्त कर शिक्षित नवयुवक नौकरियों की तलाश में भटक रहे हैं। वैभवशाली भावी – जीवन की उपलब्धि की आशा में उन्होंने अपने आत्मबल को खो दिया है। इस कारण समाज में बेकारों की संख्या द्रुतगति से बढ़ रही है। शिक्षित बेरोजगारों के लिए शिक्षा वरदान नहीं अभिशाप बन गई है। देश की दिनों-दिन बढ़ती हुई जनसंख्या बेकारी की समस्या को और भी बढ़ा रही है। साधन की सुविधाएँ और उत्पादन तो नहीं बढ़ा, परन्तु उपभोक्ता अधिक हो गए। हमारे देश की सामाजिक व धार्मिक परम्पराएँ भी बेकारी की समस्या को प्रोत्साहित करती हैं।
          बेरोजगारी के कारण युवा आक्रोश और असंतोष ने समाज में अव्यवस्था और अराजकता पैदा कर दी है। यदि इस भयानक समस्या का समाधान शीघ्र नहीं निकला तो देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति और भी अधिक भयानक हो जाने की संभावनाएँ हैं। यह एक भयावह स्थिति है और राष्ट्राध्यक्षों के लिए खतरे की घंटी है।
(ङ) ग्राम पंचायत :
          ग्राम पंचायत हमारे देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कार्य करने वाले ऐसे पाँच लोगों का समूह जो लोगों द्वारा चुने जाते हैं और जिन्हें लोग पंच कहते हैं ये पंच लोग मिलकर ग्राम की पंचायत बनाते हैं और ग्राम के विकास और किसी भी तरह की ग्रामीण समस्या को हल करने की जिम्मेदारी इस ग्राम पंचायत की होती है दरअसल गाँव के वयस्क लोग मिलकर ग्राम सभा रखते हैं और इस ग्राम सभा के लोग ही नई पंचों का चयन करते हैं और फिर पंचायत बन जाती है ग्राम के विकास के लिए बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है इन ग्राम पंचायतों में एक मुखिया भी होता है और इसका चुनाव 5 वर्ष में होता है।
          आज हम देखें तो स्वतंत्रता के बाद बहुत सारे बदलाव देखने को मिले हैं स्वतंत्रता के बाद इस तरह की पंचायत वाली प्रणाली से हर किसी को लाभ भी मिला है क्योंकि किसी भी तरह की ग्रामीण समस्या का हल पंच मिलकर करते हैं गाँव से अगर पानी की समस्या हैं तो पानी की समस्या को निपटाने के कार्य भी ग्राम पंचायत करती है। बहते हुए पानी को किस मार्ग से निकाला जाए पानी का निकासी द्वारा बनाने की योजना भी ग्राम पंचायत बनाती है और उसका प्रबंध भी करती है तालाब, नालो आदि का निर्माण भी ग्राम पंचायत करवाती है।
          गाँव की सड़कें और उनका नया निर्माण भी ग्राम पंचायतों के हाथ में होता है आजकल हम देखें तो विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हमारे समाज में फैल रही हैं इस वजह से स्वच्छता रखना बहुत जरूरी है और स्वच्छता रखने का कार्य भी ग्राम पंचायतों का भी होता है। ग्राम पंचायतें अपने गाँव को स्वच्छ रखने के लिए बहुत कुछ प्रयास करती हैं यह ग्राम पंचायतें बच्चों और नौजवानों के लिए खेल के मैदानों का प्रबंध करती हैं और यहाँ तक कि समय-समय पर वृक्षारोपण भी ग्राम पंचायत करवाती है क्योंकि पेड़ पौधे हमारे देश के वातावरण के लिए हमारे लिए ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते हैं। ग्राम पंचायत पेड़ लगाने का कार्य करवाती है यहाँ तक कि किसी तरह के विवाद को निपटाने के लिए भी ग्राम पंचायत मदद करती है।
          आजकल देखा जाता है कि बहुत से ऐसे गाँव हैं जहाँ के शहरी इलाका बहुत दूर है यह कह सकते हैं कि पुलिस स्टेशन बहुत दूर होता है जिस वजह से अगर ग्रामीणों में कोई भी घटना घटित होती है तो बहुत देर में समस्या का निपटारा होता है जिस वजह से गाँव की पंचायत इसमें महत्त्वपूर्ण निभाती है किसी भी तरह के झगड़े चोरी, डकैती करने वाले लोगों के खिलाफ एक्शन लेती है और उसे सजा भी देती है जिससे वह व्यक्ति दोबारा इस तरह के कर्म न करें।
(क) मेरे प्रिय कवि :
          बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ छायावाद के अग्रणी कवि हैं। यही मेरे प्रिय कवि एवं साहित्यकार हैं। ओज, पौरुष और विद्रोह के महाकवि हैं ‘निराला’ ।
         इनका जन्म बंगाल के महिषादल राज्य के मेदिनीपुर गाँव में 1897 में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित रामसहाय त्रिपाठी था। वह जिला उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। आजीविका के लिए वह बंगाल चले गए थे। ‘निराला’ की प्रारंभिक शिक्षा महिषादल में हुई। इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बँगला और अँगरेजी का अध्ययन किया। भाषा और साहित्य के अतिरिक्त इनकी रुचि संगीत और दर्शनशास्त्र में भी थी। ‘गीतिका’ में इनकी संगीत – रुचि का अच्छा प्रमाण मिलता है। ‘तुम और मैं’ कविता में इनकी दार्शनिक विचारधारा अभिव्यक्त हुई है। ‘निराला’ स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा विवेकानंद की दार्शनिक विचारधारा से काफी प्रभावित हुए।
          ‘निराला’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । कविता के अतिरिक्त इन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, निबंध, आलोचना और संस्मरण भी लिखे। इनकी महत्त्वपूर्ण काव्य-रचनाएँ हैं – ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘तुलसीदास’, ‘अनामिका’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘बेला’, ‘अणिमा’, ‘नए पत्ते’, ‘अर्चना’, ‘अपरा’, ‘आराधना’, ‘गीतकुंज’ तथा ‘सांध्यकाकली’। ‘तुलसीदास’ खण्डकाव्य है। इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं — ‘अप्सरा’, ‘अलका’, ‘प्रभावती’, ‘निरूपमा’, ‘चोटी की पकड़’, ‘काले कारनामे’ और ‘चमेली’। ‘कुल्ली भाट’ और ‘बिल्लेसुर बकरिहा’ इनके प्रसिद्ध रेखाचित्र हैं। इन रेखाचित्रों में जीवन का यथार्थ खुलकर सामने आया है। ‘चतुरी चमार’ और ‘सुकुल की बीबी’ इनकी प्रसिद्ध कहानियाँ हैं। ‘प्रबंध-पद्म’, ‘प्रबंध – प्रतिमा’ एवं ‘कविताकानन’ इनके आलोचनात्मक निबंधों के संग्रह हैं। .
          शृंगार, प्रेम, रहस्यवाद, राष्ट्रप्रेम और प्रकृति-वर्णन के अतिरिक्त शोषण के विरुद्ध विद्रोह और . मानव के प्रति सहानुभूति का स्वर भी इनके काव्य में पाया जाता है।
2. सप्रसंग व्याख्या करें –
(क) आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं, यथार्थ रचता भी है।
(ख) व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धांतों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है।
(ग) धनि सो पुरुख जस कीरति जासू।
फूल मरै पै मरे न बासू।।
(घ) शत न लग जाए, इस भय से,
नहीं गोद से जिसे उतारा।
छोड़ काम दौड़ कर आई,
‘मी’ कहकर जिस समय पुकारा।

उत्तर – (क) आदमी यथार्थ को जीता रहता है। अनेक घटनाएँ उसके सामने से गुजरती रहती हैं। नहीं चाहने पर भी जीना ही पड़ता है। ‘दुनिया में अगर आए हैं तो जीना ही पड़ेगा। जीवन है अगर जहर तो पीना ही पड़ेगा।’ जितने भी रचनाकार हैं वह यथार्थ को रचते भी रहते हैं।

          साधारण आदमी भी रचता-बनाता बिगाड़ता रहता है और रचनाकार भी।
          (ख) प्रस्तुत सारगर्भित व्याख्येय पंक्ति हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘संपूर्ण क्रांति’ पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत पाठ 5 जून, 1974 को पटना के गाँधी मैदान में जयप्रकाश नारायण के द्वारा दिए गए ऐतिहासिक भाषण का अंश है।
          जयप्रकाश नारायण को किसी व्यक्तिविशेष से दुश्मनी नहीं थी। उन्होंने छात्र-आंदेलन का नेतृत्व किसी व्यक्तिविशेष के विरोध के लिए नहीं स्वीकारा था। उनका अपना कोई राजनीतिक स्वार्थ नहीं था। वे तो व्यवस्था में आई जड़ता और सड़ाँध के विरोध में संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने जब देखा कि लोकतांत्रिक देश में लोकतंत्र का कहीं अता-पता ही नहीं है, तब उन्होंने वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना के लिए व्यवस्था के विरोध में संघर्ष का शुभारंभ किया। उन्हें न तो गफूर साहब (तत्कालीन बिहार राज्य के मुख्यमंत्री) से कोई झगड़ा था, और न तो इंदिरा गाँधी (तत्कालीन प्रधानमंत्री) से। जयप्रकाश नारायण के लिए व्यक्ति का कोई अर्थ नहीं था । व्यक्ति की लड़ाई छोटे लोग लड़ते हैं, जयप्रकाश जैसे महान राजनेता नहीं। जयप्रकाश बाबू का झगड़ा नीतियों, सिद्धांतों और कार्यों से था। यदि नीतियाँ, सिद्धांत और कार्य वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना में बाधक थीं, तो जयप्रकाशजी ने उनका हमेशा विरोध किया। 1974 का छात्र आंदोलन और जनआंदोलन व्यवस्था की गलत नीतियों, गलत सिद्धांतों, गलत योजनाओं तथा गलत कार्यों की प्रतिक्रिया में ही छिड़ा था जिसका नेतृत्व लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने अपने कंधों पर लिया था। जयप्रकाशजी ने अपने भाषण में यह स्पष्ट कर दिया कि व्यक्ति कितना भी महान या बड़ा क्यों न हो, यदि वह गलत नीतियों और गलत सिद्धांतों का पालन करता है, तो वे उसका अवश्य विरोध करेंगे। बड़ा-से-बड़ा व्यक्ति भी यदि लोकतंत्र के विरुद्ध कार्य और आचरण करता है, तो जयप्रकाश बाबू उसके विरोध में अवश्य खड़े होंगे। इसी संकल्प, दृढ़ता के आधार पर उन्होंने कई बार पूज्य बापू, महान राजनेता पंडित जवाहरलाल नेहरू और लालबहादुर शास्त्री की आलोचना की थी।
          (ग) प्रस्तुत व्याख्येय अर्द्धाली (अर्द्धाली, आधी चौपाई) हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित जायसी रचित ‘कड़बक’ शीर्षक कविता (‘पद्मावत’ के आदि अंत का भाग) से उद्धृत है। यह अर्द्धाली ‘कड़बक-2’ से ली गई है। ‘कड़बक-2’ जायसी के प्रबंधकाव्य ‘पद्मावत’ के ‘उपसंहार’ से लिया गया है।
          इस अर्द्धाली में जायसी कहते हैं कि इस पृथ्वी पर वही पुरुष धन्य है जिसकी कीर्ति उसके नहीं रहने पर भी सर्वत्र गूंजती रहती है। ऐसा व्यक्ति मरकर भी नहीं मरता। वह लोगों की स्मृति में सर्वदा जीवित रहता है। कहा भी गया है कि इस पृथ्वी पर वास्तव में वही जीवित होता है जिसकी कीर्ति जीवित होती है। फूल कुम्हलाकर डाली से जमीन पर गिर पड़ता है, उसका अंत हो जाता है। पर, उसकी सुगंध नहीं मरती ।
          कवि कहना चाह रहा है कि ‘पद्मावत’ में चित्रित पात्र अब जीवित नहीं हैं, पर लोग आज भी याद करते हैं। ‘पद्मावत’ के पात्र लोगों की स्मृतियों में आज भी जीवित हैं। कवि प्रकारांतर से यह भी कहना चाह रहा है कि मैंने ‘पद्मावती’ प्रबंधकाव्य की रचना की है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि लोग मेरे मरने के बाद इसी रचना के माध्यम से मुझे याद रखेंगे। मैं उनकी यादों सर्वदा जीवित रहूँगा।
          (घ) प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता से उद्धृत है। यह कविता सुभद्रा कुमारी चौहान के प्रतिनिधि काव्य संकलन ‘मुकुल’ से ली गई है। यह शोकगीत पुत्र के असामयिक निधन के बाद कवयित्री माँ द्वारा लिखा गया है, जिसमें पुत्र-निधन के बाद पीछे तड़पते रह गए माँ के हृदय के दारुण शोक की मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति है। यह विषादमय शोक गहरा होता हुआ भाव उत्कता प्राप्त करता है। वह अपने मृत पुत्र को याद करती हुई कहती है कि मैंने अपने पुत्र की सर्दी, गर्मी, बरसात तथा हर दुख से बचाने का प्रयास किया था। मेरे प्रिय पुत्र को सर्दी न लगे, वह बीमार न पड़े, इसलिए मैंने उसे गोद से जमीन पर नहीं उतरने दिया। इसने जब भी माँ कहते हुए मुझे आवाज लगाई मैं अपना सारा काम-काज छोड़कर उसके पास दौड़कर आई, ताकि उसकी जरूरतें पूरी कर सकूँ।
3. (क) अपनी बहन के वैवाहिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए अपने मित्र को पत्र लिखें।
   (ख) जुर्माना माफ कराने के लिए अपने महाविद्यालय के प्रधानाचार्य को आवेदन पत्र लिखें।

उत्तर – (क)

कुसुमाकर, A/141
सुभाषनगर, हनुमाननगर
गली संख्या 2, पटना – 20
12 फरवरी 2019
मित्रवर अनुराग,
स्नेह
          तुम्हें यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि मेरी बहन की शादी तय हो गई है। तिलक 11 अप्रैल को है और शादी 15 अप्रैल को। बड़े भैया, भाभी और बिट्टू 5 अप्रैल को ही यहाँ आ जाएँगे। तुम भी एक सप्ताह पहले आ जाते, तो बड़ा अच्छा रहता। सभी खरीदारी तुम्हारे आने पर ही होगी। विशेषकर, कपड़ों की खरीदारी तो तुम्हें ही करनी है। कोई बहाना चलेगा। तुम्हें निश्चित रूप से दस अप्रैल तक यहाँ आ जाना है।
तुम्हारा अभिन्न,
आशिष
(ख) 

सेवा में,

प्रधानाध्यापक,
पाटलीपुत्रा उच्चत्तर स्कूल, पटना !
द्वारा : वर्गाध्यापक महोदय
महाशय,
         सविनय निवेदन है कि मैं आपके स्कूल में बारहवें वर्ग का एक गरीब विद्यार्थी हूँ। मेरे पिताजी एक प्राइवेट दुकान के कर्मचारी हैं, उनकी मासिक आमदनी बहुत कम है। मेरी शिक्षा का व्यय नहीं जुटा सकते। इसी कारण यहाँ मेरी पूरी फीस माफ कर दें ।
         मैं पुस्तकें भी नहीं खरीद सकता हूँ। अतः आपसे अनुरोध करता हूँ कि दीन छात्र कोष से मुझे पाँच सौ रुपये का अनुदान पुस्तक खरीदने के लिए दिया जाए।
इस दयापूर्ण कार्य के लिए मैं हमेशा आपका कृतज्ञ रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
विवेक  कुमार
4. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें।
(i) दो हमजोली सहेलियों की बातचीत में क्या स्थिति होती है ?
(ii) फिरंगी मेम के बाग में क्या-क्या था?
(iii) ‘रोज’ कहानी का मालती ने किताब का क्या किया था ?
(iv) लपटन साहब (उसने कहा था कहानी का पात्र की जेब से क्या बरा द हुआ था ?
(v) जयप्रकाश नारायण की पत्नी का क्या नाम था ? किसकी पुत्री थी ?
(vi) जायसी की दो रचनाओं के नाम लिखें।
(vii) ब्रजभाषा के प्रारंभिक कवि कौन हैं ?
(viii) हिन्दी का श्रेष्ठतम महाकाव्य कौन-सा है ?
(ix) जयशंकर प्रसाद किस काव्य-धारा के कवि माने जाते हैं ?
(x) राष्ट्रीय पर्व पर किसका गुणगान गाया जाता है?

उत्तर – (i) दो हम सहेलियों की बातचीत का स्वाद ही (जायका ही) निराला होता है। भावविभोर होकर दो हम सहेलियाँ जब बातचीत करती हैं तब ऐसा लगता है मानो रस का समुद्र ही उमड़ा चला आ रहा हो।

(ii) फिरंगी मेम के बाग में मखमल की सी हरी घास है।
(iii) मालती ने उद्धृत स्वरों में कहा, मैं नहीं पढूँगी, किताब मैंने फाड़कर फेंक दी है।
(iv) ‘लपटन साहब’ ने जेब से बेल के बराबर तीन गोले निकाले ।
(v)  जयप्रकाश नारायण की पत्नी का नाम प्रभावती देवी था। वे ब्रज किशोर प्रसाद की पुत्री थी।
(vi) जायसी की दो रचनाओं के नाम: – (i) पद्मावत, (ii) अरवरावट है।
(vii) ब्रजभाषा के प्रारंभिक कवि ‘जगन्नाथदास रत्नाकर’ हैं।
(viii) हिन्दी का श्रेष्ठतम महाकाव्य चंदबरदाइकृत पृथ्वीराज रासो हैं।
(ix) जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं तथा उनके काव्य में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। प्रकृति-सौन्दर्य के भी वे अद्भुत चितेरे हैं ।
(x) राष्ट्रीय पर्व पर वंकिमचन्द्र चटर्जी का गुणगान गाया जाता है।
5. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दें।
(i) ‘हार-जीत’ कविता में मशकवाले की क्या भूमिका हैं ?
(ii) ज्ञानेंद्रपति ने अपने गाँव को किस-किस की जन्मभूमि बतलाया है ?
(iii) लोहा क्या है? इसकी खोज क्यों की जा रही है?
(iv) अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता ?
(v) भगत सिंह कौन थे?
(vi) चम्पारण-क्षेत्र में बाढ़ आने के प्रमुख कारण क्या है ?

उत्तर – (i) बूढ़ा मशकवाला अनुभवी है। उसने अपने अनुभवों के आधार पर यह भाँप लिया है कि हमारी सेना युद्ध में परास्त हो गई है। वह बाजे-गाजे के धोखा के साथ नगर में इसलिए प्रवेश कर रही है कि नगरवासियों को उसकी हार का भान न हो और अपनी सेना में उनका विश्वास बना रहे।

(ii) ज्ञानेंद्रपति ने अपने गाँव को लोकगीतों की जन्मभूमि बतलाया है, ऐसे उन्माद – भरे अपसंस्कृति के गीत गाए जाने लगे हैं, जो वास्तव में शोकगीत के समान ही हैं। ऐसे गीत लोकसंस्कृति के विनाश के सूचक हैं। गाँवों से सांस्कृतिक निष्ठा का लोप हो रहा है, यह शोक का बहुत बड़ा कारण है।
(iii) लोहा आधुनिक सभ्यता की अनिवार्य धातु है। इसी पर आधुनिक सभ्यता अवलंबित है। इसी धातु पर सारा कुछ निर्भर है। लोहा बोझ उठाता है। लोहा कदम-कदम पर और एक गृहस्थी में सर्वव्याप्त है। जो बोझ उठाता है, उसकी प्रकृति लोहे की होती है। लोहे की खोज में एक कौतुक है, तो इस कौतुक का निहितार्थ है कि यह देखा जाए कि संसार और सांसारिक संबंध किस पर अवलंबित है।
(iv) मनुष्य को वाक्शक्ति (बोलने की क्षमता) ईश्वर से वरदान के रूप प्राप्त है। यदि मनुष्य को ईश्वर से वरदान के रूप में यह शक्ति प्राप्त नहीं हुई होती, तो वह गूँगा होता और अपने सुख-दुख के अनुभवों को अभिव्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ होता। ऐसी स्थिति में वह कितना दयनीय होता, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वाक्शक्ति के अंतर्गत वक्तृता (स्पीच) और बातचीत – दोनों सम्मिलित हैं। पर, बातचीत का ढंग स्पीच ( वक्तृता) से अलग और निराला होता है। बातचीत में नाज-नखरा (हाव-भाव, मोहक चेष्टा) व्यक्त करने का अवसर नहीं होता, पर वक्तृता (स्पीच) में हाव-भाव और मोहक चेष्टा के लिए काफी अवसर होता है।
(v) अमर शहीद भगत सिंह आधुनिक भारतीय इतिहास के पावन एवं प्रेरक प्रसंग हैं। 12 वर्ष की अवस्था में उन्होंने जलियाँवाला बाग की मिट्टी लेकर देश को आजाद करने की शपथ खाई और क्रांतिकारी गतिविधियों में शरीक हो गए। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा देनेवाले आजादी के दीवाने भगतसिंह एक बेहद खुशमिजाज, जिंदादिल, मस्तमौला और मुहब्बत से लबरेज इंसान थे। वे बाहर से जितने सुंदर थे, उतने ही भीतर से भी । पुस्तकें पढ़ना उनका शौक था। फाँसी के चंद घंटे पूर्व उन्होंने ‘लेनिन का जीवन चरित’ नामक पुस्तक पढ़ा था।
(vi) चंपारन में पहले घना जंगल था। कहा जाता है कि वह घना जंगल (अरण्य) चंपारन से गंगा तक फैला हुआ था। घने जंगल के वृक्षों की जड़ों में पानी रुका रहता था। बाढ़ आती भी थी, वह उतनी प्रचंड और विनाशकारी नहीं होती थी। पर, महावन के कटने के कारण पानी रुकने की जगह नहीं होती; पानी की शतशः धाराएँ आपस में मिलकर विकराल रूप धारण कर लेती हैं और अपने प्रचंड तथा उग्र रूप से विनाश का तांडव नृत्य करती हैं।
6. संक्षेपण करें –
         भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। भारतीय त्योहार मुख्य रूप से फसलों के त्योहार हैं । इसका कारण है, भारत का कृषि प्रधान देश होना। लगभग सभी त्येहार धर्मों से संबंधित हैं। भारत अनेक धर्मों का देश है। वहीं हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी, ईसाई और इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। सभी धर्मों को मानने वालों को अपने-अपने धर्म पालन और त्योहार मनाने की स्वतंत्रता है। इसलिए धार्मिक त्योहार भी विविधता लिए हुए हैं। इनसे एक दूसरे के धर्मों को जानकर अच्छे मनुष्य बनने का भाव जागृत होता है। दशहरा, दीपावली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, ईद, मुहर्रम, गुरु पर्व, क्रिसमस, महावीर जयंती आदि धार्मिक त्योहार है।

उत्तर – शीर्षक: त्योहार और धर्म

          त्योहारों के देश भारत में मुख्य रूप से फसलों के त्योहार हैं क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में अनेक धर्म हैं। जैसे— हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी, इसाई, इस्लाम और सबके अपने त्योहार हैं। अतः धार्मिक त्योहारों में भी अनेक विविधताएँ हैं। एक दूसरे के धर्मों के बारे में जानकर हम बेहतर मानव बन सकते हैं। धार्मिक त्योहारों के मुख्य उदाहरण दशहरा, दीपावली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, रामनवमी, ईद, मुहर्रम, गुरु-पर्व, क्रिसमस, महावीर जयंती आदि हैं।
2020 (A) 
हिन्दी (Hindi)
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या 1 से 60 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को चिह्नित करें।
1. ‘अतिरिक्त’ शब्द में उपसर्ग है
(A) अ
(B) अति
(C) अतिरि
(D) अतिरिक्
उत्तर – (B) अति
2. ‘गंगा’ शब्द का पर्यायवाची है 
(A) मंदाकिनी
(B) आगार
(C) अनंत
(D) महाकाय
उत्तर – (A) मंदाकिनी
3. ‘दाँत गिनना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) उम्र पता लगाना
(B) दाँत की गिनती करना
(C) चकित होना
(D) लज्जित होना
उत्तर – (A) उम्र पता लगाना
4. ‘विकास’ शब्द में उपसर्ग है
(A) वि
(B) विक
(C) विका
(D) वी
उत्तर – (A) वि
5. ‘रामानुज’ शब्द कौन-सा समास है ? 
(A) बहुव्रीहि
(B) तत्पुरुष
(C) कर्मधारय
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (B) तत्पुरुष
6. ‘जीवन – भर’ का एक शब्द होगा
(A) जीवनार
(B) जिन्दगी
(C) आजीवन
(D) सजीवन
उत्तर – (C) आजीवन
7. ‘जिससे किसी बात के न होने का बोध हो’ उसे कहते हैं
(A) विधिवाचक वाक्य
(B) आज्ञावाचक वाक्य
(C) निषेधवाचक वाक्य
(D) संदेहवाचक वाक्य
उत्तर – (C) निषेधवाचक वाक्य
8. ‘आगामी’ शब्द का विलोम है
(A) आगत
(B) विगत
(C) पूर्वगत
(D) निर्गत
उत्तर – (B) विगत
9. ‘संवत्’ का संधि-विच्छेद है
(A) सम् + वत
(B)सं+वत
(C) स् + मवत
(D) सन् + वत
उत्तर – (A) सम् + वत
10. ‘आदर’ शब्द का विशेषण है
(A) सादर
(B) आदरपूर्वक
(C) आदरणीय
(D) आदरीय
उत्तर – (C) आदरणीय
11. ‘शब्द’ का पर्यायवाची है
(A) नाद
(B) निनाद
(C) ध्वनि
(D) इनमें से सभी
उत्तर – (D) इनमें से सभी
12. ‘चाय’ शब्द कौन लिंग है?
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुल्लिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) स्त्रीलिंग
13. ‘पुरस्कार’ शब्द का विलोम है
(A) दण्ड
(B) पारिश्रमिक
(C) सम्मान
(D) अपमान
उत्तर – (A) दण्ड
14. ‘वर्ण’ के आधार पर संधि के कितने भेद होते हैं?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
उत्तर – (B) तीन
15. ‘दक्षिण’ शब्द कौन-सी संज्ञा है ?
(A) जातिवाचक
(B) व्यक्तिवाचक
(C) भाववाचक
(D) गुणवाचक
उत्तर – (B) व्यक्तिवाचक
16. कपड़ा’ शब्द का पर्यायवाची होगा 
(A) वसन
(B) पदम
(D) मृगांक
(C) उदक
उत्तर – (A) वसन
17. ‘समाज’ शब्द का लिंग-निर्णय करें –
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुल्लिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुल्लिंग
18. ‘सब धन बाईस पसेरी’ मुहावरे का अर्थ है
(A) बहुत सस्ती होना
(B) बाईस पसेरी अनाज होना
(C) बहुत महँगा होना
(D) अच्छा-बुरा सबको एक समझना
उत्तर – (D) अच्छा-बुरा सबको एक समझना
19. ‘प्रतिदिन’ शब्द कौन समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B) बहुव्रीहि
(C) अव्ययीभाव
(D) द्विगु
उत्तर – (C) अव्ययीभाव
20. ‘शिव’ शब्द का विशेषण होगा
(A) शिवा
(B) शैव
(C) शक्ति
(D) शंकर
उत्तर – (B) शैव
21. जयप्रकाश नारायण ने छात्र-आंदोलन का नेतृत्व कब किया ?
(A) सन् 1974 में
(B) सन् 1967 में
(C) सन् 1976 में
(D) सन् 1977 में
उत्तर – (A) सन् 1974 में
22. दिनकर जी को निम्न में से कौन-सा पुरस्कार दिया गया था ?
(A) पद्म श्री
(B) पद्म भूषण
(C) पद्म विभूषण
(D) पद्म
उत्तर – (B) पद्म भूषण
23. ‘रिकंरश्वशन ऑफ इंडियन पॉलिटी’ नामक पुस्तक किसने लिखी ? 
(A) भगत सिंह
(B) महात्मा गाँधी
(C) जयप्रकाश नारायण
(D) लोकमान्य तिलक
उत्तर – (C) जयप्रकाश नारायण
24. अर्द्धनारीश्वर कल्पित रूप है
(A) राधा-कृष्ण का
(B) शंकर और पार्वती का
(C) राम और सीता का
(D) गणेश और लक्ष्मी का
उत्तर – (B) शंकर और पार्वती का
25. अज्ञेय के पिता का नाम था
(A) डॉ. उभयानन्द शास्त्री
(B) डॉ० दायानन्द शास्त्री
(C) डॉ० हीरान शास्त्री
(D) डॉ० अच्चुतानन्द शास्त्री
उत्तर – (C) डॉ० हीरान शास्त्री
26. सोक बाजपेयी का जन्म कब हुआ था ?
(A) 1940 ई॰ में
(B) 1942 ई ° में
(C) 1941 ई० में
(D) 1944 ई० में
उत्तर – (C) 1941 ई० में
27. ‘कवि ने कहा क्या है ?
(A) कहानी-संग्रह
(B) नाट्य-संग्रह
(C) कविता संग्रह
(D) निबंध संग्रह
उत्तर – (C) कविता संग्रह
28. विनोद कुमार शुक्ल का निवास स्थान कहाँ है ?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) रायपुर छतीसगढ़
(C) बिहार
(D) पंजाब
उत्तर – (B) रायपुर छतीसगढ़
29. ‘लोग भूल गए हैं’ किसकी रचना है ?
(A) भूपेंद्रपति
(B) भूषण
(C) सूरदास
(D) रघुवीर सहाय
उत्तर – (D) रघुवीर सहाय
30. ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता किस पुस्तक से ली गयी है ?
(A) लोग भूल गए हैं
(B) आत्महत्या के विरुद्ध
(C) हँसो हँसो जल्दी हँसो
(D) मुक्तिबोध रत्नावली
उत्तर – (A) लोग भूल गए हैं
31. ‘एक लेख और एक पत्र’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं ? 
(A) उदय प्रकाश
(B) जे. कृष्णमूर्ति
(C) भगत सिंह
(D) चन्द्रशेखर आजाद
उत्तर – (C) भगत सिंह
32. ‘बहुजन सम्प्रेषण के माध्यम पुस्तक किसने लिखी है ? 
(A) जयप्रकाश नारायण ” आजाद
(B) जगदीशचंद्र माथुर
(C) मलयज
(D) मोहन राकेश
उत्तर – (A) जयप्रकाश नारायण ” आजाद
33. मोहन राकेश रचित नाटक संग्रह है
(A) उत्तर प्रियदर्शी
(B) पहला राजा
(C) सत्य हरिश्चंद्र
(D) आषाढ़ का एक दिन
उत्तर – (D) आषाढ़ का एक दिन
34. तुलसीदास की पत्नी का क्या नाम था ?
(A) विभावरी
(B) रत्नावली
(C) प्रभावली
(D) गीतावली
उत्तर – (B) रत्नावली
35. हार-जीत किस प्रकार की रचना है ? 
(A) पद्य-गीत
(B) गद्य कविता
(C) शोक-गीत
(D) हर्ष-गीत
उत्तर – (B) गद्य कविता
36. ‘काजल’ शब्द कौन लिंग है?
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुल्लिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुल्लिंग
37. ‘इतिहास’ शब्द का विशेषण होगा
(A) इतिहासिक
(B) ऐतिहासिक
(C) इतिहासक
(D) ऐतिहासिक
उत्तर – (D) ऐतिहासिक
38. ‘बाल’ शब्द कौन लिंग है?
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुल्लिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुल्लिंग
39. ‘हिमालय’ शब्द का संधि-विच्छेद है
(A) हिम + आलय
(B) हिमाल + य
(C) हि + मालय
(D) हिमा + लय
उत्तर – (A) हिम + आलय
40. ‘लोक’ शब्द का विशेषण होगा
(A) लौकिक
(B) लोकिक
(C) लोकपरक
(D) लोकेश
उत्तर – (A) लौकिक
41. ‘धनहीन’ शब्द कौन-सा समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B) कर्मधारय
(C) बहुव्रीहि
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (A) तत्पुरुष
42. ‘चतुराई’ में कौन-सा प्रत्यय है? 
(A) राई
(B) ई
(C) इ
(D) आई
उत्तर – (D) आई
43. ‘जड़’ शब्द का विलोम होगी 
(A) जंगम
(B) जन्म
(C) चेतन
(D) नश्वर
उत्तर – (C) चेतन
44. ‘सूक्ति’ शब्द का संधि-विच्छेद है
(A) स + उक्ति
(B) सु + उक्ति
(C) सू + उक्ति
(D) सू + उक्ति
उत्तर – (B) सु + उक्ति
45. ‘अग्नि’ शब्द का पर्यायवाची शब्द है
(A) वाजि
(B) हय
(C) पावक
(D) व्योम
उत्तर – (C) पावक
46. शिवाजी के पुत्र का नाम था
(A) शेरा जी
(B) वीरा जी
(C) शाहू जी
(D) भानु जी
उत्तर – (C) शाहू जी
47. जयशंकर प्रसाद की नाट्यकृति है
(A) ध्रुवस्वामिनी
(B) आषाढ़ का एक दिन
(C) लहरों के राजहंस
(D) कोणार्क
उत्तर – (A) ध्रुवस्वामिनी
48. ‘सुकून की तलाश’ किसकी रचना है?
(A) इकबाल की
(B) शमशेर बहादुर सिंह की
(C) गालिब की
(D) ज्ञानेंद्रपति की
उत्तर – (B) शमशेर बहादुर सिंह की
49. ‘हार-जीत’ शीर्षक कविता में ‘मशकवाला’ क्या कर रहा है ?
(A) सड़क सींच रहा है
(B) गीत गा रहा है
(C) रोशनी कर रहा है
(D) पानी भर रहा है
उत्तर – (B) गीत गा रहा है
50. सुभद्रा कुमारी चौहान के पिता का नाम क्या था?
(A) ठाकुर रामनाथ सिंह
(B) ठाकुर हरिनाथ सिंह
(C) ठाकुर राजनाथ सिंह
(D) ठाकुर जगमोहन सिंह
उत्तर – (A) ठाकुर रामनाथ सिंह
51. बालकृष्ण भट्ट के पिता का क्या नाम था ?
(A) देनी प्रसाद भट्ट
(B) बेनी प्रसाद भट्ट
(C) टेनी प्रसाद भट्ट
(D) सैनी प्रसाद भट्ट
उत्तर – (B) बेनी प्रसाद भट्ट
52. ‘दमयंती स्वयंवर’ किस लेखक की रचना है ?
(A) चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
(B) मलयज
(C) बालकृष्ण भट्ट
(D) भगत सिंह
उत्तर – (C) बालकृष्ण भट्ट
53. ‘उसने कहा था – कहानी है
(A) युद्ध की कहानी
(B) दिव्य-प्रेम की कहानी
(C) प्रेम पर बलिदान होने की कहानी
(D) इनमें से सभी
उत्तर – (D) इनमें से सभी
54. निम्न में से कौन-सी रचना गुलेरी जी की नहीं है?
(A) सुखमय जीवन
(B) बुद्ध का काँटा
(C) उसने कहा था
(D) हारे को हरिनाम
उत्तर – (D) हारे को हरिनाम
55. ‘जयप्रकाश नारायण’ के बचपन का नाम क्या था ?
(A) दहन
(B) बबंन
(C) बाउल
(D) दीना
उत्तर – (C) बाउल
56. ‘चूँना करना’ मुहावरे का अर्थ है 
(A) आवाज नहीं करना
(B) नहीं बोलना
(C) सह जाना
(D) व्यर्थ बिंदा करना
उत्तर – (C) सह जाना
57. ‘आकाश’ शब्द का विलोम होगा
(A) अम्बर
(B) व्योम
(C) पाताल
(D) गगन
उत्तर – (C) पाताल
58. ‘कौन आता है?’ कौन-सा सर्वनाम है ?
(A) प्रश्नवाचक
(B) संबंधवाचक
(C) निश्चयवाचक
(D) अनिश्चयवाचक
उत्तर – (A) प्रश्नवाचक
59. ‘सुबह’ शब्द कौन लिंग है?
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुल्लिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुल्लिंग
60. ‘तीव्र बुद्धि वाला’ कहलाता है 
(A) समझदार
(B) आज्ञाकारी
(C) कुशाग्र
(D) बुद्धिमान
उत्तर – (C) कुशाग्र
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखें –
(क) छात्र-जीवन
(ख) मेरा प्रिय पर्व
(ग) शिक्षक दिवस
(घ) स्वच्छ भारत अभियान
(ङ) पुस्तकालय
(च) शराबबंदी

उत्तर – (क) छात्र-जीवन

          छात्रव-जीवन साधना और तपस्या का जीवन है। यह काल एकाग्रचित्त होकर अध्ययन और ज्ञान-चिंतन का है। यह काल सांसारिक भटकाव से स्वयं को दूर रखने का काल है। छात्र के लिए यह जीवन अपने भावी जीवन को ठोस नींव प्रदान करने का सुनहरा अवसर है। यह चरित्र निर्माण का समय है। यह अपने ज्ञान को सुदृढ़ करने का एक महत्त्वपूर्ण समय है। छात्र जीवन पाँच वर्ष की आयु से आरंभ हो जाता है। इस समय जिज्ञासाएँ पनपने लगती हैं। ज्ञान-पिपासा तीव्र हो उठती है। बच्चा विद्यालय में प्रवेश लेकर ज्ञानार्जन के लिए उद्यत हो जाता है। उसे घर की दुनिया से बड़ा आकाश दिखाई देने लगता है। नए शिक्षक नए सहपाठी और नया वातावरण मिलता है। वह समझने लगता है कि समाज क्या है और उसे समाज में किस तरह रहना चाहिए।
          विद्या अर्जन की चाह रखने वाला छात्र जब विनम्रता को धारण करता है तब उसकी राहें आसान हो जाती हैं। विनम्र होकर श्रद्धा भाव से वह गुरु के पास जाता है तो गुरु उसे सहर्ष विद्यादान देते हैं। वे उसे नीति ज्ञान एवं सामाजिक ज्ञान देते हैं, गणित की उलझनें सुलझाते हैं और उसके अंदर विज्ञान की समझ विकसित करते हैं। इस तरह छात्र जीवन सफलता और पूर्णता को प्राप्त करता हुआ प्रगतिगामी बनता है।
          विद्या केवल पुस्तकों में नहीं होती। ज्ञान की बातें केवल गुरुजनों के मुखारविन्द से नहीं निकलतीं। ज्ञान तो झरने के जल की तरह प्रवाहमान रहता है। छात्र जीवन इस प्रवाहमान जल को पीते रहने का काल है। खेल का मैदान हो या डिबेट का समय, भ्रमण का अवसर हो अथवा विद्यालय की प्रयोगशाला, ज्ञान सर्वत्र भरा होता है। विद्यार्थी जीवन इन भाँति-भाँति रूपों में बिखरे ज्ञान को समेटने का काल है। गुण-अवगुण, अच्छा-बुरा, पुण्य-पाप, धर्म-अधर्म सब जगह है। छात्र जीवन में ही इनकी पहचान करनी होती है। चतुर वह है जो सार ग्रहण कर लेता है और असार एवं सड़े-गले का त्याग कर देता है।
(ख) मेरा प्रिय पर्व
          भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न धर्मों व संप्रदायों के मानने वाले लोग रहते हैं। अतः यहाँ मनाए जाने वाले पर्व भी अनेक हैं। दीपावली, होली, रक्षाबंधन व विजयदशमी हिंदुओं के चार प्रमुख त्योहार हैं।
          वैसे तो प्रत्येक त्योहार का अपना एक विशेष महत्व है परंतु इन सब में दीपावली का त्योहार मुझे विशेष रूप से प्रिय है। यह त्योहार हिंदुओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। दीपावली प्रत्येक वर्ष हिंदी महीनों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है।
          दीपावली का पर्व वास्तविक रूप में अनेक पर्वों का एक समूह है। इस पर्व के साथ धनतेरस, गोवर्धन पूजा, विश्वकर्मा दिवस तथा भैया दूज का पर्व भी मनाया जाता है। धनतेरस का पर्व दीपावली के प्रमुख दिन से दो दिन पूर्व अर्थात् त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है।
          इस दिन नए बस्तन तथा आभूषण आदि खरीदने की परंपरा है। इसके पश्चात् चतुर्दशी के दिन छोटी दीपावली मनाई जाती है। तत्पश्चात् अमावस्या की रात्रि को दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। प्रतिपदा को विश्वकर्मा दिवस तथा गोवर्धन पूजा होती है। द्वितीया को भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भैया दूज मनाई जाती है।
          दीपावली का धार्मिक, पौराणिक तथा सामाजिक सभी दृष्टि में विशेष महत्व है। इसे मनाने हेतु यह पौराणिक कथा प्रचलित है कि इस दिन श्रीराम लंका के आततायी राजा रावण का वध करने के उपरांत अयोध्या को लौटे थे। अयोध्या की प्रजा ने चौदह वर्षों के उनके वनवास के पश्चात् अयोध्या वापस लौटने पर घी के दीपक जलाकर उनका हार्दिक अभिनंदन किया।
          श्रीराम के सीता तथा लक्ष्मण सहित लौटने तथा उनके अयोध्या की गद्दी ग्रहण करने की खुशी को व्यक्त करने हेतु वहाँ की प्रजा ने घरों में घी के दीपक जलाए। तभी से परंपरागत रूप से प्रतिवर्ष इसी दिन हम इस त्योहार को बड़ी धूमधाम मनाते चले आ रहे हैं।
          दीपावली के कई दिन पूर्व ही इसकी तैयारियाँ प्रारंभ हो जाती हैं। सभी लोग अपने घरों की सफाई करते हैं तथा उसकी लिपाई-पुताई व नए रंगों से रंगाई कराते हैं। अमावस्या की रात्रि को सर्वप्रथम गणेश तथा लक्ष्मी का पूजन होता है व सभी ओर घरों में दीप जलाए जाते हैं।
          आधुनिक समय में रंग-बिरंगे विद्युत प्रकाश का महत्व बढ़ता जा रहा है। धनतेरस से लेकर भैया दूज तक बाजारों की चहल-पहल देखते ही बनती है। चारों ओर सजी दुकानें, साफ-सुथरे दमकते हुए घर, रंग-बिरंगी पोशाकों में दिखते लोग इस पर्व के महत्व को और बढ़ा देते हैं। बच्चों में इसका विशेष उल्लास देखने को मिलता है। दीपावली के दिन पटाखे छुटाते हुए उनके हर्ष और उल्लास को भली-भाँति अनुभव किया जा सकता है।
          दीपावली की प्राचीनता को देखते हुए यह कहा जा सकता है इस पर्व के मनाने का समय ही कुछ ऐसा है कि मनुष्य नए मौसम के हिसाब से अपने को ढाल सके। इस समय कुछ कीट अनावश्यक रूप से उत्पन्न होते हैं जो दीपक की लौ के साथ नष्ट हो जाते हैं। परंतु जिस तरह से आजकल यह प्रकाश पर्व ध्वनि पर्व बनता जा रहा है, वह पूरे समाज के लिए चिंता की बात है।
          दीपावली का त्योहार खुशियों का त्योहार है। यह हमें समाज में फैली अनेक बुराइयों के अंधकार को समाप्त कर अच्छाइयों के प्रकाश की ओर ले जाने हेतु प्रेरित करता है। दीपावली पर कुछ लोग इस मान्यता के साथ जुआ खेलते हैं कि इस दिन जुआ खेलना शुभ होता है।
          परिणामस्वरूप खुशी का यह त्योहार उनके लिए तब अभिशाप बन जाता है जब वे अगली सुभा तक अपनी गाड़ी संपत्ति लुटा चुके होते हैं। दूसरी ओर इस दिन कुछ लोग स्वयं को शराब में डुबोकर अपने परिवार की खुशियाँ छीन लेते हैं। अतः इसे हँसी-खुशी ढंग से ही मनाया जाना चाहिए तभी यह हमें आंतरिक खुशी प्रदान कर सकेगा।
(ग) शिक्षक दिवस
          जीवन में शिक्षक का किरदार बहुत खास होता है, वे किसी के जीवन में उस बैकग्राउंड म्यूज़िक कि तरह होते हैं, जिसकी उपस्थिति मंच पर तो नहीं दिखती, परंतु उसके होने से नाटक में जान आजाती है। ठीक इसी प्रकार हमारे जीवन मे एक शिक्षक की भी भूमिका होती है। चाहें आप जीवन के किसी भी पड़ाव पर हों, शिक्षक की आवश्यकता सबको पड़ती है। भारत में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिन है। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे जो इन पदों पर आसीन होने से पहले एक शिक्षक थे।
          ये सर्वविदित है कि हमारे जीवन को सँवारने में शिक्षक एक बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। सफलता प्राप्ति के लिये वो हमें कई प्रकार से मदद करते है जैसे हमारे ज्ञान, कौशल के स्तर, विश्वास आदि को बढ़ाते है तथा हमारे जीवन को सही आकार में ढ़ालते है। अतः अपने निष्ठावान शिक्षक के लिये हमारी भी कुछ जिम्मेदारी बनती है।
          हम सभी को एक आज्ञाकारी विद्यार्थी के रुप में अपने शिक्षक का दिल से अभिनंदन करने की जरुरत है और जीवनभर अध्यापन के अपने निस्स्वार्थ सेवा के लिये साथ ही अपने अनगिनत विद्यार्थीयों के जीवन को सही आकार देने के लिये उन्हें धन्यवाद देना चाहिये। शिक्षक दिवस हम सभी के लिये उन्हें धन्यवाद देने और अपना एक दिन उनके साथ बिताने के लिये ये एक महान अवसर है।
(घ) स्वच्छ भारत अभियान
          स्वच्छ भारत मिशन या स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा चलाया गया एक विशाल जन आंदोलन है जो कि पुरे भारत में सफाई को बढ़ावा देता है। इस अभियान को 2019 तक एक स्वच्छ भारत का लक्ष्य रखते हुए 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गाँधी की 150वीं जन्मदिन के सुबह अवसर पर शुरू किया गया था। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने भारत को एक स्वच्छ भारत बनाने का सपना देखा और इसके लिए हमेशा कठिन प्रयास किये। राष्ट्रपिता के सपने को साकार करने के लिए भारत सरकार ने इस अभियान को शुरू करने का फैसला किया।
          इस मिशन का उद्देश्य सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को कवर करना है ताकि दुनिया के सामने हम एक आदर्श देश का उदाहरण प्रस्तुत कर सकें। मिशन के उद्देश्यों में से कुछ उद्देश्य हैं, खुले में शौच समाप्त करना अस्वास्थ्यकर शौचालयों को फ्लश शौचालय में परिवर्तित करना, हाथ से मल की सफाई को रोकना, ठोस और सरल कचरे को पुनः उपयोग, लोगों को सफाई के प्रति जागरूक करना, अच्छी आदतों के लिए प्रेरित करना, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था अनुकूल बनाना, व भारत में निवेश के लिए रुचि रखने वाले सभी निजी क्षेत्रों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना आदि है।
          इस अभियान में बहुत ही रूचि पूर्ण तरीका इस्तेमाल हो रहा है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति 9 लोगों को इससे जुड़ने के लिए आमंत्रित करेगा और फिर वह प्रत्येक व्यक्ति अगले 9 लोगों को जुड़ने के लए आमंत्रित करेंगे और ये शृंखला तब तक चलती रहेगी जब तक की भारत का प्रत्येक नागरिक इससे जुड़ न जाए।
(ङ) पुस्तकालय
          पुस्तकालय वह स्थान है जहाँ विभिन्न प्रकार के ज्ञान, सूचनाओं, स्रोतों आदि का संग्रह रहता है। पुस्तकालय शब्द अंग्रेजी के लाइब्रेरी (library) शब्द का हिंदी रूपांतर है। लाइबेरी शब्द की उत्पत्ति लेतिन शब्द ‘लाइवर’ से हुई है, जिसका अर्थ है पुस्तक । पुस्तकालय यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – पुस्तक + आलय।
          भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे। मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएँ हैं। इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है। पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं। एक ओर जहाँ वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं। हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है। सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई। पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर। यहां हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं। विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है।
          पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं। इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कॉलेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजी होते हैं। ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं। चौथी प्रकार के पुस्तकालय सार्वजनिक होते हैं। इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं।
(च) शराबबंदी
          नितीश कुमार का यह कदम अभिनन्दनीय है। बिहार में शराब का प्रयोग बंद कर दिया गया है। यह कदम किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं है। इस कदम से उन शराबी तथा शराब के विपणन से लाभ लेने वाले सारे लोगों का प्रारंभिक विरोध सरकार को झेलना पड़ेगा और कहीं न कहीं यह आज बिहार में परिलक्षित हो रहा है। राजनीतिक स्वार्थ के वजह से अपने आज को नेता कहने वाले कुछेक कुविचारी लोग तो खुल के अपने भाषण या वक्तव्य के माध्यम से इस कदम का विरोध कर रहे हैं। वस्तुतः वे शराब के तिजारत से लाभान्वित हों या न हों, शराबबंदी से उन्हें भी भले ही लाभ मिल रहा हो परंतु उन्हें तो विरोध करना है क्योंकि उन्हें सरकार का विराध करना है भले ही यह कदम कितना भी अच्छा क्यों न हो।
          वास्तव में अब विषपान नहीं होने से मानव को नरकीय जीवन से मुक्ति मिलेगी। बिहार का हर घर स्वर्ग सदृश्य होगा। संसार की संपूर्ण वैभव, प्रसन्नता, संतुष्टि का अनुभव बिहारवासियों के हर आँगन में होगा। मुख्यमंत्रीजी यदि इसके साथ तम्बाकू, गुटखा, सिगरेट आदि बंद कर दें तो सोने पे सुहागा हो जाएगा।
          अभी शुरु में कठिनाइयाँ आएँगी, कुछ लोग तस्करी करेंगे, कुछ लोग पड़ोसी देश या पड़ोसी राज्य में जाकर सेवन करेंगे और धीरे-धीरे वे सब सुधर जाएँगे। सरकार को सख्ती करने पड़ेगी। नरकटियागंज के एम एल ए जैसे लोगों पर सख्त कार्रवायी करनी पड़ेगी। पुलिस को तेज और चौकन्ना बनना पड़ेगा। साथ-साथ वे जनता जो इस मुहीम को सफल बनाना चाहते हैं उन्हें सक्रिय होकर सरकार को सहयोग देना पड़ेगा। सफलता जरूर मिलेगी।
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या करें –
(क) “कितने क्रूर समाज में रह रहे हैं हम, जहाँ श्रम का कोई मोल नहीं, बल्कि निर्धनता को बरबरार रखने का षड्यंत्र ही था यह सब । “
(ख) “वसुंधरा भोगी मानव और धर्मांध मानव-एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। “
(ग) आज दिशाएँ भी हँसती हैं,
 है उल्लास विश्व पर छाया,
मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास न आया।
(घ) “जादू टूटता है उषा का अब सूर्योदय हो रहा है। “

उत्तर – (क) प्रस्तुत गद्यांश सुप्रसिद्ध दलित आंदोलन के नामवर लेखक ओमप्रकाश बाल्मीकि रचित आत्माकथात्मक ‘जूठन’ शीर्षक से लिया गया है। प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेकर ने समाज की विद्रूपताओं पर कटाक्ष किया है। लेखक के परिवार द्वारा श्रमसाध्य कर्म किए जाने के बावजूद दो जून की रोटी भी नसीब न होती थी। रोटी की बात कौन कहे जूठन नसीब होना भी कम मुश्किल न था। विद्यालय का हेडमास्टर चुहड़े का बेटा है लेखक, इसलिए पत्तलों का जूठन ही उसका निवाला है। लेखक अपनी आत्मकथा में समाज की क्रूरता को दिखाता है।

          (ख) प्रस्तुत गद्यांश ‘ओ सदानीरा’ पाठ से लिया गया है। एक तरफ मनुष्य जंगल काटे जा रहा है खेतो को पशु-पक्षियाँ, आदि को नष्ट कर रहा है। नदियाँ पर बाँध बनाकर उसे नष्ट कर रहा है तो दूसरी और धर्मान्ध मानव गंगा को मइया कहता है पर अपने घर की नाली कूड़ा-करकट, पूजन-सामग्री जो प्रदूषण ही फैलाते हैं। गंगा नदी में प्रवाहित करता है। इस प्रकार दोनों इस प्रकृति को नष्ट करने में लगे हुए हैं। और कहा जा सकता है कि वसुंधरा भोगी मानव और धर्मांध मानव एक ही सिक्के के दो पहलू है।
          (ग) प्रस्तुत पंक्तियों सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘शोक गीत पुत्र, वियोग से ली गई है। इन पंक्तियों में कवयित्री की असीम पुत्र प्रेम की व्यंजना हुई है। कवियित्री का पुत्र असमय उससे बिछुड़ जाता है। उसी बिछुड़े हुए पुत्र के वियोग को व्यंजना इन पंक्तियों के माध्यम से हुई है। कवयित्री का पुत्र प्रेम इतना प्रगाढ़ है कि वह पुत्र की प्राप्ति के लिए मिन्नते तो माँगती है पर वह माँगा हुआ पुत्र असमय मृत्यु को प्राप्त होता है। कवयित्री का हृदय इस दुःख को सहन नहीं कर पाता है। वह कहती है- आज पुरे विश्व में उल्लास खुशी एवं हर्ष का वातावरण है।

         (घ) प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ श्री शमशेर बहादुर सिंह की काव्यकृति के ‘उषा’ शीर्षक से उद्धृत की गयी हैं। शमशेर बहादुर सिंह प्रभाववादी कवि हैं।

कवि ने अपनी सूक्ष्म कल्पना शक्ति द्वारा प्रकृति के रूपों का मानवीकरण करते हुए उषा की तुलना गौर वर्ण वाले झिल-मिल जल में हिलते हुए अवतरित होने वाली नारी से किया है। शमशेर की कविता में बिंब प्रयोग सटीक और सही हुआ है। कवि ने प्रकृति के सूक्ष्म रूपों का मनोहारी और कल्पना युक्त मूर्त्तन कर दक्षता प्राप्त की है। प्राकृतिक बिंबों द्वारा अपनी भावाभिव्यक्ति को मानवीकरण करके लोक जगत को काव्य रस से आप्लावित किया है। इनकी कविताओं में लय है, संक्षिप्तता भी है।
3. वार्षिक परीक्षा की तैयारी का उल्लेख करते हुए अपनी माताजी को एक पत्र लिखें। 
अथवा, 
परीक्षा शुल्क माफ करने के लिए अपने प्रधानाचार्य को एक आवेदन पत्र लिखें। 

उत्तर –

स्टेशन रोड, मुजफ्फरपुर
25 मार्च, 2020
पूज्यनीय माताजी,
सादर चरणस्पर्श |
        आपका पत्र मिला। आपकी कुशलता जानकर प्रसन्नता हुई। आपने अपने पत्र में लिखा है कि मैं अपनी वार्षिक परीक्षा की तैयारी के संबंध में आपको विस्तृत सूचना दूँ।
        मेरी वार्षिक परीक्षा 25 मार्च से प्रारंभ होने जा रही है। मैं परीक्षा की तैयारी में प्राणपण से लगा हुआ, हूँ। मैंने अपने सारे विषयों की तैयारी कर ली है। मैंने सारी पुस्तकें पढ़ ली हैं और तैयार किए गए प्रश्नोत्तरों की पुनरावृत्ति कर ली है। मैं एक-एक पल का सदुपयोग कर रहा हूँ। मैं परीक्षा देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं अपने वर्ग में प्रथम आऊँगा।
पिताजी को मेरा सादर अभिवादन तथा छोटे को प्यार |
आपका पुत्र
शरद
अथवा,
सेवा में,
श्रीयुत प्रधानाचार्य महोदय
डी०ए०भी० उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
पटेल नगर, पटना
द्वारा: वर्ग शिक्षक, वर्ग-XII, खंड- ‘अ’
महाशय,
          निवेदन है कि कल अचानक मेरी तबीयत खराब हो गयी। विद्यालय के लौटने के बाद मुझे बुखार आ गया तथा शरीर के सारे अंग में तेज दर्द होने लगे जिसके कारण मैं बेहोश हो गया। चार दिन के बाद बुखार में कमी आयी है पर मैं काफी कमजोरी अनुभव कर रहा हूँ। मैं विद्यालय आने की स्थिति में नहीं हूँ। डॉक्टर ने भी मुझे पूर्ण विश्राम का सुझाव दिया है।
          अतः आपसे निवेदन है कि एक सप्ताह की अवकाश प्रदान कर अनुगृहीत करें।
भवनिष्ठ
अंकित कुमार
वर्ग-XII, खंड-‘अ’, क्रमांक-11
4. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें ।
(i) मानक स्वयं को वहशी और जानवर से भी बढ़कर क्यों कहता है ?
(ii) बिशनी और मुन्नी को किसकी प्रतीक्षा है? वे डाकिये की राह क्यों देखती हैं ?
(iii) ‘उसने कहा था’ कहानी का केंद्रीय भाव क्या है?
(iv) जहाँ भय हैं वहाँ मेधा नहीं हो सकती। क्यों?
(v) ‘धरती का क्षण’ से क्या आशय है ?
(vi) तुलसी सीता से कैसी सहायता चाहते हैं?
(vii) छत्रसाल की तलवार कैसी है? वर्णन कीजिए।
(viii) माँ के लिए अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यों?
(ix) प्रातः काल का नभ कैसा है ?
(x) हरचरना कौन है? उसकी क्या पहचान है ?

उत्तर – (i) निम्नमध्यवर्गीय व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी उसकी समस्या आर्थिक समस्या होती है। वह मुन्नी के विवाह की चिंता के कारण ही युद्ध पर जाता है। तब जाकर इसका निदान होगा।

(ii) बिशनी को अपने सिपाही पुत्र एवं मुन्नी को सिपाही भाई की प्रतिक्षा है। वे डाकिए की राह चिट्ठी आने को देखती है। क्योंकि उसने पिछली चिट्टी में लिखा था वे बर्मा की लड़ाई पर जा रहे हैं। माँ और बेटी किसी अनिष्ट की शंका के कारण चिट्ठी का इंतजार करते हैं।
(iii) इस कहानी का केंद्रीय भाव है साहचर्यजनिक कालचित्र पर पड़े आकर्षण की पारस्परिकता में विश्वासपूर्ण दिव्य प्रेम के आविर्भाव का चित्रण | दिव्य प्रेम साहचर्य-जनित नैतिक अनुभूति है, जिसमें इसके प्रदर्शन की नहीं, गोपनीय ढंग से जीने की अभिलाषा होती है।
(iv) हममें से अधिकांश व्यक्ति ज्यों-ज्यों बड़े होते जाते हैं, त्यों-ज्यों ज्यादा भयभीत होते जाते हैं। हममें से अधिकांश व्यक्ति किसी-न-किसी रूप में भयभीत है और जहाँ भय है वहाँ मेघा नहीं है।
(v) ‘धरती का क्षण’ से आशय है कि सुबह हो रही है सूर्य की लाली दिगन्त में छा रही है। प्रातः के बाद भोर शब्द का प्रयोग कवि की वर्ण चेतना का परिचय देता है।
(vi) तुलसी सीता से वचनों से ही सहायता माँगते हैं अर्थात् वाणी की सहायता माँगते हैं। सीता माता से वे कहते हैं कि यदि प्रभु मेरा नाम, दशा पूछें तो यह बता देता कि मैं दीन हीन निर्बल हूँ और उन्हीं का नाम लेकर अपना पेट भरता हूँ।
(vii) छत्रसाल की तीक्ष्ण धारवाली चमचमाती तलवार जब म्यान से निकलती थी तो वह प्रलय सूर्य की तेज किरण के समान लगती थी। उनके इस सिरच्छेदन के कार्य से ऐसा लगता था मानो वह भगवान रूद्र को मुंडमाल अर्पित कर उन्हें खुश करना चाहती हो । छत्रसाल की तलवार ऐसी है।
(viii) माँ का हृदय बड़ा कोमल होता है। वह एक पुत्र को पाने के लिए तरह-तरह की मिन्नतें माँगती हैं। वह पुत्र-प्रेम के कारण बेचैन सी हो जाती है। उसे लगता है कि बिछुड़े हुए पुत्र से एक बार वह मिल लेती, पलभर के लिए प्यास कर लेती। परंतु यह सब नहीं हो पाता। इसलिए वह मन को समझा नहीं पाती। बेटा खोकर एक माँ का अपने मन को समझाना कठिन हो जाता है।
(ix) प्रातःकाल का नम बिलकुल नीले राख के समान स्वच्छ था। उसकी नीलिमा के बीच आनेवाला उजाला हल्के रूप में झाँकता-सा नजर आता है। प्रातः काल की उस वेला में आकाश नीले राख-सा लगता है।
(x) ‘हरचरना’ आम आदमी का प्रतिनिधि है। आम आदमी अभावों में जीता है और महाबली नेताओं का गुणगान किया करता है। ‘हरचरना’ जो कभी ‘हरिचरण’ था, ढीला-ढाला पाजामा पहने राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में सम्मिलित होता है और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी ‘अधिनायक’ का गुणगान करता है – जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता!’ ‘फटे सुथन्ने’ में अपनी स्थिति से बेखबर ‘अधिनायक’ का गुण गाता हुआ हरचरना आसानी से पहचाना जा सकता है।
5. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दें।
(i) पहले कड़बक में कलंक, काँच और कंबन से क्या तात्पर्य है?
(ii) पठित पदों के आधार पर तुलसी की भक्ति भावना का परिचय दीजिए।
(iii) प्यार का इशारा और क्रोध का दुधारा से क्या तात्पर्य है ?
(iv) संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं ?
(v) चम्पारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गाँधीजी ने क्या किया ?
(vi) शिक्षा का क्या अर्थ है? इसके कार्य एवं उपयोगिता को स्पष्ट करें।

उत्तर – (i) पहले कड़बक में कलंक से तात्पर्य कवि के एक आँख का होने को लेकर है। वह नक्षत्र के मध्य में शुक्र की तरह उदित है। काँच से तात्पर्य कच्ची धातु से है जो तपने पर ही चिकना बनता है, उससे मैल निकलता है। जैसे सोना तपने पर ही कुंदन बनता है।

(ii) तुलसी कहते हैं कि हे माना यदि श्रीरामचन्द्र जी पूछें वह कौन है तो मेरा नाम और दशा उन्हें बता देना। उनके इतना ही सुन लेने से मेरी सारी बिगड़ी बात बन जाएगी। यदि दास जी को आपने इस प्रकार वचनों से ही सहायता कर दी तो यह तुलसीदास आपके स्वामी की गुणावली गाकर भवसागर से तर जाएगा।
(iii) हमें यह मानकार चलना चाहिए कि विश्व में पहले से ही अराजकता है। इसलिए हमारे समाज को अराजक स्थिति से निकालने के लिए समाज में क्रांति की आवश्यकता है। तभी हम सुव्यवस्थित समाज का निर्माण कर सकेगें।
(iv) आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण कहते हैं मैं सबकी सलाह लूँगा, सबकी बात सुनूँगा। छात्रा की बात जितनी भी ज्यादा होगी, जितना भी समय मेरे पास होगा, उनसे बहस करूंगा और कहते हैं कि तब तो इस नेतृत्व का कोई मतलब है, तब यह क्रांति सफल हो सकती है। और नहीं, तो आपस की बहसों में पता नहीं हम किधर विखर जाएँगे और क्या नतीजा निकलेगा।
(v) चंपारण में शिक्षा की व्यवस्था के लिए गाँधी जी ने महती काम किए। उनका विचार था कि ग्रामीण बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था किए बिना केवल आर्थिक समस्याओं को सुलझाने से काम नहीं चलेगा। इसके लिए उन्होंने तीन गाँवों में आश्रम विद्यालय स्थापित किया— बड़हरवा, मधुबन और भितिहरवा कुछ निष्ठावान कार्यकर्ताओं को तीनों गाँवों में तैनात किया। स्वयं कस्तूरबा भितिहरवा आश्रम में रही और इन कर्मठ और विद्वान स्वयंसेवकों की देखभाल की।
(vi) शिक्षा का अर्थ जीवन के सत्य से परिचित होना और संपूर्ण जीवन की प्रक्रिया को समझाने में हमारी मदद करना है। क्योंकि जीवन विलक्षण है, ये पक्षी, ये फूल, ये वैभवशाली वृक्ष, ये आसमान, ये सितारे, ये मत्स्य सब हमारा जीवन है। शिक्षा समाज के ढाँचे के अनुकूल बनने में आपकी सहायता करती है या आपको पूर्ण स्वतंत्रता होती है। वह सामाजिक समस्याओं का निराकरण करे, शिक्षा का यही कार्य है।
6. निम्नलिखित अवतरणों में से किसी एक का संक्षेपण करें –
          (i) अनुशासन की आवश्यकता छात्र जीवन के लिए सबसे अधिक है। छात्र विवेकसंगत शृंखला में रहने की आदत डालें। उनकी क्षमता बिखर कर नष्ट न होने पाए। इसके लिए छात्रों को व्यावहारिक जीवन में अनुशासन के नियमों का पालन करना परमावश्यक है। जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता पड़ती है। केवल विद्यालय में नहीं, वरन् परिवार एवं समाज में भी अनुशासन के नियमों का पालन करना परमावश्यक है। जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता पड़ती है। पूरी सृष्टि और पूरा ब्रह्माण्ड भी अनुशासन में बँधा है। जीवन में अनुशासन न हो तो हम आसानी से अराजकता के शिकार हो जायेंगे।
          (ii) हमारे देश में, जो हाल हाल तक गुलाम बना रहा, नागरिक स्वतंत्रता का मूल्य समझना जरा कठिन है। अभी हमारे देश की जनता का ध्यान रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार की ओर गया है। प्रायः लोग यह कहते सुनाई देते हैं कि हमें इससे मतलब नहीं कि इस देश में किसका शासन है, जनतंत्र है या तानाशाही, हमें तो रोटी चाहिए, रोजगार चाहिए, दवा चाहिए। इन आवश्यकताओं को कोई भी पूरा कर दे। जनता की यह मानसिक स्थिति ठीक नहीं। यदि जनता की सूझ-बूझ ऐसी ही रही, तो फि स्वतंत्रता, जो असीम बलिदान देकर प्राप्त की गई है, मिट जाएगी।

उत्तर – (i) दिए गए संक्षेपण में अनुशासन का महत्व बताया गया है। सफल होने के लिए अनुशासन आवश्यक है। अनुशासन में न रहने पर व्यक्ति अराजकता के शिकार हो जाते हैं। हमें हर कार्य में सफल होने के लिए अनुशासन अपनाना ही होगा क्योंकि पूरी सृष्टि और पूरा ब्रह्माण्ड भी अनुशासन में बँधा हुआ है।

(ii) दिए गए संक्षेपण में हमारे आजादी का मतलब की ओर ध्यान आकर्षित किया है। हम आजाद तो हो गए हैं लेकिन हम शासन, जनतंत्र पर ध्यान नहीं देते। हमारा ध्यान सिर्फ रोटी, कपड़ा और महान तक टिका हुआ है। इन आवश्यकताओं को कोई भी पूरा कर दे। ये मानसिका ठीक नहीं है। यदि यही हाल रहेगा तो एक दिन बलिदान से प्राप्त किया हुआ स्वतंत्रता का अस्तित्व मिट जाएगा।
2021 (A)
हिन्दी (Hindi)
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या 1 से 100 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक  सही है। अपनी द्वारा चुने गये सही विकल्प को चिन्हित करें।
1. ‘रक्षक’ शब्द में प्रत्यय है
(A) र
(B) रक्ष
(C) अक
(D) रअ
उत्तर – (C) अक
2. ‘परलोक’ शब्द में उपसर्ग है 
(A) पर
(B) प
(C) लाक
(D) घरल
उत्तर – (A) पर
3. ‘अज्ञान’ शब्द में उपसर्ग है 
(A) अज्ञ
(B) अन्
(C) अ
(D) आ
उत्तर – (C) अ
4. ‘नकलची’ शब्द में प्रत्यय है
(A) न
(B) नक
(C) अची
(D) ची
उत्तर – (D) ची
5. ‘यशोदा’ शब्द का संधि – वच्छेद है 
(A) यशः + दा
(B) यश + दा
(C) यशोः + दा
(D) यसा + दा
उत्तर – (A) यशः + दा
6. ‘संसार’ शब्द का संधि विच्छेद है
(A) सम् + सार
(B) सं+सर
(C) सम् + र
(D) स + सार
उत्तर – (A) सम् + सार
7. ‘पवन’ शब्द का संधि-विच्छेद है 
(A) पो + अन
(B) प + वन
(C) पा + वन
(D) प + वान
उत्तर – (A) पो + अन
8. ‘उद्योग’ शब्द का संधि-विच्छेद है
(A) उद् + योग
(B) उत् + योग
(C) उ + दयोग
(D) उद + योग
उत्तर – (B) उत् + योग
9. ‘कुहासा’ शब्द है 
(A) पुंल्लिंग
(B) स्त्रीलिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) पुंल्लिंग
10. ‘घी’ शब्द है
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुंल्लिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुंल्लिंग
11. लीडबेटर की नजर में जे. कृष्णमूर्ति क्या थे?
(A) राज्य शिक्षक
(B) देश शिक्षक
(C) विश्व शिक्षक
(D) गाँव शिक्षक
उत्तर – (C) विश्व शिक्षक
12. उदय प्रकाश का जन्म कब हुआ था ?
(A) 1952
(B) 1942
(C) 1930
(D) 1960
उत्तर – (A) 1952
13. ‘तिरिछ’ किस प्रकार की रचना है ?
(A) आधुनिक त्रासदी
(B) सुखान्त की
(C) हँसी लाने वाली
(D) आधुनिक कामेडी
उत्तर – (A) आधुनिक त्रासदी
14. मोहन राकेश के बचपन का क्या नाम था ?
(A) मदन मोहन गुगलनी
(B) कृष्णमोहन मुगलानी
(C) राधाकृष्ण मुगलानी
(D) रामकृष्ण मुगलानी
उत्तर – (A) मदन मोहन गुगलनी
15. कवि रघुवीर सहाय के पिता का क्या नाम था ?
(A) हरदेव सहाय
(B) हरहरदेव सहाय
(C) हरेराम सहाय
(D) राम प्यारे सहाय
उत्तर – (A) हरदेव सहाय
16. ‘प्रकृति वर्णन’ से संबंधित कविता है
(A) गाँव का घर
(B) हार-जीत
(C) उषा
(D) साकेत
उत्तर – (C) उषा
17. ‘कवियों का कवि’ किस कवि को कहा जाता है?
(A) शमशेर बहादुर सिंह
(B) निराला
(C) प्रसाद
(D) पंत
उत्तर – (A) शमशेर बहादुर सिंह
18. ‘भूषण’ की कविता में कौन रस पाया जाता है?
(A) शृंगार रस
(B) भक्ति रस
(C) वीर रस
(D) वात्सल्य रस
उत्तर – (C) वीर रस
19. “जहाँ भय है, वहाँ मेधा नहीं हो सकती।” किस पठित पाठ की उक्ति है?
(A) अर्धनारीश्वर
(B) ओ सदानीरा
(C) सिपाही की माँ
(D) शिक्षा
उत्तर – (D) शिक्षा
20. जे. कृष्णमूर्ति का पूरा नाम क्या हैं
(A) जद कृष्णमूर्ति
(B) जिद्दू कृष्णमूर्ति
(C) जिद्द कृष्णमूर्ति
(D) सज्जद कृष्णमूर्ति
उत्तर – (B) जिद्दू कृष्णमूर्ति
21. ‘गोद में सोने वाला’ कहलाता है
(A) बालक
(B) पुत्र
(C) अंकशायी
(D) अंकस्थ
उत्तर – (D) अंकस्थ
22. ‘गुरु के समीप रहनेवाला विद्यार्थी कहलाता है
(A) वजवटुक
(B) ब्रहाचारी
(C) अंतेवासी
(D) मुरूकूल
उत्तर – (C) अंतेवासी
23. ‘जिसका खंडन न किया जा सके’, वह है
(A) ध्वनि
(B) प्रकाश
(C) वायु
(D) अखंडनीय
उत्तर – (D) अखंडनीय
24. ‘जिसका जन्म पहले हुआ हो (बड़ा भाई), वह है
(A) बड़ा
(B) पूर्वज
(C) अग्रज
(D) अनुज
उत्तर – (C) अग्रज
25. ‘जिसके बिना काम न चल सके’ के लिए एक शब्द है
(A) अपरिहार्य
(B) आवश्यक
(C) जरूरी
(D) अवरोधक
उत्तर – (D) अवरोधक
26. जो खाने योग्य हो, वह है
(A) शुद्ध
(B) स्वच्छ
(C) खाद्य
(D) ग्रहणीय
उत्तर – (C) खाद्य
27. ‘अनल’ शब्द का पर्यायवाची होगा
(A) आग
(B) हवा
(C) पानी
(D) सूखा
उत्तर – (A) आग
28. ‘आयुष्मान’ शब्द का पर्यायवाची होगी 
(A) पुत्र
(B) शिष्य
(C) चिरंजीवी
(D) धनवान
उत्तर – (C) चिरंजीवी
29. ‘झंझट’ शब्द का पर्यायवाची होगा
(A) दुःख
(B) परेशानी
(C) बवाल
(D) आसानी
उत्तर – (C) बवाल
30. ‘डरावना’ शब्द का पर्यायवाची होगी
(A) भय
(B) लुंठक
(C) क्रोध
(D) भयानक
उत्तर – (D) भयानक
31. ‘यात्रा’ शब्द है
(A) पुल्लिंग
(B) स्त्रीलिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) स्त्रीलिंग
32. ‘चमक’ शब्द है
(A) पुंल्लिंग
(B) स्त्रीलिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) पुंल्लिंग
33. ‘संधि’ के कितने भेद है
(A) पाँच
(B) दो
(C) तीन
(D) चार
उत्तर – (C) तीन
34. ‘पुराण’ शब्द का विशेषण है
(A) पौराणिक
(B) धार्मिक
(C) पुराणीक
(D) पुराना
उत्तर – (A) पौराणिक
35. ‘भीड़’ शब्द संज्ञा है
(A) जातिवाचक संज्ञा
(B) व्यक्तिवाचक संज्ञा
(C) द्रव्यवाचक संज्ञा
(D) समूहवाचक संज्ञा
उत्तर – (D) समूहवाचक संज्ञा
36. ‘ग्राम’ शब्द का विशेषण है
(A) गाँव
(B) ग्रामवासी
(C) ग्रामीण
(D) गँवई
उत्तर – (C) ग्रामीण
37. ‘कारक’ के कितने भेद हैं?
(A) पाँच
(B) छ:
(C) तीन
(D) आठ
उत्तर – (D) आठ
38. ‘यह नया माल है’ इस वाक्य में ‘नया’ शब्द है
(A) संज्ञा
(B) सर्वनाम
(C) विशेषण
(D) क्रिया
उत्तर – (C) विशेषण
39. ‘जिसने गुरू से दीक्षा ली हो’ को एक शब्द में कहा जाता है
(A) दीक्षित
(B) शिक्षित
(C) पंडितत्य
(D) आचार्य
उत्तर – (A) दीक्षित
40. ‘शिव’ का उपासक कहलाता है
(A) शिवम्
(B) शैव
(C) शिवत्व
(D) शंकर
उत्तर – (B) शैव
41. ‘अर्धनारीश्वर’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं?
(A) रामाचंद्र शुक्ल
(B) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(C) रामधारी सिंह दिनक
(D) मोहन राकेश
उत्तर – (C) रामधारी सिंह दिनक
42. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी है
(A) जुठन
(B) रोज
(C) तिरिछ
(D) उसने कहा था
उत्तर – (D) उसने कहा था
43. ‘शिक्षा’ शीर्षक निबंध के रचनाकार कौन है ? 
(A) जे० कृष्णमूर्ति
(B) मजयज
(C) मोहन राकेश
(D) उदय प्रकाश
उत्तर – (A) जे० कृष्णमूर्ति
44. निम्न में से किस कहानी में ‘ग्रैग्रीन’ का उल्लेख है ?
(A) उसने कहा था
(B) रोज
(C) तिरिछ
(D) रस्सी का टुकड़ा
उत्तर – (B) रोज
45. ‘सिपाही की माँ’ के रचयिता कौन हैं?
(A) मोहन राकेश
(B) रामकुमार वर्मा
(C) अज्ञेय
(D) जगदीश चंद्र माथुर
उत्तर – (A) मोहन राकेश
46. ‘ओ सदानीरा’ किस विधा के अन्तर्गत है ?
(A) नाटक
(B) निबन्ध
(C) आत्मकथा
(D) कहानी
उत्तर – (B) निबन्ध
47. जयप्रकाश नारायण रचित पाठ का नाम है
(A) प्रगीत और समाज
(B) बातचीत
(C) संपूर्ण क्रांति
(D) तिरिछ
उत्तर – (C) संपूर्ण क्रांति
48. बालकृष्ण भट्ट किस युग के रचनाकार है?
(A) भारतेन्दु युग
(B) प्रेमचंद युग
(C) द्विवेदी युग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) भारतेन्दु युग
49. ‘बरवै रामायण’ किनकी रचना है?
(A) नंददास
(B) सूरदास
(C) तुलसीदास
(D) कबीरदास
उत्तर – (C) तुलसीदास
50. ‘बीजक’ के रचयिता कौन हैं?
(A) तुलसीदास
(B) कबीरदास
(C) सूरदास
(D) जायसी
उत्तर – (B) कबीरदास
51. ‘सूरदास’ किस भाषा के कवि हैं?
(A) संस्कृत
(B) ब्रजभाषा
(C) अवधी
(D) मैथिली
उत्तर – (B) ब्रजभाषा
52. ‘दलित साहित्य का सौंदर्य शास्त्र’ नामक आलोचना पुस्तक किसे लिखी है?
(A) ओमप्रकाश वाल्मीकि
(B) मलयज
(C) दिनकर
(D) नामवर सिंह
उत्तर – (A) ओमप्रकाश वाल्मीकि
53. ‘ओ सदानीरा’ शीर्षक निबंध में वर्णित मन कैसे ताल हैं ?
(A) गहरे
(B) छोटे और विशाल
(C) उथले और छिछले
(D) गहरे और विशाल
उत्तर – (D) गहरे और विशाल
54. ‘किसकी विजय हुई सेना, कि नागरिकों की?’ पंक्ति किस पाठ से ली गई है? 
(A) हार-जीत
(B) अधिनायक
(C) गाँव का घर
(D) जन-जन का चेहरा एक
उत्तर – (A) हार-जीत
55. ‘अशोक वाजपेयी’ का मूल निवास स्थान कहाँ है?
(A) सागर, मध्य प्रदेश
(B) महासागर, मद्रास
(C) हिन्द, हिन्द महासागर
(D) वाराणसी, उत्तर प्रदेश
उत्तर – (D) वाराणसी, उत्तर प्रदेश
56. ‘क्लर्क की मौत’ शीर्षक कहानी में क्लर्क का क्या नाम है ?
(A) इवान ट्मीत्रिच चेख्यकोव
(B) होशेकम
(C) फैक्वा
(D) ब्रोत
उत्तर – (A) इवान ट्मीत्रिच चेख्यकोव
57. ‘ईमानदार’ शब्द का विलोम होगा
(A) शरीफ
(B) बेईमान
(C) भला मानुष
(D) दुर्जन
उत्तर – (B) बेईमान
58. ‘आवरण’ शब्द का विलोम होगा
(A) पर्दा
(B) कपड़ा
(C) संरक्षण
(D) अनावरण
उत्तर – (D) अनावरण
59. ‘ऊँच’ शब्द का विलाम होगा
(A) प्रमुख
(B) नीच
(C) गौड़
(D) मध्यम
उत्तर – (B) नीच
60. ‘कठोर’ शब्द का विलोम होगा
(A) कुसुम
(B) कली
(C) मुकुल
(D) कोमल
उत्तर – (D) कोमल
61. ‘भक्तमाल’ किसकी रचना है?
(A) नाभादास
(B) सूरदास
(C) तुलसीदास
(D) कबीरदास
उत्तर – (C) तुलसीदास
62. हिन्दी कहानी के विकास में मील का पत्थर’ कौन-सी कहानी मानी जाती है
(A) उसने कहा था
(B) पंच परमेश्वर
(C) पुरस्कार
(D) मंगर
उत्तर – (A) उसने कहा था
63. जयशंकर प्रसाद का महाकाव्य है
(A) कामायनी
(B) साकेत
(C) उर्वशी
(D) मुकुल
उत्तर – (A) कामायनी
64. ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता की कवयित्री कौन हैं?
(A) महादेवी वर्मा
(B) जयंती
(C) सुभद्रा कुमारी चौहान
(D) मीराबाई
उत्तर – (C) सुभद्रा कुमारी चौहान
65. ‘मालती’ किस कहानी की पात्रा है ? 
(A) सिपाही की माँ
(B) रोज
(C) तिरिछ
(D) गौरा
उत्तर – (B) रोज
66. ‘ज्ञानेन्द्रपति’ की कविता कौन है ?
(A) गाँव का घर
(B) कबीरदास
(C) अधिनायक
(D) जायसी
उत्तर – (A) गाँव का घर
67. ‘हिन्दी साहित्य का ‘सूर्य’ किसे कहा जाता है?
(A) सूरदास
(B) कबीरदास
(C) तुलसीदास
(D) जायसी
उत्तर – (A) सूरदास
68. ‘नाभादास का काव्य रचना क्षेत्र था
(A) हरिद्वार
(B) काशी
(C) वृन्दावन
(D) मथुरा
उत्तर – (A) हरिद्वार
69. सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कब हुआ था?
(A) 1904 ई०
(B) 1900 ई०
(C) 1901 ई०
(D) 1899 ई °
उत्तर – (A) 1904 ई०
70. ‘मुक्तिबोध’ का जन्म स्थल कहाँ है? 
(A) रामगढ़
(B) श्योपुर
(C) वाराणसी
(D) भोपाल
उत्तर – (C) वाराणसी
71. ‘आस्तीन का साँप होना’ मुहावरे अर्थ है 
(A) साँप खोजना
(B) शत्रुता करना
(C) दोस्ती करना
(D) घर में छिपा शत्रु
उत्तर – (D) घर में छिपा शत्रु
72. ‘हाथ का मैल होना’ मुहावरे का अर्थ है 
(A) गंदा होना
(B) कीमती होना
(C) तुच्छ होना
(D) सच होना
उत्तर – (C) तुच्छ होना
73. ‘माथा ठनकना’ मुहावरे का अर्थ है 
(A) कठिन होना
(B) झटका लगना
(C) आशंका होना
(D) चिंता होना
उत्तर – (C) आशंका होना
74. ‘तूती बोलना’ मुहावरे का अर्थ है 
(A) बदल जाना
(B) धाक जमना
(C) दुखी होना
(D) आवाज बिगड़ जाना
उत्तर – (B) धाक जमना
75. ‘उल्टी गंगा बहाना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) लांछन लगाना
(B) विचलित होना
(C) विपरीत कार्य करना
(D) रहस्य होना
उत्तर – (C) विपरीत कार्य करना
76. ‘रसोई घर’ शब्द कौन समास है ?
(A) तत्पुरूष
(B) कर्मधारय
(C) द्वन्द्व
(D) अव्ययीभाव
उत्तर – (A) तत्पुरूष
77. ‘चन्द्रशेखर’ शब्द कौन समास है?
(A) बहुव्रीहि
(B) द्विगु
(C) तत्पुरूष
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (A) बहुव्रीहि
78. ‘वनमानुष’ शब्द कौन समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B) बहुव्रीहि
(C) द्विगु
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (A) तत्पुरुष
79. ‘त्रिफला’ शब्द कौन समास है?
(A) द्विगु
(B) तत्पुरुष
(C) द्वन्द्व
(D) कर्मधारय
उत्तर – (A) द्विगु
80. ‘धीरे-धीरे शब्द कौन समास है
(A) अव्ययीभाव
(B) द्विगु
(C) द्वन्द्व
(D) कर्मधारय
उत्तर – (A) अव्ययीभाव
81. ‘आलस्य’ शब्द का विशेषण है?
(A) आलस
(B) अलस
(C) आलसीपन
(D) आलसी
उत्तर – (D) आलसी
82. ‘अधपका’ शब्द में उपसर्ग है
(A) अध
(B) अधि
(C) अभि
(D) अति
उत्तर – (A) अध
83. ‘सपरिवार’ शब्द में अपसर्ग है
(A) स
(B) सहित
(C) सप्
(D) सपरि
उत्तर – (A) स
84. ‘अंकुरित’ शब्द में प्रत्यय है
(A) अ
(B) रित
(C) इत
(D) त
उत्तर – (C) इत
85. ‘महिमा’ शब्द में प्रत्यय है
(A) मा
(B) अमा
(C) इमा
(D) आ
उत्तर – (A) मा
86. ‘आनन्दमय’ शब्द कौन समास है ? 
(A) तत्पुरुष
(B) अव्ययीभाव
(C) कर्मधारय
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (B) अव्ययीभाव
87. ‘नवरत्न’ शब्द कौन समास है ?
(A) अव्ययीभाव
(B) तत्पुरूष
(C) द्विगु
(D) द्वन्द्व
उत्तर – (C) द्विगु
88. ‘चन्द्रमौलि’ शब्द कौन समास है ?
(A) बहुव्रीहि
(B) तत्पुरूष
(C) द्वन्द्व
(D) द्विगु
उत्तर – (A) बहुव्रीहि
89. ‘आकाश पाताल एक करना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) उत्पात करना
(B) अत्याचार करना
(C) निरंतर अन्याय करना
(D) कठिन परिश्रम करना
उत्तर – (D) कठिन परिश्रम करना
90. ‘मुट्ठी में करना’ मुहावरे का अर्थ है
(A) भ्रम में रखना
(B) मनमानी करना
(C) वश में करना
(D) वश में न करना
उत्तर – (C) वश में करना
91. ‘पंचायती राज’ में क्या खो गया है ?
(A) ईमान
(B) धर्म
(C) पंच परमेश्वर
(D) विश्व-बंधुत्व
उत्तर – (C) पंच परमेश्वर
92. अंतोन चेखव की कहानी है
(A) क्लर्क की मौत
(B) पेशगी
(C) रस्सी का टुकड़ा
(D) इनमें से काई नहीं
उत्तर – (A) क्लर्क की मौत
93. ‘एक लेख और एक पत्र में भगत सिंह ने किसको पत्र लिखा था ?
(A) सुखदेव
(B) राजगुरु
(C) बिस्मिल
(D) अशफाक खाँ
उत्तर – (A) सुखदेव
94. ‘तेरी कुड़माई हो गई’ का किस कहानी से संबंध है? 
(A) रोज
(B) उसने कहा था
(C) तिरिछ
(D) जूठन
उत्तर – (B) उसने कहा था
95. ज्ञानेन्द्रपति किस प्रशासनिक पद पर थे ? 
(A) जिलाधिकारी
(B) पूलिस अधिकारी
(C) कारा अधीक्षक
(D) सेना अधिकारी
उत्तर – (B) पूलिस अधिकारी
96. ‘कृष्ण शब्द का विलोम है।
(A) सफेद
(B) उजला
(C) काला
(D) शुक्ल
उत्तर – (D) शुक्ल
97. ‘सतृति’ शब्द का विलोम है
(A) निंदा
(B) शिकायत
(C) घृणा
(D) द्वेष
उत्तर – (A) निंदा
98. ‘संध्या’ शब्द का विलोम है 
(A) प्रातः
(B) निशा
(C) रात्रि
(D) दोपहर
उत्तर – (A) प्रातः
99. ‘दृषित’ शब्द का विलोम है 
(A) प्रदूषित
(B) गंदा
(C) स्वच्छ
(D) मलिन
उत्तर – (C) स्वच्छ
100. ‘शेष’ शब्द का विलोम है
(A) विशेष
(B) अशेष
(C) द्वेष
(D) अवशेष
उत्तर – (B) अशेष
विषयनिष्ठ प्रश्न
1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखें –
(क) हमारे पावन पर्व
(ख) कोरोना वायरस
(ग) आरक्षण नीति
(ङ) चुनाव प्रक्रिया
(घ) पर्यावरण संरक्षण
(च) मोबाइल और इंटरनेट ।

उत्तर – (क) हमारे पावन पर्व

          हमारे देश विभिन्नताओं के समूह का एक ऐसा देश है, जो अन्यत्र दुर्लभ है और अद्भुत भी है। इस दुर्लभता और अद्भुत स्वरूप में आनंद और उल्लास की छटा दिखाई देती है। हमारे देश में जो भी त्योहार या पर्व मनाए जाते हैं, उनमें अनेकरूपता दिखाई पड़ती है।
          हमारे देश में त्योहारों का जाल बिछा हुआ है। यों कहा जाए जो कोई बहुत बड़ी अत्युक्ति अथवा अनुचित बात नहीं होंगी कि यहाँ आए दिन कोई – न  – कोई त्योहार पड़ता रहता है। ऐसा इसीलिए कि हमारे देश के ये त्योहार किसी एक ही वर्ग, जाति या सम्प्रदाय से ही सम्बन्धित नहीं होते हैं अपितु ये विभिन्न वर्गों, जातियों और सम्प्रदायों के द्वारा सम्पन्न और आयोजित होते रहते हैं। इसलिए ये त्योहार धार्मिक सांस्कृतिक, राजनैतिक और सामाजिक होते हैं। इन सभी प्रकार के त्योहारों का कुछ न कुछ विशिष्ट अर्थ होता है।
          हमारे देश में त्योहारों का महत्त्व नि:संदेह है। इन त्योहारों का महत्त्व समाज और राष्ट्र की एकता समृद्धि प्रेम एकता मेल मिलाप के दृष्टि से है- साम्प्रदायिकता एकता धार्मिक समन्वय, सामाजिक समानता को हमारे भारतीय त्योहार समय समय पर घटित होकर हमारे अंदर उत्पन्न करते रहते हैं।
          मानवीय मूल्यों और मानवीय आदर्शों को स्थापित करने वाले हमारे देश के त्योहार तो शृंखलाबद्ध हैं। एक त्योहार समाप्त हो रहा है अथवा जैसे ही समाप्त हो गया, वैसे दूसरा त्योहार आ धमकता है। तात्पर्य यह है कि पूरे वर्ष हम त्योहारों के मधुर मिलन से जुड़े रहते हैं। हमे कभी भी इनसे फुरसत नहीं मिलती है। हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में नागपंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, दशहरा, दीवाली, होली, ईद, राम नममी आदि है।
(ख) कोरोना वायरस
          विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को महामारी घोषित कर दिया है। कोरोना वायरस बहुत सूक्ष्म लेकिन प्रभावी वायरस है। कोरोना वायरस मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा है, लेकिन कोरोना का संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फ़ैल रहा है। कोरोना वायरस (सीओबी) का संबंध वायरस के ऐसे परिवार से है जिसके संक्रमण से जुकाम से लेकर साँस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस वायरस को पहले कभी नहीं देखा गया है। इस वायरस का संक्रमण दिसंबर में चीन के वुहान में शुरु में हुआ था। डब्लूएचओ के मुताबिक बुखार, खाँसी, साँस लेने में तकलीफ इसके लक्षण हैं।
          इसके संक्रमण के फलस्वरूप बुखार, जुकाम, साँस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खराश जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है। यह वायरस दिसंबर में सबसे पहले में पकड़ में आया था। इसके दूसरे देशों में पहुँच जाने की आशंका जताई जा रही है।
          विश्व स्वास्थ्य संगठन, पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड और नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) से प्राप्त सूचना के आधार पर कोरोना वायरस से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। एयरपोर्ट पर यात्रियों की स्क्रीनिंग हो या फिर लैब में लोगों की जाँच, सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए कई तरह की तैयारी की है। इसके अलावा किसी भी तरह की अफवाह से बचने खुद की सुरक्षा के लिए कुछ निर्देश जारी किए हैं जिससे कि कोरोना वायरस से निपटा जा सकता है।
(ग) आरक्षण नीति
          जब किसी देश, राष्ट्र अथवा समाज में कोई वस्तु, पदों की संख्या अथवा सुख-सुविधा आदि किसी व्यक्ति तथा वर्ग-विशेष के लिए आरक्षित कर दी जाती है तो उसकी ओर सबका ध्यान आकर्षित हो जाता है। इसी कारण पिछड़ी जातियों के लिए नौकरियों अथवा सरकारी पदों पर आरक्षण की घोषणा ने सम्पूर्ण देश के लोगों का ध्यान आकर्षित किया। इस ‘आरक्षणं नीति’ के विरोध में आन्दोलन हुए और अनेक विवाद खड़े हो गए।
          ‘आरक्षण’ एक विशेषाधिकार है, जो दूसरों के लिए बाधक और ईर्ष्या का कारण बन जाता है। किन्तु ‘आरक्षण’ समाज में आर्थिक विषमता को दूर करने का एक साधन भी है। भारत में आरक्षण का मुख्य आधार जातिगत ही रहा है | आरक्षण की कहानी देश में तब शुरू हुई थी जब 1882 में हंटर आयोग बना। उस समय विख्यात समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले ने सभी के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा तथा अंग्रेज सरकार की नौकरियों में आनुपातिक आरक्षण की मांग की थी ।
          बी आर आंबेडकर ने अनुसूचित जातियों की उन्नति के लिए सन् 1942 में सरकारी सेवाओं और शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण की मांग की थी। 1950 में अंबेडकर की कोशिशों से संविधान की धारा 330 और 332 के अंतर्गत यह प्रावधान तय हुआ कि लोकसभा में और राज्यों की विधानसभाओं में इनके लिये कुछ सीटें आरक्षित रखी जायेंगी।
          अभी 15 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जाति को दिया जाता है. जबकि अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत आरक्षण है. वहीं, 27 प्रतिशत आरक्षण अन्य पिछड़ा वर्ग यानि कि ओबीसी को दिया जाता है। 50.5 प्रतिशत आरक्षण अनारक्षितों को दिया जाता है।
          लेकिन 2018-2019 में भारत सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण जाति के लोगों को भी आरक्षण देने का प्रावधान किया है, और अब देश में आरक्षण का प्रतिशत बढ़ कर 59.5 हो गया है।
          दुःख का विषय है कि स्वाधीनता के पश्चात् दीर्घ अवधि व्यतीत होने के बाद भी हमारे देश की आर्थिक विषमता नहीं मिट सकी है और धनी-निर्धन के बीच की खाई निरन्तर और अधिक चौडी होती जा रही है। राजनैतिक कारणों से; जाति, धर्म और सम्प्रदाय अपना पूर्ववत् रूप बनाए हुए हैं।
          आरक्षण की नीति ने जातिवाद को बढ़ावा दिया है। प्रत्येक राजनैतिक दल बहुमत प्राप्त करने के जातिगत आधार को अभी भी स्वीकार किए गए है। इसीलिए जातिवाद समाप्त नहीं हो सका है। यद्यपि ‘आरक्षण की नीति’ का मूल उद्देश्य वर्ग-विशेष की आर्थिक स्थिति को सधारना और समाज में शैक्षणिक सुविधाएँ देकर सभी को समानता का स्तर प्रदान करना है, किन्तु आरक्षण की नीति का आधार जातिगत हो जाने से इस व्यापक उद्देश्य की पर्ति में बाधा उत्पन्न हो गई है।
          वस्तुत: भारत में आरक्षण को जिस प्रकार का राजनैतिक स्वरूप दे दिया गया है वह इसकी मूल कल्याणकारी भावना पर ही कुठाराघात कर रहा है। इसका उद्देश्य सामाजिक एवं आर्थिक शोषण से मुक्ति दिलाकर शोषित एवं दलित वर्ग का उत्थान करना था, किन्तु यह आज जाति भेद को प्रोत्साहन देकर जाति-विद्वेष की भावना को बढ़ावा दे रहा है। इससे समाज के पुनः बिखर जाने का भय उत्पन्न हो गया है। अतः अब आरक्षण की नीति पर नए सिरे से और निष्पक्ष रूप से विचार करना आवश्यक हो गया है।
(घ) पर्यावरण संरक्षण
          पर्यावरण यानि ऐसा आवरण जो हमें चारों तरफ से ढंक कर रखता है, जो हमसे जुड़ा है और हम उससे जुड़े हैं और हम चाहें तो भी खुद को इससे अलग नहीं कर सकते हैं। प्रकृति और पर्यावरण एक दूसरे का अभिन्न हिस्सा हैं।
          कोई भी व्यक्ति या वस्तु चाहे वो सजीव हो या निर्जीव, पर्यावरण के अन्तर्गत ही आती है। पर्यावरण से हमें बहुत कुछ मिलता है, लेकिन बदले में हम क्या करते हैं? हम अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस पर्यावरण और इसकी अमूल्य संपदा का हनन करने पर तुले हैं।
          हमारे द्वारा कि गई हर अच्छी और बुरी गतिविधि का असर पर्यावरण पर पड़ता है। इस प्रकृति पर मानव ही सबसे अधिक बुद्धिशील प्राणी माना जाता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण की जिम्मेदारी भी मनुष्य की ही है। आज हम पर्यावरण संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालकर समाज को इसके लिए जागृत करना चाहते हैं।
          पर्यावरण अर्थात् जिस वातावरण में हम रहते हैं। हमारे आस पास मौजूद हर एक चीज, जीव-जंतु, पक्षी, पेड़-पौधे, व्यक्ति इत्यादि सभी से मिलकर पर्यावरण घनिष्ठ संबंध है और हमेशा रहेगा। प्रकृति और पर्यावरण की उत्साह का संचार होने लगता है। की रचना होती है। हमारा इस पर्यावरण से अद्भुत सुंदरता देखते ही हृदय में खुशी और
          हरे भरे लहलहाते पेड़, आसमान में कलरव करते और चहचहाते पक्षी, जंगल में दौड़ते जीव जंतु, समन्दर में आती और जाती हुई लहरें, कल कल करके बहती हुई नदियां आदि जो मनोरम अहसास करवाते हैं, वो हमें अन्य कहीं से महसूस नहीं हो सकता।
          फिर भी ये अफ़सोस की बात है कि लोग आज भी इसके महत्व को समझ नहीं पाए हैं और इसे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। वे यह नहीं जान पा रहे कि पर्यावरण की हानि करके वे अपने सर्वनाश को निमंत्रण दे रहे हैं।
          आज मानव नए नए आविष्कार कर रहा है और खूब तरक्की कर रहा है, परन्तु उसका हर्जाना भुगत रहा है ये पर्यावरण और इसमें रहने वाले अबोध जीव। आज सभी को पर्यावरण और प्रकृति का संरक्षण करने के लिए जागरूक होना पड़ेगा, अन्यथा पर्यावरण के साथ सारी मानव जाति का भी विनाश हो जाएगा।
          जैसे जैसे समय बीतता गया हमारी जरूरतें भी बढ़ती गई और इन जरूरतों को पूरा करने के लिए हम पर्यावरण के प्रति निर्दयता दिखाने लगे। हमने जनसंख्या वृद्धि पर पहले से रोक नहीं लगाई, जिससे लोगों को संसाधन कम पड़ने लगे और अत्यधिक रूप से पर्यावरण का विनाश होने लगा।
          गाँवों से लोग शहरों की ओर पलायन करने लगे, पेड़ पौधों और वनों का विनाश होने लगा, जीव जंतुओं को अपने फायदे के लिए मारा जाने लगा, हर तरफ प्रदूषण फैल गया। जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान पहुँचा।
          जिस प्रकृति ने हमें आश्रय दिया उसी को नष्ट करने पर तुल गए हम लोग और प्रकृति का संतुलन बिगड़ता चला गया। पर्यावरण प्रदूषण के बहुत से दुष्प्रभाव हैं जैसे अणु विस्फोट से रेडियोधर्मी पदार्थ निकलने से आनुवांशिक प्रभाव, ओजोन परत जो पराबैंगनी किरणों से रक्षा करती है उसका क्षरण, भूमि का कटाव, अत्यधिक ताप वृद्धि, हवा-पानी-परिवेश प्रदूषित होना, पेड़-पौधों का विनाश, नए नए रोग उत्पन्न होना इत्यादि कई बुरे प्रभाव हैं।
          प्राचीन काल से ही पर्यावरण का बहुत महत्व रहा है, वास्तव में प्रकृति का संरक्षण ही उसका पूजन है। हमारे भारत में पर्वत, नदियाँ, वायु, आग, ग्रह नक्षत्र, पेड़ पौधे आदि सभी से मानवीय संबंध जोड़े गए हैं।
          वृक्षों को संतान स्वरूप और नदियों को मां स्वरूप माना गया है। हमारे ऋषि मुनियों को ज्ञात था कि मानव स्वभाव कैसा होता है, मानव अपने लालच में किसी भी हद तक जा सकते हैं। इसलिए उन्होंने प्रकृति के साथ मानवीय सम्बन्धों को विकसित किया ।
          वे जानते थे कि पर्यावरण ही पृथ्वी पर जीवन का आधार है। अतः उन्होंने अपने ग्रंथों में प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण की ही बात कही। वेदों में भी कहा गया है –
ॐ पूर्णभदः पूर्णामिदं पूर्णात्पूर्णमुदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिष्यते ।।
          अर्थात् हमें प्रकृति से उतना ही ग्रहण करना चाहिए, जितना की आवश्यक है। प्रकृति को पूर्णता से नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। हमारी माता और दादी इसी भावना से बिना पौधों को नुक़सान पहुंचाए तुलसी की पत्तियां तोड़ती हैं। कुछ ऐसा ही संदेश वेदों में भी दिया गया है।
          आज कोई भी पर्यावरण के संरक्षण का महत्व नहीं समझ रहा है। निरंतर प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, जिससे सारी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है और मानव सभ्यता का अंत होने को है। इन परिस्थितियों को देखते हुए सन् 1992 में ब्राजील में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन भी किया गया।
          जिसमें 174 देश शामिल हुए। उसके बाद जोहान्सबर्ग में भी सन् 2002 में पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसके अन्तर्गत सारे देशों को पर्यावरण संरक्षण करने के लिए उपाय समझाए गए।
          पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें सर्वप्रथम इस धरती को प्रदूषण रहित करना होगा। जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रदूषण भी बढ़ता ही जा रहा है, जिसे नियंत्रण में लाना आवश्यक है तभी हमारे पर्यावरण का संरक्षण हो पाएगा।
          मनुष्य दिन प्रतिदिन प्रगति करता जा रहा है और इस विकास के नाम पर प्रदूषण वृद्धि करता जा रहा है। ओजोन परत का क्षरण होने से धरती का तापमान बढ़ता जा रहा है और ध्रुवों पर ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अतः पर्यावरण संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी बन जाता है।
          सन् 1986 में भारत की संसद ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक अधिनियम बनाया जिसे पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कहते हैं। जब मध्यप्रदेश स्थित भोपाल में गैस लीक की दुर्घटना हुई थी, तब इसे पारित किया गया था।
          यह बहुत बड़ी ओद्यौगिक दुर्घटना थी, जिसमें करीब 2,259 लोग वहीं मारे गए और 500,000 से ज्यादा व्यक्ति मिथाइल आइसोसाइनेट नामक गैस की चपेट में आ गए थे। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान देना, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के बारे में सोचना और पर्यावरण में सुधार लाने हेतु कानून बनाना था।
          पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इसे रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं।
          फैक्ट्री और घरों से निकलने वाला गंदा पानी जो नदियों और समुद्र में निष्कासित किया जाता है उसे रोकना होगा। क्योंकि यही पानी पीने में, खेती बाड़ी में और दूसरे कार्यों में उपयोग में लाया जाता है । जिसके प्रदूषित होने से उपजाऊ ज़मीन भी धीरे धीरे बंजर हो जाती है और उस जमीन पर भी खाद्य पदार्थ उगाए जाते हैं, वह भी खाने पर शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं।
          वायु प्रदूषण से भी निरंतर पर्यावरण दूषित ही हो रहा है। हमें वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए घर में उपयोग लाए जाने वाले लेटेक्स पेंट का प्रयोग बंद करना होगा।
          पर्यावरण को सुरक्षित रखना उतना ही जरुरी है जितना हम अपने आप को रखते है। पर्यावरण से ही हमे वो सभी चीजे उपलब्ध होती है, जिसका इस्तेमाल करके आज मानव जीवित है और आराम और सुखदायी जीवन व्यतीत कर रहा है।
          पर्यावरण संरक्षण हमारा फर्ज है और इस जिम्मेदारी को हम सबको मिल कर निभाना चाहिए। हमे जितना हो सके उतना पर्यावरण को दूषित होने से बचाना चाहिए और प्रदुषण को रोकने के उपायों को अमल में लाना चाहिए।
(ङ) चुनाव प्रक्रिया
          चुनाव या फिर जिसे निर्वाचन प्रक्रिया के नाम से भी जाना जाता है। लोकतंत्र का एक अहम हिस्सा है और इसके बिना तो लोकतंत्र की परिकल्पना करना भी मुश्किल है क्योंकि चुनाव का यह विशेष अधिकार किसी भी लोकतांत्रिक देश के व्यक्ति को यह शक्ति देता है कि वह अपने नेता को चुन सके तथा आवश्यकता पड़ने पर सत्ता परिवर्तन भी कर सके एक देश के विकास के लिए चुनाव बहुत अहम प्रक्रिया है क्योंकि यह देश के राजनेताओं में इस बात का भय पैदा करता है कि यदि वह जनता का दमन या शोषण करेंगे तो चुनाव के समय जनता अपनी वोटों के ताकत द्वारा उन्हें सत्ता से बाहर कर सकती हैं।
          किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव काफी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं और क्योंकि भारत का विश्व को सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भी जाना जाता है। इसलिए भारत में चुनावों को काफी अहम माना जाता है। आजादी के बाद से भारत में कई बार चुनाव हो चुके और इन्होंने देश के विकास को गति देने का एक महत्त्वपूर्ण कार्य किया। यह चुनाव प्रक्रिया ही है। जिसके कारण भारत में सुशासन कानून व्यवस्था तथा पारदर्शिता जैसी चीजों को बढ़ावा मिला है।
          भारतीय लोकतंत्र में चुनाव का एक महत्त्वपूर्ण योदान है। इसी वजह से भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भी जाना जाता है। यह चुनाव प्रक्रिया है जिसने दिन-प्रतिदिन भारत में लोकतंत्र के नींव को और भी मजबूत किया है। यही कारण है कि भारतीय लोकतंत्र में चुनाव इतना महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
(च) मोबाइल और इंटरनेट
          इंटरनेट आधुनिक और उच्च तकनीकी विज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण आविष्कार है। ये किसी भी व्यक्ति को दुनिया के किसी भी कोने में बैठे हुए। महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करने की अद्भुत सुविधा प्रदान करता है। इसके माध्यम से हम लोग आसानी से किसी एक जगह रखे कम्प्यूटर को किसी भी एक या एक से अधिक कम्प्यूटर से जोड़कर जानकारी का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इंटरनेट के द्वारा हम कुछ सैंकड़ों में ही बड़े या छोटे संदेशों अथवा किसी प्रकार की जानकारी एक कम्प्यूटर या डिजीटल डिवाइस (यंत्र) जैसे— टैबलेट, मोबाइल, पीसी से दूसरे डिवाइस में काफी आसानी से भेज सकते हैं।
          इंटरनेट के हमारे जीवन में प्रवेश के साथ ही हमारी दुनिया बड़े पैमाने पर बदल गई है। इसके द्वारा हमारे जीवन में कुछ सकरात्मक तो कुछ नकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। ये विद्यार्थीयाँ, व्यापारियाँ, सरकारी एजेंसीयों शोध संस्थानों आदि के लिए काफी फायदेमंद है। इससे विद्यार्थी अपने पढ़ाई से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। व्यापारी एक जगह से ही अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं इससे सरकारी एजेंसी अपने काम को समय पर पुरा कर सकती है तथा शोध संस्थान और शोध करने के साथ ही उत्कृष्ट परिणाम भी दे सकती है।
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या करें –
(क) “प्रत्येक पत्नी अपने पति को बहुत कुछ उसी दृष्टि से देखती है जिस दृष्टि से लता अपने वृक्ष को देखती है।”
(ख) “कैसी है चंपारन की यह भूमि ? मानो विस्मृति के हाथों अपनी बड़ी से बड़ी निधियों को सौंपने के लिए प्रस्तुत करती है । “
(ग) “पूरब- पश्चिम से आते हैं
नंगे-बूचे नर कंकाल
सिंहासन पर बैठा,
उनके तमगे कौन लगाता है।
(घ) “फिर भी रोता ही रहता है
 नहीं मानता है मन मेरा
बड़ा जटिल नीरस लगता है

उत्तर – (क) प्रस्तुत वाक्य राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित ‘अर्द्धनारीश्वर’ निबंध से उद्धृत है। प्रस्तुत वाक्य में लेखक ने नारी की पराधीनता पर चिंता जताई है।

          आदि मानव और आदि मानवी एक-दूसरे पर निर्भर नहीं थे। प्रकृति का पूरा उपभोग वे एक साथ मिलकर करते थे। वे आहार संचय के लिए साथ-साथ निकलते थे और अगर कोई जानवर उनपर टूट पड़ता तो वे एक साथ उसका सामना भी करते थे। नर-नारी दोनों सबल थे। दोनों अपना आहार स्वयं प्राप्त करते थे।
          लेकिन कृषि के आविष्कार ने नारी को दुर्बल बना दिया। नारी पुरुष पर निर्भर होने लगी। जिस प्रकार लता अपने अस्तित्व के लिए वृक्ष पर निर्भ रहती है, उसी प्रकार पत्नी अपने पति पर निर्भर होने लगी। कृषि का विकास सभ्यता का पहला सोपान था। लेकिन नारी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। आज प्रत्येक पुरुष अपनी पत्नी को फूलों-सा आनन्दमय भार समझता है । लेखक का यह व्यंग्य उचित है। अतः आज नारी पराधीनता के कारण अपना अस्तित्व खोती जा रही है। उसके सुख और दुःख प्रतिष्ठा और अप्रतिष्ठा, यहाँ तक कि जीवन और मरण पुरुष की मर्जी पर टिकने लगा।
          (ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘ओ सदानीरा’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता जगदीशचंद्र माथुर हैं।
          चंपारन में बापू द्वारा स्थापित आश्रम विद्यालय को देखकर माथुरजी को बड़ा दुख पहुँचा, उसी आश्रम विद्यालय से बापू ने चंपारनवासियों में स्वतंत्रता की चेतना जगाने का प्रयास किया था। वह आश्रम आज (1962) उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। चंपारन के लोगों की मानसिकता पर दुःख व्यक्त करते हुए माथुरजी कहते हैं कि उन्हें उस आश्रम को सुरक्षित रखना चाहिए था, क्योंकि वह आश्रम राष्ट्रीय सम्पत्ति है, इतिहास के एक उज्ज्वल पृष्ठ का गवाह है। ऐसा लगता है कि चंपारन के लोगों में अपनी राष्ट्रीय और सांस्कृतिक धरोहर के प्रति कोई आस्था और श्रद्धा है ही नहीं। जैसे वे अपनी बड़ी से बड़ी निधियों को विस्मृत कर देने में पारंगत हों। राष्ट्रीय धरोहर हमारी प्रेरणा की स्रोत होती हैं। उन्हें विस्मृत करना अपने अस्तित्व को विस्मृत कर देने के समान है। विस्मृति हमारी विकलांग मानसिकता की परिचायक है।
          (ग) प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता आधुनिक काल के प्रसिद्ध कवि रघुवीर सहाय हैं ।
          कवि रघुवीर सहाय ने आज के सत्ताधारी वर्ग के राजनेताओं पर व्यंग्य करते हुए लिखा है कि इनका काम केवल भाषण देना और पुरस्कार बाँटना ही रह गया है। ये जनता के प्रतिनिधि होकर भी जनता से दूर रहते हैं और अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए तरह-तरह के तिकड़म किया करते हैं। वे पूरब-पश्चिम के नंगे-बूचे नरकंकालों को सिंहासन पर बैठाकर पुरस्कृत किया करते हैं ताकि विदेशों में उनके लिए भी पुरस्कारों का जुगाड़ हो सके।
          (घ) प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘हँसते हुए मेरा अकेलापन’ पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता मलयज है। कवि ने निम्न पंक्तियों के माध्यम से अपने मन की व्यथा व्यक्त करते हैं। वे कहते हैं कि फिर भी रोता ही रहता है नहीं मानता है मन मेरा बड़ा जटिल नीरस लगता है सूना सूना जीवन मेरा।
3. मासिक शुल्क माफ करने के लिए प्रधानाचार्य के पास आवेदन-पत्र लिखें।
अथवा,
नया खाता खुलवाने हेतु मैनेजर के पास आवेदन-पत्र लिखें

उत्तर –

सेवा में,
प्रधानाचार्य जी
विवेकानंद पब्लिक स्कूल
विषय : मासिक शुल्क माफी के लिए ।
महोदय,
         सविनय निवेदन है कि मेरा नाम सुरेश कुमार है। मैं आपके विद्यालय के कक्षा 12वीं का छात्र है। मेरे पिताजी किसान है और हमारी आजीविका उन्हीं की कमाई से चलती है। लेकिन इस वर्ष फसल खराब होने की वजह से हमारी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है जिस कारण पिताजी मेरी विद्यालय की फीस देने में असमर्थ है। मैं अपनी कक्षा का कर्मठ विद्यार्थी हूँ, और हर वर्ष कक्षा में प्रथम आता हूँ।
        अतः मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए आपसे निवेदन है कि मेरी इस वर्ष की फीस माफ करने की कृपा करें। इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।
 सधन्यवाद
आपका आज्ञाकारी छात्र
सुरेश कुमार
दिनांक : 6 फरवरी 2021
अथवा,
सेवा में,
शाखा प्रबंधक
पंजाब नेशनल बैंक पटना।
विषय : नया खाता खुलवाने के संबंध में।
महोदय,
          विनम्र निवेदन हैं कि मैं राम शर्मा आपके बैंक में खाता खोलना चाहता हूँ। जिससे मैं बैंक की सुविधाओं का लाभ ले सकूँ। मैंने खाता खुलवाने के लिए सभी जरूरी दस्तावेज फॉर्म के साथ संलग्न कर दिए हैं।
         अतः आपसे मेरा निवेदन हैं कि खाता खोला जाये। जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूँगा। धन्यवाद ।
भवदीय
राम शर्मा
पता राजेन्द्र नगर
मो० न० : 9999955555
 4. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें।
(i) जयप्रकाश नारायण की पत्नी का क्या नाम था ? वे किसकी पुत्री थी ?
(ii) नारी की पराधीनता कब से आरम्भ हुई ?
(iii) भगत सिंह की विद्यार्थियों से क्या अपेक्षाएँ हैं?
(iv) मानक और सिपाही एक-दूसरे को क्यों मारना चाहते हैं?
(v) कुंती का परिचय दें।
(vi) भूषण ने शिवाजी की तुलना मृगराज से क्यों की है ?
(vii) ‘हृदय की बात’ का क्या अर्थ है ?
(viii) प्यार का इशारा और क्रोध का दुधारा से क्या तात्पर्य है ?
(ix) हरचरना कौन है ?
(x) अधिनायक कौन है ?
उत्तर – (i) जयप्रकाश नारायण की पत्नी का नाम प्रभावती देवी था। वे बिहार के प्रसिद्ध गाँधीवादी बृज किशोर प्रसाद की पुत्री थीं।
(ii) जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई। घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गई। कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरंभ हो गई ।
(iii) भगत सिंह कहते हैं कि हिन्दुस्तान को ऐसे देशसेवकों की जरूरत है जो तन-मन-धन देश पर अर्पित कर दें और पागलों की तरह सारी उम्र देश की आजादी के लिए या देश के विकास में न्योछावर कर दें। यह कार्य सिर्फ विद्यार्थी ही कर सकते हैं। सभी देशों को आजाद करने वाले वहाँ के विद्यार्थी और नौजवान ही हुआ करते है। वे ही क्रांति कर सकते हैं। अतः विद्यार्थी पढ़े। साथ ही पॉलिटिक्स का भी ज्ञान हासिल करें और जब जरूरत हो तो मैदान में कूद पड़े और अपना जीवन इसी काम में लगा दें। अपने प्राणों को इसी में उत्सर्ग कर दें। यही अपेक्षाएँ हैं विद्यार्थियों से भगत सिंह की।
(iv) मानक वर्मा की लड़ाई में भारत की ओर से अंग्रेजों के साथ लड़ने गया था और दूसरी ओर के पक्ष जापानी थे। सेना एक दूसरे का दुश्मन है क्योंकि वे अपने-अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। मानक और सिपाही अपने को एक-दूसरे का दुश्मन समझते हैं इसलिए वे एक-दूसरे को मारना चाहते हैं।
(v) कुंती नाटक के प्रथम दृश्य में आती है। वह बिशनी की पड़ोसिन है। अधेड़ होने पर भी उसके चेहरे पर स्वास्थ्य की लाली झलकती है। वह ग्रामीण संस्कृति की वैसी पड़ोसिन है जिसके पास पास-पड़ोस में जाकर गप लड़ाने के लिए फुर्सत-ही फुर्सत होती है। कुंती अकारण दूसरों की चिंता में घुलनेवाली प्राणी है जिसकी सहृदयता ओढ़ी हुई है और जो श्रेष्ठता मनोग्रंथि से ग्रस्त है। कुंती स्वार्थी, अनुदार और असंवेदनशील है। कुंती रसिक मिजाज की है। वह रिफ्यूजी लड़कियों के संबंध में ऐसी भद्दी टिप्पणी करती है जो (किसी भी रूप में) किसी नारी की मर्यादा के अनुरूप नहीं है।
(vi) जिस तरह मृगराज (सिंह) हाथी पर आक्रमण कर उसे मार डालता है, उसी तरह शिवाजी शत्रुसेना पर आक्रमण कर उसे (सेना को) छिन्न-भिन्न कर देते हैं। अतः, भूषण ने शिवाजी की तुलना मृगराज से की है।
(vii) ‘हृदय की बात’ का तात्पर्य हमारी संवेदनाओं से है। ‘हृदय’ शब्द प्रेम, करुणा, स्नेह, ममता और दया का प्रतीक है। हृदय में प्रेम, करुणा, स्नेह, ममता, दया, सहानुभूति एवं परोपकार का भाव स्थायी रूप से वर्तमान रहता है। ‘हृदय की बात’ में उपर्युक्त सात्त्विक भावों का सन्निवेश होता है।
(viii) सर्वहारा वर्ग पहले तो शोषक वर्ग से शांतिपूर्ण समझौते का प्रयास करता है, पर उस प्रयास में विफल होने पर वह अपने क्रोध रूपी दुधारी तलवार से अपने हक की प्राप्ति के लिए संघर्षशील हो जाता है। वह क्रोध की ज्वाला में अन्यायपूर्ण परंपरा को जलाकर राख कर देने को उतावला हो उठता है। उसके क्रोध की भयंकर तलवार दोनों तरफ से धारदार होती है।
(ix) ‘हरचरना’ आम आदमी का प्रतिनिधि है। आम आदमी अभावों में जीता है और महाबली नेताओं का गुणगान किया करता है। ‘हरचरना’ जो कभी ‘हरिचरण’ था, ढीला-ढाला पाजामा पहने राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में सम्मिलित होता है और इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी ‘अधिनायक’ का गुणगान करता है- – जन-गण-मन अधिनायक जय हे, भारत-भाग्य-विधाता!’ ‘फटे सुथन्ने’ में अपनी स्थिति से बेखबर ‘अधिनायक’ का गुण गाता हुआ हरचरना आसानी से पहचाना जा सकता है।
(x) कवि रघुवीर सहाय ने ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता में राजनीति में पनप रही सामंती प्रवृत्ति पर व्यंग्य किया है। सत्ताधारी वर्ग के मंत्री, मुख्यमंत्री ही अब ‘अधिनायक’ बन गए हैं। वे बाहुबल और धन बल के सहारे राजनीति में शीर्ष पर पहुँचकर आम जनता से अपना गुणगान करवाया करते हैं। आधुनिक अधिनायक की पहचान है कि वे राष्ट्रीय त्योहारों या किसी विशेष आयोजन के अवसर पर बड़े ठाठ-बाट के साथ मंच पर उपस्थित होते हैं। उनका स्वागत किसी राजा या महाराजा की तरह होता है। तरह-तरह के बाजे बजते हैं, तोप से गोले दागे जाते हैं, जय-जयकार होती है, आगे-पीछे अंगरक्षक होते हैं, सेवकों का समूह होता है।
5. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दें।
(i) ‘अर्धनारीश्वर’ निबन्ध में व्यक्त विचारों को संक्षेप में लिखिए।
(ii) लहना सिंह का चारित्र चित्रण करें।
(iii) ‘रोज’ कहानी के केन्द्रीय संदेश की समीक्षा करें ।
(iv) ‘अधिनायक’ कविता का भावार्थ लिखें।
(v) ‘तुमुल कोलाहल कलह में कविता का संक्षेप में भावार्थ लिखें।
(vi) ‘उषा’ शीर्षक कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए |

उत्तर – (i) देखें ‘अर्द्धनारीश्वर’ निबन्ध राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ द्वारा रचित एक प्रेरक निबंध है। ‘अर्द्धनारीश्वर’ दिनकर का एक प्रिय मिथकीय प्रतीक है। अर्द्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का काल्पनिक रूप है, जिसका आधा अंग पुरुष का और आधा अंग नारी का होता है। एक ही मूर्ति की दो आँखें, एक रसमयी और दूसरी विकराल; एक ही मूर्ति की दो भुजाएँ – एक त्रिशूल उठाये और दूसरी की पहुँची पर चूड़ियाँ एवं एक ही मूर्ति के दो पाँव, एक जरीदार साड़ी से आवृत और दूसरा बाघंबर से ढंका हुआ, यह कल्पना निश्चय ही शिव और शक्ति के बीच पूर्ण समन्वय दिखाने के लिए रची गयी होगी।

          अर्द्धनारीश्वर की कल्पना में कुछ इस बात का भी संकेत है कि नर-नारी पूर्णरूप से समान हैं और उनमें से एक के गुण दूसरे के दोष नहीं हो सकते। परन्तु अर्द्धनारीश्वर का यह रूप आज समाज में देखने को नहीं मिलता। संसार में सर्वत्र पुरुष-पुरुष हैं और स्त्री स्त्री । संसार में त्री और पुरुष में दूरियाँ बढ़ती जा रही हैं। पुरुष एवं नारी के गुणों के बीच एक विभाजन रेखा बन गई है और इस रेखा को पार करने में दोनों को भय लगता है। आदि मानव में नर-नारी का यह भेद थोड़ा-सा भी नहीं था। दोनों साथ-साथ आखेट करते थे। उन दिनों नर बलिष्ठ और नारी इतनी दुर्बल नहीं थी। आहार के मामले में भी वे एक-दूसरे पर निर्भर नहीं थे। नारी की पराधीनता तब आरंभ हुई जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया। इसके चलते नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिन्दगी दो टुकड़ों में बँट गई।
          अतः प्रत्येक नर को एक हद तक नारी और प्रत्येक नारी को एक हद तक नर बनाना भी आवश्यक है। गाँधीजी ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में नारीत्व की भी साधना की थी। ‘बापू, मेरी माँ’ नामक पुस्तक में इसका संकेत मिलता है। वास्तव में, दया, माया, सहिष्णुता ये त्रियोचित गुण कहे जाते हैं। साथ ही, नारी साहस एवं शूरता का भी प्रतिनिधित्व करती है। संक्षेप में अर्द्धनारीश्वर केवल इसी बात का प्रतीक नहीं है कि नारी और नर जब तक अलग हैं तब तक दोनों अधूरे हैं, बल्कि इस बात का भी कि पुरुष में नारीत्व की ज्योति जगे, और यह कि प्रत्येक नारी में भी पौरुष का स्पष्ट आभास हो ।
(ii) लहना सिंह ब्रिटिश सेना का एक सिक्ख जमादार है। वह भारत से दूर विदेश (फ्रांस) में जर्मन सना के विरुद्ध युद्ध करने के लिए भेजा गया है। वह एक कर्त्तव्यनिष्ठ सैनिक है। अदम्य साहस, शौर्य एवं निष्ठा से युक्त वह युद्ध के मोर्चे पर डटा हुआ है। विषम परिस्थितियों में भी कभी वह हतोत्साहित नहीं होता। अपने प्राणों की परवाह किए बिना वह युद्धभूमि में खंदकों में रात-दिन पूर्ण तन्मयता के साथ कार्यरत रहता है। कई दिनों तक खंदक में बैठकर निगरानी करते हुए जब वह ऊब जाता है तो एक दिन वह अपने सूबेदार से कहता है कि यहाँ के इस कार्य (ड्यूटी) से उसका मन भर गया है, ऐसी निष्क्रियता से वह अपनी क्षमता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहा है। वह कहता है— “मुझे तो संगीन चढ़ाकर मार्च का हुक्म मिल जाए, फिर सात जर्मन को अकेला मारकर न लौटूं तो मुझे दरबार साहब की देहली पर मत्था टेकना नसीब न हो।” उसके इन शब्दों में दृढ़ निश्चय एवं आत्मोत्सर्ग की भावना निहित है। वह शत्रु से लोहा लेने के लिए इतना ही उत्कंठित है कि उसका कथन जो इन शब्दों में प्रकट होता है— “बिना फेरे घोड़ा बिगड़ता है और बिना लड़े सिपाही । ” शत्रु की हर चाल को विफल करने की अपूर्व क्षमता एवं दूरदर्शिता उसमें थी। “

(iii) रोज : ‘रोज’ कथा साहित्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन के प्रणेता महान कथाकर सचिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय की सर्वाधिक चर्चित कहानी है। प्रस्तुत कहानी में ‘संबंधों’ की वास्तविकता को एकान्त वैयक्तिक अनुभूतियों से अलग ले जाकर सामाजिक संदर्भ में देखा गया है।

          लेखक अपने दूर के रिश्ते की बहन मालती जिसे सखी कहना उचित है, से मिलने अठारह मील पैदल चलकर पहुँचता है। मालती और लेखक का जीवन इकट्ठे खेलने, पिटने, स्वेच्छा एवं स्वच्छंदता तथा भातृत्व के छोटेपन बँधनों से मुक्त बीता था। आज मालती विवाहिता है, एक बच्चे की माँ भी है। वार्तालाप के क्रम में आए उतार-चढ़ाव में लेखक अनुभव करता है कि मालती की आँखों में विचित्र सा भाव है, मानो वह भीतर कहीं कुछ चेष्टा कर रही हो, किसी बीती बात को याद करने की, किसी बिखरे हुए वायुंडल को पुनः जगाकर गतिमान करने की, किसी टूटे हुए व्यवहार तंतु को पुनर्जीवित करने की और चेष्टा में सफल न हो चिर विस्मृत हो गयी हो । मालती रोज कोल्हु के बैल की तरह व्यस्त रहती है।
          वातावरण, परिस्थिति और उसके प्रभाव में ढलते हुए एक गृहिणी के चरित्र का मनोवैज्ञानिक उद्घाटन अत्यंत कलात्मक रीति से लेखक यहाँ प्रस्तुत करता है। डॉक्टर पति के काम पर चले जाने के बाद का सारा समय मालती को घर में एकाकी काटना होता है। उसका जीवन उब और उदासी के बीच यंत्रवत् चल रहा है। किसी तरह के मनोविनोद, उल्लास उसके जीवन में नहीं रह गए हैं। जैसे वह अपने जीवन का भार ढोने में ही घुल रही हो ।
          इस प्रकार लेखक मध्यवर्गीय भारतीय समाज में घरेलू त्री के जीवन और मनोदशा पर सहानुभूतिपूर्ण मानवीय दृष्टि केन्द्रित करता है। कहानी के गर्भ में अनेक सामाजिक प्रश्न विचारोत्तेजक रूप में पैदा होते हैं।

(iv) ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है। इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है।

          हरचरना स्कूल जाने वाला एक बदहाल गरीब लड़का है। कवि प्रश्न करता है कि राष्ट्रगीत में कौन भारत भाग्य विधाता है जिसका गुणगान पुराने ढंग की ढीली-ढाली हाफ पैंट पहने हुए गरीब हरचरना गाता है। कवि का कहना है कि राष्ट्रीय त्योहार के दिन झंडा फहराए जाने के जलसे में वह ‘फटा-सुथन्ना’ पहने वही राष्ट्रगान दुहराता है जिसमें इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी न जाने किस ‘अधिनायक’ का गुणगान किया गया है।
          कवि प्रश्न करता है कि वह कौन है जो मखमल, टमटम, वल्लभ, तुरही के साथ माथे पर पगड़ी एवं चँवर के साथ तोपों की सलामी लेकर ढोल बजाकर अपना जय-जयकार करवाता है।
          कवि प्रश्न करता है कि कौन है वह जो सिंहासन (मंच) पर बैठा है और दूर-दूर से नंगे पैर एवं नरकंकाल की भाँति दुबले-पतले लोग आकर उसे (अधिनायक) तमगा एवं माला पहनाते हैं। कौन है वह जन-गण-मन अधिनायक महावली जिससे डरे हुए लोग रोज जिसका गुणगान बाजा बजाकर करते हैं ।
          इस प्रकार इस कविता में रघुवीर सहाय ने वर्तमान जनप्रतिनिधियों पर व्यंग्य किया है। कविता का निहितार्थ प्रतीत होता है कि इस सत्ताधारी वर्ग की प्रच्छन्न लालसा ही सचमुच अधिनायक अर्थात् तानाशाह बनने की है।

(v) प्रस्तुत कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में छायावाद के आधार कवि श्री जयशंकर प्रसाद के कोलाहलपूर्ण कलह के उच्च स्वर से व्यथित मन की अभिव्यक्ति है। कवि निराश तथा हतोत्साहित नहीं है।

          कवि संसार की वर्तमान स्थिति से क्षुब्ध अवश्य हैं किन्तु उन विषमताओं एवं समस्याओं में भी उन्हें आशा की किरण दृष्टिगोचर होती है। कवि की चेतना विकल होकर नींद के पल को ढूँढ़ने लगती है उस समय वह थकी-सी प्रतीत होती है किन्तु चन्दन की सुगंध से सुवासित शीतल पवन उसे संबल के रूप में सांत्वना एवं स्फूर्ति प्रदान करता है। दुःख में डूबा हुआ अंधकारपूर्ण मन जो निरन्तर विषाद से परिवेष्टित है, प्रात:कालीन खिले हुए पुष्पों के सम्मिलन (सम्पर्क) से उल्लसित हो उठा है। व्यथा का घोर अन्धकार समाप्त हो गया है। कवि जीवन की अनेक बाधाओं एवं विसंगतियों का भुक्तभोगी एवं साक्षी है। कवि अपने कथन की सम्पुष्टि के लिए अनेक प्रतीकों एवं प्रकृति का सहारा लेता है यथा – मरु – ज्वाला, चातकी, घाटियाँ, पवन की प्राचीर, झुलसते विश्व दिन, कुसुम ऋतु, रात, नीरधर, अश्रु – सर मधुप, मरन्द – मुकुलित आदि ।
          इस प्रकार कवि ने जीवन के दोनों पक्षों का सूक्ष्म विवेचन किया है। वह अशान्ति, असफलता, अनुपयुक्त तथा अराजकता से विचलित नहीं है ।

(vi) ‘उषा’ शीर्षक कविता में शमशेर बहादुर सिंह ने बिंबों द्वारा उषा का गतिशील चित्रण प्रस्तुत किया है। कवि ने एक प्रभाववादी चित्रकार की तरह उषाकालीन सौंदर्य का चित्रण किया है। कवि ने जिस ‘उषा’ के सौंदर्य का वर्णन किया है उसमें ‘प्रात’ और ‘भोर’ के सौंदर्य का समन्वय है। कवि के अनुसार (कविता में वर्णन के अनुसार) सूर्योदय होने के पूर्व ‘प्रात’ और ‘भोर’ के समन्वित सौंदर्य में अपूर्व जादू और मोहकता होती है। सूर्योदय होने के पूर्व उजास के फैलने के अनेक स्तर होते हैं जो परिवर्तित रंगों के वैविध्य में गतिशील होते हैं ।

          शमशेर बहादुर सिंह कहते हैं कि प्रातः कालीन आकाश नीले शंख के समान शोभायमान था। कुछ क्षण बाद नभ (आकाश) का नीला रंग राख के रंग में परिणत हो गया। आकाश राख से लीपे गए गीले चौके की तरह प्रतिभासित होने लगा। कुछ देर तक आकाश में राख का रंग छाया रहा और फिर वह पीलापन लिए हुए लाल रंग में (केसरिया रंग में) परिणत हो गया। वह रंग ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो काली सिल को लाल केसर से धो दिया गया हो। उसमें लालिमा और पीलापन का संयोग था और अभी वह केवल लालिमा से पुत गया। लगता था जैसे बाल अरुण (बाल रवि) अब रात्रि के अंधकार को हटाकर उदित होनेवाले हों। आकाश में घटित इस रंग परिवर्तन के संबंध में कवि कहता है मानो किसी ने स्लेट पर लाल खड़िया चरक मल दी हो। लाल रंग धीरे-धीरे गहरे पीले रंग में बदलने लगा। इस रंग परिवर्तन को देखकर कवि कल्पना करता है कि जैसे नीले जल में किसी की गौर (गोरी) झिलमिलाती देह हिल रही हो ।
6. निम्नलिखित अवतरणों में से किसी एक का संक्षेपण करें –
(i) विगत एक-दो दशकों से युवा वर्ग में अपव्यय की प्रवृति बढ़ रही है। भोगवाद की ओर युवक अधिक प्रवृत्तं हो रहे हैं। वे सुख-सुविधा की प्रत्येक वस्तु पा लेना चाहते हैं और अपनी आय और व्यय में तालमेल बिठाने की उन्हें चिंता नहीं है। धन-संग्रह न सही, कठिन समय के लिए कुछ बचाकर रखना भी वे नहीं चाहते। उन्हें लुभावने विज्ञापनों के माध्यम से लुभाकर उत्पादक व्यवसायी भरमाते हैं। परिणामस्वरूप आज का युवक मात्र उपभोक्ता बनकर रह गया है। अनेक कम्पनियाँ और बैंक क्रेडिट कार्ड देकर उनकी खरीद-शक्ति को बढ़ाने का दावा करती हैं, बाद में निर्ममता से रकम वसूलते हैं ।
(ii) कबीर, नानक और दादू अत्यन्त मुक्त आत्माएँ थी, जिनका आध्यात्मिक क्षितिज अत्यधिक फैला हुआ था और जिसमें धर्माधता की छूत या साम्प्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं थी। यह किसी भी युग के लिए सबसे अधिक महत्व की बात है। उन्होंने धार्मिक झगड़ों को शांत करने का प्रयास किया तथा हिन्दु, मुसलमान और अन्य सम्प्रदायों की एकता के लिए अपनी तरफ से भरपूर कोशिश की ।
उत्तर – (i) युवा वर्ग और अपव्यय
आजकल के युवा पीढ़ी किसी भी हालात में सभी चीजों को खरीदना चाहते हैं बिना अपनी निश्चित पूँजी देखे हुए। आज कल के विज्ञापन भी इसका फायदा भी उठा रहे हैं और युवा पीढ़ी डेबिट कार्ड के खत्म हो जाने के बावजूद मनचाहे चीजों का क्रेडिट कार्ड से खरीदारी कर लेते हैं। जिसे बाद में निर्ममता से रकम वसूलते हैं।
(ii) आध्यात्मिक गुरु
प्राचीन भारत में कुछ ऐसे महापुरुष हुए जैसे कबीर, नानक और दादू। जिन्होंने समाज में फैले हुए धर्मांधता की छूत या सम्प्रदायिकता को मिटाने में अहम योगदान निभाया। उनके शिक्षा का मूल आधार था आध्यात्मिकता। उन्होंने समाज में निम्न वर्गों को उठाने एवं उच्च वर्गों से एकता में लाने में अहम योगदान निभाया।
2022 (A)
हिन्दी (Hindi)
खण्ड-अ (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
प्रश्न- संख्या 1 से 100 तक के प्रत्येक प्रश्न के साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक  सही है। अपनी द्वारा चुने गये सही विकल्प को चिन्हित करें।
1. हिंदी में वचन के कितने प्रकार हैं ?
(A) एक
(B) तीन
(C) दो
(D) चार
उत्तर – (C) दो
2. ‘तीर से बाघ मार दिया गया- किस कारक का उदाहरण है ?
(A) संप्रदान
(B) अपादान
(C) संबोधन
(D) करण
उत्तर – (D) करण
3. ‘यह मेरा छोटा भाई सौरभ है’- किस सर्वनाम का उदाहरण है ? 
(A) निश्चयवाचक
(B) निजवाचक
(C) सबधवाचक
(D) अनिश्चयवाचक
उत्तर – (C) सबधवाचक
4. ‘सब धन’ – कौन-सा विशेषण है ?
(A) संख्यावाचक
(B) परिणामबोधक
(C) गुणवाचक
(D) सार्वनामिक
उत्तर – (B) परिणामबोधक
5. क्रिया के कितने भेद होते हैं?
(A) तीन
(B) चार
(C) दो
(D) पाँच
उत्तर – (C) दो
6. ‘वह जाएगा’ किस काल का उदाहरण है ?
(A) वर्तमान काल का
(B) भूतकाल का
(C) संदिग्ध भूतकाल का
(D) भविष्यत काल का
उत्तर – (D) भविष्यत काल का
7. ‘पगड़ी’ शब्द क्या है ?
(A) देशज
(B) विदेशज
(C) तत्सम
(D) तद्भव
उत्तर – (C) तत्सम
8. ‘जिन शब्दों के खंड सार्थक न हों उन्हें क्या कहते हैं ?
(A) यौगिक
(B) रूढ़
(C) योगरूढ़
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) रूढ़
9. ‘विनय’ शब्द में उपसर्ग क्या है ?
(A) विन
(B) इन
(C) वि
(D) इ
उत्तर – (C) वि
10. ‘वंदना’ शब्द में प्रत्यय क्या है ? 
(A) ना
(B) न
(C) आ
(D) अना
उत्तर – (A) ना
11. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी किसके अभिभावक बनकर मेयो कॉलेज अजमेर में आए ? 
(A) राजा भोज के
(B) राजा हरि सिंह के
(C) खेतड़ी के नाबालिग राजा जयसिंह के
(D) राजा देवगुप्त के
उत्तर – (C) खेतड़ी के नाबालिग राजा जयसिंह के
12. ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध के अनुसार, रस आता है ?
(A) दो हम सहेलियों की बातचीत में
(B) दो पुरुषों की बातचीत में
(C) दो बच्चों की बातचीत में
(D) दो मूर्खों की बातचीत में
उत्तर – (B) दो पुरुषों की बातचीत में
13. ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी में यह किसने कहा कि ‘उदमी, उठ सिगड़ी में कोले डाला’? 
(A) वजीरासिंह
(B) सूबेदार हजारासिंह
(C) सुबेदारनी
(D) बोधासिंह
उत्तर – (B) सूबेदार हजारासिंह
14. जयप्रकाश नारायण मार्क्सवादी कब बने ?
(A) 1922 ई. में
(B) 1923 ई० में
(C) 1924 ई० में
(D) 1925 ई० में
उत्तर – (C) 1924 ई० में
15. जयप्रकाश नारायण का पुकार का नाम क्या था ?
(A) बबुआ
(B) जगन
(C) नारायण
(D) बाउल
उत्तर – (D) बाउल
16. ‘अर्द्धनारीश्वर’ शीर्षक पाठ हिंदी साहित्य की कौन विधा है ?
(A) रेखाचित्र
(B) निबंध
(C) जीवनी
(D) आत्मकथा
उत्तर – (B) निबंध
17. बचपन में खेलने के लिए सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय ने कौन-सा नाटक लिखा था?
(A) वज्रसभा
(B) वरदसभा
(C) इंद्रसभा
(D) जनसभा
उत्तर – (C) इंद्रसभा
18. ‘रोज’ शीर्षक कहानी में मालती मिट्टी का बर्तन गरम पानी से क्यों धो रही है?
(A) खाना रखने के लिए
(B) खाना बनाने के लिए
(C) पानी रखने के लिए
(D) दही जमाने के लिए
उत्तर – (C) पानी रखने के लिए
19. भगत सिंह का जन्म कब हुआ था ?
(A) 28 सितम्बर, 1907 ई०
(B) 22 अक्टूबर, 1904 ई०
(C) 24 सितम्बर, 1905 ई०
(D) 25 जुलाई, 1906 ई०
उत्तर – (A) 28 सितम्बर, 1907 ई०
20. ‘प्रेम की पीर’ के कवि कौन हैं?
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) ज्ञानेंद्रपति
(C) रघुवीर सहाय
(D) जायसी
उत्तर – (D) जायसी
21. निम्न में शुद्ध शब्द कौन है ?
(A) निरिह
(B) तत्त्व
(C) पत्नी
(D) नुपुर
उत्तर – (B) तत्त्व
22. जिस संज्ञा से नाप-तौल वाली वस्तु का बोध हो, उसे क्या कहते हैं?
(A) समूहवाचक
(B) भाववाचक
(C) द्रव्यवाचक
(D) जातिवाचक
उत्तर – (C) द्रव्यवाचक
23. ‘शिक्षा’ शब्द क्या है ?
(A) पुंलिंग
(B) उभयलिंग
(C) स्त्रीलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) स्त्रीलिंग
24. ‘भिक्षा’ शब्द क्या है ?
(A) तत्सम
(B) तद्भव
(C) देशज
(D) विदेशज
उत्तर – (A) तत्सम
25. ‘पाठक’ शब्द का स्त्रीलिंग रूप क्या होगा ?
(A) पाठकी
(B) पाठिका
(C) पाठाकु
(D) पाठकीन
उत्तर – (B) पाठिका
26. ‘कक्षा’ शब्द क्या है ?
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुंलिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुंलिंग
27. ‘बिल्ली छत से कूद पड़ी’ – किस कारक का उदाहरण है ?
(A) संप्रदानकारक
(B) संबंधकारक
(C) अपादानकारक
(D) करणकारक
उत्तर – (C) अपादानकारक
28. ‘देश-विदेश ‘ शब्द कौन समास है ?
(A) द्विगु
(B) बहुव्रीहि
(C) कर्मधारय
(D) द्वंद्व
उत्तर – (D) द्वंद्व
29. ‘कोसों दूर भागना’ मुहावरे का अर्थ क्या है?
(A) बहुत अलग रहना
(B) बराबर मानना
(C) विघ्न आना
(D) संतोष होना
उत्तर – (A) बहुत अलग रहना
30. ‘जो स्त्री अभिनय करे- के लिए एक शब्द क्या होगा? 
(A) अभिनेत्री
(B) कवयित्री
(C) स्त्रीनेत्री
(D) अभिनीत
उत्तर – (A) अभिनेत्री
31. ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता किस महाकाव्य का अंश है?
(A) अष्टयाम
(B) लहर
(C) कामायनी
(D) मुकुल
उत्तर – (C) कामायनी
32. वर्ग 9 तक की पढ़ाई के बाद शिक्षा अधूरी छोड़कर कौन कवयित्री असहयोग आंदोलन में कूद पड़ी थी ?
(A) मीराबाई
(B) महादेवी वर्मा
(C) अनामिका
(D) सुभद्रा कुमारी चौहान
उत्तर – (B) महादेवी वर्मा
33. “तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर, यौं मलेच्छ बंस पर सेर सिवराज है”- यह पंक्ति किस शीर्षक कविता की है ? 
(A) कवित्त
(B) पद (तुलसीदास)
(C) छप्पय
(D) पद (सुरदास)
उत्तर – (B) पद (तुलसीदास)
34. भूषण ने किस रस की प्रमुखता दी है ?
(A) हास्य रस
(B) वीर रस
(C) रौद्र रस
(D) शृंगार रस
उत्तर – (B) वीर रस
35. गोस्वामी तुलसीदास हिंद के कैसे महाकवि है ?
(A) जातीय महाकवि
(B) स्वछन्द महाकवि
(C) अन्तर्जातीय महकवि
(D) रूढ़िवादी महाकवि
उत्तर – (D) रूढ़िवादी महाकवि
36. ‘म’ का उच्चारण स्थान क्या है ?
(A) कंठ
(B) ओष्ठ
(C) तालु
(D) दंत
उत्तर – (B) ओष्ठ
37. ‘पृथ्वीश’ शब्द का संधि विच्छेद क्या है ? 
(A) पृथ्वी + श
(B) पृ + थ्वीश
(C) पृथ्वी + ईश
(D) पृथ + वीश
उत्तर – (C) पृथ्वी + ईश
38. निम्न में शुद्ध कौन है ? 
(A) प्रमेश्वर
(B) परिक्षण
(C) प्रान
(D) परीक्षा
उत्तर – (D) परीक्षा
39. ‘वाराणसी’ शब्द कौन संज्ञा है ?
(A) व्यक्तिवाचक
(B) जातिवाचक
(C) भाववाचक
(D) समूहवाचक
उत्तर – (A) व्यक्तिवाचक
40. ‘नगर’ शब्द क्या है ?
(A) स्त्रीलिंग
(B) पुंलिंग
(C) उभयलिंग
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) पुंलिंग
41. सूरदास किस भाषा के कवि हैं?
(A) मगही
(B) मैथिली
(C) ब्रजभाषा
(D) भोजपुरी
उत्तर – (C) ब्रजभाषा
42. ‘गीतावली’ किसकी रचना है ?
(A) सूरदास
(B) नाभादास
(C) मलिक मुहम्मद जायसी
(D) तुलसीदास
उत्तर – (D) तुलसीदास
43. नाभादास किसके समकालीन थे ?
(A) तुलसीदास
(B) विनोद कुमार शुक्ल
(C) गजानन माधव मुक्तिबोध
(D) भूषण
उत्तर – (A) तुलसीदास
44. ‘हार-जीत’ शीर्षक कविता किस प्रकार की रचना है ?
(A) गद्य कविता
(B) शोक गीत
(C) हर्ष गीत
(D) पद्य गीत
उत्तर – (A) गद्य कविता
45. मीरा ने अपना प्रियतम किसे माना है ?
(A) ब्रह्मा को
(B) कृष्ण को
(C) शिव को
(D) राम को
उत्तर – (B) कृष्ण को
46. ‘शिवा बावनी’ के कितने मुक्तकों में छत्रपति शिवाजी की वीरता का बखान किया गया है ?
(A) 50
(B) 53
(C) 52
(D) 54
उत्तर – (C) 52
47. ‘झरना’ शीर्षक काव्य संकलन किस कवि की रचना है ?
(A) सुभद्रा कुमारी चौहान
(B) विनोद कुमार शुक्ल
(C) अशोक वाजपेयी
(D) जयशंकर प्रसाद
उत्तर – (D) जयशंकर प्रसाद
48. सुभद्रा कुमारी चौहान का निधन कैसे हुआ ?
(A) कार दुर्घटना में
(B) ट्रेन दुर्घटना में
(C) बस दुर्घटना में
(D) हवाई जहाज दुर्घटना में
उत्तर – (A) कार दुर्घटना में
49. शमशेर बहादुर सिंह ने सोवियत रूस की यात्रा कब की ?
(A) 1975 ई० में
(B) 1978 ई० में
(C) 1960 ई० में
(D) 1976 ई. में
उत्तर – (B) 1978 ई० में
50. “नील नदी, अमेजन, मिसौरी में वेदना से गाती हुई बहती बहाती हुई जिंदगी की धारा एक”-यह पंक्ति किस शीर्षक कविता से है ? 
(A) हार-जीत
(B) गाँव का घर
(C) जन-जन का चेहरा एक
(D) उषा
उत्तर – (B) गाँव का घर
51. ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता किस कविता संग्रह से ली गई है?
(A) सबकुछ होना बचा रहेगा
(B) अतिरिक्त नहीं
(C) लगभग जयहिंद
(D) आत्महत्या के विरुद्ध
उत्तर – (D) आत्महत्या के विरुद्ध
52. ‘एक लेख और एक पत्र’ शीर्षक पाठ क्या है?
(A) ऐतिहासिक पत्र
(B) संस्मरण
(C) कहानी
(D) कविता
उत्तर – (C) कहानी
53. भगत सिंह के पिता का क्या नाम था ?
(A) सरदार विशुन सिंह
(B) सरदार किशन सिंह
(C) सरदार पीरत सिंह
(D) सरदार कीरत सिंह
उत्तर – (B) सरदार किशन सिंह
54. ‘ओ सदानीरा शीर्षक पाठ के अनुसार, सन् 1962 की बाढ़ का दृश्य जिन्होंने देखा है, उन्हें ‘रामचरितमानस’ में किसके क्रोध रूपी नदी की बाढ़ याद आयी होगी? 
(A) लक्ष्मण के
(B) भरत के
(C) कैकेयी के
(D) राम के
उत्तर – (A) लक्ष्मण के
55. ‘ओ सदानीरा पाठ के अनुसार, गाँधीजी ने ‘आश्रम विद्यालय’ कहाँ स्थापित किया था ? 
(A) पाटलिपुत्र, नालंदा में ,
(B) सासाराम, भभुआ में
(C) वैशाली, राजगीर में
(D) बड़हरवा, मधुबन और भितिहरवा में
उत्तर – (D) बड़हरवा, मधुबन और भितिहरवा में
56. मोहन राकेश किस आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षर थे ?
(A) नई कहानी आंदोलन के
(B) कविता आंदोलन के
(C) स्वाधीनता आंदोलन के
(D) समाज सुधार आंदोलन के
उत्तर – (A) नई कहानी आंदोलन के
57. ‘सिपाही की माँ’ शीर्षक पाठ में, हड्डियों का चलता-फिरता ढाँचा कौन है ? 
(A) पलटू राम
(B) दीनू कुम्हार
(C) सियाराम मोची
(D) पंडित दीनानाथ
उत्तर – (B) दीनू कुम्हार
58. ‘आलोचना’ त्रैमासिक के प्रधान संपादक कौन थे?
(A) बालकृष्ण भट्ट
(B) चंद्रधर शर्मा गुलेरी
(C) नामवर सिंह
(D) जयप्रकाश नारायण
उत्तर – (C) नामवर सिंह
59. ‘प्रगीत और समाज’ शीर्षक पाठ के अनुसार, आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य सिद्धांत के आदर्श क्या थे? –
(A) भक्तिकाव्य
(B) सूफीकाव्य
(C) गीतिकाव्य
(D) प्रबंधकाव्य
उत्तर – (D) प्रबंधकाव्य
60. ‘जूठन’ शीर्षक आत्मकथा में स्कूल के हेडमास्टर का क्या नाम है ?
(A) कलीराम
(B) सियाराम
(C) हरिराम
(D) हरेराम
उत्तर – (A) कलीराम
61. ‘सौभाग्य’ शब्द का विलोम क्या है ?
(A) नभाग्य
(B) दुर्भाग्य
(C) सभाग्य
(D) अभाग्य
उत्तर – (B) दुर्भाग्य
62. ‘पत्नी’ शब्द का पर्यायवाची शब्द क्या है ?
(A) सेवक
(B) वारि
(C) अद्धांगिनी
(D) विबुध
उत्तर – (C) अद्धांगिनी
63. ‘हमारे जवानों को देखकर दुश्मन भाग गए- कौन वाक्य है ?
(A) मिश्र वाक्य
(B) संयुक्त वाक्य
(C) सरल वाक्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) सरल वाक्य
64. ‘कहा जा सकता है’-कौन पदबंध है ? 
(A) संज्ञा पदबंध
(B) विशेषण पदबंध
(C) सर्वनाम पदबंध
(D) क्रिया पदबंध
उत्तर – (B) विशेषण पदबंध
65. ‘चतुर्भुज’ शब्द कौन समास है ?
(A) द्विगु
(B) द्वंद्व
(C) तत्पुरुष
(D) अव्ययीभाव
उत्तर – (A) द्विगु
66. ‘विकास’ शब्द का विशेषण क्या होगा ? 
(A) विकासी
(B) विकसित
(C) विकसिती
(D) विकसिन
उत्तर – (B) विकसित
67. संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के अंत में लगनेवाले प्रत्यय को क्या कहते हैं? 
(A) तद्धित
(B) कृदंत
(C) क्रियाद्योतक कृदंत
(D) वर्तमानकालिक विशेषण
उत्तर – (C) क्रियाद्योतक कृदंत
68. ‘य, र, ल, व, ‘ – कौन व्यंजन है ? 
(A) स्पर्श व्यंजन
(B) उष्म व्यंजन
(C) अंतःस्थ व्यंजन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (C) अंतःस्थ व्यंजन
69. हिंदी में अनुनासिक वर्गों की संख्या कितनी है ?
(A) दो
(B) तीन
(C) चार
(D) पाँच
उत्तर – (A) दो
70. ‘दिगंबर’ शब्द का संधि-विच्छेद क्या होगा ?
(A) दिक् + अंबर
(B) दिगं + बर
(C) दि + गंबर
(D) दिगंब + र
उत्तर – (A) दिक् + अंबर
71. किन्होंने प्राय: लंबी कविताएँ ही लिखी हैं ?
(A) गजानन माधव मुक्तिबोध
(B) भूषण
(C) नाभादास
(D) जायसी
उत्तर – (D) जायसी
72. ‘इबारत से गिरी मात्राएँ शीर्षक कविता संग्रह किसकी रचना है ?
(A) रघुवीर सहाय
(B) अशोक वाजपेयी
(C) ज्ञानेंद्रपति
(D) शमशेर बहादुर सिंह
उत्तर – (C) ज्ञानेंद्रपति
73. ‘गाँव का घर’ शीर्षक कविता के अनुसार, पंचायती राज में कौन खो गए ?
(A) ग्रामीण
(B) कस्बाई
(C) पंच परमेश्वर
(D) शहरी
उत्तर – (C) पंच परमेश्वर
74. ‘हार-जीत’ शीर्षक कविता में ‘मशकवाला’ क्या कर रहा है ?
(A) गाना गा रहा है ।
(B) नाच रहा है।
(C) बात कर रहा है।
(D) सड़क सींच रहा है।
उत्तर – (D) सड़क सींच रहा है।
75. सर्कस का प्रकाश – बुलौआ – शहर से कितनी दूर से आने वाला है ?
(A) दस कोस दूर
(B) चार कोस दूर
(C) पाँच कोस दूर
(D) सात कोस दूर
उत्तर – (A) दस कोस दूर
76. अशोक वाजपेयी जी ने कहाँ रहकर स्वतंत्र लेखन किया था ? 
(A) बंगाल में रहकर
(B) दिल्ली में रहकर
(C) हरियाणा में रहकर
(D) बिहार में रहकर
उत्तर – (A) बंगाल में रहकर
77. ‘प्यारे नन्हें बेटे को’ शीर्षक कविता का नायक कहाँ का रहनेवाला है ?
(A) सागर, मध्य प्रदेश
(B) गोड्डा, झारखंड
(C) भिलाई, छत्तीसगढ़
(D) रायपुर, छत्तीसगढ
उत्तर – (D) रायपुर, छत्तीसगढ
78. ‘लिखने का कारण शीर्षक निबंध किस लेखक की रचना है ?
(A) ज्ञानेंद्रपति
(B) अशोक वाजपेयी
(C) जयशंकर प्रसाद
(D) रघुवीर सहाय
उत्तर – (C) जयशंकर प्रसाद
79. गजानन माधव मुक्तिबोध अपने रचनात्मक जीवन में किन दो प्रधान वैश्विक विचारधाराओं के संगर्ग में आए ? 
(A) अस्तित्ववाद एवं मार्क्सवाद
(B) क्षणवाद एवं छायावाद
(C) प्रयोगवादी एवं प्रभाववादी
(D) प्रगतिवादी एवं व्यक्तिवादी
उत्तर – (A) अस्तित्ववाद एवं मार्क्सवाद
80. “नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो”- यह पंक्ति किस शीर्षक कविता से है ? 
(A) पुत्र वियोग
(B) उषा
(C) कवित्त
(D) गाँव का घर
उत्तर – (B) उषा
81. ‘मामा’ शब्द का विशेषण क्या होगा ? 
(A) ममेरा
(B) ममिया
(C) ममियारी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (A) ममेरा
82. ‘यथाशीघ्र’ शब्द कौन समास है ? 
(A) तत्पुरुष
(B) अव्ययीभाव
(C) बहुव्रीहि
(D) द्वंद्व
उत्तर – (B) अव्ययीभाव
83. रचना की दृष्टि से वाक्य के कितने प्रकार हैं ? 
(A) चार
(B) दो
(C) तीन
(D) पाँच
उत्तर – (C) तीन
84. ‘हर तरह के संकटों से घिरे रहने पर भी वह निराश नहीं हुआ’-किस वाक्य का उदाहरण है?
(A) संयुक्त वाक्य
(B) प्रश्नवाचक वाक्य
(C) मिश्र वाक्य
(D) सरल वाक्य
उत्तर – (A) संयुक्त वाक्य
85. निम्न में से शुद्ध वाक्य कौन है ?
(A) यह कहना आपकी गलती है।
(B) शब्द केवल संकेतमात्र हैं।
(C) हमारे शिक्षक प्रश्न पूछते हैं ।
(D) चरखा कातना चाहिए।
उत्तर – (B) शब्द केवल संकेतमात्र हैं।
86. ‘अंतरंग’ का विलोम क्या होगा ?
(A) अल्प
(B) बहिरंग
(C) अपेक्षा
(D) अनुग्रह
उत्तर – (B) बहिरंग
87. ‘जिसके समान द्वितीय नहीं है’- के लिए एक शब्द है
(A) अजातशत्रु
(B) अनुपम
(C) अद्वितीय
(D) अद्भूत
उत्तर – (C) अद्वितीय
88. ‘अंगारों पर लोटना’ मुहावरे का अर्थ क्या है ?
(A) चाल चलना।
(B) याचना करना।
(C) धोखा देना।
(D) ईर्ष्या से व्याकुल होना।
उत्तर – (D) ईर्ष्या से व्याकुल होना।
89. ‘अश्व’ का पर्यायवाची क्या है ?
(A) तुरंग
(B) अनल
(C) आमोद
(D) अंबक
उत्तर – (A) तुरंग
90. ‘उसने उस पुस्तकालय को खरीदा, जो उसके मित्र का था’ – किस वाक्य का उदाहरण है ?
(A) सरल वाक्य
(B) मिश्र वाक्य
(C) संयुक्त वाक्य
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर – (B) मिश्र वाक्य
91. ‘जख्म पर धूल’ शीर्षक कविता किसकी रचना है ?
(A) नामवर सिंह
(B) मलयज
(C) भगत सिंह
(D) उदय प्रकाश
उत्तर – (B) मलयज
92. ‘तिरिछ’ शीर्षक पाठ में लेखक के पिताजी कितने साल के हैं ? 
(A) छप्पन साल के
(B) बावन साल के
(C) पचपन साल के
(D) सत्तावन साल के
उत्तर – (B) बावन साल के
93. सी० डब्ल्यू० लीडबेटर किनमें ‘विश्व शिक्षक’ का रूप देखते थे ?
(A) भगत सिंह में
(B) जयप्रकाश नारायण में
(C) उदय प्रकाश में
(D) जे. कृष्णमूर्ति में
उत्तर – (D) जे. कृष्णमूर्ति में
94. ‘शिक्षा’ शीर्षक पाठ के अनुसार, सत्य की खोज तभी संभव है, जब 
(A) स्वतंत्रता हो
(B) चिंतन हो
(C) मनन हो
(D) विचार हो
उत्तर – (A) स्वतंत्रता हो
95. 1870-90 ई० के बीच गाइ-डि-मोपासाँ की कहानी की कितनी पुस्तकें प्रकाशित हुईं ?
(A) दो सौ
(B) तीन सौ
(C) एक सौ
(D) सात सौ
उत्तर – (B) तीन सौ
96. ‘कलर्क की मौत’ शीर्षक पाठ में, जनरल अंतिम प्रार्थी से बात करके कहाँ जाने मुड़ा ?
(A) शयनकक्ष में जाने के लिए
(B) रसोईघर में जाने के लिए
(C) निजी कमरे की ओर जाने के लिए
(D) स्नानघर में जाने के लिए
उत्तर – (C) निजी कमरे की ओर जाने के लिए
97. ‘पेशगी’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं?
(A) हेनरी लोपेज
(B) अंतोन चेखव
(C) गाइ-डि-मोपासाँ
(D) टोपाज्ड विलियम
उत्तर – (A) हेनरी लोपेज
98. बीसवीं सदी में प्रगीतात्मकता का दूसरा उन्मेष कैसे हुआ ?
(A) संघर्ष के साथ
(B) रोमांटिक उत्थान के साथ
(C) विद्वेष के साथ
(D) भावुकता के साथ
उत्तर – (A) संघर्ष के साथ
99. ओमप्रकाश वाल्मीकि को ‘डॉ० अंवेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार कब प्राप्त हुआ ?
(A) 1995 ई० में
(B) 1996 ई० में
(C) 1993 ई० में
(D) 1994 ई० में
उत्तर – (C) 1993 ई० में
100. नाटक के क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद के बाद की सबसे बड़ी प्रतिभा कौन माने जाते हैं ?
(A) चंद्रधर शर्मा गुलेरी
(B) बालकृष्ण भट्ट
(C) जयप्रकाश नारायण
(D) मोहन राकेश
उत्तर – (B) बालकृष्ण भट्ट
खण्ड-ब (विषयनिष्ठ प्रश्न)
1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखें –
(क) महँगाई
(ख) नशामुक्ति
(ग) पर्यावरण संरक्षण
(घ) मेरे प्रिय कवि
(ङ) वसंत ऋतु
(च) छठ पर्व
उत्तर – (क) महँगाई
          कमरतोड़ महँगाई का सवाल आज के मानव की अनेकानेक समस्याओं में अहम् बन गया है। पिछले कई सालों से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं।
          हमारा भारत एक विकासशील देश है और इस प्रकार की अर्थव्यवस्था वाले देशों में औद्योगीकरण या विभिन्न योजनाओं आदि के चलते मुद्रास्फीति तो होती ही है, किन्तु आज वस्तुओं की मूल्य सीमा में निरन्तर वृद्धि और जन-जीवन अस्त- व्यस्त होता दीख रहा है। अब तो सरकार भी जनता का विश्वास खोती जा रही है। लोग यह कहते पाए जाते हैं कि सरकार का शासन – तंत्र भ्रष्ट हो चुका है, जिसके कारण जनता बेईमानी, नौकरशाही तथा मुनाफाखोरी की चक्कियों तले पिस रही है। स्थिति विस्फोटक बन गई है।
          यह महँगाई स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद लगातार बढ़ी है। यह भी सत्य है कि हमारी राष्ट्रीय आय बढ़ी है और लोगों की आवश्यकताएँ भी बढ़ी हैं। हम आरामतलब और नाना प्रकार के दुर्व्यसनों के आदी भी हुए हैं। जनसंख्या में भी उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है।
हमारी सरकार द्वारा निर्धारित कोटा-परमिट की पद्धति ने दलालों के नये वर्ग को जन्म दिया है और इसी परिपाटी ने विक्रेता तथा उपभोक्ता में संचय की प्रवृत्ति उत्पन्न कर दी है। प्रशासन के अधिकारी दुकानदारों को कालाबाजारी करने देने के बदले घूस तथा उद्योगपतियों को अनियमितता की छूट देने हेतु राजनीतिक पार्टियाँ घूस तथा चन्दा वसूलती हैं।
          महँगाई ने विभिन्न वर्गों के कर्मचारियों को हड़ताल – आन्दोलन करने के लिए भी बढ़ावा दिया है जिससे काम नहीं करने पर भी कर्मचारियों को वेतन देना पड़ता है, जिससे उत्पादन में गिरावट और तैयार माल की लागत में बढ़ोत्तरी होती है।
          महँगाई की समस्या का अन्त सम्भव हो तो कैसे, यह विचारणीय विषय है। सरकार वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाए, भ्रष्ट व्यक्तियों हेतु दण्ड-व्यवस्था को कठोर बनाए एवं व्यापारी-वर्ग को कीमतें नहीं बढ़ाने को बाध्य करे। साथ ही, देशवासी भी मनोयोगपूर्वक राष्ट्र का उत्पादन बढ़ाने में योगदान करें और पदाधिकारी उपभोक्ता-वस्तुओं की वितरण व्यवस्था पर नियंत्रण रखें। तात्पर्य यह है कि इस कमरतोड़ महँगाई के पिशाच को जनता, पूँजीपति और सरकार के सम्मिलित प्रयास से ही नियंत्रण में किया जा सकता है l
(ख) नशामुक्ति
          हमारे देश का उज्जवल भविष्य युवाओं पर टिका होता है। अगर देश की युवा पीढ़ी ही गलत रास्ते में जाने लगे तो निश्चित ही उनका भविष्य अंधकार में चला जाता है। हमारे देश का युवा वर्ग को जिन्दगी के हर पहलु को जीने की इच्छा होती है। युवा वर्ग नशे को अपनी शान समझते हैं। आजकल के हमारे युवा को और कई व्यस्क लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए दिखाई देते हैं। उन्हें यह समझ नहीं आता कि किसी भी प्रकार की नशा उनके लिए आगे चलकर हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकता है। आज कल युवा वर्ग के लिए नशा एक फैशन बन गया है, यह उनके लिए अमृत के समान बन चुका है। तम्बाकू, खैनी और गुटखा से माउथ कैंसर हो जाता है। कई सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान करना मना होता है, मगर कुछ लोग किसी की सुनते नहीं हैं। उनको सिर्फ अपने मन की करनी होती है। यह सबस करने में उनको एक अलग ही आनंद की प्राप्ति होती है लेकिन उनको यह नहीं पता है कि यह उनके लिए कितना हानिकारक सिद्ध हो सकता है। हम सभी देश का भविष्य हैं। अगर हमें एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है, तो हमें नशे जैसी चीज को जड़ से उखाड़ फेंकना चाहिए।
(ग) पर्यावरण संरक्षण 
          शारीरिक पोषण, मानसिक विकास और जीवन के लिए भोजन, पानी और हवा की आवश्यकता होती है। इसलिए आवश्यक हो जाता है कि जल एवं वायु की स्वच्छता के महत्त्व को समझा जाए । आधुनिक और वैज्ञानिक उपलब्धियों के सोपानों को तीव्रता से तय करते जा रहे मानव के लिए पर्यावरण के प्रति सावधानी और संवेदनशीलता अनिवार्य हो उठी है। अगर पर्यावरण के प्रति मनुष्य के अन्दर अब भी संवेदना नहीं जगी तो वह दिन दूर नहीं, जब समग्र सृष्टि विनाश के गह्वर में जा गिरेगी।
          पर्यावरण अन्य कुछ नहीं, हमारे आसपास का परिवेश है। वस्तुतः राजनीतिक और सामाजिक के साथ ही सांस्कृतिक पर्यावरण भी होते हैं और ये भी आज कम चिन्ताजनक स्थिति में नहीं हैं। पर्यावरण का यह संदर्भ आज सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण इसलिए हो गया है कि इसके दुष्परिणाम सीधे जीवन-मृत्यु के बीच की दूरी को लगातार कम करते जा रहे हैं। पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और हवा इन पाँच तत्त्वों से सृजित इस शरीर के लिए इन तत्त्वों की शुद्धता का महत्त्व कभी कम नहीं होता। इनमें संतुलन आवश्यक होता है। पेड़-पौधे, नदी, पर्वत, झरने, जीव-जन्तु, कीड़े- मकोड़े आदि सब मिलकर पर्यावरण को संतुलित रखने में सहयोग करते हैं। आधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियों के चमत्कारों ने प्रकृति को चुनौती के रूप में देखना आरंभ किया और उसकी घोर अवहेलना एवं उपेक्षा की जाने लगी। पेड़ों का काटना, पशु-पक्षियों का मारा जाना, नदी-नालों में कचरे गिराना, बड़े-बड़े बाँधों के निर्माण आदि के अविवेकी प्रयोगों ने सचमुच पर्यावरण को खतरे में डाल दिया है। लोग ऐसा मानने लगे हैं कि पेड़ों का अधिक होना किसी देश के पिछड़ेपन का प्रमाण है। इनकी जगह मिलों की चिमनियाँ दिखाई पंड़नी चाहिए। लेकिन, आज स्पष्ट हो चुका है कि पेड़ों को छोड़कर चिमनियों के सहारे मानवता अधिक दिनों तक नहीं टिक सकती। बाघ और सिंह जैसे हिंसक पशुओं के जीवन की भी महत्ता अब समझ में आने लगी है और उनके बध को भी दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। स्पष्ट हो चुका है कि बड़े-बड़े बाँधों से लाभ तो है, पर उनके प्रभाव से होने वाली हानियों की मात्रा भी अकल्पनीय है।
(घ) मेरे प्रिय कवि
           बहुमुखी प्रतिभा के साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ छायावाद के अग्रणी कवि हैं। यही मेरे प्रिय कवि एवं साहित्यकार हैं। ओज, पौरुष और विद्रोह के महाकवि हैं ‘निराला’ ।
         इनका जन्म बंगाल के महिषादल राज्य के मेदिनीपुर गाँव में 1897 में हुआ था। इनके पिता का नाम पंडित रामसहाय त्रिपाठी था। वह जिला उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के निवासी थे। आजीविका के लिए वह बंगाल चले गए थे। ‘निराला’ की प्रारंभिक शिक्षा महिषादल में हुई। इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बँगला और अँगरेजी का अध्ययन किया। भाषा और साहित्य के अतिरिक्त इनकी रुचि संगीत और दर्शनशास्त्र में भी थी। ‘गीतिका’ में इनकी संगीत – रुचि का अच्छा प्रमाण मिलता है। ‘तुम और मैं’ कविता में इनकी दार्शनिक विचारधारा अभिव्यक्त हुई है। ‘निराला’ स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा विवेकानंद की दार्शनिक विचारधारा से काफी प्रभावित हुए।
          ‘निराला’ बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । कविता के अतिरिक्त इन्होंने उपन्यास, कहानियाँ, निबंध, आलोचना और संस्मरण भी लिखे। इनकी महत्त्वपूर्ण काव्य-रचनाएँ हैं – ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘तुलसीदास’, ‘अनामिका’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘बेला’, ‘अणिमा’, ‘नए पत्ते’, ‘अर्चना’, ‘अपरा’, ‘आराधना’, ‘गीतकुंज’ तथा ‘सांध्यकाकली’। ‘तुलसीदास’ खण्डकाव्य है। इनके प्रसिद्ध उपन्यास हैं — ‘अप्सरा’, ‘अलका’, ‘प्रभावती’, ‘निरूपमा’, ‘चोटी की पकड़’, ‘काले कारनामे’ और ‘चमेली’। ‘कुल्ली भाट’ और ‘बिल्लेसुर बकरिहा’ इनके प्रसिद्ध रेखाचित्र हैं। इन रेखाचित्रों में जीवन का यथार्थ खुलकर सामने आया है। ‘चतुरी चमार’ और ‘सुकुल की बीबी’ इनकी प्रसिद्ध कहानियाँ हैं। ‘प्रबंध-पद्म’, ‘प्रबंध – प्रतिमा’ एवं ‘कविताकानन’ इनके आलोचनात्मक निबंधों के संग्रह हैं। .
          शृंगार, प्रेम, रहस्यवाद, राष्ट्रप्रेम और प्रकृति-वर्णन के अतिरिक्त शोषण के विरुद्ध विद्रोह और . मानव के प्रति सहानुभूति का स्वर भी इनके काव्य में पाया जाता है।
(ङ) वसंत ऋतु
           ऋतुएँ तो अनेक हैं लेकिन वसंत की संज-धज निराली है। इसीलिए वह ऋतुओं का राजा, शायरों- कवियों का लाड़ला, धरती का धन है। वस्तुत: इस ऋतु में प्रकृति पूरे निखार पर होती है।
वसन्त ऋतु का प्रारंभ वंसत पंचमी से ही मान लिया गया है, लेकिन चैत और बैशाख ही वसन्त ऋतु के महीने हैं। वसन्त ऋतु का समय समशीतोष्ण जलवायु का होता है। चिल्ला जाड़ा और शरीर को झुलसाने वाली गर्मी के बीच वसन्त का समय होता है। वसन्त के आगमन के साथ ही प्रकृति अपना शृंगार करने लगती है। लताएँ मचलने लगती हैं और वृक्ष फूलों-फलों से लद जाते हैं। दक्षिण दिशा से आती मदमाती बयार बहने लगती है। आम की मँजरियों की सुगन्ध वायुमंडल को सुगन्धित कर देती है। मस्त कोयल बागों में कूकने लगती है। सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं और उनकी भीनी-भीनी तैलाक्त गन्ध सर्वत्र छा जाती हैं। तन-मन में मस्ती भर जाती है। हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेज कवियों ने वसंत का मनोरम वर्णन किया है। कालिदास, वर्ड्सवर्थ, पंत, दिनकर का वसंत-वर्णन पढ़कर किसका मन आनादित नहीं होता?
          स्वास्थ्य की दृष्टि से भी वसन्त ऋतु का महत्त्व बहुत अधिक है। न अधिक जाड़ा पड़ता है, न गर्मी । गुलाबी जाड़ा, गुलाबी धूप। जो मनुष्य आहार-विहार को संयमित रखता है, उसे वर्षभर किसी प्रकार का रोग नहीं होता है। इस ऋतु में शरीर में नये खून का संचार होता है। वात और पित्त का प्रकोप भी शांत हो जाता है। इस प्रकार, इस ऋतु में स्वास्थ्य और शारीरिक सौंदर्य की भी वृद्धि होती है।
          सबसे बड़ी बात तो यह होती है कि इस समय फसल खेतों से कटकर खलिहानों में आ जाती है। लोग निश्चित हो जाते हैं और यह निश्चितता उन्हें खुशी से भर देती है। लोग ढोल-झाल लेकर बैठ जाते हैं होली के गीत उनके गले से निकलकर हवा में तैरने लगते हैं- होली खेलत नन्दलाल, बिरज में… होली खेलत नन्दलाल ।
          वसंत उमंग, आनन्द, काव्य, संगीत और सौंदर्य की ऋतु है। यह स्नेह और सौंदर्य का पाठ पढ़ाता है। यही कारण है कि सारी दुनिया में वसन्त की व्याकुलता से प्रतीक्षा होती है।
(च) छठ पर्व
          भारत में मनाए जाने वाले सबसे बड़े पर्वों में से एक है छठ पूजा और ये विशेष रूप से दो राज्यों में मनाया जाता है। अपनी जन्मभूमि से दूर रहने वाले लोग भी जहाँ कहीं रहते हैं वहीं पर इस त्योहार को मनाते हैं। इसलिए आजकल, यह विदेशों में भी मनाते देखा जा रहा है। छठ पूजा के लिए बिहार सबसे मशहूर है। छठ पूजा के पहले दिन को नहाए खाए के नाम से जाना जाता है। दूसरा दिन है, जिसे खरना के नाम से जाना जाता है। इसी दिन लोग उपवास भी रखते हैं। छठ पूजा के तीसरे को संध्या अर्ध्य या छठ पूजा के नाम से जाना जाता है। भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं और उनमें से प्रत्येक की अलग . मान्यता होती है। इसी तरह, छठ पर्व भी उनमें से एक है। यह हर साल दिवाली के बाद 6वें दिन मनाई जाती है। और हमें इस अवसर पर काफी खुशी महसूस होती है।
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या करें –
(क) “मुझे यह सोचकर एक अजीब सी राहत मिलती है और मेरी फँसती हुई साँसें फिर से ठीक हो जाती हैं कि उस समय पिताजी को कोई दर्द महसूस नहीं होता रहा होगा।”
(ख) “हम तो केवल अपने समय की आवश्यकता की उपज हैं। “
(ग) “पूरब- पश्चिम से आते हैं
नंगे-बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे कौन लगाता है।”
(घ) “बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो । ‘

उत्तर – (क) प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हमारी पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग-2 के ‘तिरिछ’ शीर्षक कहानी से उद्धृत है। इन पंक्तियों में लेखक अपने पिताजी के विषय में वर्णन कर रहा है। उसके पिताजी शहर में जाकर विभिन्न स्थानों पर वहाँ के लोगों की हिंसक कार्रवाइयों के शिकार हो जाते हैं जिससे उनको काफी चोटें आती हैं और वे मरणासन्न हो जाते हैं। उन स्थितियों को देखकर लेखक ऐसा कहते हैं।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति ‘एक लेख और एक पत्र शीर्षक पाठ से ली गई है। इन पंक्तियों के माध्यम से भगत सिंह कहना चाहते हैं कि हमें एक बार किसी लक्ष्य या उद्देश्य का निर्धारण करने के बाद उस पर अडिग रहना चाहिए। हमें विश्वास रखना चाहिए कि हम अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेंगे।
(ग) इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहता है कि राष्ट्रीय त्योहार के समय सभी दिशाओं से जो जनता आ रही है, वह नंगे पाँव है, वह गरीब है और केवल नर कंकाल का रूप दिख रही है। उसकी मेहनत से कमाई गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा सिंहासन पर बैठा जनप्रतिनिधि हजम कर लेता है।
(घ) प्रस्तुत काव्यांश प्रयोगवादी कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता ‘उषा’ से अवतरित है। प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने भोर के वातावरण का सजीव चित्रण किया है। आकाश की लालिमा पूरी तरह अभी छट भी नहीं पायी है, सूर्योदय की लालिमा फूट पड़ना चाह रही है। आसमान के वातावरण में नमी दिखाई दे रही है और वह राख से लीपा हुआ गीला चौका-सा लग रहा है। इससे उसकी पवित्रता झलक रही है। भोर का दृश्य काले और लाल रंग के अनोखे मिश्रण से भर गया है। ऐसा लगता है कि गहरी काली सिल को केसर से अभी-अभी धो दिया गया है।
3. अपने प्रधानाचार्य के पास एक आवेदन पत्र लिखें, जिसमें अनुपस्थिति दण्ड-शुल्क माफ करने का अनुरोध हो । 
अथवा,
अपने भाई के वैवाहिक कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए अपने मित्र को एक पत्र लिखें। 
उत्तर – 
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय
विवेकानंद पब्लिक स्कूल
विषय – अनुपस्थिति दंड-शुल्क माफ कराने हेतु
महोदय,
          सविनय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय के कक्षा 12वीं का छात्र हूँ। काफी दिनों से बीमार होने के कारण अपने कक्षा में अनुपस्थित रहा। जिस कारण से विद्यालय की नीतियों के अनुसार विद्यालय में अनुपस्थित होने पर देय शुल्क जमा करने का प्रावधान है। महोदय, मैं एक अत्यंत गरीब छात्र हूँ। इसलिए मैं अनुपस्थिति शुल्क देने में असमर्थ हूँ।
         अतः श्रीमान से नम्र निवेदन है कि उपरोक्त बातों पर ध्यान देते हुए अनुपस्थिति शुल्क क्षमा करने की कृपा करें। आपकी इस कृपा के लिए मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।
आपका आज्ञाकारी छात्र
राकेश शर्मा
अथवा,
हनुमाननगर
20 फरवरी, 2022
प्रिय मित्र
          मैं स्वस्थ हूँ और आशा करता हूँ कि तुम भी स्वस्थ होगे। तुम्हें यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता होगी कि मेरे बड़े भाई की शादी तय हो गई है। मेरे भाई का विवाह 26 मार्च 2022 को है। तुम 25 मार्च तक यहाँ अवश्य पहुँच जाना। चाचाजी एवं चाचीजी को सादर प्रणाम तथा छोटे को स्नेह
तुम्हारा अभिन्न मित्र
 रोहित
4. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें। 
(i) बिशनी कौन है? इसको किसकी प्रतीक्षा है?
(ii) नारी की पराधीनता कब से आरंभ हुई ?
(iii) ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी में लपटन साहब की जेब से क्या बरामद हुआ था ?
(iv) मालती के पति का परिचय दें।
(v) ‘ओ सदानीरा’ कि नदी के लिए कहा गया है ?
(vi) जायसी रचित पहले कड़बक में कलंक, काँच और कंचन से क्या तात्पर्य है ?
(vii) तुलसी अपनी बात सीधे राम से न कहकर सीता से क्यों कहलवाना चाहते हैं?
(viii) शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है ?
(ix) ‘तुमुल कोलहल कलह में’ शीर्षक कविता में ‘विषाद’ और ‘व्यथा’ का उल्लेख है, यह किस कारण से है?
(x) पुत्र के लिए माँ क्या-क्या करती हैं ? ‘पुत्र वियोग’ शीर्षक कविता के आधार पर उत्तर दें ।
उत्तर – (i) बिशनी मानक की माँ है। उसे मानक की चिट्ठी की प्रतीक्षा है।
(ii) जब मानव जाति ने कृषि का आविष्कार किया तो नारी घर में और पुरुष बाहर रहने लगा। यहाँ से जिंदगी दो टुकड़ों में बँट गई। घर का जीवन सीमित और बाहर का जीवन निस्सीम होता गया एवं छोटी जिंदगी बड़ी जिंदगी के अधिकाधिक अधीन होती चली गई। कृषि के विकास के साथ ही नारी की पराधीनता आरंभ हो गई ।
(iii) ‘लपटन साहब’ ने जेब से बेल के बराबर तीन गोले निकाले ।
(iv) मालती के पति का नाम महेश्वर है, जो एक पहाड़ी गाँव में सरकारी डिस्पेंसरी में डॉक्टर है।
(v) ओ सदानीरा पाठ में आए नौका विहार प्रसंग बहुत ही मनमोहक है। गंडक नदी में नौका विहार अनुभव लेखक को प्राप्त है। उनका कहना है कि गंडक नदी में नौका विहार बहुत ही मनमोहक लगता है। नौका विहार होने से गंडक नदी के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। साथ ही गंडक नदी के किनारे की संस्कृति और जीवन प्रवाह के बारे में नौका विहार से विशेष अनुभव भी प्राप्त होता है।
(vi) अपनी कविताओं में कवि जायसी ने कलंक, काँच और कंचन आदि शब्दों का प्रयोग किया है। यहाँ भी कवि ने गुण-कर्म की विशेषता का वर्णन किया है।
(vii) तुलसी अपनी बात सीधे राम से न कहकर सीता से इसलिए कहलवाना चाहते हैं क्योंकि तुलसी ने सीताजी को माँ माना है तथा पूरे रामचरितमानस में अनेक बार माँ कहकर ही संबोधित किया है। अतः माता सीता द्वारा अपनी बात राम के समक्ष रखना ही उन्होंने श्रेयस्कर समझा।
(viii) जिस तरह मृगराज (सिंह) हाथी पर आक्रमण कर उसे मार डालता है, उसी तरह शिवाजी शत्रुसेना पर आक्रमण कर उसे (सेना को) छिन्न-भिन्न कर देते हैं। अतः, भूषण ने शिवाजी की तुलना मृगराज से की है।
(ix) ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के द्वितीय पद में ‘विषाद और व्यथा’ का उल्लेख है। कवि के अनुसार संसार की वर्तमान स्थिति कोलाहलपूर्ण है। इससे मनुष्य का मन चिर निषाद में विलीन हो जाता है।
(x) पुत्र के लिए माँ निजी सुख-दुख भूल जाती है। वह इसके सवास्थ्य एवं सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है। बच्चे को लोरी गीत सुनाकर सुलाती है।
5. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दें। 
(i) संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं ?
(ii) अगर हममें वाक्शक्ति न होती, तो क्या होता? ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध के आधार पर उत्तर दें।
(iii) ‘अर्धनारीश्वर’ शीर्षक पाठ में रवीन्द्रनाथ प्रसाद और प्रेमचंद के चिंतन से दिनकर क्यों असंतुष्ट हैं?
(iv) गजानन माधव मुक्तिबोध ने ‘जन-जन का चेहरा एक’ शीर्षक कविता में सितारे को भयानक क्यों कहा है ? सितारे का इशारा किस ओर है?
(v) ‘उषा’ शीर्षक कविता में, ‘राख से लीपा हुआ चौका’ के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है ?
(vi) सूरदास रचित पठित पद के आधार पर सूर के वात्सल्य वर्णन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर – (i) आंदोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण कहते हैं मैं सबकी सलाह लूँगा, सबकी बात सुनूँगा। छात्रा की बात जितनी भी ज्यादा होगी, जितना भी समय मेरे पास होगा, उनसे बहस करूंगा और कहते हैं कि तब तो इस नेतृत्व का कोई मतलब है, तब यह क्रांति सफल हो सकती है। और नहीं, तो आपस की बहसों में पता नहीं हम किधर विखर जाएँगे और क्या नतीजा निकलेगा।
(ii) मनुष्य को वाक्शक्ति (बोलने की क्षमता) ईश्वर से वरदान के रूप प्राप्त है। यदि मनुष्य को ईश्वर से वरदान के रूप में यह शक्ति प्राप्त नहीं हुई होती, तो वह गूँगा होता और अपने सुख-दुख के अनुभवों को अभिव्यक्त करने में सर्वथा असमर्थ होता। ऐसी स्थिति में वह कितना दयनीय होता, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। वाक्शक्ति के अंतर्गत वक्तृता (स्पीच) और बातचीत – दोनों सम्मिलित हैं। पर, बातचीत का ढंग स्पीच ( वक्तृता) से अलग और निराला होता है। बातचीत में नाज-नखरा (हाव-भाव, मोहक चेष्टा) व्यक्त करने का अवसर नहीं होता, पर वक्तृता (स्पीच) में हाव-भाव और मोहक चेष्टा के लिए काफी अवसर होता है।
(iii) रवीन्द्रनाथ, जयशंकर प्रसाद एवं प्रेमचन्द के चिंतन नारियों के प्रति भिन्न रहे हैं। इन कवियों और रोमांटिक चिंतकों में नारी का जो रूप प्रकट हुआ वह भी उसका अर्धनारीश्वरी रूप नहीं है ।
राष्ट्रीकवि दिनकर उक्त कवियों और लेखक के विचार से असंतुष्ट हैं। उनका मानना है कि नारियाँ अब अभिशप्त नहीं हैं। यतियों का अभिशप्त काल समाप्त हो गया है। अब नारी विकारों की खान और पुरुषों की बाधा नहीं मानी जाती है। अब नारी प्रेरणा का उद्गम है, शक्ति का स्रोत है। अब वह पुरुषों की थकान की महौषधि बन गई है। अतः नारी और नर एक ही द्रव की ढाली दो प्रतिमाएँ हैं। वे एक-दूसरे के पूरक हैं। प्रारंभिक काल में दोनों बहुत कुछ समान थे।
(iv) जलता हुआ लाल कि भयानक सितारा एक उद्दीपित उसका विकराल से इशारा एक। ” उपयुक्त पंक्तियों में एक लाल तथा भयंकर सितारा द्वारा विकराल सा इशारा करने की कवि की कल्पना है। आकाश में एक लाल रंग का सितारा प्राय: दृष्टिगोचर होता है “मंगल”। सितारे का इशारा संघर्षशील जनता की ओर है।
(v) सूर्योदय के समय आसमान के वातावरण में नभी दिखाई दे रही है और वह राख से लीपा गीला चौका सा लग रहा है। इससे उसकी पवित्रता झलक रही है। कवि ने सूर्योदय से पहले आकाश को राख से लीपे चौके के समान इसलिए बताया है ताकि वह उसकी पवित्रता को अभिव्यक्त कर सके।
(vi) सूरदास के दोनों पदों में वात्सल्य भाव की प्रचुरता है। इन पदों में सूर की काव्य और कला से संबंधित विशिष्ट प्रतिमा की अपूर्व झलक मिलती है। दोनों पदों में विषय वस्तुचयन, चित्रण भाषा-शैली, संगीत आदि गुणों का प्रकर्ष दिखाई पड़ता है। दोनों पदों में प्रेम और भक्ति की मर्मस्पर्शी अंतर्धारा प्रवाहित है।
6. निम्नलिखित अवतरणों में से किसी एक का संक्षेपण कीजिए –
(i) भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। भारतीय त्योहार मुख्य रूप से फसलों के त्योहार हैं। इसका कारण है, भारत का कृषि प्रधान देश होना । अधिकांश त्योहार धर्मों से संबंधित हैं। भारत अनेक धर्मों का देश है। यहाँ हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी, ईसाई और इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। इसलिए धार्मिक त्योहार भी विविधता लिये हुए हैं। एक-दूसरे के धर्मों के बारे में जानकर अच्छा व्यक्ति बनने का भाव जागृत होता है। दशहरा, ईद, गुरु पर्व, क्रिसमस, दीपावली, मुहर्रम आदि धार्मिक त्योहार हैं।
(ii) ज्ञान का समस्त भंडार पुस्तकों में रहता है। प्रत्येक व्यक्ति इनसे अपनी-अपनी रुचि के अनुसार ज्ञान प्राप्त कर सकता है। संगीत, नृत्य, चित्रकला, लघुकथा, कविता, कहानी, उपन्यास, विज्ञान, इतिहास, कम्प्यूटर आदि का ज्ञान इन पुस्तकों से ही प्राप्त किया जा सकता है। अपनी-अपनी रुचि के अनुसार बालक से वृद्ध तक पुस्तकें पढ़ सकते हैं। जितने मनुष्य हैं, उनकी अपनी-अपनी रुचि है। वे अपने-अपने क्षेत्रों का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं। इतना विविधतापूर्ण ज्ञान और विविध जानकारियाँ केवल पुस्तकें ही दे सकती हैं।
उत्तर – (i) त्योहार और धर्म

त्योहारों के देश भारत में मुख्य रूप से फसलों के त्योहार हैं क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में अनेक धर्म हैं अतः धार्मिक त्योहारों में भी अनेक विविधताएँ हैं। एक दूसरे के धर्मों के बारे में जानकर हम बेहतर मानव बन सकते हैं। धार्मिक त्योहारों के मुख्य उदाहरण दशहरा, दीपावली ईद, क्रिसमस ‘गुरु-पर्व’ महावीर जयंती इत्यादि हैं।
(ii) पुस्तकों का महत्व
पुस्तकों का संसार ज्ञान का संसार है, इस बात में कोई संदेह नहीं है। पुस्तकों में असीमित ज्ञान समाया हुआ है। अपनी-अपनी रुचि के अनुसार लोग अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं।
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