Bihar Secondary School Question Bank | Bihar Board Class 12th Hindi Question Bank 2012-2023 | BSEB Class 12th Hindi Notes (1)
Bihar Secondary School Question Bank | Bihar Board Class 12th Hindi Question Bank 2012-2023 | BSEB Class 12th Hindi Notes (1)
उत्तर – शीर्षक: अनुशासन
उत्तर – (क) पर्यावरण संरक्षण
उत्तर – (क) भगत सिंह के अनुसार कष्ट सहकर एक विशिष्ट और सर्वव्यापी आन्दोलन करना महान कार्य है। विपत्तियों, दुखों, कष्टों और चिन्ताओं का सहन करते हुए देश के लिए शहीद हो जाना अर्थात् मृत्यु को वरण करना एक “सुन्दर मृत्यु” है।
उत्तर – (क) हममें वाक्शक्ति न होती तो मनुष्य गूँगा होता, वह मूकबधिर होता। मनुष्य को सृष्टि की सबसे महत्त्वपूर्ण देन उसकी वाक्शक्ति है। इसी वाक्शक्ति के कारण वह समाज में वार्तालाप करता है। वह अपनी बातों को अभिव्यक्त करता है। यह ईश्वरीय अनमोल दी हुई कृति है। यदि हममें इस वाक्शक्ति का अभाव होता तो हम पशुओं की भाँति होते | जो सुख-दुख हम इंद्रियों के कारण अनुभव करते हैं वह वाक्शक्ति न रहने के कारण नहीं कह पाते ।
सेवा में,

उत्तर – कालों को उन्होंने प्रवृत्ति एवं प्रकृति के अनुसार चार कालखण्डों में विभाजित किया।
उत्तर – (क) प्रस्तुत पंक्तियों में मानव जीवन की प्रवृत्तियों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण अत्यन्त सफलतापूर्वक किया गया है। विद्वान लेखक ने यह बताने का प्रयास किया है कि मृत्यु के कुछ समय पूर्व मानव की स्मरण शक्ति अत्यन्त स्पष्ट हो जाती है। उसे अपने विगत जीवन की समस्त घटनाओं की स्मृति सहज हो जाती है। अतीत के चित्र उसके नेत्र के सामने चलचित्र की भाँति नाचने लगते हैं। उसपर जमी हुई समय की धुन्ध हट जाती है तथा वह उन्हें सहज ढंग से देख एवं अनुभव कर सकता है। विद्वान लेखक श्री गुलेरी ने उक्त बातें इसी संदर्भ में वर्णित की है। इस प्रकार प्रस्तुत पंक्तियों में मृत्यु के समय में मानव-मन की स्वाभाविक प्रक्रिया का वर्णन है। कथन के अनुसार जमादार लहना सिंह मृत्यु – शैय्या पर अपने जीवन की अंतिम घड़ियाँ गिन रहा है, उस समय उसे विगत की सम्पूर्ण बातें याद आने लगती हैं जो इतनी स्पष्ट हैं कि इससे पहले उसे कभी ऐसी अनुभूति नहीं हुई थी ।
उत्तर – (क) मेरे प्रिय कवि
वसन्त ऋतु का प्रारंभ वंसत पंचमी से ही मान लिया गया है, लेकिन चैत और बैशाख ही वसन्त ऋतु के महीने हैं। वसन्त ऋतु का समय समशीतोष्ण जलवायु का होता है। चिल्ला जाड़ा और शरीर को झुलसाने वाली गर्मी के बीच वसन्त का समय होता है। वसन्त के आगमन के साथ ही प्रकृति अपना शृंगार करने लगती है। लताएँ मचलने लगती हैं और वृक्ष फूलों-फलों से लद जाते हैं। दक्षिण दिशा से आती मदमाती बयार बहने लगती है। आम की मँजरियों की सुगन्ध वायुमंडल को सुगन्धित कर देती है। मस्त कोयल बागों में कूकने लगती है। सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं और उनकी भीनी-भीनी तैलाक्त गन्ध सर्वत्र छा जाती हैं। तन-मन में मस्ती भर जाती है। हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेज कवियों ने वसंत का मनोरम वर्णन किया है। कालिदास, वर्ड्सवर्थ, पंत, दिनकर का वसंत-वर्णन पढ़कर किसका मन आनादित नहीं होता?

उत्तर – (क) रोज : ‘रोज’ कथा साहित्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन के प्रणेता महान कथाकर सचिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय की सर्वाधिक चर्चित कहानी है। प्रस्तुत कहानी में ‘संबंधों’ की वास्तविकता को एकान्त वैयक्तिक अनुभूतियों से अलग ले जाकर सामाजिक संदर्भ में देखा गया है।
उत्तर – (क) पुरुष जब नारी के गुण लेता है तब वह अर्द्धनारीश्वर बन जाता है। अर्द्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का कल्पित रूप है जिसमें आधा अंग पुरुष का तथा आधा अंग नारी का होता है। अर्द्धनारीश्वर के माध्यम से यह बताया है कि समाज में स्त्री और पुरुष दोनों का अपना-अपना स्थान और महत्व है।
उत्तर – 19वी शताब्दी से पूर्व खड़ी बोली हिन्दी का समुचित विकास हुआ था। उस समय के खड़ी बो हिन्दी के काल को विभिन्न भागों में बाँटा गया है जैसे आदिकाल, भक्तिकाला तथा रीतिकाल । आदिकाल में खड़ी बोली हिन्दी का समुचित विकास हुआ। चंदवरदायी इस काल के कवि थे। उन्होंने पृथ्वीराज रासो नामक ग्रंथ की रचना की । भक्तिकाल में भी खड़ी बोली हिन्दी का समुचित विकास हुआ। इस काल की मुख्य विशेषता ईश्वर भक्ति है। तुलसी, सूर, मीरा ने सगुण ईश्वर राम, कृष्ण आदि की भक्ति की । सगुण काव्य के अंतर्गत आते हैं। निर्गुण काव्य के अंतर्गत पुनः में दो विभाजन मिलते हैं। कबीर आदि संतों ने ‘ज्ञान’ के बल पर ईश्वर साधना की । अतः इनके काव्य को ‘ज्ञानमार्गी काव्य’ या ‘संत काव्य’ कहा जाता है। दूसरी ओर जायसी आदि कवियों ने ‘प्रेम’ तत्व को आधार बनाकर कविता लिखी । अतः उनके काव्य को ‘प्रेम काव्य’ की संज्ञा दी जाती है। सगुण काव्य के अन्तर्गत भी रामभक्ति काव्य और कृष्णभक्ति काव्य नाम से दो काव्य-धाराएँ चलती हैं। रामभक्ति के मुख्य कवि तुलसी तथा कृष्णभक्ति के प्रमुख कवि सूर, तुलसी, नंददास, रसखान, मीरा आदि हैं।
उत्तर – (क) “आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं यथार्थ को रचता भी है” प्रस्तुत पंक्ति “हँसते हुए हमारा अकेलापन” डायरी से ली गयी है। इस पंक्ति में लेखक मलयज ने यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि व्यक्ति यथार्थ में जीता भी है और यथार्थ को रचता भी है। यथार्थ मनुष्य जीवन का एक कटु सत्य है। वास्तविकता से परे मनुष्य का जीवन एकाकी एवं व्यर्थ होता है। इस पंक्ति में लेखक ने संकेत दिया हैं कि उनके बच्चे उनकी रचना हैं और वे यथार्थ हैं। उनकी चिन्ता उनके स्वयं की है। लेखक पारिवारिक बोझ के बंधन से बँधे हैं जबकि उनका परिवार बंधन एवं चिंतामुक्त है। यही जीवन का यथार्थ है। अतः व्यक्ति की रचना एवं उसके जीवन का यथार्थ दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर – शीर्षक: आदर्श शिक्षा पद्धति का महत्त्व
उत्तर – भक्तिकाल की निम्नांकित प्रवृत्तियाँ महत्त्वपूर्ण हैं- भक्तिकाल वास्तव में प्रथम भारतीय नवजागरण का काल है। इस काल में सगुण और निर्गुण काव्य की धारा प्रवाहित हुई। निर्गुण ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि हों या सगुण रामाश्रयी- कृष्णाश्रयी शाखा के कवि; निर्गुण प्रेमाश्रयी शाखा के कवि हों या निर्गुण-सगुण के समन्वय के कवि – सबने अपने-अपने ढंग से भारतीय लोकजीवन में सांस्कृतिक तथा सामाजिक चेतना जगाने का प्रयास किया। इस क्रम में इस काल में निम्नलिखित सामान्य प्रवृत्तियाँ उभरीं-
उत्तर – (क) “आदमी यथार्थ को जीता ही नहीं, यथार्थ को रचता भी है। ”
उत्तर – (क) रोज : ‘रोज’ कथा साहित्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन के प्रणेता महान कथाकर सचिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय की सर्वाधिक चर्चित कहानी है। प्रस्तुत कहानी में ‘संबंधों’ की वास्तविकता को एकान्त वैयक्तिक अनुभूतियों से अलग ले जाकर सामाजिक संदर्भ में देखा गया है।
उत्तर – अँगरेजी और भारतीय संस्कृति
उत्तर – (क) छात्र और राजनीति
वसन्त ऋतु का प्रारंभ वंसत पंचमी से ही मान लिया गया है, लेकिन चैत और बैशाख ही वसन्त ऋतु के महीने हैं। वसन्त ऋतु का समय समशीतोष्ण जलवायु का होता है। चिल्ला जाड़ा और शरीर को झुलसाने वाली गर्मी के बीच वसन्त का समय होता है। वसन्त के आगमन के साथ ही प्रकृति अपना शृंगार करने लगती है। लताएँ मचलने लगती हैं और वृक्ष फूलों-फलों से लद जाते हैं। दक्षिण दिशा से आती मदमाती बयार बहने लगती है। आम की मँजरियों की सुगन्ध वायुमंडल को सुगन्धित कर देती है। मस्त कोयल बागों में कूकने लगती है। सरसों के पीले फूल खिल उठते हैं और उनकी भीनी-भीनी तैलाक्त गन्ध सर्वत्र छा जाती हैं। तन-मन में मस्ती भर जाती है। हिन्दी, संस्कृत तथा अंग्रेज कवियों ने वसंत का मनोरम वर्णन किया है। कालिदास, वर्ड्सवर्थ, पंत, दिनकर का वसंत-वर्णन पढ़कर किसका मन आनादित नहीं होता?
सेवा में,

उत्तर – (क) कहानी अमृतसर के भीड़-भरे बाजार से शुरू होती है, जहाँ बारह बरस का लड़का (लहना सिंह) आठ वर्ष की एक लड़की को ताँगे के नीचे आने से बचाता है। लड़का लड़की को यह पूछते हुए छेड़ता हैगतेरी कुड़माई (मंगनी) हो गई है, लड़की धत् कहकर भाग जाती है किन्तु एक दिन धत् कहने के बजाय कहती है— “हाँ कल ही हो गई। देखते नहीं यह रेशम के फूलों वाला शालू।” लहना सिंह हतप्रभ रह जाता है। कहानी आगे बढ़ती है। लहना फौज में भर्ती है। लड़की का विवाह सेना के सूबेदार से हो जाता है तथा लहना सिंह को इसकी जानकारी होती है। सूबेदारिन सेना में भरती अपने एकमात्र पुत्र बोधा सिंह एवं पति सूबेदार हजारा सिंह की युद्ध में रक्षा का वचन लहना सिंह से लेती है। लहना सिंह ने युद्ध में अपने प्राणों की बलि देकर उनलोगों की रक्षा की। यही उसका वास्तविक प्रेम था।
सेवा में.
निवेदन है कि मैं बिहार राज्य के कोसी प्रमंडल के पूर्णिया जिला का निवासी हूँ, मेरे जिले में प्रत्येक साल बाढ़ आ जाती है, जिससे लाखों की जानमाल का नुकसान हो जाता है। हर साल बाढ़ में रेल लाइन एवं सड़क टूट जाती है, मनुष्य एवं सभी जीव-जन्तु बेघर हो जाते हैं। लाखों के खड़ी फसल बर्बाद हो जाती है।
(च)
उत्तर – शीर्षक: वर्ण-व्यवस्था / जाति व्यवस्था
उत्तर – (क) छात्र और राजनीति
उत्तर – हिन्दी साहित्य में आदिकाल की मुख्य प्रवृत्ति : हिन्दी साहित्य के इतिहास पर जब विचार किया जाता है तो आदिकाल की प्रवृत्तियों को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है
भक्तिकाल की निम्नांकित प्रवृत्तियाँ महत्त्वपूर्ण हैं- भक्तिकाल वास्तव में प्रथम भारतीय नवजागरण का काल है। इस काल में सगुण और निर्गुण काव्य की धारा प्रवाहित हुई। निर्गुण ज्ञानाश्रयी शाखा के कवि हों या सगुण रामाश्रयी- कृष्णाश्रयी शाखा के कवि; निर्गुण प्रेमाश्रयी शाखा के कवि हों या निर्गुण-सगुण के समन्वय के कवि – सबने अपने-अपने ढंग से भारतीय लोकजीवन में सांस्कृतिक तथा सामाजिक चेतना जगाने का प्रयास किया। इस क्रम में इस काल में निम्नलिखित सामान्य प्रवृत्तियाँ उभरीं-
उत्तर – (क) माँ के लिए अपने मन को समझाना तब कठिन हो जाता है, जब वह अपना बेटा खो देती है। बेटा माँ का अमूल्य धरोहर होता है। माँ की आँखों का तारा होता है। माँ का सर्वस्व यदि क्रूर नियति द्वारा उससे छीन लिया जाता है, उसके बेटे की मृत्यु हो जाती है तो माँ के लिए अपने मन को समझाना कठिन होता है।
इनकी कृतियाँ हैं— भक्तमाल (1585-1596) अष्टयाम (ब्रजभाषा), अष्टयाम (दोहा चौपाई शैली में) और रामचरित संबंधी प्रकीर्ण पदों का संग्रह |
उत्तर – (क) ‘पेशगी’ शीर्षक कहानी के रचयिता हेनरी लोपेज (1937 ) हैं। “अफ्रीकी देश कांगो में जन्मे हेनरी लोपेज हमारे समय के अत्यन्त समर्थ लेखक हैं। उन्होंने अपने लेखनकीय कर्म को गंभीरता से निभाया है। उनका लेखन विकसित या विकासशील दुनिया तथा अविकसित अफ्रीका के बीच की दूरी को दिखाता है। इस तरह उनका लेखन न केवल अफ्रीका बल्कि दुनिया की वृहत्तर आबादी, उसके जीवन और उसकी पीड़ा का रचनात्मक साक्ष्य बनकर प्रस्तुत होता है। ”
उत्तर – (क) ‘उत्सव’ का तात्पर्य है किसी विशेष अवसर पर आनन्द मनाना । ‘हार-जीत’ कविता में शासक वर्ग के साथ सारा शहर उत्सव मना रहा है। राजा की ओर से उत्सव मनवाया जा रहा है। उत्सव का आधार

उत्तर – (क) प्रस्तुत पंक्तियाँ हिन्दी के छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद रचित कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ से उद्धृत है। ये पंक्तियाँ ‘कामायनी’ महाकाव्य से ली गयी है। ‘कामायनी’ महाकाव्य की नायिका श्रद्ध जो वस्तुतः स्वयं कामायनी है, आत्मगान प्रस्तुत करती है। इस गान में श्रद्धा (जो वस्तुतः विश्वासपूर्ण आस्तिक बुद्धि है जिसके द्वारा विकासगामी ज्ञान एवं आत्मबोध प्राप्त हो पाता है) विनम्र स्वाभिमान से भरे स्वर में अपना परिचय देती है, अपने सत्ता-सार का व्याख्यान करती है। प्रकारांतर से यह नारी मात्र का परिचय और महिमागान हो जाता है। ”
उत्तर – (क) होली
उत्तर –
सेवा में,
सेवा में,
उत्तर – शीर्षक: सामाजिक हिंसा
उत्तर – (क) –(iv), (ख) –(ii), (ग) –(iii), (घ) –(i), (ङ) –(v)
लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा देश का शासन संचालन होता है। देश की जनता मतदान द्वारा उन व्यक्तियों का चयन करती है जिन्हें वह ईमानदार, सक्षम, उपयुक्त एवं कुशल प्रतिनिधि समझती है। लोकतांत्रिक देशों का अपना एक संविधान होता है जो शासन संचालन के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करता है। उसके आधार पर जन प्रतिनिधियों का चुनाव देश के नागरिकों के मतदान द्वारा होता है तथा एक सक्षम लोकतांत्रिक सरकार का गठन होता है। लोकतंत्र “जनता का, जनता के लिए एवं जनता के द्वारा निर्मित शासन व्यवस्था है। विश्व के विभिन्न राष्ट्रों में चुनाव प्रक्रिया एक-दूसरे से भिन्न है।
उत्तर – (क) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक के ‘शिक्षा’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। यह महान चिंतक और दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति के संभाषणों में से लिया गया एक संभाषण है। इस गद्यावतरण में महत्वाकांक्षा के चलते पैदा होनेवाली सामाजिक, राजनैतिक एवं धार्मिक विकृतियों का उल्लेख हुआ है।


उत्तर – (क) बोधा सिंह ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी के सूबेदारहजारा सिंह का पुत्र
उत्तर – (क) ‘छप्पय’ : ‘छप्पय’ शीर्षक पद कबीरदास एवं सूरदास पर लिखे गये छप्पय ‘भक्तमाल’ से संकलित है। छप्पय एक छंद है जो छः पंक्तियों का गेय पद होता है ।
उत्तर – रीतिकाल का साहित्य सामंतीय वातावरण और संस्कृति का उद्भावक है। राजदरबारों का आश्रय पानेवालों की इस शृंगारी कविताओं में धनोपार्जन की प्रवृत्ति वर्तमान है। कविता में रीति एवं अलंकार का प्रयोग खुलकर किया गया है। भाव-सौंदर्य के स्थान पर नारी के रूप-सौंदर्य को चित्रित करने में सारी शक्ति लगा दी गई। कविता ‘प्रेम की पुकार’ तथा ‘रसिकता और अभिव्यक्ति’ से आगे न बढ़ सकी। फलतः रीतिकाल अथवा शृंगारकाल की सामान्य प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं
सेवा में,
उत्तर – शीर्षक : जीवन का आनंद
उत्तर – आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने साहित्य के इतिहास के संबंध में लिखा है: “जबकि प्रत्येक देश का साहित्य वहाँ की जनता की चित्तवृत्तियों का संचित प्रतिबिंब होता है, तब यह निश्चित है कि जनता की चित्तवृत्ति के परिवर्तन के साथ-साथ साहित्य के स्वरूप में भी परिवर्तन होता चला जाता है। आदि से अंत तक इन्हीं चित्तवृत्तियों की परंपरा को परखते हुए साहित्य परंपरा के साथ उनका सामंजस्य दिखाना ही साहित्य का इतिहास कहलाता है। ”
रीतिकाल का साहित्य सामंतीय वातावरण और संस्कृति का उद्भावक है। राजदरबारों का आश्रय पानेवालों की इस शृंगारी कविताओं में धनोपार्जन की प्रवृत्ति वर्तमान है। कविता में रीति एवं अलंकार का प्रयोग खुलकर किया गया है। भाव-सौंदर्य के स्थान पर नारी के रूप-सौंदर्य को चित्रित करने में सारी शक्ति लगा दी गई। कविता ‘प्रेम की पुकार’ तथा ‘रसिकता और अभिव्यक्ति’ से आगे न बढ़ सकी। फलतः रीतिकाल अथवा शृंगारकाल की सामान्य प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं
(ख) प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ श्री शमशेर बहादुर सिंह की काव्यकृति के ‘उषा’ शीर्षक से उद्धृत की गयी हैं। शमशेर बहादुर सिंह प्रभाववादी कवि हैं।
उत्तर – (क) ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता रघुवीर सहाय द्वारा लिखित एक व्यंग्य कविता है। इसमें आजादी के बाद के सत्ताधारी वर्ग के प्रति रोषपूर्ण कटाक्ष है।
उत्तर – (क) अपनी वैयक्तिकता और आत्मपरकता के कारण ‘लिरिक’ अथवा ‘प्रगीत’ काव्य की कोटि में


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