गूगल पे से रिश्वत लेता था बिहार का ये अफसर, उगाही करते थे आठ दलाल; पटना में चलता था निजी कार्यालय
गूगल पे से रिश्वत लेता था बिहार का ये अफसर, उगाही करते थे आठ दलाल; पटना में चलता था निजी कार्यालय
पटना। रिश्वत अक्सर टेबल के नीचे, पेड़ के पीछे या ट्रेन के दो कोचों के बीच ट्वायलेट वाली जगह में ली जाती है, लेकिन पटना का ये अफसर तो गूगल पे के जरिए रिश्वत लेता था। पटना जिले के संपतचक अंचल के अंचल अधिकारी यानी सीओ सरकारी दफ्तर के समांतर अपना एक निजी कार्यालय चलाते थे। यहां भी वहीं तमाम लोग काम करते थे, जिनकी नियुक्ति सीओ के अधीन सरकारी दफ्तर में है।
डाटा इंट्री आपरेटरों के जरिए लेते थे पैसा
सीओ के निजी कार्यालय का राजफाश होने के बाद इस मामले में जांच चल रही है। जांच से सुराग मिले हैं कि संपतचक अंचल अधिकारी के कार्यालय में डाटा इंट्री आपरेटरों मोबाइल पर गूगल पे से पैसा आने के बाद जमीन का दाखिल-खारिज और परिमार्जन होता था। जिन आवेदकों का कागजात सही रहता था उन्हें राजस्व कर्मचारी के पास रिपोर्ट के लिए भेज दिया जाता था।
चार कर्मचारी और आठ दलाल करते थे उगाही
ऐसे दाखिल-खारिज के 331 और परिमार्जन के 511 आवेदन सीओ के पास लंबित कर रखा गया था। अंचल में पदस्थापित चार हलका कर्मचारियों के अलावा उनके आठ दलालों के माध्यम से गूगल पे से घूस की रकम भेजकर दाखिल-खारिज कराने का धंधा चलता था। पटना सदर अनुमंडल पदाधिकारी श्रीकांत कुंडलिक खांडेकर की जांच रिपोर्ट में इसके साक्ष्य मिले हैं। रिपोर्ट के आधार पर सीओ से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
एक दाखिल खारिज के लिए सात हजार रुपए
सूत्रों के अनुसार गूगल पे पर प्रति दाखिल-खारिज 7000 रुपये और परिमार्जन के लिए 4000 रुपये कंप्यूटर आपरेटर के पास आता था। इससे उपर का पैसा दलालों और राजस्व कर्मचारी और सीओ के बीच में बंटवारा होता था। जमीन का रिकार्ड संभालने वाला यह अधिकारी अपने कार्यालय को काली कमाई का कारखाना बना रखा था।
डीएम ने खुफिया सूचना पर की थी छापेमारी
जिलाधिकारी डा. चंद्रशेखर सिंह ने खुफिया सूचना के आधार पर 18 नवंबर को रात 9.00 बजे पत्रकार नगर थाने के मुन्ना चक मोहल्ले में संपतचक सीओ नंदकिशोर प्रसाद नंदा का अवैध कार्यालय पकड़ा गया था। छापेमारी के बाद शनिवार को अनुमंडल पदाधिकारी ने संपतचक अंचल कार्यालय के निरीक्षण के दौरान कमलेश ठाकुर ने शिकायत दर्ज की है कि सीओ द्वारा अवैध तरीके से दाखिल-खारिज के दम पर जमीन कब्जा करा दिया गया। इसमें मनोज कुमार शामिल है, जिसने पत्नी के नाम पर जमीन ली है।
आठ मोबाइल का रिश्वत लेने में होता था इस्तेमाल
अंचल कार्यालय के कंप्यूटर आपरेटरों में शंकर कुमार और इंतखाब आलम के मोबाइल की जांच में आठ मोबाइल नंबर से दाखिल-खारिज के लिए रिश्वत की राशि भुगतान और कागजत व्हाट्सएप पर पाए गए। जिन नंबरों से दाखिल-खारिज के लिए कागज और पैसा आता था। जांच में हलका कर्मचारी विनयशील, प्रदीप विश्वकर्मा, तौशिद अहमद और उनके दलालों के बारे में पुख्ता सबूत एकत्र कर जिलाधिकारी को रिपोर्ट सौंपी गई है।
source – jagran
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