UPI पर चार्ज लगेगा या नहीं? 3000 पार वाले पेमेंट पर सरकार ने खुद दिया जवाब
UPI Transaction Charge: UPI से पेमेंट करने वालों के लिए बड़ी राहत की खबर है. सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी तरह के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ट्रांजैक्शन पर कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लगेगा. वित्त मंत्रालय ने 11 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी कर मीडिया में चल रही चार्ज लगाने की खबरों को गैर-जिम्मेदाराना और भ्रामक करार दिया है.
Speculation and claims that the MDR will be charged on UPI transactions are completely false, baseless, and misleading.
Such baseless and sensation-creating speculations cause needless uncertainty, fear and suspicion among our citizens.
The Government remains fully committed…
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 11, 2025
भ्रामक रिपोर्ट्स पर सरकार की सफाई
पिछले कुछ दिनों से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि सरकार UPI के ज़रिए किए गए 3,000 रुपये से अधिक के लेन-देन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) के तहत शुल्क वसूलने की योजना बना रही है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह चार्ज दुकानदारों से लिया जाना था और इसमें 0.3% तक की कटौती संभव थी. यानी अगर कोई ग्राहक 3,000 रुपये से अधिक की रकम का UPI पेमेंट करता है, तो दुकानदार को बैंक को 9 रुपये तक का MDR शुल्क देना पड़ सकता था.
हालांकि, इन दावों पर विराम लगाते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा है कि “इस तरह की अफवाहें निराधार हैं और डिजिटल भुगतान व्यवस्था में लोगों के विश्वास को कमजोर करती हैं. UPI एक मुफ्त और कुशल भुगतान प्रणाली है और सरकार इसका विस्तार करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.”
डिजिटल इंडिया मिशन को मिल रहा है बढ़ावा
सरकार लगातार डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा दे रही है. UPI के जरिए लेन-देन की संख्या और मूल्य में लगातार इजाफा हो रहा है. नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के आंकड़ों के मुताबिक, मई 2025 में ही UPI के जरिए 1200 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए, जिनका कुल मूल्य 18 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा.
क्या है MDR?
मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) वह शुल्क होता है जो दुकानदार या व्यापारी बैंक को डिजिटल पेमेंट लेने के बदले देता है. पहले डेबिट और क्रेडिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर यह शुल्क लगता था, लेकिन UPI पर इसे नहीं लगाया जाता है. सरकार ने 2020 में MDR को खत्म कर दिया था ताकि डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन मिल सके.
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