RBI Monetary Policy Review Meeting Live: क्रेडिट पॉलिसी: रेपो रेट 0.50 फीसद बढ़ा, EMI भरने वालों को झटका

RBI Monetary Policy Review Meeting Live: क्रेडिट पॉलिसी: रेपो रेट 0.50 फीसद बढ़ा, EMI भरने वालों को झटका

RBI Monetary Policy Review Meeting Live: क्रेडिट पॉलिसी: रेपो रेट 0.50 फीसद बढ़ा, EMI भरने वालों को झटका

RBI Monetary Policy Review Meeting Live update: आरबीआई ने आज मोनेटरी पॉलिसी का ऐलान करते हुए रेपो रेट 0.50 फीसद बढ़ा दिया है। इससे उपभोक्ताओं के लिए घर, कार और अन्य कर्ज और ज्यादा महंगे हो जाएंगे। हालांकि, इसके बाद जमा पर मिलने वाले ब्याज में बढ़ोतरी होने की भी उम्मीद रहेगी।

10:14 बजे: आरबीआई गवर्नर दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने का निर्णय किया, रेपो दर अब 5.90 प्रतिशत हुई। मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से पांच ने नीतिगत दर में वृद्धि का समर्थन किया।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि हम कोविड महामारी, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि से नये ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं ।

10:07 बजें: रेपो दर बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो गई। अब  होम लोन की ईएमआई (EMI) भरने वालों को अधिक भुगतान करना पड़ेगा। भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से रेपो रेट में इजाफा किए जाने के बाद से बैंक लोन की दरों में बढ़ोतरी शुरू कर देंगे और यह बढ़ोतरी एक दशक में सबसे तेज रहेगी।

10:05 बजे: क्रेडिट पॉलिसी पर आरबीआई गवर्नर लाइव, उन्होंने कहा: कोरोना के साथ तीन बड़े झटके मिले

9:54 बजे: अब से कुछ देर बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर नई मौद्रिक नीति की घोषणा करेंगे।

9:30 बजे: मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले शेयर मार्केट में आज दबाव दिख रहा है। सेंसेक्स 196.24 अंक नीचे 56,213.72 के स्तर पर है।

8:57 बजे: रेपो रेट  क्या है ?: इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ता है प्रभाव

जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे।

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