IPL से अरबों की कमाई, लेकिन चवन्नी भी इनकम टैक्स नहीं देता BCCI, कारण जानकर चौंक जाएंगे
BCCI IPL Income Tax: हमारे क्रिकेट-दीवाने देश भारत में इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) हर साल एक महा-उत्सव की तरह मनाया जाता है. जहां एक ओर मैदान पर चौकों-छक्कों की बारिश होती है, वहीं दूसरी ओर इसके इर्द-गिर्द करोड़ों रुपये की आर्थिक गतिविधियां होती हैं, खिलाड़ियों की नीलामी से लेकर स्पॉन्सरशिप डील्स तक. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस अरबों के कारोबार से भरी लीग पर इसके संस्थापक संगठन, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI), को भारी-भरकम टैक्स देना पड़ता है या नहीं? जवाब थोड़ा चौंकाने वाला है- नहीं.
जी हां, IPL से होने वाली कमाई पर बीसीसीआई को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता. वजह यह है कि भले ही लीग से बीसीसीआई को बड़ी आमदनी होती हो, लेकिन उसका मुख्य उद्देश्य ‘क्रिकेट का प्रसार’ बना रहता है. यानी बीसीसीआई क्रिकेट का प्रमोशन में लगी रहती है, इसलिए फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार कुल 20, 686 करोड़ की कमाई हुई, जिसका बड़ा हिस्सा आईपीएल से आया. लेकिन क्रिकेट के प्रमोशन के नाम पर बीसीसीआई इस पर कोई आयकर नहीं देता.
धर्मार्थ संस्था के रूप में रजिस्टर्ड है बीसीसीआई
जी हां, बीसीसीआई को आधिकारिक तौर पर तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 के तहत एक धर्मार्थ संस्था के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इसका प्राथमिक उद्देश्य क्रिकेट को बढ़ावा देना और विकसित करना है. इसे आयकर अधिनियम की धारा 12AA के तहत छूट प्राप्त है, जो धर्मार्थ संगठनों के लिए आरक्षित है. इस तरह अरबों की कमाई के बावजूद बीसीसीआई आयकर में एक भी रुपया नहीं देता है.
क्या था मामला, कब आया फैसला?
आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) ने एक फैसले में बीसीसीआई के इस तर्क को सही माना और उसके टैक्स छूट को बरकरार रखा. यह निर्णय 2 नवंबर 2021 को आया, जब बीसीसीआई ने आयकर विभाग द्वारा भेजे गए तीन कारण बताओ नोटिसों के खिलाफ ITAT की मुंबई बेंच में अपील की थी. ये नोटिस वर्ष 2016-17 में भेजे गए थे, जिसमें यह पूछा गया था कि आईपीएल से होने वाली आय को लेकर उसे सेक्शन 12AA के तहत दी गई टैक्स छूट क्यों न रद्द की जाए. हालांकि, न्यायिक सदस्य रविश सूद और उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार की बेंच ने यह स्पष्ट किया कि केवल इसलिए कि कोई खेल प्रतियोगिता इस तरह से आयोजित की गई है, जिससे उसकी लोकप्रियता बढ़े और प्रायोजकों से ज्यादा पैसा मिले, इसका मतलब यह नहीं कि उसका उद्देश्य खेल को बढ़ावा देना नहीं रहा.
जीएसटी अदा करता है बीसीसीआई
बीसीसीआई का कहना था कि आयकर विभाग ने केवल IPL से होने वाले अधिशेष पर ध्यान दिया और संपूर्ण गतिविधियों को समग्र रूप से देखने की बजाय निष्कर्ष निकाला कि यह खेल-प्रचार की श्रेणी में नहीं आता. लेकिन ट्रिब्यूनल ने यह तर्क खारिज करते हुए बीसीसीआई के पक्ष में फैसला सुनाया. तो बीसीसीआई कुल मिलाकर आईपीएल से होने वाली कमाई पर आयकर नहीं देता. बीसीसीआई ने 2023 में आईपीएल से कुल 11,769 करोड़ की कमाई की थी, लेकिन इस पर भी कोई इनकम टैक्स नहीं दिया था. हालांकि, इससे पहले कि आप कुछ और सोचें हम यह बता दें कि बीसीसीआई GST (वस्तु एवं सेवा कर) जरूर देता है. संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, 2022-23 और 2023-24 के बीच बीसीसीआई ने 2,038.55 करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी अदा किया.
खिलाड़ियों को देना पड़ता है टैक्स
हालांकि, खिलाड़ियों के लिए स्थिति अलग है. IPL से उन्हें जो आय होती है, उस पर उन्हें टैक्स देना पड़ता है. इसके अलावा, सरकार IPL खिलाड़ियों की आय पर टीडीएस के जरिए भी कर वसूलती है. नियमों के अनुसार, भारतीय खिलाड़ियों के वेतन से 10% और विदेशी खिलाड़ियों के वेतन से 20% TDS काटा जाता है. IPL 2025 के दौरान 10 टीमों ने खिलाड़ियों की खरीद पर 639.15 करोड़ रुपये खर्च किए, जिनमें 120 भारतीय और 62 विदेशी खिलाड़ी शामिल थे. इसी प्रक्रिया में सरकार ने 89.49 करोड़ रुपये का कर अकेले खिलाड़ियों की सैलरी से वसूल किया.
बीसीसीआई क्रिकेट को प्रमोट करता है
लगातार बढ़ते रेवेन्यू और खेल की लोकप्रियता ने बीसीसीआई को क्रिकेट की दुनिया का जगरनॉट बना दिया है. दुनिया भर में 108 क्रिकेट बोर्ड हैं, लेकिन क्रिकेट की शीर्ष संस्था आईसीसी की 70 – 80 % रेवेन्यू का हिस्सा बीसीसीआई से ही आता है. खैर, बीसीसीआई सचमुच क्रिकेट को लोकप्रिय करने के लिए राज्य क्रिकेट संघों को उपयुक्त सहायता देता है और आईपीएल की सफलता ने कई गुमनाम सितारों को पैदा किया है, जो दुनिया भर में छा रहे हैं.
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