IdeaForge के सीएफओ के खिलाफ गैर-जमानती वारंट, कंपनी ने कहा- कानून का हो रहा अनुपालन

IdeaForge: चेन्नई की मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने ड्रोन बनाने वाली कंपनी IdeaForge के सीएफओ (मुख्य वित्तीय अधिकारी) विपुल जोशी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया है. फ्रीप्रेस जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, IdeaForge के सीएफओ विपुल जोशी को कोर्ट में सशरीर पेश होकर जमानत भरनी थी, लेकिन वे कोर्ट नहीं पहुंचे. इससे पहले कोर्ट ने अपने एक आदेश में यह साफ कर दिया था कि सभी आरोपियों को 1 अप्रैल 2025 तक कोर्ट में पेश होकर 25 हजार रुपये की जमानत देने के साथ दो असली जमानती देने होंगे. हालांकि, कंपनी की ओर से कहा गया है कि यह मामला तब सामने आया, जब हमारे एक ग्राहक ने हमारी बौद्धिक संपदा को अपने स्वामित्व के तौर पर हड़पने का प्रयास किया. उन्होंने हमारे उपकरणों को खराब करके और उनके साथ छेड़छाड़ करके राज्य सरकारों को गलत प्रतिनिधित्व किया. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया, तो उन्होंने कंपनी को परेशान करने के इरादे से गलत कार्रवाई शुरू कर दी.

फर्जी जमानती देने पर कोर्ट सख्त

अंग्रेजी की वेबसाइट लोकमत की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले के तीन आरोपी अदालत में पेश हुए, लेकिन विपुल जोशी पेश होने या उन पर लगाई गई कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहे. अदालत ने उनके गैर-हाजिरी के बाद गैर-जमानती वारंट जारी करते हुए कानून प्रवर्तन अधिकारियों को उन्हें गिरफ्तार करने और अदालत के सामने पेश करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा, अदालत ने मेहता, सिंह और गौतम पर इस मामले से कोई संबंध न रखने वाले व्यक्तियों को जमानतदार के रूप में पेश करके न्यायिक कार्यवाही को गुमराह करने का कथित रूप से प्रयास करने के लिए कड़ी फटकार लगाई.

कोर्ट में पेश किया फर्जी जमानती

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जब बाकी आरोपी कोर्ट में पहुंचे तो उन्होंने जमानती के तौर पर जिन लोगों को पेश किया, वे असली नहीं थे. वे न तो कंपनी को जानते थे और न ही उसका नाम कभी सुना था. कोर्ट ने इसे गंभीर धोखाधड़ी बताया और सख्त फटकार लगाई. कोर्ट ने साफ कह दिया कि अगर दोबारा ऐसा हुआ तो फर्जी जमानती को भी जेल भेज दिया जाएगा. हालांकि, एक आरोपी के रिश्तेदार की जमानत को कोर्ट ने मान लिया.

ड्रोन खरीदने वाले ग्राहक ने लगाए आरोप

ये पूरा मामला तब शुरू हुआ, जब चेन्नई की एक कंपनी ने IdeaForge से 15 ड्रोन करीब 2.2 करोड़ रुपये में खरीदे. बाद में उस ग्राहक ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उन्हीं ड्रोन को रिमोट से हैक करके बंद कर दिया, जिससे उसके प्रोजेक्ट ठप हो गए और उनका नाम भी खराब हुआ. इन ड्रोन का इस्तेमाल सरकार की लगभग 70 करोड़ रुपये की योजनाओं में होना था, लेकिन सब कुछ रुक गया.

धोखाधड़ी और हैकिंग के आरोप

इस मामले में चेन्नई की साइबर क्राइम पुलिस ने जांच करके IdeaForge और उसके कुछ अफसरों पर धोखाधड़ी, विश्वासघात और सॉफ्टवेयर से छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं. इनके खिलाफ भारतीय कानून की धारा 409 और 65 के तहत केस दर्ज हुआ है और आईटी एक्ट की धारा 66 भी लगाई गई है. यानी मामला सिर्फ बिज़नेस का नहीं बल्कि साइबर क्राइम का भी है.

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कंपनी का आधिकारिक बयान

लोकमत की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी की ओर से कहा गया है कि यह मामला एक ऐसी घटना से पैदा हुआ है, जिसमें हमारे एक ग्राहक ने हमारी बौद्धिक संपदा को अपने स्वामित्व के रूप में हड़पने का प्रयास किया और हमारे उपकरणों को खराब करके और उनके साथ छेड़छाड़ करके राज्य सरकारों को गलत प्रतिनिधित्व किया. जब उन्हें ऐसा करने से रोका गया, तो उन्होंने कंपनी को परेशान करने के इरादे से गलत कार्रवाई शुरू कर दी. व्यक्तिगत आवश्यकताओं से पैदा हुए अंतरिम प्रक्रियात्मक मुद्दों को हल कर दिया गया है. वारंट वापस ले लिया गया है और रद्द कर दिया गया है. सभी उचित कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जा रहा है. हमारे वकीलों की सलाह पर कानून के तहत उपलब्ध कानूनी उपायों के अनुसार मामले को आगे बढ़ाया जा रहा है, जो हमें हर कदम पर मार्गदर्शन दे रहे हैं.

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