Airtel और Reliance Jio ने DoT को ल‍िखा लेटर, एलन मस्क की स्टारलिंक कंपनी के आने पर कहा: बिजनेस को होगा नुकसान अगर…

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रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कम कीमतों पर चिंता जताई है, जिससे स्टारलिंक जैसी कंपनियों को फायदा हो सकता है. COAI ने TRAI से मूल्य संरचना पर पुनर्विचार की मांग की है.

Airtel और Jio ने DoT को ल‍िखा लेटर, स्‍टारल‍िंक के आने पर होगा नुकसान, अगर...

हाइलाइट्स

  • रिलायंस जियो और एयरटेल ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की कम कीमतों पर चिंता जताई.
  • COAI ने TRAI से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम मूल्य संरचना पर पुनर्विचार की मांग की.
  • सैटेलाइट सेवाएं स्थलीय ब्रॉडबैंड के मुकाबले सस्ती और प्रतिस्पर्धी हो सकती हैं.

नई दिल्‍ली. भारत की प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की प्रस्तावित कीमतों पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि “अनुचित रूप से कम” दरें उनके ब‍िजनेस को नुकसान पहुंचा सकती हैं, जबकि एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी सैटेलाइट इंटरनेट प्रदाताओं को फायदा हो सकता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने 29 मई को टेलीकॉम मंत्रालय को पत्र लिखकर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) द्वारा प्रस्तावित मूल्य संरचना पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया.

मई में, TRAI ने सुझाव दिया था कि सैटेलाइट सेवा देने वाली कंपन‍ियां अपनी वार्षिक आय का 4% सरकार को सेवा देने के लिए दें. यह पारंपरिक टेलीकॉम ऑपरेटरों के मुकाबले काफी कम है, जिन्हें स्पेक्ट्रम नीलामी के माध्यम से काफी अधिक अग्रिम लागत का सामना करना पड़ता है – COAI के अनुसार, सैटेलाइट प्रदाताओं की तुलना में लगभग 21% अधिक. समूह का तर्क है कि MHz प्रति स्पेक्ट्रम की कीमतें स्थलीय और सैटेलाइट सेवाओं दोनों के लिए समान होनी चाहिए, खासकर जब वे समान ब्रॉडबैंड सेवाओं के साथ एक ही ग्राहकों को लक्षित कर रहे हों.

कंपन‍ियों को क‍िस बात का डर
COAI के पत्र में कहा गया है क‍ि सैटेलाइट सेवाएं स्थलीय ब्रॉडबैंड के मुकाबले सस्ती और प्रतिस्पर्धी विकल्प प्रदान कर सकती हैं. लेटर में समान अवसर की आवश्यकता पर जोर दिया गया है. रिलायंस जियो और भारती एयरटेल, जिन्होंने हाल के साल में 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में लगभग $20 बिलियन का निवेश किया है और उनको डर है कि सैटेलाइट प्रदाता कम लागत पर समान वायरलेस ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान कर सकते हैं.

स्पेक्ट्रम आवंटन पर बहस तेज हो गई है, जिसमें रिलायंस पहले नीलामी के पक्ष में थी, जबकि स्टारलिंक प्रशासनिक लाइसेंसिंग की वकालत कर रहा था, यह तर्क देते हुए कि स्पेक्ट्रम एक साझा प्राकृतिक संसाधन है. मार्च में स्टारलिंक ड‍िवाइस के ड‍िस्‍ट्र‍िब्‍यूशन डील्‍स पर हस्ताक्षर करने के बावजूद, रिलायंस और एयरटेल दोनों अमेरिकी कंपनी के भारत में लॉन्च होने के बाद उससे मुकाबला करने के लिए तैयार हैं.

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