Actress Sadia Khateeb:अभिनेत्री ने कहा अक्षय कुमार और जॉन अब्राहम में है ये समानता..
actress sadia khateeb:जॉन अब्राहम स्टारर फिल्म द डिप्लोमैट में अपने अभिनय के लिए अभिनेत्री सादिया खतीब भी जमकर सुर्खियां बटोर रही हैं. असल घटनाओं पर आधारित इस फिल्म में वह उज्मा की भूमिका को निभा रही हैं. सादिया ने इस फिल्म से जुड़ी तैयारियों, शूटिंग अनुभवों सहित कई पहलुओं पर उर्मिला कोरी से बात की. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश
डिप्लोमैट के लिए काफी तारीफें मिल रही है
फिल्म की रिलीज के बाद से लोगों का रिस्पांस अच्छा आया है. लोगों ने रिव्यु में भी मेरी तारीफ की है. यह मुझ जैसी न्यूकमर के लिए बहुत बड़ी बात है, जिसने अपना करियर अभी शुरू किया है.हमें तो एक लाइन कोई बोल दे कि अच्छा किया तो उसमें ही बूस्ट अप मिल जाता है. डिप्लोमैट के लिए मेरे लिए कई बातें लिखी गयी है, तो बहुत अच्छा महसूस हो रहा है,लेकिन साथ में एक डर भी रहता है कि अगला कुछ करेंगे तो क्या इतनी तारीफ दोबारा मिलेगी.
रक्षाबंधन से पहले डिलप्लोमैट का ऑडिशन दिया था
डिप्लोमैट से जुड़ने की जहाँ तक बात है तो ऑडिशन के जरिये ही मुझे यह फिल्म मिली है.रक्षा बंधन पहले मैं इस फिल्म का ऑडिशन दिया था. कई साल इन्तजार करना पड़ा और यह इन्तजार आसान नहीं होता है। आपको लगातार खुद को समझाना पड़ता है कि अच्छा काम करें. क्वालिटी मायने रखती है क्वांटिटी नहीं इसलिए थोड़ी देर होगी.
टैलेंटेड हैं तो रिप्लेस नहीं होंगे
इतने साल तक किसी फिल्म के लिए बात चल रही है तो रिप्लेस होने का डर बढ़ जाता है. यह सवाल मुझसे कई बार पूछा गया है, लेकिन सच कहूं तो रिप्लेस कर दिए जानेवाली जो बात है.वो मैंने न्यूज में ही पढ़ी है. मुझे ये सब अभी तक फेस नहीं करना पड़ा है. लोगों को काम अच्छा लगा. मैंने ऑडिशन दिया.इसी तरह से मुझे काम मिला है.मेरी अब तक की जर्नी में मैं यही कहूंगी कि अगर आप टैलेंटेड होंगे तो आप रिप्लेस नहीं होंगे.
उज्मा से नहीं मिली थी
फिल्म में मैं उज्मा की भूमिका को निभा रही हूं. यह रियल लाइफ कहानी है,लेकिन निर्देशक शिवम् नायर नहीं चाहते थे कि मैं उज्मा जी से मिलूं या उनकी कहानी को जानूं. मुझे साफ कहा गया था कि जो स्क्रिप्ट में लिखा गया है. वही मुझे फॉलो करना है और निर्देशक के विजन के जरिये ही मुझे किरदार को जीना था. हाल ही में प्रमोशन के दौरान एक पॉडकास्ट में हमारी मुलाक़ात हुई थी और यही हमारी पहली मुलाक़ात थी.उससे पहले मैं उनसे कभी नहीं मिली थी. वैसे मैं ये बात भी बताना चाहूंगी कि इस फिल्म से जुड़ने से पहले मुझे यह कहानी नहीं पता थी.मैं न्यूज इतना फॉलो नहीं करती थी.जब शिवम नायर ने कहानी सुनाई तो मैंने इधर उधर चीटिंग करके थोड़ा बहुत इस घटना के बारे में मालूम किया. उससे पहले मुझे कुछ इल्म नहीं था.
बुनेर का सीक्वेंस था मुश्किल
उज्मा के किरदार को जहां तक परदे पर जीने की बात है.हर दिन मैंने बहुत ईमानदारी से उस किरदार को जीने की कोशिश की, जब आप जीने की कोशिश करते तो जो असल किरदार के लिए मुश्किल होता है. वह आपके लिए भी मुश्किल होता है. बुनेर का सीक्वेंस उज्मा के लिए बहुत मुश्किल था.शारीरिक और मानसिक कई तरह की चोटों से वह गुजरी थी,तो एक्टर होने के नाते मेरे लिए भी मुश्किल था. मैंने इस बात का ध्यान रखा था कि मैं एक्टिंग ना करूं.किरदार को ईमानदारी से जिऊं.
अक्षय और जॉन की डिसिप्लिन है कमाल
मैं लकी अभिनेत्री हूं कि अब तक मैंने तीन फिल्में की हैं और दो में मैंने देश के दो बड़े सुपरस्टार्स के साथ काम कर लिया है. रक्षा बंधन में अक्षय कुमार और डिप्लोमैट में जॉन अब्राहम.दोनों की डिसिप्लिन सीखने वाली चीज है. एक नवोदित एक्टर्स की तरह दोनों मेहनत करते हैं. काम के प्रति उनका पैशन आपको हैरान कर सकता है कि इतनी फिल्में करने के बावजूद वह कैसे हर सीन को करने से पहले इतनी मेहनत करते हैं.
किरदारों ने मुझे चुना
मेरे चार साल के करियर में मैंने परफॉर्मेंस ओरिएंटेड किरदार किए हैं. सच कहूं तो आप किरदार को नहीं ढूंढते हैं,बल्कि किरदार आपको ढूंढ लेता है. मेरे लिए तो यह किस्मत की बात है. मैं इसका क्रेडिट नहीं ले सकती हूं क्योंकि मैं एक आउटसाइडर हूं.मुझे चुनने का हक नहीं था. मुझे जो रोल मिलते गए मैं करती गयी. अगर आज से चार साल पहले शिकारा के बजाय कोई भी पहली फिल्म के तौर पर आयी होती तो मैंने कर ली होती थी.
अब लालच बढ़ गया है
डिप्लोमैट के बाद ऑफर तो आने लगे हैं,लेकिन अब लालच बढ़ गया है. अब काम करना ही सिर्फ मकसद नहीं है.अब मकसद हो गया है कि लोग कहें कि ये लड़की जो भी काम करती है. अच्छा करती है.इसके साथ ही मैं यह भी कहूँगी कि मैं उसी में चुन सकती हूं ,जिस तरह के किरदार मुझे ऑफर होंगे. इंशाअल्लाह अच्छा ही काम करेंगे अभी तो कहानी शुरू ही हुई है.मेरी प्राथमिकता फिल्में ही हैं,लेकिन अगर ओटीटी में भी कुछ अच्छा मिला तो जरूर करेंगे. इसके साथ मैं यह भी कहूंगी कि मेरी अपनी इंटीग्रिटी और मोरल है.जिसके साथ मैं समझौता नहीं कर सकती हूं. परदे पर कुछ भी नहीं कर सकती हूं. मेरे पेरेंट्स का बहुत सपोर्ट रहा है. मुझे उन्हें प्राउड फील करवाना है.