2047 का सुपरपावर भारत! शिक्षा, तकनीक और संस्कृति से होगा कमाल

Viksit Bharat: भारत 2047 तक एक वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है. इसमें शिक्षा, तकनीक और सांस्कृतिक समावेश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में आयोजित ‘काशी तमिल संगमम्’ के तहत ‘अकेडमिक्स फॉर विकसित भारत’ सम्मेलन में शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने नई शिक्षा नीति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसे विषयों पर चर्चा की. इस कार्यक्रम में आर्थिक, शैक्षिक और तकनीकी क्षेत्र के 200 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया और भारत के भविष्य को लेकर नए विचार साझा किए.

बीएचयू में काशी तमिल संगमम् का आयोजन

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में इन दिनों ‘काशी तमिल संगमम्’ का भव्य आयोजन चल रहा है, जो काशी और तमिलनाडु के बीच सदियों पुराने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और शैक्षणिक संबंधों को प्रकट करता है. इसी सिलसिले में बीएचयू के पंडित ओंकार नाथ ठाकुर सभागार में ‘अकेडमिक्स फॉर विकसित भारत’ विषय पर एक शैक्षणिक सम्मेलन आयोजित किया गया. इसमें देशभर के विभिन्न केंद्रीय विश्वविद्यालयों से आए 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया और शिक्षा के माध्यम से 2047 तक भारत के भविष्य को संवारने पर चर्चा की.

काशी और तमिलनाडु का ऐतिहासिक संगम

कार्यक्रम का शुभारंभ आईआईटी बीएचयू के रसायन शास्त्र विभाग के प्रोफेसर वी रमणाथन के स्वागत भाषण से हुआ. इसके बाद महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो सीएस राठौर ने विशिष्ट अतिथियों का सम्मान किया और उनके शैक्षणिक क्षेत्र में योगदान की सराहना की. इस अवसर पर काशी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाया गया. इसमें आईआईटी बीएचयू की ओर से शिक्षा, चरित्र निर्माण और नेतृत्व विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों को रेखांकित किया गया, जो महामना के विकसित भारत के स्वप्न को साकार करने की दिशा में है.

शिक्षा में बदलाव से बदल जाएगी देश की तस्वीर

सम्मेलन के दौरान कई प्रबुद्ध विद्वानों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे. आईआईटी बीएचयू के गणितीय विज्ञान विभाग की डॉ लावण्या ने ‘नई शिक्षा नीति 2020 और विकसित भारत @ 2047: भारत के भविष्य की रूपरेखा’ विषय पर व्याख्यान दिया. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उन बिंदुओं को रेखांकित किया, जो बहु-विषयक और समग्र शिक्षा, शिक्षण में प्रौद्योगिकी का समावेश, भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देकर समानता और पहुंच सुनिश्चित करना और शासन प्रणाली में सुधार के माध्यम से नवाचार व जवाबदेही को सुदृढ़ करने की बात कहते हैं. डॉ लावण्या ने बताया कि आईआईटी बीएचयू एक लचीला शैक्षणिक ढांचा विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहा है, जो रचनात्मकता, अंतःविषयक अध्ययन और नवाचार को प्रोत्साहित करता है.

शिक्षा में निवेश से आर्थिक प्रगति

बीएचयू के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर संजय कुमार ने ‘विकसित भारत @ 2047 के लक्ष्य को साकार करने में शिक्षा की भूमिका’ विषय पर विचार व्यक्त किए. उन्होंने नेल्सन मंडेला के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, “शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं.” प्रोफेसर संजय ने बताया कि शिक्षा में निवेश से आर्थिक प्रगति, उद्यमिता, नवाचार, गरीबी उन्मूलन, सामाजिक समानता, लैंगिक समावेशिता और जीवन स्तर में सुधार संभव है.

अनुसंधान के केंद्र बन गए हैं काशी और कांची

टीसीएस एकेडमिक एलायंस ग्रुप के प्रमुख प्रोफेसर केएम सुशिंद्रन ने काशी और कांची के ऐतिहासिक और शैक्षणिक संबंधों पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि बीएचयू और आईआईटी बीएचयू जैसे संस्थानों के कारण काशी ज्ञान, नवाचार और अंतःविषय अनुसंधान का वैश्विक केंद्र बन चुका है. उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के अन्य क्षेत्रों का संगम भविष्य की रचनात्मकता और नवाचार को गति देगा. उन्होंने यह भी कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भविष्य की नौकरियों और शैक्षणिक क्षेत्रों को नया रूप देने वाली महत्वपूर्ण दक्षता बन चुकी है.

डेमोग्राफिक डिविडेंड को देश की पूंजी

आईआईटी बीएचयू के रासायनिक अभियंत्रण विभाग की डॉ दर्शनी जॉर्ज ने निपुण भारत और प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप (पीएमआरएफ) जैसी सरकारी योजनाओं की जानकारी दी, जो छात्रों के विकास में सहायक हैं. वहीं, शुभांगी ने भारत की डेमोग्राफिक डिविडेंड को देश की पूंजी बताया और शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति पर बल दिया. उन्होंने नई शिक्षा नीति, डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया और स्वयं जैसे सरकारी अभियानों की चर्चा की, जिनका उद्देश्य युवाओं को सशक्त बनाना है.

फसल उत्पादन बढ़ाने में जुटे हैं आईसीएआर-आईआईवीआर

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईआईवीआर) के शोधार्थी जय सिंह ने बताया कि आईसीएआर-आईआईवीआर का उद्देश्य फसल उत्पादन बढ़ाना और पोषण मूल्य को बनाए रखते हुए भारत की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है. इतिहास विभाग के दिव्यांग शोधार्थी सत्यप्रकाश मालवीय ने अपनी उद्यमिता यात्रा साझा की और बताया कि कैसे उन्होंने अपनी कठिनाइयों पर विजय पाकर एक सफल उद्यमी के रूप में पहचान बनाई.

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विकसित भारत @ 2047 की कुंजी है शिक्षा, इनोवेशन और तकनीक

कार्यक्रम के अंत में कॉमर्स विभाग के प्रोफेसर षणमु्ग सुन्दरम ने समापन टिप्पणी दी. उन्होंने काशी तमिल संगमम् पहल के लिए भारत के प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सहयोग की सराहना की. प्रोफेसर सुन्दरम ने कहा कि शिक्षा, नवाचार, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित विकास ही विकसित भारत @ 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने की कुंजी है.

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