हमारा पर्यावरण

हमारा पर्यावरण

Science ( विज्ञान  ) लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. आहार-शृंखला क्या है? एक स्थलीय आहार-श्रृंखला का उदाहरण : दें।

उत्तर⇒ आहार-शृंखला—पारिस्थितिक तंत्र के सभी जैव घटक शृंखलाबद्ध तरीके से एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तथा अन्योन्याश्रय सम्बन्ध रखते हैं । यह शृंखला आहार-शृंखला कहलाती है।
एक स्थलीय आहार-श्रृंखला—
(सूर्य) (पेड़-पौधे) (हिरण) (बाघ)
सौर ऊर्जा → उत्पादक → प्राथमिक → द्वितीयक
उपभोक्ता उपभोक्ता


प्रश्न 2. पारितंत्र में अपघटकों की क्या भूमिका है? अथवा, अपघटक क्या हैं ? जीवमंडल में अपघटकों का क्या महत्त्व है ?

उत्तर⇒ अपघटक वे सूक्ष्मजीव हैं जो मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीर में उपस्थित कार्बनिक यौगिकों का अपघटन करते हैं तथा उन्हें सरल यौगिकों और तत्वों में बदल देते हैं। ये सरल यौगिक तथा तत्व पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस चले जाते हैं।
जीवमंडल में अपघटकों का महत्त्व—अपघटक जीव मृत पौधों और जंतुओं के मृत शरीरों के अपघटन में सहायता करते हैं तथा इस प्रकार वातावरण को स्वच्छ रखने का कार्य करते हैं। अपघटक जीव मृत पौधों एवं जंतुओं के मृत शरीरों में उपस्थित विभिन्न तत्त्वों को फिर से पृथ्वी के पोषण भंडार में वापस पहुँचाने का कार्य भी करते हैं। पोषक तत्त्व पुनः प्राप्त हो जाने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और यह मिट्टी बार-बार फसलों का पोषण करती रहती है।


प्रश्न 3. ओजोन की क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गये अथवा, ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय क्यों है ? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?

उत्तर⇒ हम क्लोरोफ्लोरो कार्बन्स का प्रयोग प्रशीतकों में तथा अग्निशामक में करते हैं जबकि ये रसायन वायुमंडल में मिश्रित होकर उसमें उपस्थित ओजोन का विश्लेषण करते हैं। सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी के वायुमंडल की बाह्य परिसीमा में उपस्थित ओजोन की पर्त का विश्लेषण करके उसे सामान्य ऑक्सीजन में परिवर्तित कर देती हैं। इस प्रकार से ओजोन की संकरी पेटी में छिद्र होने तथा उस पर्त के पतला पड़ने की सम्भावना बन जाती है। पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँचकर तथा जीवधारियों के शरीर के सम्पर्क में आने पर उन्हें कैंसर प्रिय बना देती है। अतः, CFCs का प्रयोग हमें अपने जीवन में बहुत कम (सीमित) कर देना चाहिए जिससे ओजोन स्तर को किसी प्रकार की हानि न हो।


प्रश्न 4. अगर किसी पारितंत्र के सारे माँसाहारियों को नष्ट कर दिया जाए तो उस पारितंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अथवा, क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?

उत्तर⇒ यदि एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें तो पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित हो जाएगा। प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जब किसी एक कड़ी को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो उस आहार श्रृंखला का संबंध किसी दूसरी श्रृंखला से जुड़ जाता है। यदि आहार श्रृंखला से शेरों को मार दिया जाए तो घास चरने वाले हिरणों की वृद्धि अनियंत्रित हो जाएगी। उनकी संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी। उनकी बढ़ी हुई संख्या घास और वनस्पतियों को खत्म कर देगी कि वह क्षेत्र रेगिस्तान बन जाएगा। सहारा का रेगिस्तान इसी प्रकार के पारिस्थितिक परिवर्तन का उदाहरण है।


प्रश्न 5. अपने विद्यालय को पर्यानुकूलित बनाने के लिए दो सुझाव दें।

उत्तर⇒ हम अपने विद्यालय में निम्नलिखित परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यावरणानुकूलित बनाया जा सके-
(i) हमें विद्यालय के आसपास का क्षेत्र हरा-भरा रखना चाहिए अर्थात् ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए।
(ii) बच्चों को शिक्षा देनी चाहिए कि वे फूल-पत्तियों का नुकसान न करें।


प्रश्न 6. पोषी स्तर क्या है ? एक आहार-श्रृंखला का उदाहरण देते हुए उसमें विभिन्न पोषी स्तरों के नाम लिखें।

उत्तर⇒ पोषी स्तर : पारितंत्र के सजीव घटकों की श्रेणियाँ जिनके आधार पोषण हैं, पोषी स्तर कहलाती हैं।
एक आहार-श्रृंखला का प्रवाह आरेख—
वन →हिरण →शेर
वन →उत्पादक
हिरण →प्राथमिक उपभोक्ता (शाकाहारी)
शेर → सर्वोच्च उपभोक्ता (मांसाहारी)


प्रश्न 7. पर्यावरण मित्र बनाने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं ?

उत्तर⇒ पर्यावरण को और अधिक मित्र बनाने के लिए हमें अपनी आदतों में निम्न प्रकार से परिवर्तन करने की आवश्यकता है—
(i) ऊर्जा का न्यूनतम उपयोग करें, जब आवश्यकता न हो, बल्ब तथा पंखें ऑफ कर दें।
(ii) आवश्यकता न होने पर नलों को बंद कर दें।
(iii) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के प्रयोग में तीन ‘R’ का ध्यान रखें।


प्रश्न 8. पारितंत्र में अपमार्जकों का क्या भूमिका है ?

उत्तर⇒ पारितंत्र में अपमार्जकों का प्रमुख स्थान है। जीवाणु, मृतोपजीवी तथा अन्य सूक्ष्म जीव अपमार्जकों का कार्य करते हैं। ये मृत शरीरों पर आक्रमण करते हैं और जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में परिवर्तित कर देते हैं। इसी प्रकार से कचरा जैसे फलों एवं सब्जियों के छिलके, सड़े-गले फल, शाक-सब्जियाँ, शेष बचे पकाये गये भोजन का भाग, गाय का गोबर, घोड़े की लीद, पौधों के सड़े-गले भाग अपमार्जकों द्वारा विघटित कर दिये जाते हैं जो सरलता से प्रकृति में पुनः मिल जाते हैं।


प्रश्न 9. उत्पादक से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर⇒ उत्पादक वे जीव होते हैं जो खाद्य पदार्थ का उत्पादन करते हैं। इस वर्ग के अंतर्गत वे समस्त पौधे आते हैं जिनमें क्लोरोफिल नामक हरित वर्णक होता है। ये पौधे सूर्य के प्रकाश की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा खाद्य पदार्थ उत्पन्न करते हैं।


प्रश्न 10. आहार जाल से आप क्या समझते हैं? अथवा,खाद्य जाल की संक्षिप्त व्याख्या करें।

उत्तर⇒ कई आहार शृंखलाओं को मिलाकर जोड़ने पर प्राप्त हुई व्यवस्था को खाद्य जाल कहते हैं। खाद्य जाल में एक जीव कई प्रकार के जीवों का भोजन के रूप में प्रयोग कर सकता है। खाद्य जाल जटिल होता है।


प्रश्न 11. जीवमंडल से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर⇒ जीवमंडल का अर्थ है ‘जीव का क्षेत्र’ । पृथ्वी पर स्थल, जल तथा वायु विद्यमान हैं जो पौधों तथा जंतुओं का जीवन बनाए रखने में सहायता करते हैं। पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने वाले ये क्षेत्र आपस में मिल कर जीवमंडल का निर्माण करते हैं। पृथ्वी के स्थलमंडल, जलमंडल और वायुमंडल तथा उनमें रहने सभी पौधों तथा जंतुओं को इकट्ठे रूप से जीवमंडल कहते हैं।


प्रश्न 12. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?

उत्तर⇒ ओजोन ‘o3‘ के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। ओजोन की परत सूर्य से आने वाले पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है। यह पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँचती है तो व्यक्ति में त्वचा के रोग, कैंसर, मोतियाबिन्द था अन्य रोग उत्पन्न होते हैं।
(i) सूक्ष्मजीव मर जाते हैं जो मानव के लिए लाभदायक हैं।
(ii) ओजोन परत के अवक्षय से वर्षा में अंतर आता है, पर्यावरण प्रभावित होता है तथा पूरे विश्व में आहार की कमी होती है।


प्रश्न 13. पर्यावरण क्या है? इसके संरक्षण के लिए विभिन्न उपायों का वर्णन करें।

उत्तर⇒ किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया, जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण कहा जाता है।
इसके संरक्षण के निम्न उपाय हैं—
(i) ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों का उपयोग, जैसे-वायु, सोलर और थर्मल ऊर्जा।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों का न्यायपूर्ण एवं सीमित दोहन।
(iii) जंगलों की कटाई पर रोक लगाकर और वनरोपण को बढ़ावा देकर।
(iv) हानिकारक रसायनों एवं उर्वरकों का सीमित उपयोग।


प्रश्न 14. पारिस्थितिक तंत्र में उत्पादकों के क्या कार्य हैं?

उत्तर⇒ उत्पादक वे जीव होते हैं जो खाद्य पदार्थ का उत्पादन करते हैं। इस वर्ग के अंतर्गत वे समस्त पौधे आते हैं जिनमें क्लोरोफिल नामक हरित वर्णक होता है। ये पौधे सूर्य के प्रकाश की सहायता से प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया द्वारा खाद्य पदार्थ उत्पन्न करते हैं।


प्रश्न 15. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

उत्तर⇒ पर्यावरण को प्रभावित करने वाले जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं—
(i) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ बड़ी मात्रा में पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। इनसे दुर्गंध और गंदगी फैलती है।
(ii) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ तरह-तरह की बीमारियों को फैलाने के कारक बनते हैं। उनसे पर्यावरण में हानिकारक जीवाणु, बढ़ते हैं।


प्रश्न 16. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?

उत्तर⇒ जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित हो जाते हैं। वे जीवाणुओं तथा अन्य प्राणियों के द्वारा उत्पन्न एंजाइमों की सहायता से समय के साथ अपने आप अपघटित होकर पर्यावरण का हिस्सा बन जाते हैं। लेकिन अजैव निम्नीकरण पदार्थ जैविक प्रक्रमों से अपघटित नहीं होते । अपनी संश्लिष्ट रचना के कारण उनके बंध दृढ़तापूर्वक आपस में जुड़े रहते हैं और एंजाइम उनपर अपना प्रभाव नहीं डाल पाते ।


प्रश्न 17. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।

उत्तर⇒ पर्यावरण को प्रभावित करने वाले अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं—
(i) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अपघटन नहीं हो पाता। वे उद्योगों में तरह-तरह के रासायनिक पदार्थों से तैयार होकर बाद में मिट्टी में अति सूक्ष्म कणों के रूप में मिलकर पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं।
(ii) वे खाद्य श्रृंखला में मिलकर जैव आवर्धन करते हैं और मानवों को तरह-तरह की हानि पहुँचाते हैं।


प्रश्न 18. आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर⇒ कचरा निपटान की समस्या कम करने के लिए,
(i) जैव निम्नीकरण तथा अजैव निम्नीकरणीय कचरे का निपटान अलग-अलग करना चाहिए।
(ii) जैव निम्नीकरणीय वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए ।
(iii) खरीददारी करते समय कपड़े के बैग का उपयोग करना चाहिए।
(iv) प्लास्टिक, धातु तथा कागज जैसे कचरे का पुनः चक्रण किया जाना चाहिए।


प्रश्न 19. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?

उत्तर⇒ यदि हमारे द्वारा उत्पादित सम्पूर्ण कचरा जैव निम्नीकृत हो तो भी यह पर्यावरण पर अपना प्रभाव दर्शाएगा। जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जीवाणुओं, कवक तथा अन्य अनेक सूक्ष्मजीवों द्वारा निम्नीकृत किये जाते हैं। ये सभी जीव इस प्रकार क कचरे को अपने भोजन के रूप में प्रयोग करके अपनी संख्या में वृद्धि करेंगे। कचरे के विश्लेषण से अनेकों प्रकार की गैसें उत्पन्न होती हैं जो वायुमंडल में मिलकर उसे प्रदूषित कर देती हैं। कचरे का कुछ भाग यथावत् बना रहता है जो मृदा में सम्मिश्रित होकर उसे प्रदूषित कर देता है । अतः इस प्रकार का कचरा भी अंशतः पर्यावरण को प्रदूषित करता है।


प्रश्न 20. वूम कोहरे के तीन कुप्रभाव लिखें।

उत्तर⇒ धूम कोहरे के कुप्रभाव—
(i) धूम कोहरा श्वासनली-शोथ, दमा तथा हृदय सम्बन्धी विकार उत्पन्न करता है।
(ii) धूम कोहरा आँखों, नाक तथा गले में जल उत्पन्न करता है।
(iii) धूम कोहरा पौधों की वृद्धि तथा विकास पर बुरा प्रभाव डालता है।
(iv) धूम कोहरा दृश्यता बहुत कम कर देता है जिससे वायु तथा सड़क यातायात में बाधा पड़ती है।


प्रश्न 21. ओजोन परत के अपक्षय के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

उत्तर⇒ ओजोन परत के अपक्षय के दुष्प्रभाव-ओजोन परत के अपक्षय से पराबैंगनी विकिरण भूमि तक पहुँचने लगेंगी।
इसके निम्नांकित दुष्प्रभाव हो सकते हैं—
(i) आँखों में मोतियाबिंद का होना,
(ii) त्वचा का कैंसर
(iii) आनुवंशिक रोग ।


प्रश्न 22. पारिस्थितिक संतुलन किस प्रकार बना रहता है ?

उत्तर⇒ प्रकृति में खाद्य श्रृंखलाएँ जुड़ी होती हैं। कई बार उनमें से एक की कोई कड़ी किसी कारण समाप्त हो जाती है। तब उस आहार श्रृंखला का किसी अन्य श्रृंखला से संबंध जुड़ जाता है और खाद्य पदार्थों और ऊर्जा के प्रवाह का संतुलन बना रहता है । यदि ऐसे किसी जंगल में सारे हिरण समाप्त हो जायें तो इसकी पूर्ति करने के लिए जंगल का शेर किसी जंगली जानवर को मार कर कड़ी को पूरा कर लेता है। इस प्रकार पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है।


प्रश्न 23. पर्यावरण प्रदूषण क्या है ? तीन अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषकों के नाम दीजिए जो मनुष्य के लिये हानिकारक हैं।

उत्तर⇒ यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका के पर्यावरणीय प्रदूषण वैज्ञानिकों ने प्रदूषण की परिभाषा इस प्रकार दी है “हमारे आस-पास के पर्यावरण में पूर्ण या आंशिक अनैच्छिक परिवर्तन जिनमें से कुछ मनुष्य की क्रियाओं द्वारा, कुछ भौतिक और रासायनिक संघटन में परिवर्तन द्वारा तथा कृषि उत्पादन में मनुष्य द्वारा अपनायी विधियों द्वारा ऐसे परिवर्तन जो हमारे पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।”
डी. डी. टी०, पारा, सीसा एवं पीड़कनाशी अजैव निम्नीकरण प्रदूषक हैं। ये मनुष्य को अधिक हानि पहुँचाते हैं।


प्रश्न 24. वातावरण के विभिन्न प्रदूषकों के नाम दीजिए । व्यावसायिक रोग क्या हैं ?

उत्तर⇒ रेडियोधर्मी पदार्थ, अधिक शोर, हानिकारक गैसें, धुआँ, जीवाणु तथा धूल के कण, फ्लाई ऐश, धूम, कोहरा, एरोसोल्स, पैरोक्सी एसाइल नाइट्रेट, शीशा, पारा, आर्सेनिक, एस्बेस्टस, CO2 की वायुमंडल में अधिक सान्द्रता, पराबैंगनी किरणें आदि अनेक वातावरण के मुख्य प्रदूषक हैं।
व्यावसायिक रोग—जो रोग किसी व्यक्ति को उसके व्यवसाय के कारण लगते हैं उन्हें व्यावसायिक रोग कहते हैं। जैसे—आतशक, क्षय रोग, दमा, ऐसबेस्टोसिस, ब्रोन्काइटिस, सिलिकोसिस आदि।


प्रश्न 25. पारिस्थितिक तंत्र किसे कहते हैं ? इसका जीवमंडल से क्या संबंध है?

उत्तर⇒ जीवमंडल में ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान जैव एवं अजैव घटकों के बीच लगातार होता रहता है, इस तंत्र को ही पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। तालाब, झील, जंगल, खेत और मानव-निर्मित जीवशाला में जैव और अजैव घटक आपस में क्रियाएँ करते रहते हैं जो एक पारिस्थितिक तंत्र को प्रकट करते हैं। जैव संख्या, जैव तथा अजैव पारिस्थितिक तंत्र के घटक हैं, जो इस तंत्र को संरचना तथा गतिशीलता प्रदान करते हैं। कोई तालाब, वन या घास का मैदान पारिस्थितिक तंत्र के उदाहरण हैं। जीवमंडल का प्रत्येक घटक अपना विशिष्ट कार्य करता है। इनके कुल कार्यों का सारा योग जीवमंडल को स्थिरता प्रदान करता है। किसी भौगोलिक क्षेत्र में सारे पारिस्थितिक तंत्र एक साथ मिलकर बायोम बनाते हैं तथा समस्त बायोम मिलकर जीवमंडल बनाते हैं। अतः, जीवमंडल का एक प्रमुख घटक पारिस्थितिक तंत्र है जो जीवमंडल को गतिशीलता प्रदान करता है।


प्रश्न 26. जैव निम्नीकरण अपशिष्ट तथा अजैव निम्नीकरण अपशिष्ट पदार्थों में अंतर बताएँ। प्रत्येक के उचित उदाहरण दें।

उत्तर⇒

जैव निम्नीकरणीय अजैव निम्नीकरणीय
ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें हानि रहित पदार्थों में तोड़ा जा सकता है। जैसे—गोबर ये वे अपशिष्ट पदार्थ हैं जिन्हें हानि रहित पदार्थों में नहीं तोड़ा जा सकता है। जैसे डी. डी. टी.प्लास्टिक आदि ।
ये पदार्थ जीवाणुओं, बैक्टीरिया द्वारा अपघटित हो जाते हैं और इस प्रकार पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन बनाये रखते हैं। ये पदार्थ बैक्टीरिया जैसे जीवाणुओं द्वारा अपघटित नहीं होते हैं।

प्रश्न 27. पर्यावरणीय नियम क्या हैं ? उनके लागू करने की आवश्यकता को समझाइए।

उत्तर⇒ पर्यावरण का संरक्षण करने हेतु कुछ नियम बनाये गये हैं। इनका हमें सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए। पर्यावरण का संरक्षण तथा बचाव आज की मुख्य समस्या है।
कुछ प्रमुख पर्यावरणीय नियम हैं—
(i) वायु अधिनियम, 1981
(ii) वातावरण बचाव अधिनियम, 1986
(iii) मोटर वाहन अधिनियम, 1938
(iv) वन्य-प्राणी अधिनियम, 1960 (क्रूरता से बचाव)
(v) जल (संरक्षण तथा प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम, 1974
(vi) वन्य-जीव अधिनियम, 1972 तथा
(vii) वन-संरक्षण अधिनियम, 1980।


प्रश्न 28. पारिस्थितिक पिरामिड जीवमंडल में पोषण रीति की संरचना को किस प्रकार प्रदर्शित करते हैं ?

उत्तर⇒ पारिस्थितिक पिरामिड आहार श्रृंखलाओं तथा उनके पोषी स्तरों का ग्राफीय निरूपण करते हैं । पारिस्थितिक पिरामिड विभिन्न पोषी स्तरों को इस प्रकार प्रदर्शित करते हैं; पारिस्थितिक पिरामिड का ‘आधार’ उत्पादक जीवों जैसे कि पौधों से प्रदर्शित करता है।

Class 10th Biology

चित्र : पोषण रीतियों की संरचना प्रदर्शित करने वाला    चित्र : पोषी स्तर


प्रश्न 29. चित्र की सहायता के वर्णन कीजिए कि पृथ्वी पर जीवन सूर्य पर कैसे निर्भर है?

उत्तर⇒ जैवमंडल, जिसमें कई प्रकार के जीव रहते हैं अपनी क्रियाओं को करने के लिए सूर्य पर निर्भर हैं। सूर्य ही ऊर्जा का मौलिक और अंतिम स्रोत है। सौर ऊर्जा जैवमंडल में प्रकाश-संश्लेषण द्वारा प्रवेश करती है।

Class 10th Biology

 

Science ( विज्ञान  ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

 

1. ओजोन क्या है ? ओजोन छिद्र कैसे उत्पन्न होता है ?

उत्तर ⇒ ओजोन ‘03‘ के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बनते हैं। सामान्य ऑक्सीजन के अणु में दो परमाणु होते हैं। जहाँ ऑक्सीजन सभी प्रकार वायविकजीवों के लिए आवश्यक है, वहीं ओजोन एक घातक विष है।
वायुमंडल में ऑक्सीजन गैस के रूप में रहता है जो सभी जीवों के लिए आवश्यक है। सूर्य के प्रकाश में पाया जानेवाला पराबैंगनी विकिरण ऑक्सीजन को विघटित कर स्वतंत्र ऑक्सीजन परमाणु बनाता है, जो ऑक्सीजन अणुओं से संयक्त होकर ओजोन बनाता है ।पराबैगनी

कुछ रसायन; जैसे फ्लोरोकार्बन (FC) एवं क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), ओजोन (O3) से अभिक्रिया कर, आण्विक (02) तथा परमाण्विक (O) ऑक्सीजन में विखण्डित कर ओजोन स्तर को अवक्षय (deplection) कर रहे हैं । कुछ सुगंध (सेंट), झागदार शेविंग क्रीम, कीटनाशी, गंधहारक (deodorant) आदि डिब्बों में आते हैं और फुहारा या झाग के रूप में निकलते हैं । इन्हें ऐरोसॉल कहते हैं । इनके उपयोग से वाष्पशील CFC वायुमंडल में पहुँचकर ओजोन स्तर को नष्ट करते हैं । CFC का व्यापक उपयोग एयरकंडीशनरों, रेफ्रीजरेटरों, शीतलकों, जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है । वैज्ञानिकों के अध्ययन से पता चला कि 1980 के बाद ओजोन स्तर में तीव्रता से गिरावट आई है । अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र (ozone hole) की संज्ञा दी जाती है।


2. पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह किस प्रकार होता है ?

उत्तर ⇒ पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का मुख्य स्रोत सौर-ऊर्जा है, जिसका प्रवाह सदा एक दिशा में उत्पादकों से विभिन्न पोषी स्तरों तक उत्तरोतर ह्रासित होता हुआ प्रवाहित होता है। पृथ्वी तक पहुँचने वाली सौर ऊर्जा का एक छोटा भाग उत्पादक प्रकाश-संश्लेषण द्वारा रासायनिक ऊर्जा के रूप में संचित रखते हैं। इस संश्लेषित ऊर्जा में से कुछ का उपयोग स्वयं मेटाबोलिक क्रियाओं के संपदान में तथा कुछ श्वसन क्रिया में ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित होकर वातावरण में मक्त हो जाता है। शेष संचित रासायनिक ऊर्जा हरे पौधों में ऊतकों में होती है, जो विभिन्न स्तर के उत्पादकों में चला जाता है और उनमें भी इस ऊर्जा का एक अंश मेटाबोलिक क्रियाओं में तथा एक अंश ऊष्मा ऊर्जा के रूप में मुक्त होकर वातावरण में चला जाता है। इस प्रकार अधिकतम ऊर्जा उत्पादक स्तर पर संचित है तथा इस ऊर्जा में हर पोषी स्तर पर लिंडमान के नियमानुसार उत्तरोत्तर कमी आती जाती है।


3. किसी पारिस्थितिक तंत्र के विभिन्न प्रकार के उपभोक्ता के बारे में समझाएँ ।

उत्तर ⇒ ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्ण रूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं । सभी जंतु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं क्योंकि क्लोरोफिल की अनुपस्थिति के कारण ये स्वयं भोजन का संश्लेषण नहीं कर पाते ।
उपभोक्ताओं को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-
(i) प्राथमिक उपभोक्ता – (Primary consumers) ऐसे उपभोक्ता जो पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से उत्पादक, अर्थात् हरे पौधों को खाते हैं, प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं । उदाहरण—गाय, भैंस, बकरी इत्यादि ।

(ii) द्वितीयक उपभोक्ता—(Secondary consumers) कुछ जंतु मांसाहारी (carnivorous) होते हैं तथा वे शाकाहारी प्राथमिक उपभोक्ताओं को खाते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं। उदाहरण—शेर, बाघ, कुछ पक्षी, सर्प, मेढक इत्यादि।

(iii) तृतीयक उपभोक्ता—(Tertiary consumers) सर्प जब मेढक (द्वितीयक उपभोक्ता) को खाता है तब वह तृतीय श्रेणी का उपभोक्ता कहलाता है । तृतीयक उपभोक्ता सामान्यतः उच्चतम श्रेणी के उपभोक्ता हैं, जो दूसरे जंतुओं द्वारा मारे और खाए नहीं जाते हैं, जैसे—शेर, चीता, गिद्ध आदि ।


4. मैदानी पारिस्थितिक तंत्र की एक आहार श्रृंखला का रेखांकित चित्र बनायें।

उत्तर ⇒मैदानी पारिस्थितिक तंत्र की एक आहार श्रृंखला


5. किसी भी पारिस्थितिक तंत्र में अपघटक का क्या कार्य है ? यदि किसी पारितंत्र से अपघटक विलग हो जाए तो पारितंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा ?

उत्तर ⇒किसी भी पारितंत्र में अपघटक मृत उत्पादक एवं उपभोक्ता का अपघटन करते हैं तथा उनसे उत्पन्न मौलिक कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों को वातावरण में पुनः छोड़ देते हैं।
यदि किसी पारितंत्र से अपघटक को हटा दिया जाए, तो मृत पदार्थों की मात्रा बढ़ती चली जाएगी, वायुमंडल में विभिन्न गैसों का चक्रीय परिवर्तन नहीं हो पाएगा, जिसके कारण गैसों की प्रतिशत मात्रा घट जाएगी। जिससे उस पारितंत्र में रहने वाले जीवों को कठिनाइयाँ होंगी।


6. परितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?

उत्तर ⇒पौधों और जंतुओं (उत्पादक और उपभोक्ता) के मृत शरीर तथा जंतुओं के वर्ण्य पदार्थ का जीवाणुओं (bacteria) और कवकों (fungi) के द्वारा अपघटन (decompose) किया जाता है। अतः जीवाणु और कवक अपघटनकर्ता या अपमार्जक (decomposers) कहलाते हैं। यह अपघटन के द्वारा मृत जीवों के शरीर और वऱ्या पदार्थ में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्त्वों में तोड़कर मुक्त कर देते हैं। गैसीय तत्त्व जैसे नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि वायुमंडल में चले जाते हैं, जबकि अन्य ठोस एवं द्रव पदार्थ मिट्टी में मिल जाते हैं या फिर जलमंडल के भाग बन जाते हैं। जीवाणु और कवक जैसे सूक्ष्मजीव (microorganism) सूक्ष्म उपभोक्ता (microconsumers) या सैप्रोट्रॉफ (saprotrophs) भी कहलाते हैं।
पारिस्थितिक तंत्र के सभी स्तर एक-दूसरे पर निर्भर हैं तथा शृंखलाबद्ध तरीके से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। अगर यह तंत्र भलीभाँति संतुलित होता रहे तो कोई भी स्तर कभी समाप्त नहीं होगा।


7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ?

उत्तर ⇒हमारे द्वारा उत्पादित कचरे को हम दो वर्गों में वर्गीकृत करते हैं –

(i) जैव निम्नीकृत (ii) अजैव निम्नीकृत

अजैव निम्नीकरणीय कचरे से हमें अति गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
यह अजैव निम्नीकरणीय कचरा वायु, जल तथा मुदा को प्रदूषित करते हैं। इस परिणामस्वरूप अनगिनत मक्खियाँ, मच्छर, जीवाण तथा अन्य अनेको सूक्ष्मजीवों के आवास बन जाते हैं जिससे इन जीवों की संख्या में वृद्धि हो जाती है । इनसे मानव तथा अन्य जंतुओं में विभिन्न प्रकार के रोग फैल जाते हैं।
जल स्रोतों के प्रदूषित होने से जलीय प्राणियों एवं वनस्पतियों के शरीरों में जल उपस्थित रसायनों का जमाव हो जाता है । जब मानव इन जलीय पादपों एवं जंतुओं का भक्षण करता है तो मानव में अनेक रोगों का जन्म होता है।
कछ ऐसे भी रसायन हैं जो मृदा में मिश्रित होकर उसे विषाक्त कर देते हैं, जो पौधों द्वारा अवशोषित कर लिये जाते हैं । यह रसायन पादपों के शरीर में एकत्र हो जाते हैं और जब मनुष्य इन पादपों का प्रयोग अपने खाने में करता है तो यह सभी रसायन मानव के शरीर में पहुँच जाते हैं।


8. यदि हमारे द्वारा सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?

उत्तर ⇒यदि हमारे द्वारा सारा कचरा जैव निम्नीकरण हो तो इनका हमारे पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ेगा ।
जैव निम्नीकरणीय पदार्थ जीवाणुओं, कवक तथा अनेक अन्य सूक्ष्मजीवों द्वारा निम्नीकृत किये जाते हैं । यह सभी जीव इस प्रकार के कचरे को अपने भोजन के रूप में प्रयोग करके अपनी संख्या में वृद्धि करेंगे। कचरे के विश्लेषण से विभिन्न प्रकार की गैसें उत्पन्न होती हैं जो वायुमंडल में मिलकर उसे प्रदूषित करती हैं ।
अतः यह कचरा भी किसी न किसी प्रकार पर्यावरण को प्रदूषित करने का कारण होता है।


9. आहार श्रृंखला से आप क्या समझते हैं ? उदाहरणसहित एक आहार श्रृंखला के विभिन्न पोषी स्तर का वर्णन करें। आहार-जाल आहार-श्रृंखला से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर ⇒किसी भी पारितंत्र में जीवों की यह श्रृंखला जिसमें भोजन के माध्यम से ऊर्जा का प्रवाह होता है, आहार-शृंखला कहलाता है। यह निम्न प्रकार का होता है, वन पारिस्थितिक तंत्र, घासस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र इत्यादि। एक वन पारिस्थिति तंत्र में घास का भक्षण हिरण करते हैं। जिन्हें पुनः बाघ या शेर खाते हैं। यहाँ हिरण प्राथमिक उपभोक्ता एवं बाघ या शेर सर्वोच्च उपभोक्ता है।

वन-पारिस्थितिक तंत्र की एक आहार शृंखला

जब एक से ज्यादा आहार शृंखला एक दूसरे से आड़ी-तिरछी जुड़ती है तो जाल जैसी संरचना बनाती है, जिसे आहार जाल कहते हैं।


10. आहार-जाल का निर्माण कैसे होता है ?

उत्तर ⇒पारिस्थितिक तंत्र में एक साथ कई आहार श्रृंखलाएँ पायी जाती हैं। ये आहार श्रृंखलाएँ हमेशा सीधी न होकर एक-दूसरे से आड़े-तिरछे जुड़कर एक जाल-सा बनाते हैं। आहार श्रृंखलाओं के इस जाल को आहार-जाल (food went कहते हैं। ऐसा इसलिए कि पारिस्थितिक तंत्र का एक उपभोक्ता एक से अधिक भोजन स्रोत का उपयोग करता है।

अनेक आहार श्रृंखलाओं से बना आहार जाल


11. कचरा प्रबंधन कैसे किया जा सकता है ?

उत्तर ⇒कचरे को एक जगह एकत्र कर उसका वैज्ञानिक तरीके से समुचित निपटारा करने को कचरा प्रबंधन कहते हैं। भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कचरे को एकत्र करने के लिए बड़ी-बड़ी धानियाँ होनी चाहिए। ऐसे अपशिष्ट जिनका पुनः चक्रण संभव है, को अलग कर अन्य अपशिष्टों को इन धानियों में एकत्र करना चाहिए। पुनः चक्रण वाले कचरे को वैसे लोगों को दे देनी चाहिए जो इनका उपयोग करते हैं। कचरे को एकत्रित कर उसे शहर के बाहर जला देना चाहिए या गड्ढों को भरने के उपयोग में किया जाना चाहिए।ठोस कचरे के अलावा उद्योगों से निष्कासित तरल अपशिष्टों एवं विभिन्न प्रकार के मलजल (sewage) को भी पाइपों के द्वारा एक जगह एकत्रित कर समुचित निपटारा किया जाना चाहिए। इसके लिए जीवाणुओं का भी प्रयोग होता है। इस प्रकार से कचरा प्रबंधन किया जा सकता है।


12. पारितंत्र की उत्पादकता से क्या समझते हैं? यह किन कारकों पर निर्भर करती है ?

उत्तर ⇒किसी भी पारितंत्र में प्रकाशसंश्लेषण के द्वारा कार्बनिक पदार्थ के उत्पादन की दर पारितंत्र की उत्पादकता कहलाती है। इसे किलो कैलोरी मी वर्ष के रूप में व्यक्त करते हैं। कुल उत्पादकता में से कुछ ऊर्जा हरे पौधों के उपापचयी क्रियाओं में खर्च हो जाता है तथा कुछ ऊर्जा वातावरण में ऊष्मा के रूप में विमुक्त हो जाती है। पारितंत्र की उत्पादकता निम्न कारकों पर निर्भर करती है सूर्य की रोशनी, तापक्रम, वर्षा, पोषक पदार्थ की उपलब्धता आदि। ये कार्बनिक पदार्थ जैव संहति या जैव मात्रा कहलाती है।


13. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?

उत्तर ⇒किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तर के लिए अलग-अलग होगा –

त्रितय उपभोक्ता

(i) उत्पादकों को हटाने का प्रभाव – यदि उत्पादकों को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया तो सारा पारितंत्र ही नष्ट हो जायेगा । तब किसी प्रकार के जीव या जीवन ही गायब हो जायेगा ।

(ii) शाकाहारियों को हटाने का प्रभाव या प्राथमिक उपभोक्ता को हटाने का प्रभाव-शाकाहारियों को हटाने से उत्पादकों (पेड़-पौधों-वनस्पतियों) के जनन और वृद्धि पर रोक टोक समाप्त हो जाएगी और मांसाहारी भोजन के अभाव में मृत्य को प्राप्त होंगे।

(iii) मांसाहारियों को हटाने का प्रभाव-मांसाहारियों को हटा देने से शाकाहारियों की इतनी ज्यादा संख्या बढ़ जायेगी कि क्षेत्र की संपूर्ण वनस्पतियाँ समाप्त हो जायेंगी ।

(iv) अपघटकों का हटाने का प्रभाव-अपघटकों को हटा देने से मृतकों (जीव-जंतु) की अधिकता हो जायेगी । उनसे तरह-तरह के जीवाणुओं के उत्पन्न होने से कई बीमारियाँ फैलेंगी । मिट्टी भी पोषक तत्त्वों से विहीन हो जायेगी एवं उत्पादक भी धीरे-धीरे समाप्त हो जायेंगे ।
किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव नहीं है । अगर हम उत्पादकों को हटायेंगे तो शाकाहारी उनके अभाव में नष्ट हो जायेंगे व शाकाहारी के न रहने से मांसाहारी भी जीवित नहीं रहेंगे । अपघटकों को हटा देने से उत्पादकों को अपनी वृद्धि के लिए पोषक तत्त्व नहीं प्राप्त होंगे।


14. जैव संहति का पिरामिड को समझाएँ।

उत्तर ⇒किसी पारितंत्र के आहार श्रृंखला के पोषी स्तर पर निश्चित समय में पाये गए सभी सदस्यों की जैव मात्रा जैव संहति का पिरामिड बनाती है। जैव संहति के पिरामिड में भी आधार से शीर्ष की ओर प्रत्येक पोषी स्तर की जैव मात्रा घटती जाती है। यह पिरामिड एक उर्ध्वाधर पिरामिड है।

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