सेंसेक्स 1,100 अंकों की गिरावट के बाद मामूली बढ़त के साथ बंद, बाजार में तेज मुनाफावसूली

Share Market: भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार, 24 जून को भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला. बाजार की शुरुआत सकारात्मक रही, लेकिन दिन में तेज मुनाफावसूली के चलते बेंचमार्क सेंसेक्स 1,100 अंकों से अधिक टूट गया. वहीं, निफ्टी 50 भी दिन के दौरान 25,000 के नीचे फिसल गया. इसकी मुख्य वजह इजराइल द्वारा ईरान पर सीजफायर उल्लंघन के आरोपों के बाद तेहरान पर हमले का आदेश देना रहा.

सेंसेक्स-निफ्टी में शुरुआती तेजी के बाद गिरावट

सेंसेक्स ने 82,534.61 के स्तर पर शुरुआत की, जो पिछले बंद 81,896.79 के मुकाबले तेज थी. इंडेक्स 1,100 अंक से अधिक चढ़कर 83,018 के ऊपरी स्तर तक पहुंच गया, लेकिन वहां से 1,100 अंक टूटकर 81,900 के निचले स्तर तक फिसल गया. इसी तरह, निफ्टी 50 ने 25,179.90 पर ओपनिंग की, जो पिछले बंद 24,971.90 के मुकाबले अच्छी बढ़त थी. यह 25,317.70 के उच्च स्तर तक गया, लेकिन दोपहर के सत्र में 24,999.70 तक गिर गया.

क्लोजिंग में हल्की बढ़त

अंत में सेंसेक्स 158 अंक या 0.19% की बढ़त के साथ 82,055.11 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 ने 72 अंक या 0.29% की तेजी के साथ 25,044.35 पर क्लोजिंग दी. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स क्रमश: 0.56% और 0.71% बढ़कर बंद हुए. Geojit Investments के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, “शुरुआती बढ़त का मुख्य कारण सीजफायर की घोषणा और कच्चे तेल की कीमतों में तेज गिरावट थी. लेकिन मध्य-पूर्व में फिर से तनाव बढ़ने से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई.” उन्होंने आगे कहा कि एक्सपायरी डे की वोलैटिलिटी और वैश्विक जोखिमों के चलते बाजार में स्थिरता नहीं आ पाई.

इजराइल-ईरान विवाद से बाजार में अनिश्चितता

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इजराइल के रक्षा मंत्री इसराइल कात्ज़ ने कहा, “ईरान द्वारा सीजफायर उल्लंघन के तहत मिसाइल दागने के बाद, मैंने IDF को तेहरान में रेजीम के ठिकानों और आतंकी इन्फ्रास्ट्रक्चर पर उच्च तीव्रता से हमले के निर्देश दिए हैं.” गौरतलब है कि इससे एक दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्धविराम की घोषणा की थी. हालांकि, ईरान ने किसी भी तरह के उल्लंघन से इनकार किया है.

बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा

विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही इजराइल-ईरान के बीच तनाव लंबे समय तक न चले, लेकिन निकट भविष्य में भू-राजनीतिक अनिश्चितता के चलते बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा. मंगलवार को ब्रेंट क्रूड की कीमतों में करीब 4% की गिरावट दर्ज की गई. हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव भारत जैसे बड़े तेल आयातक देशों के लिए नकारात्मक संकेत है. तेल की बढ़ती कीमतें व्यापार घाटे को बढ़ा सकती हैं, रुपये को कमजोर कर सकती हैं, महंगाई को बढ़ावा दे सकती हैं और विदेशी पूंजी प्रवाह को प्रभावित कर सकती हैं. इसके अलावा कंपनियों की लागत बढ़ने से उनके मुनाफे पर भी असर पड़ सकता है.

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