व्हाइट हाउस से डोनाल्ड ट्रंप ने फिर पीटा ढिंढोरा, ‘भारत के साथ करेंगे बेहतरीन ट्रेड डील’
Donald Trump: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस से एक बार फिर भारत के साथ मजबूत व्यापार संबंधों का इशारा देते हुए कहा कि “भारत के साथ बहुत बड़ा ट्रेड डील होने वाला है.” उन्होंने यह बात रिपब्लिकन पार्टी के टैक्स एंड एक्सपेंडिचर बिल को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम में कही. ट्रंप ने कहा, “हमारे पास पहले से ही बेहतरीन समझौते हैं और अब हम भारत के साथ भी एक बड़ा समझौता करने जा रहे हैं.”
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में बढ़ती गति
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंच चुका है, जिसमें मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल शामिल हैं. दोनों देश अंतरिम व्यापार समझौते को लेकर 9 जुलाई 2025 से पहले वार्ता को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका ने भारत पर प्रस्तावित उच्च शुल्क को अस्थायी रूप से 9 जुलाई तक के लिए निलंबित कर दिया है, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि समझौते की संभावना मजबूत है.
कठिन लेकिन संभावनाओं से भरे क्षेत्र
- भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में कई क्षेत्रों पर सहमति बनना चुनौतीपूर्ण है.
- भारत के लिए दुग्ध और कृषि क्षेत्र अमेरिका को शुल्क रियायत देने के लिहाज से बेहद संवेदनशील हैं.
- अब तक भारत ने किसी भी एफटीए (मुक्त व्यापार समझौते) में दुग्ध क्षेत्र को नहीं खोला है.
- अमेरिका चाहता है कि भारत कुछ औद्योगिक वस्तुओं, इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन, पेट्रोरसायन उत्पादों, और जीएम फसलों पर आयात शुल्क में कटौती करे.
भारत की अपनी प्राथमिकताएं
भारत भी इस संभावित समझौते में अपने हितों की रक्षा और विस्तार की कोशिश कर रहा है. भारत श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क रियायत की मांग कर रहा है.
- कपड़ा
- रत्न एवं आभूषण
- चमड़ा
- परिधान
- प्लास्टिक
- रसायन
- झींगा मछली
- तिलहन
- अंगूर
- केला
इन क्षेत्रों में भारत की घरेलू क्षमता और निर्यात क्षमता अधिक है, जिससे समझौता होने की स्थिति में रोजगार और विदेशी मुद्रा की संभावनाएं मजबूत हो सकती हैं.
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चीन को लेकर भी ट्रंप का संदेश
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन में चीन का भी जिक्र किया और कहा, “हम चीन के लिए दरवाजे खोल रहे हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ.” हालांकि, उन्होंने चीन के साथ हुई डील के ब्योरे नहीं दिए.उन्होंने कहा कि कई देश अमेरिका के साथ समझौते करना चाहते हैं और उनके अधिकारी इसके लिए अतिरिक्त मेहनत कर रहे हैं.
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