विनिर्माण उद्योग

विनिर्माण उद्योग

अध्याय का सांराश

निर्माण का तात्पर्य मशीनों के माध्यम से बड़ी वस्तुओं का उत्पादन से है। यूरोप में आई औद्योगिक क्रांति ने संपूर्ण विश्व भर में उद्योगों का जाल बिछा दिया। यूं तो भारत में तकनीकी का ज्ञान प्राचीन काल से था और इस बात का उदाहरण हैं कुतुबमीनार के समीप स्थित जग मुक्त लौह स्तम्भ, हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त कांसे की मूर्तियां, तांबे के मनके और शीशे आदि भी इस बात का प्रमाण देते हैं। भारत वस्त्र निर्माण की कला से भी पूराने समय से परिचित हैं। इतना होने पर भी आधुनिक भारत में लौह अयस्क प्रगलन का आरंभ सन् 1830 में तमिलनाडु के पोर्टोनोवा में हुआ परंतु यह शीघ्र ही बंद हो गया फिर 1864 में पश्चिम बंगाल के कुल्टी में लौह और इस्पात उद्योग का वास्तविक आरंभ हुआ। परंतु लौह और इस्पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन 1907 में जमशेदपुर में कारखाने की स्थापना के साथ हुआ।

सूती कपड़ा मिल की सर्वप्रथम स्थापना 1854 में की गई थी जबकि जूट का कारखाना सबसे पहले 1855 में कोलकता के निकट रिशरा में स्थापित किया गया। आरंभ में सूती वस्त्र उद्योग गुजरात और महाराष्ट्र में ही केन्द्रित था परंतु आज सूती वस्त्र

तमिलनाडु में केन्द्रित है। सूती वस्त्र के बाद भारत का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण उद्योग है। जूट उद्योग। कच्चे जूट और जूट के बन सामानों के उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान हैं। परंतु जूट के सामन के निर्यात में भारत का बांग्लादेश के बाद विश्व में दूसरा स्थान है। आज भारत में लगभग 70 जूट मिलें हैं। 80% से भी अधिक जूट का सामान का उत्पादन अकेले पश्चिम बंगाल में होता है। आंध्रप्रदेश करीब 10% जूट का सामान तैयार करता है।

देश का सबसे पुराने वस्त्र उद्योगों में से एक है ऊनी वस्त्र उद्योग। इसका मुख्य संकेन्द्रण पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, और राजस्थान राज्यों में हैं। भारतीय ऊनी सामान संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और यूरोप के देशों में निर्यात किया जाता है।

भारत विश्व में अपने रेशम के लिए भी प्रसिद्ध है। भारत में चार प्रकार की रेशम उत्पादित की जाती है-मलबरी, टसर, इरी, मूंगा। वर्तमान में भारत में लगभग 90 मिलें है और कई छोटी इकाईयों में भी रेशमी कपड़ों का उत्पादन किया जाता है।
भारत में कृत्रिम वस्त्रों का उद्योग भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इस उद्योग के प्रमुख केन्द्र मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, दिल्ली, अमृतसर, ग्वालियर और कोलकाता में स्थित है।

गन्ने के उत्पादन में तथा चीनी उत्पादन में भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। भारत के आर्थिक विकास में रासायनिक उद्योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है। देश में इस उद्योग का तीव्र गति से विकास हो रहा है। भारत में उर्वरक संयंत्र की सर्वप्रथम स्थापना 1906 में तमिलनाडु के रानीपेट में की गई थी। परंतु इस उद्योग का वास्तविक विकास सन् 1951 में भारतीय उर्वरक निगम द्वारा सिंदरी में संयंत्र की स्थापना के साथ हुआ।
भारतीय रेल आज विकसित प्रौद्योगिकी की प्रतीक बन चुकी है।

भरतीय रेल अपनी आवश्यकता के सभी उपकरण स्वयं तैयार करती है। आज हमारे देश में पोतों का भी निर्माण होता है। इसके लिए पाँच प्रमुख केन्द्र है। इलेक्ट्रोनिक उद्योग भारत को विश्व बाजार में तेजी से स्थापित कर रहा है। भारत ने हॉर्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों के विकास में ही महान ख्याति अर्जित की है। बंगलौर इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की राजधानी के रूप में जाना जाने लगा है। इसके अतिरिक्त हैदराबाद, दिल्ली, मुंबइ, चेन्नई, कोलकाता, कानपुर, लखनऊ तथा कोयंबटूर भी इसके प्रमुख केन्द्र हैं।

यद्यपि उद्योगों ने भारतीय अर्थवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, परंतु इन्होंने भूमि, वायु, जल, व पर्यावरण प्रदुषण को भी बढ़ाया है। अतः पर्यावरण निम्नीकरण की रोकथाम अत्यंत आवश्यक है। आधुनिकतम तकनीकों पर आध रित उपकरणों का सही उपयोग कर और विद्यमान उपकरणों में सुधार लाकर, अपशिष्ट पदार्थों का न्यूनतम उत्पादन कर, पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए हरित क्षेत्र की सुरक्षा तथा वृक्षारोपण कर और ऐसे ही अन्य उपायों द्वारा हम पर्यावरण सुधार में मदद कर सकते हैं।

विनिर्माण उद्योग Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर दीजिए

(क) उद्योगों की स्थिति के प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारकों के नाम बताइए।
उत्तर-
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक हैं-

  1. कच्चे माल की उपलब्धता।
  2. शक्ति के साधन व जल की सुलभता।
  3. अनुकूल जलवायु।

(ख) उद्योगों की स्थिति को नियंत्रित करने वाले किन्हीं तीन मानवीय कारकों के नाम बताइए।
उत्तर-
उद्योगों की स्थिति को नियंत्रित करने वाले तीन मानवीय कारक हैं-

  1. उपलब्ध श्रमिक
  2. पूंजी व परिवहन सुविधाएँ
  3. सरकारी नीतियाँ।

(ग) महाराष्ट्र के चार महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर-

  1. मुम्बई
  2. शोलापुर
  3. पुणे
  4. वर्धा।

(घ) भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण दो चीनी उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-
भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण चीनी उत्पादक राज्य हैं-(1) उत्तर प्रदेश (2) महाराष्ट्र।

(ङ) कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के दो-दो लोहा और इस्पात संयंत्रों के नाम बताइए।
उत्तर-
कर्नाटक के दो लोहा और इस्पात संयंत्र हैं-

  • विजय नगर,
  • भद्रावती।

पश्चिम बंगाल के दो लोहा और इस्पात संयंत्र हैं-

  • दुर्गापुर,
  • बर्नपुर।

(च) भारत में इलेक्ट्रोनिक सामान के पाँच उत्पादक राज्यों के नाम बताइए।
उत्तर-

  1. बंगलौर
  2. मुंबई
  3. हैदाराबाद
  4. दिल्ली
  5. चेन्नई।

प्रश्न 2.
उन स्थानों के नाम लिखिए जहाँ सवारी गाड़ी के डिब्बे बनाये जाते हैं।
उत्तर-

  • पेराम्बूर
  • बंगलौर
  • कपुरथलए
  • कोलकता।

प्रश्न 3.
भारत का पहला उर्वरक संयंत्र कब और कहाँ स्थापित किया गया था?
उत्तर-
सन् 1906 में रानीपेट (तमिलनाडु) में।

प्रश्न 4.
कौनसा स्थान इलेक्ट्रोनिक उद्योग की राजधानी के रूप में जाना जाता है।
उत्तर-
बंगलौर को इलेक्ट्रोनिक उद्योग की राजधानी के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 5.
उद्योगों से निकलने वाली दो हानिकारक गैसों का नाम बताएँ।
उत्तर-

  1. कार्बन मानोऑक्साइड
  2. सल्फर डाईऑक्साइड।

प्रश्न 6.
सिंदरी उर्वरक संयंत्र कब और किसके द्वारा स्थापित किया गया?
उत्तर-
सिंदरी उर्वरक संयंत्र की स्थापना 1951 में भारतीय उर्वरक निगम द्वारा की गइ।

प्रश्न 7.
भारत में लोहा और इस्पात का बड़े पैमाने पर उत्पादन कब प्रारंभ हुआ।
उत्तर-
भारत में लोहा और इस्पात का बड़े पैमाने पर सन् 1907 में जमशेदपुर में कारखाने की स्थापना के साथ हुआ।

प्रश्न 8.
भारत में कृत्रिम वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र कौन-कौन-से हैं?
उत्तर-
भारत में कृत्रिम वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं-मुंबई, अहमदाबाद, सूरत, दिल्ली, अमृतसर, ग्वालियर ओर कोलकाता।

प्रश्न 9.
चीनी उद्योग के दक्षिणी राज्यों में स्थापित होने की स्पष्ट प्रवृति दिखाई पड़ने लगी हैं। इसका प्रमुख कारण क्या है?
उत्तर-
चीनी उद्योग के दक्षिणी राज्यों में स्थापित होने का सबसे प्रमुख कारण यह है कि देश के उत्तरी राज्यों की तुलना में दक्षिणी राज्यों के गन्ने में चीनी तत्व का अधिक पाया जाना है।

प्रश्न 10.
मानव निर्मित रेशे कहाँ से प्राप्त किए जाते हैं?
उत्तर-
मानव निर्मित रेशे, लुगदी, कोयला, और पेट्रालियम से प्राप्त किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
खेतड़ी स्थित तांबा प्रगलन संयंत्र को तांबा अयस्क की आपूर्ति कहां से की जाती है?
उत्तर-
मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में स्थित मलंजखंड खान से।

प्रश्न 12.
भारत में औषधि निर्माण की क्या स्थिति है?
उत्तर-
भारत में औषधि निर्माण का पूरे उद्योग क्षेत्र में 14% का योगदान है। निर्यात भी में औषधियों का योगदान 14% का है।

प्रश्न 13.
भारत में पहला सफल सूती वस्त्र उद्योग कब लगाया गया था? औपनिवेशिक काल में हमारे परंपरागत उद्योगों को हानि क्यों हुई?
उत्तर-

  1. प्रथम सफल सूती वस्त्र उद्योग 1854 में मुंबई में लगाया गया।
  2. प्राचीन भारत में सूती वस्त्र को हाथ से कताई और हथकरघा बुनाई तकनीकों द्वारा बनाये जाने का प्रचलन था। अठारहवीं शताब्दी के बाद विद्युतीय करघों का उपयोग होने लगा। औपनिवेशिक काल के दौरान हमारे परंपरागत उद्योगों को बहुत नुकसान हुआ क्योंकि हमारे उद्योग. इंग्लैंड के मशीन निर्मित वस्त्रों से स्पर्धा नहीं कर पाये।

प्रश्न 14.
आज भारत में कितनी सूती तथा कृत्रिम रेशे की मिले हैं? इनमें निजी क्षेत्र का हिस्सा क्या है?
उत्तर-
आज भारत में लगभग 1600 सूती तथा कृत्रिम रेशे की कपड़ा मिले हैं। इनमें से 80% निजी क्षेत्र में तथा शेष सार्वजनिक व सहकारी क्षेत्र में हैं। इनके अंतर्गत कई हजार छोटी इकाइयाँ हैं जिनमें 4 से 10 हथकरघे हैं।

प्रश्न 15.
आरभिक वर्षों में सूती वस्त्र उपयोग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादक क्षेत्रों तक ही सीमित क्यों थे?
अथवा
सूती वस्त्र उद्योग को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं?
उत्तर-
आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित थे। कपास की – उपलब्धता, बाज़ार, परिवहन, पत्तनों की निकटता, श्रम, नमीयुक्त जलवायु आदि कारकों ने इसके स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 16.
सूती वस्त्र उद्योग का कृषि से निकट संबंध है। कैसे? .
उत्तर-

  1. सूती वस्त्र उद्योग का कृषि से निकट का संबंध है और कृषकों, कपास चुनने वालों, गाँठ बनाने वालों, कताई करने वालों, रंगाई करने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकेट बनाने वालों और सिलाई करने वालों को यह जीविका प्रदान करता है।
  2. इस उद्योग के कारण रसायन रंजक मिल-स्टोर तथा पैकेजिंग सामग्री और इंजीनियरिंग उद्योग की माँग वृद्धि होती है परिणामस्वरूप इन उद्योगों का विकास होता है।

प्रश्न 17.
भारत किन देशों को सूत या सूती वस्त्रों का निर्यात,करता है?
उत्तर-
भारतं जापान को सूत का निर्यात करता है। भारत में निर्मित सूती वस्त्र के अन्य आयातक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, रूस, फ्रांस, पूर्वी यूरोपीय देश, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका तथा अफ्रीका के देश हैं।

प्रश्न 18.
पटसन उद्योग में कितने लोगों को रोजगार मिला हुआ है?
उत्तर-
पटसन उद्योग प्रत्यक्ष रूप से 2.61 लाख श्रमिकों को और जूट व मेस्टा की खेती करने वाले अन्य 40 लाख छोटे व सीमांत कृषकों को रोजगार मुहैया कराता है। इस उद्योग से अन्य अनेक लोग अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं।

प्रश्न 19.
पटसन उद्योग की मुख्य चुनौतियाँ क्या है?
उत्तर-

  1. इस उद्योग की चुनौतियों में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कृत्रिम वस्त्रों से और बांग्लादेश, ब्राजील फिलीपीन्स, मिश्र तथा थाईलैंड जैसे अन्य देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल है।
  2. यद्यपि पटसन पैंकिंग की अनिवार्य प्रयोग की सरकारी नीति के कारण इसकी घरेलू माँग बढ़ी है फिर भी माँग बढ़ाने हेतु उत्पाद में विविधता भी आवश्यक है।

प्रश्न 20.
2005 ई. में बने राष्ट्रीय पटसन नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर-
सन् 2005 में राष्ट्रीय पटसन नीति अपनाई गई जिसका मुख्य उद्देश्यः

  • पटसन का उत्पादन बढ़ाना,
  • गुणवत्ता में सुधार,
  • पटसन उत्पादक कृषकों को अच्छा मूल्य दिलाना
  • प्रति हैक्टेयर उत्पादकता को बढ़ना करना था।

प्रश्न 21.
भारत किन देशों को पटसन निर्यात करता है?
उत्तर-
भारत अमेरिका, कनाडा, रूस, अरब देश, इंग्लैंड और आस्ट्रेलिया को पटसन का निर्यात करता है।

प्रश्न 22.
जूट उत्पादों को पुनः किन कारणों से अवसर मिला है?
उत्तर-
बढ़ते वैश्विक पर्यावरण अनुकूलन, जैवनिम्नीकरणीय पदार्थों के लिए विश्व की बढ़ती जागरूकता ने पुनः जूट उत्पादों के लिए अवसर प्रदान किया है।

प्रश्न 23.
चीनी उद्योग को गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में ही क्यों स्थापित होना चाहिए?
उत्तर-

  1. क्योंकि इस उद्योग में प्रयुक्त कच्चा माल भारी होता है।
  2. ढुलाई में इसके सूक्रोस की मात्रा घट जाती है।

प्रश्न 24.
पिछले कुछ वर्षों में चीनी मिलों की संख्या दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में बढ़ी है। इसका कारण है?
उत्तर-

  • पिछले कुछ वर्षों से इन मिलों की संख्या दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में विशेषकर महाराष्ट्र में बढ़ी है। इसका मुख्य कारण यहाँ के गन्ने में अधिक सूक्रोस की मात्रा
  • अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु भी लाभप्रद है।
  • इसके अलावा इन राज्यों में सहकारी समितियों न भी सफलता प्राप्त की है।

प्रश्न 25.
भारत में पहला पटसन कारखाना कब स्थापित किया गया? देश विभाजन के तुरंत बाद इस उद्योग को किस समस्या का सामना करना पड़ा?
उत्तर-

  • भारत में पहला पटसन उद्योग कोलकाता के समीप रिशरा में 1859 में लगाया गया।
  • 1947 में देश के विभाजन के पश्चात् पटसन मिलें तो भारत में रह गईं परंतु तीन-चौथाई जूट उत्पादक क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान अर्थात् बांग्लादेश में चले गए।

प्रश्न 26.
इस्पात उद्योग को एक आधारभूत उद्योग क्यों कहा जाता है?
उत्तर-
लोहा तथा इस्पात उद्योग एक आधारभूत (basic) उद्योग है क्योंकि अन्य समस्त भारी, हल्के और मध्यम उद्योग : इनसे निर्मित मशीनरी पर निर्भर हैं। विविध प्रकार के इंजीनियरिंग सामान, निर्माण सामग्री, रक्षा, चिकित्सा, टेलीफोन वैज्ञानिक उपकरण और विभिन्न प्रकार की उपभोक्ता वस्तुओं के निर्माण हेतु इस्पात की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 27.
कच्चा इस्पात उत्पादन और स्पंज लौह उत्पादन में विश्व में भारत का क्या स्थान हैं?
उत्तर-

  • भारत 328 लाख टन इस्पात का विनिर्माण कर विश्व में कच्चा इस्पात उत्पादकों में नवें स्थान पर है।
  • यह स्पंज (Sponge) लौह का सबसे बड़ा उत्पादक है।

प्रश्न 27(i).
लौह-इस्पात उद्योग की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर-
(क) कच्चे माल की सीमित उपलब्धता
(ख) उच्च लागत
(ग) कम श्रमिक उत्पादकता,
(घ) ऊर्जा की अनियमित पूर्ति

प्रश्न 28.
मिनी इस्पात संयंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर-
मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयंत्र हैं जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इनमें ‘रि-रोलर्स होते हैं जिनमें इस्पात सिल्लियों का प्रयोग किया जाता है। ये हल्के स्टील या निर्धारित अनुपात के मृदु व मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।

प्रश्न 29.
संकलित इस्पात संयंत्र क्या है?
उत्तर-
एक संकलित इस्पात संयंत्र एक बड़ा संयंत्र होता है। जिसमें कच्चे माल को एक स्थान पर इकट्ठा करने से लेकर इस्पात बनाने उसे ढालने और उसे आकार देने तक की प्रत्येक क्रिया की जाती है।

प्रश्न 30.
अधिकांश लोहा और इस्पात उद्योग छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्र में संकेद्रित क्यों हैं?
उत्तर-

  • छोटानागपुर के पठारी क्षेत्र में अधिकांश लोहा तथा इस्पात उद्योग संकेंद्रित हैं। इस प्रदेश में इस उद्योग के विकास हेतु अधिक अनुकूलसापेक्षिक परिस्थितियाँ हैं।
  • इनमें लौह अयस्क की अल्प लागत,
  • उच्च कोटि के कच्चे माल की निकटता,
  • सस्ते श्रमिक और स्थानीय बाजार में इनके माँग की बड़ी संभावना सम्मिलित है।

प्रश्न 31.
किन कारकों ने लौह-इस्पात उद्योग को प्रोत्साहन दिया है?
उत्तर-
निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयत्न से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित दिया है।

प्रश्न 32.
एल्यूमिनियम उद्योग का क्या महत्त्व हैं?
उत्तर-

  • भारत में एल्यूमिनियम प्रगलन दूसरा सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण धातु शोधन उद्योग है।
  • यह हल्का, जंग अवरोधी, ऊष्मा का सुचालक, लचीला तथा अन्य धातुओं के मिश्रण से अधिक कठोर बनाया जा सकता है।
  • हवाई जहाज बनाने में, बर्तन तथा तार बनाने में इसका _प्रयोग किया जाता है।
  • कई उद्योगों में इसकी महत्ता इस्पात, ताँबा, जस्ता व सीसे के विकल्प के रूप में प्रयुक्त होने से बढ़ी है।

प्रश्न 33.
एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग की स्थापना के लिए दो महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ क्या हैं?
उत्तर-
एल्यूमिनियम उद्योग की स्थापना की दो महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ हैं- नियमित ऊर्जा की पूर्ति तथा कम कीमत पर कच्चे माल की सुनिश्चित उपलब्धता।

प्रश्न 34.
रसायन उद्योग में भारत की विश्व में क्या स्थिति है?
उत्तर-
रसायन उद्योग एशिया का तीसरा बड़ा तथा विश्व में आकार की दृष्टि से 12वें स्थान पर है।

प्रश्न 35.
निम्न दंड आरेख का अध्ययन कीजिए और अपना निष्कर्ष बताइए।
उत्तर-
1950 के दशक में भारत तथा चीन ने लगभग एक समान मात्रा में इस्पात उत्पादितत किया था। आज चीन इस्पात का सबसे बड़ा उत्पादक है।

प्रश्न 36.
कुछ प्रमुख अकार्बनिक रसायनों के नाम लिखिए।
उत्तर-
अकार्बनिक रसायनों में सलफ्यूरिक अम्ल (उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद, रंग-रोगन, डाई आदि के निर्माण
में प्रयुक्त), नाइट्रिक अम्ल, क्षार, सोडा ऐश (soda ash), (काँच, साबुन, शोधक या अपमार्जक, कागज़ में प्रयुक्त होने वाले रसायन) तथा कास्टिक सोडा आदि शामिल हैं।

प्रश्न 37.
कार्बनिक रसायनों का प्रयोग कहाँ होता है?
उत्तर-
कार्बनिक रसायनों में पेट्रोरसायन सम्मिलित हैं जो कृत्रिम वस्त्र, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, रंजक पदार्थ, दवाईयाँ, औषध रसायनों के बनाने में प्रयोग किये जाते हैं।

प्रश्न 38.
रसायन उद्योग आपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता भी है। कैसे
उत्तर-
रसायन उद्योग स्वयं में एक बड़ा उपभोक्ता भी है। आधारभूत रसायन एक प्रक्रिया द्वारा अन्य रसायन उत्पन्न करते हैं जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोग, कृषि अथवा उपभोक्ता बाजारों के लिए किया जाता है।

प्रश्न 39.
इलैक्ट्रोनिक उद्योग के अंतर्गत आने वाले उत्पादों की एक सूची बनाइए।
उत्तर-
इलैक्ट्रोनिक उद्योग के अंतर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रांजिस्टर से लेकर टी.वी., टेलीफ़ोन, सेल्यूलर टेलीकॉम टेलीफोन एक्सचेंज, पेज़र, राडार, कंप्यूटर तथा दूरसंचार उद्योग हेतु उपयोगी अनेक अन्य उपकरण आते हैं।

प्रश्न 40.
किस प्रदुषण को फैलाने की जिम्मेदारी उद्योगों पर हैं?
उत्तर-

  • वायु प्रदुषण
  • जल प्रदुषण
  • भूमि प्रदुषण
  • ध्वनि प्रदुषण। .

प्रश्न 41.
वायु प्रदुषण का क्या कारण हैं?
उत्तर-
वायु में सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड आदि गैसों की अधिक अनुपात में विद्यमान रहने के कारण वायु प्रदूषण फैलता है।

प्रश्न 42.
स्थल प्रदुषण का कारण बताइए।
उत्तर-

  • हानिकारक रसायन,
  • औद्योगिक अपशिष्ट,
  • कुड़ा-करकट और मलबों का ढेर।

प्रश्न 43.
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के योगदान पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-

  • राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का योगदान-पिछले दो दशकों से समस्त घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान 27% में से 17% ही है क्योंकि 10% भाग खनिज खनन, गैस तथा विद्युत ऊर्जा का योगदान रहा है।
  • पिछले एक दशक से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में 7% प्रति वर्ष की दर से वृद्धि हुई है। वृद्धि का यह प्रतिशत अगले दशक में 12% अपेक्षित है।
  • वर्ष 2003 से विनिर्माण क्षेत्र का विकास 9 से 10% _प्रति वर्ष की दर से हुआ है।
  • उपयुक्त सरकारी नीतियों तथा औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि के नए प्रयासों से अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि विनिर्माण उद्योग अगले एक दशक में अपना लक्ष्य पूर्ण करने में समर्थ है। इस उद्देश्य से राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद् (National Manufacturing Competitiveness Council) की स्थापना की गयी है।

प्रश्न 44.
उद्योगों की आदर्श अवस्थिति के लिए किन कारकों का होना अनिवार्य है?
उत्तर-

  • उद्योगों की स्थापना कच्चे माल की उपलब्धता, श्रमिक, पूँजी, शक्ति के सामान तथा बाज़ार आदि की उपलब्धता से प्रभावित होती है।
  • इन सभी कारकों का एक स्थान पर पाया जाना लगभग असंभव है। परिणामस्वरूप विनिर्माण उद्योग की स्थापना हेतु वही स्थान उचित हैं जहाँ ये कारक उपलब्ध हों अथवा जहाँ इन्हें कम मूल्य पर उपलब्ध करना संभव हो।
  • किसी उद्योग की अवस्थिति का निर्धारण उसकी न्यूनतम उत्पादन लागत से निर्धारित होता हैं
  • सरकारी नीतियों तथा निपुण श्रमिकों का उपलब्धता __ भी उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करती है।

प्रश्न 45.
औद्योगिक प्रक्रिया के प्रारंभ होने के साथ-साथ नगरीकरण प्रारंभ होता है। स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘समूहन बचत’ से आपका क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर-
औद्योगिक प्रक्रिया के प्रारंभ होने के साथ-साथ नगरीकरण प्रारंभ होता है। कभी-कभी उद्योग शहरों में या उनके समीप लगाए जाते हैं। इस प्रकार औद्योगीकरण तथा नगरीकरण साथ-साथ चलते हैं। नगर उद्योगों को बाज़ार तथा सेवाएँ जैसे – बैंकिंग, बीमा, परिवहन, श्रमिक तथा वित्तीय सलाह आदि उपलब्ध कराते हैं। नगर केंद्रों द्वारा दी गई सुविधाओं से लाभांवित, कई बार अधिकता उद्योग नगरों के आस पास ही केंद्रित हो जाते हैं जिसे ‘समूहन बचत’ (Agglomeration economies) कहते हैं। ऐसे स्थानों पर धीरे-धीरे बड़ा औद्योगिक समूहन स्थापित हो जाता है।

प्रश्न 46.
भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का क्या महत्त्व है?
उत्तर-

  • भारतीय अर्थव्यवस्था में वस्त्र उद्योग का अपना पृथक महत्व है क्योंकि इसका औद्योगिक उत्पादन में महत्त्वपूर्ण (14 प्रतिशत)
  • योगदान है। यह लगभग 350 लाख व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध करवाकर कृषि के पश्चात् दूसरा वृहत् उद्योग है तथा लगभग 24.6% विदेशी मुद्रा उपार्जित करता है।
  • सकल घरेलू उत्पाद में इसकी भागीदारी लगभग 4% है।
  • देश का यह एकमात्र उद्योग है जो कच्चे माल से उच्चतम अतिरिक्त मूल्य उत्पाद तक की श्रृंखला में परिपूर्ण तथा आत्मनिर्भर है।

प्रश्न 47.
भारत की अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में क्यों स्थित हैं?
उत्तर-
भारत में अधिकांश जूट मिलें पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के किनारे स्थित है। इसके निम्नलिखित मुख्य कारण हैं

  1. जूट उत्पादक क्षेत्रों की निकटता,
  2. सस्ता जल परिवहन,
  3. जूट को संसाधित करने के लिए पर्याप्त जल की उपलब्धता।
  4. सस्ते श्रमिक।
  5. बैंक व बीमा सुविधा।
  6. निर्यात के लिए पत्तन सुविधा।

प्रश्न 48.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी के महत्त्व पर प्रकाश डालिए
उत्तर-

  • भारत में सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क (Software Technology parks), जो सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों को एकल विंडो सेवा तथा उच्च आँकड़े संचार (High data communication) सुविधा प्रदान करते हैं।
  • इस उद्योग का प्रमुख महत्त्व रोजगार उपलब्ध करवाना भी है। 31 मार्च 2005 तक, सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग में संलग्न व्यक्तियों की संख्या 10 लाख से अधिक थी। अगामी 3 से 4 वर्षों में यह संख्या 8 गुणा होने की संभावना है।
  • यह क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने वाले व्यक्तियों में लगभग 30% स्त्रियाँ हैं।
  • पिछले दो या तीन वर्षों से यह उद्योग विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बन गया है। जिसका कारण तीव्रता से बढ़ता व्यवसाय प्रक्रिया बाह्यस्रोतीकरण (Business Processes Outsourcing – BPO) है।

प्रश्न 49.
प्रदुषण नियंत्रण के लिए में राष्ट्रीय ताप-विद्युत ग्रह (NT PC) के प्रयासों की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
राष्ट्रीय ताप विद्युतग्रह (NTPC) द्वारा दिखाया गया मार्ग भारत में राष्ट्रीय ताप विद्युतगृह कारपोरेशन विद्युत प्रदान करने वाली मुख्य निगम है। इसके पास पर्यावरण प्रबंधनतंत्र (EMS) 14001 के लिए आई एस ओ (ISO) प्रमाण पत्र है। यह निगम प्राकृतिक पर्यावरण और संसाधन जैसे जल, खनिज तेल, गैस तथा ईंधन संरक्षण नीति का हिमायती है तथा इन्हें ध्यान में रखकर ही विद्युत संयंत्रों की स्थापना करता है। ऐसा निम्नलिखित उपायों द्वारा संभव है –

(अ) आधुनिकतम तकनीकों पर आधारित उपकरणों का उचित उपयोग करके तथा विद्यमान उपकरणों में सुधार।
(ब) अधिकतम राख का प्रयोग कर अपशिष्ट पदार्थों का न्यून उत्पादन।
(स) पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने हेतु हरित क्षेत्र की सुरक्षा तथा वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करना।
(द) तरल अपशिष्ट प्रबंधन, राख युक्त जलीय पुनर्चक्रण तथा राख-संग्रह (Ash pond) प्रबंधन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को कम करना।

प्रश्न 50.
किस प्रकार औद्योगिक प्रदुषण, पर्यावरण को क्षरित करता है?
उत्तर-
आज के आधुनिक युग में उद्योगों का अपना अतीव महत्त्व है। उद्योग के बिना न तो आधुनिक विश्व की कल्पना की जा सकती है और न ही विकास की। परंतु वह भी सत्य है कि आधुनिक विश्व पर्यावरण के क्षतिग्रस्त होने में उद्योगों का एक बहुत बड़ा हाथ है। (क) वायु प्रदूषण (ख) जलप्रदूषण (ग) भूमि प्रदूषण (घ) ध्वनिप्रदूषण।

वायु प्रदूषण -अधिक अनुपात में अनचाही गैसों की उपस्थिति जैसे सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु प्रदूषण का कारण है। रसायन व कागज़ उद्योग, ईंटों के भमके, तेल शोधनशालाएँ, प्रगलन उद्योग, जीवाश्म ईंधन दहन तथा छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के नियमों का उल्लंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते हैं। विषैली गैसों का रिसाव बहुत भयंकर तथा दूरगामी प्रभावों वाला हो सकता है। वायु प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य, पशुओं, पौधों, इमारतों तथा पूरे पर्यावरण पर दुष्प्रभाव डालते हैं।

जल प्रदूषण -उद्योगों द्वारा कार्बनिक तथा अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों के नदी में छोड़ने से जल प्रदूषण फैलता हैं।
जल प्रदूषण के प्रमुख कारक – कागज, लुग्दी, रसायन, वस्त्र, तथा रंगाई उद्योग, तेल शोधन शालाएँ, चमड़ा उद्योग तथा इलैक्ट्रोप्लेट्रिग उद्योग हैं जो रंग, अपमार्जक, अम्ल, लवण तथा भारी व स्थूल धातुएँ जैसे सीसा, पारा, कीटनाशक, उर्वरक, कार्बन, प्लास्टिक और रबर सहित छत्रिम रसायन आदि जल में प्रवाहित करते हैं।

तापीय प्रदूषण-जब कारखानों तथा तापघरों से गर्म जल को बिना ठंडा किए ही नदियों तथा तालाबों में छोड़ दिया जाता है, तो जल में तापीय प्रदूषण होता है।

परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर, जन्मजात विकार तथा अकाल प्रसव जैसे रोग पैदा होते हैं। मिट्टी व जल प्रदूषण नुकसानदायक संबंधित हैं। मलबे का ढेर विशेषकर काँच, हानिकारक रसायन, औद्योगिक बहाव, पैकिंग, लवण तथा कूड़ा-कर्कट मिट्टी को अनुपजा। बनाता है। वर्षा जल के साथ ये प्रदूषक जमीन से रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँच कर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।

ध्वनि प्रदूषण -ध्वनि प्रदूषण से खिन्नता तथा उत्तेजना ही नहीं अपितु श्रवण असक्षमता, दय गति, रक्त चाप तथा अन्य कायिक व्यथाएँ भी बढ़ती हैं। अनचाही ध्वनि, उत्तेजना व मानसिक चिंता का स्रोत है। औद्योगिक तथा निर्माण कार्य, कारखानों के उपकरण, जेनरेटर, लकड़ी चीरने के कारखाने, गैस यांत्रिकी तथा विद्युत डिल भी अधिक ध्वनि उत्पन्न करते है।

प्रश्न 51.
किसी देश के निर्माण में उद्योगों की क्या भूमिका है?
अथवा
आधुनिक युग में उद्योगों के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
उद्योग किसी देश की अर्थव्यवस्था और उस देश के लोगों के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। वस्तुतः उद्योगों के बिना आधुनिक विश्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। आधुनिक युग में किसी देश के निर्माण में उद्योगों के महत्त्व को निम्न बिंदुओं के माध्यम से स्पष्ट कर सकते हैं।

  • औद्योगीकरण देश की अर्थव्यवस्था का विकास होता है।
  • उद्योगों से लोगों को दैनिक जीवन में काम आनेवाली वस्तुएँ सुगमता से मिल जाती हैं।
  • उद्योगों के कारण लोगों का जीवन सुख व सुविधा से परिपूर्ण हो सका है।
  • किसी भी देश के लोगों के जीवन स्तर की दशा उस देश के औद्योगिकरण की सीमा पर ही निर्भर है।
  • उद्योगों के कारण विदेशी मुद्रा अर्जन संभव हो पाता है।
  • उद्योगों के कारण रोजगार के अवसरों का सृजन होता – है। जिससे बेरोजगारी व गरीबी की समस्या का समाधान होता
  • इस प्रकार आधुनिक समय में उद्योगा किस भी देश की अर्थव्यवस्था में धूरी का काम करते हैं।

प्रश्न 52.
उत्पादों के आधार पर उद्योगों को कैसे वर्गीकृत किया जा सकता है?
अथवा
प्राथमिक उद्योग तथा गौण व तृतीयक उद्योग में अंतर बताइए।
उत्तर-
उत्पादों के आधार पर उद्योगों को प्रमुखतः निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है

  • प्राथमिक उद्योग-इसका तात्पर्य उन उद्योगों से हैं जो प्रकृति द्वारा प्रदान की गई वस्तुओं को प्रयोग के लिए एकत्र करने से संबंधित विभिन्न कार्यों को सम्पिदित करते हैं। उदाहरण के लिए-कृषि, मत्स्यन, खनन आदि।
  • गौण उद्योग-इन्हें द्वितीयक उद्योग भी कहते हैं। ये वे उद्योग हैं जिनमें कच्चे माल अथवा प्राथमिक उत्पादों को मानव के लिए उपयोगी वस्तुओं में बदला जाता है। उदाहरण के लिए–चीनी उद्योग, काजग उद्योग, वस्त्र उद्योग आदि।
  • तृतीयक उद्योग-इनका आशय उन उद्योगों से है जिनकी विविध क्रियाएँ उद्योगों को सरलता पूर्वक चलाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। ये उद्योग सेवा क्षेत्र को भी अपने में सम्मिलित करते हैं। जैसे-यातायात, संचार, बैंक, शिक्षा,बीमा आदि।

प्रश्न 53.
कृषि आधारित उद्योगों से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में कृषि उत्पादों पर आधारित किन्हीं चार प्रमुख उद्योगों के नाम लिखिए।
अथवा
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि पर आधारित उद्योगों का क्या महत्त्व है?
अथवा
स्पष्ट कीजिए कि भारतीय उद्योग मुख्यतः कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योग हैं? . – उत्तर-कृषि आधारित उद्योगों का तात्पर्य उन उद्योगों से है जो मुख्यत: कृषि पर आधारित है। जैसे चीनी उद्योग, कपड़ा उद्योग, पटसन उद्योग आदि। भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ अधिकांश लोग कृषि में लगे हुए हैं। भारत में विभिन्न उद्योगों के लिए कृषि से कच्चा माल प्राप्त है। इस प्रकार के सभी उद्योग जिनका कच्चा माल कृषि के माध्यम से प्राप्त होता है कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं। चाहे वनस्पति तेल के उद्योग हों या कागज उद्योग, रबड़ उद्योग हो या डेरी व्यवसाय, सभी कृषि पर आधारित उद्योगों के ही उदाहरण हैं। कृषि आधारित उद्योगों का भारत की अर्थव्यवस्था में विशेष महत्त्व है। इनके महत्त्व को निम्न बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है –

  • इन उद्योगों के माध्यम से दैनिक जीवन में काम आने वाली अनेक वस्तुओं का निर्माण किया जाता है जिससे लोगों की दैनिक आवश्कताओं की पूर्ति संभव हो पाती है।
  • भारत जैसे विकासशील देश के लिए कृषि आधारित उद्योगों का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इससे कच्चा माल देश में ही उपलब्ध हो जाता है। इससे कच्चे माल पर कम व्यय करके तैयार माल पर अधिक-से-अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है। इससे आय में कई गुना बढ़ोतरी हो जाती है।
  • इस प्रकार के उद्योग देश के करोड़ों लोंगों का रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं।
  • इस प्रकार के उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों के तीव्र विकास में सहयोग मिलता हैं
  • कृषि आधारित उद्योगों से निर्मित वस्तुओं के माध्यम से विदेशी मुद्रा का अर्जन संभव है।

प्रश्न 54.
रसायन उद्योग से आपका क्या आशय हैं?
अथवा
रसायन उद्योग का महत्त्व अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
रसायन उद्योग का तात्पर्य उन उद्योगों से है जिनके द्वारा अनेक प्रकार के उत्पाद जैसे-औषधियाँ, रंगाई का सामान, कीटनाशक, दवाएँ, प्लास्टिक, पेंट आदि का उत्पादन किया जाता है।

महत्त्व-आज रसायन उद्योग भारत का एक अति प्रमुख उद्योग है। वस्तुतः लोहा और इस्पात, इंजीनियरिंग तथा वस्त्र उद्योग के पश्चात् आज हमारे दशे में रसायन उद्योग चौथे स्थान पर है। भारत में अनेक प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उत्पादन किया जाता है। जैसे-दवाइयाँ, कीटनाशक, रंग, प्लास्टिक आदि। कीटनाशक दवाओं का कृषि के क्षेत्र में अपना विशेष महत्त्व है। आज देश मूलभूत और व्यापक औषधियों के निर्माण में बिल्कुल आत्मनिर्भर बन गया है। आज विभिन्न प्रकार की औषधियों के निर्यात के माध्यम से भारत प्रतिवर्ष कई करोड़ विदेशी मुद्रा का अर्जन कर रहा है।

प्रश्न 55.
सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्रों के नाम बताइए
उत्तर-
सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्रों के नाम निम्नलिखित हैं-

प्रदेश — स्थान
महाराष्ट्र — मुंबई, शोलापुर, पूणे, वर्धा, नागपुर, औरंगाबाद, जलगाँव।
गुजरात — अहमदाबाद, बड़ोदरा, सूरत, पोदबंदर।
पश्चिम बंगाल — हावड़ा, मुर्शिदाबाद, हुगली, श्रीरामपुर।
उत्तर प्रदेश — कानपुर, मुरादाबाद, आगरा, मोदीनगर।
मध्यप्रदेश — ग्वालियर, उज्जैन, इंदौर, देवास।
तमिलनाडु . — कोयम्बटूर, चैन्नई, मदुरै।

प्रश्न 56.
उद्योगों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
प्रयुक्त कच्चे माल, प्रमुख भूमिका, पूँजी निवेश, स्वामित्व, तथा कच्चे और तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर-
उद्योगों का वर्गीकरण निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है –

1. प्रयुक्त कच्चे माल के स्रोत के आधार पर –
I. कृषि आधारित – सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, पटसन, रेशम वस्त्र, रबर, चीनी, चाय, कॉफी तथा वनस्पति तेल उद्योग।
II. खनिज आधारित-लोहा तथा इस्पात, सीमेंट, एल्यूमिनियम, मशीन, औज़ार तथा पेट्रोरासायन उद्योग।

2. प्रमुख भूमिका के आधार पर –
I. आधारभूत उद्योग – जिनके उत्पादन या कच्चे माल पर अन्य उद्योग निर्भर हैं जैसे-लोहा इस्पात, ताँबा प्रगलन व एल्यूमिनियम प्रगलन उद्योग।
II. उपभोक्ता उद्योग-जो उत्पादन उपभोक्ताओं के सीमो उपयोग हेतु करते हैं जैसे-चीनी, दंतमंजन, कागज, पंखे, सिलाई मशीन आदि।

3. पूँजी निवेश के आधार पर-एक लघु उद्योग को परिसंपत्ति की एक इकाई पर अधिकतम निवेश मूल्य के
परिप्रेक्ष्य में परिभाषित किया जाता है। यह निवेश सीमा, समय __ के साथ परिवर्तित होती रहती है। अधिकतम स्वीकार्य निवेश
के आधार पर की जाती है। यह निवेश मूल्य समय के साथ बदला गया है। वर्तमान में अधिकतम निवेश एक करोड़ रूपये तक रखी गई है। यदि किसी उद्योग में यह निवेश एक करोड़ रुपये से अधिक है तो उसे बृहत् उद्योग कहा जाएगा।

4. स्वामित्व के आधार पर –

I. सार्वजनिक क्षेत्र ऐसे उद्योग जो, सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रबंधित तथा सरकार द्वारा संचालित होते हैं – जैसे भारत हैवी इलैक्ट्रिकल लिमिटेड (BHEL) तथा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) आदि।
II. निजी क्षेत्र के उद्योग-जिनका एक व्यक्ति के स्वामित्व में और उसके द्वारा संचालित अथवा लोगों के स्वामित्व में या उनके द्वारा संचालित है। टिस्को, बजाज ऑटो लिमिटेड, डाबर उद्योग आदि।
III. संयुक्त उद्योग-वैसे उद्योग जो राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से चलाये जाते हैं। जैसे – ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL)
IV. सहकारी उद्योग-जिनका स्वामित्व कच्चे माल की पूर्ति करने वाले उत्पादकों, श्रमिकों या दोनों के हाथों में होता है। संसाधनों का कोष संयुक्त होता है तथा लाभ-हानि का विभाजन भी अनुपातिक होता है जैसे-महाराष्ट्र के चीनी उद्योग, केरल के नारियल पर आधारित उद्योग आदि।

5. कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर – I. भारी उद्योग जैसे लोहा तथा इस्पात आदि।
हल्के उद्योग जो कम भार वाले कच्चे माल का प्रयोग कर हल्के तैयार माल का उत्पादन करते हैं जैसे-विद्युतीय उद्योग।

प्रश्न 57.
लोहा और इस्पात उद्योग केवल प्रायद्वीपीय भारत में ही क्यों स्थित हैं?
उत्तर-
भारत में लोहा और इस्पात उद्योग मूलत5 1830 में पोर्टोनोवा में शुरू हुआ था लेकिन यह कुछ समय बाद बंद हो गया। इसके बाद कुल्टी में 1864 में लोहा एवं इस्पात संयंत्र की स्थापना की गई।
लेकिन आधुनिक लोहा एवं इस्पात उद्योग की वास्तविक और बड़े पैमान पर शुरुआत 1907 में जमशेपुर में टाटा स्टील एंड आयरन फैक्ट्री की स्थापना के साथ हुई।

लोहा और इस्पात उद्योग एक भारी उद्योग है। इस उद्योग के मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय भाग में ही केन्द्रित होने के निम्नलिखित कारण हैं-

  • इस उद्योग में भारी तथा अधिक स्थान घेरने वाले कच्चे माल का उपयोग होता है।
  • इस उद्योग में कच्चे माल के रूप में लौह, अयस्क, कोकिंग कोयला, चूना पत्थर और मैंगनीज आदि का प्रयोग होता है।
  • प्रायद्वीपीय भागों में इन सभी कच्चे मालों की उपलब्ध ता प्रचुर मात्रा में सुलभ है।
  • इस उद्योग का उत्पादित माल भी भारी होता है। इसके लिए उत्तम परिवहन व्यवस्था वांक्षनीय है।

प्रश्न 58.
भारतीय वस्त्र उद्योग के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के विकास से संबंधित तथ्यों पर प्रकाश डालें।
अथवा
मिश्रित कपड़ा मिल और कताई मिल में क्या अंतर
अथवा
भारतीय सूती वस्त्र उद्योग में हथकरघा, शक्ति चालित करघा, मिश्रित वस्त्र मिलों तथा कताई मिलों की भूमिका समझाइए।
अथवा
भारतीय सूती वस्त्र उद्योग के मुंबई में स्थानीयकरण के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
प्राचीनकाल से ही भारतीय वस्त्र उद्योग से परिचित हैं। सूती कपड़ा उद्योग भारत का सबसे पुराना वस्त्र उद्योग है। प्राचीन काल से ही भारत में हाथ खड्डी और चरखा के माध्यमे से सूत काता जाता है। आधुनिक भारत में वस्त्र उद्योग की स्थापना कोलकता में 1818 ई. में कारखाने की स्थापना के साथ हुई। परंतु इसका वास्तविक प्रारंभ मुंबई में कपास उद्योग के शुरु होने के साथ हुआ। कपडों मिलें मुखयतः दो प्रकार की होती हैं-

  1. मिश्रित कपड़ा मिल।
  2.  कताई मिल।

मिश्रित कपड़ा मिलों में कातने और बुनने का काम किया जाता है। जबकि कताई मिलों में केवल कातने का काम किया जाता है।
हाथ से काता गया धागा खादी उद्योग के काम आता है जबकि मशीनों से काता हुआ धागा प्रायः मिश्रित वस्त्र मिलों में काम आता है। अपने देश में 1986 तक लगभग 1014 कपड़ा मिलें थी। इनमें से 282 मिश्रित कपड़ा मिलें थी जबकि 732 कताई मिलें थीं। 1997 ई. तक कताई मीलों की संख्या बढ़कर1719 तक पहुँच गई।

सूती वस्त्र उद्योग सबसे प्रमुख रूप से भारत के दो राज्यों में केन्द्रित हैं (1) महाराष्ट्र (2) गुजरात। महाराष्ट्र में जहाँ सबसे प्रमुख केन्द्र मुम्बई है वहीं गुजरात में सबसे प्रमुख केन्द्र है अहमदाबाद।

सूतीवस्त्र उद्योग के मुख्य रूप से इन्हीं स्थानों पर केन्द्रित होने के प्रमुख कारण निम्नवत हैं-

  1. ये क्षेत्र कपास उत्पादक क्षेत्रों के समीप स्थित हैं।
  2. यहाँ की जलवायु आर्द्र है।
  3. यहाँ सस्ते दर पर कुशल मजदूर उपलब्ध है।
  4. यहाँ परिवहन की अच्छी सुविधा उपलब्ध हैं
  5. ये क्षेत्र रेल व सड़क मार्गों से पूरे देश से जुड़े हुए हैं।
  6. इन क्षेत्रों में जनसंख्या का अच्छा भाग निवास करता है इससे स्थानीय मण्डी उपलब्ध हो जाती हैं
  7. इन क्षेत्रों से सूती वस्त्र आयात करने वाले देशों जैसे-अफ्रीका, यूरोप और सऊदी अरब आदि में पहुँचाना अधि क सुगम है।

इनके अलावा कानपुर, नागपुर, शोलापुर, दिल्ली, कोलकाता, कोयम्बटूर आदि स्थानों पर भी उस उद्योग के केंद्र है।।
भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराने वाला दूसरा वस्त्र उद्योग पटसन वस्त्र उद्योग है। हमारे देश में पटसन मिल की स्थापना सबसे पहले कोलकाता के पास 1859 में की गई थी। वर्तमान समय में भारत में लगभग 66 पटसन के कारखाने हैं जिनमें लगभग 1.39 मिलियन टन पटसन का सामान तैयार किया जाता है। हालांकि पटसन उद्योग प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल में केन्द्रित हैं फिर भी इसके कुछ कारखाने बिहार, तमिलनाडु और उत्तर प्रेदश में भी स्थित है।

भारत में ऊनी वस्त्र उद्योग मुख्यतः अमृतसर, धारीवाल, कानपुर, मुम्बई, श्रीनगर, बंगलौर, लुधियाना, और जामनगर में स्थित हैं।
भारत में रेशमी वस्त्रों की भी संसार भर में धाक है। रेशमी वस्त्र उद्योग मुख्यतः मैसूर, कांचीपुरम, वाराणासी, श्रीनगर, तथा अमृतसर में स्थित हैं।

प्रश्न 59.
उन स्थानों के नाम बतायें जहाँ निम्नलिखित उद्योग प्रमुखतः केन्द्रित हैं
(1) सूती वस्त्र उद्योग (2) रेलवे इंजन (3) भारी इंजीनियरी और मशीनरी (4) मालगाड़ी के डिब्बे (5) पोत निर्माण (6) सवारी गाड़ी के डिब्बे (7) परिवहन उपकरण (8) वायुयान निर्माण (9) उर्वरक उद्योग ( 10 ) सीमेंट उद्योग (11) पेट्रो-रसायन उद्योग ( 12 ) तेल परिष्करण (13) औषधि निर्माण (14) इलेक्ट्रोनिक वस्तुएँ (15) जूट वस्व।
उत्तर-
उद्योग — प्रमुख केन्द्र
(1) सूती वस्त्र उद्योग — मुम्बई, अहमदाबाद, शोलापुर, पूणे, वर्धा, नागपुर, औरंगाबाद, कानपुर, राजकोट, मुर्शिदाबाद, हुगली, कोयम्बटूर।
(2) रेलवे इंजन — चितरंजन, वाराणासी, जमशेदपुर।
(3) भारी इंजीनियरी और मशीनरी — रांची, बंगलौर, पिंजौर, हैदराबाद, कालामसेरी।
(4) मालगाड़ी के डिब्बे — चेन्नई के निकट, विभिन्न रेल कारखानों में।
(5) पोत निर्माण — विशाखापट्टनम्, कोलकाता, मुम्बई, कोच्चि, मुरमूगाव।
(6) सवारी गाड़ी के डिब्बे — पैराम्बूर, बंगलौर, कपूरथला, कोलकता।
(7) परिवहन उपकरण — मुम्बई, लखनऊ, पूणे, दिल्ली, गुडगांव, चेन्नई, कोलकाता, जमशेदपुर, हैदराबाद, बंगलौर।
(8) वायुयान निर्माण — बंगलौर, कानपुर, नासिक, कारेपुट, हैदराबाद, लखनऊ।
(9) उर्वरक उद्योग — तमिलनाडु, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, – उड़ीसा, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, पं. बंगाल, मध्यप्रदेश गोवा असम। (10) सीमेंट उद्योग — कर्नाटक, मध्यप्रदेश, असम, हिमाचल, प्रदेश, आंध्रप्रदेश।
(11) पेट्रो-रसायन उद्योग — बड़ोदरा, मुंबई, व निकटवर्ती क्षेत्र।
(12) तेल परिष्करण — डिगबोई, विशाखपटनम, ट्राम्बे, नूनमती, बरौनी, कोयली, चेन्नई, कोचीन, मथूरा, करनाल।
(13) औषधि निर्माण — ऋषिकेश, हैदारबाद, चेन्नई, दिल्ली।
(14) इलेक्ट्रोनिक वस्तुएँ — भोपाल, झाँसी, बंगलौर, हैदराबाद, पूणे, मुम्बई, कोलकाता, चेन्नई, कानपुर, लखनऊ, दिल्ली।
(15) जूट वस्त्र। — पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, उड़ीसा, त्रिपुरा।

प्रश्न 60.
ज्ञान आधारित उद्योग से आपका क्या आशय है? भारत में इसका उद्योग की स्थिति कैसी है?
उत्तर-
ज्ञान आधारित उद्योग का आशय सूचना औद्योगिकी से है। इसके विकास ने देश की अर्थव्यवस्था तथा लोगों की जीवन शैली को बहुत ही प्रभावित किया है। इसके कारण देश और देशवासियों के लिए उन्नति के उसके द्वार खुल गये। भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ने वाले क्षेत्र के रूप में उभरा है। पिछले दशक में इसकी मिश्रित वार्षिक वृद्धि दर 50% से अधिक थी। सन् 1989-90 में इस उद्योग का कुल व्यापार 3.45 अरब रुपयों का था। सन् 2000- 01 में यह बढ़कर 377.50 अरब रुपयों का हो गया। अत: यह सॉफ्टवेयर उद्योग इलैक्ट्रोनिक्स हार्डवेयर उत्पादन से आगे निकल गया।

सूचना प्रौद्योगिकी, सॉफ्टवेयर और सेवा उद्योग की भारत के सकल घरेलु उत्पाद में कुल 2% भागीदारी है।
सन् 2000-01 में भारत के कुल निर्यात में इस उद्योग का 12% का योगदान था। भारत के सॉफ्टवेयर व्यावसायिकों ने विश्व बाजार में अपने माल की गुणवत्ता की धाक जमा दी। भारत के सॉफ्टवेयर उद्योग ने उत्कृष्ट कोटि के उत्पादन तैयार करने में उल्लेखनीय विशिष्टता प्राप्त कर ली है। भारत की अनेक सॉफ्टवेयर कंपनियों अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्राप्त करने में प्राप्त करने में सफल रही है।

सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाली अधिकतर बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपने सॉफ्टवेयर विकास केन्द्र या अनुसंधान विकास केन्द्र खोल रखे हैं।

प्रश्न 61.
औद्योगिक इकाइयों के आधार पर भारत को किन-किन प्रदेशों में बाँटा गया है?
उत्तर-
औद्योगिक इकाइयों तथा उद्योग समूहों के आधार पर भारत को निम्नलिखित प्रदेशों में बांटा गया है- ..

1. मुबई-पूणे औद्योगिक प्रदेश-इसमें थाणे से पुणे और नासिक से शोलापुर तक का क्षेत्र विस्तृत हैं इस प्रदेश का विकास मुबंई से सूती वस्त्र उद्योग की उपस्थिति के साथ हीस प्रारंभ हुआ। 1869 में स्वेज नहर के खुलने के बाद मुंबई पत्तन को बहुत प्रोत्साहन मिला। उद्योगों की आवश्यकता का पूरा करने के लिए पश्चिमी घाट में जल-विद्युत का भी विकास किया गया।
यहाँ सूती वस्त्र के साथ ही रसायन उद्योग भी विकसित हुआ।

2. हुगली औद्योगिक प्रदेश-यह हुगली नदी के दोनों किनारों पर उत्तर में बंसवेरिया से दक्षिण में बिड़ला नगर तक ___ 100 किमी. की दूरी में विस्तृत है। कोलकता (हावड़) इस प्रदेश का हृदय स्थल है। इस प्रदेश का विकास 17वीं शताब्दी में हुगली पर नदीय पत्तन के विकास के साथ हुआ। 1855 में रिशरा में जूट की पहली मिल के स्थापित होने के साथ ही इस प्रदेश में आधुनिक औद्योगिक समूहन के युग का आरंभ हुआ।

3. बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश-इस प्रदेश का विकास स्वतंत्रता के बाद हुआ। सन् 1960 तक उद्योग मात्र बंगलौर, सेलम और महुरै जिलों तक ही सीमित थे लेकिन अब इनका विस्तार तमिलनाडु तक हो चुका है। . इस प्रदेश के विकास का आरंभ 1932 में निर्मित पाइकरा जल-विद्युत संयंत्र के साथ हुआ। इस प्रदेश में सबसे पहले सूती वस्त्र उद्योग ने अपने पैर जमाये।

4. गुजरात औद्योगिक प्रदेश-इस प्रदेश का केन्द्र अहमदाबाद और बड़ोदरा के मध्य है। इस प्रदेश का विस्तार बलसाड़ और सूरत से लेकर जामा नगर तक है। इसका विकास भी सन् 1860 में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के साथ हुआ।

5. छोटानागपुर प्रदेश-यह प्रदेश झारखंड, उत्तरी उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल तक विस्तृत है। यह अपने धातुकर्मी उद्योगों के लिए विख्यात हैं इस प्रदेश के विकास का आधार दामोदर घाटी में कोयले तथा झारखंड और उत्तरी उड़ीसा में ध त्विक और अधात्विक खनिजों की खोज है।

6. विशाखापट्टनम-गुंटूर प्रदेश-यह विशाखापट्टनम जिले से कुर्नूल और प्रकाशम जिलों तक विस्तृत है। गोदावरी श्रेणी के कोयला क्षेत्र इस प्रदेश को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करते हैं

7. गुड़गांव-दिल्ली-मेरठ प्रदेश-यह प्रदेश खनिज और शक्ति के स्त्रोतों से दूर है अतः यहाँ हल्के और बाजारोन्मुख उहोग स्थापित किये गये हैं। इस प्रदेश के मुख्य उद्योग हैं-(1) इलेक्ट्रोनिक्स (2) इंजीनियरी के हल्के सामान, (3) बिजली का सामान।
इनके अलावा-सूती, ऊनी, कृत्रिम वस्त्रा, हौजरी, चीनी, सीमेंट, मशीनी उपकरण, ट्रैक्टर, साइकिल, कृषीय उपकरण, रसायन, वनस्पति और सॉफ्टवेयर उद्योग का प्रमुख स्थान है।

8. कोल्लम-तिरुवनन्तपुरम प्रदेश-इस औद्योगिक प्रदेश के आधार प्रदान किया है-रोपण कृषि और जल-विद्युत परियोजनाओं ने। इस प्रदेश के मुख्य औद्योगिक केन्द्र हैं-1. कोल्लम, 2. तिरुवनन्तपुरम 3. अलावए 4. कोच्चि 5. अलप्पुजा।

विनिर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(1) निम्न से कौन-सा उद्योग चूना पत्थर को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त करता है?
(क) एल्यूमिनियम
(ख) चीनी
(ग) सीमेंट
(घ) पटसन
उत्तर-
(ग) सीमेंट

(ii) निम्न से कौन-सी एजेंसी सार्वजनिक क्षेत्र में स्टील को बाज़ार में उपलब्ध कराती है?
(क) हेल (HAIL)
(ख) सेल (SAIL)
(ग) टाटा स्टील
(घ) एम एन सी सी (MNCC)
उत्तर-
सेल (SAIL)

(iii) निम्न से कौन-सा उद्योग बॉक्साइट को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करता है?
(क) एल्यूमिनियम
(ख) सीमेंट
(ग) पटसन
(घ) स्टील
उत्तर-
(क) एल्यूमिनियम

(iv) निम्न से कौन-सा उद्योग दूरभाष, कंप्यूटर आदि संयंत्र निर्मित करते है?
(क) स्टील
(ख) एल्यूमिनियम
(ग) इलैक्ट्रानिक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर-
(ग) इलैक्ट्रानिक

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।

(i) विनिर्माण क्या है?
उत्तर-
विनिर्माण-कच्चे पदार्थ को मूल्यवान उत्पादन में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण अथवा वस्तु निर्माण कहलाता है। उदाहरणार्थ-कागज लकड़ी से, चीनी गन्ने से. लोहा-इस्पात लौह-अयस्क से तथा एल्यूमिनियम बॉक्साइड निर्मित होता है।

(ii) उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक बताएँ।
उत्तर-
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन भौतिक कारक निम्नलिखित है
(क) कच्चे की उपलब्धता
(ख) शक्ति के साधन
(ग) जल तथा जलवायिक दशाएँ विनिर्माण उद्योग की स्थापना हेतु वही स्थान उपयुक्त है जहाँ ये कारक उपलब्ध हो।

(iii) औद्योगिक अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक बताएँ।
उत्तर-
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले तीन मानवीय कारक निम्नलिखित हैं-
(क) काम करने वाले मजदूर
(ख) बाज़ार की उपलब्धता
(ग) धन की आवश्यकता

औद्योगिक प्रक्रिया के प्रारम्भ होने के साथ-साथ नगरीकरण प्रारम्भ होता है। कभी-कभी उद्योग शहरों के समीप या शहरों में लगाये जाते हैं। इस प्रकार औद्योगीकरण तथा नवीकरण साथ-साथ चलते हैं। नगर उद्योगों का बाजार तथा सेवाए उपलब्ध कराते हैं।

(iv) आधारभूत उद्योग क्या है? उदाहरण देकर बताएँ।
उत्तर-
आधारभूत उद्योग-ऐसे उद्योग जो खनिज व ध तुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, आधारभूत उद्योग कहलाते हैं, उदाहरणार्थ-लोहा तथा इस्पात उद्योग, सीमेंट उद्योग आदि आधारभूत उद्योग है।

3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।

(i) समंवित इस्पात उद्योग मिनी इस्पात उद्योगों से कैसे भिन्न है? इस उद्योग की क्या समस्याएँ हैं? किन सुधारों के अंतर्गत इसकी उत्पादन क्षमता बढ़ी है?
उत्तर-
समन्वित इस्पात अर्थात् संकलित इस्पात उद्योग एक बड़ा संयत्र होता है। जिसमें कच्चे माल को एक स्थान पर इकट्ठा करने से लेकर इस्पात बनाने उसे ढालने और उसे आकार देने तक का प्रत्येक कार्य किया जाता है। जबकि मिनी इस्पात उद्योग छोटे संयत्र है जिनमें विद्युत भट्टी, रद्दी इस्पात व स्पंज आयरन का प्रयोग होता है। इनमें रि-रोलर्स होते हैं जिनमें इस्पात सिल्लियों का प्रयोग के मृदु व मिश्रित इस्पात का उत्पादन करते हैं।

इस्पात उद्योग की संरचना-इस उद्योग में उच्च लागत तथा कोकिंग कोयले की सीमित उपलब्धता, कम श्रमिक ___ उत्पादकता ऊर्जा की अनियमित पूर्ति तथा अविकसित अवसंरचना जैसी अनेक समस्याएँ हैं। .
किये गये सुधार-निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रत्येक से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस्पात उद्योग को प्रोत्साहित किया। इस उद्योग को अधिक स्पर्धावान बनाने हेतु अनुसंधान और विकास के संसाधनों को निश्चित करने की आवश्यकता है।

(ii) उद्योग पर्यावरण को कैसे प्रदूषित करते हैं?
उत्तर-
उद्योग चार प्रकार से पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये चार प्रकार निम्नलिखित हैं-

(1) वायु प्रदूषण-अधिक अनुपात में अनैच्छिक गैसों की उपस्थिति( जैसे-सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड वायु को प्रदूषित करते हैं। रसायन व कागज उद्योग, ईंटों के भट्टे, तेलशोधनशालएँ, प्रगलन उद्योग, जीवाश्म ईंधन दहन और छोटे-बड़े कारखाने प्रदूषण के निममों का उल्लंघन करते हुए धुआँ निष्कासित करते हैं। जहरीली गैसों के रिसाव जैसे दुष्परिणाम होते हैं( जैसे-भोपाल गैस त्रासदी में हुआ था जिसका दुष्प्रभाव लगभग 20 वर्ष व्यतीत के पश्चात् भी आज महसूस किया जा रहा है।

(2) जल प्रदूषण-उद्योगों द्वारा कार्बनिक तथा अकार्बनिक अपशिष्ट पदार्थों को नदी में छोड़ने से जल प्रदूषित होता है। कागज, लुग्दी, रसायन, वस्त्र तथा रंगाई उद्योग, तेल शोधन शालएँ, चमड़ा उद्योग तथा इलेक्ट्रोप्लेटिंग ऐसे उद्योग हैं, जो रंग. अपमार्जक, अम्ल, लवण, सीसा, पारा आदि जल में बहते हैं और जल प्रदूषण का कारण बनते हैं।

(3) तापीय प्रदूषण-कारखानों द्वारा गर्म पानी नदियों में छोड़ने से जलीय जीवन पर बुरा असर पड़ता है। परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के अपशिष्ट व परमाणु शस्त्र उत्पादक कारखानों से कैंसर और जन्मजात विकार जैसे रोग फैलते हैं। मलबे के ढेर मिट्टी को अनुपजाऊ बनाते हैं। वर्षा जल के साथ प्रदूषक जमीन में रिसते हुए भूमिगत जल तक पहुँचकर उसे भी प्रदूषित कर देते हैं।

(4) ध्वनि प्रदूषण-औद्योगिक तथा निर्माण कार्य और कारखानों के उपकरणों के द्वारा कोलाहल उत्पन्न होने से ध्वनि प्रदूषण होता है जो श्रवण अक्षमता, हृदय गति, रक्त चाप आदि में वृद्धि करता है।

(iii) उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने हेतु उठाये गए विभिन्न उपायों की चर्चा करें?
उत्तर-
उद्योगों द्वारा पर्यावरण निम्नीकरण को कम करने हेतु उठाये गये विभिन्न उपाय
(क) विभिन्न प्रक्रियाओं में जल का न्यूनतम उपयोग तथा जल का दो या अधिक उत्तरोत्तर अवस्थाओं में पुनर्चक्रण द्वारा पुन: उपयोग। . (ख) जल की आवश्यकता पूर्ति हेतु वर्षा जल का संग्रहण नदियों व तालाबों में गर्म जल तथा अपशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित करने से पूर्व उनका शोधन करना।
औद्योगिक अपशिष्ट का शोधन निम्नलिखित चरणों में किया जा सकता है।

  • यान्त्रिक साधनों द्वारा प्राथमिक शोधन। इसके अन्तर्गत अपशिष्ट पदार्थों की छंटाई, उनके छोटे-छोटे टुकड़े करना ढकना तथा तलछट जमाव आदि शामिल है।
  • जैविक प्रक्रियाओं द्वारा द्वितीयक शोधन।
  • जैविक, रासायनिक तथा भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक शोधन। इसमें उपशिष्ट जल को पुनर्चक्रण द्वारा दोबारा प्रयोग योग्य बनाया जाता है।
  • जहाँ भूमिगत जल का स्तर कम हैं, वहाँ उद्योगों द्वारा इसके निष्कासन पर कानूनी प्रतिबन्ध होना चाहिए।
  • वायु में निलंबित प्रदूषण को कम करने हेतु कारखानों में ऊँची चिमनियाँ, उनमें एलेक्ट्रोस्टैटिक अवक्षेपण, स्क्रबर उपकरण तथा गैसीय प्रदूषक पदार्थों को जड़त्वीय रूप से अलग करने हेतु उपकरण होना चाहिए।
  • कारखानों में कोयले की अपेक्षा तेल व गैस के प्रयोग से धुंए के निष्कासन में कमी लायी जा सकती है।

HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग 1

फरीदाबाद में यमुना एक्शन प्लान के
अंतर्गत वाहित मल उपचार संयंत्र

  • मशीनों व उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है तथा जेनेटरों में साइलेंसर (Silencers) लगाया जा सकता है।
  • ऐसी मशीनरी का प्रयोग किया जाए जो ऊर्जा सक्षम हों तथा कम ध्वनि प्रदुषण करे।
  • ध्वनि अवशोषित करने वाले उपकरणों के इस्तेमाल के साथ कानों पर शोर नियंत्रण उपकरण भी पहनने चाहिये।

क्रियाकलाप

उद्योगों के संदर्भ में प्रत्येक के लिए एक शब्द दें (संकेतिक अक्षर संख्या कोष्ठक में दी गई है तथा उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं)

  1. मशीनरी चलाने में प्रयुक्त — (5) POWER
  2. कारखानों में काम करने वाले व्यक्ति — (6) WORKER
  3. उत्पाद को जहाँ बेचा जाता है — (6) MARKET
  4. वह व्यक्ति जो सामान बेचता है — (8) RETAILER
  5. वस्तु उत्पादन — (7) PRODUCT
  6. निर्माण या उत्पादन — (11) MANUFACTURE
  7. भूमि, जल तथा वायु अवनयन — (9) POLLUTION

प्रोजेक्ट कार्य

अपने क्षेत्र के एक कृषि आधारित तथा एक खनिज आधारित उद्योग को चुनें।
(i) ये कच्चे माल के रूप में क्या प्रयोग करते हैं?
(ii) विनिर्माण प्रक्रिया में अन्य निवेश क्या हैं जिनसे परिवहन लागत बढ़ती है।
(iii) क्या ये कारखाने पर्यावरण नियमों का पालन करते हैं?
उत्तर-
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

क्रियाकलाप

निम्न वर्ग पहेली में क्षैतिज अथवा ऊमर्वामार अक्षरों को जोड़ते हुए निम्न प्रश्नों के उत्तर दें।
नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेज़ी के शब्दों में हैं।
HBSE 10th Class Social Science Solutions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग 2

(i) वस्त्र, चीनी, वनस्पति तेल तथा रोपण उद्योग जो कृषि से कच्चा माल प्राप्त करते हैं, उन्हें कहते हैं.
(ii) चीनी उद्योग में प्रयुक्त होने वाला कच्चा पदार्थ।
(iii) इस रेशे को गोल्डन फाइबर (Golden Fibre) भी कहते हैं।
(iv) लौह-अयस्क, कोकिंग कोयला तथा चूना पत्थर इस उद्योग के प्रमुख कच्चे माल हैं।
(v) छत्तीसगढ़ में स्थित सार्वजनिक क्षेत्र का लोहा-इस्पात उद्योग।
(vi) उत्तर प्रदेश में इस स्थान पर डीज़ल रेलवे इंजन बनाए जाते हैं।

 

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