लौटकर आऊँगा फिर
लौटकर आऊँगा फिर
Hindi ( हिंदी )
लघु उतरिये प्रश्न |
प्रश्न 1. कवि अगले जीवन में क्या-क्या बनने की संभावना व्यक्त करता है, और क्यों ?
उत्तर – कवि अपनी मातृभूमि प्रेम में विह्वल होकर चिड़ियाँ, कौवा, हंस, उल्लू, सारस बनकर पुनः बंगाल की धरती पर अवतरित होना चाहते हैं।
प्रश्न 2. कवि किनके बीच अँधेरे में होने की बात करता है ? आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒संध्याकाल जब ब्रह्मांड में अंधेरा का वातावरण उपस्थित होने लगता है उस समय सारस के झुंड अपने घोंसलों की ओर लौटते हैं तो उनकी सुन्दरता मन को मोह लेती है। यह सुन्दरतम दृश्य कवि को भाता है और इस मनोरम छवि को वह अगले जन्म में इन्हीं सारसों के बीच रहने की बात कहता है।
प्रश्न 3. कवि किस तरह के बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात करता है ?
उत्तर ⇒बंगाल के घास के मैदान, कपास के पेंड़, वनों में पक्षियों की चहचहाहट एवं सारस की शोभा अनुपम छवि निर्मित करते हैं। बंगाल की इस अनुपम, सुशोभित एवं रमणीय धरती पर कवि पुनर्जन्म लेने की बात करते हैं।
प्रश्न 4. अगले जन्मों में बंगाल में आने की क्या सिर्फ कवि की इच्छा है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒अगले जन्मों में बंगाल में आने की प्रबल इच्छा तो कवि की है ही। लेकिन, इसकी अपेक्षा जो बंगालप्रेमी हैं, जिन्हें बंगाल की धरती के प्रति आस्था और . विश्वास है, कवि उन लोगों का भी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
प्रश्न 5. कविता की चित्रात्मकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर ⇒प्रस्तुत कविता की भाषाशैली भी चित्रमयी हो गयी है, प्राकृतिक वर्णन में कहीं-कहीं अनायास ही चित्रात्मकता का प्रभाव भी है। खेतों में हरे-भरे लहलहाते धान, कटहल की छाया, हवा के चलने से झूमती हुई वृक्षों की टहनियाँ. झले के चित्र की रूपरेखा चित्रित है। आकाश में उड़ते हुए उल्लू और संध्याकालीन लौटते हुए सारस के झुंड के चित्र हमारे मन को आकर्षित कर लेते हैं।
प्रश्न 6. ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒यहाँ उद्देश्य के आधार पर शीर्षक रखा गया है । कवि की उत्कट इच्छा मातृभूमि पर पुनर्जन्म की है। इससे कवि के हृदय में मातृभूमि के प्रति प्रेम दिखाई पड़ता है। शीर्षक कविता के चतुर्दिक घूमती है। शीर्षक को केन्द्र में रखकर ही कविता की रचना हुई है । अतः, इन तथ्यों के आधार पर शीर्षक पूर्ण सार्थक है।
प्रश्न 7. कविता में आए बिंबों का सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒ कवि ने प्राकृतिक सौंदर्य के वातावरण में बिम्बों की स्थापना सौंदर्यपूर्ण चित्रमयी शैली में किया है। बंगाल की नवयुवतियों के रूप में अपने पैरों में घुघरू बाँधने का बिम्ब उपस्थित किया है। हवा का झोंका तथा वृक्षों की डाली को झूला के रूप में प्रदर्शित किया है। आकाश में हंसों का झुण्ड अनुपम सौंदर्य लक्षित करता है।
दीर्घ उतरिये प्रश्न |
प्रश्न 1. ‘जीवनानंद दास द्वारा रचित ‘लौटकर आऊँगा फिर’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर ⇒ ‘लौटकर आऊँगा फिर’ शीर्षक कविता राष्ट्रीय चेतना की कविता है जिसमें कवि का अपनी मातृभूमि तथा अपने देश की प्रकृति के प्रति उत्कट-प्रेम अभिव्यक्त हुआ है। कवि अपने नश्वर जीवन के बाद पुनः अपनी मातृभूमि बंगाल में आने की लालसा रखता है। वह मरने के बाद भी किसी रूप में अपनी मातृभूमि से जुड़ना चाहता है।
कवि कहता है कि मैं बहती नदी के किनारे फैले धान के खेतोंवाले क्षेत्र, बंगाल में एक दिन अवश्य लौटकर आऊँगा। हो सकता है तब मैं मनुष्य न होऊँ, अबाबील पक्षी होऊँ या कौवा। उस भोर में मैं बंगाल लौटकर आना चाहता हूँ जो भोर धान की नयी फसल पर कुहरे के पालने पर कटहल की छाया तक उल्लास-भरा पेंगें मारता होगा। हो सकता है कि मैं किसी किशोरी का हंस बनकर लाल पैरों में बाँधे हरी घास की सुगंध से परिपूर्ण वातावरण में दिन-दिन भर पानी में तैरता रहूँ ।
मुझे बंगाल की नदियाँ बुलाएँगी, मैं दौड़ा चला आऊँगा; मुझे बंगाल के हरे-भरे मैदान बुलाएँगे, मैं शीघ्र आ जाऊँगा। नदी की संगीतमय चंचल लहरों से धोए गए सजल किनारों पर आकर मुझे कितनी खुशी होगी !
कवि कहता है कि मैं उसी बंगाल में लौटकर आना चाहता हूँ जहाँ शाम में उल्लू हवा के साथ मौज में उड़ते हैं या कपास के पौधे पर बैठकर मस्ती में बोलते हैं। मैं वहाँ आना चाहता हूँ जहाँ रूपसा के गंदले पानी में फटे पाल की नाव लिए कोई लड़का जाता है; जहाँ रंगीन बादलों के बीच सारस अँधेरे में अपने आश्रम की ओर तेजी से उड़ते जाते हैं। मैं चाहता हूँ कि मैं भी उन सारसों के बीच होऊँ। ऊन. सारसों के बीच मुझे कितना आनंद मिलेगा !
सप्रसंग व्याख्या |
प्रश्न 1. व्याख्या करें-
“खेत हैं जहाँ धान
के, बहती नदी के किनारे फिर आऊँगा लौट कर
एक दिन – बंगाल में;”
उत्तर ⇒ प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के ‘लौटकर आऊँगा फिर’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इस अंश से पता चलता है कि कवि अगले जन्म में भी अपनी मातृभूमि बंगाल में ही जन्म लेना चाहता है।
प्रस्तुत पद्यांश में कवि की मातृभूमि के प्रति प्रेम दिखाई पड़ता है। कवि ने बंगाल के प्राकृतिक सौंदर्य के साथ वहाँ के खेतों में उगने वाली धान की फसलों का मनोहर चित्र खींचा है। कवि कहता है कि जिस बंगाल के खेतों में लहलहाती हुई धान की फसलें हैं वहाँ मैं फिर लौटकर आना चाहता हूँ । जहाँ कल-कल करती हुई नदी की धारा अनायास ही लोगों को आकर्षित कर लेती है वहाँ ही मैं जन्म लेना चाहता हूँ। यहाँ स्पष्ट है कि कवि अपनी भावना को स्वछंद स्वरूप प्रदान करता है।
प्रश्न: 2. व्याख्या करें –
“बनकर शायद हंस मैं किसी किशोरी का;
घुँघरु लाल पैरों में;
तैरता रहूँगा बस दिन-दिन भर पानी में –
गंध जहाँ होगी ही भरी, घास की ।”
उत्तर ⇒ प्रस्तुत अवतरणं बँग्ला साहित्य के प्रख्यात कवि जीवनानंद दास द्वारा रचित “लौटकर आऊँगा फिर” कविता से उद्धृत है। इस अंश में कवि बंगाल की भूमि पर बार-बार जन्म लेने की उत्कट इच्छा को अभिव्यक्त करता है।
यहाँ कवि बंगाल में एक दिन लौटकर आने की बात कहता है। वह अगले जन्म में भी अपनी मातृभूमि बंगाल में ही जन्म लेने का विचार प्रकट करता है। वह हंस, किशोरी और घुघरू की बिम्ब-शैली में अपने-आपको उपस्थित करता है। वह कहता है कि जहाँ की किशोरियाँ पैरों में घुघरू बाँधकर हंस के समान मधुर चाल में अपनी नाच से लोगों को आकर्षित करती हैं, वही स्वरूप में भी धारण करना चाहता हूँ। यहाँ तक कि बंगाल की नदियों में तैरने के एक अलग आनंद की अनुभूति मिलती है । यहाँ की क्यारियों में उगने वाली घास की गंध कितनी मनमोहक होती ह यह तो बंगप्रांतीय ही समझ सकते हैं । इस प्रकार, कवि ने पूर्ण अपनत्व की भावना म प्रवाहित होकर हार्दिक इच्छा को प्रकट किया गया है।