लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
Political Science लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर ⇒ भारतवर्ष में लोकतंत्र का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है, क्योंकि प्रारंभ से ही यहाँ पर एक लोक कल्याणकारी सरकार का गठन किया गया है जो जनता को ‘मौलिक अधिकार प्रदान करती है तथा व्यक्ति की गरिमा को बढ़ाने का प्रयास करती है। भारत सरकार विभिन्न समूहों के मध्य सत्ता का विभाजन करके सामंजस्य स्थापित करती है। यहाँ आर्थिक प्रगति तो होती ही है परंतु सामाजिक दायित्वों का पूर्ण निर्वाह भी किया जाता है।
यह विश्व शांति एवं सौहार्द्र के सिद्धांत पर चलने वाला राष्ट्र है। यही कारण है कि इसकी विश्व स्तर पर उत्तम छवि है।
प्रश्न 2. गुप्त मतदान पत्र क्या है ?
उत्तर ⇒ जब मतदाता गुप्त रूप में मतदान करता है तो वैसे मतदान के पत्र गुप्त मतदान-पत्र कहलाते हैं।
प्रश्न 3. भारतीय लोकतंत्र की किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ भारतीय लोकतंत्र की निम्नलिखित चार समस्याएँ निम्नांकित हैं –
(i) वंशवाद, (ii) पारवाद, (iii) जातिवाद तथा (iv) अज्ञानता।
प्रश्न 4. लोकतंत्र के क्या अवगुण है ?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र के लाभों को देखने के बाद हम कह सकते हैं कि यह शासन का सबसे अच्छा स्वरूप है परन्तु यह ठीक नहीं है।
इस व्यवस्था के कुछ अवगुण भी हैं जो निम्नलिखित हैं –
(i) समानता का सिद्धांत अप्राकृतिक है – लोकतंत्र का मुख्य आधार समानता का सिद्धांत है परंतु आलोचक यह कहते हैं कि समानता का सिद्धांत ही अप्राकृतिक है।
(ii) गुणों की बजाए संख्या को महत्त्व देना – लोकतंत्र में गणों की बजाए संख्या को अधिक महत्व दिया जाता है।
(iii) यह जवाबदेह सरकार का गठन नहीं करता – लोकतंत्र में सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होती है लेकिन ऐसा असल में होता नहीं है। चुनाव के बाद नेता जनता की परवाह नहीं करते।
(iv) अस्थिर तथा कमजोर सरकार – लोकतंत्र में सरकार अस्थिर तथा कमजोर होती है। बहुदलीय व्यवस्था में सरकार तेजी से बदलती रहती है।
प्रश्न 5. लोकतंत्र की सफलता के लिए कौन-कौन सी आवश्यक शर्ते हैं ?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र की सफलता के लिए निम्न आवश्यक शर्ते हैं –
(i) जनता की लोकतंत्र में पूरी आस्था हो।
(ii) सुशिक्षा, जिससे मनुष्य अपने अधिकार और कर्तव्य का सही ज्ञान प्राप्त कर सके । सुशिक्षित नागरिक ही अपने मताधिकार का सही प्रयोग कर सकते हैं।
(iii) आर्थिक समानता की स्थापना हो। कहा भी जाता है कि आर्थिक समानता के अभाव में राजनीतिक स्वतंत्रता बेकार है।
(iv) स्थानीय स्वशासन की स्थापना हो। इससे नागरिकों को राजनीति एवं शासन के कार्यों में भाग लेने का अधिक अवसर मिलता है।
प्रश्न 6. ‘लोकतंत्र’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र में जनता मतदान करती है, अपने चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा शासनच चलाती है और यह शासन जनहित में काम करते हुए जनता के प्रति उत्तरदायी होता है।
प्रश्न 7. भारतीय लोकतंत्र कितना सफल है?
उत्तर ⇒ आज दुनिया के लगभग 100 देशों में लोकतंत्र किसी-न-किसी रूप में विद्यमान है। लोकतंत्र का लगातार प्रसार एवं उसे मिलनेवाला जनसमर्थन यह साबित करता है कि लोकतंत्र अन्य सभी शासन-व्यवस्थाओं से बेहतर है। इन व्यवस्था में सभी नागरिकों को मिलनेवाला समान अवसर, व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं गरिमा आकर्षण के बिन्दु हैं। साथ ही इसमें आपसी विभेदों एवं टकरावों को कम करने और गुण-दोष के आधार पर सुधार की निरंतर संभावनाएँ लोगों को इसके करीब लाती हैं। इस प्रसंग में सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लोकतंत्र में फैसले किसी व्यक्ति विशेष द्वारा नहीं, बल्कि सामूहिक सहमति के आधार पर लिये जाते हैं ।
लोकतंत्र के प्रति लोगों की उम्मीदों के साथ-साथ शिकायतें भी कम नहीं होती है। लोकतंत्र से लोगों की अपेक्षाएँ इतनी ज्यादा हो जाती है कि इसकी थोडी-सी भी कमी खलने लगती है। कभी-कभी तो हम लोकतंत्र को हर मर्ज की दवा मान लेने का भी खतरा मोल लेते हैं और इसे तमाम सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक विषमता को समाप्त करनेवाली जादुई व्यवस्था मान लेते हैं। इस तरह का अतिवादी दृष्टिकोण लोगों में इसके प्रति अरुचि एवं उपेक्षा का भाव भी पैदा करता है। परन्तु, लोकतंत्र के प्रति यह नजरिया न तो सिद्धांत रूप में और न ही व्यावहारिक धरातल पर स्वीकार्य है । अतः लोकतंत्र की उपलब्धियों को जाँचने-परखने से पहले हमें यह समझ बनानी पड़ेगी कि लोकतंत्र अन्य शासन-व्यवस्थाओं से बेहतर एवं जनोन्नमुखी है। अब नागरिकों का दायित्व है कि वे इन स्थितियों से लाभ उठाकर लक्ष्य की प्राप्ति करें।
प्रश्न 8. तानाशाही सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ एक व्यक्ति अथवा कुछ व्यक्तियों का शासन, जिनके पास देश की संपूर्ण सत्ता होती है । वह सत्ता वह अपने बल से तथा क्रूरतापूर्वक हासिल किया हो ।
प्रश्न 9.वैध सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ वैध सरकार उस सरकार को कहते हैं जो कानूनी रूप से लोगों के द्वारा चुनी जाती है अथवा दूसरे शब्दों में जनता की सरकार को वैध सरकार कहते हैं।
प्रश्न 10. लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता क्या है ?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ लोगों के बीच नियमित संवाद की गुंजाइश बनी रहती है।
प्रश्न 11. लोकतंत्र हर मर्ज की दवा है। कैसे ?
उत्तर ⇒ यह सही है लोकतंत्र कुछ चीजों को प्राप्त करने की स्थितियाँ तो बना सकता है, परन्तु इन स्थितियों से लाभ उठाना नागरिकों का अपना काम होता है।
प्रश्न 12. लोकतांत्रिक सरकार में फैसले लेने में विलंब क्यों होता है ?
उत्तर ⇒ लोकतांत्रिक सरकार में फैसले को विधायिका की लंबी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है।
प्रश्न 13. प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहाँ है, उसके उपकरण कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर ⇒ प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता स्वयं शासन में भाग लेती है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र स्विट्जरलैंड में है।
प्रश्न 14. प्रत्यक्ष प्रजातंत्र एवं अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ प्रत्यक्ष प्रजातंत्र में जनता शासन-कार्य में सीधे भाग लेती है। अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र शासन का वह रूप है जो जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाए।
प्रश्न 15. किसी देश का आर्थिक विकास किस पर निर्भर करता है ?
उत्तर ⇒ किसी देश का आर्थिक विकास उस देश की जनसंख्या, आर्थिक प्राथमिकताएँ, अन्य देशों के सहयोग के साथ-साथ वैश्विक स्थिति पर भी निर्भर करती है।
प्रश्न 16. बया लोकतंत्र, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मताधिकार है?
उत्तर ⇒ आज हम भारीतय लोकतंत्र में “स्वतंत्र एवं निष्पक्ष मताधिकार” के करीब हैं। स्वतंत्रता के बाद और आज की इस संदर्भ में तुलतना करें तो स्थिति अपेक्षाकृत काफी बेहतर है।
प्रश्न 17, गैर-लोकतांत्रिक सरकार किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ जिस सरकार के गठन में जनता की भागीदारी नहीं होती है, उसे गैर-लोकतांत्रिक सरकार कहते हैं। ऐसी सरकार में जनता के सारे राजनीतिक अधिकार समाप्त हो जाते हैं।
प्रश्न 18, लोकतांत्रिक सरकार किसे कहते हैं?
उत्तर ⇒ वह सरकार जो जनता के द्वारा चुनी गई हो, जो जनता के कल्याण के लिए कार्य करती है तथा जो अपनी जनता को समानता प्रदान करती है, उसे ही लोकतांत्रिक सरकार कहते हैं।
प्रश्न 19. लोकतंत्र में अल्पमत और बहुमत के आपसी संबंध कैसे होने चाहिए?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र में बहुमत को अल्पमत पर अपना विचार थोपना नहीं चाहिए, वरन् उससे मिलकर चलना चाहिए ताकि अल्पमत वालों को लगे नहीं कि उनके अधिकारों का हनन हो रहा है।
प्रश्न 20. लोकतांत्रिक राजनीति क्या है ?
उत्तर ⇒ वह राजनीति जिसमें औपचारिक संविधान हो, जिसमें लगातार चुनाव होते रहते हो, जिसमें राजनीतिक दल हों तथा जो जनता के अधिकारों की गारंटी देती है उसे ही लोकतांत्रिक राजनीति कहते हैं।
प्रश्न 21. गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था के फैसले भी क्षोभ और निराशाजनक होती है, क्यों ?
उत्तर ⇒ गैर-लोकतांत्रिक व्यवस्था के फैसले तात्कालिक एवं तुरंत लिए जाने के कारण, व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों से प्रभावित एक सामूहिक जनकल्याण से अभिप्रेरित नहीं रहने के कारण क्षोभपूर्ण एवं निराशाजनक होती है।
प्रश्न 22. लोकतंत्र के प्रति लोगों में अविश्वास पैदा होने लगता है, क्यों ?
उत्तर ⇒ अत्यधिक अपेक्षा रखने के कारण तथा यह समझ रखने के कारण कि सभी सामाजिक, राजनैतिक एवं आर्थिक विषमताओं को समाप्त करने देने वाली व्यवस्था लोकतंत्र है, अविश्वास पैदा होने लगता है।
प्रश्न 23. हमारा लोकतंत्र पश्चिम के देशों से नायाब है, कैसे? ।
उत्तर ⇒ भारतीय लोकतंत्र निरंतर विकास एवं परिवर्द्धन कर रहा है तथा आपातकाल के पूर्व, तत्कालीन एवं पश्चार की स्थितियों को सार्थक रूप से झेलने वाला विश्व का एकमात्र लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के कारण नायाब है।
प्रश्न 24. लोकतांत्रिक सरकार के कोई दो अवगुण लिखिये।
उत्तर ⇒ लोकतांत्रिक सरकार के दो अवगुण –
(i) इस सरकार में फैसला लेने में बड़ा समय लग जाता है।
(ii) भ्रष्टाचार पर काबू पाने में ये सरकारें असफल साबित हुई हैं।
प्रश्न 25. भारतीय लोकतंत्र के दो गुणों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ भारतीय लोकतंत्र के दो गुण इस प्रकार हैं –
(i) भारतीय लोकतंत्र द्वारा कल्याणकारी राज्य की स्थापना की गई है जिसमें सबों की अधिकतम भलाई होती है।
(ii) जनता में राजनीतिक जागृति उत्पन्न होती है।
प्रश्न 26. क्या लोकतंत्र में ‘नोट से वोट’ या ‘लाठी से वोट’ की स्थिति है ?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र में ‘नोट से वोट’ या ‘लाठी से वोट’ की स्थिति रहती थी, किन्तु अब जागरूक रहने से स्थिति में बदलाव हुआ है तभी तो 15वीं लोकसभा निर्वाचन में जनता ने आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को पराजय का मुँह दिखा दिया।
इसके मुख्य उपकरण होते हैं – जनमत संग्रह, आरंभण, प्रत्यावर्तन, लोकनिर्णय इत्यादि।
प्रश्न 27. भारतीय लोकतंत्र की विशेषता बलाएँ।
उत्तर ⇒ भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही उल्लेख कर दिया गया है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है।
इसकी मुख्य विशेषताएँ है — वयस्क मताधिकार, प्रतिनिधि शासन एवं नागरिकों के लिए अधिकारों एवं कर्तव्यों का प्रावधान।
प्रश्न 28. लोकतांत्रिक सरकार के कोई दो गुण लिखिये।
उत्तर ⇒ लोकतांत्रिक सरकार के दो गुण –
(i) यह सरकार लोगों द्वारा चुनी गई होती है, चुनाव में जो जीतता है वही अपनी सरकार बनाता है।
(ii) यह सरकार जनता की होती है और जनता के कल्याण के लिए ही कार्य
Political Science दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ‘लोकतंत्र की विभिन्न प्राथमिकताओं पर एक निबंध लिखें।
उत्तर :- लोकतंत्र जनता द्वारा निर्वाचित शासन का एक रूप सामाजिक जीवन की एक पद्धति एक आर्थिक ढाँचा, जनता के अधिकारों की एक प्रयोगशाला तथा शासन की एक कला है। इसके विभिन्न प्राथमिकताओं का उल्लेख निम्नलिखित रूपों में किया जा सकता है
(i) लोकतंत्र जनता का शासन है। यह शासन का वह रूप है, जिसमें जनता के द्वारा ही शासकों का चयन होता है।
(ii) जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में निर्णय लेने का अधिकार होता है।
(iii) अल्पसंख्यकों के हितों पर ध्यान देना आज के लोकतांत्रिक की पुकार है। अत: लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाही से दूर रहना चाहिए।
(iv) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है।
(v) सत्ता में जितनी अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही अधिक सशक्त होगा। अतः सत्ता में भागीदारी का अवसर सभी को बिना किसी भेदभाव के मिलना चाहिए।
(vi) लोकतंत्र को जातिवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद जैसे दुर्गुणों से मुक्त किया जाना चाहिए। ये तत्त्व राष्ट्रीय एकीकरण के मार्गों में बाधक होते हैं।
(vii) लोकतंत्र में नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए।
2. लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं? भारत में किस तरह का लोकतंत्र
उत्तर :- लोकतंत्र का अर्थ ‘जनता का शासन’ होता है। लोकतंत्र का अंग्रेजी शब्द ‘डेमोक्रेसी, दो यूनानी शब्दों से बना है. ‘डेमोस’ और ‘क्रेशिया’, जिनका अर्थ क्रमशः ‘जनता’ और ‘शासन’ है। स्पष्ट है कि व्युत्पति की दृष्टि से लोकतंत्र का अर्थ ‘जनता का शासन’ हुआ। लोकतंत्र में जनता स्वयं अथवा अपने प्रतिनिधियों द्वारा शासन में भाग लेती है। लोकतंत्र की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। उन परिभाषाओं में अब्राहम लिंकन की परिभाषा अत्यंत लोकप्रिय हुई। लिंकन के अनुसार, “लोकतंत्र जनता का. जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है।” लोकतंत्र के दो प्रकार हैं प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष। भारत में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र है।
3. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता हैं।
उत्तर :- लोकतंत्र में शासकों के चनाव का अधिकार जनता के हाथ में निहित होती है। जनता जिसे चाहती है उसे संसद अथवा विधानमंडलों में चुनकर भेजती है। जनता न केवल अपने शासकों का चयन ही नहीं करती है बल्कि अनेक प्रकार से वह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष ढंग से उनपर नियंत्रण भी रखती है। गैर-लोकतांत्रिक सरकारों को विधायिका का सामना नहीं करना पड़ता है। अतः वे फैसले अपेक्षाकृत शीघ्र भी लेती है, परंतु ऐसे फैसले (निर्णय) से जनता की परेशानियाँ बढ़ भी सकती है। एक लोकतांत्रिक सरकार फैसले लेने में देर अवश्य करती है, परंतु वे फैसले नीतिगत, विधिसम्मत तथा बहुमत पर आधारित होते हैं। लोकतांत्रिक सरकार के उत्तरदायी होने के कारण उससे जनता के समस्याओं के निदान की आशा की जाती है। लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था में शासन की वैधता को संदेह की नजर से नहीं देखा जाता है। लोकतांत्रिक सरकार की बुनियाद संवैधानिक विधियों एवं कानूनों पर आधारित होते हैं। इस व्यवस्था में लोगों को यह भी जानने का अधिकार होता है कि अमुक मामले में कानूनों का कहाँ तक पालन किया गया है, और यदि कानूनों का विधिसम्मत पालन नहीं किया गया है तो नागरिकों को यह भी अधिकार प्राप्त है कि वे सरकार के विरुद्ध में भी न्यायालय में जा सकते हैं तथा उचित न्याय की माँग कर सकते हैं। गैर लोकतांत्रिक सरकारें तो ताकत के बल पर जनता की आवाज को दबाती है। जनता की जायज माँगों की वे परवाह नहीं करती क्योंकि जनता ने उन्हें नहीं चुना है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव होते हैं। स्वतंत्र न्यायपालिका होती है, तथा सार्वजनिक नीतियों पर खुली चर्चा होती है। सरकार के कामकाज को जानने-परखने के लिए जनता के हाथ में सूचना का अधिकार होता है। ____ अतः इसे उपर्युक्त व्यवस्थाओं वाली सरकार अथवा वैध शासन कहा जा सकता है।
4. लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक बनता है ?
उत्तर :- आर्थिक समृद्धि एवं विकास के आधार पर भी लोकतांत्रिक व्यवस्था की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जा सकता है। हालाँकि आर्थिक समृद्धि के मामले में तानाशाही देशों का रिकॉर्ड थोड़ा बेहतर अवश्य रहा है। किसी देश की आर्थिक विकास की दर केवल शासन पर निर्भर नहीं करता है। आर्थिक विकास कई कारकों द्वारा निधारित होते हैं, यथा-देश की जनसंख्या, वैश्विक स्थिति, आर्थिक प्राथमिकताएँ, भौगोलिक परिस्थिति, शिक्षा, आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति इत्यादि। तानाशाही शासन वाले गरीब देश और लोकतांत्रिक शासन वाले गरीब देश में विकास की दर में मामूली अंतर है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की विकास दरें 3.95 हैं वहीं तानाशाही शासन वाले देश की विकास दरें 4.42 हैं। इस आधार पर हम समझ सकते हैं कि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था तानाशाही था। अन्य गैर लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था से पिछड़ा नहीं है। इसलिए अन्य तरह के शासन व्यवस्था में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को ही बेहतर शासन व्यवस्था के रूप में चुनाव किया जाता है।
5. कैसे लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन-प्रणाली कहा गया है? इसे तको और तथ्यों से सिद्ध करें।
उत्तर :- आज हमलोग इक्कीसवीं सदी में प्रवेश कर चुके हैं। इसे लोकतंत्र क विकास का युग माना जा सकता है। बीसवीं सदी तो लोकतंत्र का युग रहा है। इक्कीसवीं सदी में भी यह सर्वोत्तम शासन-प्रणाली माना जाता रहेगा, इसकी पूण आशा है। अन्य शासन-पद्धतियों से लोकतंत्र को सर्वोत्तम माना जाता रहा है। इस बात की पुष्टि निम्नलिखित तौ और तथ्यों से होती है
(i) जनमत का अत्यधिक महत्व – यह सर्वविदित है कि लोकतंत्र जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है। स्वाभाविक है कि जनमत को इसम विशेष स्थान मिलना चाहिए। यह एक तथ्य है कि लोकतंत्र में जनता की सामान्य इच्छा के अनुसार ही शासन चलाया जाता है।
(ii) सचेत नागरिक – लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन-प्रणाली कहे जाने का दूसरा तर्क और तथ्य यह है कि इसके नागरिक सचेत रहते हैं। नागरिकों के बीच राजनीतिक चेतना लोकतंत्र का सबसे बडा लक्षण है। जनता स्वयं सरकार बनाती है। स्वाभाविक है कि लोकतंत्र में जनता को शासन-कार्य और चनाव में भाग लेने के अवसर प्राप्त होते हैं। इससे जनता की दिलचस्पी सार्वजनिक कार्यों में हाथ बँटाने में बढ़ जाती है। अत: राजनीतिक चेतना जनता में अधिक हो जाती है।
(iii) समानता, स्वतंत्रता और विश्ववंधत्व पर आघृत- लोकतंत्र के तीन मुख्य आधार माने जाते हैं – समानता, स्वतंत्रता और विश्वबंधत्व। लोकतंत्र में नागरिकों के बीच रंग, धर्म, वर्ण, जाति, भाषा, प्रांत इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता। कानन के समक्ष सभी नागरिकों को समानता प्रदान की जाती हैं। प्रत्येक नागरिक को अनेक स्वतंत्रताएँ—भाषण की, सभा की, मतदान का दी जाती हैं। लोकतंत्र में विश्वबंधुत्व की भावना भी बढ़ती है।
(iv) नागरिक गुणों का विकास- लोकतंत्र में नागरिकों को व्यक्तित्व के विकास के अधिक अवसर प्रदान किए जाते हैं। इससे लोगों में प्रेम, सहानुभूति, सेवा स्वार्थत्याग, सहनशीलता जैसे नागरिक गुणों का विकास हो पाता है।
(v) लोककल्याण का पोषक- लोकतंत्र में राज्य का स्वरूप लोककल्याणकारी हो जाता है। सभी नागरिकों के कल्याण के लिए उचित कदम उठाए जाते हैं।
6. आप कैसे कह सकते हैं कि लोकतंत्र सबसे बेहतर सरकार है ?
उत्तर :- लोकतंत्र एक बेहतर सरकार प्रदान करता हैं क्योंकि
(i) यह विविधताओं में भी सामंजस्य स्थापित करता है।
(ii) इसमें नागरिकों की गरिमा में वृद्धि होती है।
(iii) यह लोक कल्याणकारी सरकार की स्थापना करता है।
(iv) यह एक उत्तरदायी शासन व्यवस्था कायम करती है।
(v) आर्थिक असमानताओं में कमी एवं आर्थिक विकास के लिए प्रयासरत रहता है।
(vi) यह एक वैध सरकार का निर्माण करता है। यही कारण है कि लोकतंत्र एक बेहतर सरकार प्रदान करता है।
7. लोकतंत्र किन परिस्थितियों में सामाजिक विषमताओं को कम करने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है ?
उत्तर :- समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक विषमताओं, जिसे हमें विविधता के रूप में देख सकते हैं उनके बीच आपसी समझदारी एवं विश्वास को बढ़ाने में लोकतंत्र मददगार होता है। लोकतंत्र नागरिकों को शांतिपूर्ण जीवन जीने में सहायक होता है। लोकतंत्र विभिन्न जातियों एवं धर्मों के विभाजक कारकों के बीच वैमनस्य एवं भ्रांतियों को कम करने में सहायक हुआ है। साथ ही उनके बीच टकरावों को हिंसक एवं विस्फोटक बनने से रोका है। भारत में भी जातीय टकरावों एवं साम्प्रदायिक उन्मादों को व्यापक स्तर पर रोकने में लोकतंत्र सहायक हुआ है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि यदि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं होती तो यह दुनिया रहने लायक नहीं होती।
लोकतंत्र लोगों के बीच एक-दूसरे के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करता है। इस बात को दाबे के साथ कहा जा सकता है कि विभिन्न सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच संवाद एवं सामंजस्य के निर्माण में सिर्फ लोकतंत्र ही सफल रहा है। इसके अतिरिक्त नागरिक शासन व्यवस्था विविधताओं के और लोकतांत्रिक । संभावना बनी लिए उठाए गए लिए उठाए गए चार प्र जारी है। भारत की गरिमा एवं उनकी आजादी की दृष्टि से भी लोकतंत्र अन्य शासन आगे ही नहीं बल्कि सर्वोत्तम है। निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि सामाजिक विषमताओं एवं विलि बीच आपसी समझदारी एवं सामंजस्य के निर्माण में लोकतंत्र अन्य गैर व्यवस्थाओं की तुलना में काफी आगे है जहाँ बातचीत की निरन्तर संभावना बनी रहती है।
8. भारतीय लोकतंत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए चार कदमों का वर्णन करें।।
उत्तर :- भारतीय लोकतंत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए उठाए। कदम इस प्रकार ये हैं
(i) भारत से निरक्षरता दूर करने के लिए सघन कार्यक्रम जारी है। सरकार ने एक शिक्षा नीति बनाई है।
(ii) स्थानीय स्वशासन लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है। स्वशासन से जनता को लोकतंत्र की समस्याओं की जानकारी मिल है। साथ ही, उन्हें सुलझाने का भी अवसर मिल जाता है। पंचायत की स्थापना और भारतीय संविधान में स्थानीय स्वशासन को टोय देने का प्रावधान इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं।
(iii) नागरिकों में राजनीतिक सजगता लाने के लिए भी प्रयास किए गए। संचार के विभिन्न साधनों द्वारा उन्हें राजनीतिक रूप से संचेत किया जा रहा
(iv) बेरोजगारों को रोजगार के नए-नए अवसर दिए जा रहे हैं।
9. लोकतंत्र एकवैध शासन कैसे ?
उत्तर :- लोकतंत्र एक वैध शासन है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में सभी निर्णय कानून और नियमों के अनुसार ही किये जाते हैं। लोकतंत्रत में ही सभी नागरिकों को यह जानने का अधिकार प्राप्त रहता है कि किसी भी निर्णय में कानन एवं नियमों का पालन हुआ है या नहीं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो नागरिकों को उसका विरोध करने का भी अधिकार होता है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में पारदर्शिता रहती है। इसके अंतर्गत नागरिकों को सूचना का अधिकार प्राप्त होता है। यही कारण है कि अन्य शासन प्रणालियों की तुलना में लोकतंत्र अधिक वैध शासन है।
10. राजनीतिक दलों को ‘लोकतंत्र का प्राण’ क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :- लोकतंत्र में सरकार जनता के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा चलाए जाते हैं। ये प्रतिनिधि किसी न किसी राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं। जनता भी किसी न किसी राजनैतिक दल के ऊपर विश्वास करती है और उनकी नीतियों का समर्थन करती है।चुनाव के दौरान यही राजनैतिक दल के सदस्यगण चुनाव लड़ते हैं, चयनित होते हैं और बहुमत प्राप्ति के बाद सरकार का गठन करते हैं। यदि जिन दलों को बहुमत की प्राप्ति नहीं होती वह विपक्ष के रूप में जनता के हित में आवाज उठाते हैं। यदि राजनीतिक दल न हो तब जनतंत्र के अंतर्गत प्रतिनिधि सरकार का निमाण ही संभव नहीं। उनकी समस्याओं को सुनने वाला भी कोई नहीं होगा। अत: हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दल लोकतंत्र का प्राण है।
11.लोकतांत्रिक देशों में फैसले किस प्रकार लिए जाते हैं ? समझावें
उत्तर :- गैर-लोकतांत्रिक देशों में व्यक्ति अथवा कुछ व्यक्तियों के द्वारा बना गए ऐसे समूहों जो सरकार को प्रभावित कर सकती हैं, इन सबों को विशेषाधिका प्राप्त होता है। अतः तानाशाही अथवा गैर-लोकतांत्रिक देशों में तानाशाह स्वयं अप इन्हीं की सलाह पर फैसले लेता है। यहाँ जनमत का ख्याल नहीं रखा जाता। .
12. सामाजिक भेदभाव एवं विविधता की उत्पत्ति कैसे उत्पन्न होती है।
उत्तर :- सामाजिक विभेदों की उत्पत्ति के अनेक कारण होते हैं। प्रत्येक समा में विभिन्न जाति, धर्म, भाषा, सम्प्रदाय एवं क्षेत्र के लोग निवास करते है। विभिन्नताओं के चलते उनमें विभेद की स्थिति पैदा होती है। जन्म सामाजिक वि की उत्पत्ति का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। कुछ ऐसे कारक हैं जो सामा विभेद बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रंग, नस्ल, धन, धर्म, क्षेत्र एव भी कुछ ऐसे कारक हैं जो सामाजिक विभेद एवं विविधा बढ़ाने में सहयोग हैं। इस आधार पर आपस में उलझते हैं। जिससे सामाजिक भेदभाव एवं विा उत्पत्ति होती है। स्त्री-पुरुष, गोरे-काले, लम्बे-नाटे, अमीर-गरीब, शक्तिशाली जोर जैसे विभेद भी सामाजिक एवं विविधता की उत्पत्ति करते हैं।
13. दबाव समूहों के चार प्रमुख लक्षण कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :- दबाव समूहों के चार प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं
(i) दबाव समूह अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए नीति निर्माताओं को . प्रभावित करते हैं।
(ii) दबाव समूहों का संबंध विशिष्ट मसलों से होता है।
(iii) दबाव समूह राजनीतिक संगठन नहीं होते और न ही चुनाव में भाग लेते हैं।
(iv) दबाव समूह का हित जब खतरे में होता है, तो वे सक्रिय बन जाते हैं।
वर्तमान समय में मजदूर संघ, छात्र संघ, व्यापारी संघ, महिलाओं का संगठन आदि बहुत से ऐसे संगठन हैं जो दबाव समूह के रूप में कार्य कर रहे हैं।