राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ Life Lines of National Economy

राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएँ    Life Lines of National Economy

 

♦ वस्तुओं तथा सेवाओं का लाना- ले जाना पृथ्वी के तीन महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर किया जाता है-स्थल, जल तथा वायु। इन्हीं के आधार पर परिवहन को स्थल, जल व वायु परिवहन में वर्गीकृत किया जा सकता है।
♦ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में विकास के साथ ही परिवहन में विस्तृत वृद्धि हुई है। सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज संसार एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो गया है।
♦ परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही सम्भव हो सका है। इसीलिए परिवहन, संचार व व्यापार एक-दूसरे के पूरक हैं।
परिवहन
स्थल परिवहन
♦ भारत विश्व के सर्वाधिक सड़क जाल वाले देशों में से एक है, यह सड़क जाल लगभग 54 लाख किमी है।
♦ भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से पहले प्रारम्भ हुआ। निर्माण तथा व्यवस्था में सड़क परिवहन, रेल परिवहन की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक है।
♦ रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्न कारणों से है
♦ रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है।
♦ अपेक्षाकृत ऊबड़-खाबड़ व विभिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं।
♦ अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती हैं।
♦ अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
♦ यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है तथा सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है।
♦ सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में भी कार्य करता है, जैसे- सड़कें, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं।
भारत में सड़कों की सक्षमता के आधार पर इन्हें निम्न छः वर्गों में वर्गीकृत किया गया है
1. स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग यह दिल्ली-कोलकाता, चेन्नई- मुम्बई व दिल्ली को जोड़ने वाली 6 लेन वाली महा राजमार्गों की सड़के परियोजना है। यह राजमार्ग परियोजना- भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अधिकार क्षेत्र में है।
2. राष्ट्रीय राजमार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क तन्त्र हैं जिनका निर्माण व रखरखाव केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) के अधिकार क्षेत्र में है। दिल्ली व अमृतसर के मध्य ऐतिहासिक शेरशाह सूरी मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – 1 के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रीय राजमार्ग-7 सर्वाधिक लम्बा राजमार्ग है जो 2369 किमी लम्बा है। यह वाराणसी को जबलपुर, नागपुर, हैदराबाद, बंगलुरु, मदुरई के रास्ते कन्याकुमारी से जोड़ता है।
3. राज्य राजमार्ग राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़के राज्य राजमार्ग कहलाती हैं। राज्य तथा केन्द्रशासित क्षेत्रों में इनकी व्यवस्था तथा निर्माण का दायित्व राज्य के सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) का होता है।
4. जिला मार्ग ये सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केन्द्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं। इन सड़कों की व्यवस्था का उत्तरदायित्व जिला परिषद् का है।
5. अन्य सड़कें इस वर्ग के अन्तर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों तथा गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं। प्रधानमन्त्री ग्रामीण सड़क परियोजना’ के तहत् इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है।
6. सीमान्त सड़कें उपरोक्त सड़कों के अतिरिक्त, भारत सरकार प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन है जो देश के सीमान्त क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देख-रेख करता है । यह संगठन सन् 1960 में बनाया गया जिसका कार्य उत्तर तथा उत्तरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्त्व की सड़कों का विकास करना था।
सड़क घनत्व
प्रति सौ वर्ग किमी क्षेत्र में सड़कों की लम्बाई को सड़क घनत्व कहा जाता है। देश में सड़कों का वितरण एक समान नहीं है। इनका घनत्व जम्मू कश्मीर में 10 किमी प्रति सौ वर्ग किमी से केरल में 375 किमी प्रति सौ वर्ग किमी तक है जबकि वर्ष 1996-97 के अनुसार सड़कों का औसत राष्ट्रीय घनत्व 76 किमी प्रति सौ वर्ग किमी था।
रेल परिवहन
♦ भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है जैसे—व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्राएँ व लम्बी दूरी तक सामान का परिवहन आदि ।
♦ पिछले 150 वर्षों से भी अधिक समय से भारतीय रेल एक महत्त्वपूर्ण समन्वयक के रूप में भी जानी जाती है।
♦ भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था, उद्योगों व कृषि के तीव्र गति से विकास के लिए उत्तरदायी है। भारतीय रेल परिवहन को 18 रेल प्रखण्डों में संकलित किया गया है।
पाइपलाइन
♦ भारत के परिवहन मानचित्र पर पाइपलाइन एक नया परिवहन का साधन है।
♦ पहले पाइपलाइन का उपयोग शहरों व उद्योगों में पानी पहुँचाने हेतु होता था। आज इसका प्रयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक तथा गैस क्षेत्र से उपलब्ध गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है।
♦ देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं
1. ऊपरी असोम के तेल क्षेत्रों से गुवाहाटी, बरौनी व इलाहाबाद के रास्ते कानपुर (उत्तर प्रदेश ) तक ।
2. गुजरात में सलाया से वीरमगांव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत के में रास्ते पंजाब में जालन्धर तक। इसकी अन्य शाखा बड़ोदरा के निकट कोयली को चक्शु व अन्य स्थानों से जोड़ती है।
3. गैस पाइपलाइन गुजरात में हजीरा को उत्तर प्रदेश में जगदीशपुर से मिलाती है। यह मध्य प्रदेश के विजयपुर के रास्ते होकर जाती है। इसकी शाखाएँ राजस्थान में कोटा तथा उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर, बबराला व अन्य स्थानों पर हैं।
जल परिवहन
♦ भारत में अन्तः स्थलीय नौ संचालन जलमार्ग 14500 किमी लम्बा है। इसमें केवल 3700 किमी मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है।
♦ निम्न जलमार्गों को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है।
1. हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1620 किमी लम्बा है— नौगम्य जलमार्ग संख्या-1
2. सदिया व धुबरी पट्टी मध्य 891 किमी लम्बा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग- नौगम्य जलमार्ग संख्या – 2
3. केरल में पश्चिम तटीय नहर (कोल्लम से कोट्टापुरम, उद्योगमण्डल तथा चम्पक्कारा नहरें- 205 किमी) – नौगम्य जलमार्ग संख्या – 3
4. जलमार्ग संख्या 4 काकीनाड़ा से पुदुचेरी नहर तक 1095 किमी में विस्तृत है।
5. जलमार्ग संख्या 5-623 किमी तक पूर्वी तट नहर में विस्तृत है।
6. जलमार्ग संख्या 6 लाखीपुर से भंगा तक 121 किमी में विस्तृत है।
♦ अन्य सक्षम आन्तरिक जलमार्गों में गोदावरी, कृष्णा, बराक, सुन्दरवन, बकिंघम नहर, ब्राह्मणी, पूर्वी – पश्चिमी नहर तथा दामोदर घाटी नहर निगम आदि शामिल हैं।
♦ इन सबके अतिरिक्त, विदेशी व्यापार भारतीय तट पर स्थित पत्तनों द्वारा किया जाता है। देश का 95% व्यापार (मुद्रा रूप में 68% ) समुद्रों द्वारा ही होता है।
प्रमुख समुद्री पत्तन
♦ भारत की 7516.6 किमी लम्बी समुद्री तट रेखा के साथ 13 प्रमुख तथा 200 मध्यम व छोटे पत्तन हैं। ये प्रमुख पत्तन देश का 90% विदेशी व्यापार संचालित करते हैं।
♦ स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद कच्छ में काण्डला पत्तन पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। ऐसा देश विभाजन से कराची पत्तन की कमी को पूरा करने तथा मुम्बई से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए था। काण्डला एक ज्वारीय पत्तन है। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व और गुजरात के औद्योगिक तथा खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।
♦ मुम्बई वृहत्तम पत्तन है जिसके प्राकृतिक खुले, विस्तृत व सुचारू पोताश्रय हैं। यहाँ से देश के कुल निर्यात का आधा ( 50% ) लौह-अयस्क निर्यात किया जाता है।
♦ पूर्वी तट के साथ तमिलनाडु में दक्षिण-पूर्वी छोर पर तूतीकोरन पत्तन है। यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है तथा इसकी पृष्ठभूमि भी अत्यन्त समृद्ध है। अतः यह पत्तन हमारे पड़ो जैसे- श्रीलंका, मालदीव आदि तथा भारत के तटीय क्षेत्रों की भिन्न वस्तुओं के व्यापार को संचालित करता है।
♦ चेन्नई हमारे देश का प्रचीनतम कृत्रिम पत्तन है। व्यापार की मात्रा तथा लदे सामान के सन्दर्भ में इसका मुम्बई के बाद दूसरा स्थान है।
♦ विशाखापत्तनम जल स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में यह पत्तन लौह-अयस्क निर्यातक के रूप में विकसित किया गया था।
♦ ओडिशा में स्थित पारादीप पत्तन विशेषत: लौह-अयस्क का निर्यात करता है।
♦ कोलकाता एक अन्तः स्थलीय नदीय (Riverine) पत्तन है। यह पत्तन गंगा-ब्रह्मपुत्र बेसिन के वृहत् व समृद्ध पृष्ठभूमि को सेवाएँ प्रदान करता है। ज्वारीय (Tidal) पत्तन होने के कारण तथा हुगली के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।
♦ कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार को कम करने हेतु हल्दिया सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।
वायु परिवहन
♦ सन् 1953 में वायु परिवहन का राष्ट्रीयकरण किया गया।
♦ व्यवहारिक तौर पर इण्डियन एयरलाइन्स, एलाइन्स एयर (इण्डियन एयरलाइंस की अनुशंगी) तथा कई निजी एयरलाइन्स घरेलू विमान सेवाएँ उपलब्ध कराती है।
♦ एयर इण्डिया अन्तर्राष्ट्रीय वायु सेवाएँ प्रदान करती है।
♦ पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड, तेल व प्राकृतिक गैस आयोग को इसकी अपतटीय संक्रियाओं में तथा अगम्य व दुर्लभ भू-भागों जैसे उत्तरी पूर्वी राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के आन्तरिक क्षेत्रों में हेलीकाप्टर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।
♦ इण्डियन एयरलाइन्स की संक्रियाएँ पड़ोसी देशों – दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया और मध्य एशिया तक विस्तृत हैं।
संचार सेवाएँ
♦ निजी दूरसंचार तथा जनसंचार में दूरदर्शन, रेडियों, समाचार पत्र समूह, प्रेस तथा सिनेमा, आदि देश के प्रमुख संचार साधन हैं।
♦ भारत का डाक- संचार तन्त्र विश्व का वृहत्तम है। यह पार्सल, निजी पत्र व्यवहार तथा तार आदि को संचालित करता है। कार्ड व लिफाफा बन्द चिट्ठी, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर वायुयान द्वारा पहुँचाए जाते हैं। द्वितीय श्रेणी की डाक में रजिस्टर्ड पैकेट, किताबें, अखबार तथा मैगजीन शामिल हैं। ये धरातलीय डाक द्वारा पहुँचाए जाते हैं तथा इनके लिए स्थल व जल परिवहन का प्रयोग किया जाता है।
♦ बड़े शहरों व नगरों में डाक-संचार में शीघ्रता हेतु, हाल ही में छः डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मेट्रो चैनल ग्रीन चैनल, व्यापार ( Business ) चैनल, भारी चैनल तथा दस्तावेज चैनल के नाम से जाना जाता है।
♦ दूर संचार – तन्त्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है। नगरीय क्षेत्रों के अतिरिक्त भारत के दो तिहाई से अधिक गाँव एस टी.डी दूरभाष सेवा से जुड़े हैं।
♦ सूचनाओं के प्रसार को आधार स्तर से उच्च स्तर तक समृद्ध करने हेतु भारत सरकार ने देश के प्रत्येक गाँव में चौबीस घण्टे एस टी डी सुविधा के विशेष प्रबन्ध किए हैं। पूरे देश भर में एस टी. डी. की दरों को भी नियमित किया है। यह सब सूचना, संचार व अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी के समन्वित विकास से ही सम्भव हो पाया है।
♦ जन-संचार, मानव को मनोरंजन के साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रम व नीतियों के विषय में जागरूक करता है।
♦ दूरदर्शन, देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश है तथा विश्व के वृहत्तम संचार तन्त्र में एक है।
♦ भारत में वर्ष भर अनेक समाचार पत्र तथा सामयिक पत्रिकाएँ प्रकाशित की जाती हैं। ये पत्रिकाएँ सामयिक होने के नाते (जैसे मासिक, साप्ताहिक आदि) कई प्रकार की हैं। समाचार पत्र लगभग 100 भाषाओं तथा बोलियों में प्रकाशित होते हैं। सर्वाधिक समाचार पत्र हिन्दी भाषा में प्रकाशित होते हैं तथा इसके बाद अंग्रेजी व उर्दू के समाचार पत्र आते हैं।
♦ भारत विश्व में सर्वाधिक चलचित्रों का उत्पादक भी है। यह कम अवधि वाली फिल्में, वीडियों फीचर फिल्म तथा छोटी वीडियों फिल्में बनाता है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
♦ राज्यों व देशों में व्यक्तियों के बीच वस्तुओं का आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है। बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ इसका विनिमय होता है। दो देशों के मध्य यह व्यापार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। यह समुद्री, हवाई व स्थलीय मार्गों द्वारा हो सकता है।
♦ किसी देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक है। इसलिए इसे राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।
♦ आयात तथा निर्यात व्यापार के घटक हैं। आयात व निर्यात का अन्तर ही देश के व्यापार सन्तुलन को निर्धारित करता है। अगर निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार सन्तुलन कहते हैं। इसके विपरीत निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असन्तुलित व्यापार कहलाता है।
♦ विश्व के सभी भौगोलिक प्रदेशों तथा सभी व्यापारिक खण्ड़ों के साथ भारत के व्यापारिक सम्बन्ध हैं।
♦ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में पिछले 15 वर्षों में भारी बदलाव आया है। वस्तुओं के आदान-प्रदान की अपेक्षा सूचनाओं, ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान बढ़ा है। भारत अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सॉफ्टवेयर महाशक्ति के रूप में उभरा है तथा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से अत्यधिक विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है।
पर्यटन एक व्यापार के रूप में
♦ पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
♦ प्रत्येक वर्ष, भारत में 32 लाख से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं।
♦ 150 लाख से अधिक व्यक्ति पर्यटन उद्योग में प्रत्यक्ष रूप से संलग्न हैं।
♦ पर्यटन राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्रश्रय देता है।
♦ अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह संस्कृति तथा विरासत की समझ विकसित करने में सहायक है।
♦ विदेशी पर्यटक भारत में विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन (Eco-tourism), रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन तथा व्यापारिक पर्यटन के लिए आते हैं।
♦ भारत में विदेशी पर्यटकों के लिए राजस्थान, गोआ, जम्मू व कश्मीर तथा दक्षिण भारत के मन्दिरों के नगर प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
♦     उत्तर-पूर्वी भारत व हिमालय के अन्दरूनी भाग सम्भाव्य पर्यटन विकास स्थल है, लेकिन सामरिक कारणों से इनके विकास को अब तक प्रोत्साहित नहीं किया गया है। यद्यपि पर्यटन उद्योग विकास का एक उज्ज्वल भविष्य है।
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