मुद्रा और साख Currency and Credit

मुद्रा और साख    Currency and Credit

 

मुद्रा की उपयोगिता
♦ मुद्रा का इस्तेमाल हमारे रोजाना के जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा है।
♦ मुद्रा के जरिए वस्तुएँ खरीदी और बेची जा सकती हैं।
♦ मुद्रा ऐसी वस्तु है जो लेन-देन में विनियम का माध्यम बन सकती है।
♦ सिक्कों के चलन से पहले तरह-तरह की चीजें मुद्रा के रूप में इस्तेमाल की जाती थीं। उदाहरण के लिए, बहुत प्रारम्भिक काल से ही भारतीय अनाज और पशु का मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करते थे। इसके बाद सोना, चाँदी और ताँबे जैसी धातुओं के सिक्कों का चलन हुआ, जिसका चलन पिछली सदी तक रहा।
आधुनिक मुद्रा
♦ इसके आधुनिक रूपों में करेन्सी- कागज के नोट और सिक्के शामिल हैं। वे चीजें जो पहले मुद्रा के रूप में प्रयोग की जाती थीं, उसके विपरीत आधुनिक मुद्रा बहुमूल्य धातुओं जैसे सोना-चाँदी और ताँबे के बने सिक्कों से नहीं बनी है। अनाज और पशुओं की तरह वे रोजमर्रा की चीजें भी नहीं हैं। आधुनिक मुद्रा का इस प्रकार का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है। फिर भी इसे विनिमय का माध्यम इसलिए स्वीकार किया जाता है, क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती है।
♦ भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय सरकार की तरफ
से करेन्सी नोट जारी करता है ।
♦ भारतीय कानून के अनुसार, किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा कानून विनिमय के माध्यम के रूप में रुपये का इस्तेमाल करने की वैधता प्रदान करता है, जिसे भारत में, सौदों में अदायगी के लिए मना नहीं किया जा सकता।
♦ भारत में कोई व्यक्ति कानूनी तौर पर रुपयों में अदायगी को अस्वीकार नहीं कर सकता। इसलिए, रुपया व्यापक स्तर पर विनिमय का माध्यम स्वीकार किया गया है।
बैंकों में निक्षेप
♦ लोग मुद्रा बैंकों में निक्षेप के रूप में भी रखते हैं। किसी समय पर लोगों को रोजमर्रा की आवश्यकताओं के लिए कुछ ही मुद्रा की जरूरत होती है। लोग अतिरिक्त नकद को बैंकों में अपने नाम से खाता खोलकर जमा कर देते हैं। बैंक ये जमा स्वीकार करते हैं और इस पर ब्याज भी देते हैं। इस तरह लोगों का धन बैंकों के पास सुरक्षित रहता है और इस पर ब्याज भी मिलता है। लोगों को अपनी आवश्यकता के अनुसार इसमें से धन निकालने की सुविधा भी उपलब्ध होती है। चूँकि बैंक खातों में जमा धन को माँग के जरिए निकाला जा सकता है, इसलिए इस जमा को माँग जमा कहा जाता है।
चेक द्वारा भुगतान
♦ चेक से भुगतान के लिए भुगतानकर्ता, जिसका किसी बैंक में खाता है, एक निश्चित रकम के लिए चेक काटता है। चेक एक ऐसा कागज है, जो बैंक को किसी व्यक्ति के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक खास रकम का भुगतान करने का आदेश देता हैं। माँग जमा के बदले चेक लिखने की सुविधा से बिना नकद का इस्तेमाल किए सीधा भुगतान करना सम्भव हो जाता है। चूँकि माँग जमाओं को मुद्रा के साथ-साथ व्यापक स्तर पर भुगतान का माध्यम स्वीकार किया जाता है, इसलिए आधुनिक अर्थव्यवस्था में इसे भी मुद्रा समझा जाता है। बैंकों के लिए इन जमा के बदले कोई भी माँग जमा एवं भुगतान नहीं होगा। मुद्रा के आधुनिक रूप मुद्रा और जमा – आधुनिक बैंक प्रणाली की कार्य प्रणाली से बहुत करीब से जुड़े हुए हैं।
बैंक
♦ बैंक जमा रकम का एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद के रूप में रखते हैं। उदाहरण के लिए, आजकल भारत में बैंक जमा का केवल 15% नकद के रूप में अपने पास रखते हैं। इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की सम्भावना को देखते हुए यह प्रावधान किया जाता है। चूँकि किसी एक विशेष दिन में, केवल कुछ जमाकर्ता ही नकद निकालने के लिए आते हैं, इसलिए बैंक का काम इतने नकद से आराम से चल जाता है।
♦ बैंक जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण की बहुत माँग रहती है।
● बैंक जमा राशि का लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस तरह, बैंक जिनके पास अतिरिक्त राशि है (जमाकर्ता) एवं जिन्हें राशि की जरूरत है (कर्जदार) के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।
♦ बैंक जमा पर जो ब्याज देते हैं उससे ज्यादा ब्याज ऋण पर लेते हैं। कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अन्तर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।
ऋण की शर्तें
♦ हर ऋण समझौते में ब्याज दर निश्चित कर दी जाती है, ब्याज दर, समर्थक ऋणाधार, आवश्यक कागजात और भुगतान के तरीकों को सम्मिलित रूप से ऋण की शर्तें कहा जाता है।
♦ ऋण की शर्तों में एक ऋण व्यवस्था से दूसरी ऋण व्यवस्था में काफी फर्क आ जाता है ।
♦ कर्ज की शर्तें उधारदाता और कर्जदार की प्रकृति पर भी निर्भर करती है।
सहकारी समितियों से ऋण
♦ बैंकों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते ऋण का एक अन्य स्रोत सहकारी समितियाँ हैं।
♦  सहकारी समिति के सदस्य अपने संसाधनों को कुछ क्षेत्रों में सहयोग के लिए एकत्र करते हैं।
♦  कई प्रकार की सहकारी समितियाँ सम्भव हैं, जैसे किसानों, बुनकरों एवं औद्योगिक मजदूरों इत्यादि की सहकारी समितियाँ।
♦ कृषक सहकारी समिति कृषि उपकरण खरीदने, खेती तथा कृषि व्यापार करने, मछली पकड़ने, घर बनाने और अन्य विभिन्न प्रकार के खर्चों के लिए ऋण मुहैया कराती है।
औपचारिक और अनौपचारिक ऋण
♦  औपचारिक प्रकार के ऋणों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है -औपचारिक क्षेत्रक ऋण तथा अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण।
♦ पहले वर्ग में बैंकों और सहकारी समितियों से लिए कर्ज आते हैं।
♦ अनौपचारिक उधार दाता में साहूकार, व्यापारी, मालिक, रिश्तेदार, दोस्त इत्यादि आते हैं।
♦ भारतीय रिजर्व बैंक ऋणों के औपचारिक स्रोतों की कार्यप्रणाली पर नजर रखता है। उदाहरण के लिए, बैंक अपनी जमा का एक न्यूनतम नकद हिस्सा अपने पास रखते हैं।
♦ आर. बी. आई नजर रखता है कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए हैं। आर. बी. आई इस पर भी नजर रखता है कि बैंक केवल लाभ अर्जित करने वाले व्यावसायिकों और व्यापारियों को ही ऋणमुहैया नहीं करा रहे, बल्कि छोटे किसानों, छोटे उद्योगों, छोटे कर्जदारों इत्यादि को भी ऋण दे रहे हैं।
♦ समय-समय पर, बैंकों द्वारा आर.बी.आई को यह जानकारी देनी पड़ती है कि वे कितना और किन पर ऋण दे रहे हैं और उसकी ब्याज की दरें क्या है?
♦ अनौपचारिक क्षेत्रक में ऋणदाताओं की गतिविधियों की देख-रेख करने वाली कोई संस्था नहीं है। वे ऐच्छिक दरों पर ऋण दे सकते हैं। उन्हें नाजायज तरीकों से अपने पैसे वापस लेने से रोकने वाला कोई नहीं है।
♦ औपचारिक ऋणदाताओं की तुलना में अनौपचारिक क्षेत्रक के ज्यादातर ऋणदाता कहीं अधिक ब्याज वसूल करते हैं। इसलिए, अनौपचारिक ऋण कर्जदाता को अधिक महँगा पड़ता है।
♦ ऋण की ऊँची लागत का अर्थ है कर्जदार की आय का अधिकतर हिस्सा ऋण की अदाएगी में ही खर्च हो जाता है। इसलिए, कर्जदारों के पास अपने लिए कम आय बचती है।
♦ बैंकों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी शाखाएँ खोलने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि ग्रामीण अनौपचारिक स्रोतों से ऋण प्राप्त कर मुसीबत में न फँसे तथा उन्हें बैंकों से ऋण लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए, जिससे कि कृषि कार्य में अपनी मदद कर सकें अथवा कोई उद्यम लगाकर आय के साधन जुटा सकें।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *