भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी, अगस्त में नई चुनौतियों का सामना

भारतीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का सिलसिला अगस्त महीने में भी जारी है, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई है. बीते कुछ समय से बाजार में लगातार अस्थिरता बनी हुई है, और अब नए महीने की शुरुआत के साथ ही इसे कई नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वैश्विक आर्थिक संकेतों, घरेलू नीतियों और विदेशी निवेश प्रवाह में हो रहे बदलावों के कारण बाजार में अनिश्चितता का माहौल गहरा रहा है. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या भारतीय शेयर बाजार इन नई बाधाओं को पार कर पाएगा या आने वाले दिन और भी मुश्किलों भरे होंगे.

हालिया गिरावट और उसके कारण

भारतीय शेयर बाजार में अगस्त महीने की शुरुआत से ही उतार-चढ़ाव जारी है. पिछले कुछ दिनों में बाजार में गिरावट देखी गई है, खासकर पिछले हफ्ते, जब सेंसेक्स लगभग 1% गिरकर 80,599. 91 पर और निफ्टी लगभग 1. 09% गिरकर 24,565. 35 पर बंद हुआ. इस गिरावट के कई कारण बताए जा रहे हैं, जिनमें सबसे प्रमुख अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए नए टैरिफ हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर 10% से 41% तक के “रेसिप्रोकल” टैरिफ लगाने का कार्यकारी आदेश दिया है, जो अगले सात दिनों में लागू हो सकता है. इस फैसले से वैश्विक बाजारों में नकारात्मक धारणा बनी है और निवेशकों की चिंता बढ़ गई है, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में महंगाई और मंदी की आशंकाएं बढ़ गई हैं. इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली भी बाजार में गिरावट का एक बड़ा कारण रही है. जब तक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में वापस नहीं आते, तब तक बाजार में मजबूती की संभावना कम मानी जा रही है. घरेलू स्तर पर, कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे भी बाजार पर दबाव डाल रहे हैं. उदाहरण के लिए, टीसीएस (TCS) ने वित्त वर्ष 2026 में लगभग 12,200 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की, जिससे उसके शेयरों में 5% की गिरावट आई. फार्मा, ऑटो, आईटी और धातु जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भी 2-3% की गिरावट दर्ज की गई है.

टैरिफ का प्रभाव और भारतीय अर्थव्यवस्था

अमेरिकी टैरिफ के फैसले का भारतीय शेयर बाजार पर सीधा असर सीमित होने का अनुमान है, क्योंकि मुख्य निर्यात जैसे रत्न, आभूषण, चमड़ा और वस्त्र सूचीबद्ध बाजार में ज्यादा प्रतिनिधित्व नहीं रखते हैं. हालांकि, इस फैसले ने निवेशकों की भावना को प्रभावित किया है और बाजार में अनिश्चितता बढ़ा दी है. भारत सरकार इस स्थिति का आकलन कर रही है और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि देश के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और विशेषज्ञों का मानना है कि 2025 में भी शेयर बाजार में तेजी जारी रह सकती है, खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर के लगातार विकास के कारण. 2024 भारतीय शेयर बाजार के लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा, जिसकी मुख्य वजह धीमी अर्थव्यवस्था, सख्त तरलता और सरकारी खर्च में देरी थी. हालांकि, आरबीआई (RBI) द्वारा सीआरआर (CRR) में कटौती से तरलता की स्थिति में सुधार की उम्मीद है, और सरकारी खर्च में बढ़ोतरी से औद्योगिक उत्पादन और उपभोग में सुधार हो सकता है.

सेक्टरों का प्रदर्शन और आगे की राह

इस उतार-चढ़ाव के बीच, कुछ सेक्टरों में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. एफएमसीजी (FMCG) शेयर आकर्षक मूल्यांकन और बाहरी झटकों से सुरक्षा के कारण तेजी के साथ बंद हुए. एचयूएल (HUL), डाबर इंडिया (Dabur India) और इमामी (Emami) जैसी कंपनियों के मजबूत तिमाही नतीजों के बाद एफएमसीजी शेयरों में उछाल आया. विशेषज्ञों ने अगस्त 2025 के लिए जिन स्टॉक्स को खरीदने की सलाह दी है, उनमें फार्मास्युटिकल, वित्तीय सेवाएं, दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवा और उपभोग जैसे घरेलू केंद्रित क्षेत्र शामिल हैं.

“इस हफ्ते बाजार सतर्क आशावाद और रक्षात्मक रुख के बीच एक दायरे में कारोबार कर रहा था, लेकिन एफआईआई की लगातार निकासी के कारण गिरावट के साथ बंद हुआ। वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, निवेशकों ने घरेलू संकेतों को प्राथमिकता दी हैं।”

  • विनोद नायर, रिसर्च हेड, जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड

विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी अगर 24,600 के नीचे बंद होता है, तो अगला समर्थन स्तर 24,442 और फिर 24,250 पर देखा जा सकता है. ऊपर की ओर, 24800 से 24950 तक प्रतिरोध के क्षेत्र हो सकते हैं. निवेशकों को फिलहाल रक्षात्मक रणनीति अपनाने और मजबूत क्षेत्रों में निवेश करने की सलाह दी जा रही है. एक्सिस सिक्योरिटीज (Axis Securities) ने मार्च 2026 तक निफ्टी के लिए 26,300 का लक्ष्य बनाए रखा है.

निवेशकों के लिए अवसर और चुनौतियां

अगस्त महीने में कुछ कंपनियों ने बोनस और स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की है, जिससे निवेशकों को नए अवसर मिल सकते हैं. इंडिया ग्लाइकोल्स (India Glycols) ने स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की है, और एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) ने अपने इतिहास का पहला बोनस इश्यू घोषित किया है. इसके अलावा, भारतीय बाजार में कुछ कंपनियां अच्छा कारोबार कर रही हैं, जबकि कुछ को लगातार नुकसान हो रहा है, जिससे निवेशक ‘वेट एंड वाच’ की स्थिति में हैं. वैश्विक घटनाओं और अमेरिकी टैरिफ के फैसले का भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है, और निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ का डर खत्म हो सकता है, क्योंकि एफआईआई (FII) ने जितनी पूंजी निकालनी थी, उतनी निकाल ली है, और यह भारतीय बाजार में तेजी का ‘ट्रिगर पॉइंट’ बन सकता है. भारत का फिनटेक बाजार 2025 तक 1. 3 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, और ईवी (EV) जैसे उभरते क्षेत्र भी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं.

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