बिहार में सत्ता बदलते ही हिचकोले खाने लगीं विकास योजनाएं, नीतीश सरकार के मंत्री बोले- सारा दोष केंद्र का
बिहार में सत्ता बदलते ही हिचकोले खाने लगीं विकास योजनाएं, नीतीश सरकार के मंत्री बोले- सारा दोष केंद्र का
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले दिनों एनडीए छोड़कर राजद और कांग्रेस के साथ चले गए, नई सरकार बनाई। इधर, भाजपा के सत्ता से बाहर होते ही राज्य में विकास की योजनाएं हिचकोले खाने लगी हैं। चाहे कृषि विभाग की बात हो या ग्रामीण विकास की। सरकार के मंत्री फंड का रोना रो रहे हैं और इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
40 करोड़ रुपए हैं मिलने
कृषि विभाग की केंद्र प्रायोजित सब मिशन आन सीड प्लांटिंग मैटेरियल योजना का ऐसा ही हाल है। कृषि विभाग ने केंद्र सरकार को मई में योजना का विस्तृत प्रस्ताव भेजा था। इसके तहत 40 करोड़ रुपये मिलना है। इस योजना में अब तक मदद नहीं मिली।
आठ महीने में भी नहीं मिली मंजूरी
अमूमन दो से तीन महीने में केंद्र सरकार योजना को स्वीकृति प्रदान कर देती है, लेकिन इस बार आठ महीने बाद भी न तो योजना को मंजूरी मिली न ही राशि की स्वीकृति प्राप्त हुई है। यह हालात तब है कि बिहार ने कोरोना काल में किसानों को आनलाइन घर तक बीज आपूर्ति कर देश में मिसाल कायम किया था।
किसानों से जुड़ी है ये योजना
इसी के तहत केंद्र सरकार ने सब मिशन आन सीड प्लांटिंग मैटेरियल के तहत चार योजनाओं के लिए राशि मिलनी है, लेकिन अभी तक नहीं मिली। इससे बीज ग्राम कार्यक्रम, बिहार बीज और जैविक प्रमाणन एजेंसी विकास योजना, बिहार कृषि विश्वविद्यालय में बीज प्रजनन कार्यक्रम का भरण पोषण, पांच हजार टन बीज प्रसंस्करण इकाई की स्थापना और बीज विश्लेषण प्रयोगशाला का सुदृढ़ीकरण की योजना फंसी है।
खाद की आपूर्ति भी हुई कम
उधर, खाद की आपूर्ति भी केंद्रीय स्तर पर कम हुई है। कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत का आरोप है कि 18 नवंबर तक तय कोटा के तुलना में महज 37 प्रतिशत ही मिली है। बुआई के लिए समय खत्म होने को है, मगर अभी तक डीएपी 70 प्रतिशत मिली है। वहीं, एनपीके 66 प्रतिशत आपूर्ति हुई है। एमओपी मात्र 14 प्रतिशत मिली है।
ग्रामीण सड़क और पुल निर्माण अटका
ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा संचालित ग्रामीण सड़क और पुल निर्माण की योजनाएं भी फंस गई है। केंद्र सरकार से राशि के लिए राज्य सरकार के बार-बार अनुरोध के बावजूद अपेक्षित राशि नहीं मिलने के कारण सरकार को हर वर्ष करोड़ों रुपए अपने स्तर से खर्च करने पड़ रहे हैं। सड़कों व ग्रामीण में पुलों का निर्माण प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत हो रहा है।
सड़क में 60 फीसद राशि देता केंद्र
मौजूदा नियम के अनुसार इस योजना में केंद्र से राज्य को 60 फीसदी राशि मिलनी चाहिए। लेकिन पुल के मामले में केंद्र सरकार ने अलग नियम तय रखे हैं। अगर पुल की लंबाई 150 मीटर तक हो तो केंद्र सरकार उसमें से 60 फीसदी राशि देती है, लेकिन अगर पुल की लंबाई 150 मीटर से अधिक हो जाए तो पूरी राशि राज्य सरकार को खर्च करनी पड़ती है।
ग्रामीण सड़कों की मरम्मत खुद करनी है
पीएमजीएसवाई में दर्जनों ऐसे पुल हैं जिसकी लंबाई 150 मीटर से अधिक है। बिना पुल के सड़क का कोई औचित्य नहीं है। ग्रामीण सड़कों के निर्माण में केंद्र सरकार सहयोग करती है, लेकिन इसके रखरखाव मद में पैसा नहीं देती है। ऐसे में पीएमजीएसवाई के तहत बनी सड़कों का रखरखाव राज्य सरकार को अपने संसाधनों से करना पड़ रहा है।
source – jagran
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