बलूचिस्तान के अलग होते बर्बाद हो जाएगा पाकिस्तान, हाथ से निकल जाएगा सोने का अकूत भंडार
Balochistan: पाकिस्तान में बलूचिस्तान संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है. अलग बलूचिस्तान की मांग को लेकर जिस तरह आंदोलन चलाए जा रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि बलूचिस्तान खुद को पाकिस्तान से अलग होने पर आमादा है. सही मायने में अगर बलूचिस्तान अलग हो जाता है, पाकिस्तान पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा. इसका कारण यह है कि बलूचिस्तान के पास 590 करोड़ टन खनिज भंडार होने के साथ ही सोने और तांबे का अकूत भंडार भी है, जो पाकिस्तान के हाथ से निकल जाएगा.
पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. वह अपने संसाधनों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसकी अहमियत केवल इसके आकार तक सीमित नहीं है. यह प्रांत ईरान और अफगानिस्तान की सीमाओं के पास स्थित है, जो इसे पाकिस्तान के लिए रणनीतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण बनाता है. यहां मौजूद खनिज संसाधन जैसे सोना, तांबा और प्राकृतिक गैस पाकिस्तान के लिए अहम हैं. लेकिन, अगर यह प्रांत पाकिस्तान से अलग हो जाता है, तो देश को गंभीर आर्थिक, ऊर्जा और सुरक्षा संकटों का सामना करना पड़ सकता है.
खनिजों का खजाना है बलूचिस्तान
बलूचिस्तान को खनिजों का खजाना भी कहा जाता है. बलूचिस्तान में 590 करोड़ टन खनिजों का भंडार पाया जाता है, जिसमें दुनिया के सबसे बड़े सोने के भंडार में से एक 60 मिलियन औंस सोना (लगभग 1,700 टन) शामिल है. इसका रिको डीक क्षेत्र सोने का सबसे बड़ा भंडार माना जाता है. इसके अलावा, इस प्रांत में तांबे के बड़े भंडार भी हैं, जिनकी कुल कीमत 174.42 लाख करोड़ रुपये के आसपास आंकी जा रही है. ब्लूमबर्ग की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार, रिको डीक दुनिया के सबसे बड़े अविकसित तांबे और सोने के भंडारों में से एक है, जिसमें आधी सदी से भी अधिक समय तक सालाना 200,000 टन तांबा और 250,000 औंस सोना उत्पादन करने की क्षमता है. हालांकि, पाकिस्तानी सरकार, बैरिक गोल्ड और एंटोफगास्टा पीएलसी के बीच विवाद के कारण खनन परियोजना पर प्रगति रुकी हुई थी. अगर बलूचिस्तान पाकिस्तान से अलग हो जाता है, तो पाकिस्तान यह विशाल संसाधन खो देगा, जो उसकी आर्थिक समृद्धि में एक अहम भूमिका निभाता.
आर्थिक संकट और ऊर्जा की समस्या
बलूचिस्तान का क्षेत्र 3,47,190 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जो पाकिस्तान के कुल क्षेत्रफल का लगभग 44% है. हालांकि, यहां की जनसंख्या केवल 3.6% यानी 1.49 करोड़ है. इस प्रांत का एक महत्वपूर्ण योगदान पाकिस्तान की प्राकृतिक गैस आपूर्ति में है, जो देश के ऊर्जा संकट को हल करने के लिए महत्वपूर्ण है. अगर यह क्षेत्र पाकिस्तान से अलग हो जाता है, तो पाकिस्तान को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि उसे महंगी ऊर्जा बाहरी स्रोतों से आयात करनी पड़ेगी. इससे उसकी आर्थिक स्थिति और भी कमजोर हो जाएगी. इसका कारण यह है कि पाकिस्तान पहले से ही ऊर्जा संकट से जूझ रहा है.
सुरक्षा और कूटनीतिक संकट
बलूचिस्तान का अलग होना पाकिस्तान के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक संकट पैदा कर सकता है. यह प्रांत पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक गढ़ की तरह है, क्योंकि इसकी स्थिति ईरान और अफगानिस्तान के नजदीक है. इसके अलावा, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत चीन भी इस क्षेत्र में सक्रिय है. अगर बलूचिस्तान अलग हो जाता है, तो पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति और कूटनीतिक शक्ति दोनों ही प्रभावित हो सकती हैं.
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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए खतरा
अगर बलूचिस्तान अलग होता है, तो पाकिस्तान को गंभीर आर्थिक, ऊर्जा, सुरक्षा और कूटनीतिक संकटों का सामना करना पड़ेगा. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर है, और बलूचिस्तान के अलग होने के साथ ही यह धराशायी हो सकती है. इस वजह से पाकिस्तान को अपनी सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. यह पाकिस्तान के लिए एक अस्तित्व संकट बन सकता है, जिससे देश के लिए संकटों से उबर पाना मुश्किल हो जाएगा.
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