बच्चों को फेमस होने का कीड़ा, मम्मी-पापा अलग बिजी, ये लत भी कोकीन से कम नहीं!
Digital Detox : आज के समय में स्मार्टफोन हमारे जीवन का इतना बड़ा हिस्सा बन चुका है कि जागने से लेकर सोने तक का ज्यादातर समय इसी पर बीतता है. चाहे सोशल मीडिया हो, वीडियो गेम्स, या ऑनलाइन शॉपिंग, स्मार्टफोन की लत न केवल हमारे पर्सनल टाइम को खत्म कर रही है, बल्कि हमारे रिश्तों और मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर डाल रही है. इन सबके बीच, डिजिटल डिटॉक्स (Digital detox) एक कारगर उपाय के रूप में उभर रहा है, जो इस भयंकर लत से छुटकारा दिला सकता है.
हाल ही में Vivo द्वारा की गई एक स्टडी में खुलासा हुआ कि माता-पिता औसतन साढ़े 5 घंटे और बच्चे साढ़े 4 घंटे रोजाना स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. इस स्टडी में यह भी पाया गया कि 64 फीसदी बच्चे खुद को स्मार्टफोन का आदी मानते हैं. 73 परसेंट माता-पिता और 69 परसेंट बच्चों ने माना कि स्मार्टफोन का ज्यादा समय तक यूज करना उनके परिवार में झगड़े का मुख्य कारण बन रहा है. खास बात यह है कि 94 फीसदी बच्चों ने सुझाव दिया कि माता-पिता के स्मार्टफोन में केवल जरूरी फीचर्स, जैसे कॉलिंग, मैसेजिंग और कैमरा ही होने चाहिए. वहीं, 66 फीसदी बच्चों ने कहा कि वे सोशल मीडिया छोड़ने को तैयार हैं, अगर उनके दोस्त भी ऐसा करें.
लोकप्रियता का कीड़ा
सस्ते डेटा प्लान्स और किफायती स्मार्टफोन के चलते पिछले कुछ सालों में भारत में स्मार्टफोन उपयोग तेजी से बढ़ा है. काउंटरपॉइन्ट रिसर्च (Counterpoint Research) की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2015-16 में जहां लोग औसतन 2-3 घंटे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते थे, अब यह समय बढ़कर 4-5 घंटे प्रतिदिन हो गया है. इस बढ़ते इस्तेमाल का सबसे ज्यादा असर युवाओं पर पड़ा है, जो डिजिटल दुनिया में लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश में घंटों अपना समय खर्च कर रहे हैं.
फोन से ब्रेकअप कैसे करें
स्मार्टफोन कंपनियां अब इस समस्या का समाधान तलाशने के लिए कदम उठा रही हैं. OnePlus ने Zen Mode पेश किया है, जो उपयोगकर्ताओं को अपने फोन को सीमित समय तक बंद करने में मदद करता है. इसी तरह, HMD Global ने Detox Mode लॉन्च किया है, जिससे यूजर्स तीन आसान क्लिक में ध्यान भटकाने वाले ऐप्स को छुपा सकते हैं. इसके अलावा, Vivo ने Screen/Life Balance स्पेशलिस्ट कैथरीन प्राइस के साथ साझेदारी की है, जिन्होंने हाउ टू ब्रेकअप विद योर स्मार्टफोन (How to Break Up With Your Smartphone) नामक किताब लिखी है. Vivo अपने स्मार्टफोन्स में स्क्रीन टाइम लिमिट, “डू नॉट डिस्टर्ब” मोड और ऐप टाइमर जैसे फीचर्स शामिल कर रहा है, जो डिजिटल डिटॉक्स को आसान बनाते हैं.
कुछ कंपनियां मानती हैं कि डिजिटल डिटॉक्स का सबसे आसान समाधान 2G फीचर फोन हो सकते हैं. फीचर फोन में सीमित फीचर्स होते हैं, जिससे यूजर केवल जरूरी कार्यों, जैसे कॉलिंग और मैसेजिंग पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं. नोकिया और एचएमडी ग्लोबल ने फीचर फोन में UPI पेमेंट और अन्य उपयोगी फीचर्स जोड़कर इन्हें अधिक उपयोगी बनाया है.
डिजिटल डिटॉक्स सिर्फ एक तकनीकी समाधान नहीं, बल्कि हमारे जीवन के संतुलन को वापस लाने का एक प्रयास है. इससे न केवल मेंटल हेल्थ में सुधार होता है, बल्कि पारिवारिक रिश्ते भी मजबूत होते हैं. स्मार्टफोन की लत से छुटकारा पाना आसान नहीं है, लेकिन छोटे-छोटे कदम, जैसे रोजाना एक घंटा बिना फोन के बिताना इस दिशा में आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं. आखिरकार, यह हम पर निर्भर है कि हम स्मार्टफोन को अपने जीवन का साधन बनाएं, न कि उस पर निर्भर हो जाएं.
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FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 16:24 IST