बच्चे भी कर सकते हैं म्यूचुअल फंड में निवेश! जानें पूरी प्रक्रिया और फायदे
Mutual Fund: अगर आप अपने बच्चे के भविष्य के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग कर रहे हैं, तो म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है. इससे बचपन से ही वित्तीय अनुशासन आता है. उच्च शिक्षा और अन्य जरूरतों के लिए लंबी अवधि में अच्छा फंड तैयार किया जा सकता है.
Mutual Fund: म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट आजकल हर किसी की पसंद बनता जा रहा है. इसकी लोकप्रियता का कारण एफडी और सेविंग्स अकाउंट की तुलना में अधिक रिटर्न और कम जोखिम है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि म्यूचुअल फंड में सिर्फ वयस्क ही नहीं, बल्कि नाबालिग (बच्चे) भी निवेश कर सकते हैं? अगर आपके बच्चे की उम्र 18 साल से कम है, तो आप उनके नाम पर म्यूचुअल फंड अकाउंट खोल सकते हैं. इसमें अभिभावक (माता-पिता या कानूनी गार्जियन) उनके खाते का संचालन करेंगे. यह निवेश उनके भविष्य की शिक्षा, उच्च शिक्षा या अन्य वित्तीय जरूरतों के लिए किया जा सकता है.
ऐसे करें नाबालिग के नाम पर म्यूचुअल फंड निवेश
नाबालिग के नाम पर म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें.
- केवाईसी प्रक्रिया पूरी करें: माता-पिता या कानूनी अभिभावक का केवाईसी (KYC) अनिवार्य होता है.
- संबंध प्रमाण पत्र: माता-पिता को बच्चे से संबंध का प्रमाण देना होगा और यदि कानूनी अभिभावक निवेश कर रहा है, तो कोर्ट द्वारा जारी नियुक्ति पत्र आवश्यक होगा.
- बर्थ सर्टिफिकेट या सरकारी दस्तावेज: नाबालिग की उम्र प्रमाणित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र जरूरी होता है.
- बैंक खाता जरूरी: निवेश के लिए नाबालिग के नाम पर या “नाबालिग/अभिभावक के अधीन” बैंक खाता होना चाहिए.
- सिर्फ सिंगल होल्डिंग: नाबालिग के खाते में जॉइंट होल्डिंग की अनुमति नहीं होती.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे
- बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए फंड तैयार करना
- बचत और निवेश की आदत विकसित करना
- लॉन्ग-टर्म कंपाउंडिंग से अधिक रिटर्न पाना
- टैक्स लाभ का फायदा उठाना
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जब बच्चा 18 साल का हो जाए तो ये काम करें
जब बच्चा 18 वर्ष का हो जाता है, तो म्यूचुअल फंड खाते की स्थिति “नाबालिग” से “बालिग” में बदलनी जरूरी होती है. ऐसा न करने पर खाते में लेन-देन रुक सकता है.
- बच्चे का पैन कार्ड और KYC अपडेट करना अनिवार्य होता है.
- अब टैक्स की जिम्मेदारी माता-पिता की बजाय बच्चे की होगी.
- यदि बड़ी राशि निवेश की गई है, तो 18 साल की उम्र में उसे संभालने की मानसिक तैयारी जरूरी होती है.
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