प्लास्टिक की दुनिया
प्लास्टिक की दुनिया
आज का युग विज्ञान का युग कहा जाता है। आज विज्ञान ने हमारे मन को चारों ओर से ढक लिया है। विज्ञान ने हमें अनेक चमत्कारी वस्तुएँ देकर हमारे जीवन को सरस, सुन्दर तथा सुगम बना दिया है। इस कारण विज्ञान को अलादीन का चिराग’ कहना अत्युक्ति प्रतीत नहीं होती । आज के अनेक आविष्कारों तथा उपयोगी वस्तुओं ने मानव जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिए हैं। आरंभ में हम लोहा, ताँबा, जस्ता, कांसा, पीतल जैसी धातुओं का प्रयोग करते थे, परन्तु शनैः-शनैः विज्ञान ने हमें दिया – प्लास्टिक’ प्रदान किया। इस प्लास्टिक ने न केवल मानव जीवन के उसके कार्य क्षेत्र अपितु उद्योग-धंधों में भी चमत्कार ला दिया ।
प्लास्टिक का आविष्कार ड्यू बोयस और जोन द्वारा किया गया था। इसका निर्माण इथिलीन नामक पदार्थ द्वारा किया जाता है। इसमें इथिलीन के अणुओं की काफी मात्रा होती है । इथिलीन के इन अणुओं से बनी इस विचित्र वस्तु को पोलीथीन या प्लास्टिक के नाम से जाना जाता है ।
प्रारंभ में प्लास्टिक उतना लोकप्रिय नहीं हुआ। उस समय प्लास्टिक से निर्मित घरेलू सामग्री का उपयोग करना अच्छा नहीं माना जाता था। कहा जाता था कि प्लास्टिक को वस्तुओं के उपयोग निर्धन लोग ही करते हैं, पर आजकल प्लास्टिक का प्रयोग अत्यंत व्यापक होता जा रहा है। आजकल प्लास्टिक एक बड़े तथा महत्वपूर्ण उद्योग-धन्धे के रूप में प्रतिष्ठित हो चुका है ।
आज प्लास्टिक से बनने वाली वस्तुओं की गिनती करना असंभव है । छोटी-छोटी वस्तुओं से लेकर बड़ी-बड़ी वस्तुओं तक न जाने कितनी चीजें इससे बनाई जाती हैं। आजकल कुछ उद्योग तो प्लास्टिक का दाना बनाते हैं । प्लास्टिक कई प्रकार का होता है। नाइलॉन, पोलिएस्टर, थर्मोप्लास्टिक, पी. वी.सी. आदि ।
आजकल तो प्लास्टिक का उपयोग कृत्रिम वस्त्र बनाने, मशीनों के पुर्जे बनाने, पानी की टंकियाँ बनाने, प्लास्टिक के दरवाजे खिड़कियाँ, चादरें चप्पल, जूते, अनेक उपकरण, रस्सियाँ पेन-पेंसिलें पैकिंग मैटिरियल, थैलियाँ, बर्तन आदि अनगिनत चीजें बनाने में किया जा रहा है।
आजकल तो विद्युत उपकरणों में प्लास्टिक का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यहीं नहीं मोटर, कारों, ट्रकों, टेलीफोन, कम्प्यूटर हवाई जहाजों, बिजली के तारों, रेडियो, टी.वी., वी.सी. आर. आदि में व्यापक रूप से इसका प्रयोग किया जा रहा है।
प्लास्टिक की बनी वस्तुओं की एक विशेषता यह है कि यह आसानी से नष्ट नहीं होती तथा खराब हो जाने, टूट फूट जाने या नष्ट हो जाने पर पुनः इसे रिसाइकिल किया जा सकता है। इन्हें एकत्र करके, गलाकर पुनः नया प्लास्टिक बनाया जा सकता है।
प्लास्टिक ने तो हमारी दुनिया ही बदल दी है। जिधर देखिए, प्लास्टिक की आकर्षक वस्तुओं की ही भरमार दिखाई देती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि आज सौंदर्य प्रसाधन की सामग्री तथा सजावट की चीजें बनाने में भी प्लास्टिक का प्रयोग होने लगा है। किसी होटल में जाइए, प्लास्टिक के रंग-बिरंगे आकर्षक फूल तथा पेड़-पौधे प्राकृतिक पेड़-पौधों से होड़ लेते दिखाई देते हैं । बड़ी कठिनाई से यह अहसास होता है कि अरे ! यह तो प्लास्टिक है ।
पोलिथीन की थैलियों, रस्सियों, वस्त्रों आदि ने हमारे जीवन के ढाँचे को ही बदल लिया है। जरा सोचिए, यदि आज प्लास्टिक का पैकिंग मैटीरियल न हो, तो हमें कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता । यदि पोलिएस्टर के वस्त्र न हों, तो संसार भर की वस्त्रों की आवश्यकता की पूर्ति किस प्रकार संभव होगी । यदि प्लास्टिक न हो, तो आज इससे निर्मित अनेक वस्तुओं के बिना हमारा काम नहीं चल जाएगा।
ईश्वर द्वारा प्रदत्त विभिन्न धातुओं का भण्डार सीमित होता है, जबकि मानव-निर्मित प्लास्टिक के तो कहने ही क्या ? जितना चाहो, जब चाहो बना लो, प्रयोग करो और जब टूट-फूट जाए, तो फिर बना लो ।
मानव ने आज प्लास्टिक का निर्माण करके अपने जीवन में एक ओर जहाँ क्रांतिकारी परिवर्तन कर लिया है, वहीं इससे पर्यावरण को भी प्रदूषित किया है । प्लास्टिक के कारखानें बड़ी मात्रा में वायु प्रदूषण फैलाते हैं। कुछ भी हो, प्लास्टिक की दुनिया है बहुत रंगीन और है बहुत आकर्षक । वह दिन दूर नहीं, जब वैज्ञानिक ऐसी प्लास्टिक का निर्माण करने में सफल हो जायेंगे, जो पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करेगा ।
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