प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
प्रकाश-परावर्तन तथा अपवर्तन
Science ( विज्ञान ) लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस क्यों कहा जाता है?
उत्तर⇒ उत्तल लेंस के द्वारा आपतित समांतर किरणें अपवर्तन के फलस्वरूप एक बिंदु पर मिलती हैं। यानी, उत्तल लेंस प्रकाश के समांतर किरणों को अभिसरित करता है। अतः उत्तल लेंस को इसी गुण के कारण अभिसारी लेंस कहते हैं।
प्रश्न 2. गोलीय दर्पण क्या है? एक गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या 20 cm है, तो इसकी फोकस दूरी क्या है?
उत्तर⇒ ऐसे दर्पण जिनका परावर्तन पृष्ठ गोलीय है, गोलीय दर्पण कहलाते हैं।
प्रश्न 3. उत्तल लेंस के 2F पर स्थित वस्तु के प्रतिबिम्ब बनने की क्रिया का किरण आरेख खींचे।
उत्तर⇒
प्रश्न 4. कोई वस्तु किसी उत्तल लेंस के प्रकाशिक केन्द्र तथा फोकस के बीच रखी गयी है। बननेवाले प्रतिबिम्ब का किरण आरेख खींचें। अथवा, सरल सूक्ष्मदर्शी क्या है? किरण आरेख खींचें।
उत्तर⇒
प्रश्न 5. प्रकाश का अपवर्त्तन क्या है ? इसके नियमों को लिखें। अथवा, प्रकाश के अपवर्तन नियम लिखिए।
उत्तर⇒ प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम हैं-
(i) आपतित किरण, अपवर्तित किरणं तथा आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तीनों – एक ही तल में होते हैं।
(ii) जब एक ही रंग के प्रकाश की किरण किन्हीं दो माध्यमों के सीमा तल पर तिरछी आपतित होती है तो आपतन कोण (i) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (r) की ज्या (sine) का अनुपात एक नियतांक होता है।
इस नियतांक को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं । इसे प्रायः 1n2 से प्रदर्शित करते हैं। इस नियम को स्नैल का नियम भी कहते हैं।
प्रश्न 6. निम्नांकित स्थितियों में प्रयुक्त दर्पण का प्रकार बताइए (a) वाहनों के अग्रदीप में किस दर्पण का प्रयोग होता है? क्यों?
अथवा, किसी कार का अग्र-दीप (हैड-लाइट) (b) किसी वाहन का पार्श्व/पश्च-दृश्य दर्पण (c) सौर भट्टी। अपने उत्तर की कारण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर⇒ (a) किसी कार का अग्र-दीप अवतल दर्पण का बना होता है। वाहनों के अग्रदीपों (headlights) में प्रकाश का शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
(b) उत्तल दर्पण का उपयोग सामान्यतः वाहनों के पश्च-दृश्य दर्पणों के रूप में किया जाता है । ये दर्पण वाहन के पार्श्व में लगे होते हैं तथा इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहनों को देख सकते हैं जिससे वे सुरक्षित रूप से वाहन चला सकते हैं।
(c) सौर भट्टियों में सूर्य के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पणों का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 7. हम वाहनों में उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में वरीयता क्यों देते हैं ?
उत्तर⇒ उत्तल दर्पण को पश्च-दृश्य दर्पण के रूप में इसलिए वरीयता देते हैं क्योंकि वे सदैव सीधा. प्रतिबिम्ब बनाते हैं। इनका दृष्टि क्षेत्र भी बहुत अधिक है क्योंकि ये बाहर की ओर वक्रित होते हैं।
प्रश्न 8. अपवर्तनांक को परिभाषित करें। हीरे का अपवर्तनांक 2.42 है। इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर⇒ किसी माध्यम का अपवर्तनांक निर्वात में प्रकाश की चाल (c) और उस माध्यम में प्रकाश की चाल (v) का अनुपात होता है। अपवर्तनांक हीरे में प्रकाश की चाल निर्वात में चाल की 1/242 गुनी है। इसका क्रांतिक कोण C, sin C = 1/242 से प्राप्त होगा जो छोटा है। अतः, इसकी सतह पूर्ण आंतरिक परावर्तन के लिए ज्यादा उचित है।
प्रश्न 9. उत्तल दर्पण के प्रधान अक्ष पर रखे बिंब के प्रतिबिंब के लिए एक किरण आरेख खीचें और प्रतिबिंब की प्रकृति, आकार (साइज) एवं स्थान को लिखें।
उत्तर⇒ उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनने की दो स्थिति को दर्शाया गया है। जब वस्तु अनंत पर होती है तो उसका प्रतिबिंब दर्पण के फोकस पर बनता है।
जब बिम्ब ∞ और दर्पण के ध्रुव के बीच रहता है, तो प्रतिबिंब दर्पण के पीछे आभासी और छोटा बनता है। यह प्रतिबिंब आभासी तथा काफी छोटा होता है।
बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का साइज | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
अनंत पर | फोकस F पर दर्पण के पीछे | अत्यंत छोटा बिन्दु के साइज छोटा | आभासी तथा सीधा |
अनंत तथा दर्पण के ध्रुव P के | P तथा F के बीच | छोटा | आभासी तथा सीधा |
प्रश्न 10. प्रकाश के परावर्तन के नियमों को लिखें और इसे किरण आरेख से दर्शायें। अथवा, प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं ? इसके नियमों को लिखें।
उत्तर⇒ जब प्रकाश किसी पॉलिश की हुई या चमकदार सतह पर पड़ता है तो यह एक सुनिश्चित दिशा में विस्तारित होता है। किसी पॉलिश की हुई सतह से प्रकाश का एक सुनिश्चित रूप से दिशा बदलने की परिघटना को परावर्तन कहते हैं।
प्रकाश के परावर्तन के दो नियम हैं-
(i) आपतित किरण दर्पण के आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण एक ही तल में होते हैं।
(ii) परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर होता है।
प्रश्न 11. गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन के लिए नयी कार्तीय चिह्न परिपाटी दर्शायें।
उत्तर⇒ गोलीय दर्पणों द्वारा परावर्तन की नई कार्तीय चिह्न परिपाटी-
(i) बिंब सदैव दर्पण के बाईं ओर रखा जाता है।
(ii) मुख्य अक्ष के समांतर सभी दूरियाँ दर्पण के ध्रुव से मापी जाती है।
(iii) मूल बिंदु के दाईं ओर की दूरियाँ धनात्मक जबकि मूल बिंदु के बायीं ओर ऋणात्मक मानी जाती है।
(iv) मुख्य अक्ष के लंबवत् तथा ऊपर की ओर मापी जाने वाली दूरियाँ धनात्मक मानी जाती है।
(v) मुख्य अक्ष के लंबवत् तथा नीचे की ओर मापी जाने वाली दूरियाँ ऋणात्मक मानी जाती है।
प्रश्न 12. उत्तल लेंस के वक्रता केन्द्र पर रखे बिंब के प्रतिबिंब के लिए एक किरण आरेख खींचे और उस प्रतिबिंब की प्रकृति, आकार (साइज) एवं स्थान को लिखें।
उत्तर⇒
प्रश्न 13. वास्तविक तथा आभासी प्रतिबिम्ब में क्या अंतर है ?
उत्तर⇒
वास्तविक प्रतिबिम्ब | आभासी प्रतिबिम्ब |
वास्तविक प्रतिबिम्ब को पर्दे पर लिया जा सकता है। | आभासी प्रतिबिम्ब को पर्दे पर नहीं लिया जा सकता है। |
वास्तविक प्रतिबिम्ब सदैव उल्टे होते है । | आभासी प्रतिबिम्ब सदैव सीधे होते हैं। |
वास्तविक प्रतिबिम्ब दर्पण के आगे बनते हैं। | आभासी प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे बनता है। |
प्रश्न 14. उत्तल दर्पण तथा अवतल दर्पण में अंतर लिखिए।
उत्तर⇒
उत्तल दर्पण | अवतल दर्पण |
इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल बाहर को उभरा होता है। | इसमें परावर्तन करने वाला चमकीला तल अंदर धंसा होता है। |
इसमें आभासी प्रतिबिंब बनता है। | इसमें वास्तविक और आभासी दोनों प्रकार के प्रतिबिंब बनते हैं। |
इसमें सीधा प्रतिबिंब बनता है। | इसमें प्रतिबिंब उल्टा और सीधा दोनों बनते हैं। |
इसमें प्रतिबिंब छोटा बनता है। | इसमें प्रतिबिंब (बड़ा, छोटा तथा वस्तु के आकार) तीनों प्रकार का बनता है। |
प्रश्न 15. आवर्धन किसे कहते हैं ? इसे किस प्रकार ज्ञात किया जा सकता है?
उत्तर⇒ किसी बिंब के आकार के वस्तु के वास्तविक आकार के अनुपात को आवर्धन कहते हैं। यदि वस्तु की ऊँचाई h1और उसके बिंब की ऊँचाई h2 हो,
चित्र : आभासी बिंबों के लिए आवर्धन धनात्मक होता है और वास्तविक बिंबों के लिए ऋणात्मक होता है
प्रश्न 16. प्रकाश पुंज क्या है ? ये कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर⇒ किरणों के समूह को प्रकाश-पुंज कहते हैं।
ये तीन प्रकार के होते हैं-
(i) अपसारी की प्रकाश-पूर्ण,
(ii) अभिसारी प्रकाश-पूर्ण तथा
(iii) समांतर प्रकाश-पूर्ण ।
प्रश्न 17. किसी अवतल दर्पण द्वारा वस्तु का आभासी एवं आवर्धित प्रतिबिम्ब बनाने हेतु वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
उत्तर⇒ फोकस और वक्रता केन्द्र के बीच होनी चाहिए।
प्रश्न 18. पाश्विक विस्थापन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर⇒ काँच की आयताकार सिल्ली से प्रकाश के अपवर्तन में आपतित किरण और निर्गत किरण के बीच की लम्बवत् दूरी को पाश्विक विस्थापन कहते हैं।
प्रश्न 19. दिए गये उत्तल लेंस, अवतल लेंस एवं काँच की एक वृत्ताकार पट्टिका के सतहों को छुए बिना उनकी पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर⇒ उत्तल लेंस, अवतल लेंस तथा काँच की पट्टिका को मुद्रित अक्षरों के ऊपर रखकर उठाने से यदि अक्षरों का आकार बढ़ता हुआ दिखाई दे तो वह उत्तल लेंस होगा और यदि अक्षरों का आकार छोटा दिखाई दे तो वह अवतल लेंस होगा और यदि अक्षरों का आकार समान रहे तो वह काँच की वृत्ताकार पट्टिका होगी।
प्रश्न 20. सरल सूक्ष्मदर्शी में बननेवाले प्रतिबिम्ब का किरण आरेख खींचें। अथवा, किसी उत्तल लेंस द्वारा वस्तु का आभासी एवं आवर्धित प्रतिबिम्ब बनाने हेतु वस्तु की स्थिति कहाँ होनी चाहिए?
उत्तर⇒
प्रश्न 21. अवतल दर्पण के दो उपयोग लिखें। अथवा, अवतल दर्पणों के उपयोग लिखिए।
उत्तर⇒ अवतल दर्पण के निम्नांकित उपयोग हैं-
(i) बड़े आकार के अवतल दर्पणों का प्रयोग और ऊर्जा के लिए किया जाता है।
(ii) इनका प्रयोग वाहनों की हैडलाइट्स, लैम्पों, सर्चलाइट, टॉर्च आदि बनाने में किया जाता है।
(iii) शेविंग दर्पणों को बनाने में इनका प्रयोग किया जाताहै।
(iv) दंत चिकित्सक तथा विशेषज्ञ रोगी का परीक्षण करने के लिए इनका प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 22. उत्तल लेंस और अवतल लेंस में अंतर स्पष्ट करें। अथवा, आप उत्तल तथा अवतल लेंस की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर⇒
S.N | उत्तल लेंस | अवतल लेंस |
1. |
बीच में से मोटा तथा किनारों से पतला होता है। | बीच में पतला तथा किनारों से मोटा होता है। |
2. |
अक्षर बड़े आकार के दिखाई देते हैं। | अक्षर छोटे आकार के दिखाई देते हैं। |
3. |
प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करता है। | प्रकाश-किरण पुंज को बिखेर देता है। |
4. |
वस्तु का प्रतिबिंब वास्तविक, आभासी तथा उल्टा बनता है। | वस्तु का प्रतिबिंब आभासी तथा सीधा बनता है। |
5. |
लेंस को बायीं तरफ हिलाएँ तो प्रतिबिंब दायीं तरफ गति करता है। | लेंस को बायीं तरफ हिलाएँ तो प्रतिबिंब भी बायीं तरफ हटेगा। |
6. |
इसकी फोकस दूरी धनात्मक होती है। | इसकी फोकस दूरी ऋणात्मक होती है। |
प्रश्न 23. उत्तल दर्पण एवं अवतल दर्पण के तीन उपयोगों को लिखें।
उत्तर⇒ उत्तल दर्पण-
(i) उत्तल दर्पण का उपयोग वाहनों के पश्च-दृश्य दर्पणों के रूप में किया जाता है।
(ii) बाजारों व गलियों में लगे लैम्पों का प्रकाश उत्तल दर्पण से परावर्तित होकर अपसारी किरण-पुंज के रूप में सड़क के काफी क्षेत्र को प्रकाशित करता है।
(iii) छपाई के छोटे-छोटे अक्षरों को पढ़ने में किया जाता है।
अवतल दर्पण-
(i) अवतल दर्पण का उपयोग सेविंग दर्पण के रूप में किया जाता है।
(ii) इसका उपयोग टार्च, वाहनों की हेड लाइट, दूरबीन और खोज उपकरणों में प्रकाश परावर्तन के लिये किया जाता है।
(iii) ENT अर्थात् कान, नाक और गले के निरीक्षण तथा दंत चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 24. जब उत्तल लेंस के सामने एक वस्तु को 0 और S के बीच रखा जाता है, तो बननेवाले प्रतिबिम्ब का किरण आरेख खींचें।
उत्तर⇒
प्रश्न 25. काँच की आयताकार सिल्ली में अपवर्तन के दो किरणों का नामांकित चित्र खींचें।
उत्तर⇒
प्रश्न 26. लेंस की क्षमता क्या हैं ? मान और मात्रक लिखें।
उत्तर⇒ किसी लेंस की क्षमता लेंस की फोकस दूरी के प्रतिलोम के बराबर होती है, जबकि फोकस दूरी मीटर में नापी गई हो।
लेंस की क्षमता = 1/f
जहाँ f का मान मीटर में है। लेंस-क्षमता का मात्रक डायोप्टर होता है। 1 डायोप्टर उस लेंस की क्षमता है जिसकी फोकस दूरी 1 मीटर है।
प्रश्न 27. अवतल लेंस के सामने रखी किसी वस्तु (बिम्ब) का प्रतिबिम्ब निर्धारण के लिए किरण आरेख खींचे।
उत्तर⇒
प्रश्न 28. एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आर्वधन +1 है, इसका क्या अर्थ
उत्तर⇒ एक समतल दर्पण द्वारा उत्पन्न आर्वधन + 1 होने का अर्थ है कि समतल दर्पण के द्वारा जिस वस्तु का प्रतिबिम्ब बन रहा है, उस वस्तु का साइज दर्पण (समतल) द्वारा बनाए गए प्रतिबिम्ब के साइज के बराबर है। धनात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब सीधा तथा आभासी है।
प्रश्न 29. किसी उत्तल लेंस का आधा भाग काले कागज से ढक दिया गया है। क्या यह लेंस किसी बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना पाएगा? अपने उत्तर की प्रयोग द्वारा जाँच कीजिए। अपने प्रेक्षणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर⇒ हाँ, यह एक बिंब का पूरा प्रतिबिंब बना सकता है। उदाहरण के लिए यदि हम एक उत्तल लेंस में से किसी पेड़ को देखते हैं और फिर लेंस को आधा काले कागज से ढक देते हैं तब भी हमें पेड़ का पूरा प्रतिबिंब दिखेगा । यद्यपि प्रतिबिंब पहले से थोड़ा धुंधला हो सकता है।
प्रश्न 30. उत्तल लेंस के दो उपयोग को बताएँ।
उत्तर⇒ उत्तल लेंस का दो उपयोग इस प्रकार हैं- (i) नेत्र से दूर-दृष्टि दोष को सुधारने में और (ii) छपाई के छोटे-छोटे अक्षरों के पढ़ने में होता है।
प्रश्न 31. बिना शक्ति के चश्मे (Plane Glasses) की फोकस दूरी कितनी होती है ?
उत्तर⇒
प्रश्न 32. समतल दर्पण में बनने वाले प्रतिबिंब की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर⇒ समतल दर्पण के सामने जितनी दूरी पर कोई वस्तु हो उसका बिंब उतना ही पीछे बनता है । समतल दर्पण में किसी वस्तु के पूरे बिंब को देखने के लिए दर्पण का आकार में उससे आधा होना आवश्यक होता है।
प्रश्न 33. पानी में डूबी हुई लकड़ी मुड़ी हुई प्रतीत होती है, क्यों ?
उत्तर⇒ जब पानी में लकड़ी का एक सीधा टुकड़ा डुबोया जाता है तो प्रकाश के अपवर्तन के कारण वह मुड़ा हुआ प्रतीत होता है। जैसे ही प्रकाश की किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम में आती हैं वैसे ही लंब से परे मुड़ जाती हैं जिस कारण लकड़ी का टुकड़ा मुड़ा हुआ लगता है।
प्रश्न 34. विसरित परावर्तन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर⇒ जब प्रकाश की किरणें ऐसे तल से टकराती हैं जो असमतल पर खुरदरा होता है तो प्रकाश की किरणों का एक बड़ा भाग तल से टकराकर फैल जाता है । इसे विसरित परावर्तन कहते हैं । पुस्तक को पढ़ते, सिनेमा हॉल में सिनेमा देखते, ब्लैक बोर्ड पर लिखे शब्दों को देखते समय विसरित परावर्तन का ही प्रयोग किया जाता है ।
प्रश्न 35. क्रांतिक कोण (Critical Angle) किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒ जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो वह अभिलंब से परे हटती है अर्थात् विरल माध्यम में बना अपवर्तित कोण (∠r) सघन माध्यम में बने आपतित कोण (∠i) से बड़ा होता है। यदि विरल माध्यम में बना अपवर्तित कोण एक समकोण के समान हो जाए, तो इसके सापेक्ष सघन माध्यम में बना आपतित कोण, ‘क्रांतिक कोण’ कहलाता है।
प्रश्न 36. पैरिस्कोप किसे कहते हैं ? इसके क्या उपयोग हैं ?
उत्तर⇒ पैरिस्कोप एक यंत्र है जिसके द्वारा हम अपने में छिपी हुई वस्तुओं को देख सकते हैं। सैनिक खाइयों में छिपकर मैदानों-पहाड़ों को देख सकते हैं और पनडुब्बियों में बैठे सैनिकों, समुद्र तल का पर्यवेक्षण कर सकते हैं । किसी धुंध वाले दिन अवरक्त फोटोग्राफी भी इसकी सहायता से की जा सकती है।
पैरिस्कोप समतल दर्पणों की सहायता से बनाए जा सकते हैं जो प्रकाश के परावर्तन-सिद्धांत पर कार्य करते हैं। उच्च कोटि के पैरिस्कोप में प्रिज्मों का प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 37. कोई वस्तु किसी अवतल लेंस के प्रकाशिक केन्द्र तथा अनन्त के बीच रखी गई है। बनने वाले प्रतिबिम्ब का किरण आरेख खींचें।
उत्तर⇒
प्रश्न 38. उत्तल लेंस किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का साफ चित्र भी बनाएँ। अथवा, उत्तल लेंस तथा अवतल लेंस की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर⇒ उत्तल लेंस— यह मध्य में मोटा तथा किनारों पर पतला होताहै।
उत्तल लेंस के रूप—उत्तल लेंस तीन प्रकार के होते हैं
(i) उभयोत्तल लेंस—इसके दोनों धरातल उत्तल होते हैं।
(ii) समोत्तल लेंस—इसका एक धरातल उत्तल तथा दूसरा समतल होता है।
(iii) अवतलोत्तल लेंस— इसका एक धरातल उत्तल तथा दूसरा अवतल होता है।
प्रश्न 39. आपतित किरण, परावर्तित किरण, अभिलम्ब, आपतन कोण एवं परावर्तित कोण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर⇒ आपतित किरण— किसी दर्पण पर आकर टकराने वाली किरण को आपतित किरण कहते हैं।
परावर्तित किरण-दर्पण पर टकराने के बाद लौटने वाली प्रकाश किरण को परावर्तित किरण कहते हैं।
अभिलम्ब—जिस बिन्दु पर आपतित किरण तथा परावर्तित किरण मिलती हैं उस बिन्दु पर खींचा गया लम्ब अभिलम्ब कहलाता है।
आपतन कोण—आपतित किरण तथा अभिलम्ब के बीच बने कोण को आपतन कोण कहते हैं।
परावर्तन कोण—परावर्तित किरण तथा अभिलम्ब के बीच बने कोण को परावर्तन कोण कहते हैं।
प्रश्न 40. कोई वस्तु किसी अवतल दर्पण के सम्मुख वक्रता केन्द्र पर रखी गई है । बनने वाले प्रतिबिम्ब का किरण आरेख खींचे एवं प्रतिबिम्ब की प्रकृति लिखें।
उत्तर⇒
प्रश्न 41. पूर्ण आंतरिक परावर्तन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर⇒ मान लें एक वस्तु सघन माध्यम में O बिंदु पर है। प्रकाश की एक किरण A से आपतित अभिलंब बना कर [∠i= 0°] बाहर निकल जाती है। एक और किरण A1से अभिलंब के साथ ∠r बनाकर निकलती है। यहाँ ∠r> ∠i है । यदि हर बार ऐसी स्थिति में ∠i बढ़ाया जाए तो ∠r भी बढ़ता जाता है। एक अवस्था ऐसी आती है जहाँ ∠r = 90° है । सघन माध्यम में आपतन कोण विरल माध्यम के साथ समकोण बनाए, उसे क्रांतिक कोण कहते हैं।
अब यदि ∠i> ∠C तो एक परावर्तन A3B3 की तरह होता है। इसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं। इसके लिए प्रकाश को सघन से विरल माध्यम की ओर जाना चाहिए तथा सघन माध्यम में आपतित कोण की क्रांतिक कोण से बड़ा होना चाहिए।
प्रश्न 42. अवतल लेंस किसे कहते हैं ? यह कितने प्रकार का होता है ? प्रत्येक का साफ चित्र बनाएँ। अथवा, अवतल लेंस कौन-कौन से प्रकार के हैं ?
उत्तर⇒ अवतल लेंस—यह लेंस बीच में से पतले तथा किनारों पर मोटे होते हैं और प्रकाश की किरणों को अपसारित करते हैं इसलिए इन्हें अपसारी लेंस भी कहते हैं।
अवतल लेंस के तीन रूप होते हैं-
(i) उभयावतल लेंस—इसके दोनों धरातल अवतल होते हैं।
(iii) समावतल लेंस—इसका एक धरातल समतल होता है और दूसरा अवतल ।
(iii) उत्तलावतल लेंस—इसका एक धरातल उत्तल होता है और दूसरा अवतल ।
प्रश्न 43. अवतल दप्रण में फोकस दूरी (1) और वक्रता त्रिज्या में क्या संबंध है?
उत्तर⇒ दो समानांतर किरणें AB और DE अवतल दर्पण से टकरा कर F पर प्रतिबिंब बनाती है।
प्रश्न 44. जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सधन माध्यम में प्रवेश करती है, तो क्या होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर⇒ जब कोई प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो वह अभिलंब की तरफ मुड़ जाती है । इसका अपवर्तन कोण (r) आपतन कोण (i) से छोटा होता है।
Science ( विज्ञान ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
चित्र में L उत्तल दर्पण दिखाया गया है। AB विभ्व XY मुख्य अक्ष पर उदग्र रूप से स्थित है। AB का प्रतिबिंब उत्तल दर्पण में A‘B‘ बनता है जो आभासी है।
BP = विभ्व की दूरी =u
PB’ = प्रतिबिंब की दूरी = v‘
PF = दर्पण का फोकसांतर =ƒ
PC = वक्रता त्रिज्या = R
ΔABC ~ΔA’B’C
चित्र में MPN एक अवतल दर्पण दिखाया गया है। मुख्य अक्ष XX‘ है। AB एक वस्तु है जो मुख्य अक्ष पर उदग्र खड़ा है। AB प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समांतर है। AM आपतित किरण दर्पण से परावर्तन के बाद फोकस F से होकर गुजरता है। दूसरी किरण दर्पण के वक्रता केन्द्र से होकर जाती है। AN किरण MS किरण को A‘ पर काटती है। AB का वास्तविक उल्टा प्रतिबिंब A‘B‘ बनता है। जो बिंब से छोटा है।
PB = बिंब की दूरी =u
PB = = प्रतिबिंब की दूरी =ν
PF = दर्पण का फोकसांतर = ƒ
और PC = दर्पण की वक्रता त्रिज्या = R
ΔABC ~ΔA’B’C
3. किसी उत्तल दर्पण में सिद्ध करें कि f =R/2 , जहाँ f = फोकसांतर, R = दर्पण की वक्रता त्रिज्या है।
उत्तर⇒ चित्र में एक उत्तल दर्पण को प्रधान अक्ष XX‘ पर रखा गया है। दर्पण का ध्रुव P है। F दर्पण का फोकस और C वक्रता केंद्र है। AB अपवर्तित किरण है। यह दर्पण से परावर्तित होकर BD दिशा में चली जाती है। DB को मिलाने पर यह मुख्य अक्ष के F बिंदु (फोकस) पर मिलाती है। C से B को मिलाया और अपनी दिशा में M तक बढ़ाया गया है।
PF = फोकसांतर =f; PC = वक्रता त्रिज्या = R
अनंत बिंदु से आनेवाली प्रकाश किरण F पर मिलती है
अतः वस्तु का प्रतिबिंब F पर बनता है। यह प्रतिबिंब आभासी है।
∠ABM = i तथा ∠MBD = r
∠i = ∠r परावर्तन के नियम से
∠x = ∠FBC (अंतराभिमुख कोण)
AB || XX’ अतः ∠i = ∠BCF
इसलिए ∠ BCF = ∠FBC
इसलिए BF = FC
अगर B बिंदु P के काफी समीप हैं तो B C = P C
इसलिए BF = PF = FC
PC = PF + FC
R=f +f
इसलिए 2f =R
इसलिए f =R/2
फोकसांतर =1/2 x वक्रता त्रिज्या
4. अवतल दर्पण में सिद्ध करें कि f=R/2 जहाँ f और R के विशिष्ट मान है।
उत्तर⇒
AB प्रकाश किरण मुख्य अक्ष के समांतर है। AB किरण दर्पण से परावर्तन के बाद F (फोकस) से होकर गुजरता है। CB को मिलाया गया है।
∠ABC = ∠CBF = ∠i = ∠r
इसलिए AB \\XX ‘
∠CBF = ∠ABC = ∠BCF
इसलिए ∠i = ∠r
इसलिए अत: CF = BF
अगर B बिन्दु P के काफी समीप है तो BF = PF
इसलिए CP = PF = f (फोकसान्तर) CP = R अवतल दर्पण की वक्रता त्रिज्या है।
इसलिए CP = CF + PF
R= f +f = 2f
इसलिए R = 2f
अतः वक्रता त्रिज्या = 2 x फोकसान्तर
5. पूर्ण आंतरिक परावर्तन को समझावें।
उत्तर⇒ कुछ विशिष्ट परिस्थियों में आपतित प्रकाश को उसकी तीव्रता में बिना किसी विशिष्ट हानि के उसी माध्यम में वापस किया जा सकता है। इस परिघटना को पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं। जब वायु में अपवर्तन कोण का मान 90° होता है तो माध्यम विशेष जिससे प्रकाश किरण चलती है के आपतन कोण को क्रांतिक कोण कहते हैं।
9. किसी उत्तल लेंस के आवर्धन के लिए एक व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर⇒ प्रधान अक्ष के लंबवत प्रतिबिम्ब का अकार h और वस्तु का आकार h का अनपात लेंस द्वारा उत्पन्न आवर्धन कहा जाता है ।
10. आवर्धन से क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन वह आपेक्षिक विस्तार है जिससे ज्ञात होता है कि कोई प्रतिबिंब बिम्ब की अपेक्षा कितना गुना आवर्धित है। इसे प्रतिबिंब की ऊँचाई के अनुपात के रूप में व्यक्त किया जाता है। यदि ॥ बिम्ब की ऊँचाई हो तथा ‘ प्रतिबिंब की ऊँचाई हो तो गोलीय दर्पण द्वारा उत्पन्न आवर्धन (m) प्राप्त होगा।
इस बात पर ध्यान रखा जाता है कि बिम्ब की ऊँचाई धनात्मक ली जाती है क्योंकि बिम्ब को मुख्य फोकस अक्ष के ऊपर रखा जाता है । आभासी प्रतिबिंबों के लिए प्रतिबिंब की ऊँचाई भी धनात्मक होती है जबकि वास्तविक प्रतिबिंबों के लिए प्रतिबिंब ऊँचाई ऋणात्मक चिह्न से ज्ञात किया जाता है । आवर्धन के मान में ऋणात्मक चिह्न से ज्ञात होता है कि प्रतिबिंब वास्तविक है और आवर्धन के मान में धनात्मक चिह्न बताता है कि प्रतिबिंब आभासी है।
11. अपवर्तनांक से क्या समझते हैं ?
उत्तर⇒ अपवर्तनांक को एक महत्त्वपूर्ण भौतिक राशि, विभिन्न माध्यमों में प्रकाश के संचरण की आपेक्षिक चाल से सम्बद्ध किया जा सकता है। विभिन्न माध्यमों में प्रकाश की चाल भिन्न–भिन्न होती है। हल्के (विरल) माध्यम में प्रकाश की चाल सघन माध्यम की अपेक्षा अधिक होती है। अगर माध्यम 1 से माध्यम 2 में प्रकाश किरणें प्रवेश कर रही हैं तो मान लिया कि माध्यम 1 में प्रकाश की चाल , तथा माध्यम 2 में प्रकाश की चाल V, है। माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक, माध्यम 1 में प्रकाश की चाल तथा माध्यम 2 में प्रकाश की चाल के अनुपात द्वारा व्यक्त करते हैं।
12. किरण-आरेख से दिखावें कि पानी की गहराई किसी बाल्टी में वास्तविक गहराई से कम है।
उत्तर⇒ बाल्टी में पानी लिया जाता है। पेंदे के किसी बिंदु P से निकलने वाले किरण PB और PC क्रमशः वायु में निकलने पर अभिलंब से दूर विचलित हो जाता है।
दर्शक प्रकाश की किरणों को P‘ से निकलते हुए देखता है और बाल्टी का पेंदा उठा मालम पड़ता है। यह घटना अपवर्तन के कारण होता है। अतः पानी से भरी बाल्टी की मल–गहराई कम प्रतीत होती है, जिसे बाल्टी को आभासी गहराई के रूप में देख पाते हैं।
13. पानी में रखा सिक्का उठा हुआ मालूम पड़ता है। क्यों ?
उत्तर⇒ पानी के अन्दर रखा हुआ सिक्का कुछ ऊपर उठा हुआ मालूम पड़ता है। यह परिघटना प्रकाश के अपवर्तन के कारण होता है।
पानी के अंदर बरतन में सिवका की स्थिति P पर है। PA और PB दो आपतित किरणें निकलती हैं। A और B से ये किरणें ज्योंहि वाय माध्यम में अपवर्तित होती है वे अभिलंब से दूर हट जाती हैं। क्योंकि पानी, वायु की अपेक्षा सधन माध्यम है। ये दोनों झुकी किरणें आँख पर P बिंद का आभासी प्रतिबिंब p‘ पर देखता है। ऐसा प्रतीत होता है कि पानी में सिक्का की वास्तविक स्थिति p‘ पर है लेकिन p‘ पर सिक्का का आभासी स्थिति है जो P से ऊपर है। अतः पानी में रखा गया सिक्का देखने पर कुछ उठा हुआ मालूम पड़ता है।
14. पानी के अंदर आधी डूबी हुई पेन्सिल या काँच की छड़ टेढ़ी । मालूम पड़ती है। स्वच्छ चित्र द्वारा समझावें।
उत्तर⇒ पानी में अंशतः डूबी हई पेन्सिल अथवा काँच की छड़ टेढ़ी प्रतात हाता है। यह परिघटना प्रकाश किरणों के अपवर्तन के कारण होता है। प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर चलती हैं और यह अभिलंब से दूर हट जाती है। दर्शक P बिंदु की स्थिति P‘ पर देखना है। अत: पेन्सिल के नीचे का छोर थोड़ा ऊपर उठा हुआ तथा पेंसिल अपवर्तक सतह पर थोड़ा टेढ़ा दीखता है।