पाकिस्तान में बरस गया डॉलर! एक महीने में हो गई अरबों की कमाई, कंगाली होगी दूर

Pakistan Remittance: कंगाली की मार झेल रहे पाकिस्तान में डॉलर की जमकर बरसात हुई. डॉलर की यह बरसात खैरात में मिले कर्ज से नहीं हुई है, बल्कि विदेश में रह रहे पाकिस्तान के लोगों ने कराई है. विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों ने अपने रिश्तेदारों के पास इतने डॉलर भेज डाले कि डॉलर संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए मार्च 2025 एक बड़ी आर्थिक राहत लेकर आया.

मार्च में रिकॉर्ड 4.1 अरब डॉलर का आया रेमिटेंस

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) के अनुसार, पाकिस्तान को इस महीने विदेशों में बसे पाकिस्तानी नागरिकों से रिकॉर्ड 4.1 अरब डॉलर का रेमिटेंस प्राप्त हुआ है. यह किसी एक महीने में मिला अब तक का सबसे अधिक आंकड़ा है, जो देश की गिरती अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है. स्टेट बैंक के गवर्नर जमील अहमद ने पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) में एक कार्यक्रम में कहा कि फरवरी 2025 में भी रेमिटेंस में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई थी, जब यह 3.12 अरब डॉलर रहा था. जनवरी के मुकाबले यह 3.8% की बढ़ोतरी थी. उन्होंने कहा कि मार्च में पहली बार किसी महीने में रेमिटेंस चार अरब डॉलर के पार गया है, जो कि हमारे आर्थिक प्रयासों और प्रवासी पाकिस्तानियों के भरोसे को दर्शाता है.

सुधरेगा पाकिस्तान का भुगतान संतुलन

गवर्नर जमील अहमद ने कहा कि पिछले साल मार्च 2024 में यह आंकड़ा 2.95 अरब डॉलर था. लिहाजा, इस बार सालाना आधार पर लगभग 37% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है1 यह न केवल विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में मदद करेगा, बल्कि पाकिस्तान की भुगतान संतुलन की स्थिति में भी सुधार की संभावना बढ़ेगी.

शहबाज शरीफ भी गदगद

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में आयोजित प्रवासी पाकिस्तानियों के सम्मेलन में उन्होंने कहा, “यह उपलब्धि न केवल सरकार की नीतियों पर भरोसे को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि प्रवासी पाकिस्तानियों का दिल अपने वतन के लिए धड़कता है. यह रेमिटेंस देश की अर्थव्यवस्था को संबल देने के साथ-साथ हमारे राष्ट्रीय विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.”

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पाकिस्तानी मजदूरों के बूते बरसा डॉलर

विशेषज्ञों के अनुसार, यह बढ़ोतरी सरकार द्वारा डिजिटल भुगतान चैनलों को बढ़ावा देने, हवालाओं पर नियंत्रण और औपचारिक बैंकिंग प्रणाली को प्रोत्साहित करने की रणनीतियों का परिणाम है. साथ ही, सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका और यूके जैसे देशों में कार्यरत पाकिस्तानी मजदूरों का योगदान भी इस रिकॉर्ड में अहम रहा. आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है तो पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय स्थिरता आ सकती है, जिससे आयात और ऋण भुगतान जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं में आसानी हो सकती है.

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