‘पहलगाम में कल की रात भारी थी.. कोहराम मचा था..’ 25वीं सालगिरह पर कश्मीर गए दंपति की आपबीती पढ़िए

Pahalgam Terrorist Attack: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर को रख दिया है. 25 से अधिक लोगों की मौत इस आतंकी हमले में हो चुकी है. जो लोग घूमने के लिए कश्मीर गए हुए थे वो बीच में ही वापस लौटने की मारामारी कर रहे हैं. वहीं हमले के दौरान कश्मीर में जो बाहरी लोग मौजूद थे वो सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया देकर बता रहे हैं कि वो भी इस हमले में शिकार बन सकते थे. लेकिन बाल-बाल बच गए. कौटिल्य जायसवाल नाम के एक शख्स ने भी इस हमले की आपबीती बनायी है.

कौटिल्य जायसवाल का फेसबुक पोस्ट…

जान है तो जहान है.

‘कल यानी 22 अप्रैल को हम पहलगाम में ही थे. जी,ठीक उसी समय जब आतंकवादियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया था. पच्चीस अप्रैल को हमारी शादी की पच्चीसवी वर्षगांठ है. साथ ही चौबीस को पत्नी जी का जन्मदिन भी. हमलोगों ने तय किया कि यह उत्सव काश्मीर में मनाऐंगे. पच्चीस बरस से हम कश्मीर जाने की इच्छा लिए थे. दो बार हम नाकामयाब हुऐ थे. जहाज से लेकर होटल की बुकिंग रद्द हुई थी. पर इस बार इच्छा दृढ़ थी. दिल्ली से मेरा जहाज था. हमलोग साढे नौ बजे श्रीनगर पहुंचे थे. पहले से तय था कि दो दिन पहलगाम रुकना है 22 और 23 अप्रैल. फिर गुलमर्ग और श्रीनगर. 27 की वापसी थी. हम श्रीनगर एयरपोर्ट से सीधे पहलगाम की ओर निकल गये. कश्मीर वाकई स्वर्ग है साथ मे स्वर्गवासी होने का खतरा भी है. पहलगाम होटल हम साढ़े बारह बजे पहुंच गये. रास्ते में ड्राइवर से बात करते,कहां जाना है? क्या क्या करना है? ड्राइवर ने जगहों के नाम गिनाऐ. ABC जाना चाहिए और बाईसरान यानी मिनी स्विट्जरलैंड ।ABC मतलब अरुवैली,बेताबवैली और चंदनवाड़ी. तो तय हुआ कि आज यानि 22 अप्रैल को बाईसरान चला जाएं. कल ABC जाऐंगे.’

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पत्नी से कहा.. मेहंदी लगवा लो… कलाई में चूड़ियां भर लो… लेकिन

कौटिल्य आगे लिखते हैं- ‘ इसी बाईसरान मे आतंकी घटना हुई. पर मामला फस गया. बाईसरान मे गाड़ी नही जाती वहां पोनी यानी खच्चर से जाया जाता है. पच्चीस बरस में कुछ बढ़ा या नही बढ़ा पर वजन बढ़ गया. यही बढा़ वजन हमारी जान बचा गया. हमने कहा कि भाई पोनी पर हम बैढेंगे तो पोनी बैठ जाएगा तो वहां जाना कैंसिल. यदि हम बाईसरान जाते तो ठीक उसी समय पहुंचते जब आतंकवादी हमला हुआ तीन बजे.हमारी पच्चीसवी वर्षगांठ थी. हमने शिल्पी से कहा की जरा मेंहदी लगवा लो,चूड़ियों से कलाई भर लो भले ही पच्चीस बरस बीत गये पर नयापन लगना चाहिए. बाद में पता चला कि इसी मेंहदी और चूड़ी को देखकर आंतकियों ने एक नव दम्पति में पति की हत्या कर दी. कभी-कभी पत्नी का बात ना सुनना आपका जीवन बचा सकता है. ये घटना इस बात का उदाहरण है.’

होटल में बैठे थे… अचानक आतंकी हमले की मिली सूचना…

कौटिल्य आगे लिखते हैं- ‘हम होटल मे बैठे थे. तभी वेटर ने बताया ऊपर मतलब बाईसरान मे गोली चल गई है. आतंकवादियों ने टूरिस्ट को टार्गेट किया है. ड्राइवर भी घबराया हुआ आया. कहा कि गोली की आवाज़ आई है आप लोग होटल से कही बाहर ना निकले. थोडी देर मे एक बुजुर्ग दम्पति लगभग कांपता हुआ होटल में आया. घबराया हुआ सा कहा कि मैं बेताब वाली से आ रहा हूँ. हर तरफ अफरातफरी है. एक युवा दम्पति शाम को होटल मे मिला उसने बताया की बाईसरान से एक पहाड़ी नीचे वो पोनी तय कर रहे थे इतने मे गोली चलने की आवाज आई. पहले कुछ गोली चली फिर थोडी देर में गोलियों की तड़तड़ाहत हुई फिर से पांच मिनट बाद फायरिंग हुई फिर शांति हो गई. वो भी भाग कर वापस आ गये.’

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‘पहलगाम में कल की रात भारी थी.. कोहराम मचा था.. ‘ 25वीं सालगिरह पर कश्मीर गए दंपति की आपबीती पढ़िए 2

मेरे वाले होटल में ही वो रूकी थी… रोती हुई आती..पति की हत्या हो चुकी थी…

कौटिल्य आगे लिखते हैं- ‘मेरे होटल में एक और दम्पति रुका था. ड्राइवर ने बताया कि वो मिट्टी से सनी रोती बिलखती होटल आई है. उसको वापस श्रीनगर भेजा जा रहा है. इस गोली बारी मे उसके पति की हत्या हो गई है. उसका शव हैलिकाप्टर से श्रीनगर भेजा जा चुका है. साढ़े तीन बजे तक अफरातफरी फैल गई थी. हर पर्यटक बस पहलगाम से भागने के फिराक में था. वाहनों की लाइन लग गई. कई लोग होटल छोड़ कर निकल रहे थे. पर हमने सोचा ऐसे अफरातफरी में बाहर निकलना ठीक नही है. फिर श्रीनगर जाकर करेंगे भी क्या? रास्ता सुनसान है. फिर आतंकवादी अभी पकड़े भी नही गये. यदि उनका टार्गेट टूरिस्ट ही है तो वो फिर कहीं हमला कर सकते हैं. सो हम लोग होटल मे ही रुक गये.’

कल की रात बहुत भारी थी…

कौटिल्य आगे लिखते हैं- ‘कल की रात बहुत भारी थी. मुश्किल से दस बीस लोग ही होटल मे रूके थे. पूरे समय आर्मी की गाड़ी हुटर बजाते सड़क पर दौड़ रही थी. आसमान में हेलीकाप्टर शोर मचा रहे थे. ऐबुलेंस की लाइन लगी थी. चारो तरफ कोहराम मचा था.’

हमने सारी बुकिंग कैंसलि की और बुझे मन से वापस लौटे…

कौटिल्य आगे लिखते हैं- ‘आज हम होटल से निकल कर श्रीनगर एयरपोर्ट आ गये हैं. शाम को 6 बजे की हमारी फ्लाइट है. आगे की सारी बुकिंग फिर से कैसिंल करानी पड़ी. सारी तम्मनाओं को दर किनार कर हम बुझे मन से दिल्ली वापस लौट रहे हैं. फिर से कश्मीर में समय बिताने की इच्छा पूरी ना हो सकी.’ पर जान है तो जहान है. कश्मीर फिर कभी.

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