नौकरशाहों के व्यवहार पर स्पीकर ने जताई आपत्ति
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री एवं आप प्रवक्ता सौरव भारद्वाज ने कहा कि भाजपा को अब समझ आ रहा है कि लोकतंत्र को कमजोर करने का खामियाजा क्या होता है. लोकतंत्र कमजोर होने से देश और लोगों को ही नुकसान होता है. भाजपा ने पिछले 10 साल में दिल्ली के अधिकारियों को आप के मंत्रियों और विधायकों की बात नहीं सुनने के लिए कहा.
Delhi: दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के बाद कई मुद्दों पर आप और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जनप्रतिनिधियों की बात न सुनने को गंभीर मामला बताते हुए सभी विभागों के प्रमुख को मीटिंग में उपस्थित रहने के साथ ही संवदेशनशीलता के साथ काम करने की बात कही है. इस पत्र को लेकर आम आदमी पार्टी भाजपा पर हमलावर है.
दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री एवं आप प्रवक्ता सौरव भारद्वाज ने कहा कि भाजपा को अब समझ आ रहा है कि लोकतंत्र को कमजोर करने का खामियाजा क्या होता है. लोकतंत्र कमजोर होने से देश और लोगों को ही नुकसान होता है. भाजपा ने पिछले 10 साल में दिल्ली के अधिकारियों को आप के मंत्रियों और विधायकों की बात नहीं सुनने के लिए कहा.
आप सरकार के दौरान अधिकारी फोन तक नहीं उठाते थे
सौरव भारद्वाज ने कहा कि आप सरकार के दौरान अधिकारी दिल्ली सरकार के मंत्रियों के फोन तक नहीं उठाते थे. चिट्ठी का जवाब देना तो दूर की बात थी. लेकिन अब भाजपा नौकरशाही के मनमाने तरीके से खुद परेशान दिख रही. अब भाजपा अधिकारियों को कर्तव्य का पाठ सिखा रही है. आम आदमी पार्टी सरकार के दौरान मंत्रियों और नौकरशाहों के बीच टकराव आम बात हो गयी थी. आप सरकार के दौरान भाजपा ने अधिकारियों को मनमानी करने की छूट दी. अब जब अधिकारी भाजपा नेताओं की बात नहीं सुन रहे हैं तो उन्हें नसीहत दी जा रही है. ऐसा लगता है कि भाजपा को समझ आ गया है कि लोकतंत्र को कमजोर करने का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है.
दिल्ली की जनता का हित सर्वोपरि
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने बुधवार को राजधानी की नौकरशाही को लेकर चिंता जताते हुए मुख्य सचिव को पत्र लिखा था. मुख्य सचिव धर्मेंद्र कुमार को लिखे पत्र में गुप्ता ने अधिकारियों को विधायकों से बेहतर व्यवहार करने की चेतावनी दी है. पत्र में दिल्ली सरकार के विभागों के शीर्ष पर बैठे वरिष्ठ नौकरशाह विधायकों के साथ बातचीत के लिए खुद उपलब्ध नहीं होने पर नाराजगी जाहिर करते हुए इस पर तत्काल कदम उठाने की मांग की. पत्र में अधिकारियों के व्यवहार को गंभीर मामला बताते हुए गुप्ता ने सभी प्रशासनिक सचिव, दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों के प्रमुख, दिल्ली पुलिस, डीडीए आदि को संवेदनशील बनाने का आग्रह करते हुए इस मामले में उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया.