धमकाते रह गए डोनाल्ड ट्रंप, ऐपल ने भारत में कर दिया 1.5 अरब डॉलर का बड़ा निवेश

Apple Investment: दुनिया की अग्रणी टेक कंपनी ऐपल (Apple) अब चीन पर अपनी निर्भरता को कम करते हुए भारत में मैन्युफैक्चरिंग विस्तार की ओर बढ़ रही है. चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध के बीच, कंपनी ने भारत को एक सुरक्षित और रणनीतिक विकल्प के रूप में चुना है. ऐपल की मैन्युफैक्चरिंग सहयोगी कंपनी फॉक्सकॉन (Foxconn) भारत में 1.5 अरब डॉलर (करीब 12,834 करोड़ रुपये) का बड़ा निवेश कर रही है. हालांकि, अभी हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐपल के सीईओ टिम कुक को भारत में निवेश नहीं करने की सलाह दी थी.

फॉक्सकॉन का बड़ा निवेश

यह निवेश फॉक्सकॉन की सिंगापुर स्थित सहायक इकाई के माध्यम से किया जाएगा, जिससे दक्षिण भारत में कंपनी की उत्पादन क्षमता में बड़ा इजाफा होगा. इस फैसले से ऐपल को चीन के बाहर अपने सप्लाई चेन को मजबूत करने में मदद मिलेगी और भारत वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में बड़ी भूमिका निभाएगा.

आईफोन अब भारत में ही होंगे तैयार

ऐपल की योजना है कि भविष्य में अमेरिका में बिकने वाले ज्यादातर iPhone मॉडल भारत में ही तैयार किए जाएं. यह निर्णय चीन से उत्पादन हटाकर विविध और स्थिर आपूर्ति तंत्र बनाने के तहत लिया गया है. इससे भारत धीरे-धीरे iPhone निर्माण का ग्लोबल सेंटर बनता जा रहा है.

ऐपल ने ट्रंप की चेतावनी को किया नजरअंदाज

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऐपल के सीईओ टिम कुक से आग्रह किया था कि कंपनी अमेरिका में उत्पादन बढ़ाए, ताकि अमेरिकी नौकरियां सुरक्षित रह सकें. लेकिन, ऐपल ने उनकी इस बात को दरकिनार करते हुए भारत में निवेश का रास्ता चुना, जो लागत और रणनीति दोनों ही दृष्टिकोण से फायदेमंद साबित हो रहा है.

भारत में iPhone निर्माण में भारी इजाफा

साल 2024 में भारत में बनाए गए iPhone की कुल कीमत लगभग 22 अरब डॉलर तक पहुंच गई, जो पिछले साल के मुकाबले करीब 60% अधिक है. फॉक्सकॉन के अलावा टाटा ग्रुप और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियां भी भारत में ऐपल के निर्माण कार्य में साझेदार हैं, जिससे स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम मजबूत हो रहा है.

रोजगार और आत्मनिर्भर भारत को मिलेगी रफ्तार

भारत में यह निवेश न केवल हजारों लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा, बल्कि देश को ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ाएगा. इसके साथ ही ऐपल को भी अपने उत्पादों की लागत नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

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निवेश से आगे की सोच

ऐपल का यह कदम केवल एक आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि एक वैश्विक रणनीति का हिस्सा है. भारत में उत्पादन बढ़ाकर न केवल कंपनी वैश्विक आपूर्ति अस्थिरता से बच सकती है, बल्कि भारत को भी तकनीकी ताकत बनाने में अहम भूमिका निभा सकती है. यह फैसला भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और वैश्विक निवेश आकर्षण की जीत है.

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