डॉलर के मुकाबले रुपया पस्त, निचले स्तर का एक और रिकॉर्ड बनाया, 2014 में इतने का था एक डॉलर
डॉलर के मुकाबले रुपया पस्त, निचले स्तर का एक और रिकॉर्ड बनाया, 2014 में इतने का था एक डॉलर
विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने और विदेशी पूंजी की सतत निकासी के बीच अंतरबैंक विदेशीमुद्रा विनिमय बाजार में गुरुवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 6 पैसे की गिरावट के साथ एक और निचले स्तर को छुआ। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 83.06 पर खुला। बता दें 30 मई 2014 को एक डॉलर का मूल्य 59.28 रुपये था।
बता दें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल कीमतों में तेजी तथा निवेशकों में जोखिम लेने की धारणा कमजोर होने से भी रुपये पर असर पड़ा। एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (शोध विश्लेषक) जतिन त्रिवेदी ने कहा कि डॉलर की बढ़ती कीमतों के बीच घबराहट में रुपये की बिकवाली के चलते रुपया नए निचले स्तर पर आ गया है।
क्यों हो रही गिरावट
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा है कि डॉलर के बाहर जाने, चीन की मुद्रा में कमजोरी और मासिक अनुबंधों की समाप्ति से पहले कारोबारियों द्वारा अपने सौदे पूरा करने से रुपये का प्रदर्शन कमजोर रहा। अन्य एशियाई मुद्राओं में भी कमजारी रही। यूरोप और ब्रिटेन के निराशाजनक आर्थिक आंकड़ों ने डॉलर सूचकांक को मजबूती दी, जिससे रुपये पर भी असर पड़ा।
भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार: फिच
रेटिंग एजेंसी फिच ने बुधवार को कहा कि अमेरिका में मौद्रिक नीति मामले में सख्ती बरतने और वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति बढ़ने से जुड़े जोखिमों का सामना करने के लिए भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है। इसके साथ ही फिच रेटिंग्स ने कहा कि बाह्य दबावों से भारत की साख को लेकर जोखिम सीमित ही है।
फिच ने कहा, ऐसा लगता है कि अमेरिका में तेजी से मौद्रिक सख्ती किए जाने और वैश्विक स्तर पर जिंसों के बढ़ते दामों से जुड़े जोखिमों से निपटने के लिए भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। एजेंसी ने कहा कि उसे विदेशी मुद्रा भंडार मजबूत बने रहने की उम्मीद है और भारत का चालू खाते के घाटे (सीएडी) को एक उपयुक्त स्तर पर थामा जा सकेगा और चालू वित्त वर्ष में यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.4 फीसदी तक पहुंच जाएगा जो कि पिछले वित्त वर्ष में 1.2 फीसदी था।
डॉलर के मुकाबले रुपये को संभालने के लिए आरबीआई कर रहा उपाय
फिच ने कहा कि सार्वजनिक वित्त की स्थिति रेटिंग के लिए प्रमुख घटक बना हुआ है और भारत बाह्य वित्तपोषण पर सीमित निर्भरता की वजह से वैश्विक उतार-चढ़ाव से सापेक्षिक तौर पर बचा हुआ है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल के नौ महीनों में करीब 100 अरब डॉलर तक घट चुका है। हालांकि अब भी इसका आकार करीब 533 अरब डॉलर है। विदेशी मुद्रा भंडार में आई यह बड़ी गिरावट बढ़ते सीएडी और डॉलर के मुकाबले रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप को दर्शाती है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार अब भी 8.9 महीनों के आयात व्यय के लिए पर्याप्त है और किसी भी बाहरी संकट का का सामना करने की क्षमता देता है। फिच ने कहा, इस बड़े विदेशी मुद्रा भंडार से कर्ज पुनर्गठन क्षमता को आश्वासन मिलता है। इसके अलावा अल्पकालिक बाह्य बकाया ऋण भी कुल भंडार का सिर्फ 24 फीसदी ही है।
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