ट्रंप के टैरिफ से निवेशकों का डूबा 11.30 लाख करोड़, एक्सपर्ट से जानें आगे कैसी रहेगी बाजार की चाल

Stock Market Prediction: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से पूरी दुनिया के साथ भारतीय शेयर बाजार में भी डर और अनिश्चितता का माहौल बन गया. भय के इस माहौल में निवेश की की कुल संपत्ति में करीब 11.30 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आ गई. हालांकि, बाजार विशेषज्ञ इस बात से आश्वस्त दिखाई देते हैं कि शेयर बाजार में भय का यह माहौल ज्यादा दिनों तक टिकने वाला नहीं है, क्योंकि अमेरिका का यह ट्रेड वॉर चीन तक सिमट कर रह सकता है.

टैरिफ टलने से बाजार को मिलनी राहत

घरेलू शेयर बाजार में भय के माहौल की बात की जाए, तो बीएसई सेंसेक्स में 2 अप्रैल 2025 से अभी तक 1,460.18 अंक या 1.90% की गिरावट आ चुकी है. अनिश्चितता के चलते इस दौरान बीएसई की लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 11,30,627.09 करोड़ रुपये घटकर 4,01,67,468.51 करोड़ रुपये रह गया है. हालांकि, अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ के अपने फैसले को 90 दिन के लिए टालने के बाद बाजार में शुक्रवार को करीब 2% का उछाल आया था.

भारतीय बाजार का बेहतर प्रदर्शन

लेमन मार्केट्स डेस्क के विश्लेषक सतीश चंद्र अलूरी ने कहा, ‘‘अमेरिका के दुनिया पर व्यापक स्तर पर जवाबी शुल्क की घोषणा के बाद नए वित्त वर्ष की शुरुआत में बाजारों में उतार-चढ़ाव रहा. वैश्विक बाजारों में भारी गिरावट देखी गई और भारत भी बिकवाली से अछूता नहीं रहा, लेकिन यह अबतक अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन कर रहा है.’’

अमेरिका-चीन तक सीमित रहेगा ट्रेड वॉर

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ वीके विजय कुमार के अनुसार, दुनिया भर के बाजारों में जो अनिश्चितता और अस्थिरता है, वह कुछ और समय तक बनी रहेगी. चल रही अराजकता से कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकले हैं. उन्होंने कहा कि ट्रेड वॉर अमेरिका और चीन तक ही सीमित रहने वाला है. यूरोपीय संघ और जापान सहित अन्य देशों ने बातचीत का विकल्प चुना है. भारत ने पहले ही अमेरिका के साथ बीटीए पर बातचीत शुरू कर दी है.

अमेरिका में बढ़ गया मंदी का जोखिम

डॉ वीके विजय कुमार का कहना अमेरिका में मंदी का जोखिम बढ़ गया है. चीन की अर्थव्यवस्था सबसे बुरी तरह से प्रभावित होने की संभावना है. चीन पर एक और 50% टैरिफ की ट्रंप की धमकी अगर लागू की जाती है, तो अमेरिका में चीनी निर्यात लगभग रुक जाएगा. उन्होंने कहा चीन दूसरे देशों में धातुओं जैसे अपने उत्पादों को डंप करने की कोशिश करेगा और इससे अंतरराष्ट्रीय धातु की कीमतें कम रहेंगी. निवेशक वेट एंड वॉच मोड में जारी रह सकते हैं, क्योंकि स्पष्टता सामने आने में समय लगेगा.

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लार्जकैप में कर सकते हैं निवेश

उन्होंने कहा कि चूंकि, भारत के मैक्रोज स्थिर हैं और वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान आर्थिक वृद्धि करीब 6% की दर से आगे बढ़ सकती हैं और विशेष रूप से लार्जकैप और लॉन्ग टर्म में वैल्यूएशन उचित हैं. निवेशक प्रमुख वित्तीय कंपनियों जैसे उच्च गुणवत्ता वाले लार्जकैप शेयरों में निवेश करना शुरू कर सकते हैं. चूंकि ट्रंप की ओर से इस समय फार्मास्यूटिकल्स पर टैरिफ लगाने की संभावना नहीं है. इसलिए फार्मा स्टॉक की कीमत अभी आकर्षक है, खरीदने के लिए अच्छे विकल्प प्रतीत होते हैं.”

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