टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत, अब सर्च ऑपरेशन में सिर्फ अघोषित आय का मूल्यांकन करेंगे टैक्स अधिकारी
Taxpayers Relief: मंगलवार को लोकसभा ने वित्त विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी, जिसमें आयकर की धारा 14-बी के संशोधन को शामिल किया गया है. सरकार का यह कदम टैक्सपेयर्स के हित में एक सकारात्मक बदलाव है. इससे न केवल आयकर प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी, बल्कि करदाताओं पर अनावश्यक कर भार भी कम होगा.
Taxpayers Relief: करदाताओं के लिए सरकार ने एक अहम फैसला लिया है, जिससे उन्हें बड़ी राहत मिलेगी. अब आयकर अधिकारी किसी भी तलाशी अभियान (सर्च ऑपरेशन) के दौरान करदाता की पूरी आय का नहीं, बल्कि केवल अघोषित आय का ही मूल्यांकन करेंगे. यह बदलाव वित्त विधेयक, 2025 के तहत प्रस्तावित किया गया है.
वित्त विधेयक के संशोधन को मिली मंजूरी
मंगलवार को लोकसभा ने वित्त विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी, जिसमें इस संशोधन को शामिल किया गया है. सरकार के अनुसार, यह संशोधन 1 सितंबर, 2024 से प्रभावी होगा और पिछली तारीख से लागू किया जाएगा. इस बदलाव से करदाताओं को अनावश्यक कर दबाव से राहत मिलेगी और निष्पक्ष कर प्रणाली को बढ़ावा मिलेगा.
क्या है नया बदलाव?
इस संशोधन के तहत आयकर अधिनियम के अध्याय 14-बी में बदलाव किया गया है, जिससे ‘कुल आय’ के मूल्यांकन की जगह ‘अघोषित आय’ के मूल्यांकन को प्राथमिकता दी जाएगी. इससे पहले, आयकर विभाग तलाशी के बाद पूरी घोषित और अघोषित आय का आकलन करता था, जिससे करदाताओं पर अतिरिक्त कर भार पड़ता था. अब संशोधित नियम के तहत यदि किसी करदाता के खिलाफ तलाशी अभियान चलाया जाता है, तो उसका मूल्यांकन केवल अघोषित आय के आधार पर किया जाएगा, न कि उसकी कुल आय के आधार पर.
आयकर विभाग की नई गाइडलाइंस
आयकर विभाग ने इस बदलाव को स्पष्ट करने के लिए ‘अक्सर पूछे जाने वाले सवाल’ (FAQ) जारी किए हैं. विभाग ने कहा कि यह तलाशी अभियानों को अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में एक आदर्श कदम है. आयकर विभाग के अनुसार, अब यदि कोई करदाता तलाशी अभियान के तहत आता है, तो उसकी अघोषित आय पर अलग से कर लगाया जाएगा, जबकि नियमित आय को सामान्य कर स्लैब के अनुसार ही टैक्स देना होगा.
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बदलाव से करदाताओं को कैसे फायदा होगा?
- अनावश्यक कर बोझ में कमी: अब करदाता को सिर्फ अघोषित आय पर टैक्स देना होगा, जिससे गलत आकलन की संभावना कम होगी.
- निष्पक्ष कर प्रणाली: कर प्रशासन की प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और न्यायसंगत बनाया जाएगा.
- पुराने मामलों में राहत: यह संशोधन 1 सितंबर, 2024 से पूर्व प्रभावी होगा, जिससे पुराने लंबित मामलों में भी करदाताओं को लाभ मिल सकता है.
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