जनसंख्या Population
जनसंख्या Population
♦ सामाजिक अध्ययन में जनसंख्या एक आधारी तत्त्व है।
♦ मानव पृथ्वी के संसाधनों का उत्पादन एवं उपभोग करता है। इसलिए यह जानना आवश्यक है कि एक देश में कितने लोग निवास करते हैं, वे कहाँ एवं कैसे रहते हैं, उनकी संख्याओं में वृद्धि क्यों हो रही है तथा उनकी कौन-कौन सी विशेषताएँ है?
♦ भारतीय जनगणना हमारे देश की जनसंख्या से सम्बन्धित जानकारी हमें प्रदान करती है।
जनगणना एक निश्चित समयान्तराल में जनसंख्या की आधिकारिक गणना, ‘जनगणना’ कहलाती है। भारत में सबसे पहले सन् 1872 में जनगणना की गई थी। हालाँकि सन् 1881 में पहली बार एक सम्पूर्ण जनगणना की जा सकी। उसी समय से प्रत्येक दस वर्ष पर जनगणना होती है।
♦ भारतीय जनगणना जनसांख्यिकी, सामाजिक तथा आर्थिक आँकड़ों का सबसे वृहद् स्रोत हैं।
♦ जनसंख्या के अध्ययन के लिए इससे सम्बन्धित तीन प्रमुख बिन्दुओं का अध्ययन आवश्यक है
(i) जनसंख्या का आकार एवं वितरण इससे यह पता चलता है, कि लोगों की संख्या कितनी है तथा वे कहाँ निवास करते हैं?
(ii) जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन की प्रक्रिया इससे यह पता चलता है, कि समय के साथ जनसंख्या में वृद्धि एवं इसमें परिवर्तन कैसे हुआ?
(iii) जनसंख्या के गुण या विशेषताएँ इससे लोगों की उम्र लिंगानुपात, साक्षरता स्तर, व्यावसायिक संरचना तथा स्वास्थ्य की अवस्था के बारे में पता चलता है।
जनसंख्या का आकार एवं वितरण
♦ भारत की पन्द्रहवीं जनगणना 2011 के अनुसार भारत की जनसंख्या 1210569573 है।
♦ ये भारत के 32.8 लाख वर्ग किमी (विश्व के स्थलीय भू-भाग का 2.4% ) के विशाल क्षेत्र में असमान रूप से वितरित हैं।
♦ प्रति इकाई क्षेत्रफल में रहने वाले लोगों की संख्या को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। भारत विश्व के घनी आबादी वाले देशों में से एक है। केवल बांग्लादेश तथा जापान का जनसंख्या घनत्व भारत से अधिक है।
♦ 2011 की जनगणना के अनुसार भारत का जनसंख्या घनत्व 382 व्यक्तिप्रति वर्ग किमी था। जहाँ बिहार का जनसंख्या घनत्व 1106 व्यक्ति प्रति किमी है, वहीं अरुणाचल प्रदेश में यह 17 व्यक्ति प्रति किमी है।
♦ पहाड़ी, कटे-छँटे एवं पथरीले भू-भाग, मध्यम से कम वर्षा, छिछली एवं कम उपजाऊ मिट्टी इन राज्यों के जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती है।
♦ उत्तरी मैदानी भाग एवं दक्षिणी में केरल का जनसंख्या घनत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यहाँ समतल मैदान एवं उपजाऊ मिट्टी पाई जाती है तथा पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है।
♦ 2011 की जनगणना के अनुसार देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य उत्तर प्रदेश है जहाँ की कुल आबादी 1995 लाख है। दूसरी ओर हिमालय क्षेत्र के राज्य, सिक्किम की आबादी केवल 6.07 लाख ही है तथा लक्षद्वीप में केवल 64 हजार लोग निवास करते हैं।
♦ भारत की लगभग आधी आबादी केवल पाँच राज्यों में निवास करती है। ये राज्य हैं—उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंग एवं आन्ध्र प्रदेश |
♦ क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान सबसे बड़ा राज्य है, जिसकी आबादी भारत की कुल जनसंख्या में नौवाँ स्थान रखती है।
जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या परिवर्तन की प्रक्रिया
♦ जनसंख्या एक परिवर्तनशील प्रक्रिया है। आबादी की संख्या, वितरण एवं संघटन में लगातार परिवर्तन होता है। यह परिवर्तन तीन प्रक्रियाओं-जन्म, मृत्यु एवं प्रवास के आपसी संयोजन के प्रभाव के कारण होता है।
जनसंख्या वृद्धि
♦ जनसंख्या वृद्धि का अर्थ होता है, किसी विशेष समय अन्तराल में, जैसे 10 वर्षों के भीतर, किसी देश/राज्य के निवासियों की संख्या में परिवर्तन। इस प्रकार के परिवर्तन को दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है। पहला, सापेक्ष वृद्धि तथा दूसरा, प्रति वर्ष होने वाले प्रतिशत परिवर्तन के द्वारा।
♦ प्रत्येक वर्ष या एक दशक में बढ़ी जनसंख्या कुल संख्या में वृद्धि का परिमाण है। पहले की जनसंख्या (जैसे 2001 की जनसंख्या) को बाद की जनसंख्या (जैसे 2011 की जनसंख्या) से घटा कर इसे प्राप्त किया जाता है। इसे ‘निरपेक्ष वृद्धि’ कहा जाता है।
♦ जनसंख्या की वृद्धि का दर दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसका अध्ययन प्रति वर्ष प्रतिशत में किया जाता है, जैसे प्रति वर्ष 2% वृद्धि की दर का अर्थ है कि दिए हुए किसी वर्ष की मूल जनसख्या में प्रत्येक 100 व्यक्तियों पर 2 व्यक्तियों की वृद्धि। इसे वार्षिक वृद्धि दर कहा जाता है।
♦ भारत की आबादी बहुत अधिक है। जब विशाल जनसंख्या में कम वार्षिक दर लगाया जाता है तब इसमें सापेक्ष वृद्धि बहुत अधिक होती है। जब 10 करोड़ जनसंख्या में न्यूनतम दर में भी वृद्धि होती है तब भी जुड़ने वाले लोगों की कुल संख्या बहुत अधिक होती है।
♦ भारत की वर्तमान जनसंख्या में वार्षिक वृद्धि दर 1.64% है जो कि संसाधनों एवं पर्यावरण के संरक्षण को निष्क्रिय करने के लिए पर्याप्त है।
♦ वृद्धि दर में कमी, जन्म दर नियन्त्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सफलता को प्रदर्शित करता है । इसके बावजूद जनसंख्या की वृद्धि जारी है तथा 2045 ई. तक भारत, चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व के सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है।
जनसंख्या वृद्धि/परिवर्तन की प्रक्रिया
♦ जनसंख्या में होने वाले परिवर्तन की तीन मुख्य प्रक्रियाएँ हैं-जन्म दर, मृत्यु दर एवं प्रवास |
♦ जन्म दर एवं मृत्यु दर के बीच का अन्तर जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि है।
♦ एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों में जितने जीवित बच्चों का जन्म होता है, उसे ‘जन्म दर’ कहते हैं। यह वृद्धि का एक प्रमुख घटक है क्योंकि भारत में हमेशा जन्म दर, मृत्यु दर से अधिक रहा है।
♦ एक वर्ष में प्रति हजार व्यक्तियों में मरने वालों की संख्या को ‘मृत्यु दर’ कहा जाता है। मृत्यु दर में तेज गिरावट भारत की जनसंख्या में वृद्धि की दर का मुख्य कारण है।
♦ सन् 1980 तक उच्च जन्म दर एवं मृत्यु दर में लगातार गिरावट के कारण जन्म दर तथा मृत्यु दर में काफी बड़ा अन्तर आ गया एवं इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर अधिक हो गई।
♦ सन् 1981 से धीरे-धीरे जन्म दर में भी गिरावट आनी शुरू हुई जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या वृद्धि दर में भी गिरावट आई।
♦ जनसंख्या वृद्धि का तीसरा घटक है प्रवास। लोगों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाने को प्रवास कहते हैं।
♦ प्रवास आन्तरिक ( देश के भीतर) या अन्तर्राष्ट्रीय (देशों के बीच) हो सकता है।
♦ आन्तरिक प्रवास जनसंख्या के आकार में कोई परिवर्तन नहीं लाता है, लेकिन यह एक देश के भारत जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करता है।
♦ जनसंख्या वितरण एवं उसके घटकों को परिवर्तित करने में प्रवास की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
♦ भारत में अधिकतर प्रवास ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों की ओर होता है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में ‘अपकर्षण’ (Push) कारक प्रभावी होते हैं ये ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी एवं बेरोजगारी की प्रतिकूल अवस्थाएँ हैं तथा नगर को ‘कर्षण’ (Pull) प्रभाव रोजगार में वृद्धि एवं अच्छे जीवन स्तर को दर्शाता है।
♦ प्रवास जनसंख्या परिवर्तन का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। ये केवल जनसंख्या के आकार को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि उम्र एवं लिंग के दृष्टिकोण से नगरीय एवं ग्रामीण जनसंख्या की संरचना को भी परिवर्तित करता है।
♦ भारत में, ग्रामीण-नगरीय प्रवास के कारण शहरों तथा नगरों की जनसंख्या में नियमित वृद्धि हुई है।
जनसंख्या के गुण या विशेषताएँ आयु संरचना
♦ किसी देश में, जनसंख्या की आयु संरचना वहाँ के विभिन्न आयु समूहों के लोगों की संख्या को बताता है। यह जनसंख्या की मूल विशेषताओं में से एक है।
♦ एक व्यक्ति की आयु उसकी इच्छा, खरीददारी तथा काम करने की क्षमता को पर्याप्त रूप से प्रभावित करती है। परिणामस्वरूप बच्चे, वयस्क एवं वृद्धों की संख्या एवं प्रतिशत, किसी भी क्षेत्र के आबादी के सामाजिक एवं आर्थिक ढाँचे की निर्धारक होती है।
♦ किसी राष्ट्र की आबादी को सामान्यतः तीन वर्गों में बाँटा जाता है। बच्चे (सामान्यत: 15 वर्ष से कम) ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील नहीं होते हैं तथा इनको भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी सुविधाएँ उपलब्ध कराने की आवश्यकता होती है।
वयस्क (15 से 59 वर्ष) ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील तथा जैविक रूप से प्रजननशील होते हैं। यह जनसंख्या का कार्यशील वर्ग है।
वृद्ध (59 वर्ष से अधिक) ये आर्थिक रूप से उत्पादनशील या अवकाश प्राप्त हो सकते हैं। ये स्वैच्छिक रूप से कार्य कर सकते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया के द्वारा इनकी नियुक्ति नहीं होती है।
♦ बच्चों तथा वृद्धों का प्रतिशत जनसंख्या के आश्रित अनुपात को प्रभावित करता है, क्योंकि ये समूह उत्पादक नहीं होते हैं।
लिंग अनुपात
♦ प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या को लिंग अनुपात कहा जाता है। यह जानकारी किसी दिए गए समय में, समाज में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच समानता की सीमा मापने के लिए एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक सूचक है।
♦ देश में लिंग अनुपात प्रायः महिलाओं के पक्ष में नहीं होता है ।
♦ 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत के प्रति एक हजार पुरुषों पर 943 महिलाएँ हैं।
♦ सर्वाधिक लिंगानुपात वाला राज्य केरल (1084) तथा सबसे कम लिंगानुपात वाला राज्य हरियाणा (879) है।
♦ सर्वाधिक लिंगानुपात वाला केन्द्रशासित प्रदेश पुदुचेरी (1037) तथा सबसे कम लिंगानुपात वाला केन्द्रशासित प्रदेश दमन-दीव (618) है।
साक्षरता दर
♦ साक्षरता किसी जनसंख्या का बहुत ही महत्त्वपूर्ण गुण है।
♦ केवल एक शिक्षित और जागरूक नागरिक ही बुद्धिमत्तापूर्ण निर्णय ले सकता है तथा शोध एवं विकास से कार्य कर सकता है।
♦ साक्षरता स्तर में कमी आर्थिक प्रगति में एक गम्भीर बाधा है।
♦ 2011 की जनगणना के अनुसार, एक व्यक्ति जिसकी आयु 7 वर्ष या उससे अधिक है जो किसी भी भाषा को समझकर लिख या पढ़ सकता है उसे साक्षर की श्रेणी में रखा जाता है।
♦ भारत की साक्षरता के स्तर में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश की साक्षरता दर 73% है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर 80.9% एवं महिलाओं की 64.6% है।
♦ सर्वाधिक साक्षरता दर वाला राज्य केरल (94%) एवं सबसे कम साक्षरता दर वाला राज्य बिहार (61.8%) है।
♦ सर्वाधिक साक्षरता दर वाला केन्द्रशासित प्रदेश लक्षद्वीप (91.8%) एवं सबसे कम साक्षरता दर वाला केन्द्रशासित प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली ( 76.2%) है।
♦ सर्वाधिक स्त्री साक्षरता दर वाला राज्य केरल (92.1%) एवं सबसे कम स्त्री साक्षरता दर वाला राज्य राजस्थान ( 52.1% ) है।
व्यावसायिक संरचना
♦ आर्थिक रूप से क्रियाशील जनसंख्या का प्रतिशत, विकास का एक महत्त्वपूर्ण सूचक होता है। विभिन्न प्रकार के व्यवसायों के अनुसार किए गए जनसंख्या के वितरण को व्यावसायिक संरचना कहा जाता है।
♦ किसी भी देश में विभिन्न व्यवसायों को करने वाले भिन्न-भिन्न लोग होते हैं। व्यवसायों को सामान्यतः प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है।
प्राथमिक क्रिया-कलापों में कृषि, पशुपालन, वृक्षारोपण एवं मछली पालन तथा खनन आदि क्रियाएँ शामिल हैं।
द्वितीयक क्रिया-कलापों में उत्पादन करने वाले उद्योग, भवन एवं निर्माण कार्य आते हैं।
तृतीयक क्रिया-कलापों में परिवहन, संचार, वाणिज्य, प्रशासन तथा सेवाएँ शामिल हैं।
♦ विकसित एवं विकासशीन देशों में विभिन्न क्रिया-कलापों में कार्य करने वाले लोगों का अनुपात अलग-अलग होता है।
♦ विकसित देशों में द्वितीयक एवं तृतीयक क्रिया-कलापों मे कार्य करने वाले लोगों की संख्या का अनुपात अधिक होता है।
♦ विकासशील देशों में प्राथमिक क्रिया-कलापों में कार्यरत लोगों का अनुपात अधिक होता है। भारत में कुल जनसंख्या का 62% भाग केवल कृषि कार्य करता है।
♦ वर्तमान समय में बढ़ते हुए औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में वृद्धि होने के कारण द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रों में व्यावसायिक परिवर्तन हुआ है।
स्वास्थ्य
♦ स्वास्थ्य जनसंख्या की संरचना का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो कि विकास की प्रक्रिया को प्रभावित करता है।
♦ सरकारी कार्यक्रमों के निरन्तर प्रयास के द्वारा भारत की जनसंख्या के स्वास्थ्य स्तर में महत्त्वपूर्ण सुधार हुआ है।
♦ जनसंख्या में स्वास्थ्य स्तर में महत्त्वपूर्ण सुधार बहुत से कारकों, जैसे—जन स्वास्थ्य, संक्रामक बीमारियों से बचाव एवं रोगों के इलाज में आधुनिक तकनीकों के प्रयोग के परिणामस्वरूप हुआ है।
♦ महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों के बावजूद भारत के लिए स्वास्थ्य का स्तर एक मुख्य चिन्ता का विषय है।
♦ प्रति व्यक्ति कैलोरी की खपत अनुशासित स्तर से काफी कम है तथा हमारी जनसंख्या का एक बड़ा भाग कुपोषण से प्रभावित है। शुद्ध पीने का पानी तथा मूल स्वास्थ्य रक्षा सुविधाएँ ग्रामीण जनसंख्या के केवल एक-तिहाई लोगों को उपलब्ध हैं। इन समस्याओं को एक उचित जनसंख्या नीति के द्वारा हल करने की आवश्यकता है।
किशोर जनसंख्या
♦ भारत की जनसंख्या का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसकी किशोर जनसंख्या का आकार है। यह भारत की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है।
♦ किशोर प्रायः 10 से 19 वर्ष की आयु वर्ग के होते हैं ये भविष्य के सबसे महत्त्वपूर्ण मानव संसाधन हैं।
♦ किशोरों के लिए पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ बच्चों तथा वयस्कों से अधिक होती हैं।
♦ कुपोषण से इनका स्वास्थ्य खराब तथा विकास अवरोधित हो सकता है। परन्तु भारत में किशोरों को प्राप्त भोजन में पोषक तत्त्व अपर्याप्त होते हैं। बहुत-सी किशोर बालिकाएँ रक्तहीनता से पीड़ित रहती हैं।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति
♦ परिवारों के आकार को सीमित रखकर एक व्यक्ति के स्वास्थ्य एवं कल्याण को सुधारा जा सकता है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने सन् 1962 में एक व्यापक परिवार नियोजन कार्यक्रम को प्रारम्भ किया।
♦ परिवार कल्याण कार्यक्रम जिम्मेदार तथा सुनियोजित पितृत्व को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000, कई वर्षों के नियोजित प्रयासों का परिणाम है।
♦ राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चे को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने, शिशु मृत्यु दर को प्रति 1000 में 30 से कम करने, व्यापक स्तर पर टीकारोधी बीमारियों से बच्चों को छुटकारा दिलाने, लड़कियों की शादी की उम्र को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने तथा परिवार नियोजन को एक जन केन्द्रित कार्यक्रम बनाने के लिए नीतिगत ढाँचा प्रदान करती है ।
राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 और किशोर / किशोरियों की पहचान
♦ राष्ट्रीय जनसंख्या नीति, 2000 ने किशोर / किशोरियों की पहचान जनसंख्या के उस प्रमुख भाग के रूप में की, जिस पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है।
♦ पौषणिक आवश्यकताओं के अतिरिक्त इस नीति में अवांछित गर्भधारण और यौन सम्बन्धों से प्रसारित बीमारियों से किशोर/किशोरियों की संरक्षा जैसी जैसी अन्य महत्त्वपूर्ण आवश्यकताओं पर भी जोर दिया गया है। इसके द्वारा ऐसे कार्यक्रम चलाए गए जिनका उद्देश्य देर से विवाह और देर से सन्तानोत्पत्ति को प्रोत्साहित करना, किशोर / किशोरियों को असुरक्षित यौन सम्बन्ध के कुप्रभावों के बारे में शिक्षित करना, गर्भ निरोधक सेवाओं को पहुँच और खरीद के भीतर बनाना, खाद्य सम्पूरक और पौषणिक सेवाएँ उपलब्ध करवाना और बाल विवाह को रोकने के कानूनों को सुदृढ़ करना है।
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