चार साल में सबसे सस्ता कच्चा तेल, लेकिन सरकार ने नहीं घटाए दाम, पेट्रोल पर अब भी ₹22 प्रति लीटर टैक्स वसूली

Petrol-Diesel Price: दुनिया भर में आर्थिक सुस्ती, टैरिफ वॉर और कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारतीयों को पेट्रोल-डीजल पर कोई राहत नहीं मिल रही. सवाल यह है कि जब कच्चा तेल सस्ता हो रहा है, तो भारत में ईंधन के दाम क्यों नहीं घट रहे? क्या सरकार की मंशा सिर्फ मुनाफा कमाने की है?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें चार साल के निचले स्तर पर आ चुकी हैं. वर्तमान में ब्रेंट क्रूड की कीमत 65.41 डॉलर प्रति बैरल है, जो अप्रैल 2021 के बाद सबसे कम है. उस समय कीमत 63.40 डॉलर प्रति बैरल थी. इस गिरावट का सीधा फायदा देश की रिफाइनिंग कंपनियों को हो रहा है, लेकिन उपभोक्ताओं को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा. रेटिंग एजेंसियों के अनुसार पेट्रोल पर तेल कंपनियों को प्रति लीटर ₹12-15 का लाभ हो रहा है और डीजल पर प्रति लीटर ₹6.12 का मुनाफा हो रहा है. फिर भी तेल कंपनियां और सरकार मिलकर कीमतों को नीचे नहीं आने दे रहीं.

बीते 4 साल में कच्चे तेल की कीमतें और पेट्रोल-डीजल के रेट (₹/लीटर)

समयावधि कच्चा तेल (डॉलर/बैरल) पेट्रोल (₹/लीटर) डीजल (₹/लीटर)
अप्रैल 2021 63.40 98.56 89.11
अप्रैल 2022 102.97 115.07 98.26
अप्रैल 2023 83.76 108.63 94.27
अप्रैल 2024 89.44 106.51 91.88
अप्रैल 2025 72.45 106.51 91.82
12 अप्रैल 2025 65.41 106.51 91.82

एक्साइज ड्यूटी का बहाना, सरकार नहीं चाहती कीमतों में कटौती

जब पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटने की उम्मीद थी, उसी समय सरकार ने ₹2 प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी. इससे तेल कंपनियों को दाम घटाने की जरूरत ही नहीं पड़ी. सरकार के इस कदम से यह साफ होता है कि उसे जनता को राहत देने से ज्यादा अपने टैक्स रेवेन्यू की चिंता है.

तेल पर टैक्स का गणित

  • केंद्र सरकार पेट्रोल पर ₹21.90 प्रति लीटर टैक्स और डीजल पर ₹17.80 प्रति लीटर टैक्स लेती है.
  • दिल्ली सरकार पेट्रोल पर ₹15.39 और डीजल पर ₹12.83 वैट वसूलती है.

कुल मिलाकर, दिल्ली में पेट्रोल पर ₹37.30 और डीजल पर ₹30.63 प्रति लीटर सिर्फ टैक्स देना पड़ता है.
यानी, जनता जितना पैसा ईंधन खरीदने में खर्च कर रही है, उसमें से आधा से ज्यादा हिस्सा टैक्स के रूप में सरकार के खाते में जा रहा है.

तेल कंपनियों को लगातार मुनाफा, जनता को सिर्फ महंगाई

सरकार और तेल कंपनियों के गठजोड़ की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. 2019 से 2024 के बीच सात प्रमुख तेल कंपनियों ने ₹7 लाख करोड़ से ज्यादा का मुनाफा कमाया.

सबसे ज्यादा फायदा किसे हुआ?

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) – ₹2.86 लाख करोड़ का लाभ
  • ONGC – सरकारी कंपनी, जिसने हजारों करोड़ का फायदा कमाया
  • IOC, BPCL, HPCL – लगातार मुनाफे में, घाटे का कोई नाम-ओ-निशान नहीं
  • सिर्फ इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) को 2019-20 में ₹934 करोड़ का घाटा हुआ था, लेकिन बाकी सभी सालों में IOC ने भी अच्छी कमाई की.

5 साल में सरकार ने जनता से वसूले ₹35 लाख करोड़

पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के आंकड़े बताते हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर 5 साल में ₹35 लाख करोड़ सिर्फ टैक्स और डिविडेंड से कमाए.

  • केंद्र सरकार को ₹21.4 लाख करोड़ मिले (एक्साइज ड्यूटी, डिविडेंड और इनकम टैक्स से).

राज्यों को ₹13.6 लाख करोड़ मिले (वैट और डिविडेंड से).
इतनी बड़ी कमाई के बावजूद सरकार ने जनता को कोई राहत नहीं दी.

एक सामान्य नागरिक कितना चुका रहा?

भारत में एक व्यक्ति हर महीने औसतन 2.80 लीटर पेट्रोल और 6.32 लीटर डीजल की खपत करता है.

  • पेट्रोल पर टैक्स का बोझ: ₹104.44 प्रति माह
  • डीजल पर टैक्स का बोझ: ₹193.58 प्रति माह
  • कुल मिलाकर, एक आम आदमी ₹298 प्रति माह सिर्फ टैक्स दे रहा है.
    सरकार के पास कीमतें कम करने का पूरा मौका था, लेकिन उसने जनता की बजाय अपने रेवेन्यू को प्राथमिकता दी.

चुनावी वादे कुछ और, हकीकत कुछ और

हर चुनाव से पहले सरकारें पेट्रोल-डीजल की कीमतों को मुद्दा बनाती हैं, लेकिन चुनाव के बाद इन्हीं टैक्सों से अपना खजाना भरती हैं. 2014 में केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कम करने का वादा किया था, लेकिन पिछले 10 सालों में टैक्स लगातार बढ़ाए गए. यूपीए सरकार के दौरान 2014 में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी ₹9.48 प्रति लीटर थी, जो अब ₹21.90 हो गई है. डीजल पर एक्साइज ड्यूटी ₹3.56 प्रति लीटर थी, जो अब ₹17.80 हो गई है. यानी टैक्स पहले से 2 से 5 गुना तक बढ़ चुका है.

निवेशकों के लिए क्या मायने रखता है ये ट्रेंड?

अगर सरकार टैक्स में कटौती नहीं करती और तेल कंपनियां दाम नहीं घटातीं, तो ये कंपनियां मजबूत रिटर्न देने वाले स्टॉक्स बन सकती हैं.

निवेश की दृष्टि से नजर रखने योग्य कंपनियां

  • Reliance Industries – भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट ऑयल कंपनी
  • ONGC – सरकारी कंपनी, लगातार लाभ में
  • IOCL, BPCL, HPCL – रिफाइनिंग और मार्केटिंग सेगमेंट में स्थिर प्रदर्शन
    अगर सरकार टैक्स घटाती है, तो इन कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा, लेकिन फिलहाल इनके लिए परिस्थितियां फायदेमंद हैं.

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