ग्रामीण भारत के निर्माण कर रहा है आवास योजना

Rural India: देश के गरीब लोगों को पक्का आवास मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की गयी. वर्ष 2015 में शहरी क्षेत्र के गरीबों और वर्ष 2016 में ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों को पक्का आवास देने की योजना शुरू हुई. सामाजिक-आर्थिक जातिगत गणना 2011 के आधार पर लाभार्थियों का चयन किया जाता है. इसके लिए ग्राम सभा की मंजूरी और जियो टैगिंग को अनिवार्य किया गया है ताकि उचित लाभार्थी को ही सरकारी योजना का लाभ मिल सके. प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है और डीबीटी के जरिये पैसा सीधे लाभार्थियों के खाते में जमा होता है. क्षेत्र के लिहाज से मकान की डिजाइनिंग की जाती है. प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत वर्ष 2023-24 तक 2.95 करोड़ आवास के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था.

लेकिन जरूरत को देखते हुए अतिरिक्त दो करोड़ और आवास निर्माण का फैसला लिया गया. इसके लिए वित्त वर्ष 2024-29 तक के लिए 306137 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. जबकि मौजूदा वित्त वर्ष के 54500 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 9 अगस्त 2024 को हुई कैबिनेट की बैठक में दो करोड़ अतिरिक्त आवास के निर्माण को मंजूरी दी. इस योजना के तहत समतल इलाकों में ग्रामीण आवास के लिए 1.20 लाख रुपये और पहाड़ी एवं उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए 1.30 लाख रुपये देने का प्रावधान है. 

ग्रामीण आवास योजना की मौजूदा स्थिति

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत सरकार ने 3.32 करोड़ घर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार 19 नवंबर 2024 तक 3.21 करोड़ घरों के निर्माण को मंजूरी दी जा चुकी है, जबकि 2.67 करोड़ घरों का निर्माण काम पूरा हो चुका है. सरकार के इस पहल से करोड़ों ग्रामीण परिवारों के जीवन स्तर में बदलाव आया है. इस योजना में महिलाओं को विशेष प्राथमिकता दी गयी है. कुल आवंटित घरों में से 74 फीसदी घर महिलाओं के नाम पर आवंटित किया गया है. इस योजना के जरिये अब 100 फीसदी मकान महिलाओं को देने का है. साथ ही कौशल विकास को भी प्राथमिकता दी जा रही है.

ग्रामीण क्षेत्र के तीन लाख मकान बनाने वाले कारीगरों को आपदा से निपटने वाले मकान तैयार करने की ट्रेनिंग दी गयी है. इससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं. सरकार का मानना है कि दो करोड़ अतिरिक्त मकान के निर्माण से 10 करोड़ लोगों को फायदा होगा. इसमें समाज के वंचित तबकों को प्राथमिकता दी गयी है. ग्रामीण आवास पाने वाले 60 फीसदी अनुसूचित जाति एवं जनजाति, 15 फीसदी अल्पसंख्यक और 25 फीसदी अन्य समाज के लोग हैं. 

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