गुरुत्वाकर्षण Gravitation
गुरुत्वाकर्षण Gravitation
गुरुत्वाकर्षण
• विश्व के सभी पिण्ड एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं, वस्तुओं के बीच यह आकर्षण गुरुत्वाकर्षण कहलाता है।
• पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति अभिकेन्द्र बल के कारण है। अभिक्रेन्द बल पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण मिल पाता है। यदि ऐसा कोई बल न हो तो चन्द्रमा एकसमान गति से सरल रेखीय पथ पर चलता रहेगा।
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम
• विश्व का प्रत्येक पिण्ड अन्य पिण्ड को एक बल से आकर्षित करता है, जो दोनों पिण्डों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह बल दोनों पिण्डों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में लगता है।
• यदि M तथा m द्रव्यमान के दो पिण्ड A तथा B एक-दूसरे से d दूरी पर स्थित हैं तथा उनके बीच आकर्षण बल F है, तो गुरुत्वाकर्षण बल के सार्वत्रिक नियम के अनुसार उन पर लगने वाला आकर्षण बल, F = G. Mm/d2 जहाँ, G एक नियतांक है, जिसे सार्वत्रिक नियतांक कहते हैं और जिसका मान 6.673 x 10‾¹¹ न्यूटन मी² किग्रा–² होता है।
• सार्वत्रिक नियम कहने का तात्पर्य यह है कि यह नियम विश्व की सभी छोटी-बड़ी वस्तुओं पर लागू होता है, चाहे वे पार्थिव हों या खगोलीय।
• गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम से हमें ऐसी परिघटनाओं की सफल व्याख्या मिलती है, जो पहले असम्बद्ध मानी जाती थीं जैसे—
1. पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति;
2. सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति; तथा
3. चन्द्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा
गुरुत्वीय बल एवं गुरुत्वीय त्वरण
• पृथ्वी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं। अतः जब वस्तुएँ पृथ्वी की ओर केवल इसी बल के कारण गिरती हैं, हम कहते हैं कि वस्तुएँ मुक्त पतन में हैं।
• गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में कोई परितर्वन नहीं होता। लेकिन पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है।
• जब भी कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है, त्वरण कार्य करता है। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल का कारण है। इसलिए इस त्वरण को पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं। इसे ‘g’ से निर्दिष्ट किया जाता है। g के मात्रक वही हैं जो त्वरण के हैं, अर्थात् मी/से² ।
• गुरुत्वीय त्वरण g का मान 9.8 मी/से² होता है ।
• गुरुत्व त्वरण वस्तु के रूप, आकार, द्रव्यमान आदि पर निर्भर नहीं करता है।
g के मान में परिवर्तन
पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर g का मान घटता है।
• g का मान पृथ्वी के ध्रुव पर सर्वाधिक होता है।
• g का मान विषुवत् रेखा पर न्यूनतम होता है।
• पृथ्वी के घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान कम हो जाता है।
• पृथ्वी के घूर्णन गति पर g का मान बढ़ जाता है।
द्रव्यमान और भार
• किसी वस्तु का द्रव्यमान उसके जड़त्व की माप होता है। जितना अधिक वस्तु का द्रव्यमान होगा, उतना ही अधिक उसका जड़त्व भी होगा।
• किसी वस्तु का द्रव्यमान उतना ही रहता है चाहे वस्तु पृथ्वी पर हो, चन्द्रमा पर हो या फिर बाह्य अन्तरिक्ष में हो। इस प्रकार वस्तु का द्रव्यमान स्थिर रहता है तथा एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं बदलता।
• पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को एक निश्चित बल से आकर्षित करती है और यह बल वस्तु के द्रव्यमान (m) तथा पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण (g) पर निर्भर है। किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे यह पृथ्वी की ओर आकर्षित होती है।
• वस्तु पर पृथ्वी का आकर्षण बल वस्तु का भार कहलाता है। इसे W से निर्दिष्ट किया जाता है। W = m x g|
• भार का SI मात्रक वही है जो बल का है, अर्थात् न्यूटन (N)।
• भार एक बल है जो ऊर्ध्वाधर दिशा से नीचे की ओर लगता है, इसलिए इसमें परिणाम तथा दिशा दोनों होते हैं।
• वस्तु का भार इसके स्थान पर निर्भर करता है।
किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार
• चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार वह बल है जिससे चन्द्रमा उस वस्तु को आकर्षित करता है।
• चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी की अपेक्षा कम है। इस कारण चन्द्रमा वस्तुओं पर कम आकर्षण बल लगाता है।
• चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 होता है, क्योंकि पृथ्वी की अपेक्षा चन्द्रमा का द्रव्यमान ही नहीं त्रिज्या भी काफी कम है।
प्रणोद तथा दाब
• किसी वस्तु पर एक विशेष दिशा में लगने वाला नेट बल प्रणोद कहलाता है।
• प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला नेट बल अर्थात् प्रणोद को दाब कहते हैं। इस प्रकार दाब = प्रणोद/क्षेत्रफल।
• दाब का SI मात्रक न्यूटन / मी² या Nm¯²है। वैज्ञानिक ब्लैस पास्कल के सम्मान में, दाब के SI मात्रक को पास्कल कहते हैं, जिसे Pa से व्यक्त किया जाता है।
उत्प्लावकता और आर्किमिडीज का सिद्धान्त
• द्रव का वह गुण जिसके कारण वह वस्तुओं पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, उसे उत्प्लावक बल कहते हैं।
• उत्प्लावन बल द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है।
• उत्प्लावकता के आर्किमिडीज के सिद्धान्त के अनुसार”जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है, तो उसके भार में कमी का आभास होता है। वस्तु के भार में यह आभासी कमी वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होती है । “
आपेक्षिक घनत्व
• किसी वस्तु का घनत्व, उसके प्रति एकांक आयतन के द्रव्यमान को कहते हैं।
• घनत्व का मात्रक किलोग्राम प्रति घन मीटर है (kgm¯³ )
• विशिष्ट परिस्थितियों में किसी पदार्थ का घनत्व सदैव समान रहता है।
• किसी पदार्थ का घनत्व उसका एक लाक्षणिक गुण होता है। यह भिन्न-भिन्न पदार्थों के लिए भिन्न-भिन्न होता है। उदाहरण के लिए, सोने का घनत्व 193000 किग्रा /मी³ है जबकि पानी का 1000 किग्रा /मी³ है।
• किसी पदार्थ के नमूने का घनत्व, उस पदार्थ की शुद्धता की जाँच में सहायता कर सकता है।
• प्राय: किसी पदार्थ के घनत्व को पानी के घनत्व की तुलना में व्यक्त करना सुविधाजनक होता है।
• किसी पदार्थ का आपेक्षिक घनत्व उस पदार्थ का घनत्व व पानी के घनत्व का अनुपात है।
• आपेक्षिक घनत्व = किसी पदार्थ का घनत्व / पानी का घनत्व ।
• चूँकि आपेक्षिक घनत्व समान राशियों का एक अनुपात है, अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है।
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