कृषि

कृषि

Geography [ भूगोल ] लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. भारत की सबसे प्रमुख रोपण फसल कौन-सी है ?

उत्तर ⇒ चाय, कहवा, रबड़ आदि ।


प्रश्न 2. फ़सल चक्रण, मृदा संरक्षण में किस प्रकार सहायक है?

उत्तर ⇒ फसल चक्रण द्वारा मृदा के पोषणीय स्तर को बरकरार रखा जा सकता है। गेहूँ, कपास, मक्का, आलू आदि को लगातार उगाने से मृदा में ह्रास उत्पन्न होता है। इसे तिलहन, दलहन पौधे की खेती के द्वारा पुनर्णाप्ति किया जा सकता है। इससे नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है।


प्रश्न 3. भारतीय कृषि की पाँच प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।

उत्तर ⇒ भारतीय कृषि की पाँच प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

(i) भारतीय कृषि आर्थिक जीवन का प्राण है। भारत में लगभग 2/3 लोगों की जीविका कृषि पर आधारित है।
(ii) यहाँ की विशाल जनसंख्या के लिए भोजन कृषि से ही प्राप्त होता है।
(iii) यहाँ की कृषि से कच्चे माल उद्योगों को प्राप्त होते हैं। जैसे-कपास से सूती वस्त्र उद्योगों, गन्ना से चीनी उद्योग, जूट से जूट उद्योग एवं अन्य कृषि उत्पाद कृषि प्रसंस्करण उद्योगों को कच्चा माल देते हैं। जैसे-रसदार फल जैली जैम, स्वतंत्र उत्पादन के लिए आधार प्रदान करते हैं। इस तरह की कृषि उद्योगों की मजबूती प्रदान करता है।
(iv) यहाँ की जलवायु मिट्टी एवं धरातल की विविधता के कारण भारत में फसलों की विविधता भी पायी जाती है। चाय, गन्ना, मोटे अनाज एवं कुछ तिलहनों के उत्पादन का विश्व में अग्रणी स्थान है।
(v) राष्ट्रीय आय में भारतीय कृषि का मुख्य योगदान है। देश की 24% आय कृषि से प्राप्त होता है।


प्रश्न 4. कपास के उत्पादन में महाराष्ट्र क्यों प्रसिद्ध है ? अथवा, कपास उत्पाद की प्रमुख भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ कपास उत्पादन के लिए प्रमुख भौगोलिक दशाएँ हैं –

(i) औसत मासिक तापमान 21°C-30°C,
(ii) 75-100 सेंटीमीटर वर्षा,
(iii) 210 दि पालारहित,
(iv) काली मिट्टी सर्वोत्तम तथा
(v) सस्ते पर्याप्त श्रमिक ।
उपर्युक्त सभी भौगोलिक दशाएँ महाराष्ट्र में उपलब्ध हैं।


प्रश्न 5. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?

उत्तर ⇒ भारतीय अर्थतंत्र में कृषि का निम्नलिखित महत्त्व है –

(i) भारत की 70% आबादी रोजगार और आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है।
(ii) देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का योगदान 22% ही है। फिर भी, बहुत सारे उद्योगों को कच्चा माल कृषि उत्पाद से ही मिलता है।
(iii) कृषि उत्पाद से ही देश की इतनी बड़ी जनसंख्या को खाद्यान्न की आपूर्ति होती है। अगर ऐसा न हो तो खाद्यान्न आयात करना पड़ेगा।
(iv) कृषि के अनेक उत्पादों में भारत विश्व में पहले, दूसरे एवं तीसरे स्थान पर है।
(v) अनेक कृषि उत्पादों का भारत निर्यातक है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
(vi) कृषि ने अनेक उद्योगों को विकसित होने का अवसर प्रदान किया है।


प्रश्न 6. गन्ने की उपज उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक है, क्यों ?

उत्तर ⇒ गन्ना की उपज उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक है। कारण, समुद्री जलवायु में गन्ना उत्तम होता है। दक्षिण भारत के गन्ना में शर्करा की मात्रा अधिक होती है।


प्रश्न 7. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ 1960-70 के दशक में कृषि में सुधार के अंतर्गत एक पैकेज लायी गयी। जिसमें गेहूँ में कृषि में हरित क्रांति की शुरूआत हुई। इसके अंतर्गत संकर किश्म का उन्नत बीज रासायनिक खाद, सिंचाई, कीटनाशक आदि का उत्पादक प्रयोग कर खाद्य उत्पादन में अप्रत्याशित वृद्धि की गई है तथा खाद्य सुरक्षा में यह मील का पत्थर साबित हुयी है। इस क्रांति को आगे बढ़ने में सहकारिता विभाग पर भारत सरकार ने काफी ध्यान दिया। हरित क्रांति से फसलों के पैदावार में काफी वृद्धि हो गयी, इससे साधन उत्पादन में भारत आत्मनिर्भर हो गया है।


प्रश्न 8. भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के कारणों को संक्षेप में लिखिए।

उत्तर ⇒ भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के कई कारण हैं, जिनमें –

(i) जनसंख्या का कृषि भूमि पर निरंतर बढ़ता दबाव ।
(ii) घटता कृषि भूमि क्षेत्र ।
(iii) खेतों का छोटा आकार ।
(iv) भू-स्वामित्व प्रणाली।
(v) सिंचाई कम और अनिश्चित सुविधाएँ ।
(vi) मानसूनी वर्षा की अनिश्चितता।
(vii) कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण ।
(viii) कम पूँजी निवेश।
(ix) आधुनिक कृषि तकनीक, कीटनाशक, रासायनिक खाद आधुनिक यंत्र का सीमित उपयोग।
(x) कृषि में वाणिज्यीकरण का अभाव।


प्रश्न 9. चावल की फसल के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें।

उत्तर ⇒ बिहार में धान की फसल खरीफ फसल के अंतर्गत आती है। यहाँ तीन उपजें भदई, अगहनी तथा गरमा होती है। यह राज्य के लगभग सभी क्षेत्रों में उत्पन्न की जाती है। बिहार की मैदानी भाग अधिक उपयुक्त है, क्योंकि जलोढ़ मिट्टी काफी उपजाऊ है, यह फसल जून-जुलाई में लगाई जाती है। यह उष्णार्द्र जलवायु की फसल है। इसके लिए 20°-27° सेल्सियस तापमान 75-200 cm. वर्षा एवं अधिक श्रमिक चाहिए।


प्रश्न 10. गेहूँ के भौगोलिक दशाओं के बारे में लिखें।

उत्तर ⇒ यह जाड़े ऋतु में उगाया जाता है। पकते समय में इसे खिली धूप की आवश्यकता होती है तथा आगे के लिए समान रूप से विपरीत 50-75cm.वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है। दोमट मिट्टी चाहिए एवं सिंचाई की सहायता से 20 cm. वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगायी जाती है।


प्रश्न 11. व्यापारिक कृषि और निर्वाहक कृषि में अंतर बतलाएँ।

उत्तर ⇒ व्यापारिक कृषि – फसलें व्यापार के लिए उपजायी जाती है। अतः इस कृषि में अधिक पूँजी आधुनिक कृषि तकनीक का निवेश किया जाता है।
रोपण कृषि भी व्यापारिक कृषि है, चाय, कहवा, गन्ना, केला ।

गैर निर्वाहक कृषि – किसान अपने निर्वाह के लिए कृषि करता है।
परम्परागत कृषि ही खेती के अलावे भी काफी परम्परागत है । लकड़ी के हल, कुदाल, खुरपी, उपज कम होती है। जमीन की जुताई जैसे-तैसे कर दी जाती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन काफी कम होता है।


प्रश्न 12. जीवन निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर ⇒ इसकी कृषि उन देशों में की जाती है जहाँ कृषक अपने जीवन निर्वाह लायक कृषि उत्पादन करता है।


प्रश्न 13. शुष्क कृषि एवं आर्द्र कृषि में अंतर स्पष्ट करें।

उत्तर ⇒ शुष्क कृषि उन भागों में होती है जहाँ वर्षा 50 cm. से कम होती है तथा आर्द्र कृषि विशेषकर उन भागों में होती है जहाँ वर्षा का औसत 100 से 200 cm. के मध्य होता है।


प्रश्न 14. भारत का कौन-सा राज्य रबर उत्पादन में अग्रणी है ? दो कारण दीजिये।

उत्तर ⇒ भारत में केरल राज्य रबड उत्पादन में अग्रणी है। इसके प्रमुख कारणों में केरल में 200 cm. से अधिक वर्षा और 32°C से अधिक तापमान का होना तथा यहाँ की लाल लैटेराइट चिकनी तथा दोमट मिट्टी पौधे की बढ़ोत्तरी के लिए उत्तम हैं।


प्रश्न 15. भारत में उपजाए जानेवाले प्रमुख खाद्य एवं व्यावसायिक फसलों के नाम लिखिए।

उत्तर ⇒ भारत में उपजाए जाने वाले प्रमुख खाद्य फसल है – चावल, गेहूँ, मकई, दालें, सब्जी, मूंगफली तथा व्यावसायिक प्रमुख फसलें हैं-गन्ना, चाय, कहवा, तम्बाकू, जूट।


प्रश्न 16. गहन जीवन कृषि क्या है ?

उत्तर ⇒ गहन कृषि उन क्षेत्रों में पायी जाती है जहाँ जनसंख्या के अनुपात की भूमि कम होती है। अधिक पूँजी तथा श्रम लगाकर अधिकतम उत्पादन किया जाता है।


प्रश्न 17. भारतीय कृषि विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। कैसे ?

उत्तर ⇒ चाय, कॉफी, मसाले आदि कृषि उत्पादों का निर्यात कया जाता है। इससे भारत को बहुमूल्य विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।


प्रश्न 18. भारत की महत्त्वपूर्ण रोपण फसलों के नाम बताएँ।

उत्तर ⇒ भारत की महत्त्वपूर्ण रोपण फसलें चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला आदि हैं। चाय असम तथा उत्तरी बंगाल की तथा कॉफी कर्नाटक की मुख्य रोपण फसलें हैं।


प्रश्न 19. भारत कपास का आयात एवं निर्यात दोनों करता है, कैसे ?

उत्तर ⇒ भारत लंबे रेशे के कपास का अमेरिका, मिस्र, सूडान एवं केन्या से आयात करता है एवं छोटे एवं मध्यम किश्म के रेशे की कपास का ब्रिटेन एवं जापान को निर्यात करता है।


प्रश्न 20. रबी फसलें क्या हैं? चार उदाहरण दें।

उत्तर ⇒ रबी फसलें को शीत ऋतु में अक्टूबर से दिसम्बर के मध्य बोया जाता है तथा ग्रीष्म ऋतु में अप्रैल से जून के मध्य काटा जाता है।

(i) गेहूँ, (ii) जौ, (iii) चना तथा  (iv) मटर


प्रश्न 21.कहवा उत्पादन प्रमुख राज्य कौन है ?

उत्तर ⇒ भारत में कॉफी दक्षिण भारत में उगाया जाता है। कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा उत्पाद राज्य है, यहाँ चाय का 20% काफी उत्पादन किया जाता है, इसके अलावे इसका उत्पादन तमिलनाडु, केरल में भी होता है।


प्रश्न 22. वाणिज्यिक अथवा व्यापरिक कृषि के मुख्य लक्षण क्या हैं ?

उत्तर ⇒ वाणिज्यिक अथवा व्यापारिक कृषि के मुख्य लक्षण हैं, उच्च पैदावार प्राप्त करने के लिए निम्न निवेशों का प्रयोग-

(i) अधिक पैदावार देनेवाले बीज, (ii) बढी मात्रा में रासायनिक उर्वरक, (iii) कीटनाशक इत्यादि।


प्रश्न 23. भारत विश्व का एक अग्रणी चाय निर्यातक देश है, कैसे ?

उत्तर ⇒ भारत विश्व का चाय का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक है । यहाँ पनि हेक्टेयर चाय का उत्पादन विश्व में सर्वाधिक होता है । यहाँ मुख्य रूप सचा असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु में होता है एवं प्रति व्यक्ति चाय खपत कम है।


प्रश्न 24. चाय की खेती असम में ज्यादा होती है। क्यों ?

उत्तर ⇒ असम की पर्वतीय ढलानों पर चाय की खेती के लिए उपयुक्त तापमान एवं वर्षा उपलब्ध है। ढालुवाँ भूमि के कारण वर्षा का पानी झाड़ियों की जड़ों में जम नहीं पाता है। साथ ही, पूर्वी राज्यों से यहाँ सस्ते एवं पर्याप्त मजदूर उपलब्ध हैं यही कारण है कि असम में चाय की खेती ज्यादा होती है।


प्रश्न 25. भारत में कृषि भूमि पर अधिक दबाव है। क्यों ?

उत्तर ⇒ भारत में बच्चों को भ-स्वामित्व में विरासत का अधिकार प्राप्त है। इस कारण पीढ़ी दर पीढ़ी भूमि बँटती जाती है और जोतों का आकार छोटा होता जाता है। अतः किसान बैकल्पिक रोजगार न होने के कारण अपनी भूमि से अधिकतम पैदावार लेने की कोशिश करता है। इसी कारण भूमि पर दबाव अधिक ह।


प्रश्न 26. नगदी फसल और रोपण फसल में अंतर बतलाए।

उत्तर ⇒ नगदी फसल – ऐसे फसल जिसमें फसल का उत्पादन केवल बेचने के उद्देश्य से करते हैं। जैसे—गन्ना।
रोपण फसल – वृहत पैमाने पर की जाने वाली एक फसली कषि जिसमें अत्यधिक पूँजी का विनियोग, बड़े-बड़े कार्य, आधुनिक एवं प्रौद्योगिक बतलायी जाती है। जैसे- चाय, रबड, केला आदि।


प्रश्न 27. भारत के पूर्वी भाग में रोटी तथा पश्चिमी भाग में चावल खाने का कम प्रचलन है। क्यों ?

उत्तर ⇒ परंपरागत रूप से भारत के पूर्वी राज्यों में चावल तथा पश्चिमी राज्यों में गेहूँ का उत्पादन अनुकूल भौगोलिक सुविधाओं के कारण ज्यादा होता है। यदि कारण है कि देश के पूर्वी भाग में रोटी तथा पश्चिमी भाग में चावल खाने का कम प्रचलन है।


प्रश्न 28. उपर्युक्त फसलों के उत्पादन करने वाले दो प्रमुख राज्यों का नाम लिखें।

उत्तर ⇒ फसलों के उत्पादन करनेवाले दो प्रमुख राज्यों के नाम इस प्रकार हैं –

चावल उत्तर प्रदेश, प० बंगाल
गेहूँ उत्तर प्रदेश, पंजाब
गन्ना उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र
केला बिहार, आंध्र प्रदेश
कपास महाराष्ट्र, गुजरात
जूट प० बंगाल, असम

प्रश्न 29. वैश्वीकरण का भारतीय कृषि पर क्या प्रभाव पड़ा है?

उत्तर ⇒ वैश्वीकरण का भारतीय कृषि पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है। वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ना। इसने भारतीय बाजार को विश्व के बाजार के लिए खोल दिया है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर सरकारी तंत्र की पकड़ ढीली हो गई है। अब विदेशी उत्पाद जिसमें कषिजन्य उत्पाद भी शामिल हैं, आसानी से भारत में बेचे जा सकते हैं। इस अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा से भारतीय किसान को एक बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।


प्रश्न 30. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि के योगदान की चर्चा कीजिए।

उत्तर ⇒ भारत कषि प्रधान देश है। कृषि प्रधान देश होने के कारण भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में नीव के पत्थर की भाँति महत्व रखता है। 2001 में देश की लगभग 69% जनसंख्या कृषि से रोजगार प्राप्त की। किन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगातार घट रहा है। वर्तमान समय में 24% आय कषि से प्राप्त है। कृषि का आंतरिक एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भमिका है जो अजादी के समय काफी कम है। कृषि में गिरावट समाज के अन्य क्षेत्रों में गिरावट लायेगी। कृषि के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके विकास पर्व वृद्धि के लिए इसके आधुनिकीकरण का प्रयास किया जा रहा है।


प्रश्न 31. गहन कृषि की विशेषताओं को लिखें।

उत्तर ⇒ गहन या सघन कृषि की मुख्य विशेषताएँ हैं –

(i) कषि की उन्नत तकनीक के प्रयोग के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
(ii) नमी की अधिकता के कारण निचली जमीन में सघन कृषि की जाती है।
(iii) इस कषि के तहत धान एवं गेहूँ .सहित अन्य खाद्यान्नों की खेती की जाती है।
(iv) तमिलनाड तथा पूर्वी भारत में धान की दो फसलें प्राप्त की जाती है।
(v) इस कृषि पद्धति में उर्वरकों का कम उपयोग किया जाता है।
(vi) अधिक खर्च करके कम जमीन से अधिक उत्पादन प्राप्त करना इस खेती की मुख्य विशेषता है


प्रश्न 32. शुष्क भूमि के चार प्रमुख विशेषता का वर्णन करें।

उत्तर ⇒ शुष्क भूमि के चार प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार अनलिखित हैं –

(i) वर्षा जल की संरक्षित करने की विधियों का प्रयोग किया जाता है। ताकि शुष्क समय में उसका उपयोग किया जा सके।
(ii) आवश्यकता से अधिक जल को भूमिगत जल के पुनःभरण के लिए संरक्षित रखा जाता है।
(iii) शुष्कता के कारण ह्यूमस की मात्रा यहाँ की मिट्टी में बहुत कम होती है।
(iv) शुष्कता के कारण मिट्टी की ऊपरी परत का वायु द्वारा कटाव होता है।

 

Geography ( भूगोल )  दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. भारतीय अर्थतंत्र में कषि का क्या महत्त्व है ? कषि की विशेषताओं पर प्रकाश डालें।

उत्तर -भारतीय अर्थतंत्र में कृषि का निम्नलिखित महत्त्व हैं –

(i) भारत की 70% आबादी रोजगार और आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है।

(ii) देश के सकल राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि का योगदान 22% ही है। फिर भी, बहुत सारे उद्योगों को कच्चा माल कृषि उत्पाद से ही मिलता है।

(iii)कृषि उत्पाद से ही देश की इतनी बड़ी जनसंख्या को खाद्यान्न की आपूर्ति होती है।

(iv) अनेक कृषि उत्पाद का भारत निर्यातक है जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।

(v)कृषि ने अनेक उद्योगों को विकसित होने का अवसर प्रदान किया है।

भारतीय कृषि की विशेषताएँ.-

भारत का एक बड़ा भू-भाग कृषि योग्य है। यहाँ की जलवायु और उपजाऊ मिट्टी कृषि कार्य को बढ़ावा प्रदान करते हैं। भारत में कहीं एक फसल, कहीं दो फसल और कहीं तीन-तीन फसल तक उगायी जाती है।
भारत में फसलों की अदला-बदली भी की जाती है, यहाँ अनाज की फसलों के बाद दलहन की खेती की जाती है। इससे मिट्टी में उर्वरा शक्ति बनी रहती है। यहाँ मिश्रित कृषि का भी प्रचलन है जिसमें गेहूँ, चना और सरसों की खेती एक साथ की जाती है।


2. भारत में कृषि के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें।

उत्तर- कृषि आदिकाल से किया जानेवाला आर्थिक क्रियाकलाप है। भारत में पायी जानेवाली विविध भौगोलिक एवं सांस्कृतिक परिवेश ने कृषि तंत्र को समय के अनुरूप प्रभावित किया है। भारतीय कृषि के प्रकार निम्नलिखित हैं –

(i) प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि- यह अति प्राचीन काल से की जानेवाली कृषि का तरीका है। इसमें परंपरागत तरीके से भूमि पर खेती की जाती है। खेती के औजार भी काफी परंपरागत होते हैं जैसे लकड़ी का हल, कुदाल, खुरपी। इसमें जमीन की जुताई गहराई से नहीं हो पाती है। कृषि में आधुनिक तकनीक के निवेश का अभाव रहता है। इसलिए उपज कम होती है और भूमि की उत्पादकता कम होने के कारण फसल का प्रति इकाई उत्पादन भी कम होता है। देश के विभिन्न भागों में इस प्रकार की कृषि को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है।
(ii) गहन जीविका कृषि-  इस कृषि पद्धति को ऐसी जगह अपनाया जा है जहाँ भमि पर जनसंख्या का प्रभाव अधिक है। इसमें श्रम की आवश्यकता और है। परंपरागत कृषि कौशल का भी इसमें भरपूर उपयोग किया जाता है। भमि की उर्वरता को बनाए रखने के लिए परंपरागत ज्ञान, बीजों के रख-रखाव एवं मौसा
संधी अनेक ज्ञान का इसमें उपयोग किया जाता है। जनसंख्या बढ़ने से जोतों का आकार काफी छोटा हो गया है। वैकल्पिक रोजगार के अभाव में भी जरूरत से ज्यादा जनसंख्या इस प्रकार की कृषि में संलग्न है।
(iii)व्यापारिक कृषि- व्यापारिक कृषि में अधिक पूँजी, आधुनिक कृषि तकनीक का निवेश किया जाता है। अत: किसान अपनी लगाई गई पूँजी से अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। आधुनिक कृषि तकनीक से अधिक पैदावार देनेवाले परिष्कृत बीज, रासायनिक खाद, सिंचाई, रासायनिक कीटनाशक आदि का उपयोग किया जाता है। इस कृषि पद्धति को भारत में हरित क्रांति के फलस्वरूप व्यापक रूप से पंजाब एवं हरियाणा में अपनाया गया। भारत में चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला आदि फसलें मुख्यतः व्यापार के लिए उपजाई जाती है।


3. भारतीय कृषि में उत्पादन को बढ़ाने के उपायों को सुझावें।

उत्तर -भारत में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या का वास हैं। तेजी से बढ़ती जनसंख्या और औद्योगिक क्षेत्रों के विस्तार के कारण कृषि योग्य भूमि को लगातार कमी हो रही है। मानसून की अनिश्चितता से भी कृषि उत्पादन की कमी हो रही है।
उत्पादन की वृद्धि के लिए निम्न उपाए किये जा सकते हैं-

(i) मानसून की अनिश्चितता के कारण उन्नत सिंचाई नहीं हो पाती है। इसके . लिए पंपसेटों, नहरों इत्यादि से सिंचाई की समुचित व्यवस्था करनी चाहिए।

(ii) उर्वरक तथा कीटनाशकों को ग्रामीण इलाकों तक सस्ते दर पर उपलब्ध करानी चाहिए ताकि फसलों की अच्छी प्रगति हो।

(iii) उन्नत बीजों—सामान्य बीजों से प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता है। अत: उन्नत बीजों का प्रयोग करनी चाहिए। हरित क्रांति में उन्नत बीजों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

(iv) शस्य गहनता अर्थात् एक ही कृषि वर्ष में एक ही भूमि पर एक से अधिक फसलों के उत्पादन की क्रिया होनी चाहिए।

(v)कृषि के नवीन एवं वैज्ञानिक तरीकों को अपनाना चाहिए।


4. भारतीय कृषि पर भूमंडलीकरण के प्रभाव की व्याख्या करें।

उत्तर- भूमंडलीकरण का उद्देश्य है हमारे राष्ट्रीय अर्थतंत्र का विश्व अर्थतंत्र से जुड़ना। विश्व का बाजार सबके लिए मुक्त हो। इससे अच्छे किस्म का सामान उचित मूल्य पर कहीं भी पहुँचाया जा सकेगा।
भारतीय कृषि के विकास के लिए उपयुक्त जलवायु मिट्टी और श्रमिकों का । सहारा लेकर किसान उन्नत किस्म के खाद्यान्नों तथा अन्य कृषि उत्पादों को विश्वबाजार में प्रवेश करा सकेंगे। इसमें प्रतिस्पर्धा का सामना होगा। सामना करने के लिए उन्नत तकनीकी उपायों का सहारा लेना होगा। भारतीय कृषि में अधिकाधिक विकास करने की आवश्यकता है।
भूमंडलीकरण भारत के लिए कोई नया कार्य नहीं है। प्राचीन समय से ही | भारतीय सामान विदेशों में जाया करता था और विदेशों से आवश्यक सामग्री । भारतीय बाजारों में बिकते थे। परंतु 1990 से. वैधानिक रूप से भूमंडलीकरण और उदारीकरण की नीति अपनाने के बाद विश्वबाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण कृषि के क्षेत्र में उन्नत तकनीक और मशीनों का प्रयोग बढ़ रहा है। साथ ही खाद्यान्नों की । अपेक्षा व्यापारिक फसल के उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है।


5. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर- वैश्वीकरण का अर्थ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ना है। भारतीय कृषि भी 1991 के बाद से इस वैश्वीकरण की नीति से प्रभावित हुई है। विश्व बाजार की मांग के अनुरूप भारतीय किसान फसलों की खता कर विश्व बाजार में प्रवेश करने में सक्षम हो रहा हैं। भारतीय कृषि में कई उल्लेखनीय एवं सकारात्मक परिवर्तन आने लगे हैं। इनमें कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं।-

(i) महिन्द्रा एंड महिंद्रा ग्रुप अपनी मुक्त सेवा प्रारंभ कर छोटे किसानों को बड़ी कंपनियों से जोड़ने का काम कर रहा है।

(ii) पेरिस्क कंपनी पंजाब विश्वविद्यालय के साथ मिलकर राज्य में निर्यात के लिए उत्तम किस्म के टमाटर एवं आलू उत्पादन की योजनाओं पर कार्य कर रही है।

(iii) कई देशी एवं विदेशी निजी कंपनियाँ कपि एवं इसके उत्पादों के विक्रय एवं व्यापार से सक्रिय हो गई है। जैसे—रिलायंस कंपनी।

(iv) विश्व बैंक की सहायता से चार क्षेत्रों के 7 राज्यों में प्रशिक्षण एव कृषि प्रबंधन संस्थाएँ खोली गई हैं।

(v) देश में चावल और गेहँ के साथ ही साथ अन्य कई उत्पादों को बढ़ाने के लिए कार्यक्रम खोली गई हैं।


6. शुष्क भूमि कृषि की विशेषताओं का वर्णन कर।

उत्तर- शुष्क भूमि कृषि की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

(i) इन क्षेत्रों में प्राय: गरीब किसान रहते हैं जो पंजी के अभाव में उन्नत बीज, उर्वरक इत्यादि नहीं खरीद सकते हैं। यही कारण है कि यहा उत्पादन भी कम होता है।

(ii) यहाँ पर शुष्क समय में उपयोग हेतु वर्षा जल के संग्रहण विधि का प्रयोग किया जाता है।

(iii) आर्द्रता की कमी के कारण शुष्क भूमि के क्षेत्रों की मिट्टी में जावाश (ह्यूमस) की मात्रा कम होती है।

(iv) शुष्कता के कारण तेज हवा और आँधी से मिट्टी की ऊपरी परत का कटाव अधिक होता है।

(v) भूमिगत जल के पुनः भरण के लिए तालाबों और छोटे-छोटे अवरोधों से वर्षा जल को व्यर्थ बहने से रोका जाता है।

(vi) कृषि-उत्पादन से आय की जो कमी होती है उसे गाय, बकरी, मुर्गीपालन, रेशम उत्पादन इत्यादि से पूरा किया जाता है।


7. चावल की फसल के लिए उपयुक्त भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करें।

उत्तर-चावल के उत्पादन की उपयुक्त दशाएँ- धान से चावल बनाया जाता है। धान मानसूनी जलवायु का फसल है जिसके लिए निम्नांकित दशाएँ उपयुक्त होती हैं –

(i) उच्च तापमान (20°C से 30°C के बीच),

(ii) पर्याप्त वर्षा (200 cm वार्षिक वर्षा) कम वर्षा वाले क्षेत्रों में उत्तम सिंचाई की व्यवस्था आवश्यक होती है,

(iii) समतल भूमि ताकि खेतों में पानी जमा रह सके,

(iv) जलोढ़ दोमट मिट्टी धान की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है,

(v) पर्याप्त सस्ते श्रमिक।

प्रमख उत्पादन क्षेत्र – धान की खेती मुख्यतः गंगा, ब्रह्मपुत्र के मैदान में और डेल्टाई तथा तटीय भागों में की जाती है। इसके प्रमुख उत्पादक राज्य हैं पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, पंजाब, बिहार, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, उड़ीसा, असम, हरियाणा और केरल। इसकी खेती में लगी सर्वाधिक भूमि पश्चिम बंगाल और बिहार में है। परंतु सिंचाई और खाद के बल पर पंजाब धान का प्रति हेक्टेयर उत्पादन सबसे अधिक करता है। दक्षिण भारत में इसकी खेती में सिंचाई का सहारा लेना पड़ता है। कावेरी, कृष्णा. गोदावरी और महानदी के डेल्टाओं में नहरों का जाल बिछा है जिससे इस क्षेत्र में कहीं दो फसल और कहीं तीन फसल तक धान की खेती की जाती है। प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक है। इसलिए यहाँ से दूसरे राज्यों को चावल भेजा जाता है।


8. गेहँ उत्पादन हेतु मुख्य भौगोलिक दशाओं का उल्लेख करते हए भारत के गेहूँ उत्पादक क्षेत्रों के नाम लिखें।

उत्तर – गेहूं भारत की दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण खाद्य फसल है। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है। इसके उत्पादन हेतु मुख्य भौगोलिक दशाएँ इस प्रकार से हैं –

तापमान – बोते समय 10° – 15° सें ग्रे०

पकते समय 20° – 25° सें ग्रे० .

वर्षा- 75 सेमी०

मृदा – जलोढ़

गेहूँ एक रबी फसल है जो मुख्यतः निम्न क्षेत्रों में उपजाया जाता है। यह उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और बिहार गहू के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। उत्तरप्रदेश भारत का सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक राज्य है।


9 .चाय उत्पादन के प्रमुख भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें। भारत के चाय उत्पादक देशों का उल्लेख करें।

उत्तर- चाय मानसूनी जलवायु को चिरहरित झाड़ी है जो 3 मीटर तक ऊँची होती है। इसकी खेती के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएँ हैं –

(i) ग्रीष्म ऋतु के दौरान 24.30°C तापमान।

(ii) जड़ों में पानी नहीं जमने देने के लिए ढालू भूमि।

(iii) चाय की झाड़ियों को छाया देने के लिए बीच-बीच में छायादार वृक्ष लगाना।

(iv) गहरी दोमट मिट्टी जिसमें लोहांश, फॉस्फोरस एवं पोटाश की प्रधानता हो।

(v) ग्रीष्मकालीन रुक-रुक कर 150-500 सेमी० वर्षा।

(vi) स्त्री श्रमिकों की बहुलता।

उत्पादक क्षेत्र –

(i) उत्तर-पूर्वी राज्य असम, प. बंगाल (दार्जिलिंग)
(ii) दक्षिण का नीलगिरि पर्वतीय क्षेत्र और
(iii) उत्तर-पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र देहरादून, कांगड़ा घाटी एवं कश्मीर घाटी


10. चाय उत्पादन के प्रमुख भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें। भारत में चाय उत्पादक तीन राज्यों के नाम लिखें।

उत्तर-चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय फसलें है। यह झाड़ियों की कोमल पत्तियों को संसाधित करके प्राप्त की जाती है। चाय की कृषि के लिए निम्न भौगोलिक दशाएँ आवश्यक होती है –

(i) तापमान–चाय एक उष्ण एवं उपोष्ण फसल है। अतः इसके उत्पादन के लिए 20°C से 30°C तक की तापमान उपयुक्त मानी जाती है।

(ii) वर्षा- चाय के उत्पादन के लिए 150 cm से 200 cm तक की वर्षा उपयुक्त है।

(iii) आर्द्रता- चाय के पत्तियों के विकास के लिए उच्च आर्द्रता होनी चाहिए।

(iv) सस्ते श्रम– चाय की कृषि में पत्तियों को चुना जाता है, तोड़ा जाता है एवं सुखाया जाता है, जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में सस्ते एवं कुशल श्रम की आवश्यकता पड़ती है।

(v) ढालू भूमि–चाय के पौधे के जड़ों में पानी नहीं लगना चाहिए। यही कारण है कि चाय की कृषि ढालू भूमि पर की जाती है। भारत में चाय का उत्पादन मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु एवं केरल राज्य में किया जाता है।


11. मकई (उत्पादन) हेतु मुख्य भौगोलिक दशाओं का वर्णन करें।

उत्तर-मकई एक मोटा अनाज है जो मनुष्य के भोजन एवं पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग होता है। इसके उत्पादन के लिए निम्नलिखित भौगोलिक दशाओं की आवश्यकता है-

(i) तापमान- 21 से 27° C तक।

(ii) वर्षा- 75 सेंटीमीटर।

(iii) मिट्टी- जलोढ़ इन सबके अलावा कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।


12. कपास की खेती के लिए उपयुक्त दशाओं और उत्पादक क्षेत्रों का वर्णन करें।

उत्तर -कपास की खेती के लिए निम्नांकित दशाएँ उपयुक्त मानी जाती हैं-

(i) उच्च तापमान (21°C से 30°C के बीच),

(ii) तेज धूप और पाला से बचाव (तेज धूप से रेशे चमकदार मजबूत और साफ निकलते हैं,

(iii) कम वर्षा (75 cm से 100 cm तक वर्षा प्रयाप्त है।

(iv) मिट्टी (लावा निर्मित काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। सिंचाई की सविधा होने पर जलोढ़ मिट्टी में भी इसकी अच्छी उपज होती है।

(v) सस्ते श्रमिक

प्रमुख उत्पादन क्षेत्र- भारत की काली मिट्टी के क्षेत्र में कपास की अच्छी खेती की जाती है। इस मिट्टी में नमी बनाये रखने की क्षमता होती है। यहाँ बिना सिंचाई के ही इसकी खेती की जाती है। इस क्षेत्र के कपास उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, गजरात. कर्नाटक, मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश हैं। महाराष्ट्र और गुजरात मिलकर देश का आधा कपास उत्पादन करते हैं।
पंजाब के आस-पास का क्षेत्र सिंचाई के बल पर कपास का उत्पादन करता है। उच्च कोटि के कपास के लिए यह क्षेत्र जाना जाता है। दक्षिण भारत में कावेरी नदी घाटी में सिंचाई की सुविधा. के कारण कपास की अच्छी ऊपज प्राप्त की जाती हैं।


14. मत्स्य पालन के आर्थिक महत्त्व को समझा।

उत्तर-मछलियाँ मनुष्य का एक महत्त्वपूर्ण खाद्य पदार्थ एवं प्रोटीन का स्रोत ह। मत्स्य पालन दो प्रकार से होता है समुद्री जल (खारे पानी का) एवं स्वच्छ जल का। यह भारत के विशेषकर तटीय क्षेत्रों के लोगों की जीविका का महत्त्वपूर्ण साधन है। इससे सकल घरेलू उत्पाद में वद्धि एवं विदेशी मुद्रा की प्राप्ति भी होती है। इसके विकास के लिए नीली क्रांति भी चलाई गई थी। बाद में झींगा मछली के विकास के लिए गुलाबी क्रांति भी चलाई गई।


15. भारत की प्रमुख फसलों का वर्णन करें।

उत्तर- भारत की विशालता एवं जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नता के कारण इसके विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जा रही हैं। जो इस प्रकार

(i) खाद्य फसलें- इसमें गेहूँ, चावल, मकई, ज्वार-बाजरा इत्यादि को रखा जाता है। कुल कृषि उत्पादन में इनका योगदान 50 प्रतिशत से भी अधिक है।

(ii) दलहन फसलों में प्रमुख रूप से अरहर, मसूर, उड़द, मूंग, मटर एवं चना प्रमुख हैं। अरहर, उड़द और मूंग खरीफ फसल हैं जबकि मसूर, मटर
और चना रबी फसलें हैं। यह भारतीयों के लिए प्रोटीन के मुख्य स्रोत हैं।

(iii) तिलहन फसलों में सरसों, अलसी, तोरी, तिल, अरंडी एवं मूंगफली को रखी गई है। इसके अलावा सोयाबीन, सूरजमुखी तथा कॉर्नफ्लावर से भी तेल निकाला जाता है। यह वसा तथा विटामिन के मुख्य स्रोत हैं।

(iv) पेय फसलों में चाय एवं कॉफी को रखा गया है। भारत चाय का विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक देश है। कहवा दूसरा महत्त्वपूर्ण पेय है जो अपनी गुणवत्ता के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

(v) रेशेदार फसलें- कपास एवं जूट भारत की दो प्रमुख रेशेदार फसलें हैं। चीन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश है।

(vi) नकदी फसलें- इसे व्यापारिक फसलें भी कहते हैं। इसका देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद में 26 प्रतिशत योगदान है। भारत में नकदी फसलों के अंतर्गत गन्ना, रबर, तंबाकू, मसालें एवं फल प्रमुख हैं। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मसाला उत्पादक एवं निर्यातक देश है।


16. वर्षा जल की मानव जीवन में क्या भूमिका है? इसके संग्रहण एवं पुनः चक्रण की विधियों का उल्लेख करें।

उत्तर- हमारे लिए उपयोगी जल की एक बड़ी मात्रा वर्षा जल द्वारा ही पूरी होती है। खासकर हमारे देश की कृषि वर्षाजल पर ही आधारित होती है। पश्चिम भारत खासकर राजस्थान में पेयजल हेतु वर्षाजल का संग्रहण छत पर किया जाता था। प. बंगाल में बाढ़ मैदान में सिंचाई के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाने का चलन था। शक एवं अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल को एकत्रित करने के लिए गड्ढों का निर्माण किया जाता था। जिससे मृदा सिंचित कर खेती की जा सके। इसे राजस्थान के जैसलमेर में ‘खरदीन’ तथा अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ के नाम से पुकारा जाता है। राजस्थान के वीरान फलोदी और बाड़मेर जैसे शुष्क क्षेत्रों में पेयजल का संचय भमिगत टैंक में किया जाता है। जिसे ‘टाँका’ कहा जाता है। यह प्रायः आँगन में हुआ करता है जिसमें छत पर संग्रहित जल को पाइप द्वारा जोड दिया जाता है। मेघालय के शिलांग में छत वर्षाजल का संग्रहण आज भी प्रचलित है। कर्नाटक के मैसर जिले में स्थित गंडाथूर गाँव में छत-जल संग्रहण की व्यवस्था 200 घरों में है जो जल संरक्षण की दिशा में एक मिसाल है। वर्तमान समय में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं गुजरात सहित कई राज्यों में वर्षा-जल संरक्षण एवं पुनः चक्रण किया जा रहा है।


17. भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुपालन के महत्त्व को समझावें।

उत्तर- भारत एक कृषि प्रधान देश है। कृषि कार्य में पशओं महत्त्वपर्ण स्थान है। इनकी मदद से खेतों की जुताई, बुआई और कषि जसा ढलाई की जाती है। गाय, भैंस एवं बकरियों से दूध की भी प्राप्ति होती है। में विश्व का लगभग 57.1% भैंसें तथा 16.1% गोधन पाये जाते हैं। श्वेत बाद भारत विश्व का अग्रणी दुग्ध उत्पादक देश बन गया है। भारत में दा की वद्धि के लिए विश्व बैंक की सहायता से “ऑपरेशन पलड” नामक योजना आरंभ की गई है।
इस प्रकार पशुपालन कृषि कार्य, दुग्ध उत्पादन एवं ग्रामीणों की आय में वति करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


18. भारत के सीमेंट उद्योग का वर्णन करें।

उत्तर- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है। यहाँ पर अनेक प्रकार के सीमेंट का उत्पादन होता है जैसे—पोर्टलैंड, सफेद सीमेंट, स्लैग सीमेंट, आयलवेल, पोर्टलैंड ब्लास्टफर्नेस इत्यादि। यह उद्योग कच्चे माल के निकट स्थापित किया जाता है।
सबसे पहला सीमेंट संयंत्र 1904 ई० में चेन्नई में स्थापित किया गया। यह उद्योग तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश में स्थापित है। आज भारत में 159 बड़े तथा 332 से अधिक छोटे सीमेंट संयंत्र है।
भारतीय सीमेंट की माँग विदेशों में काफी है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता वाला होता है। इसकी माँग दक्षिण एवं पूर्वी एशिया में काफी है। इस समय भारत में 20 करोड़ टन सीमेंट प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा है।


19. कृषि उत्पाद में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किये गये उपायों को लिखें।

उत्तर- कृषि उत्पाद में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकारी स्तर पर कई प्रकार के उपाय किए गए। जो निम्न हैं –
1984 में विश्व बैंक की सहायता से नदियों के व्यर्थ बह जाने वाले जल को संग्रहित कर कृषि कार्य में उपयोग करने के लिए आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में कार्य प्रारंभ किया गया है। इसी प्रकार फसलों के उत्पादन बढाने के लिए नये प्रोग्राम बनाये गए हैं। जैसे –

(i) ICDP Wheat-इसके अंतर्गत गेहूँ के उत्पादन क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

(ii) ICDP Rice- यह प्रोग्राम चावल के उत्पादन क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने के लिए बनाया गया है।

(iii) ICDP-Coarse Cereals—यह मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़ाने के लिए बनाया गया प्रोग्राम है।

(iv)SUBACS -गन्ना की खेती में निरंतर विकास के लिए यह प्रोग्राम चलाया जा रहा है।

(v)SJTP-पटसन की खेती के विशेष विकास के लिए यह प्रोग्राम है।

(vi) Mini-Kits—इसके अंतर्गत न और मोटे अनाजों की उत्तम किस्में किसानों को उपलब्ध करायी जाती है।

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