किसानों को किफायती दरों पर मिलेगी खाद, सरकार देगी 37,216 करोड़ रुपये की सब्सिडी

Fertilizer Subsidy: किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने खरीफ सत्र 2025 (अप्रैल 2025 से सितंबर 2025) के लिए फॉस्फेट और पोटाश (P&K) आधारित उर्वरकों पर 37,216 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की मंजूरी दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई. यह कदम उर्वरकों की कीमतों को नियंत्रण में रखने और किसानों को सस्ती दरों पर खाद उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उठाया गया है.

किसानों को उर्वरकों की सस्ती कीमत पर उपलब्धता सुनिश्चित

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा करते हुए कहा कि पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (Nutrient-Based Subsidy-NBS) योजना के तहत उर्वरकों पर सब्सिडी दरें तय की गई हैं. इस फैसले से किसानों को डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) और अन्य पीएंडके उर्वरक सस्ते दरों पर उपलब्ध कराए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने डीएपी की खुदरा कीमतों को वर्तमान स्तर पर बनाए रखने का निर्णय लिया है, ताकि किसानों को बढ़ती लागत का सामना न करना पड़े.

खरीफ सत्र 2025 के लिए उर्वरक सब्सिडी दरें

सरकार उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों को ध्यान में रखते हुए पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी की राशि को युक्तिसंगत बना रही है. इससे किसानों को किफायती दरों पर खाद मिल सकेगी और कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. सरकार ने 28 ग्रेड के पीएंडके उर्वरकों पर सब्सिडी उपलब्ध कराने की घोषणा की है. उर्वरक कंपनियों को निर्धारित सब्सिडी दरों के अनुसार वित्तीय सहायता दी जाएगी, ताकि वे खाद की कीमतें नियंत्रित रख सकें और किसानों को उचित दरों पर उर्वरक उपलब्ध करा सकें.

एनबीएस योजना के तहत दी जाएगी सब्सिडी

केंद्र सरकार अप्रैल 2010 से पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना के तहत पीएंडके उर्वरकों पर वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है. इस योजना के अंतर्गत, निर्माताओं और आयातकों को सब्सिडी दी जाती है, ताकि वे किसानों को उचित दरों पर खाद उपलब्ध करा सकें.

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उर्वरक सब्सिडी से किसानों को क्या लाभ होगा?

  • डीएपी और अन्य उर्वरकों की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी.
  • किसानों को फसल उत्पादन में राहत मिलेगी और लागत में कमी आएगी.
  • उर्वरकों की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर किसानों पर नहीं पड़ेगा.
  • खरीफ सत्र में फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होगा.

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