कहां रुकी है शेयर बाजार की बढ़त, क्या सरकारी खजाने के कंठ में छिपा है अमृत?

Stock Market: शेयर बाजार में महीनों से जारी गिरावट अब थमने वाली है. जेफरीज इंडिया के महेश नंदुरकर के अनुसार, सरकारी खर्च में बढ़ोतरी और आर्थिक सुधार बाजार में स्थिरता लाने में मदद कर रहे हैं.

Stock Market: शेयर बाजार में कई महीनों से गिरावट का दौर जारी है. देश-दुनिया के तमाम विशेषज्ञ अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि आखिर भारतीय शेयर बाजार में गिरावट का रुख बरकरार क्यों हैं? इसके पीछे कोई विदेशी संस्थागत निवेशकों को जिम्मेदार ठहराते हैं, तो कोई खुदरा निवेशकों पर ठिकरा फोड़ते हैं. लेकिन, कुछ ब्रोकरेज फॉर्म सरकारी खजाने को ही इसका जिम्मेदार बताते हैं. वे यह कहते हैं कि सरकारी खजाने में शेयर बाजार को फिर से नईं ऊंचाई पर ले जाने वाला अमृत छिपा हुआ है. अब आप यह कहेंगे कि ये अमृत क्या है? तो यह अमृत वह सरकारी खजाने को खोलकर खुले हाथ से खर्च करने का है.

सरकार के खजाने में छिपा है बाजार की बढ़त का राज

मनी कंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, महीनों से बाजार की गिरावट अब थमने वाली है. सीएनबीसी टीवी18 से बातचीत के क्रम में जेफरीज इंडिया के प्रबंध निदेशक और महेश नंदुरकर ने कहा कि मार्केट वैल्यूएशन अब सही लेवल पर आ गई है. उन्होंने कहा कि सरकारी खर्च में बढ़ोतरी दिख रही है. बस, सरकार को अपना हाथ थोड़ा और खोलने की जरूरत है. मुख्य रूप से सरकार के खजाने में ही बाजार की बढ़त का राज छुपा है.

स्थिरता की ओर आगे बढ़ रहा है शेयर बाजार

उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक फंडामेंटल्स में इम्प्रूवमेंट के शुरुआती रुझान मिल रहे हैं. इसका अर्थ यह है कि बाजार अब स्थिरता की ओर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि बाजार में गिरावट भी बहुत जरूरी थी. शेयरों की कीमतें उनके फंडामेंटल्स की तुलना में काफी आगे निकल चुकी थीं. निवेशक बाजार में इस गिरावट को खराब होते देख रहे हैं. लेकिन, स्थिति अब पहले से अधिक संतुलित होती दिखाई दे रही है. छोटे-बड़े शेयर का मूल्यांकन उनके 10 साल के औसत पर आ गई है.

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सरकारी खर्च में दोबारा बढ़ोतरी के संकेत

महेश नंदुरकर ने कहा कि बाजार के मूल्यांकन के अलावा दो बड़े सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं. पहला यह कि सरकारी खर्च में दोबारा बढ़ोतरी हो रही है. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में सरकार का खर्च सालाना आधार पर 2-3 फीसदी कम रहा. लेकिन, दूसरी छमाही में इसके 14-15% बढ़ सकता है. इसका कारण यह है कि सरकारी खर्च की जीडीपी में करीब 10% हिस्सेदारी है. इससे इस खर्च से आर्थिक वृद्धि 150 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ सकता है. दूसरा, क्रेडिट ग्रोथ में इजाफा है. बीते एक साल में क्रेडिट ग्रोथ 16-17% से घटकर करीब 10-11% पर आ गया. रिजर्व बैंक के लिक्विडिटी बढ़ाने के उपायों से क्रेडिट ग्रोथ बढ़ने के संकेत है.

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