एनजीओ ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की रक्षा का किया अनुरोध

भारत सरकार राजनयिक तौर पर हस्तक्षेप कर यह सुनश्चित करे कि अल्पसंख्यक समुदाय पर और अत्याचार नहीं हो

कोलकाता. बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा के बीच, बांग्लादेशी शरणार्थियों के लिए काम करने वाले एक प्रमुख गैर सरकारी संगठन ने शुक्रवार को भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह अपने पड़ोसी देश पर धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दबाव डाले. हिंदू समुदाय पर हमले की कई खबरें आने के बाद यह अपील की गयी है. आरोप है कि बांग्लादेश में वर्तमान प्रशासन में हिंदुओं के अधिकारों को व्यवस्थित ढंग से कमजोर किया जा रहा है . बांग्लादेशी शरणार्थियों के कल्याण के लिए समर्पित गैर-सरकारी संगठन, बांग्लादेश उदबस्तु उन्नयन संगसद (बीयूयूएस) के अध्यक्ष बिमल मजूमदार ने पड़ोसी देश में हिंदुओं के सामने बढ़ती असुरक्षा को लेकर आवाज उठाई.

उन्होंने यहां पत्रकार वार्ता में कहा, ‘‘मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने में विफल रही है.’’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार राजनयिक तौर पर हस्तक्षेप कर यह सुनश्चित करे कि अल्पसंख्यक समुदाय पर और अत्याचार नहीं हो. बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की ताजा घटनाओं ने देश और दुनिया में चिंताएं बढ़ा दी हैं. विभिन्न मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट बताती है कि हिंदू मंदिरों, घरों और व्यवसायों पर बार-बार हमले होने लगे हैं. धार्मिक स्थलों को नष्ट करने और हिंदू समुदाय के सदस्यों के साथ हिंसक टकराव की कई घटनाएं सामने आयी हैं.

ऐतिहासिक रूप से 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान बांग्लादेश की आबादी में हिंदुओं की संख्या लगभग 22 प्रतिशत थी. हालांकि हाल के दशकों में हिंदू आबादी में काफी गिरावट आई है, जो अब कुल आबादी का लगभग आठ प्रतिशत रह गयी है. इसकी वजह काफी हद तक मुख्य रूप से उन्हें सामाजिक-राजनीतिक हाशिए पर पहुंचाया जाना, उनका प्रवासन और समुदाय के खिलाफ हिंसा की बार-बार होने वाली घटनाएं हैं. मजूमदार ने कहा, ‘‘बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए स्थिति बहुत खराब हो गयी है. समुदाय में व्यापक भय है कि उनकी सुरक्षा की अब कोई गारंटी नहीं है. यूनुस के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार ने इन चिंताओं को दूर करने में बहुत कम रुचि दिखाई है.’’ मजूमदार ने विदेश मंत्रालय से बांग्लादेश के साथ द्विपक्षीय वार्ता में इस मुद्दे को उठाने और हिंसा को रोकने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग करने का आग्रह किया.

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