ऊर्जा के स्रोत
ऊर्जा के स्रोत
SCIENCE ( विज्ञान ) लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. नाभिकीय ऊर्जा किसे कहते हैं ? दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखें।
उत्तर⇒ नाभिकीय अभिक्रियाओं, अर्थात् नाभिकीय विखण्डन तथा नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप प्राप्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।
दो ऊर्जा स्रोतों के नाम निम्नलिखित हैं-(i) सूर्य और (ii) कोयला।
प्रश्न 2. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं ?
उत्तर⇒ पृथ्वी में कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा यूरेनियम जैसे ईंधनों के ज्ञात भण्डार बहुत ही सीमित हैं। यदि इसी दर से उनका उपयोग होता रहा तो वे शीघ्र समाप्त हो जायेंगे। इसीलिए हम ऊर्जा संकट से निबटने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर ध्यान दे रहे हैं।
प्रश्न 3. जीवाश्मी ईंधन किसे कहते हैं ? जीवाश्मी ईंधन की क्या-क्या हानियाँ हैं ?
उत्तर⇒ वह दहनशील पदार्थ जो पेड़-पौधे तथा जानवरों के अवशेष से प्राप्त, जो लाखों वर्ष पूर्व पृथ्वी की गहराई में दब गए थे से प्राप्त होता है, जीवाश्मी ईंधन कहलाता है। जैसे-कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस ।
जीवाश्मी ईंधन की हानियाँ—
(i) जलने से पर्यावरण प्रदूषित होता है।
(ii) जलने से CO2निकलता है जिससे ग्रीन हाउस पर प्रभाव पड़ता है।
(iii) जलने से उत्पन्न अवयवों से अम्लीय वर्षा होती है। जबकि असमाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं।
प्रश्न 4. नाभिकीय संलयन से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर⇒ नाभिकीय संलयन में अति उच्च ताप पर दो हल्के नाभिक एक भारी नाभिक बनाने के लिए संयोग करते हैं और साथ में विशाल ऊर्जा निर्मुक्त होती है। संलयन के लिए नाभिकों को अति उच्च वेग के साथ एक-दसरे के पास पहँचना चाहिए ताकि वे विद्युत प्रतिकर्षण को जीत सके और करीब 10-15 मीटर के भीतर आ पाएँ । जैसे-2H+2H→ 3He (+n)।
प्रश्न 5. जीवाश्म ईंधन किस प्रकार बने थे?
उत्तर⇒ जीवाश्म ईंधन उन पेड़-पौधों के अवशेषों तथा जंतु अवशेषों से बने हैं जो करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह के नीचे गहरे दबे हुए थे। पृथ्वी के अन्दर दबकर तलछट से ढंक जाने के कारण इन जीव-अवशेषों को वायु की ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं हो पाती थी। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति तथा दाब, ताप और बैक्टीरिया के मिले-जुले प्रभाव से पेड़-पौधों तथा जंतुओं के दबे हुए अवशेष, कोयले, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म ईंधनों में परिवर्तित हो गये।
प्रश्न 6. आदर्श ईंधन क्या है ? इनकी विशेषताएँ लिखें।
उत्तर⇒ जिस ईंधन का ऊष्मीय मान अधिक हो तथा धुआँरहित हो। उसे आदर्श ईंधन कहते हैं।
आदर्श ईंधन की निम्नांकित विशेषताएँ हैं—
(i) जिसका ऊष्मीय मान ज्यादा हो।
(ii) जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो ।
(iii) जिससे ऊष्मा की प्राप्ति अधिक हो।
(iv) जो जलने में सुगम हो ।
प्रश्न 7. नाभिकीय विखंडन क्या है ? इसका कोई एक उचित उदाहरण दें।
उत्तर⇒ नाभिकीय विखंडन वह प्रक्रम है जिसमें यूरेनियम-235 जैसे भारी परमाणु का अस्थायी नाभिक टूटकर मध्यम भार वाले दो नाभिक बना देता है तथा ऊर्जा की अति विशाल मात्रा उत्पन्न करता है।
जब यूरेनियम-235 परमाणुओं पर धीमी गति वाले न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है तो यूरेनियम का भारी नाभिक टूटकर दो मध्यम भार वाले परमाणु, बेरियम-139 तथा क्रिप्टॉन-94 बना देता है तथा तीन न्यूट्रॉन भी निकलते हैं। यूरेनियम-235 के विखण्डन के दौरान अति विशाल मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 8. अच्छा ईंधन क्या है?
उत्तर⇒ अच्छा ईंधन वह है—
(i) जिसका ऊष्मीय मान उच्च हो ।
(ii) जो सस्ता तथा आसानी से उपलब्ध हो।
(iii) जिससे प्रज्जवलन ताप की प्राप्ति हो।
(iv) जलने में अल्प धुआँ और अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता हो।
प्रश्न 9. भूतापीय ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर⇒ भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तपे हुए स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म-चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती है और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है । पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्यत जनित्रों के द्वारा विद्यत उत्पन्न की जाती है। अतः भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 10. ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्मी ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर⇒
जीवाश्म ईंधन | ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य | |
(i) |
जीवाश्म ईंधन अनवीकरणीय है। | ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य नवीकरणीय है। |
(ii) |
यह भविष्य में समाप्त हो जाएँगें। | यह भविष्य में समाप्त न होने वाला स्रोत है। |
(iii) |
इससे प्रदूषण फैलता है। | इससे प्रदूषण नहीं फैलता है। |
(iv) |
कोयला संयंत्र लगाने की लागत बहुत अधिक नहीं है। | सौर शक्ति संयंत्र लगाने की लागत बहुत अधिक है। |
(v) |
ऊर्जा सारे साल उत्पन्न की जा सकती है। | यह संयंत्र रात में, बादलों वाले दिन में तथा वर्षा वाले दिनों में कार्य नहीं कर पाते। |
प्रश्न 11. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे?
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(b) समाप्य तथा अक्षय
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर⇒ (a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय सोत—
(i) नवीकरणीय स्रोत—ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
(ii)अनवीकरणीय सोत—ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुनः उपयोग में नहीं ला जा सकता । जीवाश्मी ईंधन, कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।
(b) समाप्य तथा असमाप्य—ऊर्जा के समाप्य स्रोत नवीकरणीय है जबकि असमाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं।
प्रश्न 12. बायो-गैस (bio-gas) के संघटन में कौन-कौन-से गैस हैं ?
उत्तर⇒ बायो-गैस या जैव गैस मुख्यतः मेथेन (CH4), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), हाइड्रोजन (H2), तथा हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) का मिश्रण है। इसमें 65% मिथेन होती है, जिस कारण यह उत्तम ईंधन का कार्य करता है ।
प्रश्न 13. जैवमात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की जा कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर⇒
ऊर्जा स्रोत के रूप में जैवमात्रा | ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत | |
(i) |
अजा स्रोत के रूप में जैवमात्रा नवीकरणीय स्रोत है। | ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैटाल नवीकरणीय स्रोत है। |
(ii) |
ऊजो स्रोत के रूप में जैवमात्रा उत्पन्न करने के लिए संयंत्र सब जगह लगाए जा सकते हैं। यह जा संयंत्र दूर दराज के गाँवों जहाँ जल का स्रोत नहीं है वहाँ भी लगाए जा सकते हैं। | ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत प्राप्त करने के लिए संयंत्र केवल उन जगहों पर लगाए जा सकते हैं।जहाँ नदियों पर बाँध बन सकें। |
(iii) |
अपशिष्ट पदार्थों को इकट्ठा करना मुश्किल एवं महँगी प्रक्रिया है। | एक बार संयंत्र के शुरू होने के बाद जल को इकट्ठा पैदा करना मुश्किल कार्य नहीं है। |
(iv) |
यह ग्रीन-हाउस गैसें उत्पन्न करता है। | यह ग्रीन-हाउस गैसें उत्पन्न नहीं करता है। |
प्रश्न 14. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समाप्य योग्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर⇒ कोयला और पेट्रोलियम ऐसे ऊर्जा स्रोत है जिन्हें समाप्य योग्य माना जाता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 200 वर्ष तक ये पृथ्वी से समाप्त हो जाएंगे जबकि इनके निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं।
प्रश्न 15. ऊर्जा का उत्तम स्त्रोत किसे कहते हैं ?
उत्तर⇒ ऊर्जा का उत्तम स्रोत उसे कहते हैं जिसमें निम्नांकित विशेषताएँ हों —
(i) वह उचित मात्रा में आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके ।
(ii) इसे प्रयोग करना आसान होना चाहिए ।
(iii) इसका परिवहन करना आसान होना चाहिए।
(iv) इसका भंडारण आसान होना चाहिए ।
(v) यह लंबे समय तक हमें नियमित रूप से आवश्यक ऊर्जा प्रदान कर सके।
प्रश्न 16. ऊर्जा के आदर्श स्रोत में क्या गुण होते हैं ?
उत्तर⇒ ऊर्जा के आदर्श स्रोत के गुण होते हैं—
(i) पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
(ii) सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से सम्पन्न होनी चाहिए ।
(iii) समान दर से ऊर्जा उत्पन्न की उत्पत्ति होनी चाहिए।
(iv) सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
(v) परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।
प्रश्न 17. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है?
उत्तर⇒ नाभिकीय ऊर्जा भारी नाभिकीय परमाणु (यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता बै जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है । यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अत: नाभिकीय विखंडन से अपार ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अनेक विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।
प्रश्न 18. ऊर्जा की बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर⇒ ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या-वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। कर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पडेगा।। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती । उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएँ आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन की कैलोरीमान अधिक हो । उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो । स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
प्रश्न 19. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या-क्या लाभ तथा हानियाँ हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों की सीमित उपयोगिता है?
उत्तर⇒ सौर कुकर के लाभ —
(i) ईंधन का कोई खर्च नहीं होता है।
(ii) पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है।
(iii) किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती है।
सौर कुकर की हानियाँ—
(i) बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता ।
(ii) रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
(iii) बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
(iv) यह 100°C-140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।
ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुकरों का सीमित प्रयोग किया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में आकाश प्रायः बादलों से घिरा रहता है वहाँ इनकी सीमित उपयोगिता है ।
प्रश्न 20. पवन ऊर्जा क्या है ? पवन चक्की से उपयोगी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन का न्यूनतम वेग कितना होना चाहिए?
उत्तर⇒ पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का एक पर्यावरणीय हितैषी एवं दक्ष स्रोत है। इसमें टरबाईन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल कम से कम 15 किमी/घंटा से अधिक होना चाहिए ।
क्लास 10th विज्ञान ऊर्जा के स्रोत का सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर 2022
प्रश्न 21. ईंधन किसे कहते हैं ? उदाहरण दीजिए। .
उत्तर⇒ जिन पदार्थों को जलाकर ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, उन्हें ईंधन कहते हैं। ईंधन ठोस, तरल तथा गैस तीनों अवस्थाओं में उपलब्ध होते हैं। जैसे कोयला, लकड़ी, कोक तथा चारकोल ठोस ईंधन हैं; पेट्रोल, डीजल तथा किरोसीन तरल ईंधन हैं तथा प्राकृतिक गैस और बायोगैस आदि गैस ईंधन हैं।
प्रश्न 22. प्राकृतिक गैस क्या है? इसका प्रमुख लाभ क्या है ? भारत में यह कहाँ-कहाँ पर पाई जाती है?
उत्तर⇒ प्राकृतिक गैस मुख्य रूप से मिथेन (CH4) होती है । इसका प्रमुख लाभ यह है कि इसे घर तथा उद्योगों में सीधा जलाने के लिए उपयोग किया जाता है। भारत में त्रिपुरा, जैसलमोर तथा मुम्बई के अपतट आदि स्थानों पर इसके भंडार हैं। कृष्णा तथा गोदावरी के डेल्टा में भी इसकी उपस्थिति का पता चला है ।
प्रश्न 23. OTEC क्या है ? इसका पूरा नाम लिखें तथा बताएँ इसका उपयोग कहाँ किया जाता है?
उत्तर⇒ OTEC सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण के लिए एक संयंत्र है। इसका पूरा नाम Ocean Thermal Energy Conversion Plant है। इस यंत्र का उपयोग महासागरीय तापीय उर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा में कर जनित्र के टरबाइन को चलाने में किया जाता है । इस संयंत्र को तब प्रचालित किया जा सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि०मी. तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो।
प्रश्न 24. ईंधनों का वर्गीकरण उनकी अवस्था के अनुसार किस-किस में किया जा सकता है ? उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर⇒ भौतिक अवस्था के अनुसार ईंधनों का वर्गीकरण तीन अवस्थाओं ठोस, तरल तथा गैस में किया गया है।
ठोस ईंधन—कोयला, कोक, चारकोल, लकड़ी।
द्रव इंधन—डीजल, पेट्रोल, किरोसीन ।
गैस ईंधन—प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम गैस, कोल गैस, बायोगैस ।
प्रश्न 25. सूर्य को ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत क्यों माना जाता है ?
उत्तर⇒ सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर हवा चलती है तथा जल चक्र चलता उ है। पेड़-पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन तैयार करते हैं। इसी भोजन पर ही समस्त मानव जाति तथा जंतुओं का जीवन निर्भर करता है। अन्य ऊर्जाओं का मूल स्रोत भी सूर्य ही है। यदि सूर्य न होता तो किसी प्रकार की ऊर्जा भी न होती। यह कहना पूर्ण रूप से सही है कि ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत सूर्य है।
प्रश्न 26. पवन किसे कहते हैं ? पवन किस प्रकार चलती है ?
उत्तर⇒ पवन-गतिशील वायु को पवन कहते हैं।
पवन का चलना—ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में सौर प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है। परिणामस्वरूप भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के निकट की वायु शीघ्र ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है । इस खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की अपेक्षाकृत ठंडी वायु भूमध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर प्रवाह करने लगती है और निरंतर हवा चलने लगती है । वायु के इस प्रवाह में पृथ्वी के घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों के कारण लगातार बाधा पड़ती रहती है।
प्रश्न 27. LPG को अच्छा ईंधन क्यों समझा जाता है ?
उत्तर⇒ LPG को अच्छा ईंधन इसलिए समझा जाता है, क्योंकि-
(i) LPG का अधिक कैलोरीमान (46 KJ/g) है।
(ii) यह गैस धुआं रहित ज्वाला के साथ जलती है क्योंकि इसमें कोई विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती है अर्थात् इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
(iii) LPG के दहन के उपरांत कुछ अवशेष नहीं रहता है। अतः वह एक स्वच्छ घरेलू ईंधन है।
(iv) यह ऊष्मा उत्पन्न करने का काम खर्च वाला साधन है।
प्रश्न 28. सौर सैलों के विभिन्न उपयोग बताएँ।
उत्तर⇒ सौर सैलों के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं—
(i) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यान मुख्य रूप से सौर पैनलों द्वारा उत्पादित विद्युत पर निर्भर करते हैं।
(ii) भारत में इन सैलों का उपयोग प्रकाश व्यवस्था, जल पंपों, रेडियो तथादूरदर्शन कार्यों के लिए किया जाता है।
(iii) सौर सैलों के उपयोग लाइट हाऊस तथा तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएँ खोदने के रिग को विद्युत ऊर्जा प्रदान करने में किया जाता है ।
प्रश्न 29. बायोगैस क्या है ? इसके अवयवों के नाम लिखें तथा इसके दो उपयोग बताएँ।
उत्तर⇒ बायोगैस—यह मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड का मिश्रण है। इसका मुख्य अवयव मिथेन है जो कि एक उत्तम ईंधन है।
बायोगैस के उपयोग—
(i) यह खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयुक्त होती है।
(ii) यह इंजन चलाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग की जाती है।
(iii) यह सड़क की रोशनी के लिए भी प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 30. अनवीकरणीय तथा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत में कोई दो अंतर लिखें।
उत्तर⇒
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत | नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत |
ऊर्जा के वे स्रोत जो समाप्त होने वाले हैं तथा जिनकी प्रकृति में उत्पत्ति हजारों वर्ष बाद होती है अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। | ऊर्जा के वे स्रोत जो अपरिमित हैं तथा जिन्हें प्रकृति निरंतर प्रदान कर रही है, नवीकरणीय स्रोत कहलाते हैं। |
अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं। | नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत वायुमंडल को प्रदूषित नहीं करते हैं। |
प्रश्न 31. स्थितिज ऊर्जा किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर⇒ जो ऊर्जा वस्तु में उसकी स्थिति के कारण या आकार के कारण उपस्थित होती है उसे स्थितिज ऊर्जा कहते हैं। स्थितिज ऊर्जा =mgh [m = संहति (Mass), g= गुरुत्व (gravity), h = ऊँचाई (height)]
उदाहरण —
(i) पानी को टंकी में एकत्रित करने से उसमें स्थितिज ऊर्जा इकट्ठी होती है ।
(ii) खींचे हुए कमान के तीर में स्थितिज ऊर्जा होती है जो छोड़ने पर गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।
(iii) घड़ी में चाबी भरने से स्प्रिंग में स्थितिज ऊर्जा आ जाती है जो गतिज ऊर्जा में बदल कर घड़ी को चलाए रखती है।
प्रश्न 32. गतिज ऊर्जा किसे कहते हैं ? इसके उदाहरण लिखिए।
उत्तर⇒ जो ऊर्जा किसी वस्तु में उसकी गति के कारण उत्पन्न हो उसे गतिज ऊर्जा कहते हैं । गतिशील वस्तु में कार्य करने की क्षमता उसकी गति के कारण होती है।
गतिज ऊर्जा = 1/2mv2, जहाँ m = संहति (mass), y= वेग (velocity)
उदाहरण—
(i) पाल नाव वायु की गतिज ऊर्जा के द्वारा ही चलती है।
(ii) गतिशील पानी की गतिज ऊर्जा से पन-चक्कियाँ चलाई जाती हैं तथा पवन की गतिज ऊर्जा से पवन चक्कियाँ।
(iii) बहते पानी की गतिज ऊर्जा से पन-चक्कियाँ चलाई जाती हैं तथा पवन की गतिज ऊर्जा से पवन चक्कियाँ ।
(iv) बंदूक से निकली गोली में ऊर्जा उसकी गति के कारण होती है।
प्रश्न 33. सौर जल-ऊष्मक का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर⇒ सौर ऊष्मक युक्ति को कुछ परिवर्तनों के पश्चात् सौर जल-ऊष्मक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है इसके लिए काली पट्टी को तांबे की ट्यूब द्वारा बदला जा सकता है। इसको बाहरी ओर से काला कर दिया जाता है। इस ट्यूब का एक सिरा जल स्रोत से जुड़ा होता है तथा दूसरा सिरा गर्म जल प्राप्त करने के लिए किसी नल से जुड़ा रहता है जहाँ से गर्म जल प्राप्त होता है ।
प्रश्न 34. जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर⇒ जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के दो कारण हैं —
(i) गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात् अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
(ii) गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआँ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वाय प्रदूषित नहीं होती।
प्रश्न 35. सौर सैल पैनल की बनावट और कार्य-विधि समझाइए।
उत्तर⇒ सौर सैल पैनल अर्द्धचालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है।
बनावट—सौर सैल पैनल और सौर सैलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सैलों के विशेष क्रम में व्यवस्थित करके सौर सैल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहाँ पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो । पैनल की दिशा को बदलने की व्यवस्था भी की जाती है।
कार्यविधि—सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्द्धचालकों की सहायता से बनाये गए सौर सैलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पडती है तो अर्द्धचालक के दो सार सल पाल भागों में विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिससे चार वर्ग सेमी० के एक सौर सैल के द्वारा 60 मिली ऐम्पियर धारा लगभग 0.4-0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सैलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है।
उपयोग—
(i) सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
(ii) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत का प्रबंध किया जाता है।
प्रश्न 36. नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन में भेद करें।
उत्तर⇒
नाभिकीय संलय | नाभिकीय विखंडन |
इस अभिक्रिया में दो हल्के नाभिक परस्पर संयुक्त होकर भारी नाभिक बनाते हैं। | इसमें भारी नाभिक दो हल्के नाभिकों में विखंडित होता है। |
ऊर्जा बहुत अधिक मात्रा में उत्पन्न होती है। | नाभिकीय संयलन की तुलना में ऊर्जा कम मात्रा में उत्पन्न होती है। |
यह अभिक्रिया बहुत उच्च ताप पर होती है। | यह अभिक्रिया सामान्य ताप पर हो सकती है। |
Science ( विज्ञान ) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. ऊर्जा संकट क्या है ? इसके समाधान का उल्लेख करें –
उत्तर ⇒औद्योगिकीकरण एवं आधुनिकीकरण ने ऊर्जा की माँग को बढ़ा दी है। ऊर्जा की बढ़ती हुई माँग के कारण जो पर्यावरणीय परिणाम सामने आए हैं।
वे इस प्रकार हैं –
(i)ऊर्जा की बढ़ती माँग ऊर्जा के स्रोतों को नष्ट करने में सहायक हो रही है, फलस्वरूप पर्यावरणीय संतुलन को बाधित कर रहा है।
(ii) ऊर्जा की बढ़ती माँग के कारण ऊर्जा के कन्वेंशनल का काफी उपयोग हो रहा है। जबकि ये स्रोत प्रकृति में सीमित हैं। इसलिए ऊर्जा संकटकी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
ऊर्जा के खपत को कम करने के उपाय :
(i) जीवाश्मी ईंधन का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
(ii) ईंधन बचाने के लिए खाना बनाने में प्रेशर कुकर का व्यवहार करना चाहिए।
(iii) ऊर्जा की क्षमता को कायम रखने के लिए ऊर्जा स्रोतों का रख-रखाव में सावधानी बरतनी चाहिए।
(iv) ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों जैसे—सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा इत्यादि का उपयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि ये ऊर्जाएँ नवीकरणीय हैं।
2. नाभिकीय संलयन क्या है ? इससे उत्पन्न ऊर्जा की विवेचना करें।
उत्तर ⇒आजकल के सभी व्यापारिक नाभिकीय रिएक्टर नाभिकीय विखंडन पर आधारित हैं। परंतु एक अन्य अपेक्षाकृत सुरक्षित प्रक्रिया जिसे नाभिकीय संलयन कहते हैं, द्वारा भी नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करने की संभावना व्यक्त की जा रही है। संलयन का अर्थ है दो हल्के नाभिकों को जोड़कर एक भारी नाभिक बनाना जिससे सामान्यतः हाइड्रोजन अथवा हाइड्रोजन समस्थानिकों से हीलियम उत्पन्न की जाती है।
2H + 2H → 3He(+n)
इसमें भी आइंस्टीन समीकरण के अनुसार विशाल परिणाम की ऊर्जा निकलती है। ऊर्जा निकलने का कारण यह है कि अभिक्रिया में उत्पन्न उत्पाद का द्रव्यमान, अभिक्रिया में भाग लेनेवाले मूल नाभिकों के व्यक्तिगत द्रव्यमानों के योग से कुछ कम होता है।
इस प्रकार की नाभिकीय संलयन अभिक्रियाएँ सूर्य तथा अन्य तारों की विशाल ऊर्जा के स्रोत हैं। नाभिकीय संलयन अभिक्रियओं में नाभिकों को परस्पर संलयित होने को बाध्य करने के लिए अत्यधिक ऊजो चाहिए। नाभिकीय संलयन प्रक्रिया के होने के लिए आवश्यक शर्ते चरम कोटि की हैं—मिलियन कोटि केल्विन ताप तथा मिलियन कोटि पास्कल दाब।
हाइड्रोजन बम “ताप नाभिकीय अभिक्रिया” पर आधारित होता है। हाइड्रोजन बम के क्रोड में यूरेनियम अथवा प्लूटोनियम के विखंडन पर आधारित किसी नाभिकीय बम को रख देते हैं। यह नाभिकीय बम ऐसे पदार्थं में अन्तःस्थापित किया जाता है जिनमें ड्यूटीरियम तथा लिथियम होते हैं। जब इस नाभिकीय बम (जो विखंडन पर आधारित है) को अधिविस्फोटित करते हैं तो इस पदार्थ का ताप कुछ ही माइक्रोसेकेण्ड में 10 K तक बढ़ जाता है। यह अति उच्च ताप हल्के नाभिकों को संलयित होने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न कर देता है जिसके फलस्वरूप अति विशाल परिमाण की ऊर्जा मुक्त होती है।
3. ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधन तथा सूर्य की तुलना कीजिए एवं उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर ⇒
जीवाश्म ईंधन | सूर्य |
1. जीवाश्मी ईंधन सीमित है। | 1. सूर्य से मिलनेवाली ऊर्जा असीमित है। |
2. इसके जलने पर वायु प्रदूषित जाती है। |
2. यह प्रदूषणमुक्त है। |
3. किसी भी समय इसका उपयोग किया जा सकता है। |
3. केवल बादलरहित दिन में ही इसका उपयोग संभव है। |
4. भूतापीय ऊर्जा क्या है ?
उत्तर ⇒ भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपर्पटी में गहराइयों पर तप्त शो पिघली चट्टानें ऊपर की ओर ढकेल दी जाती है जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो । है। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के में आता है तो भाप उत्पन्न होता है। कभी-कभी यह भाप चट्टानों के बीच में फंस जाती है जहाँ इनका दाब अत्यधिक हो जाता है। तप्त स्थलों तक पाइप डालकर इस दाब वाले भाप को निकालकर विद्युत जनित्र के टरबाइन पर डाला जाता है जिससे टरबाइन में घूर्णन गति उत्पन्न होती है और विद्युत उत्पन्न होता है। यह तप्त भाप, भूतापीय ऊर्जा का स्रोत बन जाता है। इसे ही भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।
5. नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत में क्या अंतर है ?
उत्तर ⇒
(i) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से बार-बार ऊर्जा की प्राप्ति होती है, लेकिन अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत से एक ही बार ऊर्जा की प्राप्ति हो पाती है।
(ii)नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के अन्तर्गत सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा आदि हैं, जबकि अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के अन्तर्गत कोयला, पेट्रोलियमऔर प्राकृतिक गैस हैं।
(iii) नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत प्रदूषणमुक्त है जबकि अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत प्रदूषणयुक्त है।
6. सौर-कुकर के उपयोग करने के क्या-क्या लाभ तथा हानियाँ हैं ? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर-कुकरों की सीमित उपयोगिता है ?
उत्तर ⇒सौर-कुकर के उपयोग करने के लाभ :
(i) यह प्रदूषण उत्पन्न नहीं करता है, लेकिन हमारे भोजन को पकाता है।
(ii) इसके लिए हमें कुछ भुगतान नहीं करना पड़ता है।
(iii) इसका उपयोग सरल है।
(iv) सौर-कुकर द्वारा बनाए गए भोजन में पौष्टिक तत्त्व का क्षय नहीं होता है।
सौर कुकर के उपयोग करने पर हानियाँ :
(i) खाना बनाने में ज्यादा समय लगता है।
(ii) बादल युक्त दिन में सौर-कुकर से खाना बनाने में अत्यंत कठिनाई होती है।
(iii) चपाती या भुना जाने वाला भोजन सौर-कुकर द्वारा नहीं बनाया जा सकता
(iv) हमेशा सौर-कुकर को सूर्य की दिशा में करना पड़ता है। कुछ ऐसे भी क्षेत्र है जहाँ सौर-कुकर का उपयोग सीमित है। ध्रुव पर छः महीने तक सूर्योदय नहीं होता है। इसके अतिरिक्त पहाड़ी क्षेत्र में सूर्य की किरणें कुछ ही समय तक देखी जाती हैं। अतः ऐसे क्षेत्रों में सौर-कुकर का उपयोग कठिन है।
7. जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल विद्युत की तुलना कीजिए एवं उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर ⇒
जैव मात्रा | जल विद्युत |
1. बायोमास से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए गोबर गैस संयंत्र का उपयोग किया जाता है। |
1. जल विद्युत प्राप्त करने के लिए नदियों पर बड़े-बड़े बाँधों का उपयोग है । |
2. बायोमास के जलने से वातावरण प्रदूषित हो जाता है। |
2. जल विद्युत से वातावरण प्रदूषित नहीं होता है। |
3.बायोमास में रासायनिक ऊर्जा होती है। | 3. जल विद्युत ऊर्जा में गतिज ऊर्जा होती है। |
8. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर ⇒दो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत–जल ऊर्जा और पवन ऊर्जा हैं।
(i) जल ऊर्जा – यह ऊर्जा बहते जल द्वारा प्राप्त गतिज ऊर्जा होती है अथवा ऊँचाई पर स्थित जल की स्थितिज ऊर्जा होती है। किसी ऊँचाई से गिरते हुए जल का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में होता है। यह क्रिया लगातार होती रहती है और विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है।
(ii) पवन ऊर्जा- यह ऊर्जा वैसे स्थानों पर प्राप्त की जाती है जहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में तीव्र पवन चलती है। इसके लिए पवन चक्की का उपयोग किया जाता है। इस पर बार-बार धन खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है। पवन चक्की की घूर्णी गति का उपयोग विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमाने में होता है और विद्युत ऊर्जा प्राप्त होती है।
9. स्पष्ट करें कि पवन ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा किस प्रकार उत्पन्न किया जाता है ?
उत्तर ⇒पवन चक्की के उपयोग से पवन ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन किया जाता है। फिर इस यांत्रिक की सहायता से विद्युत जनित्र के टरबाइन को घुमाया जाता है। पवन चक्की में दृढ़ आधार पर किसी ऊँचे स्थान पर बहुत बडा पंखा लगा होता है। यह पवन चक्की वैसे स्थानों पर लगाया जाता है जहाँ हमेशाऔसत गति का वायु मिलता रहे। चक्की में लगे पंखुड़ी पर हवा के निम्न दाब के कारण इसमें घूर्णन गति उत्पन्न होती है। ब्लेड के घूर्णन गति के कारण पवन चक्की का उपयोग विद्युत जनित्र के आर्मेचर को घुमाने में किया जाता है। एक पवन चक्की से उत्पन्न विद्युत का परिमाण बहुत कम होता है। ऊर्जा फार्म में अनेकों पवन चक्की का उपयोग कर अधिक मात्रा में विद्युत ऊर्जा प्राप्त किया जाता है।
10. पवन ऊर्जा के उपयोग में कौन-कौन कठिनाइयाँ हैं ? लिखें।
उत्तर ⇒(i) पवन ऊर्जा फार्म सिर्फ उन्हीं क्षेत्रों में बनाये जा सकते हैं जहाँ वर्ष के अधिकांश समय में तेज हवा बहती हो। टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाये रखने के लिए पवन की चाल 15 किमी०/घंटा से अधिक होनी चाहिए।
(ii) पवन ऊर्जा फार्म में संचायक सेलों जैसी कोई पूर्तिकर (compensatory) सुविधा भी होनी चाहिए जिसका उपयोग ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उस समय किया जा सके, जब पवन नहीं चलता हो।
(iii) पवन ऊर्जा फार्म के लिए विशाल भूखंड की जरूरत पड़ती है। 1MW के जनित्र के लिए कम-से-कम 2 हेक्टेयर भूमि चाहिए।
(iv) पवन ऊर्जा फार्म स्थापित करने की आरंभिक लागत अधिक होती है।
(v) पवन चक्कियों के दृढ़ आधार तथा पंखें खुले में होने के कारण आँधी, चक्रवात, धप,वर्षा आदि प्राकतिक आपदाओं को सहन करते हैं। अतः इसके लिए उच्च रख-रखाव की जरूरत होती है।
11. ऊर्जा के बढ़ती माँग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं ? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए।
उत्तर ⇒औद्योगिकीकरण एवं आधनिकीकरण ने ऊर्जा की माँग को बढ़ा दी है। ऊर्जा की बढ़ती हुई माँग के कारण जो पर्यावरणीय परिणाम सामने आए हैं। वे इस प्रकार हैं –
(i)ऊर्जा की बढ़ती माँग ऊर्जा के स्रोतों को नष्ट करने में सहायक हो रही है, फलस्वरूप पर्यावरणीय संतुलन को बाधित कर रहा है।
(ii) ऊर्जा के बढ़ती माँग के कारण ऊर्जा के कन्वेंशनल का काफी उपयोग हो रहा है, जबकि ये स्त्रोत प्रकृति में सीमित हैं। इसलिए ऊर्जा संकट कीसमस्या उत्पन्न हो सकती है।
ऊर्जा के खपत को कम करने के उपाय :
(i) जीवाश्मी ईंधन का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
(ii) ईंधन बचाने के लिए खाना बनाने के लिए प्रेशर कुकर का व्यवहार करना चाहिए।
(iii) ऊर्जा की क्षमता को कायम रखने के लिए ऊर्जा स्रोतों का रख-रखाव में सावधानी बरतनी चाहिए।
(iv) ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों जैसे—सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत ऊर्जा इत्यादि का उपयोग किया जाना चाहिए, क्योंकि ये ऊर्जाएँ नवीकरणीय हैं
12. जैव गैस (बायोगैस) प्राप्त करने के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिये। स्पष्ट कीजिये कि अवायुजीवी अपघटन से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर ⇒ जैव गैस प्राप्त करने के भिन्न-भिन्न चरण निम्नांकित हैं –
(i) पानी और जानवरों के गोबर को बराबर मात्रा में मिलाकर मिश्रण बनाया जाता है।
(ii) मिश्रण को संपाचक (डाइजेस्टर) टैंक में रखा जाता है।
(iii) आंशिक रूप से टैंक को भर दिया जाता है और इसके ऊपरी मुँह का बन्द कर दो माह के लिए छोड़ दिया जाता है।
(iv) डाइजेस्टर में सूक्ष्म जीवों की क्रिया से जैव-मात्रा के जटिल यौगिकों का अपघटन होता है।
(v) पानी की उपस्थिति में अवायुजीवी सूक्ष्म जीव डाइजेस्टर में उपस्थित जैव-मात्रा का निम्नीकरण कर देते हैं। डाइजेस्टर में जैव गैस उत्पन्न होत हैं और यह गाढ़ा घोल (स्लरी) को नीचे दबाव से ठेल देते हैं और गैस ऊपर आ जाता है।
(vi) पाइप द्वारा गैस को उपभोक्ता के पास भेज दी जाती है।
(vii) बायोगैस लगातार प्राप्त हो, तो डाइजेस्टर में गाढ़ा घोल (स्लरी) समय-समय पर डाला जाता है।
13. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएँ है ?
उत्तर ⇒ महासागरों से प्राप्त होने वाली ऊर्जाएँ निम्नांकित हैं –
(i) ज्वारीय ऊर्जा – ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए बहुत ही कम ऐसे स्थान हैं, जहाँ बाँध बनाकर ऐसी सीमित ऊर्जा की प्राप्ति की जा सकती है।
(ii) तरंग ऊर्जा – तरंग ऊर्जा का उपयोग तभी संभव है जहाँ तरंगें अत्यंत प्रबल है। तरंग ऊर्जा को ट्रेप करने के लिए बहुत सी युक्तियाँ विकसित की गई हैं ताकि टरबाइन को घुमाकर विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए इनका सही उपयोग किया जा सके।
वर्तमान में हमारे पास उपलब्ध तकनीक काफी महंगा है। अत: तरंग ऊर्जा को सलभता से प्राप्त करना कठिन है।
(iii) महासागरीय तापीय ऊर्जा महासागरों के पृष्ठ सौर ऊर्जा से गर्म हो . जाते हैं, लेकिन इनके गहराई वाले भाग का ताप कम रहता है। ताप में इस अंतर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपान्तरण विद्युत संयंत्र में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है । OTEC विद्युत संयंत्र तभी प्रचलित होते हैं जब महासागरीय के पृष्ठ और 2 km गहराई तक के जल के ताप में 20° C का अंतर होता है।
महासागरों की ऊर्जा क्षमता असीमित है, लेकिन दक्षता पूर्ण व्यापारिक दोहन में कठिनाई है।
14. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कासित करने की सीमाएँ लिखें।
(a) पवनें (b) तरंगें (c) ज्वारभाटा
उत्तर ⇒
(a). पवनों से निष्कासित होने वाली ऊर्जाओं की सीमाएँ : –
(i) हरेक जगह हर क्षण बहता पवन उपलब्ध नहीं होता है।
(ii) पवनों से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए पवन को 15 km/h के वेग से अधिक होना चाहिए।
(b) तरंगों से उत्पादित ऊर्जा की सीमाएँ :-
(i) हरेक समय तरंग की उपलब्धता नहीं रहती है।
(ii) यह अत्यधिक खर्चीला है।
(c) ज्वार-भाटा से उत्पन्न ऊर्जा की सीमाएँ :-
(i) ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए सागरों में बड़े बाँध की जरूरत होती है। ऐसे स्थान सीमित हैं।
(ii) ज्वारीय ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए बाँध बनाना काफी महँगा है।
15. रॉकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है ? क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर ⇒CNG की तुलना में हाइड्रोजन को स्वच्छ ईंधन माना जाता है। इसके कारण निम्न हैं –
(i) हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान CNG से अधिक है।
(ii) CNG ऊर्जा का परंपरागत स्रोत है, लेकिन हाइड्रोजन नहीं है।
(iii) CNG ग्रीन हाउस गैस है जबकि हाइड्रोजन नहीं है।
(iv) CNG के जलने पर Co और C0, गैसें निकलती हैं जबकि Hके जलने पर हानिकारक गैसें नहीं निकलती हैं।
16. चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर-कुकर की संरचना व कार्य विधि का वर्णन कीजिये।
उत्तर ⇒बनावट:
(i) सौर-कुकर लकड़ी के बक्से B का बना होता है जिसे बाहरी बक्सा कहते हैं। लकड़ी के इस बक्से के अंदर लोहे या ऐल्युमीनियम की चादर सेबना एक और बक्सा होता है जिसे भीतरी बक्सा कहते हैं। भीतरी बक्से के अंदर की दीवारों तथा तली पर काला रंग कर दिया जाता है।
(ii) सौर-कुकर के बक्से के ऊपर मोटे काँच का एक ढक्कन ‘G’ होता है, जो लकड़ी के फ्रेम में फिट होता है।
(iii) सौर-कुकर के बक्से में समतल दर्पण से बना एक परावर्तक ‘R’ होता है।
कार्यविधि :-
(i) पकाये जाने वाले भोजन को ऐल्युमीनियम या स्टील के बरतन ‘C’ में डालकर सौर-कुकर के अंदर रख दिया जाता है तथा ऊपर से शीशे के ढक्कन से बंद कर दिया जाता है।
(ii) भोजन पकाने के लिए सौर-कुकर को धूप में रख देते हैं।
(iii) जब सूर्य प्रकाश की अवरक्त किरणें एक बार कुकर के बक्से में प्रवेश कर जाती हैं तो काँच का ढक्कन उन्हें वापस बाहर नहीं जाने देता।
(iv) लगभग 2-3 घंटे की अवधि में सौर-कुकर का ताप 100° C से 140°C तक पहुँच जाता है। यह ऊष्मा सौर-कुकर के अंदर बरतनों में रखे भोजन को पका देती है।
17. ताप विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया को निदर्शित करने के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करें: चित्र नामांकित रहना चाहिए।
उत्तर ⇒
18. जल विद्युत संयंत्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर ⇒बहते जल की गतिज ऊर्जा से उत्पन्न विद्युत जल विद्युत कहलाता है तथा वह संयंत्र जो बड़े पैमाने पर बहते जल से विद्युत उत्पन्न करता है, जल विद्युत संयंत्र कहलाता है। बहता जल ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोककर बड़े जलाशयों (कृत्रिम झील) में जल एकत्र करने के लिए ऊँचे-ऊँचे बाँध (dam) बनाए जाते हैं। जलाशयों में जल संचित होता है जिसके फलस्वरूप जल का तल ऊँचा हो जाता है। बाँध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल बाँध के आधार के समीप स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर मुक्त रूप से गिरता है जिससे टरबाइन का ब्लेड घूमने लगता है, टरबाइन की धूरी (axle) जनित्र (generator) के आर्मेचर से जुड़ा रहता है। अतः लगातार आर्मेचर के घूमने से यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है।
जल विद्यत की उत्पत्ति का सिद्धान्त :
(i) जैसे ही बहता जल नीचे से ऊँचे बाँध पर बने संग्राहक में पहुँचता है तो उसकी गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है।
(ii) जब जल ऊपर से नीचे टरबाइन के ब्लेड पर गिरता है तो स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।
(iii) जल टरबाइन के ब्लेड पर गिरता है तो वह तेजी से घूमने लगता है और गतिज ऊर्जा टरबाइन के द्वारा यांत्रिक ऊर्जा में बदल जाती है।
(iv) अन्ततः यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदल जाता है, जिसे जल विद्युत ऊर्जा कहा जाता है।
जल विद्युत ऊर्जा से लाभ :
(a) जल मुफ्त में मिल जाता है ।
(b) यह ऊर्जा प्रदूषण मुक्त है एवं
(C) यह सस्ता प्राप्त होता है।
19. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒उत्तम ईंधन वह ईंधन है जिसमें निम्न विशेषताएँ होती हैं-
(i) ईंधन का ऊष्मीय मान (या कैलोरी मान) उच्च होना चाहिए ताकि वह प्रति इकाई भार के हिसाब से अधिक ऊष्मा दे सके।
(ii) ईंधन का प्रज्वलन ताप उचित होना चाहिए ताकि उसे आसानी से जलाया जा सके। ईंधन का प्रज्वलन ताप न तो बहुत कम और न ही बहुतअधिक होना चाहिए।
(iii) ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा कम होनी चाहिए ताकि वह जलने पर अधिक राख पीछे न छोड़े।
(iv) ईंधन के जलने से कोई हानिकारक तथा विषैली गैसें उत्पन्न नहीं होनी चाहिये जो वायु को प्रदूषित कर सकें।
(v) चुना गया ईंधन अन्य प्रयोजनों के लिए अधिक उपयोग नहीं होना चाहिए।
(vi) ईंधन सस्ता होना चाहिए और आसानी से उपलब्ध होना चाहिए।
(vii) ईंधन मध्यम दर से तथा शांतमय ढंग से जलना चाहिए।
(viii) ईंधन को इस्तेमाल करना आसान होना चाहिए, ईंधन को लाना-ले-जाना (परिवहन) सुरक्षित तथा आसान होना चाहिए तथा उसका भंडारण सुविधायुक्त होना चाहिए।
20. नाभिकीय रिएक्टरों से विद्युत ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है ?
उत्तर ⇒नाभिकीय शिण्वटर में यरेनियम को ईंधन के रूप में प्रयक्त किया जाता है। पहले U-235 की विखंडन योग्य प्रतिशत मात्रा बढ़ाने के लिए इसे संवर्धित किया जाता है । जब एक मंद गति वाला न्यूट्रॉन U-235 के नाभिक से टकराता है तो तीन नये न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं जो एक शृंखला बनाते हैं। इन मुक्त न्यूट्रॉनों को नियंत्रण में रखने के लिए कैडमियम तथा बोरॉन धातु की छड़ें प्रयोग में लाते हैं। वे छड़ें न्यूट्रॉनों को अवशोषित करके उन्हें प्रभावित बना देती है । जब ये छड़ें पूर्णत: ईंधन में प्रविष्ट कर दी जाती हैं तो वे समस्त न्यूट्रॉनों का अवशोषण कर लेती हैं तथा शृंखला अभिक्रिया रूक जाती है।
इन छडों को बाद में ईंधन में से धीरे-धीरे उतना ही बाहर निकाला जाता है जितना कि वह केवल उतनी ऊर्जा का अवशोषण करे जिससे मुक्त न्यूट्रॉनों द्वारा नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया को नियंत्रित रूप में संचालित करके निश्चित परिणाम में ऊर्जा प्राप्त होती रहे । इस प्रकार प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा से पानी को भाप में बदलकर बड़े-बड़े टरबाइन घुमाए जाते हैं। भाप की ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। हर टरबाइनों के घूमने से विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पन्न होती है । जब भाप संघनित हो जाती है तो इसे फिर दूसरे चक्र में काम में लाया जाता है।
21. पवन चक्की के कार्य करने के सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर ⇒गतिशील हवा को पवन कहते हैं। इसके पास पर्याप्त मात्रा में गतिज ऊर्जा होती है क्योंकि यह गतिशील है, अतः इसमें कार्य करने की क्षमता होती है। जब हवा तेजी से चलती है तो अपनी गति से वह राह में आने वाली वस्तुओं की दिशा बदल सकती है, उन्हें स्थिर अवस्था में गतिशील बना सकती है; घूमने वाली वस्तुओं को तेजी से घुमा सकती है । तूफानों में बड़े-बड़े पेड़ इसी के कारण उखड़ जाते हैं।, खंबे गिर जाते हैं। और हल्की वस्तुएँ उड़कर दूर जा गिरती है।
पवन-चक्की एक मशीन है जो तेज हवा चलने से उत्पन्न ऊर्जा पर आधारित है। इसमें बड़े-बड़े पंख होते हैं जो पवन की गतिज ऊर्जा से घूमने लगते हैं और वे अपने साथ जुड़े अन्य उपकरणों को घुमाकर उपयोगी कार्य कराते हैं। पवन चक्की को गति देने और उससे उपयोगी कार्य कराने के लिए पवन का वेग कम-से-कम 15 किमी०/घंटा होना चाहिए।