अब जूट भी बंद, भारत ने बांग्लादेश से आयात पर फिर कसी नकेल

India jute import ban: बांग्लादेश से भारत में आने वाले जूट और उसके कई उत्पादों पर अब बंदिशें लग गई हैं. भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि अब इन उत्पादों का आयात केवल मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह से ही होगा. जमीनी सीमा चौकियों से ये आयात पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है.

किन-किन जूट उत्पादों पर लगी रोक?

डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) के मुताबिक, जिन उत्पादों पर रोक लगाई गई है, उनमें शामिल हैं:

  • फ्लैक्स टॉ और वेस्ट (यार्न वेस्ट और गारनेटेड स्टॉक समेत)
  • जूट और अन्य बास्ट फाइबर (कच्चे या रेटेड)
  • सिंगल फ्लैक्स यार्न
  • सिंगल और मल्टीपल यार्न ऑफ जूट
  • फ्लैक्स और जूट के बुने हुए कपड़े
  • बिना ब्लीच किए हुए जूट के कपड़े

इन उत्पादों का आयात भारत-बांग्लादेश जमीनी सीमा चौकियों से नहीं होगा, सिर्फ मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह से मंजूरी दी जाएगी. हालांकि, यह प्रतिबंध नेपाल और भूटान के लिए बांग्लादेश से ट्रांजिट हो रहे सामान पर लागू नहीं होगा. यानी अगर बांग्लादेश से कोई सामान नेपाल या भूटान के लिए जा रहा है और भारत से होकर गुजरता है, तो उसे रोका नहीं जाएगा. लेकिन एक शर्त भी है. अगर उस सामान को बाद में नेपाल या भूटान से भारत में फिर से निर्यात करने की कोशिश की गई, तो यह अनुमति नहीं दी जाएगी.

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पहले भी लगी थी पाबंदी (India jute import Ban)

आपको बता दें, 17 मई को भारत ने बांग्लादेश से आने वाले रेडीमेड गारमेंट्स (RMG) और अन्य उत्पादों के आयात पर भी प्रतिबंध लगाया था. खासकर पूर्वोत्तर भारत के जमीनी बंदरगाहों (असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय) और पश्चिम बंगाल के फूलबाड़ी और चांगराबांधा पर. दरअसल, इस कूटनीतिक खींचतान की शुरुआत तब हुई, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइज़र मुहम्मद यूनुस ने चीन में दिए एक भाषण में भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को “लैंडलॉक्ड” यानी ‘समुद्र से कटा हुआ क्षेत्र’ कह दिया.

बांग्लादेश को अब ‘रिसिप्रोसिटी’ का पाठ पढ़ा रही है भारत सरकार

भारत सरकार के सूत्रों के मुताबिक़, यह कदम “रिसिप्रोकल मेज़र” यानी पारस्परिक नीति के तहत लिया गया है. अब तक भारत ने बांग्लादेश को अपने पूर्वोत्तर में व्यापार के लिए खुला रास्ता दे रखा था, जबकि बांग्लादेश ने भारतीय चावल, यार्न आदि पर प्रतिबंध और कड़े निरीक्षण लगाए थे. सरकार का साफ कहना है “एकतरफा लाभ नहीं चलेगा, रिश्ते अब बराबरी के आधार पर होंगे.”

क्या-क्या हो रहा महंगा?

इस पाबंदी का असर बांग्लादेशी निर्यातकों पर भी पड़ा है. अब उन्हें अपने सामान जैसे गारमेंट्स, प्लास्टिक, फर्नीचर, फूड प्रोडक्ट्स को मुंबई या कोलकाता बंदरगाह के जरिए भेजना पड़ रहा है, जिससे लॉजिस्टिक लागत कई गुना बढ़ गई है. हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और क्रश्ड स्टोन जैसे आवश्यक सामान पर यह प्रतिबंध लागू नहीं होगा. भारत ने ये साफ संकेत दे दिया है कि अब व्यापारिक रिश्तों में भी बराबरी की नीति अपनाई जाएगी. नॉर्थ ईस्ट को सिर्फ एक “कंज्यूमर मार्केट” मानने की सोच को बदलना होगा.

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