अनुब्रत मंडल जैसे प्रभावशाली नहीं हैं पार्थ चटर्जी

कोलकाता. शिक्षक नियुक्ति घोटाले में गिरफ्तार राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कलकत्ता हाइकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है. शुक्रवार को न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी एवं न्यायाधीश अपूर्व सिन्हा रॉय की खंडपीठ में उक्त याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान पार्थ चटर्जी के अधिवक्ता ने कोर्ट में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया एवं अनुब्रत मंडल को मिली जमानत का मुद्दा उठाया. अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल (पार्थ चटर्जी) की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने हमेशा उनके प्रभावशाली होने का हवाला दिया है. सीबीआइ का कहना है कि उनके मुवक्किल को जमानत मिलने से जांच प्रभावित हो सकती है. सबूत नष्ट किये जा सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है. अभी पार्थ चटर्जी मंत्री भी नहीं हैं और उनके साथ कोई प्रभावशाली नेता भी खड़ा नहीं है. वह एकदम अकेले हैं. इसलिए उनके खिलाफ सीबीआइ द्वारा प्रभावशाली होने का जो आरोप लगाया जा रहा है, वह बेबुनियाद है. अधिवक्ता ने आगे कहा कि जब दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया एवं अनुब्रत मंडल जैसे राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोगों को जमानत मिल सकती है, तो उनके मुवक्किल को जमानत क्यों नहीं दी जा रही? केजरीवाल, सिसोदिया और अनुब्रत तो अब भी प्रभावशाली हैं. लेकिन मेरे मुवक्किल पार्थ चटर्जी अब प्रभावशाली नेता नहीं हैं. वहीं, पार्थ चटर्जी के साथ-साथ सुबिरेश भट्टाचार्य, शांति प्रसाद सिन्हा, अपूर्व साहा जैसे राज्य के पूर्व अधिकारियों ने भी जमानत याचिका दायर की है. इस मामले में हाइकोर्ट ने सीबीआइ से लिखित में जवाब मांगा था, लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोई रिपोर्ट पेश नहीं की. इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए सीबीआइ को आगामी तीन अक्तूबर को लिखित में बयान जमा करने का निर्देश दिया.

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