अनंत सिंह की पत्नी के लिए कैंप करेंगे ललन सिंह:लोकसभा चुनाव में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ी थी नीलम देवी
अनंत सिंह की पत्नी के लिए कैंप करेंगे ललन सिंह:लोकसभा चुनाव में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के खिलाफ चुनाव लड़ी थी नीलम देवी
बैटल ऑफ मोकामा का असली मिजाज अब दिखने लगा है। बाहुबली बनाम बाहुबली की लड़ाई में अब यहां नेताओं के बनते-बिगड़ते नए रिश्तों के परिदृश्य भी देखने को मिलेंगे। पॉलिटिकल एक्सपर्ट कहते हैं महागठबंधन के नए स्वरूप का असली प्रयोग इसी मोकामा में होगा।
इसी के तहत अब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्ययक्ष ललन सिंह 26 और 27 अक्टूबर को मोकामा में कैंप करेंगे। यहां वे अलग-अलग क्षेत्रों में जनसंपर्क और छोटी जनसभा को संबोधित करेंगे। यहां के बाद 28 और 29 अक्टूबर को ललन सिंह गोपालगंज जाएंगे।
ललन सिंह के मोकामा जाने के मायने, यहां सवर्ण वोटर्स जिस पाले में, जीत उसी की
मोकामा विधानसभा क्षेत्र में कुल 2.68 लाख वोटर हैं। इस सीट पर अहम भूमिका भूमिहार, कुर्मी, यादव, पासवान की है। राजपूत और रविदास जैसी जातियां भी यहां महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। इस सीट पर साल 2000 में सबसे अधिक मतदान 76.70 प्रतिशत हुआ था। इस दौरान 83.4 पुरुषों और 69.01 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था। इस विधानसभा क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि सवर्ण वोट जिस पाले में उस पार्टी की जीत होनी तय है।
मुंगरे से ललन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ी थी नीलम
ललन सिंह यहां जिस अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी के पक्ष में कैंपेन करेंगे, कभी वही उन्हें चुनाव में हराने पर अमादा थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में मुंगेर से ललन सिंह को नीलम देवी ने कड़ा टक्कर दिया था। मुकाबला इतना जोरदार था कि मुंगेर लोकसभा क्षेत्र में आने वाले इसी मोकामा में अनंत सिंह पिछड़ भी गए थे। हालांकि बाकी जगह वे भारी पड़े थे।
दशकों बाद बीजेपी है मैदान में, ललन सिंह को सूरजभान का शह
पिछले 20 वर्षों से इस सीट पर जेडीयू का एकछत्र राज रहा है। पहले जब वे नीतीश कुमार के करीबी थे तब यहां से तीर का बोलाबाल रहता था।उनके आरजेडी में जाने के बाद यहां लालटेन जली। दशकों बाद यहां से बीजेपी की प्रत्याशी बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी मैदान में हैं। इलाके के जानकारों की मानें तो चेहरा भले ललन सिंह हों लेकिन। असली मुकाबला सूरजभान सिंह और अनंत सिंह के बीच ही है।
मोकामा विधानसभा सीट से बीजेपी कभी नहीं जीती
2005 के चुनाव से ही मोकामा मतलब अनंत सिंह हो गया है। इससे पहले कुल 16 चुनाव में 7 बार कांग्रेस, तीन बार JDU, तीन बार निर्दलीय उम्मीदवार, दो बार जनता दल, एक बार रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया यहां से जीत चुकी है। आज तक BJP यहां से नहीं जीती है, वहीं 1985 में आखिरी बार कांग्रेस ने यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि अब बदले हुए समीकरण में बीजेपी यहां भी अपनी पूरी ताकत लगाएगी।
ललन सिंह को जाता है अनंत सिंह को राजनीति में लाने का श्रेय
अनंत सिंह को ललन सिंह का श्रेय भी कहा जाता है। अनंत सिंह को क्राइम की दुनिया से राजनीति की चौखट पर लाने का श्रेय ललन सिंह को ही जाता है। ये ललन सिंह के सहारे ही कभी अनंत नीतीश के करीबी बने थे और बिहार में उन्हें छोटे सरकार का दर्जा दिया गया। हालांकि 2015 के बाद दोनों के बीच रिश्ते बिगड़ते चले गए। इसके बाद पहले अनंत सिंह ने जेडीयू का दामन छोड़ यहां से निर्दलीय चुनाव जीता।
2015 में नीतीश के साथ बिगड़े रिश्ते, नीतीश को छोड़ लालू के साथ हुए
साल 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार से उनके संबंध बिगड़ गए। चुनाव से ठीक पहले अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके पटना के सरकारी मकान से छापेमारी में कई अवैध सामग्री बरामद हुई।कई बड़े मामले में उनका नाम सामने आया। इसके बाद भी वे 2015 में बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अपनी दावेदारी ठोकी और जीत भी हासिल की। साल 2020 चुनाव के दौरान अनंत सिंह जेल में बंद होते हुए भी राजद प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए और चुनाव जीते।
2005 से लगातार जीतते रहे चुनाव, नीतीश भी जोड़ते थे हाथ
साल 2005 में नीतीश कुमार की जेडीयू ने अनंत सिंह को मोकामा से उम्मीदवार बनाया। उन्होंने लोजपा के नलिनी रंजन शर्मा उर्फ ललन सिंह को हराकर जीत का ताज पहना। साल 2010 में भी अनंत सिंह ने जेडीयू के टिकट पर जीत हासिल की।इस बीच नीतीश के साथ अनंत सिंह का कद भी बढ़ते चला गया। स्थिति ये थी कि नीतीश कुमार भी अनंत सिंह के सामने हाथ जोड़ते थे।
source – jagran
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