२६वाँ ओलम्पिक खेल – ९६

२६वाँ ओलम्पिक खेल – ९६

          वर्तमान काल में खेलों का महत्व निरन्तर बढ़ता जा रहा है। विश्व के लगभग सभी देशों में में खेलों के महत्व को स्वीकार किया गया है। विश्व शिक्षण पद्धतियों में खेल द्वारा शिक्षा के सिद्धान्त पर बल दिया गया है। खेल एक निरर्थक क्रिया न होकर बालक की एक महत्वपूर्ण एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है। सबसे पहले यूनानी विचारक प्लेटो ने खेल के महत्व को समझा था । लेकिन उसने खेल को शारीरिक विकास का साधन बताया था। इसके बाद फ्रोबेल नामक शिक्षा शास्त्री ने अपनी किण्डर गार्डन पद्धति का आधारभूत सिद्धान्त ‘खेल’ रखा । उसका कहना था कि ‘खेल बालक की स्वाभाविक प्रवृत्ति है, इसलिए इसका सम्बन्ध शिक्षा से जोड़ देना चाहिए, क्योंकि खेल ही खेल में बालक ऐसी शिक्षा ले सकता है, जो अन्य साधनों द्वारा प्राप्त करनी असम्भव है। श्री कुक ने खेल को सीखने का एक महत्वपूर्ण साधन बताया है। उनका कहना है कि बालक सीखने के लिये खेलता है। खेल में बालक की रचनात्मक प्रवृत्तियाँ स्पष्ट, बलवती तथा आदर्श रूप में प्रकट होती हैं ।
          खेलों का इतिहास अति प्राचीन है। प्रागैतिहासिक काल से ही खेल मनुष्य के मनोरंजन का प्रमुख साधन रहे हैं। आधुनिक काल में तो खेलों का महत्व अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया है। आजकल विश्व भर में खेलों की अनेक प्रतियोगितायें होती हैं, जिनमें ओलम्पिक खेल, एशियाई खेल और राष्ट्र मण्डलीय खेल, अन्तर्राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं ।
          ओलम्पिक खेलों का इतिहास काफी पुराना है। सर्वप्रथम यूनान के नगर राज्य एथेन्स में ७७६ ईसा पूर्व में ओलम्पिया पर्वत पर खेल-क – कूद की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था । इसके बाद ६७ ई० तक पूर्व में खेल एथेन्स में ही हुए, परन्तु ३९४ ई० में आन्तरिक संघर्षों के कारण यूनान के सम्राट प्रयोडीसियस ने इन खेल प्रतियोगिताओं को बन्द करवा दिया। इसके बाद फ्रांस के बैरन (लार्ड) पाइरे दि कुबरतीन ने आधुनिक खेल प्रतियोगिताओं का आरम्भ करवाया। सन् १८९६ ई० में प्रथम आधुनिक ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता यूनान के नगर एथेन्स में आयोजित हुई। इसके बाद से प्रति चार वर्ष के बाद विश्व के विभिन्न देशों के बड़े-बड़े नगरों में ओलम्पिक खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें विश्व के विभिन्न देशों के खिलाड़ी भाग लेते हैं। पेरिस (१९००, २४), सेण्ट लुइस (१९०४), लन्दन (१९०८, ४८), स्टाकहोम म (१९१२), बर्लिन (१९१६, ३६), एण्टीवर्य (१९२०), एमस्टरडम (१९२८), लॉस ऐंजिल्स (१९३२, ८४), हेलसिंकी (१९५२), मेलबोर्न (१९५६), रोम (१९६०), टोकियो (१९६४), मैक्सिको (१९६८), म्यूनिख (१९७२), मांट्रियल (१९७६), मास्को (१९८०), लांस ऐंजिल्स (१९८४), बार्लील (१९८८), तथा सियोल (१९९२), नगरों में ओलम्पिक खेल आयोजित कराने का गौरव प्राप्त कर चुका है।
          अमेरिका के अटलांटा नगर को २६वें ओलम्पिक खेलों के आयोजन का गौरव प्राप्त हुआ । १७ जौलाई १९९६, से ४ अगस्त १९९६ तक १७ दिनों तक इस शताब्दी का खेलों का यह अन्तिम आयोजन धूमधाम से चला ।
          अब तक के सबसे मंहगे और दौलत के महातमाशे से भरपूर इस सदी के आखिरी ओलम्पिक का आज यहाँ अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिटन ने आतंकवाद के सर्द साये और मौसम की उमस भरी गरमी के बीच उद्घाटन किया। करीब नब्बे हजार दर्शकों से भरे स्टेडियम और करोड़ों खेल प्रेमियों ने टेलीविजन पर इस धड़कन रोक देने वाले समारोह को देखा।
          ओलम्पिक स्टेडियम में ९० हजार दर्शकों के सामने एथलीटों ने मार्च पास्ट में भारतीय एथलीट दल चौरासीवें नम्बर पर था। उद्घाटन समारोह को दुनिया भर में लगभग दो अरब दर्शकों ने देखा। खेल प्रतियोगितायें आज शुरू हो रहीं हैं। पहले स्वर्ण पदक पुरुष और महिला तैराकी, पुरुष व्यक्तिगत ए० पी० तलवारबाजी, पुरुष और महिला हैवीवेट जूडो, पुरुष और महिला निशानेबाजी तथा ५४ किलो भारोत्तोलन के होंगे।
          भारतीय समय के अनुसार रात्रि के ढाई बजे जब अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिटन उद्घाटन समारोह में शामिल होने आये तभी पूरा स्टेडियम तालियों से गूंज उठा। इस मौके पर आई० ओ० सी० के अध्यक्ष समारांच भी उपस्थित थे ।
          इस छब्बीसवें ओलम्पिक में हिस्सा लेने के लिये १९७ देशों के १०,००० ( दस हजार ) से ज्यादा एथलीट अटलांटा में जमा हुए हैं। अमरीका में होने वाला यह चौथा ओलम्पिक अपनी व्यवसायिक चमक-दमक के लिए जाना जायेगा।
          ओलम्पिक स्टेडियम में ८३,००० दर्शकों के सामने एथलीटों ने मार्च पास्ट के साथ ही गौरव लूटने की दौस्ताना होड़ शुरू हो जायेगी । उद्घाटन समारोह को दुनिया भर के लगभग दो अरब दर्शक टेलीविजन पर देखेंगे ।
          मोहम्मद अली के बूढ़े और कांपते हाथों से छूटे अग्निबाण पर सवार होकर इस सदी की आखिरी और इतिहास का सबसे बड़ा ओलम्पिक पिछली रात (भारतीय समयानुसार आज तड़के) यहाँ सत्रह दिनों के अपने सफर पर निकल पड़ा ।
          चार घण्टों के उद्घाटन समारोह के दौरान ओलम्पिक स्टेडियम खुशियों भरे कोलाहल और गीतों से गूंजता रहा। पहली बार अटलांटा में अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति के सभी १९७ देश हिस्सा ले रहे हैं ।
          अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिटन ने सोलह दिनों तक चलने वाली स्पर्धाओं की शुरुआत की घोषणा की । उन्होंने कहा ‘मैं आधुनिक युग के छब्बीसवें ओलम्पियाड की शुरुआत की घोषणा करता हूँ ।’
          पूर्व ओलम्पिक और विश्व चैम्पियन मुक्केबाज अली को, पार्किन्संस रोग के कारण खड़े होने में भी दिक्कत हो रही थी। उन्होंने मशाल की बत्ती में आग लगायी, जो ‘केबिल’, से होती हुई स्टेडियम के ऊपर ओलम्पिक ज्योति तक सरसराती हुई पहुँच गई ।
           संगीत और खूबसूरत आतिशबाजी की इस नुमाइश को स्टेडियम में ८३,००० और टेलीविजन पर ढाई अरब से ज्यादा दर्शकों ने देखा ।
          मार्च पास्ट में ८४वें नम्बर पर आये भारतीय दल के नेतृत्व हाकी कप्तान परगट सिंह कर रहे थे। रितु बेरी के ‘डिजाइन’ किये परिधानों से सजे भारतीय दल की रौनक देखने लायक थी । पुरुषों ने नीली पतलूनें, क्रीम रंग के ब्लेजर और पगड़ी पहन रखी थी। भारत की महिलायें सफेद सलवार और कमीज में थी ।
          अटलांटा, ५ अगस्त (वार्ता) । अटलांटा की धरती पर सोलह दिन तक २७१ स्पर्धाओं से गौरव लूटने वाले विजेताओं की मुस्कराहटों, जबर्दस्त आतिशबाजी और पश्चिमी संगीत पर थिरकते लाखों लोगों ने हर्षोन्माद के बीच आधुनिक ओलम्पिक का सौ साल का सफर ४ अगस्त, १९९६ को पूरा हो गया ।
          धरती की शान बढ़ाने वाले हजारों युवा एथलीट स्टेडियम में फख्र के साथ और ओलम्पिक की सौंवीं वर्षगांठ का समापन समारोह मनाने के साथ उन्होंने चार साल बाद फिर आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में जमा होने का संकल्प लिया।
          शताब्दी ओलम्पिक के समापन की घोषणा करते हुये अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति केअध्यक्ष युआन एंतोनिया समारांच ने दुनिया के युवाओं से चार साल बाद सिडनी में एकत्र होने का आह्वान किया ।
          समारांच ने अटलांटा ओलम्पिक के आयोजकों को बधाई दी लेकिन उन्होंने इन खेलों को सर्वश्रेष्ठ नहीं कहा जैसा वह हर ग्रीष्म या शीतकालीन ओलम्पिक के समापन पर कहा करते हैं । समारांच ने कहा, शाबाश अटलांटा । वह भावुक स्वरों में बोले, ओलम्पिक खेलों ने सौ साल तक सपनों को पाला-पोसा और आज वे सब ख्वाब अटलांटा के लिये पूरे हो गये । अब इस शहर को सदा ओलम्पिक नगर के नाम से पुकारा जायेगा ।
          अटलांटा ओलम्पिक पर पिछले सप्ताह हुये बम विस्फोट का जो दाग लगा था उसकी छाया समापन समारोह में दिखायी दी । अस्सी हजार से अधिक लोगों ने इस घटना के शिकार हुये लोगों की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा । ऐसा पहली बार हुआ जब ओलम्पिक के किसी समारोह में समारांच ने इस्राइल के उन ग्यारह एथलीटों को याद किया जो १९७२ के म्यूनिख ओलम्पिक के दौरान मारे गये थे।
          समारांच ने कठोर शब्दों में घोषणा की आतंकवाद की कोई भी कार्रवाई ओलम्पिक आन्दोलन को तबाह नहीं कर पायी और न ही कर पायेगी । इस मौन का अन्त एक अमरीकी गायक स्टीव वंडर के ‘इमेजिन’ गीत से हुआ जिसमें विश्व शान्ति और एकता की कामना की गयी है। दर्शकों ने हाथ उठाकर स्टीव के गीत के आह्वान को स्वीकार किया ।
          उद्घाटन की तरह ही समापन समारोह भी विश्व भर में टैलीविजन के जरिये करोड़ों लोगों की गवाही में हुआ।
          लिटिल रिचर्ड आर० बी० किंग वेटन मारसलिस अल ग्रीन और अन्य के समूह स्वरों में गाये गये गीत के साथ तीन घण्टे का समापन समारोह सम्पन्न हुआ।
          हो सकता है कि इतिहास अटलांटा ओलम्पिक को दूसरी तरह ही याद रखे । सम्भव है इसे आतंकवाद से सद्भाव की टक्कर और आखिरकार सद्भाव की विजय के ओलम्पिक में याद किया जाये ।
         शायद इसे महिलाओं का ओलम्पिक कहा जाये क्योंकि इससे बार्लीलोना से चालीस प्रतिशत अधिक महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसी ओलम्पिक में पहली बार महिलाओं की फुटबाल प्रतियोगिता रखी गयी और इसका स्वर्ण अमरीकी टीम ने चीन को पराजित कर हासिल किया।
          ओलम्पिक इतिहासज्ञ जान मैक्लन ने कहा कि आस्ट्रेलिया को अटलांटा ओलम्पिक को पीछे छोड़ने में बहुत मुश्किल होगी लेकिन वह इसकी कोशिश तो जरूर करेगा ।
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