१२वीं लोकसभा १९९८

१२वीं लोकसभा १९९८

          पुष्प का महत्त्व उसकी सुवास और सुगंधि में निहित है। पुष्प कितना ही सुन्दर हो परन्तु यदि वह सुगन्धि रहित है तो उसका कोई मूल्य नहीं होता और न कोई उसके पास फटकता ही है यही हाल गूलर के फूल का होता है तोता जब उसमें चोंच मारता है तो भीतर गन्धहीन रुई ही निकलती । यही हाल भाषा का होता है । भाषा का शरीर शब्द होते हैं और उनका अर्थ भाषा के प्राण होते । अर्थ हीन भाषा निष्प्राण ही कहलाती है। अर्थ तत्त्व के बिना भाषा का कोई महत्त्व नहीं । इसी प्रकार लोकतन्त्र का शरीर, लोकतान्त्रिक तरीके से चुनी सरकार होती है और उसकी आत्मा, उसके प्राण जनता होती है, जनता का मतदान होता है। इसीलिये दार्शनिक प्लेटो का यह सिद्धांत प्रसिद्ध हो गया था कि जनता की सरकार, जनता द्वारा चुनी गई सरकार और जनता के कल्याण के लिए सरकार (By the People, of the People, and for the People) I
          समय बीतते देर नहीं लगती । ग्यारह लोकसभायें बीत गईं । बारहवीं लोकसभा १९९८ के मार्च में पदारूढ़ होनी थीं। इसके लिये फरवरी १९९८ से ही सरकारी मशीनरी एक्शन में आ गई थी । भारत का चुनाव आयोग स्पष्ट घोषणायें कर चुका कि इस बार निष्पक्ष चुनाव होंगे। मतदाता निर्भीक होकर मतदान करेंगे। अब की बार न मतपत्र फाड़े जायेंगे न मतदान केन्द्र लुटेंगे । परिणामस्वरूप चुनाव आयोग ने २० जनवरी, १९९८ को अधिसूचना जारी कर स्पष्ट कर दिया कि लोकसभा और पाँच विधानसभाओं के चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित प्रक्रिया और नियमानुसार ही होंगे। पहली अधिसूचना मेघालय और त्रिपुरा के लिये, दूसरी अधिसूचना १८ राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों के लिये, तीसरी अधिसूचना तेरह राज्यों के लिये, चौथी अधिसूचना जम्मू-कश्मीर राज्यों के लिये जारी की गई । इसी के साथ नामांकन आदि चुनाव प्रक्रियायें प्रारम्भ हो गईं । ढोल और नगाडों की थापों पर थिरकते समर्थकों के साथ नामाकंन हुए, तथा चुनाव प्रचार में लग गये ।
          लोकसभा की ५४३ सीटों में  से २२२ सीटों पर १६ फरवरी १९९८ को, १८८ सीटों पर २२ फरवरी, १३२ सीटों पर २८ फरवरी तथा तीन सीटों पर सात मार्च को मतदान हुआ। लोकसभा के साथ मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव हुए । आन्ध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडू और उत्तर प्रदेश में दो तारीखों में १६ और २२ फरवरी को चुनाव सम्पन्न हुए।
          अब की बार चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव कराने के लिये सारे भारत में पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिये थे जिन्होंने मतदान केन्दों पर जाकर बारीकी से निरीक्षण किया। संवेदनशील मतदान केन्द्रों पर विशेष पुलिस बल की व्यवस्था की गई, सेक्कर मजिस्ट्रेट और मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिये गये थे, परिणामस्वरूप बिहार को छोड़कर अन्य प्रांतों में धाँधली कम हुई और जहाँ हुई भी वहाँ दूसरे दिन विशेष व्यवस्था में पुर्नमतदान कराया गया ।
          मत पेटिकाओं की सुरक्षा के लिये अभूतपूर्व प्रबन्ध कुराये गये थे। तम्बुओं में मतगणना निषिद्ध कर दी गई थी। गणना केन्द्रों की छतों पर पुलिस बल तैनात किया गया था और उसके चारों ओर पुलिस छावनी का सा दृश्य था। अपनी सेवाओं पर आँच न आने के भय ने अधिकारियों को अधिक चुस्त और दुरुस्त बना दिया था।
          २ मार्च से मतगणना का दौर शुरू हुआ जैसे-जैसे रिजल्ट आते गये वैसे-वैसे कुछ प्रत्याशी हँसे और रोये भी। प्रसन्नता और शोक का दौर आठ-दस मार्च १९९८ तक चलता रहा। बड़े-बड़े दिग्गज लुढ़क गये और सामान्य प्रत्याशी अपनी पार्टी की पतवार थामे विजयी होते रहे।
          १० मार्च, १९९८ को चुनाव आयोग ने भारत के राष्ट्रपति को स्वयं साढे पाँच बजे राष्ट्रपति से भेंट कर उन्हें १२वीं लोकसभा के लिये निर्वाचित ५३९ सदस्यों की सूची सौंप दी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रपति ने लोकसभा के चुनावों को १५ मार्च, १९९८ तक पूरा कराने की जो इच्छा की थी उसे पूरा कर दिया गया है और १२वीं लोकसभा का गठन विधिवत् रूप से पूरा हो गया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि केवल चार संसदीय क्षेत्रों पटना, ऊधमपुर, लद्दाख, और मण्डी में चुनाव स्थगित कर दिये गये थे और अब पटना में चुनाव ३० मार्च, उधमपुर में १८ मार्च तथा लद्दाख और मण्डी में २१ जून को मतदान होगा ।
          सबसे बड़े संसदीय दल के नेता होने के कारण राष्ट्रपति जी ने श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को १५ मार्च, १९९८ को प्रधानमन्त्री नियुक्त कर दिया । राष्ट्रपति जी ने १९ मार्च को श्री अटल बिहारी जी को प्रधानमन्त्री पद की शपथ दिलायी। अटल जी के साथ उनके सहयोगियों ने भी मन्त्री पद की शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति ने शपथ ग्रहण से १० दिन के भीतर सदन में अपना बहुमत सिद्ध करने का निर्देश दिया ।
          अब देश की पतवार ऐसे चतुर माँझी के हाथ में है जो उसे झंझावतों से बचा सकता है। सद्भावना और सहयोग के सहारे देश को बड़े-बड़े संकटों से उबार सकते हैं। उन्हें प्रशासन का व्यापक अनुभव है। विश्व में वाक्पटुता के लिए विख्यात हैं। ऐसा सुलझा हुआ व्यक्तित्व देश हित में समर्पित रहेगा, ऐसा जनता को विश्वास है ।
हमसे जुड़ें, हमें फॉलो करे ..
  • Telegram ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Facebook पर फॉलो करे – Click Here
  • Facebook ग्रुप ज्वाइन करे – Click Here
  • Google News ज्वाइन करे – Click Here

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *