होली : राग-रंग का त्योहार

होली : राग-रंग का त्योहार

          यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि हमारे देश ने त्योहारों की माला पहन रखी है। शायद कोई ऐसी महत्त्वपूर्ण अतिथि हो, जो किसी न किसी त्योहार, पर्व से सम्बन्धित न हो। छोटे-बड़े त्योहारों को लेकर चर्चा की जाए, तो हमारी सभी तिथियां किसी-न-किसी घटना का ही प्रतीक और स्मृति हैं। दशहरा, रक्षाबन्धन, दीवाली, रामनवमी आदि धार्मिक त्योहारों का अधिक महत्त्व है ।
          रंगी होली का त्योहार सभी त्योहारों का शिरोमणि त्योहार है। वह त्योहार सभी त्योहारों से अधिक आनन्दवर्द्धक है, प्रेरणादायक एवं उल्लासवर्द्धक भी है । यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। होली का त्योहार हर्षोल्लास, एकता और मिलन का प्रतीक है।
          हमारे हर एक धार्मिक त्योहार से सम्बन्धित कोई न कोई पौराणिक कथा प्रसिद्ध है। होली के सम्बन्ध में कहा जाता है कि दैत्य-नरेश हिरण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को भगवान का नाम न लेने की चेतावनी दे रखी थी । किन्तु उसके पुत्र प्रह्लाद ने अपने पिता की आज्ञा न मानी। अब पिता के बार-बार समझाने पर भी प्रह्लाद न माना, तो उसे मार डालने के अनेक प्रयास किए गए; किन्तु उसका बाल भी बाँका न हुआ । दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह अग्नि में नहीं जल सकेगी। वह प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई। लकड़ियों में आग लगा दी गई। प्रभु की कृपा से वरदान अभिशाप बन गया । होलिका जल गई, मगर प्रह्लाद को आँच तक न आई । इस दिन की स्मृति में तब से लेकर अब तक हिन्दू फाग से एक दिन पहले होली जलाते हैं ।
          अधिकाँश भारतीय त्योहार ऋतुओं से भी सम्बन्धित हैं। होली के अवसर पर कृषकों की फसल पकी हुई होती है। कृषक उसे देखकर खुशी से झूम उठते हैं। वे अपनी फसल की बालों को आग में भूनकर उनके दाने मित्रों व सगे-सम्बन्धियों में बाँटते हैं ।
          होली के शुभावसर पर प्रत्येक भारतीय प्रसन्न मुद्रा में दिखाई देता है। चारों ओर रंग और गुलाल का वातावरण दिखाई पड़ता है। मस्त-मौलों की टोलियाँ ढोल-मंजीरे बजाती मस्ती में गाती नाचती दिखाई देती हैं। कही भंग की तरंग, कहीं सुरा की मस्ती में झूमते हुए लोगों के दर्शन होते हैं। होली खुशी का त्योहार है। प्रेम, एकता और त्याग इसके मूल आदर्श हैं।
          होली मिलन का त्योहार है, फिर भी इस मौके पर अक्सर लड़ाई-झगड़ा देखने को मिलता है। कारण स्पष्ट है कि कई लोग रंगों के इस त्योहार (होली) का महत्त्व नहीं समझते। यह त्योहार वैर-भाव मिटाता है; किन्तु इस मौके पर मदिरा और जुए के कारण होली के मूल आदर्शों पर चोट लगती है। इस हर्षोल्लास के त्योहार पर गुब्बारों की मार हर्ष को विषाद में बदल देती है। इसलिए इस अवसर पर कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे रंगों के त्योहार होली के रंग में भंग पड़ जाए। हाँ, होली का रंग जमाने के लिए नाच-गाने, हास्य, कवि-गोष्ठियां की जाएँ, रामलीलाएँ की जाएँ। इस अवसर पर मित्रों को आमंत्रित कर होली मिलन का आयोजन किया जाए।
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