सेहत के लिए लाभदायक बुरांश शरबत

Benefits of Buransh Flower : पहाड़ों में, खासतौर पर उत्तराखंड में अप्रैल महीने में बड़े पैमाने पर सुर्ख लाल रंग के फूल खिले दिखते हैं. ये बुरांश के फूल होते हैं. इस मौसम के बुरांश आपको अभी भी उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में कहीं-कहीं खिले हुए दिख जायेंगे. बुरांश उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष है, वहीं हिमाचल प्रदेश और नागालैंड का राजकीय पुष्प है. बुरांश के फूल न सिर्फ पहाड़ की प्राकृतिक सुंदरता बढ़ाते हैं, बल्कि सेहत भी संवार सकते हैं. इन फूलों का शरबत बनाया जाता है.

हिमालयी क्षेत्र में खिलता है बुरांश

बुरांश के सदाबहार पेड़ है, जो 20 मीटर तक ऊंचा होता है. समुद्र तल से 1500-3600 मीटर की ऊंचाई पर उगनेवाले इस पेढ़ की खुरदरी और भूरी छाल होती है. पत्तियां शाखाओं के सिरे की ओर भरी हुई होती हैं और फूल कई हिस्सों में, बड़े, गोलाकार, गहरे लाल या गुलाबी रंग के होते हैं. यह मूल रूप से भारतीय फूल है, लेकिन यह पूरे हिमालयी इलाकों में पाया जाता है. आप नेपाल, भूटान और चीन के कुछ इलाकों में भी बुरांश के फूल मिलते हैं.

इस फूल के शरबत के हैं कई फायदे

कहा जाता है कि बुरांश का शरबत पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और हड‍्डियों को मजबूती मिलती है. इसका सेवन एनेमिक लोगों के लिए फायदेमंद है. बुरांश का शरबत पेट की जलन को शांत करता है और गर्मियों के लिए एक सेहत से पूर्ण पेय है. डायबिटीज पेशेंट के लिए भी इसे लाभकारी बताया जाता है. बुरांश में एंटी हाइपरग्लाइसेमिक गुण पाया जाता है, जो शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रण में रखता है. लेकिन शुगर पेशेंट को डॉक्टर की सलाह पर ही इसे लेना चाहिए.

औषधीय उपयोग भी होता है बुरांश का

बुरांश की पंखुड़ियों का उपयोग सर्दी, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और बुखार को दूर करने के लिए किया जाता है. वहीं, बुरांश के फूलों से बना शरबत हृदय रोगियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के स्थानीय लोग इसका इस्तेमाल स्क्वैश और जैम बनाने में करते हैं. सिर दर्द का कम करने के लिए बुरांश की कोमल पत्तियों को माथे पर लगाया जाता है. इसके फूल और छाल का उपयोग पाचन और श्वसन संबंधी विकारों को ठीक करने के लिए किया जाता है. गर्मियों इसका शरबत पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह शरीर को हाइड्रेट करता है और एसिडिटी व पेट की जलन की समस्या से बचाता है.

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